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सूरा अन-निसा - Page: 5

An-Nisa

(औरत)

४१

فَكَيْفَ اِذَا جِئْنَا مِنْ كُلِّ اُمَّةٍۢ بِشَهِيْدٍ وَّجِئْنَا بِكَ عَلٰى هٰٓؤُلَاۤءِ شَهِيْدًاۗ ٤١

fakayfa
فَكَيْفَ
फिर क्या हाल होगा
idhā
إِذَا
जब
ji'nā
جِئْنَا
लाऐंगे हम
min
مِن
हर उम्मत से
kulli
كُلِّ
हर उम्मत से
ummatin
أُمَّةٍۭ
हर उम्मत से
bishahīdin
بِشَهِيدٍ
एक गवाह
waji'nā
وَجِئْنَا
और लाऐंगे हम
bika
بِكَ
आपको
ʿalā
عَلَىٰ
उन सब पर
hāulāi
هَٰٓؤُلَآءِ
उन सब पर
shahīdan
شَهِيدًا
गवाह
फिर क्या हाल होगा जब हम प्रत्येक समुदाय में से एक गवाह लाएँगे और स्वयं तुम्हें इन लोगों के मुक़ाबले में गवाह बनाकर पेश करेंगे? ([४] अन-निसा: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

يَوْمَىِٕذٍ يَّوَدُّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَعَصَوُا الرَّسُوْلَ لَوْ تُسَوّٰى بِهِمُ الْاَرْضُۗ وَلَا يَكْتُمُوْنَ اللّٰهَ حَدِيْثًا ࣖ ٤٢

yawma-idhin
يَوْمَئِذٍ
जिस दिन
yawaddu
يَوَدُّ
चाहेंगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
waʿaṣawū
وَعَصَوُا۟
और नाफ़रमानी की
l-rasūla
ٱلرَّسُولَ
रसूल की
law
لَوْ
काश
tusawwā
تُسَوَّىٰ
बराबर कर दी जाए
bihimu
بِهِمُ
उन पर
l-arḍu
ٱلْأَرْضُ
ज़मीन
walā
وَلَا
और ना
yaktumūna
يَكْتُمُونَ
वो छुपा सकेंगे
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
ḥadīthan
حَدِيثًا
कोई बात
उस दिन वे लोग जिन्होंने इनकार किया होगा और रसूल की अवज्ञा की होगी, यही चाहेंगे कि किसी तरह धरती में समोकर उसे बराबर कर दिया जाए। वे अल्लाह से कोई बात भी न छिपा सकेंगे ([४] अन-निसा: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَقْرَبُوا الصَّلٰوةَ وَاَنْتُمْ سُكَارٰى حَتّٰى تَعْلَمُوْا مَا تَقُوْلُوْنَ وَلَا جُنُبًا اِلَّا عَابِرِيْ سَبِيْلٍ حَتّٰى تَغْتَسِلُوْا ۗوَاِنْ كُنْتُمْ مَّرْضٰٓى اَوْ عَلٰى سَفَرٍ اَوْ جَاۤءَ اَحَدٌ مِّنْكُمْ مِّنَ الْغَاۤىِٕطِ اَوْ لٰمَسْتُمُ النِّسَاۤءَ فَلَمْ تَجِدُوْا مَاۤءً فَتَيَمَّمُوْا صَعِيْدًا طَيِّبًا فَامْسَحُوْا بِوُجُوْهِكُمْ وَاَيْدِيْكُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَفُوًّا غَفُوْرًا ٤٣

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम क़रीब जाओ
taqrabū
تَقْرَبُوا۟
ना तुम क़रीब जाओ
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़ के
wa-antum
وَأَنتُمْ
जबकि तुम
sukārā
سُكَٰرَىٰ
नशे में हो
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
taʿlamū
تَعْلَمُوا۟
तुम जान लो
مَا
जो
taqūlūna
تَقُولُونَ
तुम कहते हो
walā
وَلَا
और ना
junuban
جُنُبًا
हालते जनाबत में
illā
إِلَّا
मगर
ʿābirī
عَابِرِى
उबूर करने वाले हो
sabīlin
سَبِيلٍ
रास्ते को
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
taghtasilū
تَغْتَسِلُوا۟ۚ
तुम ग़ुस्ल कर लो
wa-in
وَإِن
और अगर
kuntum
كُنتُم
हो तुम
marḍā
مَّرْضَىٰٓ
मरीज़
aw
أَوْ
या
ʿalā
عَلَىٰ
सफ़र पर
safarin
سَفَرٍ
सफ़र पर
aw
أَوْ
या
jāa
جَآءَ
आया
aḥadun
أَحَدٌ
कोई एक
minkum
مِّنكُم
तुम में से
mina
مِّنَ
क़ज़ा-ए- हाजत से
l-ghāiṭi
ٱلْغَآئِطِ
क़ज़ा-ए- हाजत से
aw
أَوْ
या
lāmastumu
لَٰمَسْتُمُ
छुआ हो तुमने
l-nisāa
ٱلنِّسَآءَ
औरतों को
falam
فَلَمْ
फिर ना
tajidū
تَجِدُوا۟
तुम पाओ
māan
مَآءً
पानी
fatayammamū
فَتَيَمَّمُوا۟
तो तयम्मुम करो
ṣaʿīdan
صَعِيدًا
मिट्टी
ṭayyiban
طَيِّبًا
पाक से
fa-im'saḥū
فَٱمْسَحُوا۟
फिर मसह करो
biwujūhikum
بِوُجُوهِكُمْ
अपने चेहरों का
wa-aydīkum
وَأَيْدِيكُمْۗ
और अपने हाथों का
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
ʿafuwwan
عَفُوًّا
बहुत माफ़ करने वाला
ghafūran
غَفُورًا
बहुत बख़्शने वाला
ऐ ईमान लानेवालो! नशे की दशा में नमाज़ में व्यस्त न हो, जब तक कि तुम यह न जानने लगो कि तुम क्या कह रहे हो। और इसी प्रकार नापाकी की दशा में भी (नमाज़ में व्यस्त न हो), जब तक कि तुम स्नान न कर लो, सिवाय इसके कि तुम सफ़र में हो। और यदि तुम बीमार हो या सफ़र में हो, या तुममें से कोई शौच करके आए या तुमने स्त्रियों को हाथ लगाया हो, फिर तुम्हें पानी न मिले, तो पाक मिट्टी से काम लो और उसपर हाथ मारकर अपने चहरे और हाथों पर मलो। निस्संदेह अल्लाह नर्मी से काम लेनेवाला, अत्यन्त क्षमाशील है ([४] अन-निसा: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

اَلَمْ تَرَ اِلَى الَّذِيْنَ اُوْتُوْا نَصِيْبًا مِّنَ الْكِتٰبِ يَشْتَرُوْنَ الضَّلٰلَةَ وَيُرِيْدُوْنَ اَنْ تَضِلُّوا السَّبِيْلَۗ ٤٤

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
tara
تَرَ
आपने देखा
ilā
إِلَى
तरफ़ उनके जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
तरफ़ उनके जो
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए
naṣīban
نَصِيبًا
एक हिस्सा
mina
مِّنَ
किताब में से
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
किताब में से
yashtarūna
يَشْتَرُونَ
वो ख़रीदते हैं
l-ḍalālata
ٱلضَّلَٰلَةَ
गुमराही को
wayurīdūna
وَيُرِيدُونَ
और वो चाहते है
an
أَن
कि
taḍillū
تَضِلُّوا۟
तुम भटक जाओ
l-sabīla
ٱلسَّبِيلَ
रास्ते से
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा, जिन्हें सौभाग्य प्रदान हुआ था अर्थात किताब दी गई थी? वे पथभ्रष्टता के खरीदार बने हुए है और चाहते है कि तुम भी रास्ते से भटक जाओ ([४] अन-निसा: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

وَاللّٰهُ اَعْلَمُ بِاَعْدَاۤىِٕكُمْ ۗوَكَفٰى بِاللّٰهِ وَلِيًّا ۙوَّكَفٰى بِاللّٰهِ نَصِيْرًا ٤٥

wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
aʿlamu
أَعْلَمُ
ज़्यादा जानता है
bi-aʿdāikum
بِأَعْدَآئِكُمْۚ
तुम्हारे दुश्मनों को
wakafā
وَكَفَىٰ
और काफ़ी है
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह
waliyyan
وَلِيًّا
दोस्त
wakafā
وَكَفَىٰ
और काफ़ी है
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह
naṣīran
نَصِيرًا
मददगार
अल्लाह तुम्हारे शत्रुओं को भली-भाँति जानता है। अल्लाह एक संरक्षक के रूप में काफ़ी है और अल्लाह एक सहायक के रूप में भी काफ़ी है ([४] अन-निसा: 45)
Tafseer (तफ़सीर )
४६

مِنَ الَّذِيْنَ هَادُوْا يُحَرِّفُوْنَ الْكَلِمَ عَنْ مَّوَاضِعِهٖ وَيَقُوْلُوْنَ سَمِعْنَا وَعَصَيْنَا وَاسْمَعْ غَيْرَ مُسْمَعٍ وَّرَاعِنَا لَيًّاۢ بِاَلْسِنَتِهِمْ وَطَعْنًا فِى الدِّيْنِۗ وَلَوْ اَنَّهُمْ قَالُوْا سَمِعْنَا وَاَطَعْنَا وَاسْمَعْ وَانْظُرْنَا لَكَانَ خَيْرًا لَّهُمْ وَاَقْوَمَۙ وَلٰكِنْ لَّعَنَهُمُ اللّٰهُ بِكُفْرِهِمْ فَلَا يُؤْمِنُوْنَ اِلَّا قَلِيْلًا ٤٦

mina
مِّنَ
उन लोगों में से जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों में से जो
hādū
هَادُوا۟
यहूदी बन गए
yuḥarrifūna
يُحَرِّفُونَ
वो तब्दील कर देते हैं
l-kalima
ٱلْكَلِمَ
अलफ़ाज़ को
ʿan
عَن
उनकी जगहों से
mawāḍiʿihi
مَّوَاضِعِهِۦ
उनकी जगहों से
wayaqūlūna
وَيَقُولُونَ
और वो कहते हैं
samiʿ'nā
سَمِعْنَا
सुना हमने
waʿaṣaynā
وَعَصَيْنَا
और नाफ़रमानी की हमने
wa-is'maʿ
وَٱسْمَعْ
और सुनो तुम
ghayra
غَيْرَ
ना सुनवाए जाओ
mus'maʿin
مُسْمَعٍ
ना सुनवाए जाओ
warāʿinā
وَرَٰعِنَا
और राइना (कहते हैं)
layyan
لَيًّۢا
मोड़ते हुए
bi-alsinatihim
بِأَلْسِنَتِهِمْ
अपनी ज़बानों को
waṭaʿnan
وَطَعْنًا
और ऐब लगाने के लिए
فِى
दीन में
l-dīni
ٱلدِّينِۚ
दीन में
walaw
وَلَوْ
और अगर
annahum
أَنَّهُمْ
बेशक वो
qālū
قَالُوا۟
वो कहते
samiʿ'nā
سَمِعْنَا
सुना हमने
wa-aṭaʿnā
وَأَطَعْنَا
और इताअत की हमने
wa-is'maʿ
وَٱسْمَعْ
और सुनिए
wa-unẓur'nā
وَٱنظُرْنَا
और देखिए हमें
lakāna
لَكَانَ
अलबत्ता होता
khayran
خَيْرًا
बेहतर
lahum
لَّهُمْ
उनके लिए
wa-aqwama
وَأَقْوَمَ
और ज़्यादा दुरुस्त
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
laʿanahumu
لَّعَنَهُمُ
लानत की उन पर
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
bikuf'rihim
بِكُفْرِهِمْ
बवजह उनके कुफ़्र के
falā
فَلَا
तो नहीं
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
वो ईमान लाते
illā
إِلَّا
मगर
qalīlan
قَلِيلًا
बहुत थोड़ा
वे लोग जो यहूदी बन गए, वे शब्दों को उनके स्थानों से दूसरी ओर फेर देते है और कहते हैं, 'समि'अना व 'असैना' (हमने सुना, लेकिन हम मानते नही); और 'इसम'अ ग़ै-र मुसम'इन' (सुनो हालाँकि तुम सुनने के योग्य नहीं हो और 'राइना' (हमारी ओर ध्यान दो) - यह वे अपनी ज़बानों को तोड़-मरोड़कर और दीन पर चोटें करते हुए कहते है। और यदि वे कहते, 'समिअ'ना व अ-त'अना' (हमने सुना और माना) और 'इसम'अ' (सुनो) और 'उनज़ुरना' (हमारी ओर निगाह करो) तो यह उनके लिए अच्छा और अधिक ठीक होता। किन्तु उनपर तो उनके इनकार के कारण अल्लाह की फिटकार पड़ी हुई है। फिर वे ईमान थोड़े ही लाते है ([४] अन-निसा: 46)
Tafseer (तफ़सीर )
४७

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ اٰمِنُوْا بِمَا نَزَّلْنَا مُصَدِّقًا لِّمَا مَعَكُمْ مِّنْ قَبْلِ اَنْ نَّطْمِسَ وُجُوْهًا فَنَرُدَّهَا عَلٰٓى اَدْبَارِهَآ اَوْ نَلْعَنَهُمْ كَمَا لَعَنَّآ اَصْحٰبَ السَّبْتِ ۗ وَكَانَ اَمْرُ اللّٰهِ مَفْعُوْلًا ٤٧

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए हो
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
āminū
ءَامِنُوا۟
ईमान लाओ
bimā
بِمَا
उस पर जो
nazzalnā
نَزَّلْنَا
नाज़िल किया हमने
muṣaddiqan
مُصَدِّقًا
तसदीक़ करने वाला है
limā
لِّمَا
उसकी जो
maʿakum
مَعَكُم
तुम्हारे पास है
min
مِّن
इससे पहले
qabli
قَبْلِ
इससे पहले
an
أَن
कि
naṭmisa
نَّطْمِسَ
हम मिटा दें
wujūhan
وُجُوهًا
चेहरों को
fanaruddahā
فَنَرُدَّهَا
फिर हम फेर दें उन्हें
ʿalā
عَلَىٰٓ
उनकी पुश्तों पर
adbārihā
أَدْبَارِهَآ
उनकी पुश्तों पर
aw
أَوْ
या
nalʿanahum
نَلْعَنَهُمْ
हम लानत करें उन पर
kamā
كَمَا
जैसा कि
laʿannā
لَعَنَّآ
लानत की हमने
aṣḥāba
أَصْحَٰبَ
सब्त (हफ़्ता) वालों पर
l-sabti
ٱلسَّبْتِۚ
सब्त (हफ़्ता) वालों पर
wakāna
وَكَانَ
और है
amru
أَمْرُ
हुक्म
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
mafʿūlan
مَفْعُولًا
होकर रहने वाला
ऐ लोगों! जिन्हें किताब दी गई, उस चीज को मानो जो हमने उतारी है, जो उसकी पुष्टि में है, जो स्वयं तुम्हारे पास है, इससे पहले कि हम चेहरों की रूपरेखा को मिटाकर रख दें और उन्हें उनके पीछ की ओर फेर दें या उनपर लानत करें, जिस प्रकार हमने सब्तवालों पर लानत की थी। और अल्लाह का आदेश तो लागू होकर ही रहता है ([४] अन-निसा: 47)
Tafseer (तफ़सीर )
४८

اِنَّ اللّٰهَ لَا يَغْفِرُ اَنْ يُّشْرَكَ بِهٖ وَيَغْفِرُ مَا دُوْنَ ذٰلِكَ لِمَنْ يَّشَاۤءُ ۚ وَمَنْ يُّشْرِكْ بِاللّٰهِ فَقَدِ افْتَرٰٓى اِثْمًا عَظِيْمًا ٤٨

inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं बख़्शेगा
yaghfiru
يَغْفِرُ
नहीं बख़्शेगा
an
أَن
कि
yush'raka
يُشْرَكَ
शिर्क किया जाए
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
wayaghfiru
وَيَغْفِرُ
और वो बख़्श देगा
مَا
जो
dūna
دُونَ
अलावा है
dhālika
ذَٰلِكَ
उसके
liman
لِمَن
जिसके लिए
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहेगा
waman
وَمَن
और जो कोई
yush'rik
يُشْرِكْ
शिर्क करेगा
bil-lahi
بِٱللَّهِ
साथ अल्लाह के
faqadi
فَقَدِ
तो तहक़ीक़
if'tarā
ٱفْتَرَىٰٓ
उसने गढ़ लिया
ith'man
إِثْمًا
गुनाह
ʿaẓīman
عَظِيمًا
बहुत बड़ा
अल्लाह इसके क्षमा नहीं करेगा कि उसका साझी ठहराया जाए। किन्तु उससे नीचे दर्जे के अपराध को जिसके लिए चाहेगा, क्षमा कर देगा और जिस किसी ने अल्लाह का साझी ठहराया, तो उसने एक बड़ा झूठ घड़ लिया ([४] अन-निसा: 48)
Tafseer (तफ़सीर )
४९

اَلَمْ تَرَ اِلَى الَّذِيْنَ يُزَكُّوْنَ اَنْفُسَهُمْ ۗ بَلِ اللّٰهُ يُزَكِّيْ مَنْ يَّشَاۤءُ وَلَا يُظْلَمُوْنَ فَتِيْلًا ٤٩

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
tara
تَرَ
आपने देखा
ilā
إِلَى
तरफ़ उनके जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
तरफ़ उनके जो
yuzakkūna
يُزَكُّونَ
पाक क़रार देते हैं
anfusahum
أَنفُسَهُمۚ
अपने नफ़्सों को
bali
بَلِ
बल्कि
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
yuzakkī
يُزَكِّى
पाक करता है
man
مَن
जिसको
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
walā
وَلَا
और ना
yuẓ'lamūna
يُظْلَمُونَ
वो ज़ुल्म किए जाऐंगे
fatīlan
فَتِيلًا
धागे बराबर
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जो अपने को पूर्ण एवं शिष्ट होने का दावा करते हैं? (कोई यूँ ही शिष्ट नहीं हुआ करता) बल्कि अल्लाह ही जिसे चाहता है, पूर्णता एवं शिष्टता प्रदान करता है। और उनके साथ तनिक भी अत्याचार नहीं किया जाता ([४] अन-निसा: 49)
Tafseer (तफ़सीर )
५०

اُنْظُرْ كَيْفَ يَفْتَرُوْنَ عَلَى اللّٰهِ الْكَذِبَۗ وَكَفٰى بِهٖٓ اِثْمًا مُّبِيْنًا ࣖ ٥٠

unẓur
ٱنظُرْ
देखो
kayfa
كَيْفَ
किस तरह
yaftarūna
يَفْتَرُونَ
वो गढ़ते हैं
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
l-kadhiba
ٱلْكَذِبَۖ
झूठ
wakafā
وَكَفَىٰ
और काफ़ी है
bihi
بِهِۦٓ
उसका
ith'man
إِثْمًا
गुनाह होना
mubīnan
مُّبِينًا
खुल्लम-खुला
देखो तो सही, वे अल्लाह पर कैसा झूठ मढ़ते हैं? खुले गुनाह के लिए तो यही पर्याप्त है ([४] अन-निसा: 50)
Tafseer (तफ़सीर )