Skip to content

सूरा अन-निसा - Page: 9

An-Nisa

(औरत)

८१

وَيَقُوْلُوْنَ طَاعَةٌ ۖ فَاِذَا بَرَزُوْا مِنْ عِنْدِكَ بَيَّتَ طَاۤىِٕفَةٌ مِّنْهُمْ غَيْرَ الَّذِيْ تَقُوْلُ ۗ وَاللّٰهُ يَكْتُبُ مَا يُبَيِّتُوْنَ ۚ فَاَعْرِضْ عَنْهُمْ وَتَوَكَّلْ عَلَى اللّٰهِ ۗ وَكَفٰى بِاللّٰهِ وَكِيْلًا ٨١

wayaqūlūna
وَيَقُولُونَ
और वो कहते हैं
ṭāʿatun
طَاعَةٌ
इताअत (करेंगे)
fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
barazū
بَرَزُوا۟
वो निकलते हैं
min
مِنْ
आपके पास से
ʿindika
عِندِكَ
आपके पास से
bayyata
بَيَّتَ
रात को मशवरे करता है
ṭāifatun
طَآئِفَةٌ
एक गिरोह
min'hum
مِّنْهُمْ
उनमें से
ghayra
غَيْرَ
अलावा
alladhī
ٱلَّذِى
उसके जो
taqūlu
تَقُولُۖ
आप कहते हैं
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yaktubu
يَكْتُبُ
लिख रहा है
مَا
जो
yubayyitūna
يُبَيِّتُونَۖ
वो रात को मशवरे करते हैं
fa-aʿriḍ
فَأَعْرِضْ
पस ऐराज़ कीजिए
ʿanhum
عَنْهُمْ
उनसे
watawakkal
وَتَوَكَّلْ
और भरोसा कीजिए
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह पर
wakafā
وَكَفَىٰ
और काफ़ी है
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह
wakīlan
وَكِيلًا
कारसाज़
और वे दावा तो आज्ञापालन का करते है, परन्तु जब तुम्हारे पास से हटते है तो उनमें एक गिरोह अपने कथन के विपरीत रात में षड्यंत्र करता है । जो कुछ वे षड्यंत्र करते है, अल्लाह उसे लिख रहा है। तो तुम उनसे रुख़ फेर लो और अल्लाह पर भरोसा रखो, और अल्लाह का कार्यसाधक होना काफ़ी है! ([४] अन-निसा: 81)
Tafseer (तफ़सीर )
८२

اَفَلَا يَتَدَبَّرُوْنَ الْقُرْاٰنَ ۗ وَلَوْ كَانَ مِنْ عِنْدِ غَيْرِ اللّٰهِ لَوَجَدُوْا فِيْهِ اخْتِلَافًا كَثِيْرًا ٨٢

afalā
أَفَلَا
क्या फिर नहीं
yatadabbarūna
يَتَدَبَّرُونَ
वो तदब्बुर करते
l-qur'āna
ٱلْقُرْءَانَۚ
क़ुरआन में
walaw
وَلَوْ
और अगर
kāna
كَانَ
होता वो
min
مِنْ
पास से
ʿindi
عِندِ
पास से
ghayri
غَيْرِ
ग़ैर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
lawajadū
لَوَجَدُوا۟
अलबत्ता वो पाते
fīhi
فِيهِ
उसमें
ikh'tilāfan
ٱخْتِلَٰفًا
इख्तिलाफ़
kathīran
كَثِيرًا
बहुत ज़्यादा
क्या वे क़ुरआन में सोच-विचार नहीं करते? यदि यह अल्लाह के अतिरिक्त किसी और की ओर से होता, तो निश्चय ही वे इसमें बहुत-सी बेमेल बातें पाते ([४] अन-निसा: 82)
Tafseer (तफ़सीर )
८३

وَاِذَا جَاۤءَهُمْ اَمْرٌ مِّنَ الْاَمْنِ اَوِ الْخَوْفِ اَذَاعُوْا بِهٖ ۗ وَلَوْ رَدُّوْهُ اِلَى الرَّسُوْلِ وَاِلٰٓى اُولِى الْاَمْرِ مِنْهُمْ لَعَلِمَهُ الَّذِيْنَ يَسْتَنْۢبِطُوْنَهٗ مِنْهُمْ ۗ وَلَوْلَا فَضْلُ اللّٰهِ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَتُهٗ لَاتَّبَعْتُمُ الشَّيْطٰنَ اِلَّا قَلِيْلًا ٨٣

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
jāahum
جَآءَهُمْ
आता है उनके पास
amrun
أَمْرٌ
कोई मामला
mina
مِّنَ
अमन में से
l-amni
ٱلْأَمْنِ
अमन में से
awi
أَوِ
या
l-khawfi
ٱلْخَوْفِ
ख़ौफ़ में से
adhāʿū
أَذَاعُوا۟
वो फैला देते हैं
bihi
بِهِۦۖ
उसे
walaw
وَلَوْ
और अगर
raddūhu
رَدُّوهُ
वो लौटाते उसे
ilā
إِلَى
तरफ़ रसूल के
l-rasūli
ٱلرَّسُولِ
तरफ़ रसूल के
wa-ilā
وَإِلَىٰٓ
और तरफ़
ulī
أُو۟لِى
ऊलुल अम्र के
l-amri
ٱلْأَمْرِ
ऊलुल अम्र के
min'hum
مِنْهُمْ
उनमें से
laʿalimahu
لَعَلِمَهُ
अलबत्ता जान लेते उसे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yastanbiṭūnahu
يَسْتَنۢبِطُونَهُۥ
निकाल लाते हैं नतीजा उसका
min'hum
مِنْهُمْۗ
उनमें से
walawlā
وَلَوْلَا
और अगर ना होता
faḍlu
فَضْلُ
फ़ज़ल
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
waraḥmatuhu
وَرَحْمَتُهُۥ
और रहमत उसकी
la-ittabaʿtumu
لَٱتَّبَعْتُمُ
अलबत्ता पैरवी करते तुम
l-shayṭāna
ٱلشَّيْطَٰنَ
शैतान की
illā
إِلَّا
मगर
qalīlan
قَلِيلًا
बहुत थोड़े
जब उनके पास निश्चिन्तता या भय की कोई बात पहुचती है तो उसे फैला देते है, हालाँकि अगर वे उसे रसूल और अपने समुदाय के उतरदायी व्यक्तियों तक पहुँचाते तो उसे वे लोग जान लेते जो उनमें उसकी जाँच कर सकते है। और यदि तुमपर अल्लाह का उदार अनुग्रह और उसकी दयालुता न होती, तो थोड़े लोगों के सिवा तुम सब शैतान के पीछे चलने लग जाते ([४] अन-निसा: 83)
Tafseer (तफ़सीर )
८४

فَقَاتِلْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۚ لَا تُكَلَّفُ اِلَّا نَفْسَكَ وَحَرِّضِ الْمُؤْمِنِيْنَ ۚ عَسَى اللّٰهُ اَنْ يَّكُفَّ بَأْسَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا ۗوَاللّٰهُ اَشَدُّ بَأْسًا وَّاَشَدُّ تَنْكِيْلًا ٨٤

faqātil
فَقَٰتِلْ
तो जंग कीजिए
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
لَا
नहीं आप मुकल्लफ़ बनाए गए
tukallafu
تُكَلَّفُ
नहीं आप मुकल्लफ़ बनाए गए
illā
إِلَّا
मगर
nafsaka
نَفْسَكَۚ
अपनी जान के
waḥarriḍi
وَحَرِّضِ
और उभारिए
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَۖ
मोमिनों को
ʿasā
عَسَى
उम्मीद है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
an
أَن
कि
yakuffa
يَكُفَّ
वो रोक दे
basa
بَأْسَ
जंग
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनकी जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟ۚ
कुफ़्र किया
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ashaddu
أَشَدُّ
ज़्यादा सख़्त है
basan
بَأْسًا
ताक़त में
wa-ashaddu
وَأَشَدُّ
और ज़्यादा सख़्त है
tankīlan
تَنكِيلًا
इबरतनाक सज़ा देने में
अतः अल्लाह के मार्ग में युद्ध करो - तुमपर तो बस तुम्हारी अपनी ही ज़िम्मेदारी है - और ईमानवालों की कमज़ोरियो को दूर करो और उन्हें (युद्ध के लिए) उभारो। इसकी बहुत सम्भावना है कि अल्लाह इनकार करनेवालों के ज़ोर को रोक लगा दे। अल्लाह बड़ा ज़ोरवाला और कठोर दंड देनेवाला है ([४] अन-निसा: 84)
Tafseer (तफ़सीर )
८५

مَنْ يَّشْفَعْ شَفَاعَةً حَسَنَةً يَّكُنْ لَّهٗ نَصِيْبٌ مِّنْهَا ۚ وَمَنْ يَّشْفَعْ شَفَاعَةً سَيِّئَةً يَّكُنْ لَّهٗ كِفْلٌ مِّنْهَا ۗ وَكَانَ اللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ مُّقِيْتًا ٨٥

man
مَّن
जो कोई
yashfaʿ
يَشْفَعْ
सिफ़ारिश करेगा
shafāʿatan
شَفَٰعَةً
सिफ़ारिश
ḥasanatan
حَسَنَةً
अच्छी
yakun
يَكُن
होगा
lahu
لَّهُۥ
उसके लिए
naṣībun
نَصِيبٌ
एक हिस्सा
min'hā
مِّنْهَاۖ
उसमें से
waman
وَمَن
और जो कोई
yashfaʿ
يَشْفَعْ
सिफ़ारिश करेगा
shafāʿatan
شَفَٰعَةً
सिफ़ारिश
sayyi-atan
سَيِّئَةً
बुरी
yakun
يَكُن
होगा
lahu
لَّهُۥ
उसके लिए
kif'lun
كِفْلٌ
एक हिस्सा
min'hā
مِّنْهَاۗ
उसमें से
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
muqītan
مُّقِيتًا
निगरान
जो कोई अच्छी सिफ़ारिश करेगा, उसे उसके कारण उसका प्रतिदान मिलेगा और जो बुरी सिफ़ारिश करेगा, तो उसके कारँ उसका बोझ उसपर पड़कर रहेगा। अल्लाह को तो हर चीज़ पर क़ाबू हासिल है ([४] अन-निसा: 85)
Tafseer (तफ़सीर )
८६

وَاِذَا حُيِّيْتُمْ بِتَحِيَّةٍ فَحَيُّوْا بِاَحْسَنَ مِنْهَآ اَوْ رُدُّوْهَا ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ حَسِيْبًا ٨٦

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
ḥuyyītum
حُيِّيتُم
दुआ दिए जाओ तुम
bitaḥiyyatin
بِتَحِيَّةٍ
कोई दुआ
faḥayyū
فَحَيُّوا۟
तो तुम भी दुआ दो
bi-aḥsana
بِأَحْسَنَ
ज़्यादा अच्छी
min'hā
مِنْهَآ
उस से
aw
أَوْ
या
ruddūhā
رُدُّوهَآۗ
लौटा दो उसे
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
ḥasīban
حَسِيبًا
ख़ूब हिसाब लेने वाला
और तुम्हें जब सलामती की कोई दुआ दी जाए, तो तुम सलामती की उससे अच्छी दुआ दो या उसी को लौटा दो। निश्चय ही, अल्लाह हर चीज़ का हिसाब रखता है ([४] अन-निसा: 86)
Tafseer (तफ़सीर )
८७

اَللّٰهُ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَۗ لَيَجْمَعَنَّكُمْ اِلٰى يَوْمِ الْقِيٰمَةِ لَا رَيْبَ فِيْهِ ۗ وَمَنْ اَصْدَقُ مِنَ اللّٰهِ حَدِيْثًا ࣖ ٨٧

al-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
لَآ
नहीं
ilāha
إِلَٰهَ
कोई इलाह (बरहक़)
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَۚ
वो ही
layajmaʿannakum
لَيَجْمَعَنَّكُمْ
अलबत्ता वो ज़रूर जमा करेगा तुम्हें
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ दिन
yawmi
يَوْمِ
तरफ़ दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
لَا
नहीं
rayba
رَيْبَ
कोई शक
fīhi
فِيهِۗ
उस में
waman
وَمَنْ
और कौन
aṣdaqu
أَصْدَقُ
ज़्यादा सच्चा है
mina
مِنَ
अल्लाह से (बढ़ कर)
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से (बढ़ कर)
ḥadīthan
حَدِيثًا
बात में
अल्लाह के सिवा कोई इष्ट -पूज्य नहीं। वह तुम्हें क़ियामत के दिन की ओर ले जाकर इकट्ठा करके रहेगा, जिसके आने में कोई संदेह नहीं, और अल्लाह से बढ़कर सच्ची बात और किसकी हो सकती है ([४] अन-निसा: 87)
Tafseer (तफ़सीर )
८८

۞ فَمَا لَكُمْ فِى الْمُنٰفِقِيْنَ فِئَتَيْنِ وَاللّٰهُ اَرْكَسَهُمْ بِمَا كَسَبُوْا ۗ اَتُرِيْدُوْنَ اَنْ تَهْدُوْا مَنْ اَضَلَّ اللّٰهُ ۗوَمَنْ يُّضْلِلِ اللّٰهُ فَلَنْ تَجِدَ لَهٗ سَبِيْلًا ٨٨

famā
فَمَا
तो क्या है
lakum
لَكُمْ
तुम्हें
فِى
मुनाफ़िक़ों के बारे में
l-munāfiqīna
ٱلْمُنَٰفِقِينَ
मुनाफ़िक़ों के बारे में
fi-atayni
فِئَتَيْنِ
दो गिरोह (हो गए हो)
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह ने
arkasahum
أَرْكَسَهُم
उलटा फेर दिया उन्हें
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kasabū
كَسَبُوٓا۟ۚ
उन्होंने कमाई की
aturīdūna
أَتُرِيدُونَ
क्या तुम चाहते हो
an
أَن
कि
tahdū
تَهْدُوا۟
तुम हिदायत दो
man
مَنْ
उसको जिसे
aḍalla
أَضَلَّ
गुमराह कर दिया
l-lahu
ٱللَّهُۖ
अल्लाह ने
waman
وَمَن
और जिसे
yuḍ'lili
يُضْلِلِ
गुमराह कर दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
falan
فَلَن
तो हरगिज़ नहीं
tajida
تَجِدَ
तुम पाओगे
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
sabīlan
سَبِيلًا
कोई रास्ता
फिर तुम्हें क्या हो गया है कि कपटाचारियों (मुनाफ़िक़ो) के विषय में तुम दो गिरोह हो रहे हो, यद्यपि अल्लाह ने तो उनकी करतूतों के कारण उन्हें उल्टा फेर दिया है? क्या तुम उसे मार्ग पर लाना चाहते हो जिसे अल्लाह ने गुमराह छोड़ दिया है? हालाँकि जिसे अल्लाह मार्ग न दिखाए, उसके लिए तुम कदापि कोई मार्ग नहीं पा सकते ([४] अन-निसा: 88)
Tafseer (तफ़सीर )
८९

وَدُّوْا لَوْ تَكْفُرُوْنَ كَمَا كَفَرُوْا فَتَكُوْنُوْنَ سَوَاۤءً فَلَا تَتَّخِذُوْا مِنْهُمْ اَوْلِيَاۤءَ حَتّٰى يُهَاجِرُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۗ فَاِنْ تَوَلَّوْا فَخُذُوْهُمْ وَاقْتُلُوْهُمْ حَيْثُ وَجَدْتُّمُوْهُمْ ۖ وَلَا تَتَّخِذُوْا مِنْهُمْ وَلِيًّا وَّلَا نَصِيْرًاۙ ٨٩

waddū
وَدُّوا۟
वो दिल से चाहते हैं
law
لَوْ
कि काश
takfurūna
تَكْفُرُونَ
तुम कुफ़्र करो
kamā
كَمَا
जैसा कि
kafarū
كَفَرُوا۟
उन्होंने कुफ़्र किया
fatakūnūna
فَتَكُونُونَ
तो तुम हो जाओ
sawāan
سَوَآءًۖ
बराबर
falā
فَلَا
तो ना
tattakhidhū
تَتَّخِذُوا۟
तुम बनाओ
min'hum
مِنْهُمْ
उनमें से
awliyāa
أَوْلِيَآءَ
दोस्त
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yuhājirū
يُهَاجِرُوا۟
वो हिजरत कर जाऐं
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के रास्ते में
fa-in
فَإِن
फिर अगर
tawallaw
تَوَلَّوْا۟
वो मुँह मोड़ जाऐं
fakhudhūhum
فَخُذُوهُمْ
तो पकड़ो उन्हें
wa-uq'tulūhum
وَٱقْتُلُوهُمْ
और क़त्ल करो उन्हें
ḥaythu
حَيْثُ
जहाँ कहीं
wajadttumūhum
وَجَدتُّمُوهُمْۖ
पाओ तुम उन्हें
walā
وَلَا
और ना
tattakhidhū
تَتَّخِذُوا۟
तुम बनाओ
min'hum
مِنْهُمْ
उनमें से
waliyyan
وَلِيًّا
कोई दोस्त
walā
وَلَا
और ना
naṣīran
نَصِيرًا
कोई मददगार
वे तो चाहते है कि जिस प्रकार वे स्वयं अधर्मी है, उसी प्रकार तुम भी अधर्मी बनकर उन जैसे हो जाओ; तो तुम उनमें से अपने मित्र न बनाओ, जब तक कि वे अल्लाह के मार्ग में घरबार न छोड़े। फिर यदि वे इससे पीठ फेरें तो उन्हें पकड़ो, और उन्हें क़त्ल करो जहाँ कही भी उन्हें पाओ - तो उनमें से किसी को न अपना मित्र बनाना और न सहायक - ([४] अन-निसा: 89)
Tafseer (तफ़सीर )
९०

اِلَّا الَّذِيْنَ يَصِلُوْنَ اِلٰى قَوْمٍۢ بَيْنَكُمْ وَبَيْنَهُمْ مِّيْثَاقٌ اَوْ جَاۤءُوْكُمْ حَصِرَتْ صُدُوْرُهُمْ اَنْ يُّقَاتِلُوْكُمْ اَوْ يُقَاتِلُوْا قَوْمَهُمْ ۗ وَلَوْ شَاۤءَ اللّٰهُ لَسَلَّطَهُمْ عَلَيْكُمْ فَلَقَاتَلُوْكُمْ ۚ فَاِنِ اعْتَزَلُوْكُمْ فَلَمْ يُقَاتِلُوْكُمْ وَاَلْقَوْا اِلَيْكُمُ السَّلَمَ ۙ فَمَا جَعَلَ اللّٰهُ لَكُمْ عَلَيْهِمْ سَبِيْلًا ٩٠

illā
إِلَّا
सिवाय
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों के जो
yaṣilūna
يَصِلُونَ
जा मिलते हैं
ilā
إِلَىٰ
एक क़ौम से
qawmin
قَوْمٍۭ
एक क़ौम से
baynakum
بَيْنَكُمْ
दर्मियान तुम्हारे
wabaynahum
وَبَيْنَهُم
और दर्मियान उनके
mīthāqun
مِّيثَٰقٌ
पुख़्ता अहद है
aw
أَوْ
या
jāūkum
جَآءُوكُمْ
वो आते हैं तुम्हारे पास
ḥaṣirat
حَصِرَتْ
कि तंग हो गए
ṣudūruhum
صُدُورُهُمْ
सीने उनके
an
أَن
कि
yuqātilūkum
يُقَٰتِلُوكُمْ
वो जंग करें तुम से
aw
أَوْ
या
yuqātilū
يُقَٰتِلُوا۟
वो जंग करें
qawmahum
قَوْمَهُمْۚ
अपनी क़ौम से
walaw
وَلَوْ
और अगर
shāa
شَآءَ
चाहता
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
lasallaṭahum
لَسَلَّطَهُمْ
अलबत्ता मुसल्लत कर देता उन्हें
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
falaqātalūkum
فَلَقَٰتَلُوكُمْۚ
पस ज़रूर वो जंग करते तुम से
fa-ini
فَإِنِ
फिर अगर
iʿ'tazalūkum
ٱعْتَزَلُوكُمْ
वो अलग रहें तुम से
falam
فَلَمْ
फिर ना
yuqātilūkum
يُقَٰتِلُوكُمْ
वो जंग करें तुम से
wa-alqaw
وَأَلْقَوْا۟
और वो डालें
ilaykumu
إِلَيْكُمُ
तरफ़ तुम्हारे
l-salama
ٱلسَّلَمَ
सुलह को
famā
فَمَا
तो नहीं
jaʿala
جَعَلَ
बनाया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
sabīlan
سَبِيلًا
कोई रास्ता
सिवाय उन लोगों के जो ऐसे लोगों से सम्बन्ध रखते हों, जिनसे तुम्हारे और उनकी बीच कोई समझौता हो या वे तुम्हारे पास इस दशा में आएँ कि उनके दिल इससे तंग हो रहे हों कि वे तुमसे लड़े या अपने लोगों से लड़ाई करें। यदि अल्लाह चाहता तो उन्हें तुमपर क़ाबू दे देता। फिर तो वे तुमसे अवश्य लड़ते; तो यदि वे तुमसे अलग रहें और तुमसे न लड़ें और संधि के लिए तुम्हारी ओर हाथ बढ़ाएँ तो उनके विरुद्ध अल्लाह ने तुम्हारे लिए कोई रास्ता नहीं रखा है ([४] अन-निसा: 90)
Tafseer (तफ़सीर )