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सूरा अन-निसा - Page: 4

An-Nisa

(औरत)

३१

اِنْ تَجْتَنِبُوْا كَبَاۤىِٕرَ مَا تُنْهَوْنَ عَنْهُ نُكَفِّرْ عَنْكُمْ سَيِّاٰتِكُمْ وَنُدْخِلْكُمْ مُّدْخَلًا كَرِيْمًا ٣١

in
إِن
अगर
tajtanibū
تَجْتَنِبُوا۟
तुम इज्तिनाब करो/बचो
kabāira
كَبَآئِرَ
बड़े गुनाहों से
مَا
वो जो
tun'hawna
تُنْهَوْنَ
तुम रोके जाते हो
ʿanhu
عَنْهُ
जिनसे
nukaffir
نُكَفِّرْ
हम दूर कर देंगे
ʿankum
عَنكُمْ
तुम से
sayyiātikum
سَيِّـَٔاتِكُمْ
बुराईयाँ तुम्हारी
wanud'khil'kum
وَنُدْخِلْكُم
और हम दाख़िल करेंगे तुम्हें
mud'khalan
مُّدْخَلًا
दाख़िल करना
karīman
كَرِيمًا
इज़्ज़त से
यदि तुम उन बड़े गुनाहों से बचते रहो, जिनसे तुम्हे रोका जा रहा है, तो हम तुम्हारी बुराइयों को तुमसे दूर कर देंगे और तुम्हें प्रतिष्ठित स्थान में प्रवेश कराएँगे ([४] अन-निसा: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

وَلَا تَتَمَنَّوْا مَا فَضَّلَ اللّٰهُ بِهٖ بَعْضَكُمْ عَلٰى بَعْضٍ ۗ لِلرِّجَالِ نَصِيْبٌ مِّمَّا اكْتَسَبُوْا ۗ وَلِلنِّسَاۤءِ نَصِيْبٌ مِّمَّا اكْتَسَبْنَ ۗوَسْـَٔلُوا اللّٰهَ مِنْ فَضْلِهٖ ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمًا ٣٢

walā
وَلَا
और ना
tatamannaw
تَتَمَنَّوْا۟
तुम तमन्ना करो
مَا
उसकी जो
faḍḍala
فَضَّلَ
फ़ज़ीलत दी
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
baʿḍakum
بَعْضَكُمْ
तुम्हारे बाज़ को
ʿalā
عَلَىٰ
बाज़ पर
baʿḍin
بَعْضٍۚ
बाज़ पर
lilrrijāli
لِّلرِّجَالِ
मर्दों के लिए है
naṣībun
نَصِيبٌ
एक हिस्सा
mimmā
مِّمَّا
उसमें से जो
ik'tasabū
ٱكْتَسَبُوا۟ۖ
उन्होंने कमाया
walilnnisāi
وَلِلنِّسَآءِ
और औरतों के लिए है
naṣībun
نَصِيبٌ
एक हिस्सा
mimmā
مِّمَّا
उसमें से जो
ik'tasabna
ٱكْتَسَبْنَۚ
उन्होंने कमाया
wasalū
وَسْـَٔلُوا۟
और सवाल करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
min
مِن
उसके फज़ल का
faḍlihi
فَضْلِهِۦٓۗ
उसके फज़ल का
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
bikulli
بِكُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ को
ʿalīman
عَلِيمًا
ख़ूब जानने वाला
और उसकी कामना न करो जिसमें अल्लाह ने तुमसे किसी को किसी से उच्च रखा है। पुरुषों ने जो कुछ कमाया है, उसके अनुसार उनका हिस्सा है और स्त्रियों ने जो कुछ कमाया है, उसके अनुसार उनका हिस्सा है। अल्लाह से उसका उदार दान चाहो। निस्संदेह अल्लाह को हर चीज़ का ज्ञान है ([४] अन-निसा: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

وَلِكُلٍّ جَعَلْنَا مَوَالِيَ مِمَّا تَرَكَ الْوَالِدٰنِ وَالْاَقْرَبُوْنَ ۗ وَالَّذِيْنَ عَقَدَتْ اَيْمَانُكُمْ فَاٰتُوْهُمْ نَصِيْبَهُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ شَهِيْدًا ࣖ ٣٣

walikullin
وَلِكُلٍّ
और हर एक के लिए
jaʿalnā
جَعَلْنَا
बना दिए हमने
mawāliya
مَوَٰلِىَ
वारिस
mimmā
مِمَّا
उसमें से जो
taraka
تَرَكَ
छोड़ जाऐं
l-wālidāni
ٱلْوَٰلِدَانِ
वालिदैन
wal-aqrabūna
وَٱلْأَقْرَبُونَۚ
और रिश्तेदार
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जिनको
ʿaqadat
عَقَدَتْ
बाँध रखा है
aymānukum
أَيْمَٰنُكُمْ
तुम्हारे अहदो पैमान ने
faātūhum
فَـَٔاتُوهُمْ
पस दो तुम उन्हें
naṣībahum
نَصِيبَهُمْۚ
हिस्सा उनका
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
shahīdan
شَهِيدًا
ख़ूब गवाह
और प्रत्येक माल के लिए, जो माँ-बाप और नातेदार छोड़ जाएँ, हमने वासिस ठहरा दिए है और जिन लोगों से अपनी क़समों के द्वारा तुम्हारा पक्का मामला हुआ हो, तो उन्हें भी उनका हिस्सा दो। निस्संदेह हर चीज़ अल्लाह के समक्ष है ([४] अन-निसा: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

اَلرِّجَالُ قَوَّامُوْنَ عَلَى النِّسَاۤءِ بِمَا فَضَّلَ اللّٰهُ بَعْضَهُمْ عَلٰى بَعْضٍ وَّبِمَآ اَنْفَقُوْا مِنْ اَمْوَالِهِمْ ۗ فَالصّٰلِحٰتُ قٰنِتٰتٌ حٰفِظٰتٌ لِّلْغَيْبِ بِمَا حَفِظَ اللّٰهُ ۗوَالّٰتِيْ تَخَافُوْنَ نُشُوْزَهُنَّ فَعِظُوْهُنَّ وَاهْجُرُوْهُنَّ فِى الْمَضَاجِعِ وَاضْرِبُوْهُنَّ ۚ فَاِنْ اَطَعْنَكُمْ فَلَا تَبْغُوْا عَلَيْهِنَّ سَبِيْلًا ۗاِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلِيًّا كَبِيْرًا ٣٤

al-rijālu
ٱلرِّجَالُ
मर्द
qawwāmūna
قَوَّٰمُونَ
ज़िम्मेदार हैं
ʿalā
عَلَى
औरतों पर
l-nisāi
ٱلنِّسَآءِ
औरतों पर
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
faḍḍala
فَضَّلَ
फ़ज़ीलत दी
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
baʿḍahum
بَعْضَهُمْ
उनके बाज़ को
ʿalā
عَلَىٰ
बाज़ पर
baʿḍin
بَعْضٍ
बाज़ पर
wabimā
وَبِمَآ
और बवजह उसके जो
anfaqū
أَنفَقُوا۟
उन्होंने ख़र्च किया
min
مِنْ
अपने मालों में से
amwālihim
أَمْوَٰلِهِمْۚ
अपने मालों में से
fal-ṣāliḥātu
فَٱلصَّٰلِحَٰتُ
पस नेक औरतें
qānitātun
قَٰنِتَٰتٌ
फ़रमाबरदार हैं
ḥāfiẓātun
حَٰفِظَٰتٌ
हिफ़ाज़त करने वालियाँ है
lil'ghaybi
لِّلْغَيْبِ
ग़ायबाना
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
ḥafiẓa
حَفِظَ
हिफ़ाज़त की (उनकी)
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह ने
wa-allātī
وَٱلَّٰتِى
और वो औरतें जो
takhāfūna
تَخَافُونَ
तुम डरते हो
nushūzahunna
نُشُوزَهُنَّ
उनकी सरकशी से
faʿiẓūhunna
فَعِظُوهُنَّ
पस नसीहत करो उन्हें
wa-uh'jurūhunna
وَٱهْجُرُوهُنَّ
और अलैहदा कर दो उन्हें
فِى
बिस्तरों में
l-maḍājiʿi
ٱلْمَضَاجِعِ
बिस्तरों में
wa-iḍ'ribūhunna
وَٱضْرِبُوهُنَّۖ
और मारो उन्हें
fa-in
فَإِنْ
फिर अगर
aṭaʿnakum
أَطَعْنَكُمْ
वो इताअत करें तुम्हारी
falā
فَلَا
तो ना
tabghū
تَبْغُوا۟
तुम तलाश करो
ʿalayhinna
عَلَيْهِنَّ
उन पर
sabīlan
سَبِيلًاۗ
कोई रास्ता
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
ʿaliyyan
عَلِيًّا
बहुत बुलन्द
kabīran
كَبِيرًا
बहुत बड़ा
पति पत्नियों संरक्षक और निगराँ है, क्योंकि अल्लाह ने उनमें से कुछ को कुछ के मुक़ाबले में आगे रहा है, और इसलिए भी कि पतियों ने अपने माल ख़र्च किए है, तो नेक पत्ऩियाँ तो आज्ञापालन करनेवाली होती है और गुप्त बातों की रक्षा करती है, क्योंकि अल्लाह ने उनकी रक्षा की है। और जो पत्नियों ऐसी हो जिनकी सरकशी का तुम्हें भय हो, उन्हें समझाओ और बिस्तरों में उन्हें अकेली छोड़ दो और (अति आवश्यक हो तो) उन्हें मारो भी। फिर यदि वे तुम्हारी बात मानने लगे, तो उनके विरुद्ध कोई रास्ता न ढूढ़ो। अल्लाह सबसे उच्च, सबसे बड़ा है ([४] अन-निसा: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

وَاِنْ خِفْتُمْ شِقَاقَ بَيْنِهِمَا فَابْعَثُوْا حَكَمًا مِّنْ اَهْلِهٖ وَحَكَمًا مِّنْ اَهْلِهَا ۚ اِنْ يُّرِيْدَآ اِصْلَاحًا يُّوَفِّقِ اللّٰهُ بَيْنَهُمَا ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلِيْمًا خَبِيْرًا ٣٥

wa-in
وَإِنْ
और अगर
khif'tum
خِفْتُمْ
डरो तुम
shiqāqa
شِقَاقَ
इख़्तिलाफ़ से
baynihimā
بَيْنِهِمَا
उन दोनों के दर्मियान
fa-ib'ʿathū
فَٱبْعَثُوا۟
तो मुक़र्रर करो
ḥakaman
حَكَمًا
एक मुन्सिफ़
min
مِّنْ
उस (मर्द) के घर वालों में से
ahlihi
أَهْلِهِۦ
उस (मर्द) के घर वालों में से
waḥakaman
وَحَكَمًا
और एक मुन्सिफ़
min
مِّنْ
उस (औरत) के घर वालों में से
ahlihā
أَهْلِهَآ
उस (औरत) के घर वालों में से
in
إِن
अगर
yurīdā
يُرِيدَآ
वो दोनों चाहेंगे
iṣ'lāḥan
إِصْلَٰحًا
इस्लाह करना
yuwaffiqi
يُوَفِّقِ
मुवाफ़िक़त पैदा कर देगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
baynahumā
بَيْنَهُمَآۗ
उन दोनों के दर्मियान
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
ʿalīman
عَلِيمًا
ख़ूब इल्म वाला
khabīran
خَبِيرًا
ख़ूब ख़बर रखने वाला
और यदि तुम्हें पति-पत्नी के बीच बिगाड़ का भय हो, तो एक फ़ैसला करनेवाला पुरुष के लोगों में से और एक फ़ैसला करनेवाला स्त्री के लोगों में से नियुक्त करो, यदि वे दोनों सुधार करना चाहेंगे, तो अल्लाह उनके बीच अनुकूलता पैदा कर देगा। निस्संदेह, अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, ख़बर रखनेवाला है ([४] अन-निसा: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

۞ وَاعْبُدُوا اللّٰهَ وَلَا تُشْرِكُوْا بِهٖ شَيْـًٔا وَّبِالْوَالِدَيْنِ اِحْسَانًا وَّبِذِى الْقُرْبٰى وَالْيَتٰمٰى وَالْمَسٰكِيْنِ وَالْجَارِ ذِى الْقُرْبٰى وَالْجَارِ الْجُنُبِ وَالصَّاحِبِ بِالْجَنْۢبِ وَابْنِ السَّبِيْلِۙ وَمَا مَلَكَتْ اَيْمَانُكُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يُحِبُّ مَنْ كَانَ مُخْتَالًا فَخُوْرًاۙ ٣٦

wa-uʿ'budū
وَٱعْبُدُوا۟
और इबादत करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
walā
وَلَا
और ना
tush'rikū
تُشْرِكُوا۟
तुम शरीक करो
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
shayan
شَيْـًٔاۖ
किसी चीज़ को
wabil-wālidayni
وَبِٱلْوَٰلِدَيْنِ
और साथ वालिदैन के
iḥ'sānan
إِحْسَٰنًا
एहसान करना
wabidhī
وَبِذِى
और साथ क़राबतदारों के
l-qur'bā
ٱلْقُرْبَىٰ
और साथ क़राबतदारों के
wal-yatāmā
وَٱلْيَتَٰمَىٰ
और यतीमों के
wal-masākīni
وَٱلْمَسَٰكِينِ
और मिस्कीनों के
wal-jāri
وَٱلْجَارِ
और पड़ोसी
dhī
ذِى
क़राबतदार के
l-qur'bā
ٱلْقُرْبَىٰ
क़राबतदार के
wal-jāri
وَٱلْجَارِ
और पड़ोसी
l-junubi
ٱلْجُنُبِ
अजनबी के
wal-ṣāḥibi
وَٱلصَّاحِبِ
और साथी
bil-janbi
بِٱلْجَنۢبِ
पहलू के
wa-ib'ni
وَٱبْنِ
और मुसाफ़िर / राहगीर के
l-sabīli
ٱلسَّبِيلِ
और मुसाफ़िर / राहगीर के
wamā
وَمَا
और जिनके
malakat
مَلَكَتْ
मालिक हुए
aymānukum
أَيْمَٰنُكُمْۗ
दाऐं हाथ तुम्हारे
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं वो पसंद करता
yuḥibbu
يُحِبُّ
नहीं वो पसंद करता
man
مَن
उसे जो
kāna
كَانَ
हो
mukh'tālan
مُخْتَالًا
ख़ुद पसंद
fakhūran
فَخُورًا
फ़ख़्र करने वाला
अल्लाह की बन्दगी करो और उसके साथ किसी को साझी न बनाओ और अच्छा व्यवहार करो माँ-बाप के साथ, नातेदारों, अनाथों और मुहताजों के साथ, नातेदार पड़ोसियों के साथ और अपरिचित पड़ोसियों के साथ और साथ रहनेवाले व्यक्ति के साथ और मुसाफ़िर के साथ और उनके साथ भी जो तुम्हारे क़ब्ज़े में हों। अल्लाह ऐसे व्यक्ति को पसन्द नहीं करता, जो इतराता और डींगें मारता हो ([४] अन-निसा: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

ۨالَّذِيْنَ يَبْخَلُوْنَ وَيَأْمُرُوْنَ النَّاسَ بِالْبُخْلِ وَيَكْتُمُوْنَ مَآ اٰتٰىهُمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖۗ وَاَعْتَدْنَا لِلْكٰفِرِيْنَ عَذَابًا مُّهِيْنًاۚ ٣٧

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
yabkhalūna
يَبْخَلُونَ
बुख़्ल करते हैं
wayamurūna
وَيَأْمُرُونَ
और वो हुक्म देते हैं
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों को
bil-bukh'li
بِٱلْبُخْلِ
बुख़्ल का
wayaktumūna
وَيَكْتُمُونَ
और वो छुपाते हैं
مَآ
उसको जो
ātāhumu
ءَاتَىٰهُمُ
दिया उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
min
مِن
अपने फ़ज़ल से
faḍlihi
فَضْلِهِۦۗ
अपने फ़ज़ल से
wa-aʿtadnā
وَأَعْتَدْنَا
और तैयार कर रखा है हमने
lil'kāfirīna
لِلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के लिए
ʿadhāban
عَذَابًا
अज़ाब
muhīnan
مُّهِينًا
रुस्वा करने वाला
वे जो स्वयं कंजूसी करते है और लोगों को भी कंजूसी पर उभारते है और अल्लाह ने अपने उदार दान से जो कुछ उन्हें दे रखा होता है, उसे छिपाते है, जो हमने अकृतज्ञ लोगों के लिए अपमानजनक यातना तैयार कर रखी है ([४] अन-निसा: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

وَالَّذِيْنَ يُنْفِقُوْنَ اَمْوَالَهُمْ رِئَاۤءَ النَّاسِ وَلَا يُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَلَا بِالْيَوْمِ الْاٰخِرِ ۗ وَمَنْ يَّكُنِ الشَّيْطٰنُ لَهٗ قَرِيْنًا فَسَاۤءَ قَرِيْنًا ٣٨

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
yunfiqūna
يُنفِقُونَ
ख़र्च करते है
amwālahum
أَمْوَٰلَهُمْ
अपने मालों को
riāa
رِئَآءَ
दिखाने के लिए
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों को
walā
وَلَا
और नहीं
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
वो ईमान रखते
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
walā
وَلَا
और ना
bil-yawmi
بِٱلْيَوْمِ
आख़िरी दिन पर
l-ākhiri
ٱلْءَاخِرِۗ
आख़िरी दिन पर
waman
وَمَن
और जो कोई
yakuni
يَكُنِ
हो
l-shayṭānu
ٱلشَّيْطَٰنُ
शैतान
lahu
لَهُۥ
उसका
qarīnan
قَرِينًا
साथी
fasāa
فَسَآءَ
तो कितना बुरा है
qarīnan
قَرِينًا
साथी
वे जो अपने माल लोगों को दिखाने के लिए ख़र्च करते है, न अल्लाह पर ईमान रखते है, न अन्तिम दिन पर, और जिस किसी का साथी शैतान हुआ, तो वह बहुत ही बुरा साथी है ([४] अन-निसा: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

وَمَاذَا عَلَيْهِمْ لَوْ اٰمَنُوْا بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَاَنْفَقُوْا مِمَّا رَزَقَهُمُ اللّٰهُ ۗوَكَانَ اللّٰهُ بِهِمْ عَلِيْمًا ٣٩

wamādhā
وَمَاذَا
और क्या (आफ़त आती)
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
law
لَوْ
अगर
āmanū
ءَامَنُوا۟
वो ईमान ले आते
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wal-yawmi
وَٱلْيَوْمِ
और आख़िरी दिन पर
l-ākhiri
ٱلْءَاخِرِ
और आख़िरी दिन पर
wa-anfaqū
وَأَنفَقُوا۟
और वो ख़र्च करते
mimmā
مِمَّا
उसमें से जो
razaqahumu
رَزَقَهُمُ
रिज़्क़ दिया उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह ने
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bihim
بِهِمْ
उन्हें
ʿalīman
عَلِيمًا
ख़ूब जानने वाला
उनका बिगड़ जाता, यदि वे अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान लाते और जो कुछ अल्लाह ने उन्हें दिया है, उसमें से ख़र्च करते है? अल्लाह उन्हें भली-भाँति जानता है ([४] अन-निसा: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

اِنَّ اللّٰهَ لَا يَظْلِمُ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ ۚوَاِنْ تَكُ حَسَنَةً يُّضٰعِفْهَا وَيُؤْتِ مِنْ لَّدُنْهُ اَجْرًا عَظِيْمًا ٤٠

inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं वो ज़ुल्म करता
yaẓlimu
يَظْلِمُ
नहीं वो ज़ुल्म करता
mith'qāla
مِثْقَالَ
बराबर
dharratin
ذَرَّةٍۖ
ज़र्रे के
wa-in
وَإِن
और अगर
taku
تَكُ
हो
ḥasanatan
حَسَنَةً
एक नेकी
yuḍāʿif'hā
يُضَٰعِفْهَا
वो दोगुना कर देगा उसे
wayu'ti
وَيُؤْتِ
और वो देगा
min
مِن
अपने पास से
ladun'hu
لَّدُنْهُ
अपने पास से
ajran
أَجْرًا
अजर
ʿaẓīman
عَظِيمًا
बड़ा
निस्संदेह अल्लाह रत्ती-भर भी ज़ुल्म नहीं करता और यदि कोई एक नेकी हो तो वह उसे कई गुना बढ़ा देगा और अपनी ओर से बड़ा बदला देगा ([४] अन-निसा: 40)
Tafseer (तफ़सीर )