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सूरा अल-गाफिर - Page: 3

Ghafir

(क्षमाशील)

२१

۞ اَوَلَمْ يَسِيْرُوْا فِى الْاَرْضِ فَيَنْظُرُوْا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِيْنَ كَانُوْا مِنْ قَبْلِهِمْ ۗ كَانُوْا هُمْ اَشَدَّ مِنْهُمْ قُوَّةً وَّاٰثَارًا فِى الْاَرْضِ فَاَخَذَهُمُ اللّٰهُ بِذُنُوْبِهِمْ ۗوَمَا كَانَ لَهُمْ مِّنَ اللّٰهِ مِنْ وَّاقٍ ٢١

awalam
أَوَلَمْ
क्या भला नहीं
yasīrū
يَسِيرُوا۟
वो चले फिरे
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
fayanẓurū
فَيَنظُرُوا۟
तो वो देखते
kayfa
كَيْفَ
किस तरह
kāna
كَانَ
हुआ
ʿāqibatu
عَٰقِبَةُ
अंजाम
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनका जो
kānū
كَانُوا۟
थे
min
مِن
उनसे पहले
qablihim
قَبْلِهِمْۚ
उनसे पहले
kānū
كَانُوا۟
थे वो
hum
هُمْ
वो
ashadda
أَشَدَّ
ज़्यादा शदीद
min'hum
مِنْهُمْ
उनसे
quwwatan
قُوَّةً
क़ुव्वत में
waāthāran
وَءَاثَارًا
और आसार में
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
fa-akhadhahumu
فَأَخَذَهُمُ
पस पकड़ लिया उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
bidhunūbihim
بِذُنُوبِهِمْ
बवजह उनके गुनाहों के
wamā
وَمَا
और ना
kāna
كَانَ
था
lahum
لَهُم
उनके लिए
mina
مِّنَ
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
min
مِن
कोई बचाने वाला
wāqin
وَاقٍ
कोई बचाने वाला
क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ, जो उनसे पहले गुज़र चुके है? वे शक्ति और धरती में अपने चिन्हों की दृष्टि से उनसे कहीं बढ़-चढ़कर थे, फिर उनके गुनाहों के कारण अल्लाह ने उन्हें पकड़ लिया। और अल्लाह से उन्हें बचानेवाला कोई न हुआ ([४०] अल-गाफिर: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَانَتْ تَّأْتِيْهِمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَيِّنٰتِ فَكَفَرُوْا فَاَخَذَهُمُ اللّٰهُ ۗاِنَّهٗ قَوِيٌّ شَدِيْدُ الْعِقَابِ ٢٢

dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bi-annahum
بِأَنَّهُمْ
बवजह उसके कि वो
kānat
كَانَت
थे
tatīhim
تَّأْتِيهِمْ
आते उनके पास
rusuluhum
رُسُلُهُم
रसूल उनके
bil-bayināti
بِٱلْبَيِّنَٰتِ
साथ वाज़ेह दलाइल के
fakafarū
فَكَفَرُوا۟
तो उन्होंने इन्कार किया
fa-akhadhahumu
فَأَخَذَهُمُ
फिर पकड़ लिया उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह ने
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
qawiyyun
قَوِىٌّ
बहुत क़ुव्वत वाला है
shadīdu
شَدِيدُ
सख़्त
l-ʿiqābi
ٱلْعِقَابِ
सज़ा वाला है
वह (बुरा परिणाम) तो इसलिए सामने आया कि उनके पास उनके रसूल स्पष्ट प्रमाण लेकर आते रहे, किन्तु उन्होंने इनकार किया। अन्ततः अल्लाह ने उन्हें पकड़ लिया। निश्चय ही वह बड़ी शक्तिवाला, सज़ा देने में अत्याधिक कठोर है ([४०] अल-गाफिर: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مُوسٰى بِاٰيٰتِنَا وَسُلْطٰنٍ مُّبِيْنٍۙ ٢٣

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
arsalnā
أَرْسَلْنَا
भेजा हमने
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा को
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَا
साथ अपनी निशानियों के
wasul'ṭānin
وَسُلْطَٰنٍ
और दलील
mubīnin
مُّبِينٍ
वाज़ेह के
और हमने मूसा को भी अपनी निशानियों और स्पष्ट प्रमाण के साथ ([४०] अल-गाफिर: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

اِلٰى فِرْعَوْنَ وَهَامٰنَ وَقَارُوْنَ فَقَالُوْا سٰحِرٌ كَذَّابٌ ٢٤

ilā
إِلَىٰ
तरफ़ फ़िरऔन
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَ
तरफ़ फ़िरऔन
wahāmāna
وَهَٰمَٰنَ
और हामान
waqārūna
وَقَٰرُونَ
और क़ारून के
faqālū
فَقَالُوا۟
तो उन्होंने कहा
sāḥirun
سَٰحِرٌ
जादूगर है
kadhābun
كَذَّابٌ
बहुत झूठा
फ़िरऔन औऱ हामान और क़ारून की ओर भेजा था, किन्तु उन्होंने कहा, 'यह तो जादूगर है, बड़ा झूठा!' ([४०] अल-गाफिर: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

فَلَمَّا جَاۤءَهُمْ بِالْحَقِّ مِنْ عِنْدِنَا قَالُوا اقْتُلُوْٓا اَبْنَاۤءَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مَعَهٗ وَاسْتَحْيُوْا نِسَاۤءَهُمْ ۗوَمَا كَيْدُ الْكٰفِرِيْنَ اِلَّا فِيْ ضَلٰلٍ ٢٥

falammā
فَلَمَّا
तो जब
jāahum
جَآءَهُم
वो लाया उनके पास
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّ
हक़
min
مِنْ
हमारे पास से
ʿindinā
عِندِنَا
हमारे पास से
qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
uq'tulū
ٱقْتُلُوٓا۟
क़त्ल कर दो
abnāa
أَبْنَآءَ
बेटों को
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
maʿahu
مَعَهُۥ
साथ उसके
wa-is'taḥyū
وَٱسْتَحْيُوا۟
और ज़िन्दा रहने दो
nisāahum
نِسَآءَهُمْۚ
उनकी औरतों को
wamā
وَمَا
और नहीं
kaydu
كَيْدُ
चाल
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों की
illā
إِلَّا
मगर
فِى
गुमराही में
ḍalālin
ضَلَٰلٍ
गुमराही में
फिर जब वह उनके सामने हमारे पास से सत्य लेकर आया तो उन्होंने कहा, 'जो लोग ईमान लेकर उसके साथ है, उनके बेटों को मार डालो औऱ उनकी स्त्रियों को जीवित छोड़ दो।' किन्तु इनकार करनेवालों की चाल तो भटकने ही के लिए होती है ([४०] अल-गाफिर: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

وَقَالَ فِرْعَوْنُ ذَرُوْنِيْٓ اَقْتُلْ مُوْسٰى وَلْيَدْعُ رَبَّهٗ ۚاِنِّيْٓ اَخَافُ اَنْ يُّبَدِّلَ دِيْنَكُمْ اَوْ اَنْ يُّظْهِرَ فِى الْاَرْضِ الْفَسَادَ ٢٦

waqāla
وَقَالَ
और कहा
fir'ʿawnu
فِرْعَوْنُ
फ़िरऔन ने
dharūnī
ذَرُونِىٓ
छोड़ दो मुझे
aqtul
أَقْتُلْ
मैं क़त्ल करूँ
mūsā
مُوسَىٰ
मूसा को
walyadʿu
وَلْيَدْعُ
और चाहिए कि वो पुकारे
rabbahu
رَبَّهُۥٓۖ
अपने रब को
innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
akhāfu
أَخَافُ
मैं डरता हूँ
an
أَن
कि
yubaddila
يُبَدِّلَ
वो बदल देगा
dīnakum
دِينَكُمْ
तुम्हारे दीन को
aw
أَوْ
या
an
أَن
ये कि
yuẓ'hira
يُظْهِرَ
वो फैला देगा
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
l-fasāda
ٱلْفَسَادَ
फ़साद
फ़िरऔन ने कहा, 'मुझे छोड़ो, मैं मूसा को मार डालूँ और उसे चाहिए कि वह अपने रब को (अपनी सहायता के लिए) पुकारे। मुझे डर है कि ऐसा न हो कि वह तुम्हारे धर्म को बदल डाले या यह कि वह देश में बिगाड़ पैदा करे।' ([४०] अल-गाफिर: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

وَقَالَ مُوْسٰىٓ اِنِّيْ عُذْتُ بِرَبِّيْ وَرَبِّكُمْ مِّنْ كُلِّ مُتَكَبِّرٍ لَّا يُؤْمِنُ بِيَوْمِ الْحِسَابِ ࣖ ٢٧

waqāla
وَقَالَ
और कहा
mūsā
مُوسَىٰٓ
मूसा ने
innī
إِنِّى
बेशक मैं
ʿudh'tu
عُذْتُ
पनाह ली मैंने
birabbī
بِرَبِّى
अपने रब की
warabbikum
وَرَبِّكُم
और तुम्हारे रब की
min
مِّن
हर तकब्बुर करने वाले से
kulli
كُلِّ
हर तकब्बुर करने वाले से
mutakabbirin
مُتَكَبِّرٍ
हर तकब्बुर करने वाले से
لَّا
जो नहीं ईमान रखता
yu'minu
يُؤْمِنُ
जो नहीं ईमान रखता
biyawmi
بِيَوْمِ
दिन पर
l-ḥisābi
ٱلْحِسَابِ
हिसाब के
मूसा ने कहा, 'मैंने हर अहंकारी के मुक़ाबले में, जो हिसाब के दिन पर ईमान नहीं रखता, अपने रब और तुम्हारे रब की शरण ले ली है।' ([४०] अल-गाफिर: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

وَقَالَ رَجُلٌ مُّؤْمِنٌۖ مِّنْ اٰلِ فِرْعَوْنَ يَكْتُمُ اِيْمَانَهٗٓ اَتَقْتُلُوْنَ رَجُلًا اَنْ يَّقُوْلَ رَبِّيَ اللّٰهُ وَقَدْ جَاۤءَكُمْ بِالْبَيِّنٰتِ مِنْ رَّبِّكُمْ ۗوَاِنْ يَّكُ كَاذِبًا فَعَلَيْهِ كَذِبُهٗ ۚوَاِنْ يَّكُ صَادِقًا يُّصِبْكُمْ بَعْضُ الَّذِيْ يَعِدُكُمْ ۗاِنَّ اللّٰهَ لَا يَهْدِيْ مَنْ هُوَ مُسْرِفٌ كَذَّابٌ ٢٨

waqāla
وَقَالَ
और कहा
rajulun
رَجُلٌ
एक मर्द
mu'minun
مُّؤْمِنٌ
मोमिन ने
min
مِّنْ
आले फ़िरऔन में से
āli
ءَالِ
आले फ़िरऔन में से
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَ
आले फ़िरऔन में से
yaktumu
يَكْتُمُ
जो छुपाता था
īmānahu
إِيمَٰنَهُۥٓ
ईमान अपना
ataqtulūna
أَتَقْتُلُونَ
क्या तुम क़त्ल कर दोगे
rajulan
رَجُلًا
एक आदमी को
an
أَن
कि
yaqūla
يَقُولَ
वो कहता है
rabbiya
رَبِّىَ
मेरा रब
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह है
waqad
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
jāakum
جَآءَكُم
वो लाया है तुम्हारे पास
bil-bayināti
بِٱلْبَيِّنَٰتِ
वाज़ेह दलाइल
min
مِن
तुम्हारे रब की तरफ़ से
rabbikum
رَّبِّكُمْۖ
तुम्हारे रब की तरफ़ से
wa-in
وَإِن
और अगर
yaku
يَكُ
है वो
kādhiban
كَٰذِبًا
झूठा
faʿalayhi
فَعَلَيْهِ
तो उसी पर है
kadhibuhu
كَذِبُهُۥۖ
झूठ उसका
wa-in
وَإِن
और अगर
yaku
يَكُ
है वो
ṣādiqan
صَادِقًا
सच्चा
yuṣib'kum
يُصِبْكُم
पहुँचेगा तुम्हें
baʿḍu
بَعْضُ
बाज
alladhī
ٱلَّذِى
वो जिसका
yaʿidukum
يَعِدُكُمْۖ
वो वादा करता है तुम से
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं वो हिदायत देता
yahdī
يَهْدِى
नहीं वो हिदायत देता
man
مَنْ
उसे जो हो
huwa
هُوَ
वो
mus'rifun
مُسْرِفٌ
हद से गुज़रने वाला
kadhābun
كَذَّابٌ
सख़्त झूठा
फ़िरऔन के लोगों में से एक ईमानवाले व्यक्ति ने, जो अपने ईमान को छिपा रहा था, कहा, 'क्या तुम एक ऐसे व्यक्ति को इसलिए मार डालोगे कि वह कहता है कि मेरा रब अल्लाह है और वह तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से खुले प्रमाण भी लेकर आया है? यदि वह झूठा है तो उसके झूठ का वबाल उसी पर पड़ेगा। किन्तु यदि वह सच्चा है तो जिस चीज़ की वह तुम्हें धमकी दे रहा है, उसमें से कुछ न कुछ तो तुमपर पड़कर रहेगा। निश्चय ही अल्लाह उसको मार्ग नहीं दिखाता जो मर्यादाहीन, बड़ा झूठा हो ([४०] अल-गाफिर: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

يٰقَوْمِ لَكُمُ الْمُلْكُ الْيَوْمَ ظَاهِرِيْنَ فِى الْاَرْضِۖ فَمَنْ يَّنْصُرُنَا مِنْۢ بَأْسِ اللّٰهِ اِنْ جَاۤءَنَا ۗقَالَ فِرْعَوْنُ مَآ اُرِيْكُمْ اِلَّا مَآ اَرٰى وَمَآ اَهْدِيْكُمْ اِلَّا سَبِيْلَ الرَّشَادِ ٢٩

yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
lakumu
لَكُمُ
तुम्हारे लिए है
l-mul'ku
ٱلْمُلْكُ
बादशाहत
l-yawma
ٱلْيَوْمَ
आज
ẓāhirīna
ظَٰهِرِينَ
कि ग़ालिब हो
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
faman
فَمَن
फिर कौन
yanṣurunā
يَنصُرُنَا
मदद करेगा हमारी
min
مِنۢ
अज़ाब से
basi
بَأْسِ
अज़ाब से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
in
إِن
अगर
jāanā
جَآءَنَاۚ
वो आ गया हमारे पास
qāla
قَالَ
कहा
fir'ʿawnu
فِرْعَوْنُ
फ़िरऔन ने
مَآ
नहीं
urīkum
أُرِيكُمْ
मैं दिखाता तुम्हें
illā
إِلَّا
मगर
مَآ
जो
arā
أَرَىٰ
मैं देखता हूँ
wamā
وَمَآ
और नहीं
ahdīkum
أَهْدِيكُمْ
मैं दिखाता तुम्हें
illā
إِلَّا
मगर
sabīla
سَبِيلَ
रास्ता
l-rashādi
ٱلرَّشَادِ
भलाई का
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! आज तुम्हारी बादशाही है। धरती में प्रभावी हो। किन्तु अल्लाह की यातना के मुक़ाबले में कौन हमारी सहायता करेगा, यदि वह हम पर आ जाए?' फ़िरऔन ने कहा, 'मैं तो तुम्हें बस वही दिखा रहा हूँ जो मैं स्वयं देख रहा हूँ और मैं तुम्हें बस ठीक रास्ता दिखा रहा हूँ, जो बुद्धिसंगत भी है।' ([४०] अल-गाफिर: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

وَقَالَ الَّذِيْٓ اٰمَنَ يٰقَوْمِ اِنِّيْٓ اَخَافُ عَلَيْكُمْ مِّثْلَ يَوْمِ الْاَحْزَابِۙ ٣٠

waqāla
وَقَالَ
और कहा उसने
alladhī
ٱلَّذِىٓ
जो
āmana
ءَامَنَ
ईमान लाया
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
akhāfu
أَخَافُ
मैं डरता हूँ
ʿalaykum
عَلَيْكُم
तुम पर
mith'la
مِّثْلَ
मानिन्द
yawmi
يَوْمِ
दिन के
l-aḥzābi
ٱلْأَحْزَابِ
(गुज़िश्ता) गिरोहों के
उस व्यक्ति ने, जो ईमान ला चुका था, कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मुझे भय है कि तुमपर (विनाश का) ऐसा दिन न आ पड़े, जैसा दूसरे विगत समुदायों पर आ पड़ा था। ([४०] अल-गाफिर: 30)
Tafseer (तफ़सीर )