تَنْزِيْلُ الْكِتٰبِ مِنَ اللّٰهِ الْعَزِيْزِ الْعَلِيْمِۙ ٢
- tanzīlu
- تَنزِيلُ
- नाज़िल करना है
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- किताब का
- mina
- مِنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-ʿazīzi
- ٱلْعَزِيزِ
- जो बहुत ज़बरदस्त है
- l-ʿalīmi
- ٱلْعَلِيمِ
- ख़ूब इल्म वाला है
इस किताब का अवतरण प्रभुत्वशाली, सर्वज्ञ अल्लाह की ओर से है, ([४०] अल-गाफिर: 2)Tafseer (तफ़सीर )
غَافِرِ الذَّنْۢبِ وَقَابِلِ التَّوْبِ شَدِيْدِ الْعِقَابِ ذِى الطَّوْلِۗ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۗاِلَيْهِ الْمَصِيْرُ ٣
- ghāfiri
- غَافِرِ
- बख़्शने वाला है
- l-dhanbi
- ٱلذَّنۢبِ
- गुनाह का
- waqābili
- وَقَابِلِ
- और क़ुबूल करने वाल है
- l-tawbi
- ٱلتَّوْبِ
- तौबा का
- shadīdi
- شَدِيدِ
- सख़्त
- l-ʿiqābi
- ٱلْعِقَابِ
- सज़ा देने वाला
- dhī
- ذِى
- बड़े फ़ज़ल वाला है
- l-ṭawli
- ٱلطَّوْلِۖ
- बड़े फ़ज़ल वाला है
- lā
- لَآ
- नहीं
- ilāha
- إِلَٰهَ
- कोई इलाह (बरहक़)
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَۖ
- वो ही
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- तरफ़ उसी के
- l-maṣīru
- ٱلْمَصِيرُ
- लौटना है
जो गुनाह क्षमा करनेवाला, तौबा क़बूल करनेवाला, कठोर दंड देनेवाला, शक्तिमान है। उसके अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं। अन्ततः उसी की ओर जाना है ([४०] अल-गाफिर: 3)Tafseer (तफ़सीर )
مَا يُجَادِلُ فِيْٓ اٰيٰتِ اللّٰهِ اِلَّا الَّذِيْنَ كَفَرُوْا فَلَا يَغْرُرْكَ تَقَلُّبُهُمْ فِى الْبِلَادِ ٤
- mā
- مَا
- नहीं
- yujādilu
- يُجَٰدِلُ
- झगड़ा करते
- fī
- فِىٓ
- आयात में
- āyāti
- ءَايَٰتِ
- आयात में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- illā
- إِلَّا
- मगर
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- falā
- فَلَا
- तो ना
- yaghrur'ka
- يَغْرُرْكَ
- धोखे में डाले आपको
- taqallubuhum
- تَقَلُّبُهُمْ
- चलना फिरना उनका
- fī
- فِى
- शहरों में
- l-bilādi
- ٱلْبِلَٰدِ
- शहरों में
अल्लाह की आयतों के बारे में बस वही लोग झगड़ते हैं जिन्होंने इनकार किया, तो नगरों में उसकी चलत-फिरत तुम्हें धोखे में न डाले ([४०] अल-गाफिर: 4)Tafseer (तफ़सीर )
كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوحٍ وَّالْاَحْزَابُ مِنْۢ بَعْدِهِمْ ۖوَهَمَّتْ كُلُّ اُمَّةٍۢ بِرَسُوْلِهِمْ لِيَأْخُذُوْهُ وَجَادَلُوْا بِالْبَاطِلِ لِيُدْحِضُوا بِهِ الْحَقَّ فَاَخَذْتُهُمْ ۗفَكَيْفَ كَانَ عِقَابِ ٥
- kadhabat
- كَذَّبَتْ
- झुठलाया
- qablahum
- قَبْلَهُمْ
- उनसे पहले
- qawmu
- قَوْمُ
- क़ौमे
- nūḥin
- نُوحٍ
- नूह ने
- wal-aḥzābu
- وَٱلْأَحْزَابُ
- और गिरोहों ने
- min
- مِنۢ
- बाद उनके
- baʿdihim
- بَعْدِهِمْۖ
- बाद उनके
- wahammat
- وَهَمَّتْ
- और इरादा किया
- kullu
- كُلُّ
- हर
- ummatin
- أُمَّةٍۭ
- उम्मत ने
- birasūlihim
- بِرَسُولِهِمْ
- अपने रसूल का
- liyakhudhūhu
- لِيَأْخُذُوهُۖ
- ताकि वो पकड़ें उसे
- wajādalū
- وَجَٰدَلُوا۟
- और उन्होंने झगड़ा किया
- bil-bāṭili
- بِٱلْبَٰطِلِ
- साथ बातिल के
- liyud'ḥiḍū
- لِيُدْحِضُوا۟
- ताकि वो ख़त्म (ज़ाइल)कर दें
- bihi
- بِهِ
- साथ उसके
- l-ḥaqa
- ٱلْحَقَّ
- हक़ को
- fa-akhadhtuhum
- فَأَخَذْتُهُمْۖ
- तो पकड़ लिया मैं ने उन्हें
- fakayfa
- فَكَيْفَ
- तो कैसी
- kāna
- كَانَ
- थी
- ʿiqābi
- عِقَابِ
- सज़ा मेरी
उनसे पहले नूह की क़ौम ने और उनके पश्चात दूसरों गिरोहों ने भी झुठलाया और हर समुदाय के लोगों ने अपने रसूलों के बारे में इरादा किया कि उन्हें पकड़ लें और वे सत्य का सहारा लेकर झगडे, ताकि उसके द्वारा सत्य को उखाड़ दें। अन्ततः मैंने उन्हें पकड़ लिया। तौ कैसी रही मेरी सज़ा! ([४०] अल-गाफिर: 5)Tafseer (तफ़सीर )
وَكَذٰلِكَ حَقَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ عَلَى الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اَنَّهُمْ اَصْحٰبُ النَّارِۘ ٦
- wakadhālika
- وَكَذَٰلِكَ
- और इसी तरह
- ḥaqqat
- حَقَّتْ
- साबित हो गई
- kalimatu
- كَلِمَتُ
- बात
- rabbika
- رَبِّكَ
- आपके रब की
- ʿalā
- عَلَى
- ऊपर उनके जिन्होंने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऊपर उनके जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوٓا۟
- कुफ़्र किया
- annahum
- أَنَّهُمْ
- कि यक़ीनन वो
- aṣḥābu
- أَصْحَٰبُ
- साथी हैं
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- आग के
और (जैसे दुनिया में सज़ा मिली) उसी प्रकार तेरे रब की यह बात भी उन लोगों पर सत्यापित हो गई है, जिन्होंने इनकार किया कि वे आग में पड़नेवाले है; ([४०] अल-गाफिर: 6)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَّذِيْنَ يَحْمِلُوْنَ الْعَرْشَ وَمَنْ حَوْلَهٗ يُسَبِّحُوْنَ بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَيُؤْمِنُوْنَ بِهٖ وَيَسْتَغْفِرُوْنَ لِلَّذِيْنَ اٰمَنُوْاۚ رَبَّنَا وَسِعْتَ كُلَّ شَيْءٍ رَّحْمَةً وَّعِلْمًا فَاغْفِرْ لِلَّذِيْنَ تَابُوْا وَاتَّبَعُوْا سَبِيْلَكَ وَقِهِمْ عَذَابَ الْجَحِيْمِ ٧
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो (फ़रिश्ते )जो
- yaḥmilūna
- يَحْمِلُونَ
- उठाए हुए हैं
- l-ʿarsha
- ٱلْعَرْشَ
- अर्श को
- waman
- وَمَنْ
- और जो
- ḥawlahu
- حَوْلَهُۥ
- उसके इर्द-गिर्द हैं
- yusabbiḥūna
- يُسَبِّحُونَ
- वो तस्बीह कर रहे हैं
- biḥamdi
- بِحَمْدِ
- साथ तारीफ़ के
- rabbihim
- رَبِّهِمْ
- अपने रब की
- wayu'minūna
- وَيُؤْمِنُونَ
- और वो ईमान रखते हैं
- bihi
- بِهِۦ
- उस पर
- wayastaghfirūna
- وَيَسْتَغْفِرُونَ
- और वो बख़्शिश माँगते हैं
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उनके लिए जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- wasiʿ'ta
- وَسِعْتَ
- घेर रखा है तू ने
- kulla
- كُلَّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ को
- raḥmatan
- رَّحْمَةً
- रहमत
- waʿil'man
- وَعِلْمًا
- और इल्म से
- fa-igh'fir
- فَٱغْفِرْ
- पस बख़्श दे
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- tābū
- تَابُوا۟
- तौबा की
- wa-ittabaʿū
- وَٱتَّبَعُوا۟
- और उन्होंने पैरवी की
- sabīlaka
- سَبِيلَكَ
- तेरे रास्ते की
- waqihim
- وَقِهِمْ
- और बचा उन्हें
- ʿadhāba
- عَذَابَ
- अज़ाब से
- l-jaḥīmi
- ٱلْجَحِيمِ
- जहन्नम के
जो सिंहासन को उठाए हुए है और जो उसके चतुर्दिक हैं, अपने रब का गुणगान करते है और उस पर ईमान रखते है और उन लोगों के लिए क्षमा की प्रार्थना करते है जो ईमान लाए कि 'ऐ हमारे रब! तू हर चीज़ को व्याप्त है। अतः जिन लोगों ने तौबा की और तेरे मार्ग का अनुसरण किया, उन्हें क्षमा कर दे और भड़कती हुई आग की यातना से बचा लें ([४०] अल-गाफिर: 7)Tafseer (तफ़सीर )
رَبَّنَا وَاَدْخِلْهُمْ جَنّٰتِ عَدْنِ ِۨالَّتِيْ وَعَدْتَّهُمْ وَمَنْ صَلَحَ مِنْ اٰبَاۤىِٕهِمْ وَاَزْوَاجِهِمْ وَذُرِّيّٰتِهِمْ ۗاِنَّكَ اَنْتَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُۙ ٨
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- wa-adkhil'hum
- وَأَدْخِلْهُمْ
- और दाख़िल कर उन्हें
- jannāti
- جَنَّٰتِ
- बाग़ात में
- ʿadnin
- عَدْنٍ
- हमेशगी के
- allatī
- ٱلَّتِى
- वो जो
- waʿadttahum
- وَعَدتَّهُمْ
- वादा किया था तू ने उनसे
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- ṣalaḥa
- صَلَحَ
- नेक हुए
- min
- مِنْ
- उनके आबा ओ अजदाद में से
- ābāihim
- ءَابَآئِهِمْ
- उनके आबा ओ अजदाद में से
- wa-azwājihim
- وَأَزْوَٰجِهِمْ
- और उनकी बीवियों
- wadhurriyyātihim
- وَذُرِّيَّٰتِهِمْۚ
- और उनकी औलादों में से
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तू
- anta
- أَنتَ
- तू ही है
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- बहुत ज़बरदस्त
- l-ḥakīmu
- ٱلْحَكِيمُ
- ख़ूब हिकमत वाला
ऐ हमारे रब! और उन्हें सदैव रहने के बागों में दाख़िल कर जिनका तूने उनसे वादा किया है और उनके बाप-दादा और उनकी पत्नि यों और उनकी सन्ततियों में से जो योग्य हुए उन्हें भी। निस्संदेह तू प्रभुत्वशाली, अत्यन्त तत्वदर्शी है ([४०] अल-गाफिर: 8)Tafseer (तफ़सीर )
وَقِهِمُ السَّيِّاٰتِۗ وَمَنْ تَقِ السَّيِّاٰتِ يَوْمَىِٕذٍ فَقَدْ رَحِمْتَهٗ ۗوَذٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيْمُ ࣖ ٩
- waqihimu
- وَقِهِمُ
- और बचा उन्हें
- l-sayiāti
- ٱلسَّيِّـَٔاتِۚ
- बुराइयों से
- waman
- وَمَن
- और जिसे
- taqi
- تَقِ
- तू बचा लेगा
- l-sayiāti
- ٱلسَّيِّـَٔاتِ
- बुराइयों से
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस दिन
- faqad
- فَقَدْ
- पस तहक़ीक़
- raḥim'tahu
- رَحِمْتَهُۥۚ
- रहम किया तू ने उस पर
- wadhālika
- وَذَٰلِكَ
- और यही है
- huwa
- هُوَ
- वो
- l-fawzu
- ٱلْفَوْزُ
- कामयाबी
- l-ʿaẓīmu
- ٱلْعَظِيمُ
- बहुत बड़ी
और उन्हें अनिष्टों से बचा। जिसे उस दिन तूने अनिष्टों से बचा लिया, तो निश्चय ही उसपर तूने दया की। और वही बड़ी सफलता है।' ([४०] अल-गाफिर: 9)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا يُنَادَوْنَ لَمَقْتُ اللّٰهِ اَكْبَرُ مِنْ مَّقْتِكُمْ اَنْفُسَكُمْ اِذْ تُدْعَوْنَ اِلَى الْاِيْمَانِ فَتَكْفُرُوْنَ ١٠
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- yunādawna
- يُنَادَوْنَ
- वो पुकारे जाऐंगे
- lamaqtu
- لَمَقْتُ
- यक़ीनन नाराज़गी
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- akbaru
- أَكْبَرُ
- ज़्यादा बड़ी है
- min
- مِن
- तुम्हारी नाराज़गी से
- maqtikum
- مَّقْتِكُمْ
- तुम्हारी नाराज़गी से
- anfusakum
- أَنفُسَكُمْ
- अपने आप पर
- idh
- إِذْ
- जब
- tud'ʿawna
- تُدْعَوْنَ
- तुम बुलाए जाते थे
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ ईमान के
- l-īmāni
- ٱلْإِيمَٰنِ
- तरफ़ ईमान के
- fatakfurūna
- فَتَكْفُرُونَ
- तो तुम इन्कार करते थे
निश्चय ही जिन लोगों ने इनकार किया उन्हें पुकारकर कहा जाएगा कि 'अपने आपसे जो तुम्हें विद्वेष एवं क्रोध है, तुम्हारे प्रति अल्लाह का क्रोध एवं द्वेष उससे कहीं बढकर है कि जब तुम्हें ईमान की ओर बुलाया जाता था तो तुम इनकार करते थे।' ([४०] अल-गाफिर: 10)Tafseer (तफ़सीर )