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सूरा अल-गाफिर - Page: 4

Ghafir

(क्षमाशील)

३१

مِثْلَ دَأْبِ قَوْمِ نُوْحٍ وَّعَادٍ وَّثَمُوْدَ وَالَّذِيْنَ مِنْۢ بَعْدِهِمْ ۗوَمَا اللّٰهُ يُرِيْدُ ظُلْمًا لِّلْعِبَادِ ٣١

mith'la
مِثْلَ
मानिन्द
dabi
دَأْبِ
हालत
qawmi
قَوْمِ
क़ौमे
nūḥin
نُوحٍ
नूह
waʿādin
وَعَادٍ
और आद
wathamūda
وَثَمُودَ
और समूद
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और उनकी जो
min
مِنۢ
बाद थे उनके
baʿdihim
بَعْدِهِمْۚ
बाद थे उनके
wamā
وَمَا
और नहीं
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
yurīdu
يُرِيدُ
वो इरादा रखता
ẓul'man
ظُلْمًا
ज़ुल्म का
lil'ʿibādi
لِّلْعِبَادِ
बन्दों पर
जैसे नूह की क़ौम और आद और समूद और उनके पश्चात्वर्ती लोगों का हाल हुआ। अल्लाह तो ऐसा नहीं कि बन्दों पर कोई ज़ुल्म करना चाहे ([४०] अल-गाफिर: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

وَيٰقَوْمِ اِنِّيْٓ اَخَافُ عَلَيْكُمْ يَوْمَ التَّنَادِۙ ٣٢

wayāqawmi
وَيَٰقَوْمِ
और ऐ मेरी क़ौम
innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
akhāfu
أَخَافُ
मैं डरता हूँ
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
yawma
يَوْمَ
एक दूसरे को पुकारने के दिन से
l-tanādi
ٱلتَّنَادِ
एक दूसरे को पुकारने के दिन से
और ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मुझे तुम्हारे बारे में चीख़-पुकार के दिन का भय है, ([४०] अल-गाफिर: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

يَوْمَ تُوَلُّوْنَ مُدْبِرِيْنَۚ مَا لَكُمْ مِّنَ اللّٰهِ مِنْ عَاصِمٍۚ وَمَنْ يُّضْلِلِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ هَادٍ ٣٣

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
tuwallūna
تُوَلُّونَ
तुम फिर जाओगे
mud'birīna
مُدْبِرِينَ
पीठ फेरते हुए
مَا
नहीं (होगा)
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
mina
مِّنَ
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
min
مِنْ
कोई बचाने वाला
ʿāṣimin
عَاصِمٍۗ
कोई बचाने वाला
waman
وَمَن
और जिसे
yuḍ'lili
يُضْلِلِ
भटकादे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
famā
فَمَا
तो नहीं
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
min
مِنْ
कोई हिदायत देने वाला
hādin
هَادٍ
कोई हिदायत देने वाला
जिस दिन तुम पीठ फेरकर भागोगे, तुम्हें अल्लाह से बचानेवाला कोई न होगा - और जिसे अल्लाह ही भटका दे उसे मार्ग दिखानेवाला कोई नहीं। - ([४०] अल-गाफिर: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

وَلَقَدْ جَاۤءَكُمْ يُوْسُفُ مِنْ قَبْلُ بِالْبَيِّنٰتِ فَمَا زِلْتُمْ فِيْ شَكٍّ مِّمَّا جَاۤءَكُمْ بِهٖ ۗحَتّٰىٓ اِذَا هَلَكَ قُلْتُمْ لَنْ يَّبْعَثَ اللّٰهُ مِنْۢ بَعْدِهٖ رَسُوْلًا ۗ كَذٰلِكَ يُضِلُّ اللّٰهُ مَنْ هُوَ مُسْرِفٌ مُّرْتَابٌۙ ٣٤

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
jāakum
جَآءَكُمْ
आया तुम्हारे पास
yūsufu
يُوسُفُ
यूसुफ़
min
مِن
इससे पहले
qablu
قَبْلُ
इससे पहले
bil-bayināti
بِٱلْبَيِّنَٰتِ
साथ वाज़ेह दलाइल के
famā
فَمَا
तो मुसलसल रहे तुम
zil'tum
زِلْتُمْ
तो मुसलसल रहे तुम
فِى
शक में
shakkin
شَكٍّ
शक में
mimmā
مِّمَّا
उससे चीज़ से जो
jāakum
جَآءَكُم
वो लाया तुम्हारे पास
bihi
بِهِۦۖ
उसे
ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَا
जब
halaka
هَلَكَ
वो फ़ौत हो गया
qul'tum
قُلْتُمْ
कहा तुम ने
lan
لَن
हरगिज़ नहीं
yabʿatha
يَبْعَثَ
भेजेगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
min
مِنۢ
इसके बाद
baʿdihi
بَعْدِهِۦ
इसके बाद
rasūlan
رَسُولًاۚ
किसी रसूल को
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yuḍillu
يُضِلُّ
भटकाता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
man
مَنْ
उसे जो
huwa
هُوَ
हो वो
mus'rifun
مُسْرِفٌ
हद से बढ़ने वाला
mur'tābun
مُّرْتَابٌ
शक में पड़ने वाला
हमने पहले भी तुम्हारे पास यूसुफ़ खुले प्रमाण लेकर आ चुके है, किन्तु जो कुछ वे लेकर तुम्हारे पास आए थे, उसके बारे में तुम बराबर सन्देह में पड़े रहे, यहाँ तक कि जब उनकी मृत्यु हो गई तो तुम कहने लगे, 'अल्लाह उनके पश्चात कदापि कोई रसूल न भेजेगा।' इसी प्रकार अल्लाह उसे गुमराही में डाल देता है जो मर्यादाहीन, सन्देहों में पड़नेवाला हो। - ([४०] अल-गाफिर: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

ۨالَّذِيْنَ يُجَادِلُوْنَ فِيْٓ اٰيٰتِ اللّٰهِ بِغَيْرِ سُلْطٰنٍ اَتٰىهُمْۗ كَبُرَ مَقْتًا عِنْدَ اللّٰهِ وَعِنْدَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا ۗ كَذٰلِكَ يَطْبَعُ اللّٰهُ عَلٰى كُلِّ قَلْبِ مُتَكَبِّرٍ جَبَّارٍ ٣٥

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
yujādilūna
يُجَٰدِلُونَ
झगड़ते हैं
فِىٓ
आयात में
āyāti
ءَايَٰتِ
आयात में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
sul'ṭānin
سُلْطَٰنٍ
किसी दलील के
atāhum
أَتَىٰهُمْۖ
जो आई हो उनके पास
kabura
كَبُرَ
बड़ी है
maqtan
مَقْتًا
नाराज़गी की बात
ʿinda
عِندَ
नज़्दीक
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
waʿinda
وَعِندَ
और नज़्दीक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके जो
āmanū
ءَامَنُوا۟ۚ
ईमान लाए
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yaṭbaʿu
يَطْبَعُ
मुहर लगा देता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर (उस शख़्स के)
qalbi
قَلْبِ
दिल के
mutakabbirin
مُتَكَبِّرٍ
जो तकब्बुर करने वाला है
jabbārin
جَبَّارٍ
सरकश है
ऐसे लोगो को (गुमराही में डालता है) जो अल्लाह की आयतों में झगड़ते है, बिना इसके कि उनके पास कोई प्रमाण आया हो, अल्लाह की दृष्टि) में और उन लोगों की दृष्टि में जो ईमान लाए यह (बात) अत्यन्त अप्रिय है। इसी प्रकार अल्लाह हर अहंकारी, निर्दय- अत्याचारी के दिल पर मुहर लगा देता है। - ([४०] अल-गाफिर: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

وَقَالَ فِرْعَوْنُ يٰهَامٰنُ ابْنِ لِيْ صَرْحًا لَّعَلِّيْٓ اَبْلُغُ الْاَسْبَابَۙ ٣٦

waqāla
وَقَالَ
और कहा
fir'ʿawnu
فِرْعَوْنُ
फ़िरऔन ने
yāhāmānu
يَٰهَٰمَٰنُ
ऐ हामान
ib'ni
ٱبْنِ
बना
لِى
मेरे लिए
ṣarḥan
صَرْحًا
एक बुलन्द इमारत
laʿallī
لَّعَلِّىٓ
ताकि मैं
ablughu
أَبْلُغُ
मैं पहुँच सकूँ
l-asbāba
ٱلْأَسْبَٰبَ
रास्तों पर
फ़िरऔन ने कहा, 'ऐ हामान! मेरे एक उच्च भवन बना, ताकि मैं साधनों तक पहुँच सकूँ, ([४०] अल-गाफिर: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

اَسْبَابَ السَّمٰوٰتِ فَاَطَّلِعَ اِلٰٓى اِلٰهِ مُوْسٰى وَاِنِّيْ لَاَظُنُّهٗ كَاذِبًا ۗوَكَذٰلِكَ زُيِّنَ لِفِرْعَوْنَ سُوْۤءُ عَمَلِهٖ وَصُدَّ عَنِ السَّبِيْلِ ۗوَمَا كَيْدُ فِرْعَوْنَ اِلَّا فِيْ تَبَابٍ ࣖ ٣٧

asbāba
أَسْبَٰبَ
रास्तों पर
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमान के
fa-aṭṭaliʿa
فَأَطَّلِعَ
फिर मैं झाँक कर देखूँ
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़ इलाह
ilāhi
إِلَٰهِ
तरफ़ इलाह
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा के
wa-innī
وَإِنِّى
और बेशक मैं
la-aẓunnuhu
لَأَظُنُّهُۥ
अलबत्ता मैं गुमान करता हूँ उसे
kādhiban
كَٰذِبًاۚ
झूठा
wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
zuyyina
زُيِّنَ
मुज़य्यन कर दिया गया
lifir'ʿawna
لِفِرْعَوْنَ
फ़िरऔन के लिए
sūu
سُوٓءُ
बुरा
ʿamalihi
عَمَلِهِۦ
अमल उसका
waṣudda
وَصُدَّ
और वो रोक दिया गया
ʿani
عَنِ
रास्ते से
l-sabīli
ٱلسَّبِيلِۚ
रास्ते से
wamā
وَمَا
और नहीं
kaydu
كَيْدُ
चाल
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَ
फ़िरऔन की
illā
إِلَّا
मगर
فِى
हलाकत में
tabābin
تَبَابٍ
हलाकत में
आकाशों को साधनों (और क्षत्रों) तक। फिर मूसा के पूज्य को झाँककर देखूँ। मैं तो उसे झूठा ही समझता हूँ।' इस प्रकार फ़िरऔन को लिए उसका दुष्कर्म सुहाना बना दिया गया और उसे मार्ग से रोक दिया गया। फ़िरऔन की चाल तो बस तबाही के सिलसिले में रही ([४०] अल-गाफिर: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

وَقَالَ الَّذِيْٓ اٰمَنَ يٰقَوْمِ اتَّبِعُوْنِ اَهْدِكُمْ سَبِيْلَ الرَّشَادِۚ ٣٨

waqāla
وَقَالَ
और कहा
alladhī
ٱلَّذِىٓ
उसने जो
āmana
ءَامَنَ
ईमान लाया
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
ittabiʿūni
ٱتَّبِعُونِ
पैरवी करो मेरी
ahdikum
أَهْدِكُمْ
मैं दिखाऊँगा तुम्हें
sabīla
سَبِيلَ
रास्ता
l-rashādi
ٱلرَّشَادِ
भलाई का
उस व्यक्ति ने, जो ईमान लाया था, कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मेरा अनुसरण करो, मैं तुम्हे भलाई का ठीक रास्ता दिखाऊँगा ([४०] अल-गाफिर: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

يٰقَوْمِ اِنَّمَا هٰذِهِ الْحَيٰوةُ الدُّنْيَا مَتَاعٌ ۖوَّاِنَّ الْاٰخِرَةَ هِيَ دَارُ الْقَرَارِ ٣٩

yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
innamā
إِنَّمَا
बेशक
hādhihi
هَٰذِهِ
ये
l-ḥayatu
ٱلْحَيَوٰةُ
ज़िन्दगी
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
matāʿun
مَتَٰعٌ
थोड़ा फ़ायदा है
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
l-ākhirata
ٱلْءَاخِرَةَ
आख़िरत
hiya
هِىَ
वो ही
dāru
دَارُ
घर है
l-qarāri
ٱلْقَرَارِ
क़रार का
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! यह सांसारिक जीवन तो बस अस्थायी उपभोग है। निश्चय ही स्थायी रूप से ठहरनेका घर तो आख़िरत ही है ([४०] अल-गाफिर: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

مَنْ عَمِلَ سَيِّئَةً فَلَا يُجْزٰىٓ اِلَّا مِثْلَهَاۚ وَمَنْ عَمِلَ صَالِحًا مِّنْ ذَكَرٍ اَوْ اُنْثٰى وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَاُولٰۤىِٕكَ يَدْخُلُوْنَ الْجَنَّةَ يُرْزَقُوْنَ فِيْهَا بِغَيْرِ حِسَابٍ ٤٠

man
مَنْ
जिस ने
ʿamila
عَمِلَ
अमल किया
sayyi-atan
سَيِّئَةً
बुरा
falā
فَلَا
तो ना
yuj'zā
يُجْزَىٰٓ
वो बदला दिया जाएगा
illā
إِلَّا
मगर
mith'lahā
مِثْلَهَاۖ
मानिन्द उसी के
waman
وَمَنْ
और जिसने
ʿamila
عَمِلَ
अमल किया
ṣāliḥan
صَٰلِحًا
नेक
min
مِّن
कोई मर्द हो
dhakarin
ذَكَرٍ
कोई मर्द हो
aw
أَوْ
या
unthā
أُنثَىٰ
औरत
wahuwa
وَهُوَ
जब कि वो
mu'minun
مُؤْمِنٌ
मोमिन हो
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
yadkhulūna
يَدْخُلُونَ
जो दाख़िल होंगे
l-janata
ٱلْجَنَّةَ
जन्नत में
yur'zaqūna
يُرْزَقُونَ
वो रिज़्क़ दिए जाऐंगे
fīhā
فِيهَا
उसमें
bighayri
بِغَيْرِ
बग़ैर
ḥisābin
حِسَابٍ
हिसाब के
जिस किसी ने बुराई की तो उसे वैसा ही बदला मिलेगा, किन्तु जिस किसी ने अच्छा कर्म किया, चाहे वह पुरुष हो या स्त्री, किन्तु हो वह मोमिन, तो ऐसे लोग जन्नत में प्रवेश करेंगे। वहाँ उन्हें बेहिसाब दिया जाएगा ([४०] अल-गाफिर: 40)
Tafseer (तफ़सीर )