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सूरा अल-गाफिर - शब्द द्वारा शब्द

Ghafir

(क्षमाशील)

bismillaahirrahmaanirrahiim

حٰمۤ ۚ ١

hha-meem
حمٓ
ح م
हा॰ मीम॰ ([४०] अल-गाफिर: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

تَنْزِيْلُ الْكِتٰبِ مِنَ اللّٰهِ الْعَزِيْزِ الْعَلِيْمِۙ ٢

tanzīlu
تَنزِيلُ
नाज़िल करना है
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
किताब का
mina
مِنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
l-ʿazīzi
ٱلْعَزِيزِ
जो बहुत ज़बरदस्त है
l-ʿalīmi
ٱلْعَلِيمِ
ख़ूब इल्म वाला है
इस किताब का अवतरण प्रभुत्वशाली, सर्वज्ञ अल्लाह की ओर से है, ([४०] अल-गाफिर: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

غَافِرِ الذَّنْۢبِ وَقَابِلِ التَّوْبِ شَدِيْدِ الْعِقَابِ ذِى الطَّوْلِۗ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۗاِلَيْهِ الْمَصِيْرُ ٣

ghāfiri
غَافِرِ
बख़्शने वाला है
l-dhanbi
ٱلذَّنۢبِ
गुनाह का
waqābili
وَقَابِلِ
और क़ुबूल करने वाल है
l-tawbi
ٱلتَّوْبِ
तौबा का
shadīdi
شَدِيدِ
सख़्त
l-ʿiqābi
ٱلْعِقَابِ
सज़ा देने वाला
dhī
ذِى
बड़े फ़ज़ल वाला है
l-ṭawli
ٱلطَّوْلِۖ
बड़े फ़ज़ल वाला है
لَآ
नहीं
ilāha
إِلَٰهَ
कोई इलाह (बरहक़)
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَۖ
वो ही
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसी के
l-maṣīru
ٱلْمَصِيرُ
लौटना है
जो गुनाह क्षमा करनेवाला, तौबा क़बूल करनेवाला, कठोर दंड देनेवाला, शक्तिमान है। उसके अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं। अन्ततः उसी की ओर जाना है ([४०] अल-गाफिर: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

مَا يُجَادِلُ فِيْٓ اٰيٰتِ اللّٰهِ اِلَّا الَّذِيْنَ كَفَرُوْا فَلَا يَغْرُرْكَ تَقَلُّبُهُمْ فِى الْبِلَادِ ٤

مَا
नहीं
yujādilu
يُجَٰدِلُ
झगड़ा करते
فِىٓ
आयात में
āyāti
ءَايَٰتِ
आयात में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
illā
إِلَّا
मगर
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
falā
فَلَا
तो ना
yaghrur'ka
يَغْرُرْكَ
धोखे में डाले आपको
taqallubuhum
تَقَلُّبُهُمْ
चलना फिरना उनका
فِى
शहरों में
l-bilādi
ٱلْبِلَٰدِ
शहरों में
अल्लाह की आयतों के बारे में बस वही लोग झगड़ते हैं जिन्होंने इनकार किया, तो नगरों में उसकी चलत-फिरत तुम्हें धोखे में न डाले ([४०] अल-गाफिर: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوحٍ وَّالْاَحْزَابُ مِنْۢ بَعْدِهِمْ ۖوَهَمَّتْ كُلُّ اُمَّةٍۢ بِرَسُوْلِهِمْ لِيَأْخُذُوْهُ وَجَادَلُوْا بِالْبَاطِلِ لِيُدْحِضُوا بِهِ الْحَقَّ فَاَخَذْتُهُمْ ۗفَكَيْفَ كَانَ عِقَابِ ٥

kadhabat
كَذَّبَتْ
झुठलाया
qablahum
قَبْلَهُمْ
उनसे पहले
qawmu
قَوْمُ
क़ौमे
nūḥin
نُوحٍ
नूह ने
wal-aḥzābu
وَٱلْأَحْزَابُ
और गिरोहों ने
min
مِنۢ
बाद उनके
baʿdihim
بَعْدِهِمْۖ
बाद उनके
wahammat
وَهَمَّتْ
और इरादा किया
kullu
كُلُّ
हर
ummatin
أُمَّةٍۭ
उम्मत ने
birasūlihim
بِرَسُولِهِمْ
अपने रसूल का
liyakhudhūhu
لِيَأْخُذُوهُۖ
ताकि वो पकड़ें उसे
wajādalū
وَجَٰدَلُوا۟
और उन्होंने झगड़ा किया
bil-bāṭili
بِٱلْبَٰطِلِ
साथ बातिल के
liyud'ḥiḍū
لِيُدْحِضُوا۟
ताकि वो ख़त्म (ज़ाइल)कर दें
bihi
بِهِ
साथ उसके
l-ḥaqa
ٱلْحَقَّ
हक़ को
fa-akhadhtuhum
فَأَخَذْتُهُمْۖ
तो पकड़ लिया मैं ने उन्हें
fakayfa
فَكَيْفَ
तो कैसी
kāna
كَانَ
थी
ʿiqābi
عِقَابِ
सज़ा मेरी
उनसे पहले नूह की क़ौम ने और उनके पश्चात दूसरों गिरोहों ने भी झुठलाया और हर समुदाय के लोगों ने अपने रसूलों के बारे में इरादा किया कि उन्हें पकड़ लें और वे सत्य का सहारा लेकर झगडे, ताकि उसके द्वारा सत्य को उखाड़ दें। अन्ततः मैंने उन्हें पकड़ लिया। तौ कैसी रही मेरी सज़ा! ([४०] अल-गाफिर: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

وَكَذٰلِكَ حَقَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ عَلَى الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اَنَّهُمْ اَصْحٰبُ النَّارِۘ ٦

wakadhālika
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
ḥaqqat
حَقَّتْ
साबित हो गई
kalimatu
كَلِمَتُ
बात
rabbika
رَبِّكَ
आपके रब की
ʿalā
عَلَى
ऊपर उनके जिन्होंने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऊपर उनके जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوٓا۟
कुफ़्र किया
annahum
أَنَّهُمْ
कि यक़ीनन वो
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
साथी हैं
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग के
और (जैसे दुनिया में सज़ा मिली) उसी प्रकार तेरे रब की यह बात भी उन लोगों पर सत्यापित हो गई है, जिन्होंने इनकार किया कि वे आग में पड़नेवाले है; ([४०] अल-गाफिर: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

اَلَّذِيْنَ يَحْمِلُوْنَ الْعَرْشَ وَمَنْ حَوْلَهٗ يُسَبِّحُوْنَ بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَيُؤْمِنُوْنَ بِهٖ وَيَسْتَغْفِرُوْنَ لِلَّذِيْنَ اٰمَنُوْاۚ رَبَّنَا وَسِعْتَ كُلَّ شَيْءٍ رَّحْمَةً وَّعِلْمًا فَاغْفِرْ لِلَّذِيْنَ تَابُوْا وَاتَّبَعُوْا سَبِيْلَكَ وَقِهِمْ عَذَابَ الْجَحِيْمِ ٧

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो (फ़रिश्ते )जो
yaḥmilūna
يَحْمِلُونَ
उठाए हुए हैं
l-ʿarsha
ٱلْعَرْشَ
अर्श को
waman
وَمَنْ
और जो
ḥawlahu
حَوْلَهُۥ
उसके इर्द-गिर्द हैं
yusabbiḥūna
يُسَبِّحُونَ
वो तस्बीह कर रहे हैं
biḥamdi
بِحَمْدِ
साथ तारीफ़ के
rabbihim
رَبِّهِمْ
अपने रब की
wayu'minūna
وَيُؤْمِنُونَ
और वो ईमान रखते हैं
bihi
بِهِۦ
उस पर
wayastaghfirūna
وَيَسْتَغْفِرُونَ
और वो बख़्शिश माँगते हैं
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उनके लिए जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
wasiʿ'ta
وَسِعْتَ
घेर रखा है तू ने
kulla
كُلَّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ को
raḥmatan
رَّحْمَةً
रहमत
waʿil'man
وَعِلْمًا
और इल्म से
fa-igh'fir
فَٱغْفِرْ
पस बख़्श दे
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
tābū
تَابُوا۟
तौबा की
wa-ittabaʿū
وَٱتَّبَعُوا۟
और उन्होंने पैरवी की
sabīlaka
سَبِيلَكَ
तेरे रास्ते की
waqihim
وَقِهِمْ
और बचा उन्हें
ʿadhāba
عَذَابَ
अज़ाब से
l-jaḥīmi
ٱلْجَحِيمِ
जहन्नम के
जो सिंहासन को उठाए हुए है और जो उसके चतुर्दिक हैं, अपने रब का गुणगान करते है और उस पर ईमान रखते है और उन लोगों के लिए क्षमा की प्रार्थना करते है जो ईमान लाए कि 'ऐ हमारे रब! तू हर चीज़ को व्याप्त है। अतः जिन लोगों ने तौबा की और तेरे मार्ग का अनुसरण किया, उन्हें क्षमा कर दे और भड़कती हुई आग की यातना से बचा लें ([४०] अल-गाफिर: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

رَبَّنَا وَاَدْخِلْهُمْ جَنّٰتِ عَدْنِ ِۨالَّتِيْ وَعَدْتَّهُمْ وَمَنْ صَلَحَ مِنْ اٰبَاۤىِٕهِمْ وَاَزْوَاجِهِمْ وَذُرِّيّٰتِهِمْ ۗاِنَّكَ اَنْتَ الْعَزِيْزُ الْحَكِيْمُۙ ٨

rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
wa-adkhil'hum
وَأَدْخِلْهُمْ
और दाख़िल कर उन्हें
jannāti
جَنَّٰتِ
बाग़ात में
ʿadnin
عَدْنٍ
हमेशगी के
allatī
ٱلَّتِى
वो जो
waʿadttahum
وَعَدتَّهُمْ
वादा किया था तू ने उनसे
waman
وَمَن
और जो कोई
ṣalaḥa
صَلَحَ
नेक हुए
min
مِنْ
उनके आबा ओ अजदाद में से
ābāihim
ءَابَآئِهِمْ
उनके आबा ओ अजदाद में से
wa-azwājihim
وَأَزْوَٰجِهِمْ
और उनकी बीवियों
wadhurriyyātihim
وَذُرِّيَّٰتِهِمْۚ
और उनकी औलादों में से
innaka
إِنَّكَ
बेशक तू
anta
أَنتَ
तू ही है
l-ʿazīzu
ٱلْعَزِيزُ
बहुत ज़बरदस्त
l-ḥakīmu
ٱلْحَكِيمُ
ख़ूब हिकमत वाला
ऐ हमारे रब! और उन्हें सदैव रहने के बागों में दाख़िल कर जिनका तूने उनसे वादा किया है और उनके बाप-दादा और उनकी पत्नि यों और उनकी सन्ततियों में से जो योग्य हुए उन्हें भी। निस्संदेह तू प्रभुत्वशाली, अत्यन्त तत्वदर्शी है ([४०] अल-गाफिर: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

وَقِهِمُ السَّيِّاٰتِۗ وَمَنْ تَقِ السَّيِّاٰتِ يَوْمَىِٕذٍ فَقَدْ رَحِمْتَهٗ ۗوَذٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيْمُ ࣖ ٩

waqihimu
وَقِهِمُ
और बचा उन्हें
l-sayiāti
ٱلسَّيِّـَٔاتِۚ
बुराइयों से
waman
وَمَن
और जिसे
taqi
تَقِ
तू बचा लेगा
l-sayiāti
ٱلسَّيِّـَٔاتِ
बुराइयों से
yawma-idhin
يَوْمَئِذٍ
उस दिन
faqad
فَقَدْ
पस तहक़ीक़
raḥim'tahu
رَحِمْتَهُۥۚ
रहम किया तू ने उस पर
wadhālika
وَذَٰلِكَ
और यही है
huwa
هُوَ
वो
l-fawzu
ٱلْفَوْزُ
कामयाबी
l-ʿaẓīmu
ٱلْعَظِيمُ
बहुत बड़ी
और उन्हें अनिष्टों से बचा। जिसे उस दिन तूने अनिष्टों से बचा लिया, तो निश्चय ही उसपर तूने दया की। और वही बड़ी सफलता है।' ([४०] अल-गाफिर: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا يُنَادَوْنَ لَمَقْتُ اللّٰهِ اَكْبَرُ مِنْ مَّقْتِكُمْ اَنْفُسَكُمْ اِذْ تُدْعَوْنَ اِلَى الْاِيْمَانِ فَتَكْفُرُوْنَ ١٠

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
yunādawna
يُنَادَوْنَ
वो पुकारे जाऐंगे
lamaqtu
لَمَقْتُ
यक़ीनन नाराज़गी
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
akbaru
أَكْبَرُ
ज़्यादा बड़ी है
min
مِن
तुम्हारी नाराज़गी से
maqtikum
مَّقْتِكُمْ
तुम्हारी नाराज़गी से
anfusakum
أَنفُسَكُمْ
अपने आप पर
idh
إِذْ
जब
tud'ʿawna
تُدْعَوْنَ
तुम बुलाए जाते थे
ilā
إِلَى
तरफ़ ईमान के
l-īmāni
ٱلْإِيمَٰنِ
तरफ़ ईमान के
fatakfurūna
فَتَكْفُرُونَ
तो तुम इन्कार करते थे
निश्चय ही जिन लोगों ने इनकार किया उन्हें पुकारकर कहा जाएगा कि 'अपने आपसे जो तुम्हें विद्वेष एवं क्रोध है, तुम्हारे प्रति अल्लाह का क्रोध एवं द्वेष उससे कहीं बढकर है कि जब तुम्हें ईमान की ओर बुलाया जाता था तो तुम इनकार करते थे।' ([४०] अल-गाफिर: 10)
Tafseer (तफ़सीर )