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सूरा अन-निसा - Page: 2

An-Nisa

(औरत)

११

يُوْصِيْكُمُ اللّٰهُ فِيْٓ اَوْلَادِكُمْ لِلذَّكَرِ مِثْلُ حَظِّ الْاُنْثَيَيْنِ ۚ فَاِنْ كُنَّ نِسَاۤءً فَوْقَ اثْنَتَيْنِ فَلَهُنَّ ثُلُثَا مَا تَرَكَ ۚ وَاِنْ كَانَتْ وَاحِدَةً فَلَهَا النِّصْفُ ۗ وَلِاَبَوَيْهِ لِكُلِّ وَاحِدٍ مِّنْهُمَا السُّدُسُ مِمَّا تَرَكَ اِنْ كَانَ لَهٗ وَلَدٌ ۚ فَاِنْ لَّمْ يَكُنْ لَّهٗ وَلَدٌ وَّوَرِثَهٗٓ اَبَوٰهُ فَلِاُمِّهِ الثُّلُثُ ۚ فَاِنْ كَانَ لَهٗٓ اِخْوَةٌ فَلِاُمِّهِ السُّدُسُ مِنْۢ بَعْدِ وَصِيَّةٍ يُّوْصِيْ بِهَآ اَوْ دَيْنٍ ۗ اٰبَاۤؤُكُمْ وَاَبْنَاۤؤُكُمْۚ لَا تَدْرُوْنَ اَيُّهُمْ اَقْرَبُ لَكُمْ نَفْعًا ۗ فَرِيْضَةً مِّنَ اللّٰهِ ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلِيْمًا حَكِيْمًا ١١

yūṣīkumu
يُوصِيكُمُ
ताकीद करता है तुम्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
فِىٓ
तुम्हारी औलाद के बारे में
awlādikum
أَوْلَٰدِكُمْۖ
तुम्हारी औलाद के बारे में
lildhakari
لِلذَّكَرِ
मर्द के लिए
mith'lu
مِثْلُ
मानिन्द
ḥaẓẓi
حَظِّ
हिस्सा है
l-unthayayni
ٱلْأُنثَيَيْنِۚ
दो औरतों के
fa-in
فَإِن
फिर अगर
kunna
كُنَّ
हों वो
nisāan
نِسَآءً
औरतें
fawqa
فَوْقَ
ऊपर
ith'natayni
ٱثْنَتَيْنِ
दो से
falahunna
فَلَهُنَّ
तो उनके लिए है
thuluthā
ثُلُثَا
दो तिहाई
مَا
जो
taraka
تَرَكَۖ
उस (मय्यत) ने छोड़ा
wa-in
وَإِن
और अगर
kānat
كَانَتْ
हो वो
wāḥidatan
وَٰحِدَةً
एक (औरत)
falahā
فَلَهَا
तो उसके लिए
l-niṣ'fu
ٱلنِّصْفُۚ
आधा है
wali-abawayhi
وَلِأَبَوَيْهِ
और उसके माँ बाप के लिए
likulli
لِكُلِّ
वास्ते हर
wāḥidin
وَٰحِدٍ
एक के
min'humā
مِّنْهُمَا
उन दोनों में से
l-sudusu
ٱلسُّدُسُ
छठा हिस्सा है
mimmā
مِمَّا
उसमें से जो
taraka
تَرَكَ
उसने छोड़ा
in
إِن
अगर
kāna
كَانَ
है
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
waladun
وَلَدٌۚ
कोई औलाद
fa-in
فَإِن
फिर अगर
lam
لَّمْ
नहीं
yakun
يَكُن
है
lahu
لَّهُۥ
उसके लिए
waladun
وَلَدٌ
कोई औलाद
wawarithahu
وَوَرِثَهُۥٓ
और वारिस हों उसके
abawāhu
أَبَوَاهُ
माँ बाप उसके
fali-ummihi
فَلِأُمِّهِ
तो उसकी माँ के लिए
l-thuluthu
ٱلثُّلُثُۚ
तीसरा हिस्सा है
fa-in
فَإِن
फिर अगर
kāna
كَانَ
हों
lahu
لَهُۥٓ
उसके
ikh'watun
إِخْوَةٌ
बहन भाई
fali-ummihi
فَلِأُمِّهِ
तो उसकी माँ के लिए
l-sudusu
ٱلسُّدُسُۚ
छठा हिस्सा है
min
مِنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
waṣiyyatin
وَصِيَّةٍ
वसीयत पूरी करने के
yūṣī
يُوصِى
वो वसीयत कर जाए
bihā
بِهَآ
उसकी
aw
أَوْ
या
daynin
دَيْنٍۗ
क़र्ज़ (की अदायगी के बाद)
ābāukum
ءَابَآؤُكُمْ
बाप तुम्हारे
wa-abnāukum
وَأَبْنَآؤُكُمْ
और बेटे तुम्हारे
لَا
नहीं तुम जानते
tadrūna
تَدْرُونَ
नहीं तुम जानते
ayyuhum
أَيُّهُمْ
उनमें से कौन
aqrabu
أَقْرَبُ
ज़्यादा क़रीब है
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
nafʿan
نَفْعًاۚ
नफ़ा में
farīḍatan
فَرِيضَةً
फ़रीज़ा है
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह की तरफ़ से
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
ʿalīman
عَلِيمًا
बहुत इल्म वाला
ḥakīman
حَكِيمًا
बहुत हिकमत वाला
अल्लाह तुम्हारी सन्तान के विषय में तुम्हें आदेश देता है कि दो बेटियों के हिस्से के बराबर एक बेटे का हिस्सा होगा; और यदि दो से अधिक बेटियाँ ही हो तो उनका हिस्सा छोड़ी हुई सम्पत्ति का दो तिहाई है। और यदि वह अकेली हो तो उसके लिए आधा है। और यदि मरनेवाले की सन्तान हो जो उसके माँ-बाप में से प्रत्येक का उसके छोड़े हुए माल का छठा हिस्सा है। और यदि वह निस्संतान हो और उसके माँ-बाप ही उसके वारिस हों, तो उसकी माँ का हिस्सा तिहाई होगा। और यदि उसके भाई भी हो, तो उसका माँ का छठा हिस्सा होगा। ये हिस्से, वसीयत जो वह कर जाए पूरी करने या ऋण चुका देने के पश्चात है। तुम्हारे बाप भी है और तुम्हारे बेटे भी। तुम नहीं जानते कि उनमें से लाभ पहुँचाने की दृष्टि से कौन तुमसे अधिक निकट है। यह हिस्सा अल्लाह का निश्चित किया हुआ है। अल्लाह सब कुछ जानता, समझता है ([४] अन-निसा: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

۞ وَلَكُمْ نِصْفُ مَا تَرَكَ اَزْوَاجُكُمْ اِنْ لَّمْ يَكُنْ لَّهُنَّ وَلَدٌ ۚ فَاِنْ كَانَ لَهُنَّ وَلَدٌ فَلَكُمُ الرُّبُعُ مِمَّا تَرَكْنَ مِنْۢ بَعْدِ وَصِيَّةٍ يُّوْصِيْنَ بِهَآ اَوْ دَيْنٍ ۗ وَلَهُنَّ الرُّبُعُ مِمَّا تَرَكْتُمْ اِنْ لَّمْ يَكُنْ لَّكُمْ وَلَدٌ ۚ فَاِنْ كَانَ لَكُمْ وَلَدٌ فَلَهُنَّ الثُّمُنُ مِمَّا تَرَكْتُمْ مِّنْۢ بَعْدِ وَصِيَّةٍ تُوْصُوْنَ بِهَآ اَوْ دَيْنٍ ۗ وَاِنْ كَانَ رَجُلٌ يُّوْرَثُ كَلٰلَةً اَوِ امْرَاَةٌ وَّلَهٗٓ اَخٌ اَوْ اُخْتٌ فَلِكُلِّ وَاحِدٍ مِّنْهُمَا السُّدُسُۚ فَاِنْ كَانُوْٓا اَكْثَرَ مِنْ ذٰلِكَ فَهُمْ شُرَكَاۤءُ فِى الثُّلُثِ مِنْۢ بَعْدِ وَصِيَّةٍ يُّوْصٰى بِهَآ اَوْ دَيْنٍۙ غَيْرَ مُضَاۤرٍّ ۚ وَصِيَّةً مِّنَ اللّٰهِ ۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌ حَلِيْمٌۗ ١٢

walakum
وَلَكُمْ
और तुम्हारे लिए
niṣ'fu
نِصْفُ
आधा है
مَا
जो
taraka
تَرَكَ
छोड़ा
azwājukum
أَزْوَٰجُكُمْ
तुम्हारी बीवियों ने
in
إِن
अगर
lam
لَّمْ
ना
yakun
يَكُن
हो
lahunna
لَّهُنَّ
उनके लिए
waladun
وَلَدٌۚ
कोई औलाद
fa-in
فَإِن
फिर अगर
kāna
كَانَ
है
lahunna
لَهُنَّ
उनके लिए
waladun
وَلَدٌ
कोई औलाद
falakumu
فَلَكُمُ
तो तुम्हारे लिए
l-rubuʿu
ٱلرُّبُعُ
चौथा हिस्सा
mimmā
مِمَّا
उस में से जो
tarakna
تَرَكْنَۚ
वो छोड़ जाऐं
min
مِنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
waṣiyyatin
وَصِيَّةٍ
वसीयत के
yūṣīna
يُوصِينَ
वो औरतें वसीयत कर जाऐं
bihā
بِهَآ
जिसकी
aw
أَوْ
या
daynin
دَيْنٍۚ
क़र्ज़ (की अदायगी के बाद)
walahunna
وَلَهُنَّ
और उन औरतों के लिए है
l-rubuʿu
ٱلرُّبُعُ
चौथा हिस्सा
mimmā
مِمَّا
उसमें से जो
taraktum
تَرَكْتُمْ
छोड़ा तुमने
in
إِن
अगर
lam
لَّمْ
नहीं
yakun
يَكُن
है
lakum
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
waladun
وَلَدٌۚ
कोई औलाद
fa-in
فَإِن
फिर अगर
kāna
كَانَ
है
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
waladun
وَلَدٌ
कोई औलाद
falahunna
فَلَهُنَّ
तो उनके लिए है
l-thumunu
ٱلثُّمُنُ
आठवाँ हिस्सा
mimmā
مِمَّا
उसमें से जो
taraktum
تَرَكْتُمۚ
छोड़ा तुमने
min
مِّنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
waṣiyyatin
وَصِيَّةٍ
वसीयत के
tūṣūna
تُوصُونَ
तुम वसीयत कर जाओ
bihā
بِهَآ
जिसकी
aw
أَوْ
या
daynin
دَيْنٍۗ
क़र्ज़ (की अदायगी के बाद)
wa-in
وَإِن
और अगर
kāna
كَانَ
है
rajulun
رَجُلٌ
कोई मर्द
yūrathu
يُورَثُ
मीरास ली जा रही है (जिसकी)
kalālatan
كَلَٰلَةً
कलाला
awi
أَوِ
या
im'ra-atun
ٱمْرَأَةٌ
कोई औरत
walahu
وَلَهُۥٓ
और उसके लिए हो
akhun
أَخٌ
एक भाई
aw
أَوْ
या
ukh'tun
أُخْتٌ
एक बहन
falikulli
فَلِكُلِّ
तो वास्ते हर
wāḥidin
وَٰحِدٍ
एक के
min'humā
مِّنْهُمَا
उन दोनों में से
l-sudusu
ٱلسُّدُسُۚ
छठा हिस्सा है
fa-in
فَإِن
फिर अगर
kānū
كَانُوٓا۟
हों वो
akthara
أَكْثَرَ
ज़्यादा
min
مِن
उससे
dhālika
ذَٰلِكَ
उससे
fahum
فَهُمْ
तो वो
shurakāu
شُرَكَآءُ
शरीक हैं
فِى
एक तिहाई में
l-thuluthi
ٱلثُّلُثِۚ
एक तिहाई में
min
مِنۢ
बाद
baʿdi
بَعْدِ
बाद
waṣiyyatin
وَصِيَّةٍ
वसीयत के
yūṣā
يُوصَىٰ
वसीयत की जाए
bihā
بِهَآ
जिसकी
aw
أَوْ
या
daynin
دَيْنٍ
क़र्ज़ (की अदायगी के बाद)
ghayra
غَيْرَ
ना
muḍārrin
مُضَآرٍّۚ
नुक़सान पहुँचाने वाला हो
waṣiyyatan
وَصِيَّةً
वसीयत है
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह की तरफ़ से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने बाला है
ḥalīmun
حَلِيمٌ
बहुत बुर्दबार है
और तुम्हारी पत्नि यों ने जो कुछ छोड़ा हो, उसमें तुम्हारा आधा है, यदि उनकी सन्तान न हो। लेकिन यदि उनकी सन्तान हो तो वे छोड़े, उसमें तुम्हारा चौथाई होगा, इसके पश्चात कि जो वसीयत वे कर जाएँ वह पूरी कर दी जाए, या जो ऋण (उनपर) हो वह चुका दिया जाए। और जो कुछ तुम छोड़ जाओ, उसमें उनका (पत्ऩियों का) चौथाई हिस्सा होगा, यदि तुम्हारी कोई सन्तान न हो। लेकिन यदि तुम्हारी सन्तान है, तो जो कुछ तुम छोड़ोगे, उसमें से उनका (पत्नियों का) आठवाँ हिस्सा होगा, इसके पश्चात कि जो वसीयत तुमने की हो वह पूरी कर दी जाए, या जो ऋण हो उसे चुका दिया जाए, और यदि किसी पुरुष या स्त्री के न तो कोई सन्तान हो और न उसके माँ-बाप ही जीवित हो और उसके एक भाई या बहन हो तो उन दोनों में से प्रत्येक को छठा हिस्सा होगा। लेकिन यदि वे इससे अधिक हों तो फिर एक तिहाई में वे सब शरीक होंगे, इसके पश्चात कि जो वसीयत उसने की वह पूरी कर दी जाए या जो ऋण (उसपर) हो वह चुका दिया जाए, शर्त यह है कि वह हानिकर न हो। यह अल्लाह की ओर से ताकीदी आदेश है और अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, अत्यन्त सहनशील है ([४] अन-निसा: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

تِلْكَ حُدُوْدُ اللّٰهِ ۗ وَمَنْ يُّطِعِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ يُدْخِلْهُ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَا ۗ وَذٰلِكَ الْفَوْزُ الْعَظِيْمُ ١٣

til'ka
تِلْكَ
ये
ḥudūdu
حُدُودُ
हुदूद हैं
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह की
waman
وَمَن
और जो कोई
yuṭiʿi
يُطِعِ
इताअत करेगा
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥ
और उसके रसूल की
yud'khil'hu
يُدْخِلْهُ
वो दाख़िल करेगा उसे
jannātin
جَنَّٰتٍ
बाग़ात में
tajrī
تَجْرِى
बहती हैं
min
مِن
उनके नीचे से
taḥtihā
تَحْتِهَا
उनके नीचे से
l-anhāru
ٱلْأَنْهَٰرُ
नहरें
khālidīna
خَٰلِدِينَ
हमेशा रहने वाले हैं
fīhā
فِيهَاۚ
उनमें
wadhālika
وَذَٰلِكَ
और ये है
l-fawzu
ٱلْفَوْزُ
कामयाबी
l-ʿaẓīmu
ٱلْعَظِيمُ
बहुत बड़ी
ये अल्लाह की निश्चित की हुई सीमाएँ है। जो कोई अल्लाह और उसके रसूल के आदेशों का पालन करेगा, उसे अल्लाह ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी। उनमें वह सदैव रहेगा और यही बड़ी सफलता है ([४] अन-निसा: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

وَمَنْ يَّعْصِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَيَتَعَدَّ حُدُوْدَهٗ يُدْخِلْهُ نَارًا خَالِدًا فِيْهَاۖ وَلَهٗ عَذَابٌ مُّهِيْنٌ ࣖ ١٤

waman
وَمَن
और जो कोई
yaʿṣi
يَعْصِ
नाफ़रमानी करेगा
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥ
और उसके रसूल की
wayataʿadda
وَيَتَعَدَّ
और वो तजावुज़ करेगा
ḥudūdahu
حُدُودَهُۥ
उसकी हुदूद से
yud'khil'hu
يُدْخِلْهُ
वो दाख़िल करेगा उसे
nāran
نَارًا
आग में
khālidan
خَٰلِدًا
हमेशा रहने वाला है
fīhā
فِيهَا
उसमें
walahu
وَلَهُۥ
और उसके लिए
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब है
muhīnun
مُّهِينٌ
ज़लील करने वाला
परन्तु जो अल्लाह और उसके रसूल की अवज्ञा करेगा और उसकी सीमाओं का उल्लंघन करेगा उसे अल्लाह आग में डालेगा, जिसमें वह सदैव रहेगा। और उसके लिए अपमानजनक यातना है ([४] अन-निसा: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

وَالّٰتِيْ يَأْتِيْنَ الْفَاحِشَةَ مِنْ نِّسَاۤىِٕكُمْ فَاسْتَشْهِدُوْا عَلَيْهِنَّ اَرْبَعَةً مِّنْكُمْ ۚ فَاِنْ شَهِدُوْا فَاَمْسِكُوْهُنَّ فِى الْبُيُوْتِ حَتّٰى يَتَوَفّٰىهُنَّ الْمَوْتُ اَوْ يَجْعَلَ اللّٰهُ لَهُنَّ سَبِيْلًا ١٥

wa-allātī
وَٱلَّٰتِى
और वो औरतें जो
yatīna
يَأْتِينَ
आऐं
l-fāḥishata
ٱلْفَٰحِشَةَ
बेहयाई को
min
مِن
तुम्हारी औरतों में से
nisāikum
نِّسَآئِكُمْ
तुम्हारी औरतों में से
fa-is'tashhidū
فَٱسْتَشْهِدُوا۟
तो गवाह बना लो
ʿalayhinna
عَلَيْهِنَّ
उन पर
arbaʿatan
أَرْبَعَةً
चार
minkum
مِّنكُمْۖ
तुम में से
fa-in
فَإِن
फिर अगर
shahidū
شَهِدُوا۟
वो गवाही दे दें
fa-amsikūhunna
فَأَمْسِكُوهُنَّ
तो रोक लो उन्हें
فِى
घरों में
l-buyūti
ٱلْبُيُوتِ
घरों में
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yatawaffāhunna
يَتَوَفَّىٰهُنَّ
फ़ौत कर दे उन्हें
l-mawtu
ٱلْمَوْتُ
मौत
aw
أَوْ
या
yajʿala
يَجْعَلَ
बना दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
lahunna
لَهُنَّ
उनके लिए
sabīlan
سَبِيلًا
कोई रास्ता
और तुम्हारी स्त्रियों में से जो व्यभिचार कर बैठे, उनपर अपने में से चार आदमियों की गवाही लो, फिर यदि वे गवाही दे दें तो उन्हें घरों में बन्द रखो, यहाँ तक कि उनकी मृत्यु आ जाए या अल्लाह उनके लिए कोई रास्ता निकाल दे ([४] अन-निसा: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

وَالَّذٰنِ يَأْتِيٰنِهَا مِنْكُمْ فَاٰذُوْهُمَا ۚ فَاِنْ تَابَا وَاَصْلَحَا فَاَعْرِضُوْا عَنْهُمَا ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ تَوَّابًا رَّحِيْمًا ١٦

wa-alladhāni
وَٱلَّذَانِ
और वो दो (मर्द) जो
yatiyānihā
يَأْتِيَٰنِهَا
आऐं इस (बुराई) को
minkum
مِنكُمْ
तुम में से
faādhūhumā
فَـَٔاذُوهُمَاۖ
तो अज़ियत दो उन दोनों को
fa-in
فَإِن
फिर अगर
tābā
تَابَا
वो दोनों तौबा कर लें
wa-aṣlaḥā
وَأَصْلَحَا
और इस्लाह कर लें
fa-aʿriḍū
فَأَعْرِضُوا۟
तो ऐराज़ करो
ʿanhumā
عَنْهُمَآۗ
उन दोनों से
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
tawwāban
تَوَّابًا
बहुत तौबा क़ुबूल करने वाला
raḥīman
رَّحِيمًا
निहायत रहम करने वाला
और तुममें से जो दो पुरुष यह कर्म करें, उन्हें प्रताड़ित करो, फिर यदि वे तौबा कर ले और अपने आपको सुधार लें, तो उन्हें छोड़ दो। अल्लाह तौबा क़बूल करनेवाला, दयावान है ([४] अन-निसा: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

اِنَّمَا التَّوْبَةُ عَلَى اللّٰهِ لِلَّذِيْنَ يَعْمَلُوْنَ السُّوْۤءَ بِجَهَالَةٍ ثُمَّ يَتُوْبُوْنَ مِنْ قَرِيْبٍ فَاُولٰۤىِٕكَ يَتُوْبُ اللّٰهُ عَلَيْهِمْ ۗ وَكَانَ اللّٰهُ عَلِيْمًا حَكِيْمًا ١٧

innamā
إِنَّمَا
बेशक
l-tawbatu
ٱلتَّوْبَةُ
तौबा (क़ुबूल करना)
ʿalā
عَلَى
अल्लाह के ज़िम्मे है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के ज़िम्मे है
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उनके लिए जो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
अमल करते हैं
l-sūa
ٱلسُّوٓءَ
बुरा
bijahālatin
بِجَهَٰلَةٍ
जहालत से
thumma
ثُمَّ
फिर
yatūbūna
يَتُوبُونَ
वो तौबा कर लेते हैं
min
مِن
क़रीब से
qarībin
قَرِيبٍ
क़रीब से
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही वो लोग हैं
yatūbu
يَتُوبُ
मेहरबान होता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalayhim
عَلَيْهِمْۗ
उन पर
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalīman
عَلِيمًا
बहुत इल्म वाला
ḥakīman
حَكِيمًا
बहुत हिकमत वाला
उन्ही लोगों की तौबा क़बूल करना अल्लाह के ज़िम्मे है जो भावनाओं में बह कर नादानी से कोई बुराई कर बैठे, फिर जल्द ही तौबा कर लें, ऐसे ही लोग है जिनकी तौबा अल्लाह क़बूल करता है। अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है ([४] अन-निसा: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

وَلَيْسَتِ التَّوْبَةُ لِلَّذِيْنَ يَعْمَلُوْنَ السَّيِّاٰتِۚ حَتّٰىٓ اِذَا حَضَرَ اَحَدَهُمُ الْمَوْتُ قَالَ اِنِّيْ تُبْتُ الْـٰٔنَ وَلَا الَّذِيْنَ يَمُوْتُوْنَ وَهُمْ كُفَّارٌ ۗ اُولٰۤىِٕكَ اَعْتَدْنَا لَهُمْ عَذَابًا اَلِيْمًا ١٨

walaysati
وَلَيْسَتِ
और नहीं है
l-tawbatu
ٱلتَّوْبَةُ
तौबा
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उनके लिए जो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
अमल करते हैं
l-sayiāti
ٱلسَّيِّـَٔاتِ
बुरे
ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَا
जब
ḥaḍara
حَضَرَ
आती है
aḥadahumu
أَحَدَهُمُ
उनमें से किसी एक को
l-mawtu
ٱلْمَوْتُ
मौत
qāla
قَالَ
वो कहता है
innī
إِنِّى
बेशक मैं
tub'tu
تُبْتُ
तौबा की मैंने
l-āna
ٱلْـَٰٔنَ
अब
walā
وَلَا
और ना
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके लिए जो
yamūtūna
يَمُوتُونَ
मर जाते हैं
wahum
وَهُمْ
इस हाल में कि वो
kuffārun
كُفَّارٌۚ
काफ़िर हैं
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
aʿtadnā
أَعْتَدْنَا
तैयार कर रखा है हमने
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
ʿadhāban
عَذَابًا
अज़ाब
alīman
أَلِيمًا
दर्दनाक
और ऐसे लोगों की तौबा नहीं जो बुरे काम किए चले जाते है, यहाँ तक कि जब उनमें से किसी की मृत्यु का समय आ जाता है तो कहने लगता है, 'अब मैं तौबा करता हूँ।' और इसी प्रकार तौबा उनकी भी नहीं है, जो मरते दम तक इनकार करनेवाले ही रहे। ऐसे लोगों के लिए हमने दुखद यातना तैयार कर रखी है ([४] अन-निसा: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا يَحِلُّ لَكُمْ اَنْ تَرِثُوا النِّسَاۤءَ كَرْهًا ۗ وَلَا تَعْضُلُوْهُنَّ لِتَذْهَبُوْا بِبَعْضِ مَآ اٰتَيْتُمُوْهُنَّ اِلَّآ اَنْ يَّأْتِيْنَ بِفَاحِشَةٍ مُّبَيِّنَةٍ ۚ وَعَاشِرُوْهُنَّ بِالْمَعْرُوْفِ ۚ فَاِنْ كَرِهْتُمُوْهُنَّ فَعَسٰٓى اَنْ تَكْرَهُوْا شَيْـًٔا وَّيَجْعَلَ اللّٰهُ فِيْهِ خَيْرًا كَثِيْرًا ١٩

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
नहीं हलाल
yaḥillu
يَحِلُّ
नहीं हलाल
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
an
أَن
कि
tarithū
تَرِثُوا۟
तुम वारिस बन जाओ
l-nisāa
ٱلنِّسَآءَ
औरतों के
karhan
كَرْهًاۖ
ज़बरदस्ती
walā
وَلَا
और ना
taʿḍulūhunna
تَعْضُلُوهُنَّ
तुम रोको उन्हें
litadhhabū
لِتَذْهَبُوا۟
ताकि तुम ले जाओ
bibaʿḍi
بِبَعْضِ
बाज़
مَآ
जो
ātaytumūhunna
ءَاتَيْتُمُوهُنَّ
दिया तुमने उन्हें
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
yatīna
يَأْتِينَ
वो आऐं
bifāḥishatin
بِفَٰحِشَةٍ
बेहयाई को
mubayyinatin
مُّبَيِّنَةٍۚ
खुली-खुली
waʿāshirūhunna
وَعَاشِرُوهُنَّ
और गुज़र बसर करो उनके साथ
bil-maʿrūfi
بِٱلْمَعْرُوفِۚ
भले तरीक़े से
fa-in
فَإِن
फिर अगर
karih'tumūhunna
كَرِهْتُمُوهُنَّ
तुम नापसंद करो उन्हें
faʿasā
فَعَسَىٰٓ
तो हो सकता है
an
أَن
कि
takrahū
تَكْرَهُوا۟
तुम नापसंद करो
shayan
شَيْـًٔا
एक चीज़ को
wayajʿala
وَيَجْعَلَ
और कर दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
fīhi
فِيهِ
उसमें
khayran
خَيْرًا
भलाई
kathīran
كَثِيرًا
बहुत सी
ऐ ईमान लानेवालो! तुम्हारे लिए वैध नहीं कि स्त्रियों के माल के ज़बरदस्ती वारिस बन बैठो, और न यह वैध है कि उन्हें इसलिए रोको और तंग करो कि जो कुछ तुमने उन्हें दिया है, उसमें से कुछ ले उड़ो। परन्तु यदि वे खुले रूप में अशिष्ट कर्म कर बैठे तो दूसरी बात है। और उनके साथ भले तरीक़े से रहो-सहो। फिर यदि वे तुम्हें पसन्द न हों, तो सम्भव है कि एक चीज़ तुम्हें पसन्द न हो और अल्लाह उसमें बहुत कुछ भलाई रख दे ([४] अन-निसा: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

وَاِنْ اَرَدْتُّمُ اسْتِبْدَالَ زَوْجٍ مَّكَانَ زَوْجٍۙ وَّاٰتَيْتُمْ اِحْدٰىهُنَّ قِنْطَارًا فَلَا تَأْخُذُوْا مِنْهُ شَيْـًٔا ۗ اَتَأْخُذُوْنَهٗ بُهْتَانًا وَّاِثْمًا مُّبِيْنًا ٢٠

wa-in
وَإِنْ
और अगर
aradttumu
أَرَدتُّمُ
इरादा करो तुम
is'tib'dāla
ٱسْتِبْدَالَ
बदलने का
zawjin
زَوْجٍ
एक बीवी को
makāna
مَّكَانَ
जगह
zawjin
زَوْجٍ
बीवी के (दूसरी)
waātaytum
وَءَاتَيْتُمْ
और दे दिया हो तुमने
iḥ'dāhunna
إِحْدَىٰهُنَّ
उनमें से किसी एक को
qinṭāran
قِنطَارًا
ढेरों माल
falā
فَلَا
तो ना
takhudhū
تَأْخُذُوا۟
तुम लो
min'hu
مِنْهُ
उसमें से
shayan
شَيْـًٔاۚ
कुछ भी
atakhudhūnahu
أَتَأْخُذُونَهُۥ
क्या तुम लोगे उसे
buh'tānan
بُهْتَٰنًا
बोहतान लगाकर
wa-ith'man
وَإِثْمًا
और गुनाह
mubīnan
مُّبِينًا
खुले से
और यदि तुम एक पत्ऩी की जगह दूसरी पत्ऩी लाना चाहो तो, चाहे तुमने उनमें किसी को ढेरों माल दे दिया हो, उसमें से कुछ मत लेना। क्या तुम उसपर झूठा आरोप लगाकर और खुले रूप में हक़ मारकर उसे लोगे? ([४] अन-निसा: 20)
Tafseer (तफ़सीर )