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सूरा अन-निसा - Page: 8

An-Nisa

(औरत)

७१

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا خُذُوْا حِذْرَكُمْ فَانْفِرُوْا ثُبَاتٍ اَوِ انْفِرُوْا جَمِيْعًا ٧١

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगों जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगों जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
khudhū
خُذُوا۟
पकड़ो
ḥidh'rakum
حِذْرَكُمْ
बचाव (हथियार) अपना
fa-infirū
فَٱنفِرُوا۟
फिर निकलो
thubātin
ثُبَاتٍ
छोटे दस्तों में
awi
أَوِ
या
infirū
ٱنفِرُوا۟
निकलो
jamīʿan
جَمِيعًا
सब इकट्ठे
ऐ ईमान लानेवालो! अपने बचाव की साम्रगी (हथियार आदि) सँभालो। फिर या तो अलग-अलग टुकड़ियों में निकलो या इकट्ठे होकर निकलो ([४] अन-निसा: 71)
Tafseer (तफ़सीर )
७२

وَاِنَّ مِنْكُمْ لَمَنْ لَّيُبَطِّئَنَّۚ فَاِنْ اَصَابَتْكُمْ مُّصِيْبَةٌ قَالَ قَدْ اَنْعَمَ اللّٰهُ عَلَيَّ اِذْ لَمْ اَكُنْ مَّعَهُمْ شَهِيْدًا ٧٢

wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
minkum
مِنكُمْ
तुम में से
laman
لَمَن
अलबत्ता वो है जो
layubaṭṭi-anna
لَّيُبَطِّئَنَّ
ज़रूर देर लगाता है
fa-in
فَإِنْ
फिर अगर
aṣābatkum
أَصَٰبَتْكُم
पहुँचे तुम्हें
muṣībatun
مُّصِيبَةٌ
कोई मुसीबत
qāla
قَالَ
वो कहता है
qad
قَدْ
तहक़ीक़
anʿama
أَنْعَمَ
इनाम किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿalayya
عَلَىَّ
मुझ पर
idh
إِذْ
जब कि
lam
لَمْ
ना
akun
أَكُن
था मैं
maʿahum
مَّعَهُمْ
साथ उनके
shahīdan
شَهِيدًا
हाज़िर / मौजूद
तुमसे से कोई ऐसा भी है जो ढीला पड़ जाता है, फिर यदि तुमपर कोई मुसीबत आए तो कहने लगता है कि अल्लाह ने मुझपर कृपा की कि मैं इन लोगों के साथ न गया ([४] अन-निसा: 72)
Tafseer (तफ़सीर )
७३

وَلَىِٕنْ اَصَابَكُمْ فَضْلٌ مِّنَ اللّٰهِ لَيَقُوْلَنَّ كَاَنْ لَّمْ تَكُنْۢ بَيْنَكُمْ وَبَيْنَهٗ مَوَدَّةٌ يّٰلَيْتَنِيْ كُنْتُ مَعَهُمْ فَاَفُوْزَ فَوْزًا عَظِيْمًا ٧٣

wala-in
وَلَئِنْ
और अलबत्ता अगर
aṣābakum
أَصَٰبَكُمْ
पहुँचे तुम्हें
faḍlun
فَضْلٌ
कोई फ़ज़ल
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
layaqūlanna
لَيَقُولَنَّ
अलबत्ता वो ज़रूर कहेगा
ka-an
كَأَن
गोया कि
lam
لَّمْ
ना
takun
تَكُنۢ
थी
baynakum
بَيْنَكُمْ
दर्मियान तुम्हारे
wabaynahu
وَبَيْنَهُۥ
और दर्मियान उसके
mawaddatun
مَوَدَّةٌ
कोई मोहब्बत
yālaytanī
يَٰلَيْتَنِى
हाय अफ़सोस मुझ पर
kuntu
كُنتُ
होता मैं
maʿahum
مَعَهُمْ
साथ उनके
fa-afūza
فَأَفُوزَ
तो मैं कामयाबी पाता
fawzan
فَوْزًا
कामयाबी
ʿaẓīman
عَظِيمًا
बहुत बड़ी
परन्तु यदि अल्लाह की ओर से तुमपर कोई उदार अनुग्रह हो तो वह इस प्रकार से जैसे तुम्हारे और उनके बीच प्रेम का कोई सम्बन्ध ही नहीं, कहता है, 'क्या ही अच्छा होता कि मैं भी उनके साथ होता, तो बड़ी सफलता प्राप्त करता।' ([४] अन-निसा: 73)
Tafseer (तफ़सीर )
७४

۞ فَلْيُقَاتِلْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ الَّذِيْنَ يَشْرُوْنَ الْحَيٰوةَ الدُّنْيَا بِالْاٰخِرَةِ ۗ وَمَنْ يُّقَاتِلْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ فَيُقْتَلْ اَوْ يَغْلِبْ فَسَوْفَ نُؤْتِيْهِ اَجْرًا عَظِيْمًا ٧٤

falyuqātil
فَلْيُقَٰتِلْ
पस चाहिए कि जंग करें
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yashrūna
يَشْرُونَ
बेच देते हैं
l-ḥayata
ٱلْحَيَوٰةَ
ज़िन्दगी
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
bil-ākhirati
بِٱلْءَاخِرَةِۚ
बदले आख़िरत के
waman
وَمَن
और जो कोई
yuqātil
يُقَٰتِلْ
जंग करे
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
fayuq'tal
فَيُقْتَلْ
फिर वो क़त्ल कर दिया जाए
aw
أَوْ
या
yaghlib
يَغْلِبْ
वो ग़ालिब आ जाए
fasawfa
فَسَوْفَ
पस अनक़रीब
nu'tīhi
نُؤْتِيهِ
हम देंगे उसे
ajran
أَجْرًا
अजर
ʿaẓīman
عَظِيمًا
बहुत बड़ा
तो जो लोग आख़िरत (परलोक) के बदले सांसारिक जीवन का सौदा करें, तो उन्हें चाहिए कि अल्लाह के मार्ग में लड़े। जो अल्लाह के मार्ग में लड़ेगी, चाहे वह मारा जाए या विजयी रहे, उसे हम शीघ्र ही बड़ा बदला प्रदान करेंगे ([४] अन-निसा: 74)
Tafseer (तफ़सीर )
७५

وَمَا لَكُمْ لَا تُقَاتِلُوْنَ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَالْمُسْتَضْعَفِيْنَ مِنَ الرِّجَالِ وَالنِّسَاۤءِ وَالْوِلْدَانِ الَّذِيْنَ يَقُوْلُوْنَ رَبَّنَآ اَخْرِجْنَا مِنْ هٰذِهِ الْقَرْيَةِ الظَّالِمِ اَهْلُهَاۚ وَاجْعَلْ لَّنَا مِنْ لَّدُنْكَ وَلِيًّاۚ وَاجْعَلْ لَّنَا مِنْ لَّدُنْكَ نَصِيْرًا ٧٥

wamā
وَمَا
और क्या है
lakum
لَكُمْ
तुम्हें
لَا
नहीं तुम जंग करते
tuqātilūna
تُقَٰتِلُونَ
नहीं तुम जंग करते
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
wal-mus'taḍʿafīna
وَٱلْمُسْتَضْعَفِينَ
हालाँकि जो कमज़ोर हैं
mina
مِنَ
मर्दों में से
l-rijāli
ٱلرِّجَالِ
मर्दों में से
wal-nisāi
وَٱلنِّسَآءِ
और औरतों
wal-wil'dāni
وَٱلْوِلْدَٰنِ
और बच्चों (में से)
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yaqūlūna
يَقُولُونَ
कहते हैं
rabbanā
رَبَّنَآ
ऐ हमारे रब
akhrij'nā
أَخْرِجْنَا
निकाल हमें
min
مِنْ
इस बस्ती से
hādhihi
هَٰذِهِ
इस बस्ती से
l-qaryati
ٱلْقَرْيَةِ
इस बस्ती से
l-ẓālimi
ٱلظَّالِمِ
ज़ालिम हैं
ahluhā
أَهْلُهَا
रहने वाले इसके
wa-ij'ʿal
وَٱجْعَل
और बना दे
lanā
لَّنَا
हमारे लिए
min
مِن
अपने पास से
ladunka
لَّدُنكَ
अपने पास से
waliyyan
وَلِيًّا
कोई हिमायती
wa-ij'ʿal
وَٱجْعَل
और बना दे
lanā
لَّنَا
हमारे लिए
min
مِن
अपने पास से
ladunka
لَّدُنكَ
अपने पास से
naṣīran
نَصِيرًا
कोई मददगार
तुम्हें क्या हुआ है कि अल्लाह के मार्ग में और उन कमज़ोर पुरुषों, औरतों और बच्चों के लिए युद्ध न करो, जो प्रार्थनाएँ करते है कि 'हमारे रब! तू हमें इस बस्ती से निकाल, जिसके लोग अत्याचारी है। और हमारे लिए अपनी ओर से तू कोई समर्थक नियुक्त कर और हमारे लिए अपनी ओर से तू कोई सहायक नियुक्त कर।' ([४] अन-निसा: 75)
Tafseer (तफ़सीर )
७६

اَلَّذِيْنَ اٰمَنُوْا يُقَاتِلُوْنَ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۚ وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا يُقَاتِلُوْنَ فِيْ سَبِيْلِ الطَّاغُوْتِ فَقَاتِلُوْٓا اَوْلِيَاۤءَ الشَّيْطٰنِ ۚ اِنَّ كَيْدَ الشَّيْطٰنِ كَانَ ضَعِيْفًا ۚ ࣖ ٧٦

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
yuqātilūna
يُقَٰتِلُونَ
वो जंग करते हैं
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह के रास्ते में
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
yuqātilūna
يُقَٰتِلُونَ
वो जंग करते हैं
فِى
ताग़ूत के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
ताग़ूत के रास्ते में
l-ṭāghūti
ٱلطَّٰغُوتِ
ताग़ूत के रास्ते में
faqātilū
فَقَٰتِلُوٓا۟
पस जंग करो
awliyāa
أَوْلِيَآءَ
दोस्तों से
l-shayṭāni
ٱلشَّيْطَٰنِۖ
शैतान के
inna
إِنَّ
बेशक
kayda
كَيْدَ
चाल
l-shayṭāni
ٱلشَّيْطَٰنِ
शैतान की
kāna
كَانَ
है
ḍaʿīfan
ضَعِيفًا
बहुत कमज़ोर
ईमान लानेवाले तो अल्लाह के मार्ग में युद्ध करते है और अधर्मी लोग ताग़ूत (बढ़े हुए सरकश) के मार्ग में युद्ध करते है। अतः तुम शैतान के मित्रों से लड़ो। निश्चय ही, शैतान की चाल बहुत कमज़ोर होती है ([४] अन-निसा: 76)
Tafseer (तफ़सीर )
७७

اَلَمْ تَرَ اِلَى الَّذِيْنَ قِيْلَ لَهُمْ كُفُّوْٓا اَيْدِيَكُمْ وَاَقِيْمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَۚ فَلَمَّا كُتِبَ عَلَيْهِمُ الْقِتَالُ اِذَا فَرِيْقٌ مِّنْهُمْ يَخْشَوْنَ النَّاسَ كَخَشْيَةِ اللّٰهِ اَوْ اَشَدَّ خَشْيَةً ۚ وَقَالُوْا رَبَّنَا لِمَ كَتَبْتَ عَلَيْنَا الْقِتَالَۚ لَوْلَآ اَخَّرْتَنَآ اِلٰٓى اَجَلٍ قَرِيْبٍۗ قُلْ مَتَاعُ الدُّنْيَا قَلِيْلٌۚ وَالْاٰخِرَةُ خَيْرٌ لِّمَنِ اتَّقٰىۗ وَلَا تُظْلَمُوْنَ فَتِيْلًا ٧٧

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
tara
تَرَ
आपने देखा
ilā
إِلَى
तरफ़ उनके
alladhīna
ٱلَّذِينَ
तरफ़ उनके
qīla
قِيلَ
कहा गया
lahum
لَهُمْ
जिन्हें
kuffū
كُفُّوٓا۟
रोके रखो
aydiyakum
أَيْدِيَكُمْ
अपने हाथों को
wa-aqīmū
وَأَقِيمُوا۟
और क़ायम करो
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
waātū
وَءَاتُوا۟
और अदा करो
l-zakata
ٱلزَّكَوٰةَ
ज़कात
falammā
فَلَمَّا
तो जब
kutiba
كُتِبَ
फ़र्ज़ किया गया
ʿalayhimu
عَلَيْهِمُ
उन पर
l-qitālu
ٱلْقِتَالُ
जंग करना
idhā
إِذَا
तब
farīqun
فَرِيقٌ
एक गिरोह (के लोग)
min'hum
مِّنْهُمْ
उनमें से
yakhshawna
يَخْشَوْنَ
वो डर रहे थे
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों से
kakhashyati
كَخَشْيَةِ
जैसा डरना
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
aw
أَوْ
या
ashadda
أَشَدَّ
ज़्यादा शदीद
khashyatan
خَشْيَةًۚ
डरना
waqālū
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
lima
لِمَ
क्यों
katabta
كَتَبْتَ
फ़र्ज़ किया तूने
ʿalaynā
عَلَيْنَا
हम पर
l-qitāla
ٱلْقِتَالَ
जंग करना
lawlā
لَوْلَآ
क्यों ना
akhartanā
أَخَّرْتَنَآ
तूने मोहलत दी हमें
ilā
إِلَىٰٓ
एक मुद्दत तक
ajalin
أَجَلٍ
एक मुद्दत तक
qarībin
قَرِيبٍۗ
क़रीब की
qul
قُلْ
कह दीजिए
matāʿu
مَتَٰعُ
फ़ायदा
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया का
qalīlun
قَلِيلٌ
बहुत थोड़ा है
wal-ākhiratu
وَٱلْءَاخِرَةُ
और आख़िरत
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
limani
لِّمَنِ
उसके लिए जो
ittaqā
ٱتَّقَىٰ
तक़वा करे
walā
وَلَا
और ना
tuẓ'lamūna
تُظْلَمُونَ
तुम ज़ुल्म किए जाओगे
fatīlan
فَتِيلًا
धागे बराबर
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जिनसे कहा गया था कि अपने हाथ रोके रखो और नमाज़ क़ायम करो और ज़कात दो? फिर जब उन्हें युद्ध का आदेश दिया गया तो क्या देखते है कि उनमें से कुछ लोगों का हाल यह है कि वे लोगों से ऐसा डरने लगे जैसे अल्लाह का डर हो या यह डर उससे भी बढ़कर हो। कहने लगे, 'हमारे रब! तूने हमपर युद्ध क्यों अनिवार्य कर दिया? क्यों न थोड़ी मुहलत हमें और दी?' कह दो, 'दुनिया की पूँजी बहुत थोड़ी है, जबकि आख़िरत उस व्यक्ति के अधिक अच्छी है जो अल्लाह का डर रखता हो और तुम्हारे साथ तनिक भी अन्याय न किया जाएगा। ([४] अन-निसा: 77)
Tafseer (तफ़सीर )
७८

اَيْنَمَا تَكُوْنُوْا يُدْرِكْكُّمُ الْمَوْتُ وَلَوْ كُنْتُمْ فِيْ بُرُوْجٍ مُّشَيَّدَةٍ ۗ وَاِنْ تُصِبْهُمْ حَسَنَةٌ يَّقُوْلُوْا هٰذِهٖ مِنْ عِنْدِ اللّٰهِ ۚ وَاِنْ تُصِبْهُمْ سَيِّئَةٌ يَّقُوْلُوْا هٰذِهٖ مِنْ عِنْدِكَ ۗ قُلْ كُلٌّ مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ ۗ فَمَالِ هٰٓؤُلَاۤءِ الْقَوْمِ لَا يَكَادُوْنَ يَفْقَهُوْنَ حَدِيْثًا ٧٨

aynamā
أَيْنَمَا
जहाँ कहीं
takūnū
تَكُونُوا۟
तुम होगे
yud'rikkumu
يُدْرِككُّمُ
पा लेगी तुम्हें
l-mawtu
ٱلْمَوْتُ
मौत
walaw
وَلَوْ
और अगरचे
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
فِى
क़िलों में
burūjin
بُرُوجٍ
क़िलों में
mushayyadatin
مُّشَيَّدَةٍۗ
मज़बूत
wa-in
وَإِن
और अगर
tuṣib'hum
تُصِبْهُمْ
पहुँचती है उन्हें
ḥasanatun
حَسَنَةٌ
कोई भलाई
yaqūlū
يَقُولُوا۟
वो कहते हैं
hādhihi
هَٰذِهِۦ
ये
min
مِنْ
अल्लाह की तरफ़ से है
ʿindi
عِندِ
अल्लाह की तरफ़ से है
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह की तरफ़ से है
wa-in
وَإِن
और अगर
tuṣib'hum
تُصِبْهُمْ
पहुँचती है उन्हें
sayyi-atun
سَيِّئَةٌ
कोई बुराई
yaqūlū
يَقُولُوا۟
वो कहते हैं
hādhihi
هَٰذِهِۦ
ये
min
مِنْ
आपकी तरफ़ से है
ʿindika
عِندِكَۚ
आपकी तरफ़ से है
qul
قُلْ
कह दीजिए
kullun
كُلٌّ
सब कुछ
min
مِّنْ
अल्लाह की तरफ़ से है
ʿindi
عِندِ
अल्लाह की तरफ़ से है
l-lahi
ٱللَّهِۖ
अल्लाह की तरफ़ से है
famāli
فَمَالِ
तो क्या है वास्ते
hāulāi
هَٰٓؤُلَآءِ
उस
l-qawmi
ٱلْقَوْمِ
क़ौम के
لَا
नहीं वो क़रीब होते
yakādūna
يَكَادُونَ
नहीं वो क़रीब होते
yafqahūna
يَفْقَهُونَ
कि वो समझें
ḥadīthan
حَدِيثًا
बात को
'तुम जहाँ कहीं भी होंगे, मृत्यु तो तुम्हें आकर रहेगी; चाहे तुम मज़बूत बुर्जों (क़िलों) में ही (क्यों न) हो।' यदि उन्हें कोई अच्छी हालत पेश आती है तो कहते है, 'यह तो अल्लाह के पास से है।' परन्तु यदि उन्हें कोई बुरी हालत पेश आती है तो कहते है, 'यह तुम्हारे कारण है।' कह दो, 'हरेक चीज़ अल्लाह के पास से है।' आख़िर इन लोगों को क्या हो गया कि ये ऐसे नहीं लगते कि कोई बात समझ सकें? ([४] अन-निसा: 78)
Tafseer (तफ़सीर )
७९

مَآ اَصَابَكَ مِنْ حَسَنَةٍ فَمِنَ اللّٰهِ ۖ وَمَآ اَصَابَكَ مِنْ سَيِّئَةٍ فَمِنْ نَّفْسِكَ ۗ وَاَرْسَلْنٰكَ لِلنَّاسِ رَسُوْلًا ۗ وَكَفٰى بِاللّٰهِ شَهِيْدًا ٧٩

مَّآ
जो भी
aṣābaka
أَصَابَكَ
पहुँचती है तुझको
min
مِنْ
कोई भलाई
ḥasanatin
حَسَنَةٍ
कोई भलाई
famina
فَمِنَ
तो अल्लाह की तरफ़ से है
l-lahi
ٱللَّهِۖ
तो अल्लाह की तरफ़ से है
wamā
وَمَآ
और जो भी
aṣābaka
أَصَابَكَ
पहुँचती है तुझको
min
مِن
कोई बुराई
sayyi-atin
سَيِّئَةٍ
कोई बुराई
famin
فَمِن
तो तुम्हारे नफ़्स की तरफ़ से है
nafsika
نَّفْسِكَۚ
तो तुम्हारे नफ़्स की तरफ़ से है
wa-arsalnāka
وَأَرْسَلْنَٰكَ
और भेजा हमने आपको
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
rasūlan
رَسُولًاۚ
रसूल बनाकर
wakafā
وَكَفَىٰ
और काफ़ी है
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह
shahīdan
شَهِيدًا
गवाह
तुम्हें जो भी भलाई प्राप्त' होती है, वह अल्लाह को ओर से है और जो बुरी हालत तुम्हें पेश आ जाती है तो वह तुम्हारे अपने ही कारण पेश आती है। हमने तुम्हें लोगों के लिए रसूल बनाकर भेजा है और (इसपर) अल्लाह का गवाह होना काफ़ी है ([४] अन-निसा: 79)
Tafseer (तफ़सीर )
८०

مَنْ يُّطِعِ الرَّسُوْلَ فَقَدْ اَطَاعَ اللّٰهَ ۚ وَمَنْ تَوَلّٰى فَمَآ اَرْسَلْنٰكَ عَلَيْهِمْ حَفِيْظًا ۗ ٨٠

man
مَّن
जिसने
yuṭiʿi
يُطِعِ
इताअत की
l-rasūla
ٱلرَّسُولَ
रसूल की
faqad
فَقَدْ
पस तहक़ीक़
aṭāʿa
أَطَاعَ
उसने इताअत की
l-laha
ٱللَّهَۖ
अल्लाह की
waman
وَمَن
और जिसने
tawallā
تَوَلَّىٰ
मुँह मोड़ा
famā
فَمَآ
तो नहीं
arsalnāka
أَرْسَلْنَٰكَ
भेजा हमने आपको
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
ḥafīẓan
حَفِيظًا
निगरान
जिसने रसूल की आज्ञा का पालन किया, उसने अल्लाह की आज्ञा का पालन किया और जिसने मुँह मोड़ा तो हमने तुम्हें ऐसे लोगों पर कोई रखवाला बनाकर तो नहीं भेजा है ([४] अन-निसा: 80)
Tafseer (तफ़सीर )