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सूरा अल-गाफिर - Page: 7

Ghafir

(क्षमाशील)

६१

اَللّٰهُ الَّذِيْ جَعَلَ لَكُمُ الَّيْلَ لِتَسْكُنُوْا فِيْهِ وَالنَّهَارَ مُبْصِرًا ۗاِنَّ اللّٰهَ لَذُوْ فَضْلٍ عَلَى النَّاسِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَشْكُرُوْنَ ٦١

al-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
alladhī
ٱلَّذِى
वो है जिसने
jaʿala
جَعَلَ
बनाया
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
al-layla
ٱلَّيْلَ
रात को
litaskunū
لِتَسْكُنُوا۟
ताकि तुम सुकून पाओ
fīhi
فِيهِ
उसमें
wal-nahāra
وَٱلنَّهَارَ
और दिन को
mub'ṣiran
مُبْصِرًاۚ
रौशन
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ladhū
لَذُو
अलबत्ता फ़ज़ल वाला है
faḍlin
فَضْلٍ
अलबत्ता फ़ज़ल वाला है
ʿalā
عَلَى
लोगों पर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों पर
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
akthara
أَكْثَرَ
अक्सर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोग
لَا
नहीं वो शुक्र करते
yashkurūna
يَشْكُرُونَ
नहीं वो शुक्र करते
अल्लाह ही है जिसने तुम्हारे लिए रात (अंधकारमय) बनाई, तुम उसमें शान्ति प्राप्त करो औऱ दिन को प्रकाशमान बनाया (ताकि उसमें दौड़-धूप करो) । निस्संदेह अल्लाह लोगों के लिए बड़ा उदार अनुग्रहवाला हैं, किन्तु अधिकतर लोग कृतज्ञता नहीं दिखाते ([४०] अल-गाफिर: 61)
Tafseer (तफ़सीर )
६२

ذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبُّكُمْ خَالِقُ كُلِّ شَيْءٍۘ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۖفَاَنّٰى تُؤْفَكُوْنَ ٦٢

dhālikumu
ذَٰلِكُمُ
ये है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
rabbukum
رَبُّكُمْ
रब तुम्हारा
khāliqu
خَٰلِقُ
पैदा करने वाला
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ का
لَّآ
नहीं
ilāha
إِلَٰهَ
कोई इलाह (बरहक़ )
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَۖ
वो ही
fa-annā
فَأَنَّىٰ
तो क्हाँ से
tu'fakūna
تُؤْفَكُونَ
तुम फेरे जाते हो
वह है अल्लाह, तुम्हारा रब, हर चीज़ का पैदा करनेवाला! उसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। फिर तुम कहाँ उलटे फिरे जा रहे हो? ([४०] अल-गाफिर: 62)
Tafseer (तफ़सीर )
६३

كَذٰلِكَ يُؤْفَكُ الَّذِيْنَ كَانُوْا بِاٰيٰتِ اللّٰهِ يَجْحَدُوْنَ ٦٣

kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yu'faku
يُؤْفَكُ
फेरे जाते हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
kānū
كَانُوا۟
हैं वो
biāyāti
بِـَٔايَٰتِ
आयात से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
yajḥadūna
يَجْحَدُونَ
वो इन्कार करते
इसी प्रकार वे भी उलटे फिरे जाते थे जो अल्लाह की निशानियों का इनकार करते थे ([४०] अल-गाफिर: 63)
Tafseer (तफ़सीर )
६४

اَللّٰهُ الَّذِيْ جَعَلَ لَكُمُ الْاَرْضَ قَرَارًا وَّالسَّمَاۤءَ بِنَاۤءً وَّصَوَّرَكُمْ فَاَحْسَنَ صُوَرَكُمْ وَرَزَقَكُمْ مِّنَ الطَّيِّبٰتِ ۗذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبُّكُمْ ۚ فَتَبٰرَكَ اللّٰهُ رَبُّ الْعٰلَمِيْنَ ٦٤

al-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
alladhī
ٱلَّذِى
वो है जिसने
jaʿala
جَعَلَ
बनाया
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन को
qarāran
قَرَارًا
क़रार गाह
wal-samāa
وَٱلسَّمَآءَ
और आसमान को
bināan
بِنَآءً
छत
waṣawwarakum
وَصَوَّرَكُمْ
और उसने सूरतें बनाईं तुम्हारी
fa-aḥsana
فَأَحْسَنَ
तो उसने अच्छी बनाईं
ṣuwarakum
صُوَرَكُمْ
सूरतें तुम्हारी
warazaqakum
وَرَزَقَكُم
और उसने रिज़्क़ दिया तुम्हें
mina
مِّنَ
पाकीज़ा चीज़ों से
l-ṭayibāti
ٱلطَّيِّبَٰتِۚ
पाकीज़ा चीज़ों से
dhālikumu
ذَٰلِكُمُ
ये है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
rabbukum
رَبُّكُمْۖ
रब तुम्हारा
fatabāraka
فَتَبَارَكَ
पस बाबरकत है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
rabbu
رَبُّ
जो रब है
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहानों का
अल्लाह ही है जिसने तुम्हारे लिए धरती को ठहरने का स्थान बनाया और आकाश को एक भवन के रूप में बनाया, और तुम्हें रूप दिए तो क्या ही अच्छे रूप दिए, और तुम्हें अच्छी पाक चीज़ों की रोज़ी दी। वह है अल्लाह, तुम्हारा रब। तो बड़ी बरकतवाला है अल्लाह, सारे संसार का रब ([४०] अल-गाफिर: 64)
Tafseer (तफ़सीर )
६५

هُوَ الْحَيُّ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ فَادْعُوْهُ مُخْلِصِيْنَ لَهُ الدِّيْنَ ۗ اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ٦٥

huwa
هُوَ
वो
l-ḥayu
ٱلْحَىُّ
ज़िन्दा है
لَآ
नहीं
ilāha
إِلَٰهَ
कोई इलाह (बरहक़)
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَ
वो ही
fa-id'ʿūhu
فَٱدْعُوهُ
पस पुकारो उसे
mukh'liṣīna
مُخْلِصِينَ
ख़ालिस करने वाले हो कर
lahu
لَهُ
उसी के लिए
l-dīna
ٱلدِّينَۗ
दीन को
l-ḥamdu
ٱلْحَمْدُ
सब तारीफ़
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए है
rabbi
رَبِّ
जो रब है
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहानों का
वह जीवन्त है। उसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। अतः उसी को पुकारो, धर्म को उसी के लिए विशुद्ध करके। सारी प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है, जो सारे संसार का रब है ([४०] अल-गाफिर: 65)
Tafseer (तफ़सीर )
६६

۞ قُلْ اِنِّيْ نُهِيْتُ اَنْ اَعْبُدَ الَّذِيْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ لَمَّا جَاۤءَنِيَ الْبَيِّنٰتُ مِنْ رَّبِّيْ وَاُمِرْتُ اَنْ اُسْلِمَ لِرَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ٦٦

qul
قُلْ
कह दीजिए
innī
إِنِّى
बेशक मैं
nuhītu
نُهِيتُ
रोका गया हूँ मैं
an
أَنْ
कि
aʿbuda
أَعْبُدَ
मैं इबादत करूँ
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनकी जिन्हें
tadʿūna
تَدْعُونَ
तुम पुकारते हो
min
مِن
सिवाए
dūni
دُونِ
सिवाए
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
lammā
لَمَّا
जबकि
jāaniya
جَآءَنِىَ
आ गईं मेरे पास
l-bayinātu
ٱلْبَيِّنَٰتُ
वाज़ेह निशानियाँ
min
مِن
मेरे रब की तरफ़ से
rabbī
رَّبِّى
मेरे रब की तरफ़ से
wa-umir'tu
وَأُمِرْتُ
और हुक्म दिया गया है मुझे
an
أَنْ
कि
us'lima
أُسْلِمَ
मैं फ़रमाबरदार हो जाऊँ
lirabbi
لِرَبِّ
रब के लिए
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहानों के
कह दो, 'मुझे इससे रोक दिया गया है कि मैं उनकी बन्दगी करूँ जिन्हें अल्लाह से हटकर पुकारते हो, जबकि मेरे पास मेरे रब की ओर से खुले प्रमाण आ चुके है। मुझे तो हुक्म हुआ है कि मैं सारे संसार के रब के आगे नतमस्तक हो जाऊँ।' - ([४०] अल-गाफिर: 66)
Tafseer (तफ़सीर )
६७

هُوَ الَّذِيْ خَلَقَكُمْ مِّنْ تُرَابٍ ثُمَّ مِنْ نُّطْفَةٍ ثُمَّ مِنْ عَلَقَةٍ ثُمَّ يُخْرِجُكُمْ طِفْلًا ثُمَّ لِتَبْلُغُوْٓا اَشُدَّكُمْ ثُمَّ لِتَكُوْنُوْا شُيُوْخًا ۚوَمِنْكُمْ مَّنْ يُّتَوَفّٰى مِنْ قَبْلُ وَلِتَبْلُغُوْٓا اَجَلًا مُّسَمًّى وَّلَعَلَّكُمْ تَعْقِلُوْنَ ٦٧

huwa
هُوَ
वो
alladhī
ٱلَّذِى
वो ही है जिसने
khalaqakum
خَلَقَكُم
पैदा किया तुम्हें
min
مِّن
मिट्टी से
turābin
تُرَابٍ
मिट्टी से
thumma
ثُمَّ
फिर
min
مِن
नुत्फ़े से
nuṭ'fatin
نُّطْفَةٍ
नुत्फ़े से
thumma
ثُمَّ
फिर
min
مِنْ
जमे हुए ख़ून से
ʿalaqatin
عَلَقَةٍ
जमे हुए ख़ून से
thumma
ثُمَّ
फिर
yukh'rijukum
يُخْرِجُكُمْ
वो निकालता है तुम्हें
ṭif'lan
طِفْلًا
बच्चा (बनाकर)
thumma
ثُمَّ
फिर
litablughū
لِتَبْلُغُوٓا۟
ताकि तुम पहुँच जाओ
ashuddakum
أَشُدَّكُمْ
अपनी जवानी को
thumma
ثُمَّ
फिर
litakūnū
لِتَكُونُوا۟
ताकि तुम हो जाओ
shuyūkhan
شُيُوخًاۚ
बूढ़े
waminkum
وَمِنكُم
और तुम में से
man
مَّن
कोई है जो
yutawaffā
يُتَوَفَّىٰ
फ़ौत कर दिया जाता है
min
مِن
उससे पहले
qablu
قَبْلُۖ
उससे पहले
walitablughū
وَلِتَبْلُغُوٓا۟
और ताकि तुम पहुँचो
ajalan
أَجَلًا
एक वक़्त को
musamman
مُّسَمًّى
मुक़र्रर
walaʿallakum
وَلَعَلَّكُمْ
और ताकि तुम
taʿqilūna
تَعْقِلُونَ
तुम अक़्ल से काम लो
वही है जिसने तुम्हें मिट्टी से पैदा, फिर वीर्य से, फिर रक्त के लोथड़े से; फिर वह तुम्हें एक बच्चे के रूप में निकालता है, फिर (तुम्हें बढ़ाता है) ताकि अपनी प्रौढ़ता को प्राप्ति हो, फिर मुहलत देता है कि तुम बुढापे को पहुँचो - यद्यपि तुममें से कोई इससे पहले भी उठा लिया जाता है - और यह इसलिए करता है कि तुम एक नियत अवधि तक पहुँच जाओ और ऐसा इसलिए है कि तुम समझो ([४०] अल-गाफिर: 67)
Tafseer (तफ़सीर )
६८

هُوَ الَّذِيْ يُحْيٖ وَيُمِيْتُۚ فَاِذَا قَضٰىٓ اَمْرًا فَاِنَّمَا يَقُوْلُ لَهٗ كُنْ فَيَكُوْنُ ࣖ ٦٨

huwa
هُوَ
वो ही है
alladhī
ٱلَّذِى
जो
yuḥ'yī
يُحْىِۦ
ज़िन्दा करता है
wayumītu
وَيُمِيتُۖ
और वो मौत देता है
fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
qaḍā
قَضَىٰٓ
वो फ़ैसला करता है
amran
أَمْرًا
किसी काम का
fa-innamā
فَإِنَّمَا
तो बेशक
yaqūlu
يَقُولُ
वो कहता है
lahu
لَهُۥ
उसे
kun
كُن
हो जा
fayakūnu
فَيَكُونُ
तो वो हो जाता है
वही है जो जीवन और मृत्यु देता है, और जब वह किसी काम का फ़ैसला करता है, तो उसके लिए बस कह देता है कि 'हो जा' तो वह हो जाता है ([४०] अल-गाफिर: 68)
Tafseer (तफ़सीर )
६९

اَلَمْ تَرَ اِلَى الَّذِيْنَ يُجَادِلُوْنَ فِيْٓ اٰيٰتِ اللّٰهِ ۗاَنّٰى يُصْرَفُوْنَۚ ٦٩

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
tara
تَرَ
आपने देखा
ilā
إِلَى
तरफ़ उनके जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
तरफ़ उनके जो
yujādilūna
يُجَٰدِلُونَ
झगड़ते हैं
فِىٓ
आयात में
āyāti
ءَايَٰتِ
आयात में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
annā
أَنَّىٰ
कहाँ से
yuṣ'rafūna
يُصْرَفُونَ
वो फेरे जाते हैं
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जो अल्लाह की आयतों के बारे में झगड़ते है, वे कहाँ फिरे जाते हैं? ([४०] अल-गाफिर: 69)
Tafseer (तफ़सीर )
७०

اَلَّذِيْنَ كَذَّبُوْا بِالْكِتٰبِ وَبِمَآ اَرْسَلْنَا بِهٖ رُسُلَنَا ۗفَسَوْفَ يَعْلَمُوْنَۙ ٧٠

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kadhabū
كَذَّبُوا۟
झुठलाया
bil-kitābi
بِٱلْكِتَٰبِ
किताब को
wabimā
وَبِمَآ
और उसे जो
arsalnā
أَرْسَلْنَا
भेजा हमने
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
rusulanā
رُسُلَنَاۖ
अपने रसूलों को
fasawfa
فَسَوْفَ
तो अनक़रीब
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
वो जान लेंगे
जिन लोगों ने किताब को झुठलाया और उसे भी जिसके साथ हमने अपने रसूलों को भेजा था। तो शीघ्र ही उन्हें मालूम हो जाएगा ([४०] अल-गाफिर: 70)
Tafseer (तफ़सीर )