مِثْلَ دَأْبِ قَوْمِ نُوْحٍ وَّعَادٍ وَّثَمُوْدَ وَالَّذِيْنَ مِنْۢ بَعْدِهِمْ ۗوَمَا اللّٰهُ يُرِيْدُ ظُلْمًا لِّلْعِبَادِ ٣١
- mith'la
- مِثْلَ
- मानिन्द
- dabi
- دَأْبِ
- हालत
- qawmi
- قَوْمِ
- क़ौमे
- nūḥin
- نُوحٍ
- नूह
- waʿādin
- وَعَادٍ
- और आद
- wathamūda
- وَثَمُودَ
- और समूद
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और उनकी जो
- min
- مِنۢ
- बाद थे उनके
- baʿdihim
- بَعْدِهِمْۚ
- बाद थे उनके
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- yurīdu
- يُرِيدُ
- वो इरादा रखता
- ẓul'man
- ظُلْمًا
- ज़ुल्म का
- lil'ʿibādi
- لِّلْعِبَادِ
- बन्दों पर
जैसे नूह की क़ौम और आद और समूद और उनके पश्चात्वर्ती लोगों का हाल हुआ। अल्लाह तो ऐसा नहीं कि बन्दों पर कोई ज़ुल्म करना चाहे ([४०] अल-गाफिर: 31)Tafseer (तफ़सीर )
وَيٰقَوْمِ اِنِّيْٓ اَخَافُ عَلَيْكُمْ يَوْمَ التَّنَادِۙ ٣٢
- wayāqawmi
- وَيَٰقَوْمِ
- और ऐ मेरी क़ौम
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- akhāfu
- أَخَافُ
- मैं डरता हूँ
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- yawma
- يَوْمَ
- एक दूसरे को पुकारने के दिन से
- l-tanādi
- ٱلتَّنَادِ
- एक दूसरे को पुकारने के दिन से
और ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मुझे तुम्हारे बारे में चीख़-पुकार के दिन का भय है, ([४०] अल-गाफिर: 32)Tafseer (तफ़सीर )
يَوْمَ تُوَلُّوْنَ مُدْبِرِيْنَۚ مَا لَكُمْ مِّنَ اللّٰهِ مِنْ عَاصِمٍۚ وَمَنْ يُّضْلِلِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ هَادٍ ٣٣
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- tuwallūna
- تُوَلُّونَ
- तुम फिर जाओगे
- mud'birīna
- مُدْبِرِينَ
- पीठ फेरते हुए
- mā
- مَا
- नहीं (होगा)
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह से
- min
- مِنْ
- कोई बचाने वाला
- ʿāṣimin
- عَاصِمٍۗ
- कोई बचाने वाला
- waman
- وَمَن
- और जिसे
- yuḍ'lili
- يُضْلِلِ
- भटकादे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- famā
- فَمَا
- तो नहीं
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- min
- مِنْ
- कोई हिदायत देने वाला
- hādin
- هَادٍ
- कोई हिदायत देने वाला
जिस दिन तुम पीठ फेरकर भागोगे, तुम्हें अल्लाह से बचानेवाला कोई न होगा - और जिसे अल्लाह ही भटका दे उसे मार्ग दिखानेवाला कोई नहीं। - ([४०] अल-गाफिर: 33)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ جَاۤءَكُمْ يُوْسُفُ مِنْ قَبْلُ بِالْبَيِّنٰتِ فَمَا زِلْتُمْ فِيْ شَكٍّ مِّمَّا جَاۤءَكُمْ بِهٖ ۗحَتّٰىٓ اِذَا هَلَكَ قُلْتُمْ لَنْ يَّبْعَثَ اللّٰهُ مِنْۢ بَعْدِهٖ رَسُوْلًا ۗ كَذٰلِكَ يُضِلُّ اللّٰهُ مَنْ هُوَ مُسْرِفٌ مُّرْتَابٌۙ ٣٤
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- jāakum
- جَآءَكُمْ
- आया तुम्हारे पास
- yūsufu
- يُوسُفُ
- यूसुफ़
- min
- مِن
- इससे पहले
- qablu
- قَبْلُ
- इससे पहले
- bil-bayināti
- بِٱلْبَيِّنَٰتِ
- साथ वाज़ेह दलाइल के
- famā
- فَمَا
- तो मुसलसल रहे तुम
- zil'tum
- زِلْتُمْ
- तो मुसलसल रहे तुम
- fī
- فِى
- शक में
- shakkin
- شَكٍّ
- शक में
- mimmā
- مِّمَّا
- उससे चीज़ से जो
- jāakum
- جَآءَكُم
- वो लाया तुम्हारे पास
- bihi
- بِهِۦۖ
- उसे
- ḥattā
- حَتَّىٰٓ
- यहाँ तक कि
- idhā
- إِذَا
- जब
- halaka
- هَلَكَ
- वो फ़ौत हो गया
- qul'tum
- قُلْتُمْ
- कहा तुम ने
- lan
- لَن
- हरगिज़ नहीं
- yabʿatha
- يَبْعَثَ
- भेजेगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- min
- مِنۢ
- इसके बाद
- baʿdihi
- بَعْدِهِۦ
- इसके बाद
- rasūlan
- رَسُولًاۚ
- किसी रसूल को
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- yuḍillu
- يُضِلُّ
- भटकाता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- man
- مَنْ
- उसे जो
- huwa
- هُوَ
- हो वो
- mus'rifun
- مُسْرِفٌ
- हद से बढ़ने वाला
- mur'tābun
- مُّرْتَابٌ
- शक में पड़ने वाला
हमने पहले भी तुम्हारे पास यूसुफ़ खुले प्रमाण लेकर आ चुके है, किन्तु जो कुछ वे लेकर तुम्हारे पास आए थे, उसके बारे में तुम बराबर सन्देह में पड़े रहे, यहाँ तक कि जब उनकी मृत्यु हो गई तो तुम कहने लगे, 'अल्लाह उनके पश्चात कदापि कोई रसूल न भेजेगा।' इसी प्रकार अल्लाह उसे गुमराही में डाल देता है जो मर्यादाहीन, सन्देहों में पड़नेवाला हो। - ([४०] अल-गाफिर: 34)Tafseer (तफ़सीर )
ۨالَّذِيْنَ يُجَادِلُوْنَ فِيْٓ اٰيٰتِ اللّٰهِ بِغَيْرِ سُلْطٰنٍ اَتٰىهُمْۗ كَبُرَ مَقْتًا عِنْدَ اللّٰهِ وَعِنْدَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا ۗ كَذٰلِكَ يَطْبَعُ اللّٰهُ عَلٰى كُلِّ قَلْبِ مُتَكَبِّرٍ جَبَّارٍ ٣٥
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- yujādilūna
- يُجَٰدِلُونَ
- झगड़ते हैं
- fī
- فِىٓ
- आयात में
- āyāti
- ءَايَٰتِ
- आयात में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- bighayri
- بِغَيْرِ
- बग़ैर
- sul'ṭānin
- سُلْطَٰنٍ
- किसी दलील के
- atāhum
- أَتَىٰهُمْۖ
- जो आई हो उनके पास
- kabura
- كَبُرَ
- बड़ी है
- maqtan
- مَقْتًا
- नाराज़गी की बात
- ʿinda
- عِندَ
- नज़्दीक
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- waʿinda
- وَعِندَ
- और नज़्दीक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟ۚ
- ईमान लाए
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- yaṭbaʿu
- يَطْبَعُ
- मुहर लगा देता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर (उस शख़्स के)
- qalbi
- قَلْبِ
- दिल के
- mutakabbirin
- مُتَكَبِّرٍ
- जो तकब्बुर करने वाला है
- jabbārin
- جَبَّارٍ
- सरकश है
ऐसे लोगो को (गुमराही में डालता है) जो अल्लाह की आयतों में झगड़ते है, बिना इसके कि उनके पास कोई प्रमाण आया हो, अल्लाह की दृष्टि) में और उन लोगों की दृष्टि में जो ईमान लाए यह (बात) अत्यन्त अप्रिय है। इसी प्रकार अल्लाह हर अहंकारी, निर्दय- अत्याचारी के दिल पर मुहर लगा देता है। - ([४०] अल-गाफिर: 35)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ فِرْعَوْنُ يٰهَامٰنُ ابْنِ لِيْ صَرْحًا لَّعَلِّيْٓ اَبْلُغُ الْاَسْبَابَۙ ٣٦
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- fir'ʿawnu
- فِرْعَوْنُ
- फ़िरऔन ने
- yāhāmānu
- يَٰهَٰمَٰنُ
- ऐ हामान
- ib'ni
- ٱبْنِ
- बना
- lī
- لِى
- मेरे लिए
- ṣarḥan
- صَرْحًا
- एक बुलन्द इमारत
- laʿallī
- لَّعَلِّىٓ
- ताकि मैं
- ablughu
- أَبْلُغُ
- मैं पहुँच सकूँ
- l-asbāba
- ٱلْأَسْبَٰبَ
- रास्तों पर
फ़िरऔन ने कहा, 'ऐ हामान! मेरे एक उच्च भवन बना, ताकि मैं साधनों तक पहुँच सकूँ, ([४०] अल-गाफिर: 36)Tafseer (तफ़सीर )
اَسْبَابَ السَّمٰوٰتِ فَاَطَّلِعَ اِلٰٓى اِلٰهِ مُوْسٰى وَاِنِّيْ لَاَظُنُّهٗ كَاذِبًا ۗوَكَذٰلِكَ زُيِّنَ لِفِرْعَوْنَ سُوْۤءُ عَمَلِهٖ وَصُدَّ عَنِ السَّبِيْلِ ۗوَمَا كَيْدُ فِرْعَوْنَ اِلَّا فِيْ تَبَابٍ ࣖ ٣٧
- asbāba
- أَسْبَٰبَ
- रास्तों पर
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमान के
- fa-aṭṭaliʿa
- فَأَطَّلِعَ
- फिर मैं झाँक कर देखूँ
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़ इलाह
- ilāhi
- إِلَٰهِ
- तरफ़ इलाह
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा के
- wa-innī
- وَإِنِّى
- और बेशक मैं
- la-aẓunnuhu
- لَأَظُنُّهُۥ
- अलबत्ता मैं गुमान करता हूँ उसे
- kādhiban
- كَٰذِبًاۚ
- झूठा
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- zuyyina
- زُيِّنَ
- मुज़य्यन कर दिया गया
- lifir'ʿawna
- لِفِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन के लिए
- sūu
- سُوٓءُ
- बुरा
- ʿamalihi
- عَمَلِهِۦ
- अमल उसका
- waṣudda
- وَصُدَّ
- और वो रोक दिया गया
- ʿani
- عَنِ
- रास्ते से
- l-sabīli
- ٱلسَّبِيلِۚ
- रास्ते से
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- kaydu
- كَيْدُ
- चाल
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन की
- illā
- إِلَّا
- मगर
- fī
- فِى
- हलाकत में
- tabābin
- تَبَابٍ
- हलाकत में
आकाशों को साधनों (और क्षत्रों) तक। फिर मूसा के पूज्य को झाँककर देखूँ। मैं तो उसे झूठा ही समझता हूँ।' इस प्रकार फ़िरऔन को लिए उसका दुष्कर्म सुहाना बना दिया गया और उसे मार्ग से रोक दिया गया। फ़िरऔन की चाल तो बस तबाही के सिलसिले में रही ([४०] अल-गाफिर: 37)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ الَّذِيْٓ اٰمَنَ يٰقَوْمِ اتَّبِعُوْنِ اَهْدِكُمْ سَبِيْلَ الرَّشَادِۚ ٣٨
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- उसने जो
- āmana
- ءَامَنَ
- ईमान लाया
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- ittabiʿūni
- ٱتَّبِعُونِ
- पैरवी करो मेरी
- ahdikum
- أَهْدِكُمْ
- मैं दिखाऊँगा तुम्हें
- sabīla
- سَبِيلَ
- रास्ता
- l-rashādi
- ٱلرَّشَادِ
- भलाई का
उस व्यक्ति ने, जो ईमान लाया था, कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मेरा अनुसरण करो, मैं तुम्हे भलाई का ठीक रास्ता दिखाऊँगा ([४०] अल-गाफिर: 38)Tafseer (तफ़सीर )
يٰقَوْمِ اِنَّمَا هٰذِهِ الْحَيٰوةُ الدُّنْيَا مَتَاعٌ ۖوَّاِنَّ الْاٰخِرَةَ هِيَ دَارُ الْقَرَارِ ٣٩
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- hādhihi
- هَٰذِهِ
- ये
- l-ḥayatu
- ٱلْحَيَوٰةُ
- ज़िन्दगी
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की
- matāʿun
- مَتَٰعٌ
- थोड़ा फ़ायदा है
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- l-ākhirata
- ٱلْءَاخِرَةَ
- आख़िरत
- hiya
- هِىَ
- वो ही
- dāru
- دَارُ
- घर है
- l-qarāri
- ٱلْقَرَارِ
- क़रार का
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! यह सांसारिक जीवन तो बस अस्थायी उपभोग है। निश्चय ही स्थायी रूप से ठहरनेका घर तो आख़िरत ही है ([४०] अल-गाफिर: 39)Tafseer (तफ़सीर )
مَنْ عَمِلَ سَيِّئَةً فَلَا يُجْزٰىٓ اِلَّا مِثْلَهَاۚ وَمَنْ عَمِلَ صَالِحًا مِّنْ ذَكَرٍ اَوْ اُنْثٰى وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَاُولٰۤىِٕكَ يَدْخُلُوْنَ الْجَنَّةَ يُرْزَقُوْنَ فِيْهَا بِغَيْرِ حِسَابٍ ٤٠
- man
- مَنْ
- जिस ने
- ʿamila
- عَمِلَ
- अमल किया
- sayyi-atan
- سَيِّئَةً
- बुरा
- falā
- فَلَا
- तो ना
- yuj'zā
- يُجْزَىٰٓ
- वो बदला दिया जाएगा
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mith'lahā
- مِثْلَهَاۖ
- मानिन्द उसी के
- waman
- وَمَنْ
- और जिसने
- ʿamila
- عَمِلَ
- अमल किया
- ṣāliḥan
- صَٰلِحًا
- नेक
- min
- مِّن
- कोई मर्द हो
- dhakarin
- ذَكَرٍ
- कोई मर्द हो
- aw
- أَوْ
- या
- unthā
- أُنثَىٰ
- औरत
- wahuwa
- وَهُوَ
- जब कि वो
- mu'minun
- مُؤْمِنٌ
- मोमिन हो
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- तो यही लोग हैं
- yadkhulūna
- يَدْخُلُونَ
- जो दाख़िल होंगे
- l-janata
- ٱلْجَنَّةَ
- जन्नत में
- yur'zaqūna
- يُرْزَقُونَ
- वो रिज़्क़ दिए जाऐंगे
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- bighayri
- بِغَيْرِ
- बग़ैर
- ḥisābin
- حِسَابٍ
- हिसाब के
जिस किसी ने बुराई की तो उसे वैसा ही बदला मिलेगा, किन्तु जिस किसी ने अच्छा कर्म किया, चाहे वह पुरुष हो या स्त्री, किन्तु हो वह मोमिन, तो ऐसे लोग जन्नत में प्रवेश करेंगे। वहाँ उन्हें बेहिसाब दिया जाएगा ([४०] अल-गाफिर: 40)Tafseer (तफ़सीर )