تَنْزِيْلٌ مِّنَ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ ۚ ٢
- tanzīlun
- تَنزِيلٌ
- नाज़िल करदा है
- mina
- مِّنَ
- बहुत महरबान की तरफ़ से
- l-raḥmāni
- ٱلرَّحْمَٰنِ
- बहुत महरबान की तरफ़ से
- l-raḥīmi
- ٱلرَّحِيمِ
- जो निहायत रहम करने वाला है
यह अवतरण है बड़े कृपाशील, अत्यन्त दयावान की ओर से, ([४१] फुसिलत: 2)Tafseer (तफ़सीर )
كِتٰبٌ فُصِّلَتْ اٰيٰتُهٗ قُرْاٰنًا عَرَبِيًّا لِّقَوْمٍ يَّعْلَمُوْنَۙ ٣
- kitābun
- كِتَٰبٌ
- एक ऐसी किताब
- fuṣṣilat
- فُصِّلَتْ
- खोल कर बयान की गईं हैं
- āyātuhu
- ءَايَٰتُهُۥ
- आयात उसकी
- qur'ānan
- قُرْءَانًا
- क़ुरआन है
- ʿarabiyyan
- عَرَبِيًّا
- अर्बी
- liqawmin
- لِّقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- जो इल्म रखते हैं
एक किताब, जिसकी आयतें खोल-खोलकर बयान हुई है; अरबी क़ुरआन के रूप में, उन लोगों के लिए जो जानना चाहें; ([४१] फुसिलत: 3)Tafseer (तफ़सीर )
بَشِيْرًا وَّنَذِيْرًاۚ فَاَعْرَضَ اَكْثَرُهُمْ فَهُمْ لَا يَسْمَعُوْنَ ٤
- bashīran
- بَشِيرًا
- ख़ुश ख़बरी देने वाला
- wanadhīran
- وَنَذِيرًا
- और डराने वाला
- fa-aʿraḍa
- فَأَعْرَضَ
- तो ऐराज़ किया
- aktharuhum
- أَكْثَرُهُمْ
- उनके अक्सर ने
- fahum
- فَهُمْ
- पस वो
- lā
- لَا
- नहीं वो सुनते
- yasmaʿūna
- يَسْمَعُونَ
- नहीं वो सुनते
शुभ सूचक एवं सचेतकर्त्ता किन्तु उनमें से अधिकतर कतरा गए तो वे सुनते ही नहीं ([४१] फुसिलत: 4)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالُوْا قُلُوْبُنَا فِيْٓ اَكِنَّةٍ مِّمَّا تَدْعُوْنَآ اِلَيْهِ وَفِيْٓ اٰذَانِنَا وَقْرٌ وَّمِنْۢ بَيْنِنَا وَبَيْنِكَ حِجَابٌ فَاعْمَلْ اِنَّنَا عٰمِلُوْنَ ٥
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और उन्होंने कहा
- qulūbunā
- قُلُوبُنَا
- दिल हमारे
- fī
- فِىٓ
- पर्दों में हैं
- akinnatin
- أَكِنَّةٍ
- पर्दों में हैं
- mimmā
- مِّمَّا
- उससे जो
- tadʿūnā
- تَدْعُونَآ
- तुम पुकारते हो हमें
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- तरफ़ जिसके
- wafī
- وَفِىٓ
- और हमारे कानों में
- ādhāninā
- ءَاذَانِنَا
- और हमारे कानों में
- waqrun
- وَقْرٌ
- एक बोझ है
- wamin
- وَمِنۢ
- और दर्मियान हमारे
- bayninā
- بَيْنِنَا
- और दर्मियान हमारे
- wabaynika
- وَبَيْنِكَ
- और दर्मियान तुम्हारे
- ḥijābun
- حِجَابٌ
- हिजाब है
- fa-iʿ'mal
- فَٱعْمَلْ
- पस अमल करो
- innanā
- إِنَّنَا
- बेशक हम भी
- ʿāmilūna
- عَٰمِلُونَ
- अमल करने वाले हैं
और उनका कहना है कि 'जिसकी ओर तुम हमें बुलाते हो उसके लिए तो हमारे दिल आवरणों में है। और हमारे कानों में बोझ है। और हमारे और तुम्हारे बीच एक ओट है; अतः तुम अपना काम करो, हम तो अपना काम करते है।' ([४१] फुसिलत: 5)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اِنَّمَآ اَنَا۟ بَشَرٌ مِّثْلُكُمْ يُوْحٰىٓ اِلَيَّ اَنَّمَآ اِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ فَاسْتَقِيْمُوْٓا اِلَيْهِ وَاسْتَغْفِرُوْهُ ۗوَوَيْلٌ لِّلْمُشْرِكِيْنَۙ ٦
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- innamā
- إِنَّمَآ
- बेशक
- anā
- أَنَا۠
- मैं
- basharun
- بَشَرٌ
- एक इन्सान हूँ
- mith'lukum
- مِّثْلُكُمْ
- तुम जैसा
- yūḥā
- يُوحَىٰٓ
- वही की जाती है
- ilayya
- إِلَىَّ
- मेरी तरफ़
- annamā
- أَنَّمَآ
- बेशक
- ilāhukum
- إِلَٰهُكُمْ
- इलाह तुम्हारा
- ilāhun
- إِلَٰهٌ
- इलाह है
- wāḥidun
- وَٰحِدٌ
- एक ही
- fa-is'taqīmū
- فَٱسْتَقِيمُوٓا۟
- पस सीधे रहो
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- तरफ़ उसके
- wa-is'taghfirūhu
- وَٱسْتَغْفِرُوهُۗ
- और बख़्शिश माँगो उससे
- wawaylun
- وَوَيْلٌ
- और हलाकत है
- lil'mush'rikīna
- لِّلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिकों के लिए
कह दो, 'मैं तो तुम्हीं जैसा मनुष्य हूँ। मेरी ओर प्रकाशना की जाती है कि तुम्हारा पूज्य-प्रभु बस अकेला पूज्य-प्रभु है। अतः तुम सीधे उसी का रुख करो और उसी से क्षमा-याचना करो - साझी ठहरानेवालों के लिए तो बड़ी तबाही है, ([४१] फुसिलत: 6)Tafseer (तफ़सीर )
الَّذِيْنَ لَا يُؤْتُوْنَ الزَّكٰوةَ وَهُمْ بِالْاٰخِرَةِ هُمْ كٰفِرُوْنَ ٧
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- lā
- لَا
- नहीं वो अदा करते
- yu'tūna
- يُؤْتُونَ
- नहीं वो अदा करते
- l-zakata
- ٱلزَّكَوٰةَ
- ज़कात
- wahum
- وَهُم
- और वो
- bil-ākhirati
- بِٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत के
- hum
- هُمْ
- वो
- kāfirūna
- كَٰفِرُونَ
- इन्कारी हैं
जो ज़कात नहीं देते और वही है जो आख़िरत का इनकार करते है। - ([४१] फुसिलत: 7)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَهُمْ اَجْرٌ غَيْرُ مَمْنُوْنٍ ࣖ ٨
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ajrun
- أَجْرٌ
- अजर है
- ghayru
- غَيْرُ
- ना
- mamnūnin
- مَمْنُونٍ
- ख़त्म होने वाला
रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उनके लिए ऐसा बदला है जिसका क्रम टूटनेवाला नहीं।' ([४१] फुसिलत: 8)Tafseer (तफ़सीर )
۞ قُلْ اَىِٕنَّكُمْ لَتَكْفُرُوْنَ بِالَّذِيْ خَلَقَ الْاَرْضَ فِيْ يَوْمَيْنِ وَتَجْعَلُوْنَ لَهٗٓ اَنْدَادًا ۗذٰلِكَ رَبُّ الْعٰلَمِيْنَ ۚ ٩
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- a-innakum
- أَئِنَّكُمْ
- क्या बेशक तुम
- latakfurūna
- لَتَكْفُرُونَ
- अलबत्ता तुम कुफ़्र करते हो
- bi-alladhī
- بِٱلَّذِى
- उसका जिसने
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन को
- fī
- فِى
- दो दिन में
- yawmayni
- يَوْمَيْنِ
- दो दिन में
- watajʿalūna
- وَتَجْعَلُونَ
- और तुम बनाते हो
- lahu
- لَهُۥٓ
- उसके लिए
- andādan
- أَندَادًاۚ
- कुछ शरीक
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- वो है
- rabbu
- رَبُّ
- रब
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहानों का
कहो, 'क्या तुम उसका इनकार करते हो, जिसने धरती को दो दिनों (काल) में पैदा किया और तुम उसके समकक्ष ठहराते हो? वह तो सारे संसार का रब है ([४१] फुसिलत: 9)Tafseer (तफ़सीर )
وَجَعَلَ فِيْهَا رَوَاسِيَ مِنْ فَوْقِهَا وَبٰرَكَ فِيْهَا وَقَدَّرَ فِيْهَآ اَقْوَاتَهَا فِيْٓ اَرْبَعَةِ اَيَّامٍۗ سَوَاۤءً لِّلسَّاۤىِٕلِيْنَ ١٠
- wajaʿala
- وَجَعَلَ
- और उसने गाड़ दिया
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- rawāsiya
- رَوَٰسِىَ
- पहाड़ों को
- min
- مِن
- उसके ऊपर से
- fawqihā
- فَوْقِهَا
- उसके ऊपर से
- wabāraka
- وَبَٰرَكَ
- और बरकत डाली
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- waqaddara
- وَقَدَّرَ
- और अंदाज़े से रखा
- fīhā
- فِيهَآ
- उसमें
- aqwātahā
- أَقْوَٰتَهَا
- उसकी ग़िज़ाओं को
- fī
- فِىٓ
- चार दिनों में
- arbaʿati
- أَرْبَعَةِ
- चार दिनों में
- ayyāmin
- أَيَّامٍ
- चार दिनों में
- sawāan
- سَوَآءً
- बराबर/यक्साँ है
- lilssāilīna
- لِّلسَّآئِلِينَ
- सवाल करने वालों के लिए
और उसने उस (धरती) में उसके ऊपर से पहाड़ जमाए और उसमें बरकत रखी और उसमें उसकी ख़ुराकों को ठीक अंदाज़े से रखा। माँग करनेवालों के लिए समान रूप से यह सब चार दिन में हुआ ([४१] फुसिलत: 10)Tafseer (तफ़सीर )