اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِالذِّكْرِ لَمَّا جَاۤءَهُمْ ۗوَاِنَّهٗ لَكِتٰبٌ عَزِيْزٌ ۙ ٤١
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- bil-dhik'ri
- بِٱلذِّكْرِ
- ज़िक्र (क़ुरआन)का
- lammā
- لَمَّا
- जब
- jāahum
- جَآءَهُمْۖ
- वो आया उनके पास
- wa-innahu
- وَإِنَّهُۥ
- और बेशक वो
- lakitābun
- لَكِتَٰبٌ
- अलबत्ता एक किताब है
- ʿazīzun
- عَزِيزٌ
- बहुत ज़बरदस्त
जिन लोगों ने अनुस्मृति का इनकार किया, जबकि वह उनके पास आई, हालाँकि वह एक प्रभुत्वशाली किताब है, (तो न पूछो कि उनका कितना बुरा परिणाम होगा) ([४१] फुसिलत: 41)Tafseer (तफ़सीर )
لَّا يَأْتِيْهِ الْبَاطِلُ مِنْۢ بَيْنِ يَدَيْهِ وَلَا مِنْ خَلْفِهٖ ۗتَنْزِيْلٌ مِّنْ حَكِيْمٍ حَمِيْدٍ ٤٢
- lā
- لَّا
- नहीं आ सकता उस पर
- yatīhi
- يَأْتِيهِ
- नहीं आ सकता उस पर
- l-bāṭilu
- ٱلْبَٰطِلُ
- बातिल
- min
- مِنۢ
- उसके सामने से
- bayni
- بَيْنِ
- उसके सामने से
- yadayhi
- يَدَيْهِ
- उसके सामने से
- walā
- وَلَا
- और ना
- min
- مِنْ
- उसके पीछे से
- khalfihi
- خَلْفِهِۦۖ
- उसके पीछे से
- tanzīlun
- تَنزِيلٌ
- नाज़िल करदा है
- min
- مِّنْ
- हिकमत वाले की तरफ़ से
- ḥakīmin
- حَكِيمٍ
- हिकमत वाले की तरफ़ से
- ḥamīdin
- حَمِيدٍ
- बहुत तारीफ़
असत्य उस तक न उसके आगे से आ सकता है और न उसके पीछे से; अवतरण है उसकी ओर से जो अत्यन्त तत्वदर्शी, प्रशंसा के योग्य है ([४१] फुसिलत: 42)Tafseer (तफ़सीर )
مَا يُقَالُ لَكَ اِلَّا مَا قَدْ قِيْلَ لِلرُّسُلِ مِنْ قَبْلِكَ ۗاِنَّ رَبَّكَ لَذُوْ مَغْفِرَةٍ وَّذُوْ عِقَابٍ اَلِيْمٍ ٤٣
- mā
- مَّا
- नहीं
- yuqālu
- يُقَالُ
- कहा जाता
- laka
- لَكَ
- आपसे
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mā
- مَا
- वो जो
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- qīla
- قِيلَ
- कहा गया
- lilrrusuli
- لِلرُّسُلِ
- रसूलों से
- min
- مِن
- आपसे पहले
- qablika
- قَبْلِكَۚ
- आपसे पहले
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- rabbaka
- رَبَّكَ
- रब आपका
- ladhū
- لَذُو
- अलबत्ता बख़्शिश वाला है
- maghfiratin
- مَغْفِرَةٍ
- अलबत्ता बख़्शिश वाला है
- wadhū
- وَذُو
- और सज़ा देने वाला है
- ʿiqābin
- عِقَابٍ
- और सज़ा देने वाला है
- alīmin
- أَلِيمٍ
- दर्दनाक
तुम्हें बस वही कहा जा रहा है, जो उन रसूलों को कहा जा चुका है, जो तुमसे पहले गुज़र चुके है। निस्संदेह तुम्हारा रब बड़ा क्षमाशील है और दुखद दंड देनेवाला भी ([४१] फुसिलत: 43)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَوْ جَعَلْنٰهُ قُرْاٰنًا اَعْجَمِيًّا لَّقَالُوْا لَوْلَا فُصِّلَتْ اٰيٰتُهٗ ۗ ءَاَ۬عْجَمِيٌّ وَّعَرَبِيٌّ ۗ قُلْ هُوَ لِلَّذِيْنَ اٰمَنُوْا هُدًى وَّشِفَاۤءٌ ۗوَالَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ فِيْٓ اٰذَانِهِمْ وَقْرٌ وَّهُوَ عَلَيْهِمْ عَمًىۗ اُولٰۤىِٕكَ يُنَادَوْنَ مِنْ مَّكَانٍۢ بَعِيْدٍ ࣖ ٤٤
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- jaʿalnāhu
- جَعَلْنَٰهُ
- बनाते हम उसे
- qur'ānan
- قُرْءَانًا
- क़ुरआन
- aʿjamiyyan
- أَعْجَمِيًّا
- अजमी
- laqālū
- لَّقَالُوا۟
- अलबत्ता वो कहते
- lawlā
- لَوْلَا
- क्यों ना
- fuṣṣilat
- فُصِّلَتْ
- खोल कर बयान की गईं
- āyātuhu
- ءَايَٰتُهُۥٓۖ
- आयात उसकी
- āʿ'jamiyyun
- ءَا۬عْجَمِىٌّ
- क्या अजमी (किताब)
- waʿarabiyyun
- وَعَرَبِىٌّۗ
- और अर्बी (रसूल)
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- huwa
- هُوَ
- वो
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उनके लिए जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- hudan
- هُدًى
- हिदायत
- washifāon
- وَشِفَآءٌۖ
- और शिफ़ा है
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- lā
- لَا
- नहीं वो ईमान लाए
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाए
- fī
- فِىٓ
- उनके कानों में
- ādhānihim
- ءَاذَانِهِمْ
- उनके कानों में
- waqrun
- وَقْرٌ
- बोझ है
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- ʿaman
- عَمًىۚ
- अंधापन है
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- yunādawna
- يُنَادَوْنَ
- जो पुकारे जाते हैं
- min
- مِن
- जगह से
- makānin
- مَّكَانٍۭ
- जगह से
- baʿīdin
- بَعِيدٍ
- दूर की
यदि हम उसे ग़ैर अरबी क़ुरआन बनाते तो वे कहते कि 'उसकी आयतें क्यों नहीं (हमारी भाषा में) खोलकर बयान की गई? यह क्या कि वाणी तो ग़ैर अरबी है और व्यक्ति अरबी?' कहो, 'वह उन लोगों के लिए जो ईमान लाए मार्गदर्शन और आरोग्य है, किन्तु जो लोग ईमान नहीं ला रहे है उनके कानों में बोझ है और वह (क़ुरआन) उनके लिए अन्धापन (सिद्ध हो रहा) है, वे ऐसे है जिनको किसी दूर के स्थान से पुकारा जा रहा हो।' ([४१] फुसिलत: 44)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ اٰتَيْنَا مُوْسَى الْكِتٰبَ فَاخْتُلِفَ فِيْهِ ۗوَلَوْلَا كَلِمَةٌ سَبَقَتْ مِنْ رَّبِّكَ لَقُضِيَ بَيْنَهُمْ ۗوَاِنَّهُمْ لَفِيْ شَكٍّ مِّنْهُ مُرِيْبٍ ٤٥
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- ātaynā
- ءَاتَيْنَا
- दी हमने
- mūsā
- مُوسَى
- मूसा को
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- fa-ukh'tulifa
- فَٱخْتُلِفَ
- पस इख़्तिलाफ़ किया गया
- fīhi
- فِيهِۗ
- उसमें
- walawlā
- وَلَوْلَا
- और अगर ना होती
- kalimatun
- كَلِمَةٌ
- एक बात
- sabaqat
- سَبَقَتْ
- जो पहले हो चुकी
- min
- مِن
- आपके रब की तरफ़ से
- rabbika
- رَّبِّكَ
- आपके रब की तरफ़ से
- laquḍiya
- لَقُضِىَ
- अलबत्ता फ़ैसला कर दिया जाता
- baynahum
- بَيْنَهُمْۚ
- दर्मियान उनके
- wa-innahum
- وَإِنَّهُمْ
- और बेशक वो
- lafī
- لَفِى
- अलबत्ता शक में हैं
- shakkin
- شَكٍّ
- अलबत्ता शक में हैं
- min'hu
- مِّنْهُ
- उसकी तरफ़ से
- murībin
- مُرِيبٍ
- बेचैन करने वाले
हमने मूसा को भी किताब प्रदान की थी, फिर उसमें भी विभेद किया गया। यदि तुम्हारे रब की ओर से पहले ही से एक बात निश्चित न हो चुकी होती तो उनके बीत फ़ैसला चुका दिया जाता। हालाँकि वे उसकी ओर से उलझन में डाल देनेवाले सन्देह में पड़े हुए है ([४१] फुसिलत: 45)Tafseer (तफ़सीर )
مَنْ عَمِلَ صَالِحًا فَلِنَفْسِهٖ ۙوَمَنْ اَسَاۤءَ فَعَلَيْهَا ۗوَمَا رَبُّكَ بِظَلَّامٍ لِّلْعَبِيْدِ ۔ ٤٦
- man
- مَّنْ
- जिसने
- ʿamila
- عَمِلَ
- अमल किया
- ṣāliḥan
- صَٰلِحًا
- नेक
- falinafsihi
- فَلِنَفْسِهِۦۖ
- तो अपने ही लिए है
- waman
- وَمَنْ
- और जिसने
- asāa
- أَسَآءَ
- बुरा किया
- faʿalayhā
- فَعَلَيْهَاۗ
- तो उसी पर है
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- rabbuka
- رَبُّكَ
- रब आपका
- biẓallāmin
- بِظَلَّٰمٍ
- कुछ भी ज़ुल्म करने वाला
- lil'ʿabīdi
- لِّلْعَبِيدِ
- बन्दों पर
जिस किसी ने अच्छा कर्म किया तो अपने ही लिए और जिस किसी ने बुराई की, तो उसका वबाल भी उसी पर पड़ेगा। वास्तव में तुम्हारा रब अपने बन्दों पर तनिक भी ज़ुल्म नहीं करता ([४१] फुसिलत: 46)Tafseer (तफ़सीर )
۞ اِلَيْهِ يُرَدُّ عِلْمُ السَّاعَةِ ۗوَمَا تَخْرُجُ مِنْ ثَمَرٰتٍ ِمّنْ اَكْمَامِهَا وَمَا تَحْمِلُ مِنْ اُنْثٰى وَلَا تَضَعُ اِلَّا بِعِلْمِهٖ ۗوَيَوْمَ يُنَادِيْهِمْ اَيْنَ شُرَكَاۤءِيْۙ قَالُوْٓا اٰذَنّٰكَ مَا مِنَّا مِنْ شَهِيْدٍ ۚ ٤٧
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- उसी की तरफ़
- yuraddu
- يُرَدُّ
- लौटाया जाता है
- ʿil'mu
- عِلْمُ
- इल्म
- l-sāʿati
- ٱلسَّاعَةِۚ
- क़यामत का
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- takhruju
- تَخْرُجُ
- निकलता
- min
- مِن
- फलों में से ( कोई फल)
- thamarātin
- ثَمَرَٰتٍ
- फलों में से ( कोई फल)
- min
- مِّنْ
- अपने ग़िलाफ़ों में से
- akmāmihā
- أَكْمَامِهَا
- अपने ग़िलाफ़ों में से
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- taḥmilu
- تَحْمِلُ
- हामिला होती
- min
- مِنْ
- कोई मादा
- unthā
- أُنثَىٰ
- कोई मादा
- walā
- وَلَا
- और ना
- taḍaʿu
- تَضَعُ
- वो जन्म देती है
- illā
- إِلَّا
- मगर
- biʿil'mihi
- بِعِلْمِهِۦۚ
- उसके इल्म से
- wayawma
- وَيَوْمَ
- और जिस दिन
- yunādīhim
- يُنَادِيهِمْ
- वो पुकारेगा उन्हें
- ayna
- أَيْنَ
- कहाँ हैं
- shurakāī
- شُرَكَآءِى
- शरीक मेरे
- qālū
- قَالُوٓا۟
- वो कहेंगे
- ādhannāka
- ءَاذَنَّٰكَ
- अर्ज़ कर चुके हम तुझसे
- mā
- مَا
- नहीं है
- minnā
- مِنَّا
- हम में से
- min
- مِن
- कोई गवाह
- shahīdin
- شَهِيدٍ
- कोई गवाह
उस घड़ी का ज्ञान अल्लाह की ओर फिरता है। जो फल भी अपने कोषों से निकलते है और जो मादा भी गर्भवती होती है और बच्चा जनती है, अनिवार्यतः उसे इन सबका ज्ञान होता है। जिस दिन वह उन्हें पुकारेगा, 'कहाँ है मेरे साझीदार?' वे कहेंगे, 'हम तेरे समक्ष खुल्लम-ख़ुल्ला कह चुके है कि हममें से कोई भी इसका गवाह नहीं।' ([४१] फुसिलत: 47)Tafseer (तफ़सीर )
وَضَلَّ عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا يَدْعُوْنَ مِنْ قَبْلُ وَظَنُّوْا مَا لَهُمْ مِّنْ مَّحِيْصٍ ٤٨
- waḍalla
- وَضَلَّ
- और गुम हो जाऐंगे
- ʿanhum
- عَنْهُم
- उनसे
- mā
- مَّا
- जिन्हें
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yadʿūna
- يَدْعُونَ
- वो पुकारते
- min
- مِن
- इससे पहले
- qablu
- قَبْلُۖ
- इससे पहले
- waẓannū
- وَظَنُّوا۟
- और वो समझ लेंगे
- mā
- مَا
- नहीं है
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- min
- مِّن
- कोई जाए पनाह
- maḥīṣin
- مَّحِيصٍ
- कोई जाए पनाह
और जिन्हें वे पहले पुकारा करते थे वे उनसे गुम हो जाएँगे। और वे समझ लेंगे कि उनके लिए कोई भी भागने की जगह नहीं है ([४१] फुसिलत: 48)Tafseer (तफ़सीर )
لَا يَسْـَٔمُ الْاِنْسَانُ مِنْ دُعَاۤءِ الْخَيْرِۖ وَاِنْ مَّسَّهُ الشَّرُّ فَيَـُٔوْسٌ قَنُوْطٌ ٤٩
- lā
- لَّا
- नहीं उक्ताता
- yasamu
- يَسْـَٔمُ
- नहीं उक्ताता
- l-insānu
- ٱلْإِنسَٰنُ
- इन्सान
- min
- مِن
- दुआ से
- duʿāi
- دُعَآءِ
- दुआ से
- l-khayri
- ٱلْخَيْرِ
- भलाई की
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- massahu
- مَّسَّهُ
- पहुँचता है उसे
- l-sharu
- ٱلشَّرُّ
- शर
- fayaūsun
- فَيَـُٔوسٌ
- तो निहायत मायूस
- qanūṭun
- قَنُوطٌ
- बहुत ना उम्मीद (हो जाता है)
मनुष्य भलाई माँगने से नहीं उकताता, किन्तु यदि उसे कोई तकलीफ़ छू जाती है तो वह निराश होकर आस छोड़ बैठता है ([४१] फुसिलत: 49)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَىِٕنْ اَذَقْنٰهُ رَحْمَةً مِّنَّا مِنْۢ بَعْدِ ضَرَّاۤءَ مَسَّتْهُ لَيَقُوْلَنَّ هٰذَا لِيْۙ وَمَآ اَظُنُّ السَّاعَةَ قَاۤىِٕمَةًۙ وَّلَىِٕنْ رُّجِعْتُ اِلٰى رَبِّيْٓ اِنَّ لِيْ عِنْدَهٗ لَلْحُسْنٰىۚ فَلَنُنَبِّئَنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِمَا عَمِلُوْاۖ وَلَنُذِيْقَنَّهُمْ مِّنْ عَذَابٍ غَلِيْظٍ ٥٠
- wala-in
- وَلَئِنْ
- और अलबत्ता अगर
- adhaqnāhu
- أَذَقْنَٰهُ
- चखाते हैं हम उसे
- raḥmatan
- رَحْمَةً
- कोई रहमत
- minnā
- مِّنَّا
- अपनी तरफ़ से
- min
- مِنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- ḍarrāa
- ضَرَّآءَ
- तक्लीफ़ के
- massathu
- مَسَّتْهُ
- जो पहुँचती है उसे
- layaqūlanna
- لَيَقُولَنَّ
- अलबत्ता वो ज़रूर कहता है
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- lī
- لِى
- मेरे लिए है
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- aẓunnu
- أَظُنُّ
- मैं गुमान करता
- l-sāʿata
- ٱلسَّاعَةَ
- क़यामत को
- qāimatan
- قَآئِمَةً
- क़ायम होने वाली
- wala-in
- وَلَئِن
- और अलबत्ता अगर
- rujiʿ'tu
- رُّجِعْتُ
- लौटाया गया मैं
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ अपने रब के
- rabbī
- رَبِّىٓ
- तरफ़ अपने रब के
- inna
- إِنَّ
- यक़ीनन
- lī
- لِى
- मेरे लिए
- ʿindahu
- عِندَهُۥ
- उसके पास
- lalḥus'nā
- لَلْحُسْنَىٰۚ
- अलबत्ता भलाई है
- falanunabbi-anna
- فَلَنُنَبِّئَنَّ
- पस अलबत्ता हम ज़रूर ख़बर देंगे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्हें जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- bimā
- بِمَا
- उसकी जो
- ʿamilū
- عَمِلُوا۟
- उन्होंने अमल किए
- walanudhīqannahum
- وَلَنُذِيقَنَّهُم
- और अलबत्ता हम ज़रूर चखाऐंगे उन्हें
- min
- مِّنْ
- सख़्त अज़ाब में से
- ʿadhābin
- عَذَابٍ
- सख़्त अज़ाब में से
- ghalīẓin
- غَلِيظٍ
- सख़्त अज़ाब में से
और यदि उस तकलीफ़ के बाद, जो उसे पहुँची, हम उसे अपनी दयालुता का आस्वादन करा दें तो वह निश्चय ही कहेंगा, 'यह तो मेरा हक़ ही है। मैं तो यह नहीं समझता कि वह, क़ियामत की घड़ी, घटित होगी और यदि मैं अपने रब की ओर लौटाया भी गया तो अवश्य ही उसके पास मेरे लिए अच्छा पारितोषिक होगा।' फिर हम उन लोगों को जिन्होंने इनकार किया, अवश्य बताकर रहेंगे, जो कुछ उन्होंने किया होगा। और हम उन्हें अवश्य ही कठोर यातना का मज़ा चखाएँगे ([४१] फुसिलत: 50)Tafseer (तफ़सीर )