اِنْ تَجْتَنِبُوْا كَبَاۤىِٕرَ مَا تُنْهَوْنَ عَنْهُ نُكَفِّرْ عَنْكُمْ سَيِّاٰتِكُمْ وَنُدْخِلْكُمْ مُّدْخَلًا كَرِيْمًا ٣١
- in
- إِن
- अगर
- tajtanibū
- تَجْتَنِبُوا۟
- तुम इज्तिनाब करो/बचो
- kabāira
- كَبَآئِرَ
- बड़े गुनाहों से
- mā
- مَا
- वो जो
- tun'hawna
- تُنْهَوْنَ
- तुम रोके जाते हो
- ʿanhu
- عَنْهُ
- जिनसे
- nukaffir
- نُكَفِّرْ
- हम दूर कर देंगे
- ʿankum
- عَنكُمْ
- तुम से
- sayyiātikum
- سَيِّـَٔاتِكُمْ
- बुराईयाँ तुम्हारी
- wanud'khil'kum
- وَنُدْخِلْكُم
- और हम दाख़िल करेंगे तुम्हें
- mud'khalan
- مُّدْخَلًا
- दाख़िल करना
- karīman
- كَرِيمًا
- इज़्ज़त से
यदि तुम उन बड़े गुनाहों से बचते रहो, जिनसे तुम्हे रोका जा रहा है, तो हम तुम्हारी बुराइयों को तुमसे दूर कर देंगे और तुम्हें प्रतिष्ठित स्थान में प्रवेश कराएँगे ([४] अन-निसा: 31)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَا تَتَمَنَّوْا مَا فَضَّلَ اللّٰهُ بِهٖ بَعْضَكُمْ عَلٰى بَعْضٍ ۗ لِلرِّجَالِ نَصِيْبٌ مِّمَّا اكْتَسَبُوْا ۗ وَلِلنِّسَاۤءِ نَصِيْبٌ مِّمَّا اكْتَسَبْنَ ۗوَسْـَٔلُوا اللّٰهَ مِنْ فَضْلِهٖ ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمًا ٣٢
- walā
- وَلَا
- और ना
- tatamannaw
- تَتَمَنَّوْا۟
- तुम तमन्ना करो
- mā
- مَا
- उसकी जो
- faḍḍala
- فَضَّلَ
- फ़ज़ीलत दी
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- baʿḍakum
- بَعْضَكُمْ
- तुम्हारे बाज़ को
- ʿalā
- عَلَىٰ
- बाज़ पर
- baʿḍin
- بَعْضٍۚ
- बाज़ पर
- lilrrijāli
- لِّلرِّجَالِ
- मर्दों के लिए है
- naṣībun
- نَصِيبٌ
- एक हिस्सा
- mimmā
- مِّمَّا
- उसमें से जो
- ik'tasabū
- ٱكْتَسَبُوا۟ۖ
- उन्होंने कमाया
- walilnnisāi
- وَلِلنِّسَآءِ
- और औरतों के लिए है
- naṣībun
- نَصِيبٌ
- एक हिस्सा
- mimmā
- مِّمَّا
- उसमें से जो
- ik'tasabna
- ٱكْتَسَبْنَۚ
- उन्होंने कमाया
- wasalū
- وَسْـَٔلُوا۟
- और सवाल करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- min
- مِن
- उसके फज़ल का
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦٓۗ
- उसके फज़ल का
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है
- bikulli
- بِكُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ को
- ʿalīman
- عَلِيمًا
- ख़ूब जानने वाला
और उसकी कामना न करो जिसमें अल्लाह ने तुमसे किसी को किसी से उच्च रखा है। पुरुषों ने जो कुछ कमाया है, उसके अनुसार उनका हिस्सा है और स्त्रियों ने जो कुछ कमाया है, उसके अनुसार उनका हिस्सा है। अल्लाह से उसका उदार दान चाहो। निस्संदेह अल्लाह को हर चीज़ का ज्ञान है ([४] अन-निसा: 32)Tafseer (तफ़सीर )
وَلِكُلٍّ جَعَلْنَا مَوَالِيَ مِمَّا تَرَكَ الْوَالِدٰنِ وَالْاَقْرَبُوْنَ ۗ وَالَّذِيْنَ عَقَدَتْ اَيْمَانُكُمْ فَاٰتُوْهُمْ نَصِيْبَهُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ شَهِيْدًا ࣖ ٣٣
- walikullin
- وَلِكُلٍّ
- और हर एक के लिए
- jaʿalnā
- جَعَلْنَا
- बना दिए हमने
- mawāliya
- مَوَٰلِىَ
- वारिस
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- taraka
- تَرَكَ
- छोड़ जाऐं
- l-wālidāni
- ٱلْوَٰلِدَانِ
- वालिदैन
- wal-aqrabūna
- وَٱلْأَقْرَبُونَۚ
- और रिश्तेदार
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिनको
- ʿaqadat
- عَقَدَتْ
- बाँध रखा है
- aymānukum
- أَيْمَٰنُكُمْ
- तुम्हारे अहदो पैमान ने
- faātūhum
- فَـَٔاتُوهُمْ
- पस दो तुम उन्हें
- naṣībahum
- نَصِيبَهُمْۚ
- हिस्सा उनका
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- shahīdan
- شَهِيدًا
- ख़ूब गवाह
और प्रत्येक माल के लिए, जो माँ-बाप और नातेदार छोड़ जाएँ, हमने वासिस ठहरा दिए है और जिन लोगों से अपनी क़समों के द्वारा तुम्हारा पक्का मामला हुआ हो, तो उन्हें भी उनका हिस्सा दो। निस्संदेह हर चीज़ अल्लाह के समक्ष है ([४] अन-निसा: 33)Tafseer (तफ़सीर )
اَلرِّجَالُ قَوَّامُوْنَ عَلَى النِّسَاۤءِ بِمَا فَضَّلَ اللّٰهُ بَعْضَهُمْ عَلٰى بَعْضٍ وَّبِمَآ اَنْفَقُوْا مِنْ اَمْوَالِهِمْ ۗ فَالصّٰلِحٰتُ قٰنِتٰتٌ حٰفِظٰتٌ لِّلْغَيْبِ بِمَا حَفِظَ اللّٰهُ ۗوَالّٰتِيْ تَخَافُوْنَ نُشُوْزَهُنَّ فَعِظُوْهُنَّ وَاهْجُرُوْهُنَّ فِى الْمَضَاجِعِ وَاضْرِبُوْهُنَّ ۚ فَاِنْ اَطَعْنَكُمْ فَلَا تَبْغُوْا عَلَيْهِنَّ سَبِيْلًا ۗاِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلِيًّا كَبِيْرًا ٣٤
- al-rijālu
- ٱلرِّجَالُ
- मर्द
- qawwāmūna
- قَوَّٰمُونَ
- ज़िम्मेदार हैं
- ʿalā
- عَلَى
- औरतों पर
- l-nisāi
- ٱلنِّسَآءِ
- औरतों पर
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- faḍḍala
- فَضَّلَ
- फ़ज़ीलत दी
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- baʿḍahum
- بَعْضَهُمْ
- उनके बाज़ को
- ʿalā
- عَلَىٰ
- बाज़ पर
- baʿḍin
- بَعْضٍ
- बाज़ पर
- wabimā
- وَبِمَآ
- और बवजह उसके जो
- anfaqū
- أَنفَقُوا۟
- उन्होंने ख़र्च किया
- min
- مِنْ
- अपने मालों में से
- amwālihim
- أَمْوَٰلِهِمْۚ
- अपने मालों में से
- fal-ṣāliḥātu
- فَٱلصَّٰلِحَٰتُ
- पस नेक औरतें
- qānitātun
- قَٰنِتَٰتٌ
- फ़रमाबरदार हैं
- ḥāfiẓātun
- حَٰفِظَٰتٌ
- हिफ़ाज़त करने वालियाँ है
- lil'ghaybi
- لِّلْغَيْبِ
- ग़ायबाना
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- ḥafiẓa
- حَفِظَ
- हिफ़ाज़त की (उनकी)
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह ने
- wa-allātī
- وَٱلَّٰتِى
- और वो औरतें जो
- takhāfūna
- تَخَافُونَ
- तुम डरते हो
- nushūzahunna
- نُشُوزَهُنَّ
- उनकी सरकशी से
- faʿiẓūhunna
- فَعِظُوهُنَّ
- पस नसीहत करो उन्हें
- wa-uh'jurūhunna
- وَٱهْجُرُوهُنَّ
- और अलैहदा कर दो उन्हें
- fī
- فِى
- बिस्तरों में
- l-maḍājiʿi
- ٱلْمَضَاجِعِ
- बिस्तरों में
- wa-iḍ'ribūhunna
- وَٱضْرِبُوهُنَّۖ
- और मारो उन्हें
- fa-in
- فَإِنْ
- फिर अगर
- aṭaʿnakum
- أَطَعْنَكُمْ
- वो इताअत करें तुम्हारी
- falā
- فَلَا
- तो ना
- tabghū
- تَبْغُوا۟
- तुम तलाश करो
- ʿalayhinna
- عَلَيْهِنَّ
- उन पर
- sabīlan
- سَبِيلًاۗ
- कोई रास्ता
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है
- ʿaliyyan
- عَلِيًّا
- बहुत बुलन्द
- kabīran
- كَبِيرًا
- बहुत बड़ा
पति पत्नियों संरक्षक और निगराँ है, क्योंकि अल्लाह ने उनमें से कुछ को कुछ के मुक़ाबले में आगे रहा है, और इसलिए भी कि पतियों ने अपने माल ख़र्च किए है, तो नेक पत्ऩियाँ तो आज्ञापालन करनेवाली होती है और गुप्त बातों की रक्षा करती है, क्योंकि अल्लाह ने उनकी रक्षा की है। और जो पत्नियों ऐसी हो जिनकी सरकशी का तुम्हें भय हो, उन्हें समझाओ और बिस्तरों में उन्हें अकेली छोड़ दो और (अति आवश्यक हो तो) उन्हें मारो भी। फिर यदि वे तुम्हारी बात मानने लगे, तो उनके विरुद्ध कोई रास्ता न ढूढ़ो। अल्लाह सबसे उच्च, सबसे बड़ा है ([४] अन-निसा: 34)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ خِفْتُمْ شِقَاقَ بَيْنِهِمَا فَابْعَثُوْا حَكَمًا مِّنْ اَهْلِهٖ وَحَكَمًا مِّنْ اَهْلِهَا ۚ اِنْ يُّرِيْدَآ اِصْلَاحًا يُّوَفِّقِ اللّٰهُ بَيْنَهُمَا ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلِيْمًا خَبِيْرًا ٣٥
- wa-in
- وَإِنْ
- और अगर
- khif'tum
- خِفْتُمْ
- डरो तुम
- shiqāqa
- شِقَاقَ
- इख़्तिलाफ़ से
- baynihimā
- بَيْنِهِمَا
- उन दोनों के दर्मियान
- fa-ib'ʿathū
- فَٱبْعَثُوا۟
- तो मुक़र्रर करो
- ḥakaman
- حَكَمًا
- एक मुन्सिफ़
- min
- مِّنْ
- उस (मर्द) के घर वालों में से
- ahlihi
- أَهْلِهِۦ
- उस (मर्द) के घर वालों में से
- waḥakaman
- وَحَكَمًا
- और एक मुन्सिफ़
- min
- مِّنْ
- उस (औरत) के घर वालों में से
- ahlihā
- أَهْلِهَآ
- उस (औरत) के घर वालों में से
- in
- إِن
- अगर
- yurīdā
- يُرِيدَآ
- वो दोनों चाहेंगे
- iṣ'lāḥan
- إِصْلَٰحًا
- इस्लाह करना
- yuwaffiqi
- يُوَفِّقِ
- मुवाफ़िक़त पैदा कर देगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- baynahumā
- بَيْنَهُمَآۗ
- उन दोनों के दर्मियान
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है
- ʿalīman
- عَلِيمًا
- ख़ूब इल्म वाला
- khabīran
- خَبِيرًا
- ख़ूब ख़बर रखने वाला
और यदि तुम्हें पति-पत्नी के बीच बिगाड़ का भय हो, तो एक फ़ैसला करनेवाला पुरुष के लोगों में से और एक फ़ैसला करनेवाला स्त्री के लोगों में से नियुक्त करो, यदि वे दोनों सुधार करना चाहेंगे, तो अल्लाह उनके बीच अनुकूलता पैदा कर देगा। निस्संदेह, अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, ख़बर रखनेवाला है ([४] अन-निसा: 35)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَاعْبُدُوا اللّٰهَ وَلَا تُشْرِكُوْا بِهٖ شَيْـًٔا وَّبِالْوَالِدَيْنِ اِحْسَانًا وَّبِذِى الْقُرْبٰى وَالْيَتٰمٰى وَالْمَسٰكِيْنِ وَالْجَارِ ذِى الْقُرْبٰى وَالْجَارِ الْجُنُبِ وَالصَّاحِبِ بِالْجَنْۢبِ وَابْنِ السَّبِيْلِۙ وَمَا مَلَكَتْ اَيْمَانُكُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يُحِبُّ مَنْ كَانَ مُخْتَالًا فَخُوْرًاۙ ٣٦
- wa-uʿ'budū
- وَٱعْبُدُوا۟
- और इबादत करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- walā
- وَلَا
- और ना
- tush'rikū
- تُشْرِكُوا۟
- तुम शरीक करो
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- shayan
- شَيْـًٔاۖ
- किसी चीज़ को
- wabil-wālidayni
- وَبِٱلْوَٰلِدَيْنِ
- और साथ वालिदैन के
- iḥ'sānan
- إِحْسَٰنًا
- एहसान करना
- wabidhī
- وَبِذِى
- और साथ क़राबतदारों के
- l-qur'bā
- ٱلْقُرْبَىٰ
- और साथ क़राबतदारों के
- wal-yatāmā
- وَٱلْيَتَٰمَىٰ
- और यतीमों के
- wal-masākīni
- وَٱلْمَسَٰكِينِ
- और मिस्कीनों के
- wal-jāri
- وَٱلْجَارِ
- और पड़ोसी
- dhī
- ذِى
- क़राबतदार के
- l-qur'bā
- ٱلْقُرْبَىٰ
- क़राबतदार के
- wal-jāri
- وَٱلْجَارِ
- और पड़ोसी
- l-junubi
- ٱلْجُنُبِ
- अजनबी के
- wal-ṣāḥibi
- وَٱلصَّاحِبِ
- और साथी
- bil-janbi
- بِٱلْجَنۢبِ
- पहलू के
- wa-ib'ni
- وَٱبْنِ
- और मुसाफ़िर / राहगीर के
- l-sabīli
- ٱلسَّبِيلِ
- और मुसाफ़िर / राहगीर के
- wamā
- وَمَا
- और जिनके
- malakat
- مَلَكَتْ
- मालिक हुए
- aymānukum
- أَيْمَٰنُكُمْۗ
- दाऐं हाथ तुम्हारे
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो पसंद करता
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- नहीं वो पसंद करता
- man
- مَن
- उसे जो
- kāna
- كَانَ
- हो
- mukh'tālan
- مُخْتَالًا
- ख़ुद पसंद
- fakhūran
- فَخُورًا
- फ़ख़्र करने वाला
अल्लाह की बन्दगी करो और उसके साथ किसी को साझी न बनाओ और अच्छा व्यवहार करो माँ-बाप के साथ, नातेदारों, अनाथों और मुहताजों के साथ, नातेदार पड़ोसियों के साथ और अपरिचित पड़ोसियों के साथ और साथ रहनेवाले व्यक्ति के साथ और मुसाफ़िर के साथ और उनके साथ भी जो तुम्हारे क़ब्ज़े में हों। अल्लाह ऐसे व्यक्ति को पसन्द नहीं करता, जो इतराता और डींगें मारता हो ([४] अन-निसा: 36)Tafseer (तफ़सीर )
ۨالَّذِيْنَ يَبْخَلُوْنَ وَيَأْمُرُوْنَ النَّاسَ بِالْبُخْلِ وَيَكْتُمُوْنَ مَآ اٰتٰىهُمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖۗ وَاَعْتَدْنَا لِلْكٰفِرِيْنَ عَذَابًا مُّهِيْنًاۚ ٣٧
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- yabkhalūna
- يَبْخَلُونَ
- बुख़्ल करते हैं
- wayamurūna
- وَيَأْمُرُونَ
- और वो हुक्म देते हैं
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَ
- लोगों को
- bil-bukh'li
- بِٱلْبُخْلِ
- बुख़्ल का
- wayaktumūna
- وَيَكْتُمُونَ
- और वो छुपाते हैं
- mā
- مَآ
- उसको जो
- ātāhumu
- ءَاتَىٰهُمُ
- दिया उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- min
- مِن
- अपने फ़ज़ल से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦۗ
- अपने फ़ज़ल से
- wa-aʿtadnā
- وَأَعْتَدْنَا
- और तैयार कर रखा है हमने
- lil'kāfirīna
- لِلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों के लिए
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- अज़ाब
- muhīnan
- مُّهِينًا
- रुस्वा करने वाला
वे जो स्वयं कंजूसी करते है और लोगों को भी कंजूसी पर उभारते है और अल्लाह ने अपने उदार दान से जो कुछ उन्हें दे रखा होता है, उसे छिपाते है, जो हमने अकृतज्ञ लोगों के लिए अपमानजनक यातना तैयार कर रखी है ([४] अन-निसा: 37)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ يُنْفِقُوْنَ اَمْوَالَهُمْ رِئَاۤءَ النَّاسِ وَلَا يُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَلَا بِالْيَوْمِ الْاٰخِرِ ۗ وَمَنْ يَّكُنِ الشَّيْطٰنُ لَهٗ قَرِيْنًا فَسَاۤءَ قَرِيْنًا ٣٨
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- yunfiqūna
- يُنفِقُونَ
- ख़र्च करते है
- amwālahum
- أَمْوَٰلَهُمْ
- अपने मालों को
- riāa
- رِئَآءَ
- दिखाने के लिए
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों को
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- वो ईमान रखते
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- walā
- وَلَا
- और ना
- bil-yawmi
- بِٱلْيَوْمِ
- आख़िरी दिन पर
- l-ākhiri
- ٱلْءَاخِرِۗ
- आख़िरी दिन पर
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yakuni
- يَكُنِ
- हो
- l-shayṭānu
- ٱلشَّيْطَٰنُ
- शैतान
- lahu
- لَهُۥ
- उसका
- qarīnan
- قَرِينًا
- साथी
- fasāa
- فَسَآءَ
- तो कितना बुरा है
- qarīnan
- قَرِينًا
- साथी
वे जो अपने माल लोगों को दिखाने के लिए ख़र्च करते है, न अल्लाह पर ईमान रखते है, न अन्तिम दिन पर, और जिस किसी का साथी शैतान हुआ, तो वह बहुत ही बुरा साथी है ([४] अन-निसा: 38)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَاذَا عَلَيْهِمْ لَوْ اٰمَنُوْا بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَاَنْفَقُوْا مِمَّا رَزَقَهُمُ اللّٰهُ ۗوَكَانَ اللّٰهُ بِهِمْ عَلِيْمًا ٣٩
- wamādhā
- وَمَاذَا
- और क्या (आफ़त आती)
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- law
- لَوْ
- अगर
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- वो ईमान ले आते
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wal-yawmi
- وَٱلْيَوْمِ
- और आख़िरी दिन पर
- l-ākhiri
- ٱلْءَاخِرِ
- और आख़िरी दिन पर
- wa-anfaqū
- وَأَنفَقُوا۟
- और वो ख़र्च करते
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- razaqahumu
- رَزَقَهُمُ
- रिज़्क़ दिया उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह ने
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bihim
- بِهِمْ
- उन्हें
- ʿalīman
- عَلِيمًا
- ख़ूब जानने वाला
उनका बिगड़ जाता, यदि वे अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान लाते और जो कुछ अल्लाह ने उन्हें दिया है, उसमें से ख़र्च करते है? अल्लाह उन्हें भली-भाँति जानता है ([४] अन-निसा: 39)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ اللّٰهَ لَا يَظْلِمُ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ ۚوَاِنْ تَكُ حَسَنَةً يُّضٰعِفْهَا وَيُؤْتِ مِنْ لَّدُنْهُ اَجْرًا عَظِيْمًا ٤٠
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो ज़ुल्म करता
- yaẓlimu
- يَظْلِمُ
- नहीं वो ज़ुल्म करता
- mith'qāla
- مِثْقَالَ
- बराबर
- dharratin
- ذَرَّةٍۖ
- ज़र्रे के
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- taku
- تَكُ
- हो
- ḥasanatan
- حَسَنَةً
- एक नेकी
- yuḍāʿif'hā
- يُضَٰعِفْهَا
- वो दोगुना कर देगा उसे
- wayu'ti
- وَيُؤْتِ
- और वो देगा
- min
- مِن
- अपने पास से
- ladun'hu
- لَّدُنْهُ
- अपने पास से
- ajran
- أَجْرًا
- अजर
- ʿaẓīman
- عَظِيمًا
- बड़ा
निस्संदेह अल्लाह रत्ती-भर भी ज़ुल्म नहीं करता और यदि कोई एक नेकी हो तो वह उसे कई गुना बढ़ा देगा और अपनी ओर से बड़ा बदला देगा ([४] अन-निसा: 40)Tafseer (तफ़सीर )