وَقَالُوْا لِجُلُوْدِهِمْ لِمَ شَهِدْتُّمْ عَلَيْنَا ۗقَالُوْٓا اَنْطَقَنَا اللّٰهُ الَّذِيْٓ اَنْطَقَ كُلَّ شَيْءٍ وَّهُوَ خَلَقَكُمْ اَوَّلَ مَرَّةٍۙ وَّاِلَيْهِ تُرْجَعُوْنَ ٢١
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और वो कहेंगे
- lijulūdihim
- لِجُلُودِهِمْ
- अपनी जिल्दों को
- lima
- لِمَ
- क्यों
- shahidttum
- شَهِدتُّمْ
- गवाही दी तुमने
- ʿalaynā
- عَلَيْنَاۖ
- ख़िलाफ़ हमारे
- qālū
- قَالُوٓا۟
- वो कहेंगी
- anṭaqanā
- أَنطَقَنَا
- बुलवाया हमें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- वो जिसने
- anṭaqa
- أَنطَقَ
- बुलवाया
- kulla
- كُلَّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ को
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- khalaqakum
- خَلَقَكُمْ
- जिसने पैदा किया तुम्हें
- awwala
- أَوَّلَ
- पहली
- marratin
- مَرَّةٍ
- बार
- wa-ilayhi
- وَإِلَيْهِ
- और तरफ़ उसी के
- tur'jaʿūna
- تُرْجَعُونَ
- तुम लौटाए जाओगे
वे अपनी खालों से कहेंगे, 'तुमने हमारे विरुद्ध क्यों गवाही दी?' वे कहेंगी, 'हमें उसी अल्लाह ने वाक्-शक्ति प्रदान की है, जिसने प्रत्येक चीज़ को वाक्-शक्ति प्रदान की।' - उसी ने तुम्हें पहली बार पैदा किया और उसी की ओर तुम्हें लौटना है ([४१] फुसिलत: 21)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا كُنْتُمْ تَسْتَتِرُوْنَ اَنْ يَّشْهَدَ عَلَيْكُمْ سَمْعُكُمْ وَلَآ اَبْصَارُكُمْ وَلَا جُلُوْدُكُمْ وَلٰكِنْ ظَنَنْتُمْ اَنَّ اللّٰهَ لَا يَعْلَمُ كَثِيْرًا مِّمَّا تَعْمَلُوْنَ ٢٢
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- tastatirūna
- تَسْتَتِرُونَ
- तुम छुपते (इस बात से)
- an
- أَن
- कि
- yashhada
- يَشْهَدَ
- गवाही देंगे
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- samʿukum
- سَمْعُكُمْ
- कान तुम्हारे
- walā
- وَلَآ
- और ना
- abṣārukum
- أَبْصَٰرُكُمْ
- आँखें तुम्हारी
- walā
- وَلَا
- और ना
- julūdukum
- جُلُودُكُمْ
- जिल्दें तुम्हारी
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- ẓanantum
- ظَنَنتُمْ
- गुमान किया तुमने
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो जानता
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- नहीं वो जानता
- kathīran
- كَثِيرًا
- बहुत कुछ
- mimmā
- مِّمَّا
- उसमें से जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
तुम इस भय से छिपते न थे कि तुम्हारे कान तुम्हारे विरुद्ध गवाही देंगे, और न इसलिए कि तुम्हारी आँखें गवाही देंगी और न इस कारण से कि तुम्हारी खाले गवाही देंगी, बल्कि तुमने तो यह समझ रखा था कि अल्लाह तुम्हारे बहुत-से कामों को जानता ही नहीं ([४१] फुसिलत: 22)Tafseer (तफ़सीर )
وَذٰلِكُمْ ظَنُّكُمُ الَّذِيْ ظَنَنْتُمْ بِرَبِّكُمْ اَرْدٰىكُمْ فَاَصْبَحْتُمْ مِّنَ الْخٰسِرِيْنَ ٢٣
- wadhālikum
- وَذَٰلِكُمْ
- और ये
- ẓannukumu
- ظَنُّكُمُ
- गुमान तुम्हारा
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- ẓanantum
- ظَنَنتُم
- गुमान किया तुमने
- birabbikum
- بِرَبِّكُمْ
- अपने रब के बारे में
- ardākum
- أَرْدَىٰكُمْ
- उसने हलाक कर दिया तुम्हें
- fa-aṣbaḥtum
- فَأَصْبَحْتُم
- तो हो गए तुम
- mina
- مِّنَ
- ख़सारा पाने वालों में से
- l-khāsirīna
- ٱلْخَٰسِرِينَ
- ख़सारा पाने वालों में से
और तुम्हारे उस गुमान ने तुम्हे बरबाद किया जो तुमने अपने रब के साथ किया; अतः तुम घाटे में पड़कर रहे ([४१] फुसिलत: 23)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِنْ يَّصْبِرُوْا فَالنَّارُ مَثْوًى لَّهُمْ ۚوَاِنْ يَّسْتَعْتِبُوْا فَمَا هُمْ مِّنَ الْمُعْتَبِيْنَ ٢٤
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- yaṣbirū
- يَصْبِرُوا۟
- वो सब्र करें
- fal-nāru
- فَٱلنَّارُ
- तो आग
- mathwan
- مَثْوًى
- ठिकाना है
- lahum
- لَّهُمْۖ
- उनके लिए
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yastaʿtibū
- يَسْتَعْتِبُوا۟
- वो माफ़ी तलब करेंगे
- famā
- فَمَا
- तो नहीं
- hum
- هُم
- वो
- mina
- مِّنَ
- उज़्र क़ुबूल किए जाने वालों में से
- l-muʿ'tabīna
- ٱلْمُعْتَبِينَ
- उज़्र क़ुबूल किए जाने वालों में से
अब यदि वे धैर्य दिखाएँ तब भी आग ही उनका ठिकाना है। और यदि वे किसी प्रकार (उसके) क्रोध को दूर करना चाहें, तब भी वे ऐसे नहीं कि वे राज़ी कर सकें ([४१] फुसिलत: 24)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَقَيَّضْنَا لَهُمْ قُرَنَاۤءَ فَزَيَّنُوْا لَهُمْ مَّا بَيْنَ اَيْدِيْهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَحَقَّ عَلَيْهِمُ الْقَوْلُ فِيْٓ اُمَمٍ قَدْ خَلَتْ مِنْ قَبْلِهِمْ مِّنَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِۚ اِنَّهُمْ كَانُوْا خٰسِرِيْنَ ࣖ ٢٥
- waqayyaḍnā
- وَقَيَّضْنَا
- और मुक़र्रर किए हमने
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- quranāa
- قُرَنَآءَ
- कुछ साथी
- fazayyanū
- فَزَيَّنُوا۟
- तो उन्होंने ख़ुशनुमा बना दिया
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- mā
- مَّا
- जो कुछ
- bayna
- بَيْنَ
- उनके सामने था
- aydīhim
- أَيْدِيهِمْ
- उनके सामने था
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- khalfahum
- خَلْفَهُمْ
- उनके पीछे था
- waḥaqqa
- وَحَقَّ
- और साबित हो गई
- ʿalayhimu
- عَلَيْهِمُ
- उन पर
- l-qawlu
- ٱلْقَوْلُ
- बात
- fī
- فِىٓ
- उम्मतों में
- umamin
- أُمَمٍ
- उम्मतों में
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- khalat
- خَلَتْ
- जो गुज़र चुकीं
- min
- مِن
- उनसे पहले
- qablihim
- قَبْلِهِم
- उनसे पहले
- mina
- مِّنَ
- जिन्नों में से
- l-jini
- ٱلْجِنِّ
- जिन्नों में से
- wal-insi
- وَٱلْإِنسِۖ
- और इन्सानों में से
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- khāsirīna
- خَٰسِرِينَ
- ख़सारा पाने वाले
हमने उनके लिए कुछ साथी नियुक्त कर दिए थे। फिर उन्होंने उनके आगे और उनके पीछे जो कुछ था उसे सुहाना बनाकर उन्हें दिखाया। अन्ततः उनपर भी जिन्नों और मनुष्यों के उन गिरोहों के साथ फ़ैसला सत्यापित होकर रहा, जो उनसे पहले गुज़र चुके थे। निश्चय ही वे घाटा उठानेवाले थे ([४१] फुसिलत: 25)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَا تَسْمَعُوْا لِهٰذَا الْقُرْاٰنِ وَالْغَوْا فِيْهِ لَعَلَّكُمْ تَغْلِبُوْنَ ٢٦
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों ने जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- lā
- لَا
- ना तुम सुनो
- tasmaʿū
- تَسْمَعُوا۟
- ना तुम सुनो
- lihādhā
- لِهَٰذَا
- इस
- l-qur'āni
- ٱلْقُرْءَانِ
- क़ुरआन को
- wal-ghaw
- وَٱلْغَوْا۟
- और ग़ुल मचाओ
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- laʿallakum
- لَعَلَّكُمْ
- ताकि तुम
- taghlibūna
- تَغْلِبُونَ
- तुम ग़ालिब आ जाओ
जिन लोगों ने इनकार किया उन्होंने कहा, 'इस क़ुरआन को सुनो ही मत और इसके बीच में शोर-गुल मचाओ, ताकि तुम प्रभावी रहो।' ([४१] फुसिलत: 26)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَنُذِيْقَنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا عَذَابًا شَدِيْدًاۙ وَّلَنَجْزِيَنَّهُمْ اَسْوَاَ الَّذِيْ كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٢٧
- falanudhīqanna
- فَلَنُذِيقَنَّ
- पस अलबत्ता हम ज़रूर चखाऐंगे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- अज़ाब
- shadīdan
- شَدِيدًا
- शदीद
- walanajziyannahum
- وَلَنَجْزِيَنَّهُمْ
- और अलबत्ता हम ज़रूर बदला देंगे उन्हें
- aswa-a
- أَسْوَأَ
- बदतरीन
- alladhī
- ٱلَّذِى
- उसका जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते
अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इनकार किया, कठोर यातना का मजा चखाएँगे, और हम अवश्य उन्हें उसका बदला देंगे, जो निकृष्टतम कर्म वे करते रहे है ([४१] फुसिलत: 27)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ جَزَاۤءُ اَعْدَاۤءِ اللّٰهِ النَّارُ لَهُمْ فِيْهَا دَارُ الْخُلْدِ ۗجَزَاۤءً ۢبِمَا كَانُوْا بِاٰيٰتِنَا يَجْحَدُوْنَ ٢٨
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- jazāu
- جَزَآءُ
- बदला है
- aʿdāi
- أَعْدَآءِ
- दुश्मनों का
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- l-nāru
- ٱلنَّارُۖ
- आग का
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए है
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- dāru
- دَارُ
- घर
- l-khul'di
- ٱلْخُلْدِۖ
- हमेशगी का
- jazāan
- جَزَآءًۢ
- बदला है
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَا
- हमारी आयात का
- yajḥadūna
- يَجْحَدُونَ
- वो इन्कार करते
वह है अल्लाह के शत्रुओं का बदला - आग। उसी में उसका सदा का घर है, उसके बदले में जो वे हमारी आयतों का इनकार करते रहे ([४१] फुसिलत: 28)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا رَبَّنَآ اَرِنَا الَّذَيْنِ اَضَلّٰنَا مِنَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ نَجْعَلْهُمَا تَحْتَ اَقْدَامِنَا لِيَكُوْنَا مِنَ الْاَسْفَلِيْنَ ٢٩
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहेंगे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- rabbanā
- رَبَّنَآ
- ऐ हमारे रब
- arinā
- أَرِنَا
- दिखा हमें
- alladhayni
- ٱلَّذَيْنِ
- वो दोनों जिन्होंने
- aḍallānā
- أَضَلَّانَا
- भटकाया हमें
- mina
- مِنَ
- जिन्नों में से
- l-jini
- ٱلْجِنِّ
- जिन्नों में से
- wal-insi
- وَٱلْإِنسِ
- और इन्सानों में से
- najʿalhumā
- نَجْعَلْهُمَا
- हम कर दें उन दोनों को
- taḥta
- تَحْتَ
- नीचे
- aqdāminā
- أَقْدَامِنَا
- अपने क़दमों के
- liyakūnā
- لِيَكُونَا
- ताकि वो दोनों हो जाऐं
- mina
- مِنَ
- सबसे निचलों में से
- l-asfalīna
- ٱلْأَسْفَلِينَ
- सबसे निचलों में से
और जिन लोगों ने इनकार किया वे कहेंगे, 'ऐ हमारे रब! हमें दिखा दे उन जिन्नों और मनुष्यों को, जिन्होंने हमको पथभ्रष़्ट किया कि हम उन्हें अपने पैरों तले डाल दे ताकि वे सबसे नीचे जा पड़े ([४१] फुसिलत: 29)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ قَالُوْا رَبُّنَا اللّٰهُ ثُمَّ اسْتَقَامُوْا تَتَنَزَّلُ عَلَيْهِمُ الْمَلٰۤىِٕكَةُ اَلَّا تَخَافُوْا وَلَا تَحْزَنُوْا وَاَبْشِرُوْا بِالْجَنَّةِ الَّتِيْ كُنْتُمْ تُوْعَدُوْنَ ٣٠
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- qālū
- قَالُوا۟
- कहा
- rabbunā
- رَبُّنَا
- रब हमारा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह है
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- is'taqāmū
- ٱسْتَقَٰمُوا۟
- उन्होंने इस्तिक़ामत इख़्तियार की
- tatanazzalu
- تَتَنَزَّلُ
- उतरते हैं
- ʿalayhimu
- عَلَيْهِمُ
- उन पर
- l-malāikatu
- ٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
- फ़रिश्ते
- allā
- أَلَّا
- कि ना
- takhāfū
- تَخَافُوا۟
- तुम डरो
- walā
- وَلَا
- और ना
- taḥzanū
- تَحْزَنُوا۟
- तुम ग़म करो
- wa-abshirū
- وَأَبْشِرُوا۟
- और ख़ुश हो जाओ
- bil-janati
- بِٱلْجَنَّةِ
- साथ जन्नत के
- allatī
- ٱلَّتِى
- वो जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- tūʿadūna
- تُوعَدُونَ
- तुम वादा दिए जाते
जिन लोगों ने कहा कि 'हमारा रब अल्लाह है।' फिर इस पर दृढ़तापूर्वक जमें रहे, उनपर फ़रिश्ते उतरते है कि 'न डरो और न शोकाकुल हो, और उस जन्नत की शुभ सूचना लो जिसका तुमसे वादा किया गया है ([४१] फुसिलत: 30)Tafseer (तफ़सीर )