۞ اَوَلَمْ يَسِيْرُوْا فِى الْاَرْضِ فَيَنْظُرُوْا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِيْنَ كَانُوْا مِنْ قَبْلِهِمْ ۗ كَانُوْا هُمْ اَشَدَّ مِنْهُمْ قُوَّةً وَّاٰثَارًا فِى الْاَرْضِ فَاَخَذَهُمُ اللّٰهُ بِذُنُوْبِهِمْ ۗوَمَا كَانَ لَهُمْ مِّنَ اللّٰهِ مِنْ وَّاقٍ ٢١
- awalam
- أَوَلَمْ
- क्या भला नहीं
- yasīrū
- يَسِيرُوا۟
- वो चले फिरे
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- fayanẓurū
- فَيَنظُرُوا۟
- तो वो देखते
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- kāna
- كَانَ
- हुआ
- ʿāqibatu
- عَٰقِبَةُ
- अंजाम
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनका जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे
- min
- مِن
- उनसे पहले
- qablihim
- قَبْلِهِمْۚ
- उनसे पहले
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- hum
- هُمْ
- वो
- ashadda
- أَشَدَّ
- ज़्यादा शदीद
- min'hum
- مِنْهُمْ
- उनसे
- quwwatan
- قُوَّةً
- क़ुव्वत में
- waāthāran
- وَءَاثَارًا
- और आसार में
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- fa-akhadhahumu
- فَأَخَذَهُمُ
- पस पकड़ लिया उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- bidhunūbihim
- بِذُنُوبِهِمْ
- बवजह उनके गुनाहों के
- wamā
- وَمَا
- और ना
- kāna
- كَانَ
- था
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह से
- min
- مِن
- कोई बचाने वाला
- wāqin
- وَاقٍ
- कोई बचाने वाला
क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ, जो उनसे पहले गुज़र चुके है? वे शक्ति और धरती में अपने चिन्हों की दृष्टि से उनसे कहीं बढ़-चढ़कर थे, फिर उनके गुनाहों के कारण अल्लाह ने उन्हें पकड़ लिया। और अल्लाह से उन्हें बचानेवाला कोई न हुआ ([४०] अल-गाफिर: 21)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَانَتْ تَّأْتِيْهِمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَيِّنٰتِ فَكَفَرُوْا فَاَخَذَهُمُ اللّٰهُ ۗاِنَّهٗ قَوِيٌّ شَدِيْدُ الْعِقَابِ ٢٢
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bi-annahum
- بِأَنَّهُمْ
- बवजह उसके कि वो
- kānat
- كَانَت
- थे
- tatīhim
- تَّأْتِيهِمْ
- आते उनके पास
- rusuluhum
- رُسُلُهُم
- रसूल उनके
- bil-bayināti
- بِٱلْبَيِّنَٰتِ
- साथ वाज़ेह दलाइल के
- fakafarū
- فَكَفَرُوا۟
- तो उन्होंने इन्कार किया
- fa-akhadhahumu
- فَأَخَذَهُمُ
- फिर पकड़ लिया उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह ने
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- qawiyyun
- قَوِىٌّ
- बहुत क़ुव्वत वाला है
- shadīdu
- شَدِيدُ
- सख़्त
- l-ʿiqābi
- ٱلْعِقَابِ
- सज़ा वाला है
वह (बुरा परिणाम) तो इसलिए सामने आया कि उनके पास उनके रसूल स्पष्ट प्रमाण लेकर आते रहे, किन्तु उन्होंने इनकार किया। अन्ततः अल्लाह ने उन्हें पकड़ लिया। निश्चय ही वह बड़ी शक्तिवाला, सज़ा देने में अत्याधिक कठोर है ([४०] अल-गाफिर: 22)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مُوسٰى بِاٰيٰتِنَا وَسُلْطٰنٍ مُّبِيْنٍۙ ٢٣
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- arsalnā
- أَرْسَلْنَا
- भेजा हमने
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा को
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَا
- साथ अपनी निशानियों के
- wasul'ṭānin
- وَسُلْطَٰنٍ
- और दलील
- mubīnin
- مُّبِينٍ
- वाज़ेह के
और हमने मूसा को भी अपनी निशानियों और स्पष्ट प्रमाण के साथ ([४०] अल-गाफिर: 23)Tafseer (तफ़सीर )
اِلٰى فِرْعَوْنَ وَهَامٰنَ وَقَارُوْنَ فَقَالُوْا سٰحِرٌ كَذَّابٌ ٢٤
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ फ़िरऔन
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- तरफ़ फ़िरऔन
- wahāmāna
- وَهَٰمَٰنَ
- और हामान
- waqārūna
- وَقَٰرُونَ
- और क़ारून के
- faqālū
- فَقَالُوا۟
- तो उन्होंने कहा
- sāḥirun
- سَٰحِرٌ
- जादूगर है
- kadhābun
- كَذَّابٌ
- बहुत झूठा
फ़िरऔन औऱ हामान और क़ारून की ओर भेजा था, किन्तु उन्होंने कहा, 'यह तो जादूगर है, बड़ा झूठा!' ([४०] अल-गाफिर: 24)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَمَّا جَاۤءَهُمْ بِالْحَقِّ مِنْ عِنْدِنَا قَالُوا اقْتُلُوْٓا اَبْنَاۤءَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مَعَهٗ وَاسْتَحْيُوْا نِسَاۤءَهُمْ ۗوَمَا كَيْدُ الْكٰفِرِيْنَ اِلَّا فِيْ ضَلٰلٍ ٢٥
- falammā
- فَلَمَّا
- तो जब
- jāahum
- جَآءَهُم
- वो लाया उनके पास
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّ
- हक़
- min
- مِنْ
- हमारे पास से
- ʿindinā
- عِندِنَا
- हमारे पास से
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- uq'tulū
- ٱقْتُلُوٓا۟
- क़त्ल कर दो
- abnāa
- أَبْنَآءَ
- बेटों को
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- maʿahu
- مَعَهُۥ
- साथ उसके
- wa-is'taḥyū
- وَٱسْتَحْيُوا۟
- और ज़िन्दा रहने दो
- nisāahum
- نِسَآءَهُمْۚ
- उनकी औरतों को
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- kaydu
- كَيْدُ
- चाल
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों की
- illā
- إِلَّا
- मगर
- fī
- فِى
- गुमराही में
- ḍalālin
- ضَلَٰلٍ
- गुमराही में
फिर जब वह उनके सामने हमारे पास से सत्य लेकर आया तो उन्होंने कहा, 'जो लोग ईमान लेकर उसके साथ है, उनके बेटों को मार डालो औऱ उनकी स्त्रियों को जीवित छोड़ दो।' किन्तु इनकार करनेवालों की चाल तो भटकने ही के लिए होती है ([४०] अल-गाफिर: 25)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ فِرْعَوْنُ ذَرُوْنِيْٓ اَقْتُلْ مُوْسٰى وَلْيَدْعُ رَبَّهٗ ۚاِنِّيْٓ اَخَافُ اَنْ يُّبَدِّلَ دِيْنَكُمْ اَوْ اَنْ يُّظْهِرَ فِى الْاَرْضِ الْفَسَادَ ٢٦
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- fir'ʿawnu
- فِرْعَوْنُ
- फ़िरऔन ने
- dharūnī
- ذَرُونِىٓ
- छोड़ दो मुझे
- aqtul
- أَقْتُلْ
- मैं क़त्ल करूँ
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा को
- walyadʿu
- وَلْيَدْعُ
- और चाहिए कि वो पुकारे
- rabbahu
- رَبَّهُۥٓۖ
- अपने रब को
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- akhāfu
- أَخَافُ
- मैं डरता हूँ
- an
- أَن
- कि
- yubaddila
- يُبَدِّلَ
- वो बदल देगा
- dīnakum
- دِينَكُمْ
- तुम्हारे दीन को
- aw
- أَوْ
- या
- an
- أَن
- ये कि
- yuẓ'hira
- يُظْهِرَ
- वो फैला देगा
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- l-fasāda
- ٱلْفَسَادَ
- फ़साद
फ़िरऔन ने कहा, 'मुझे छोड़ो, मैं मूसा को मार डालूँ और उसे चाहिए कि वह अपने रब को (अपनी सहायता के लिए) पुकारे। मुझे डर है कि ऐसा न हो कि वह तुम्हारे धर्म को बदल डाले या यह कि वह देश में बिगाड़ पैदा करे।' ([४०] अल-गाफिर: 26)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ مُوْسٰىٓ اِنِّيْ عُذْتُ بِرَبِّيْ وَرَبِّكُمْ مِّنْ كُلِّ مُتَكَبِّرٍ لَّا يُؤْمِنُ بِيَوْمِ الْحِسَابِ ࣖ ٢٧
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- mūsā
- مُوسَىٰٓ
- मूसा ने
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- ʿudh'tu
- عُذْتُ
- पनाह ली मैंने
- birabbī
- بِرَبِّى
- अपने रब की
- warabbikum
- وَرَبِّكُم
- और तुम्हारे रब की
- min
- مِّن
- हर तकब्बुर करने वाले से
- kulli
- كُلِّ
- हर तकब्बुर करने वाले से
- mutakabbirin
- مُتَكَبِّرٍ
- हर तकब्बुर करने वाले से
- lā
- لَّا
- जो नहीं ईमान रखता
- yu'minu
- يُؤْمِنُ
- जो नहीं ईमान रखता
- biyawmi
- بِيَوْمِ
- दिन पर
- l-ḥisābi
- ٱلْحِسَابِ
- हिसाब के
मूसा ने कहा, 'मैंने हर अहंकारी के मुक़ाबले में, जो हिसाब के दिन पर ईमान नहीं रखता, अपने रब और तुम्हारे रब की शरण ले ली है।' ([४०] अल-गाफिर: 27)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ رَجُلٌ مُّؤْمِنٌۖ مِّنْ اٰلِ فِرْعَوْنَ يَكْتُمُ اِيْمَانَهٗٓ اَتَقْتُلُوْنَ رَجُلًا اَنْ يَّقُوْلَ رَبِّيَ اللّٰهُ وَقَدْ جَاۤءَكُمْ بِالْبَيِّنٰتِ مِنْ رَّبِّكُمْ ۗوَاِنْ يَّكُ كَاذِبًا فَعَلَيْهِ كَذِبُهٗ ۚوَاِنْ يَّكُ صَادِقًا يُّصِبْكُمْ بَعْضُ الَّذِيْ يَعِدُكُمْ ۗاِنَّ اللّٰهَ لَا يَهْدِيْ مَنْ هُوَ مُسْرِفٌ كَذَّابٌ ٢٨
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- rajulun
- رَجُلٌ
- एक मर्द
- mu'minun
- مُّؤْمِنٌ
- मोमिन ने
- min
- مِّنْ
- आले फ़िरऔन में से
- āli
- ءَالِ
- आले फ़िरऔन में से
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- आले फ़िरऔन में से
- yaktumu
- يَكْتُمُ
- जो छुपाता था
- īmānahu
- إِيمَٰنَهُۥٓ
- ईमान अपना
- ataqtulūna
- أَتَقْتُلُونَ
- क्या तुम क़त्ल कर दोगे
- rajulan
- رَجُلًا
- एक आदमी को
- an
- أَن
- कि
- yaqūla
- يَقُولَ
- वो कहता है
- rabbiya
- رَبِّىَ
- मेरा रब
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह है
- waqad
- وَقَدْ
- हालाँकि तहक़ीक़
- jāakum
- جَآءَكُم
- वो लाया है तुम्हारे पास
- bil-bayināti
- بِٱلْبَيِّنَٰتِ
- वाज़ेह दलाइल
- min
- مِن
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- rabbikum
- رَّبِّكُمْۖ
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yaku
- يَكُ
- है वो
- kādhiban
- كَٰذِبًا
- झूठा
- faʿalayhi
- فَعَلَيْهِ
- तो उसी पर है
- kadhibuhu
- كَذِبُهُۥۖ
- झूठ उसका
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yaku
- يَكُ
- है वो
- ṣādiqan
- صَادِقًا
- सच्चा
- yuṣib'kum
- يُصِبْكُم
- पहुँचेगा तुम्हें
- baʿḍu
- بَعْضُ
- बाज
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जिसका
- yaʿidukum
- يَعِدُكُمْۖ
- वो वादा करता है तुम से
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो हिदायत देता
- yahdī
- يَهْدِى
- नहीं वो हिदायत देता
- man
- مَنْ
- उसे जो हो
- huwa
- هُوَ
- वो
- mus'rifun
- مُسْرِفٌ
- हद से गुज़रने वाला
- kadhābun
- كَذَّابٌ
- सख़्त झूठा
फ़िरऔन के लोगों में से एक ईमानवाले व्यक्ति ने, जो अपने ईमान को छिपा रहा था, कहा, 'क्या तुम एक ऐसे व्यक्ति को इसलिए मार डालोगे कि वह कहता है कि मेरा रब अल्लाह है और वह तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से खुले प्रमाण भी लेकर आया है? यदि वह झूठा है तो उसके झूठ का वबाल उसी पर पड़ेगा। किन्तु यदि वह सच्चा है तो जिस चीज़ की वह तुम्हें धमकी दे रहा है, उसमें से कुछ न कुछ तो तुमपर पड़कर रहेगा। निश्चय ही अल्लाह उसको मार्ग नहीं दिखाता जो मर्यादाहीन, बड़ा झूठा हो ([४०] अल-गाफिर: 28)Tafseer (तफ़सीर )
يٰقَوْمِ لَكُمُ الْمُلْكُ الْيَوْمَ ظَاهِرِيْنَ فِى الْاَرْضِۖ فَمَنْ يَّنْصُرُنَا مِنْۢ بَأْسِ اللّٰهِ اِنْ جَاۤءَنَا ۗقَالَ فِرْعَوْنُ مَآ اُرِيْكُمْ اِلَّا مَآ اَرٰى وَمَآ اَهْدِيْكُمْ اِلَّا سَبِيْلَ الرَّشَادِ ٢٩
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- lakumu
- لَكُمُ
- तुम्हारे लिए है
- l-mul'ku
- ٱلْمُلْكُ
- बादशाहत
- l-yawma
- ٱلْيَوْمَ
- आज
- ẓāhirīna
- ظَٰهِرِينَ
- कि ग़ालिब हो
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- faman
- فَمَن
- फिर कौन
- yanṣurunā
- يَنصُرُنَا
- मदद करेगा हमारी
- min
- مِنۢ
- अज़ाब से
- basi
- بَأْسِ
- अज़ाब से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- in
- إِن
- अगर
- jāanā
- جَآءَنَاۚ
- वो आ गया हमारे पास
- qāla
- قَالَ
- कहा
- fir'ʿawnu
- فِرْعَوْنُ
- फ़िरऔन ने
- mā
- مَآ
- नहीं
- urīkum
- أُرِيكُمْ
- मैं दिखाता तुम्हें
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mā
- مَآ
- जो
- arā
- أَرَىٰ
- मैं देखता हूँ
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- ahdīkum
- أَهْدِيكُمْ
- मैं दिखाता तुम्हें
- illā
- إِلَّا
- मगर
- sabīla
- سَبِيلَ
- रास्ता
- l-rashādi
- ٱلرَّشَادِ
- भलाई का
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! आज तुम्हारी बादशाही है। धरती में प्रभावी हो। किन्तु अल्लाह की यातना के मुक़ाबले में कौन हमारी सहायता करेगा, यदि वह हम पर आ जाए?' फ़िरऔन ने कहा, 'मैं तो तुम्हें बस वही दिखा रहा हूँ जो मैं स्वयं देख रहा हूँ और मैं तुम्हें बस ठीक रास्ता दिखा रहा हूँ, जो बुद्धिसंगत भी है।' ([४०] अल-गाफिर: 29)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَ الَّذِيْٓ اٰمَنَ يٰقَوْمِ اِنِّيْٓ اَخَافُ عَلَيْكُمْ مِّثْلَ يَوْمِ الْاَحْزَابِۙ ٣٠
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा उसने
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- जो
- āmana
- ءَامَنَ
- ईमान लाया
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- innī
- إِنِّىٓ
- बेशक मैं
- akhāfu
- أَخَافُ
- मैं डरता हूँ
- ʿalaykum
- عَلَيْكُم
- तुम पर
- mith'la
- مِّثْلَ
- मानिन्द
- yawmi
- يَوْمِ
- दिन के
- l-aḥzābi
- ٱلْأَحْزَابِ
- (गुज़िश्ता) गिरोहों के
उस व्यक्ति ने, जो ईमान ला चुका था, कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मुझे भय है कि तुमपर (विनाश का) ऐसा दिन न आ पड़े, जैसा दूसरे विगत समुदायों पर आ पड़ा था। ([४०] अल-गाफिर: 30)Tafseer (तफ़सीर )