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सूरा अल-गाफिर - Page: 2

Ghafir

(क्षमाशील)

११

قَالُوْا رَبَّنَآ اَمَتَّنَا اثْنَتَيْنِ وَاَحْيَيْتَنَا اثْنَتَيْنِ فَاعْتَرَفْنَا بِذُنُوْبِنَا فَهَلْ اِلٰى خُرُوْجٍ مِّنْ سَبِيْلٍ ١١

qālū
قَالُوا۟
वो कहेंगे
rabbanā
رَبَّنَآ
ऐ हमारे रब
amattanā
أَمَتَّنَا
मौत दी तू ने हमें
ith'natayni
ٱثْنَتَيْنِ
दो बार
wa-aḥyaytanā
وَأَحْيَيْتَنَا
और ज़िन्दगी बख़्शी तू ने हमें
ith'natayni
ٱثْنَتَيْنِ
दो बार
fa-iʿ'tarafnā
فَٱعْتَرَفْنَا
तो एतराफ़ कर लिया हमने
bidhunūbinā
بِذُنُوبِنَا
अपने गुनाहों का
fahal
فَهَلْ
तो क्या है
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ निकलने के
khurūjin
خُرُوجٍ
तरफ़ निकलने के
min
مِّن
कोई रास्ता
sabīlin
سَبِيلٍ
कोई रास्ता
वे कहेंगे, 'ऐ हमारे रब! तूने हमें दो बार मृत रखा और दो बार जीवन प्रदान किया। अब हमने अपने गुनाहों को स्वीकार किया, तो क्या अब (यहाँ से) निकलने का भी कोई मार्ग है?' ([४०] अल-गाफिर: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

ذٰلِكُمْ بِاَنَّهٗٓ اِذَا دُعِيَ اللّٰهُ وَحْدَهٗ كَفَرْتُمْۚ وَاِنْ يُّشْرَكْ بِهٖ تُؤْمِنُوْا ۗفَالْحُكْمُ لِلّٰهِ الْعَلِيِّ الْكَبِيْرِ ١٢

dhālikum
ذَٰلِكُم
ये तुम्हारा(अंजाम)
bi-annahu
بِأَنَّهُۥٓ
इस लिए कि
idhā
إِذَا
जब
duʿiya
دُعِىَ
पुकारा जाता
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
waḥdahu
وَحْدَهُۥ
अकेले उसी को
kafartum
كَفَرْتُمْۖ
इन्कार करते थे तुम
wa-in
وَإِن
और अगर
yush'rak
يُشْرَكْ
शरीक ठहराया जाता
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
tu'minū
تُؤْمِنُوا۟ۚ
तो तुम मान जाते
fal-ḥuk'mu
فَٱلْحُكْمُ
पस फ़ैसला
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह ही के लिए है
l-ʿaliyi
ٱلْعَلِىِّ
जो बहुत बुलन्द है
l-kabīri
ٱلْكَبِيرِ
बहुत बड़ा है
वह (बुरा परिणाम) तो इसलिए सामने आएगा कि जब अकेला अल्लाह को पुकारा जाता है तो तुम इनकार करते हो। किन्तु यदि उसके साथ साझी ठहराया जाए तो तुम मान लेते हो। तो अब फ़ैसला तो अल्लाह ही के हाथ में है, जो सर्वोच्च बड़ा महान है। - ([४०] अल-गाफिर: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

هُوَ الَّذِيْ يُرِيْكُمْ اٰيٰتِهٖ وَيُنَزِّلُ لَكُمْ مِّنَ السَّمَاۤءِ رِزْقًا ۗوَمَا يَتَذَكَّرُ اِلَّا مَنْ يُّنِيْبُ ١٣

huwa
هُوَ
वो ही है
alladhī
ٱلَّذِى
जो
yurīkum
يُرِيكُمْ
दिखाता है तुम्हें
āyātihi
ءَايَٰتِهِۦ
निशानियाँ अपनी
wayunazzilu
وَيُنَزِّلُ
और उतारता है
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
mina
مِّنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
riz'qan
رِزْقًاۚ
रिज़्क़
wamā
وَمَا
और नहीं
yatadhakkaru
يَتَذَكَّرُ
नसीहत पकड़ता
illā
إِلَّا
मगर
man
مَن
वो जो
yunību
يُنِيبُ
वो रुजूअ करता है
वही है जो तुम्हें अपनी निशानियाँ दिखाता है और तुम्हारे लिए आकाश से रोज़ी उतारता है, किन्तु याददिहानी तो बस वही हासिल करता है जो (उसकी ओर) रुजू करे ([४०] अल-गाफिर: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

فَادْعُوا اللّٰهَ مُخْلِصِيْنَ لَهُ الدِّيْنَ وَلَوْ كَرِهَ الْكٰفِرُوْنَ ١٤

fa-id'ʿū
فَٱدْعُوا۟
पस पुकारो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
mukh'liṣīna
مُخْلِصِينَ
ख़ालिस करने वाले हो कर
lahu
لَهُ
उसी के लिए
l-dīna
ٱلدِّينَ
दीन को
walaw
وَلَوْ
और अगरचे
kariha
كَرِهَ
नापसंद करें
l-kāfirūna
ٱلْكَٰفِرُونَ
काफ़िर
अतः तुम अल्लाह ही को, धर्म को उसी के लिए विशुद्ध करते हुए, पुकारो, यद्यपि इनकार करनेवालों को अप्रिय ही लगे। - ([४०] अल-गाफिर: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

رَفِيْعُ الدَّرَجٰتِ ذُو الْعَرْشِۚ يُلْقِى الرُّوْحَ مِنْ اَمْرِهٖ عَلٰى مَنْ يَّشَاۤءُ مِنْ عِبَادِهٖ لِيُنْذِرَ يَوْمَ التَّلَاقِۙ ١٥

rafīʿu
رَفِيعُ
बुलन्द
l-darajāti
ٱلدَّرَجَٰتِ
दर्जों वाला है
dhū
ذُو
अर्श वाला है
l-ʿarshi
ٱلْعَرْشِ
अर्श वाला है
yul'qī
يُلْقِى
वो डालता है
l-rūḥa
ٱلرُّوحَ
वही को
min
مِنْ
अपने हुक्म से
amrihi
أَمْرِهِۦ
अपने हुक्म से
ʿalā
عَلَىٰ
जिस पर
man
مَن
जिस पर
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
min
مِنْ
अपने बन्दों में से
ʿibādihi
عِبَادِهِۦ
अपने बन्दों में से
liyundhira
لِيُنذِرَ
ताकि वो डराए
yawma
يَوْمَ
दिन से
l-talāqi
ٱلتَّلَاقِ
मुलाक़ात के
वह ऊँचे दर्जोवाला, सिंहासनवाला है, अपने बन्दों में से जिसपर चाहता है, अपने हुक्म में से जिसपर चाहता है, अपने हुक्म से रूह उतारता है, ताकि वह मुलाक़ात के दिन से सावधान कर दे ([४०] अल-गाफिर: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

يَوْمَ هُمْ بَارِزُوْنَ ۚ لَا يَخْفٰى عَلَى اللّٰهِ مِنْهُمْ شَيْءٌ ۗلِمَنِ الْمُلْكُ الْيَوْمَ ۗ لِلّٰهِ الْوَاحِدِ الْقَهَّارِ ١٦

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
hum
هُم
वो
bārizūna
بَٰرِزُونَۖ
ज़ाहिर होंगे
لَا
ना
yakhfā
يَخْفَىٰ
छुपी होगी
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
min'hum
مِنْهُمْ
उन की
shayon
شَىْءٌۚ
कोई चीज़
limani
لِّمَنِ
किस के लिए है
l-mul'ku
ٱلْمُلْكُ
बादशाहत
l-yawma
ٱلْيَوْمَۖ
आज के दिन
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह ही के लिए है
l-wāḥidi
ٱلْوَٰحِدِ
जो एक है
l-qahāri
ٱلْقَهَّارِ
सब पर ग़ालिब है
जिस दिन वे खुले रूप में सामने उपस्थित होंगे, उनकी कोई चीज़ अल्लाह से छिपी न रहेगी, 'आज किसकी बादशाही है?' 'अल्लाह की, जो अकेला सबपर क़ाबू रखनेवाला है।' ([४०] अल-गाफिर: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

اَلْيَوْمَ تُجْزٰى كُلُّ نَفْسٍۢ بِمَا كَسَبَتْ ۗ لَا ظُلْمَ الْيَوْمَ ۗاِنَّ اللّٰهَ سَرِيْعُ الْحِسَابِ ١٧

al-yawma
ٱلْيَوْمَ
आज के दिन
tuj'zā
تُجْزَىٰ
बदला दिया जाएगा
kullu
كُلُّ
हर
nafsin
نَفْسٍۭ
नफ़्स को
bimā
بِمَا
उसका जो
kasabat
كَسَبَتْۚ
उसने कमाई की
لَا
नहीं कोई ज़ुल्म होगा
ẓul'ma
ظُلْمَ
नहीं कोई ज़ुल्म होगा
l-yawma
ٱلْيَوْمَۚ
आज के दिन
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
sarīʿu
سَرِيعُ
जल्द लेने वाला है
l-ḥisābi
ٱلْحِسَابِ
हिसाब
आज प्रत्येक व्यक्ति को उसकी कमाई का बदला दिया जाएगा। आज कोई ज़ुल्म न होगा। निश्चय ही अल्लाह हिसाब लेने में बहुत तेज है ([४०] अल-गाफिर: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

وَاَنْذِرْهُمْ يَوْمَ الْاٰزِفَةِ اِذِ الْقُلُوْبُ لَدَى الْحَنَاجِرِ كَاظِمِيْنَ ەۗ مَا لِلظّٰلِمِيْنَ مِنْ حَمِيْمٍ وَّلَا شَفِيْعٍ يُّطَاعُۗ ١٨

wa-andhir'hum
وَأَنذِرْهُمْ
और आप डराऐं उन्हें
yawma
يَوْمَ
उस दिन से
l-āzifati
ٱلْءَازِفَةِ
जो क़रीब आ लगा है
idhi
إِذِ
जब
l-qulūbu
ٱلْقُلُوبُ
दिल
ladā
لَدَى
क़रीब(होंगे)
l-ḥanājiri
ٱلْحَنَاجِرِ
हलक़ के
kāẓimīna
كَٰظِمِينَۚ
ग़म से भरे हुए
مَا
नहीं
lilẓẓālimīna
لِلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों के लिए
min
مِنْ
कोई गहरा दोस्त
ḥamīmin
حَمِيمٍ
कोई गहरा दोस्त
walā
وَلَا
और ना
shafīʿin
شَفِيعٍ
कोई सिफ़ारिशी
yuṭāʿu
يُطَاعُ
जिस की बात मानी जाए
(उन्हें अल्लाह की ओर बुलाओ) और उन्हें निकट आ जानेवाले (क़ियामत के) दिन से सावधान कर दो, जबकि उर (हृदय) कंठ को आ लगे होंगे और वे दबा रहे होंगे। ज़ालिमों का न कोई घनिष्ट मित्र होगा और न ऐसा सिफ़ारिशी जिसकी बात मानी जाए ([४०] अल-गाफिर: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

يَعْلَمُ خَاۤىِٕنَةَ الْاَعْيُنِ وَمَا تُخْفِى الصُّدُوْرُ ١٩

yaʿlamu
يَعْلَمُ
वो जानता है
khāinata
خَآئِنَةَ
ख़यानत
l-aʿyuni
ٱلْأَعْيُنِ
आँखों की
wamā
وَمَا
और जो कुछ
tukh'fī
تُخْفِى
छुपाते हैं
l-ṣudūru
ٱلصُّدُورُ
सीने
वह निगाहों की चोरी तक को जानता है और उसे भी जो सीने छिपा रहे होते है ([४०] अल-गाफिर: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

وَاللّٰهُ يَقْضِيْ بِالْحَقِّ ۗوَالَّذِيْنَ يَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ لَا يَقْضُوْنَ بِشَيْءٍ ۗاِنَّ اللّٰهَ هُوَ السَّمِيْعُ الْبَصِيْرُ ࣖ ٢٠

wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yaqḍī
يَقْضِى
वो फ़ैसला करता है
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّۖ
साथ हक़ के
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और जिन्हें
yadʿūna
يَدْعُونَ
वो पुकारते हैं
min
مِن
उसके सिवा
dūnihi
دُونِهِۦ
उसके सिवा
لَا
नहीं वो फ़ैसला करते
yaqḍūna
يَقْضُونَ
नहीं वो फ़ैसला करते
bishayin
بِشَىْءٍۗ
किसी चीज़ का
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
huwa
هُوَ
वो ही है
l-samīʿu
ٱلسَّمِيعُ
ख़ूब सुनने वाला
l-baṣīru
ٱلْبَصِيرُ
ख़ूब देखने वाला
अल्लाह ठीक-ठीक फ़ैसला कर देगा। रहे वे लोग जिन्हें वे अल्लाह को छोड़कर पुकारते हैं, वे किसी चीज़ का भी फ़ैसला करनेवाले नहीं। निस्संदेह अल्लाह ही है जो सुनता, देखता है ([४०] अल-गाफिर: 20)
Tafseer (तफ़सीर )