Skip to content

सूरा अन-निसा - Page: 6

An-Nisa

(औरत)

५१

اَلَمْ تَرَ اِلَى الَّذِيْنَ اُوْتُوْا نَصِيْبًا مِّنَ الْكِتٰبِ يُؤْمِنُوْنَ بِالْجِبْتِ وَالطَّاغُوْتِ وَيَقُوْلُوْنَ لِلَّذِيْنَ كَفَرُوْا هٰٓؤُلَاۤءِ اَهْدٰى مِنَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا سَبِيْلًا ٥١

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
tara
تَرَ
आपने देखा
ilā
إِلَى
तरफ़ उनके जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
तरफ़ उनके जो
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए
naṣīban
نَصِيبًا
एक हिस्सा
mina
مِّنَ
किताब में से
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
किताब में से
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
वो ईमान लाते हैं
bil-jib'ti
بِٱلْجِبْتِ
साथ जिब्त (जादू)
wal-ṭāghūti
وَٱلطَّٰغُوتِ
और ताग़ूत (शैतान) के
wayaqūlūna
وَيَقُولُونَ
और वो कहते हैं
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उनके लिए जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
hāulāi
هَٰٓؤُلَآءِ
ये लोग
ahdā
أَهْدَىٰ
ज़्यादा हिदायत याफ़्ता हैं
mina
مِنَ
उनसे जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनसे जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
sabīlan
سَبِيلًا
रास्ते के ऐतबार से
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा, जिन्हें किताब का एक हिस्सा दिय् गया? वे अवास्तविक चीज़ो और ताग़ूत (बढ़ हुए सरकश) को मानते है। और अधर्मियों के विषय में कहते है, 'ये ईमानवालों से बढ़कर मार्ग पर है।' ([४] अन-निसा: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

اُولٰۤىِٕكَ الَّذِيْنَ لَعَنَهُمُ اللّٰهُ ۗوَمَنْ يَّلْعَنِ اللّٰهُ فَلَنْ تَجِدَ لَهٗ نَصِيْرًا ٥٢

ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
laʿanahumu
لَعَنَهُمُ
लानत की उन पर
l-lahu
ٱللَّهُۖ
अल्लाह ने
waman
وَمَن
और जिस पर
yalʿani
يَلْعَنِ
लानत कर दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
falan
فَلَن
तो हरगिज़ नहीं
tajida
تَجِدَ
आप पाऐंगे
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
naṣīran
نَصِيرًا
कोई मददगार
वही है जिनपर अल्लाह ने लातन की है, और जिसपर अल्लाह लानत कर दे, उसका तुम कोई सहायक कदापि न पाओगे ([४] अन-निसा: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

اَمْ لَهُمْ نَصِيْبٌ مِّنَ الْمُلْكِ فَاِذًا لَّا يُؤْتُوْنَ النَّاسَ نَقِيْرًاۙ ٥٣

am
أَمْ
या
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
naṣībun
نَصِيبٌ
कोई हिस्सा है
mina
مِّنَ
बादशाहत में से
l-mul'ki
ٱلْمُلْكِ
बादशाहत में से
fa-idhan
فَإِذًا
तो तब
لَّا
नहीं वो देंगे
yu'tūna
يُؤْتُونَ
नहीं वो देंगे
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों को
naqīran
نَقِيرًا
खजूर की गुठली में सूराख़ बराबर
या बादशाही में इनका कोई हिस्सा है? फिर तो ये लोगों को फूटी कौड़ी तक भी न देते ([४] अन-निसा: 53)
Tafseer (तफ़सीर )
५४

اَمْ يَحْسُدُوْنَ النَّاسَ عَلٰى مَآ اٰتٰىهُمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖۚ فَقَدْ اٰتَيْنَآ اٰلَ اِبْرٰهِيْمَ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ وَاٰتَيْنٰهُمْ مُّلْكًا عَظِيْمًا ٥٤

am
أَمْ
या
yaḥsudūna
يَحْسُدُونَ
वो हसद करते हैं
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों से
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
مَآ
उसके जो
ātāhumu
ءَاتَىٰهُمُ
दिया उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
min
مِن
अपने फ़ज़ल से
faḍlihi
فَضْلِهِۦۖ
अपने फ़ज़ल से
faqad
فَقَدْ
पस तहक़ीक़
ātaynā
ءَاتَيْنَآ
दी हमने
āla
ءَالَ
आले इब्राहीम को
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِيمَ
आले इब्राहीम को
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
wal-ḥik'mata
وَٱلْحِكْمَةَ
और हिकमत
waātaynāhum
وَءَاتَيْنَٰهُم
और दी हमने उन्हें
mul'kan
مُّلْكًا
बादशाहत
ʿaẓīman
عَظِيمًا
बहुत बड़ी
या ये लोगों से इसलिए ईर्ष्या करते है कि अल्लाह ने उन्हें अपने उदार दान से अनुग्रहित कर दिया? हमने तो इबराहीम के लोगों को किताब और हिकमत (तत्वदर्शिता) दी और उन्हें बड़ा राज्य प्रदान किया ([४] अन-निसा: 54)
Tafseer (तफ़सीर )
५५

فَمِنْهُمْ مَّنْ اٰمَنَ بِهٖ وَمِنْهُمْ مَّنْ صَدَّ عَنْهُ ۗ وَكَفٰى بِجَهَنَّمَ سَعِيْرًا ٥٥

famin'hum
فَمِنْهُم
तो उनमें से कोई है
man
مَّنْ
जो
āmana
ءَامَنَ
ईमान लाया
bihi
بِهِۦ
उस पर
wamin'hum
وَمِنْهُم
और उनमें से कोई है
man
مَّن
जो
ṣadda
صَدَّ
रुक गया
ʿanhu
عَنْهُۚ
उस से
wakafā
وَكَفَىٰ
और काफ़ी है
bijahannama
بِجَهَنَّمَ
जहन्नम
saʿīran
سَعِيرًا
भड़कती हुई
फिर उनमें से कोई उसपर ईमान लाया और उसमें से किसी ने किनारा खीच लिया। और (ऐसे लोगों के लिए) जहन्नम की भड़कती आग ही काफ़ी है ([४] अन-निसा: 55)
Tafseer (तफ़सीर )
५६

اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِاٰيٰتِنَا سَوْفَ نُصْلِيْهِمْ نَارًاۗ كُلَّمَا نَضِجَتْ جُلُوْدُهُمْ بَدَّلْنٰهُمْ جُلُوْدًا غَيْرَهَا لِيَذُوْقُوا الْعَذَابَۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَزِيْزًا حَكِيْمًا ٥٦

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَا
साथ हमारी आयात के
sawfa
سَوْفَ
अनक़रीब
nuṣ'līhim
نُصْلِيهِمْ
हम जलाऐंगे उन्हें
nāran
نَارًا
आग में
kullamā
كُلَّمَا
जब भी
naḍijat
نَضِجَتْ
पक जाऐंगीं
julūduhum
جُلُودُهُم
खालें उनकी
baddalnāhum
بَدَّلْنَٰهُمْ
बदल देंगे हम उन्हें
julūdan
جُلُودًا
खालें
ghayrahā
غَيْرَهَا
अलावा उनके
liyadhūqū
لِيَذُوقُوا۟
ताकि वो चखें
l-ʿadhāba
ٱلْعَذَابَۗ
अज़ाब को
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
ʿazīzan
عَزِيزًا
बहुत ज़बरदस्त
ḥakīman
حَكِيمًا
बहुत हिकमत वाला
जिन लोगों ने हमारी आयतों का इनकार किया, उन्हें हम जल्द ही आग में झोंकेंगे। जब भी उनकी खालें पक जाएँगी, तो हम उन्हें दूसरी खालों में बदल दिया करेंगे, ताकि वे यातना का मज़ा चखते ही रहें। निस्संदेह अल्लाह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([४] अन-निसा: 56)
Tafseer (तफ़सीर )
५७

وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ سَنُدْخِلُهُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَآ اَبَدًاۗ لَهُمْ فِيْهَآ اَزْوَاجٌ مُّطَهَّرَةٌ ۙ وَّنُدْخِلُهُمْ ظِلًّا ظَلِيْلًا ٥٧

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
sanud'khiluhum
سَنُدْخِلُهُمْ
ज़रूर हम दाखिल करेंगे उन्हें
jannātin
جَنَّٰتٍ
बाग़ात में
tajrī
تَجْرِى
बहती हैं
min
مِن
उनके नीचे से
taḥtihā
تَحْتِهَا
उनके नीचे से
l-anhāru
ٱلْأَنْهَٰرُ
नहरें
khālidīna
خَٰلِدِينَ
हमेशा रहने वाले हैं
fīhā
فِيهَآ
उनमें
abadan
أَبَدًاۖ
हमेशा-हमेशा
lahum
لَّهُمْ
उनके लिए
fīhā
فِيهَآ
उनमें
azwājun
أَزْوَٰجٌ
बीवियाँ हैं
muṭahharatun
مُّطَهَّرَةٌۖ
इन्तिहाई पाकीज़ा
wanud'khiluhum
وَنُدْخِلُهُمْ
और हम दाख़िल करेंगे उन्हें
ẓillan
ظِلًّا
साए में
ẓalīlan
ظَلِيلًا
घने
और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उन्हें हम ऐसे बाग़ो में दाखिल करेंगे, जिनके नीचे नहरें बह रहीं होगी, जहाँ वे सदैव रहेंगे। उनके लिए वहाँ पाक जोड़े होंगे और हम उन्हें घनी छाँव में दाखिल करेंगे ([४] अन-निसा: 57)
Tafseer (तफ़सीर )
५८

۞ اِنَّ اللّٰهَ يَأْمُرُكُمْ اَنْ تُؤَدُّوا الْاَمٰنٰتِ اِلٰٓى اَهْلِهَاۙ وَاِذَا حَكَمْتُمْ بَيْنَ النَّاسِ اَنْ تَحْكُمُوْا بِالْعَدْلِ ۗ اِنَّ اللّٰهَ نِعِمَّا يَعِظُكُمْ بِهٖ ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ سَمِيْعًاۢ بَصِيْرًا ٥٨

inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yamurukum
يَأْمُرُكُمْ
हुक्म देता है तुम्हें
an
أَن
कि
tu-addū
تُؤَدُّوا۟
तुम अदा करो
l-amānāti
ٱلْأَمَٰنَٰتِ
अमानतों को
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़ उनके अहल के
ahlihā
أَهْلِهَا
तरफ़ उनके अहल के
wa-idhā
وَإِذَا
और जब
ḥakamtum
حَكَمْتُم
फैसला करो तुम
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों के
an
أَن
ये कि
taḥkumū
تَحْكُمُوا۟
तुम फैसला करो
bil-ʿadli
بِٱلْعَدْلِۚ
साथ अदल के
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
niʿimmā
نِعِمَّا
बहुत अच्छी है जो
yaʿiẓukum
يَعِظُكُم
वो नसीहत करता है तुम्हें
bihi
بِهِۦٓۗ
उसकी
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
samīʿan
سَمِيعًۢا
बहुत सुनने वाला
baṣīran
بَصِيرًا
बहुत देखने वाला
अल्लाह तुम्हें आदेश देता है कि अमानतों को उनके हक़दारों तक पहुँचा दिया करो। और जब लोगों के बीच फ़ैसला करो, तो न्यायपूर्वक फ़ैसला करो। अल्लाह तुम्हें कितनी अच्छी नसीहत करता है। निस्सदेह, अल्लाह सब कुछ सुनता, देखता है ([४] अन-निसा: 58)
Tafseer (तफ़सीर )
५९

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَطِيْعُوا اللّٰهَ وَاَطِيْعُوا الرَّسُوْلَ وَاُولِى الْاَمْرِ مِنْكُمْۚ فَاِنْ تَنَازَعْتُمْ فِيْ شَيْءٍ فَرُدُّوْهُ اِلَى اللّٰهِ وَالرَّسُوْلِ اِنْ كُنْتُمْ تُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِۗ ذٰلِكَ خَيْرٌ وَّاَحْسَنُ تَأْوِيْلًا ࣖ ٥٩

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
aṭīʿū
أَطِيعُوا۟
इताअत करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
wa-aṭīʿū
وَأَطِيعُوا۟
और इताअत करो
l-rasūla
ٱلرَّسُولَ
रसूल की
wa-ulī
وَأُو۟لِى
और ऊलुल अम्र की
l-amri
ٱلْأَمْرِ
और ऊलुल अम्र की
minkum
مِنكُمْۖ
तुम में से
fa-in
فَإِن
फिर अगर
tanāzaʿtum
تَنَٰزَعْتُمْ
तनाज़ेआ हो जाए तुम में
فِى
किसी चीज़ में
shayin
شَىْءٍ
किसी चीज़ में
faruddūhu
فَرُدُّوهُ
तो फेर दो इसे
ilā
إِلَى
तरफ अल्लाह के
l-lahi
ٱللَّهِ
तरफ अल्लाह के
wal-rasūli
وَٱلرَّسُولِ
और रसूल के
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
tu'minūna
تُؤْمِنُونَ
तुम ईमान रखते
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wal-yawmi
وَٱلْيَوْمِ
और आख़िरी दिन पर
l-ākhiri
ٱلْءَاخِرِۚ
और आख़िरी दिन पर
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
wa-aḥsanu
وَأَحْسَنُ
और ज़्यादा अच्छा है
tawīlan
تَأْوِيلًا
अंजाम के ऐतबार से
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह की आज्ञा का पालन करो और रसूल का कहना मानो और उनका भी कहना मानो जो तुममें अधिकारी लोग है। फिर यदि तुम्हारे बीच किसी मामले में झगड़ा हो जाए, तो उसे तुम अल्लाह और रसूल की ओर लौटाओ, यदि तुम अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखते हो। यदि उत्तम है और परिणाम की स्पष्ट से भी अच्छा है ([४] अन-निसा: 59)
Tafseer (तफ़सीर )
६०

اَلَمْ تَرَ اِلَى الَّذِيْنَ يَزْعُمُوْنَ اَنَّهُمْ اٰمَنُوْا بِمَآ اُنْزِلَ اِلَيْكَ وَمَآ اُنْزِلَ مِنْ قَبْلِكَ يُرِيْدُوْنَ اَنْ يَّتَحَاكَمُوْٓا اِلَى الطَّاغُوْتِ وَقَدْ اُمِرُوْٓا اَنْ يَّكْفُرُوْا بِهٖ ۗوَيُرِيْدُ الشَّيْطٰنُ اَنْ يُّضِلَّهُمْ ضَلٰلًا ۢ بَعِيْدًا ٦٠

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
tara
تَرَ
आपने देखा
ilā
إِلَى
तरफ़ उनके जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
तरफ़ उनके जो
yazʿumūna
يَزْعُمُونَ
दावा करते हैं
annahum
أَنَّهُمْ
बेशक वो
āmanū
ءَامَنُوا۟
वो ईमान लाए
bimā
بِمَآ
उस पर जो
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
ilayka
إِلَيْكَ
तरफ़ आपके
wamā
وَمَآ
और जो
unzila
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
min
مِن
आप से पहले
qablika
قَبْلِكَ
आप से पहले
yurīdūna
يُرِيدُونَ
वो चाहते हैं
an
أَن
कि
yataḥākamū
يَتَحَاكَمُوٓا۟
वो फैसला ले जाऐं
ilā
إِلَى
तरफ़ ताग़ूत के
l-ṭāghūti
ٱلطَّٰغُوتِ
तरफ़ ताग़ूत के
waqad
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
umirū
أُمِرُوٓا۟
वो हुक्म दिए गए
an
أَن
कि
yakfurū
يَكْفُرُوا۟
वो कुफ़्र करें
bihi
بِهِۦ
उसका
wayurīdu
وَيُرِيدُ
और चाहता है
l-shayṭānu
ٱلشَّيْطَٰنُ
शैतान
an
أَن
कि
yuḍillahum
يُضِلَّهُمْ
वो गुमराह कर दे उन्हें
ḍalālan
ضَلَٰلًۢا
गुमराह करना
baʿīdan
بَعِيدًا
दूर का
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा, जो दावा तो करते है कि वे उस चीज़ पर ईमान रखते हैं, जो तुम्हारी ओर उतारी गई है और तुमसे पहले उतारी गई है। और चाहते है कि अपना मामला ताग़ूत के पास ले जाकर फ़ैसला कराएँ, जबकि उन्हें हुक्म दिया गया है कि वे उसका इनकार करें? परन्तु शैतान तो उन्हें भटकाकर बहुत दूर डाल देना चाहता है ([४] अन-निसा: 60)
Tafseer (तफ़सीर )