اَلَمْ تَرَ اِلَى الَّذِيْنَ اُوْتُوْا نَصِيْبًا مِّنَ الْكِتٰبِ يُؤْمِنُوْنَ بِالْجِبْتِ وَالطَّاغُوْتِ وَيَقُوْلُوْنَ لِلَّذِيْنَ كَفَرُوْا هٰٓؤُلَاۤءِ اَهْدٰى مِنَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا سَبِيْلًا ٥١
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- tara
- تَرَ
- आपने देखा
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ उनके जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- तरफ़ उनके जो
- ūtū
- أُوتُوا۟
- दिए गए
- naṣīban
- نَصِيبًا
- एक हिस्सा
- mina
- مِّنَ
- किताब में से
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- किताब में से
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- वो ईमान लाते हैं
- bil-jib'ti
- بِٱلْجِبْتِ
- साथ जिब्त (जादू)
- wal-ṭāghūti
- وَٱلطَّٰغُوتِ
- और ताग़ूत (शैतान) के
- wayaqūlūna
- وَيَقُولُونَ
- और वो कहते हैं
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उनके लिए जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- hāulāi
- هَٰٓؤُلَآءِ
- ये लोग
- ahdā
- أَهْدَىٰ
- ज़्यादा हिदायत याफ़्ता हैं
- mina
- مِنَ
- उनसे जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनसे जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- sabīlan
- سَبِيلًا
- रास्ते के ऐतबार से
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा, जिन्हें किताब का एक हिस्सा दिय् गया? वे अवास्तविक चीज़ो और ताग़ूत (बढ़ हुए सरकश) को मानते है। और अधर्मियों के विषय में कहते है, 'ये ईमानवालों से बढ़कर मार्ग पर है।' ([४] अन-निसा: 51)Tafseer (तफ़सीर )
اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ لَعَنَهُمُ اللّٰهُ ۗوَمَنْ يَّلْعَنِ اللّٰهُ فَلَنْ تَجِدَ لَهٗ نَصِيْرًا ٥٢
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- laʿanahumu
- لَعَنَهُمُ
- लानत की उन पर
- l-lahu
- ٱللَّهُۖ
- अल्लाह ने
- waman
- وَمَن
- और जिस पर
- yalʿani
- يَلْعَنِ
- लानत कर दे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- falan
- فَلَن
- तो हरगिज़ नहीं
- tajida
- تَجِدَ
- आप पाऐंगे
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- naṣīran
- نَصِيرًا
- कोई मददगार
वही है जिनपर अल्लाह ने लातन की है, और जिसपर अल्लाह लानत कर दे, उसका तुम कोई सहायक कदापि न पाओगे ([४] अन-निसा: 52)Tafseer (तफ़सीर )
اَمْ لَهُمْ نَصِيْبٌ مِّنَ الْمُلْكِ فَاِذًا لَّا يُؤْتُوْنَ النَّاسَ نَقِيْرًاۙ ٥٣
- am
- أَمْ
- या
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- naṣībun
- نَصِيبٌ
- कोई हिस्सा है
- mina
- مِّنَ
- बादशाहत में से
- l-mul'ki
- ٱلْمُلْكِ
- बादशाहत में से
- fa-idhan
- فَإِذًا
- तो तब
- lā
- لَّا
- नहीं वो देंगे
- yu'tūna
- يُؤْتُونَ
- नहीं वो देंगे
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَ
- लोगों को
- naqīran
- نَقِيرًا
- खजूर की गुठली में सूराख़ बराबर
या बादशाही में इनका कोई हिस्सा है? फिर तो ये लोगों को फूटी कौड़ी तक भी न देते ([४] अन-निसा: 53)Tafseer (तफ़सीर )
اَمْ يَحْسُدُوْنَ النَّاسَ عَلٰى مَآ اٰتٰىهُمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖۚ فَقَدْ اٰتَيْنَآ اٰلَ اِبْرٰهِيْمَ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ وَاٰتَيْنٰهُمْ مُّلْكًا عَظِيْمًا ٥٤
- am
- أَمْ
- या
- yaḥsudūna
- يَحْسُدُونَ
- वो हसद करते हैं
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَ
- लोगों से
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- mā
- مَآ
- उसके जो
- ātāhumu
- ءَاتَىٰهُمُ
- दिया उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- min
- مِن
- अपने फ़ज़ल से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦۖ
- अपने फ़ज़ल से
- faqad
- فَقَدْ
- पस तहक़ीक़
- ātaynā
- ءَاتَيْنَآ
- दी हमने
- āla
- ءَالَ
- आले इब्राहीम को
- ib'rāhīma
- إِبْرَٰهِيمَ
- आले इब्राहीम को
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- wal-ḥik'mata
- وَٱلْحِكْمَةَ
- और हिकमत
- waātaynāhum
- وَءَاتَيْنَٰهُم
- और दी हमने उन्हें
- mul'kan
- مُّلْكًا
- बादशाहत
- ʿaẓīman
- عَظِيمًا
- बहुत बड़ी
या ये लोगों से इसलिए ईर्ष्या करते है कि अल्लाह ने उन्हें अपने उदार दान से अनुग्रहित कर दिया? हमने तो इबराहीम के लोगों को किताब और हिकमत (तत्वदर्शिता) दी और उन्हें बड़ा राज्य प्रदान किया ([४] अन-निसा: 54)Tafseer (तफ़सीर )
فَمِنْهُمْ مَّنْ اٰمَنَ بِهٖ وَمِنْهُمْ مَّنْ صَدَّ عَنْهُ ۗ وَكَفٰى بِجَهَنَّمَ سَعِيْرًا ٥٥
- famin'hum
- فَمِنْهُم
- तो उनमें से कोई है
- man
- مَّنْ
- जो
- āmana
- ءَامَنَ
- ईमान लाया
- bihi
- بِهِۦ
- उस पर
- wamin'hum
- وَمِنْهُم
- और उनमें से कोई है
- man
- مَّن
- जो
- ṣadda
- صَدَّ
- रुक गया
- ʿanhu
- عَنْهُۚ
- उस से
- wakafā
- وَكَفَىٰ
- और काफ़ी है
- bijahannama
- بِجَهَنَّمَ
- जहन्नम
- saʿīran
- سَعِيرًا
- भड़कती हुई
फिर उनमें से कोई उसपर ईमान लाया और उसमें से किसी ने किनारा खीच लिया। और (ऐसे लोगों के लिए) जहन्नम की भड़कती आग ही काफ़ी है ([४] अन-निसा: 55)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِاٰيٰتِنَا سَوْفَ نُصْلِيْهِمْ نَارًاۗ كُلَّمَا نَضِجَتْ جُلُوْدُهُمْ بَدَّلْنٰهُمْ جُلُوْدًا غَيْرَهَا لِيَذُوْقُوا الْعَذَابَۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَزِيْزًا حَكِيْمًا ٥٦
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَا
- साथ हमारी आयात के
- sawfa
- سَوْفَ
- अनक़रीब
- nuṣ'līhim
- نُصْلِيهِمْ
- हम जलाऐंगे उन्हें
- nāran
- نَارًا
- आग में
- kullamā
- كُلَّمَا
- जब भी
- naḍijat
- نَضِجَتْ
- पक जाऐंगीं
- julūduhum
- جُلُودُهُم
- खालें उनकी
- baddalnāhum
- بَدَّلْنَٰهُمْ
- बदल देंगे हम उन्हें
- julūdan
- جُلُودًا
- खालें
- ghayrahā
- غَيْرَهَا
- अलावा उनके
- liyadhūqū
- لِيَذُوقُوا۟
- ताकि वो चखें
- l-ʿadhāba
- ٱلْعَذَابَۗ
- अज़ाब को
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है
- ʿazīzan
- عَزِيزًا
- बहुत ज़बरदस्त
- ḥakīman
- حَكِيمًا
- बहुत हिकमत वाला
जिन लोगों ने हमारी आयतों का इनकार किया, उन्हें हम जल्द ही आग में झोंकेंगे। जब भी उनकी खालें पक जाएँगी, तो हम उन्हें दूसरी खालों में बदल दिया करेंगे, ताकि वे यातना का मज़ा चखते ही रहें। निस्संदेह अल्लाह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([४] अन-निसा: 56)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ سَنُدْخِلُهُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَآ اَبَدًاۗ لَهُمْ فِيْهَآ اَزْوَاجٌ مُّطَهَّرَةٌ ۙ وَّنُدْخِلُهُمْ ظِلًّا ظَلِيْلًا ٥٧
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- sanud'khiluhum
- سَنُدْخِلُهُمْ
- ज़रूर हम दाखिल करेंगे उन्हें
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात में
- tajrī
- تَجْرِى
- बहती हैं
- min
- مِن
- उनके नीचे से
- taḥtihā
- تَحْتِهَا
- उनके नीचे से
- l-anhāru
- ٱلْأَنْهَٰرُ
- नहरें
- khālidīna
- خَٰلِدِينَ
- हमेशा रहने वाले हैं
- fīhā
- فِيهَآ
- उनमें
- abadan
- أَبَدًاۖ
- हमेशा-हमेशा
- lahum
- لَّهُمْ
- उनके लिए
- fīhā
- فِيهَآ
- उनमें
- azwājun
- أَزْوَٰجٌ
- बीवियाँ हैं
- muṭahharatun
- مُّطَهَّرَةٌۖ
- इन्तिहाई पाकीज़ा
- wanud'khiluhum
- وَنُدْخِلُهُمْ
- और हम दाख़िल करेंगे उन्हें
- ẓillan
- ظِلًّا
- साए में
- ẓalīlan
- ظَلِيلًا
- घने
और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उन्हें हम ऐसे बाग़ो में दाखिल करेंगे, जिनके नीचे नहरें बह रहीं होगी, जहाँ वे सदैव रहेंगे। उनके लिए वहाँ पाक जोड़े होंगे और हम उन्हें घनी छाँव में दाखिल करेंगे ([४] अन-निसा: 57)Tafseer (तफ़सीर )
۞ اِنَّ اللّٰهَ يَأْمُرُكُمْ اَنْ تُؤَدُّوا الْاَمٰنٰتِ اِلٰٓى اَهْلِهَاۙ وَاِذَا حَكَمْتُمْ بَيْنَ النَّاسِ اَنْ تَحْكُمُوْا بِالْعَدْلِ ۗ اِنَّ اللّٰهَ نِعِمَّا يَعِظُكُمْ بِهٖ ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ سَمِيْعًاۢ بَصِيْرًا ٥٨
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yamurukum
- يَأْمُرُكُمْ
- हुक्म देता है तुम्हें
- an
- أَن
- कि
- tu-addū
- تُؤَدُّوا۟
- तुम अदा करो
- l-amānāti
- ٱلْأَمَٰنَٰتِ
- अमानतों को
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़ उनके अहल के
- ahlihā
- أَهْلِهَا
- तरफ़ उनके अहल के
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- ḥakamtum
- حَكَمْتُم
- फैसला करो तुम
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों के
- an
- أَن
- ये कि
- taḥkumū
- تَحْكُمُوا۟
- तुम फैसला करो
- bil-ʿadli
- بِٱلْعَدْلِۚ
- साथ अदल के
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- niʿimmā
- نِعِمَّا
- बहुत अच्छी है जो
- yaʿiẓukum
- يَعِظُكُم
- वो नसीहत करता है तुम्हें
- bihi
- بِهِۦٓۗ
- उसकी
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है
- samīʿan
- سَمِيعًۢا
- बहुत सुनने वाला
- baṣīran
- بَصِيرًا
- बहुत देखने वाला
अल्लाह तुम्हें आदेश देता है कि अमानतों को उनके हक़दारों तक पहुँचा दिया करो। और जब लोगों के बीच फ़ैसला करो, तो न्यायपूर्वक फ़ैसला करो। अल्लाह तुम्हें कितनी अच्छी नसीहत करता है। निस्सदेह, अल्लाह सब कुछ सुनता, देखता है ([४] अन-निसा: 58)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَطِيْعُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوا الرَّسُوْلَ وَاُولِى الْاَمْرِ مِنْكُمْۚ فَاِنْ تَنَازَعْتُمْ فِيْ شَيْءٍ فَرُدُّوْهُ اِلَى اللّٰهِ وَالرَّسُوْلِ اِنْ كُنْتُمْ تُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِۗ ذٰلِكَ خَيْرٌ وَّاَحْسَنُ تَأْوِيْلًا ࣖ ٥٩
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟
- ईमान लाए हो
- aṭīʿū
- أَطِيعُوا۟
- इताअत करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- wa-aṭīʿū
- وَأَطِيعُوا۟
- और इताअत करो
- l-rasūla
- ٱلرَّسُولَ
- रसूल की
- wa-ulī
- وَأُو۟لِى
- और ऊलुल अम्र की
- l-amri
- ٱلْأَمْرِ
- और ऊलुल अम्र की
- minkum
- مِنكُمْۖ
- तुम में से
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- tanāzaʿtum
- تَنَٰزَعْتُمْ
- तनाज़ेआ हो जाए तुम में
- fī
- فِى
- किसी चीज़ में
- shayin
- شَىْءٍ
- किसी चीज़ में
- faruddūhu
- فَرُدُّوهُ
- तो फेर दो इसे
- ilā
- إِلَى
- तरफ अल्लाह के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- तरफ अल्लाह के
- wal-rasūli
- وَٱلرَّسُولِ
- और रसूल के
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- tu'minūna
- تُؤْمِنُونَ
- तुम ईमान रखते
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wal-yawmi
- وَٱلْيَوْمِ
- और आख़िरी दिन पर
- l-ākhiri
- ٱلْءَاخِرِۚ
- और आख़िरी दिन पर
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- wa-aḥsanu
- وَأَحْسَنُ
- और ज़्यादा अच्छा है
- tawīlan
- تَأْوِيلًا
- अंजाम के ऐतबार से
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह की आज्ञा का पालन करो और रसूल का कहना मानो और उनका भी कहना मानो जो तुममें अधिकारी लोग है। फिर यदि तुम्हारे बीच किसी मामले में झगड़ा हो जाए, तो उसे तुम अल्लाह और रसूल की ओर लौटाओ, यदि तुम अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखते हो। यदि उत्तम है और परिणाम की स्पष्ट से भी अच्छा है ([४] अन-निसा: 59)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَمْ تَرَ اِلَى الَّذِيْنَ يَزْعُمُوْنَ اَنَّهُمْ اٰمَنُوْا بِمَآ اُنْزِلَ اِلَيْكَ وَمَآ اُنْزِلَ مِنْ قَبْلِكَ يُرِيْدُوْنَ اَنْ يَّتَحَاكَمُوْٓا اِلَى الطَّاغُوْتِ وَقَدْ اُمِرُوْٓا اَنْ يَّكْفُرُوْا بِهٖ ۗوَيُرِيْدُ الشَّيْطٰنُ اَنْ يُّضِلَّهُمْ ضَلٰلًا ۢ بَعِيْدًا ٦٠
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- tara
- تَرَ
- आपने देखा
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ उनके जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- तरफ़ उनके जो
- yazʿumūna
- يَزْعُمُونَ
- दावा करते हैं
- annahum
- أَنَّهُمْ
- बेशक वो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- वो ईमान लाए
- bimā
- بِمَآ
- उस पर जो
- unzila
- أُنزِلَ
- नाज़िल किया गया
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- wamā
- وَمَآ
- और जो
- unzila
- أُنزِلَ
- नाज़िल किया गया
- min
- مِن
- आप से पहले
- qablika
- قَبْلِكَ
- आप से पहले
- yurīdūna
- يُرِيدُونَ
- वो चाहते हैं
- an
- أَن
- कि
- yataḥākamū
- يَتَحَاكَمُوٓا۟
- वो फैसला ले जाऐं
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ ताग़ूत के
- l-ṭāghūti
- ٱلطَّٰغُوتِ
- तरफ़ ताग़ूत के
- waqad
- وَقَدْ
- हालाँकि तहक़ीक़
- umirū
- أُمِرُوٓا۟
- वो हुक्म दिए गए
- an
- أَن
- कि
- yakfurū
- يَكْفُرُوا۟
- वो कुफ़्र करें
- bihi
- بِهِۦ
- उसका
- wayurīdu
- وَيُرِيدُ
- और चाहता है
- l-shayṭānu
- ٱلشَّيْطَٰنُ
- शैतान
- an
- أَن
- कि
- yuḍillahum
- يُضِلَّهُمْ
- वो गुमराह कर दे उन्हें
- ḍalālan
- ضَلَٰلًۢا
- गुमराह करना
- baʿīdan
- بَعِيدًا
- दूर का
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा, जो दावा तो करते है कि वे उस चीज़ पर ईमान रखते हैं, जो तुम्हारी ओर उतारी गई है और तुमसे पहले उतारी गई है। और चाहते है कि अपना मामला ताग़ूत के पास ले जाकर फ़ैसला कराएँ, जबकि उन्हें हुक्म दिया गया है कि वे उसका इनकार करें? परन्तु शैतान तो उन्हें भटकाकर बहुत दूर डाल देना चाहता है ([४] अन-निसा: 60)Tafseer (तफ़सीर )