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सूरा अल-गाफिर - Page: 6

Ghafir

(क्षमाशील)

५१

اِنَّا لَنَنْصُرُ رُسُلَنَا وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا وَيَوْمَ يَقُوْمُ الْاَشْهَادُۙ ٥١

innā
إِنَّا
बेशक हम
lananṣuru
لَنَنصُرُ
अलबत्ता हम मदद करते हैं
rusulanā
رُسُلَنَا
अपने रसूलों की
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और उनकी जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हैं
فِى
ज़िन्दगी में
l-ḥayati
ٱلْحَيَوٰةِ
ज़िन्दगी में
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
wayawma
وَيَوْمَ
और जिस दिन
yaqūmu
يَقُومُ
खड़े होंगे
l-ashhādu
ٱلْأَشْهَٰدُ
गवाह
निश्चय ही हम अपने रसूलों की और उन लोगों की जो ईमान लाए अवश्य सहायता करते है, सांसारिक जीवन में भी और उस दिन भी, जबकि गवाह खड़े होंगे ([४०] अल-गाफिर: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

يَوْمَ لَا يَنْفَعُ الظّٰلِمِيْنَ مَعْذِرَتُهُمْ وَلَهُمُ اللَّعْنَةُ وَلَهُمْ سُوْۤءُ الدَّارِ ٥٢

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
لَا
ना नफ़ा देगी
yanfaʿu
يَنفَعُ
ना नफ़ा देगी
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों को
maʿdhiratuhum
مَعْذِرَتُهُمْۖ
माज़रत उनकी
walahumu
وَلَهُمُ
और उनके लिए है
l-laʿnatu
ٱللَّعْنَةُ
लाअनत
walahum
وَلَهُمْ
और उनके लिए है
sūu
سُوٓءُ
बदतरीन
l-dāri
ٱلدَّارِ
घर
जिस दिन ज़ालिमों को उनका उज्र (सफ़ाई पेश करना) कुछ भी लाभ न पहुँचाएगा, बल्कि उनके लिए तो लानत है और उनके लिए बुरा घर है ([४०] अल-गाफिर: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

وَلَقَدْاٰتَيْنَا مُوْسٰى الْهُدٰى وَاَوْرَثْنَا بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ الْكِتٰبَۙ ٥٣

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
ātaynā
ءَاتَيْنَا
दी हमने
mūsā
مُوسَى
मूसा को
l-hudā
ٱلْهُدَىٰ
हिदायत
wa-awrathnā
وَأَوْرَثْنَا
और वारिस बनाया हमने
banī
بَنِىٓ
बनी इस्राईल को
is'rāīla
إِسْرَٰٓءِيلَ
बनी इस्राईल को
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब का
मूसा को भी हम मार्ग दिखा चुके है, और इसराईल की सन्तान को हमने किताब का उत्ताराधिकारी बनाया, ([४०] अल-गाफिर: 53)
Tafseer (तफ़सीर )
५४

هُدًى وَّذِكْرٰى لِاُولِى الْاَلْبَابِ ٥٤

hudan
هُدًى
जो हिदायत
wadhik'rā
وَذِكْرَىٰ
और नसीहत थी
li-ulī
لِأُو۟لِى
अक़्ल वालों के लिए
l-albābi
ٱلْأَلْبَٰبِ
अक़्ल वालों के लिए
जो बुद्धि और समझवालों के लिए मार्गदर्शन और अनुस्मृति थी ([४०] अल-गाफिर: 54)
Tafseer (तफ़सीर )
५५

فَاصْبِرْ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّاسْتَغْفِرْ لِذَنْۢبِكَ وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ بِالْعَشِيِّ وَالْاِبْكَارِ ٥٥

fa-iṣ'bir
فَٱصْبِرْ
पस सब्र कीजिए
inna
إِنَّ
बेशक
waʿda
وَعْدَ
वादा
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
ḥaqqun
حَقٌّ
सच्चा है
wa-is'taghfir
وَٱسْتَغْفِرْ
और बख़्शिश तलब कीजिए
lidhanbika
لِذَنۢبِكَ
अपने गुनाह की
wasabbiḥ
وَسَبِّحْ
और तस्बीह कीजिए
biḥamdi
بِحَمْدِ
साथ हम्द के
rabbika
رَبِّكَ
अपने रब की
bil-ʿashiyi
بِٱلْعَشِىِّ
शाम के वक़्त
wal-ib'kāri
وَٱلْإِبْكَٰرِ
और सुब्ह के वक़्त
अतः धैर्य से काम लो। निश्चय ही अल्लाह का वादा सच्चा है और अपने क़सूर की क्षमा चाहो और संध्या समय और प्रातः की घड़ियों में अपने रब की प्रशंसा की तसबीह करो ([४०] अल-गाफिर: 55)
Tafseer (तफ़सीर )
५६

اِنَّ الَّذِيْنَ يُجَادِلُوْنَ فِيْٓ اٰيٰتِ اللّٰهِ بِغَيْرِ سُلْطٰنٍ اَتٰىهُمْ ۙاِنْ فِيْ صُدُوْرِهِمْ اِلَّا كِبْرٌ مَّا هُمْ بِبَالِغِيْهِۚ فَاسْتَعِذْ بِاللّٰهِ ۗاِنَّهٗ هُوَ السَّمِيْعُ الْبَصِيْرُ ٥٦

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
yujādilūna
يُجَٰدِلُونَ
झगड़ते हैं
فِىٓ
आयात में
āyāti
ءَايَٰتِ
आयात में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
sul'ṭānin
سُلْطَٰنٍ
किसी दलील के
atāhum
أَتَىٰهُمْۙ
जो आई हो उनके पास
in
إِن
नहीं
فِى
उनके सीनों में
ṣudūrihim
صُدُورِهِمْ
उनके सीनों में
illā
إِلَّا
मगर
kib'run
كِبْرٌ
बड़ाई
مَّا
नहीं
hum
هُم
वो
bibālighīhi
بِبَٰلِغِيهِۚ
पहुँचने वाले उसे
fa-is'taʿidh
فَٱسْتَعِذْ
पस पनाह तलब कीजिए
bil-lahi
بِٱللَّهِۖ
अल्लाह की
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
huwa
هُوَ
वो ही है
l-samīʿu
ٱلسَّمِيعُ
ख़ूब सुनने वाला
l-baṣīru
ٱلْبَصِيرُ
ख़ूब देखने वाला
जो लोग बिना किसी ऐसे प्रमाण के जो उनके पास आया हो अल्लाह की आयतों में झगड़ते है उनके सीनों में केवल अहंकार है जिसतक वे पहुँचनेवाले नहीं। अतः अल्लाह की शरण लो। निश्चय ही वह सुनता, देखता है ([४०] अल-गाफिर: 56)
Tafseer (तफ़सीर )
५७

لَخَلْقُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ اَكْبَرُ مِنْ خَلْقِ النَّاسِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يَعْلَمُوْنَ ٥٧

lakhalqu
لَخَلْقُ
यक़ीनन पैदा करना
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन का
akbaru
أَكْبَرُ
ज़्यादा बड़ा है
min
مِنْ
पैदा करने से
khalqi
خَلْقِ
पैदा करने से
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
इन्सानों के
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
akthara
أَكْثَرَ
अक्सर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोग
لَا
नहीं वो इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो इल्म रखते
निस्संदेह, आकाशों और धरती को पैदा करना लोगों को पैदा करने की अपेक्षा अधिक बड़ा (कठिन) काम है। किन्तु अधिकतर लोग नहीं जानते ([४०] अल-गाफिर: 57)
Tafseer (तफ़सीर )
५८

وَمَا يَسْتَوِى الْاَعْمٰى وَالْبَصِيْرُ ەۙ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَلَا الْمُسِيْۤئُ ۗقَلِيْلًا مَّا تَتَذَكَّرُوْنَ ٥٨

wamā
وَمَا
और नहीं
yastawī
يَسْتَوِى
बराबर हो सकते
l-aʿmā
ٱلْأَعْمَىٰ
अंधा
wal-baṣīru
وَٱلْبَصِيرُ
और देखने वाला
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
walā
وَلَا
और ना
l-musīu
ٱلْمُسِىٓءُۚ
बदकार
qalīlan
قَلِيلًا
कितना कम
مَّا
तुम नसीहत पकड़ते हो
tatadhakkarūna
تَتَذَكَّرُونَ
तुम नसीहत पकड़ते हो
अंधा और आँखोंवाला बराबर नहीं होते, और वे लोग भी परस्पर बराबर नहीं होते जिन्होंने ईमान लाकर अच्छे कर्म किए, और न बुरे कर्म करनेवाले ही परस्पर बराबर हो सकते है। तुम होश से काम थोड़े ही लेते हो! ([४०] अल-गाफिर: 58)
Tafseer (तफ़सीर )
५९

اِنَّ السَّاعَةَ لَاٰتِيَةٌ لَّا رَيْبَ فِيْهَا ۖوَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يُؤْمِنُوْنَ ٥٩

inna
إِنَّ
बेशक
l-sāʿata
ٱلسَّاعَةَ
क़यामत
laātiyatun
لَءَاتِيَةٌ
अलबत्ता आने वाली है
لَّا
नहीं कोई शक
rayba
رَيْبَ
नहीं कोई शक
fīhā
فِيهَا
उसमें
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
akthara
أَكْثَرَ
अक्सर
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोग
لَا
नहीं वो ईमान रखते
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान रखते
निश्चय ही क़ियामत की घड़ी आनेवाली है, इसमें कोई सन्देह नहीं। किन्तु अधिकतर लोग मानते नही ([४०] अल-गाफिर: 59)
Tafseer (तफ़सीर )
६०

وَقَالَ رَبُّكُمُ ادْعُوْنِيْٓ اَسْتَجِبْ لَكُمْ ۗاِنَّ الَّذِيْنَ يَسْتَكْبِرُوْنَ عَنْ عِبَادَتِيْ سَيَدْخُلُوْنَ جَهَنَّمَ دَاخِرِيْنَ ࣖࣖࣖ ٦٠

waqāla
وَقَالَ
और कहा
rabbukumu
رَبُّكُمُ
तुम्हारे रब ने
id'ʿūnī
ٱدْعُونِىٓ
दुआ करो मुझसे
astajib
أَسْتَجِبْ
मैं क़ुबूल करूँगा
lakum
لَكُمْۚ
तुम्हारे लिए
inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yastakbirūna
يَسْتَكْبِرُونَ
तकब्बुर करते है
ʿan
عَنْ
मेरी इबादत से
ʿibādatī
عِبَادَتِى
मेरी इबादत से
sayadkhulūna
سَيَدْخُلُونَ
अनक़रीब वो दाख़िल होंगे
jahannama
جَهَنَّمَ
जहन्नम में
dākhirīna
دَاخِرِينَ
ज़लील व ख़्वार हो कर
तुम्हारे रब ने कहा कि 'तुम मुझे पुकारो, मैं तुम्हारी प्रार्थनाएँ स्वीकार करूँगा।' जो लोग मेरी बन्दगी के मामले में घमंड से काम लेते है निश्चय ही वे शीघ्र ही अपमानित होकर जहन्नम में प्रवेश करेंगे ([४०] अल-गाफिर: 60)
Tafseer (तफ़सीर )