Skip to content

सूरा अल-गाफिर - Page: 9

Ghafir

(क्षमाशील)

८१

وَيُرِيْكُمْ اٰيٰتِهٖۖ فَاَيَّ اٰيٰتِ اللّٰهِ تُنْكِرُوْنَ ٨١

wayurīkum
وَيُرِيكُمْ
और वो दिखाता है तुम्हें
āyātihi
ءَايَٰتِهِۦ
निशानियाँ अपनी
fa-ayya
فَأَىَّ
पस कौन सी
āyāti
ءَايَٰتِ
अल्लाह की निशानियों का
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की निशानियों का
tunkirūna
تُنكِرُونَ
तुम इन्कार करोगे
और वह तुम्हें अपनी निशानियाँ दिखाता है। आख़िर तुम अल्लाह की कौन-सी निशानी को नहीं पहचानते? ([४०] अल-गाफिर: 81)
Tafseer (तफ़सीर )
८२

اَفَلَمْ يَسِيْرُوْا فِى الْاَرْضِ فَيَنْظُرُوْا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ۗ كَانُوْٓا اَكْثَرَ مِنْهُمْ وَاَشَدَّ قُوَّةً وَّاٰثَارًا فِى الْاَرْضِ فَمَآ اَغْنٰى عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا يَكْسِبُوْنَ ٨٢

afalam
أَفَلَمْ
क्या भला नहीं
yasīrū
يَسِيرُوا۟
वो चले फिरे
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
fayanẓurū
فَيَنظُرُوا۟
तो वो देखते
kayfa
كَيْفَ
कैसा
kāna
كَانَ
हुआ
ʿāqibatu
عَٰقِبَةُ
अंजाम
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों का जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِمْۚ
उनसे पहले थे
kānū
كَانُوٓا۟
थे वो
akthara
أَكْثَرَ
अक्सर
min'hum
مِنْهُمْ
उनसे
wa-ashadda
وَأَشَدَّ
और ज़्यादा शदीद
quwwatan
قُوَّةً
क़ुव्वत में
waāthāran
وَءَاثَارًا
और आसार में
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
famā
فَمَآ
पस ना
aghnā
أَغْنَىٰ
काम आया
ʿanhum
عَنْهُم
उन्हें
مَّا
जो कुछ
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaksibūna
يَكْسِبُونَ
वो कमाई करते
फिर क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ, जो उनसे पहले गुज़र चुके है। वे उनसे अधिक थे और शक्ति और अपनी छोड़ी हुई निशानियों की दृष्टि से भी बढ़-चढ़कर थे। किन्तु जो कुछ वे कमाते थे, वह उनके कुछ भी काम न आया ([४०] अल-गाफिर: 82)
Tafseer (तफ़सीर )
८३

فَلَمَّا جَاۤءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَيِّنٰتِ فَرِحُوْا بِمَا عِنْدَهُمْ مِّنَ الْعِلْمِ وَحَاقَ بِهِمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ يَسْتَهْزِءُوْنَ ٨٣

falammā
فَلَمَّا
तो जब
jāathum
جَآءَتْهُمْ
आए उनके पास
rusuluhum
رُسُلُهُم
रसूल उनके
bil-bayināti
بِٱلْبَيِّنَٰتِ
साथ वाज़ेह दलाइल के
fariḥū
فَرِحُوا۟
तो वो ख़ुश हुए
bimā
بِمَا
उस पर जो
ʿindahum
عِندَهُم
उनके पास था
mina
مِّنَ
इल्म में से
l-ʿil'mi
ٱلْعِلْمِ
इल्म में से
waḥāqa
وَحَاقَ
और घेर लिया
bihim
بِهِم
उन्हें
مَّا
उसने जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
bihi
بِهِۦ
जिसका
yastahziūna
يَسْتَهْزِءُونَ
वो मज़ाक़ उड़ाते
फिर जब उनके रसूल उनके पास स्पष्ट प्रमाणों के साथ आए तो जो ज्ञान उनके अपने पास था वे उसी पर मग्न होते रहे और उनको उसी चीज़ ने आ घेरा जिसका वे परिहास करते थे ([४०] अल-गाफिर: 83)
Tafseer (तफ़सीर )
८४

فَلَمَّا رَاَوْا بَأْسَنَاۗ قَالُوْٓا اٰمَنَّا بِاللّٰهِ وَحْدَهٗ وَكَفَرْنَا بِمَا كُنَّا بِهٖ مُشْرِكِيْنَ ٨٤

falammā
فَلَمَّا
फिर जब
ra-aw
رَأَوْا۟
उन्होंने देखा
basanā
بَأْسَنَا
अज़ाब हमारा
qālū
قَالُوٓا۟
उन्होंने कहा
āmannā
ءَامَنَّا
ईमान लाए हम
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
waḥdahu
وَحْدَهُۥ
अकेले उसी पर
wakafarnā
وَكَفَرْنَا
और इन्कार किया हमने
bimā
بِمَا
उनका जिन्हें
kunnā
كُنَّا
थे हम
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
mush'rikīna
مُشْرِكِينَ
शरीक करते
फिर जब उन्होंने हमारी यातना देखी तो कहने लगे, 'हम ईमान लाए अल्लाह पर जो अकेला है और उसका इनकार किया जिसे हम उसका साझी ठहराते थे।' ([४०] अल-गाफिर: 84)
Tafseer (तफ़सीर )
८५

فَلَمْ يَكُ يَنْفَعُهُمْ اِيْمَانُهُمْ لَمَّا رَاَوْا بَأْسَنَا ۗسُنَّتَ اللّٰهِ الَّتِيْ قَدْ خَلَتْ فِيْ عِبَادِهِۚ وَخَسِرَ هُنَالِكَ الْكٰفِرُوْنَ ࣖ ٨٥

falam
فَلَمْ
पस ना
yaku
يَكُ
था
yanfaʿuhum
يَنفَعُهُمْ
कि नफ़ा देता उन्हें
īmānuhum
إِيمَٰنُهُمْ
ईमान उनका
lammā
لَمَّا
जब
ra-aw
رَأَوْا۟
उन्होंने देखा
basanā
بَأْسَنَاۖ
अज़ाब हमारा
sunnata
سُنَّتَ
तरीक़ा है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
allatī
ٱلَّتِى
वो जो
qad
قَدْ
तहक़ीक़
khalat
خَلَتْ
गुज़र चुका
فِى
उसके बन्दों में
ʿibādihi
عِبَادِهِۦۖ
उसके बन्दों में
wakhasira
وَخَسِرَ
और ख़सारे में पड़ गए
hunālika
هُنَالِكَ
उस वक़्त
l-kāfirūna
ٱلْكَٰفِرُونَ
काफ़िर
किन्तु उनका ईमान उनको कुछ भी लाभ नहीं पहुँचा सकता था जबकि उन्होंने हमारी यातना को देख लिया - यही अल्लाह की रीति है, जो उसके बन्दों में पहले से चली आई है - और उस समय इनकार करनेवाले घाटे में पड़कर रहे ([४०] अल-गाफिर: 85)
Tafseer (तफ़सीर )