يُوْصِيْكُمُ اللّٰهُ فِيْٓ اَوْلَادِكُمْ لِلذَّكَرِ مِثْلُ حَظِّ الْاُنْثَيَيْنِ ۚ فَاِنْ كُنَّ نِسَاۤءً فَوْقَ اثْنَتَيْنِ فَلَهُنَّ ثُلُثَا مَا تَرَكَ ۚ وَاِنْ كَانَتْ وَاحِدَةً فَلَهَا النِّصْفُ ۗ وَلِاَبَوَيْهِ لِكُلِّ وَاحِدٍ مِّنْهُمَا السُّدُسُ مِمَّا تَرَكَ اِنْ كَانَ لَهٗ وَلَدٌ ۚ فَاِنْ لَّمْ يَكُنْ لَّهٗ وَلَدٌ وَّوَرِثَهٗٓ اَبَوٰهُ فَلِاُمِّهِ الثُّلُثُ ۚ فَاِنْ كَانَ لَهٗٓ اِخْوَةٌ فَلِاُمِّهِ السُّدُسُ مِنْۢ بَعْدِ وَصِيَّةٍ يُّوْصِيْ بِهَآ اَوْ دَيْنٍ ۗ اٰبَاۤؤُكُمْ وَاَبْنَاۤؤُكُمْۚ لَا تَدْرُوْنَ اَيُّهُمْ اَقْرَبُ لَكُمْ نَفْعًا ۗ فَرِيْضَةً مِّنَ اللّٰهِ ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلِيْمًا حَكِيْمًا ١١
- yūṣīkumu
- يُوصِيكُمُ
- ताकीद करता है तुम्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- fī
- فِىٓ
- तुम्हारी औलाद के बारे में
- awlādikum
- أَوْلَٰدِكُمْۖ
- तुम्हारी औलाद के बारे में
- lildhakari
- لِلذَّكَرِ
- मर्द के लिए
- mith'lu
- مِثْلُ
- मानिन्द
- ḥaẓẓi
- حَظِّ
- हिस्सा है
- l-unthayayni
- ٱلْأُنثَيَيْنِۚ
- दो औरतों के
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- kunna
- كُنَّ
- हों वो
- nisāan
- نِسَآءً
- औरतें
- fawqa
- فَوْقَ
- ऊपर
- ith'natayni
- ٱثْنَتَيْنِ
- दो से
- falahunna
- فَلَهُنَّ
- तो उनके लिए है
- thuluthā
- ثُلُثَا
- दो तिहाई
- mā
- مَا
- जो
- taraka
- تَرَكَۖ
- उस (मय्यत) ने छोड़ा
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- kānat
- كَانَتْ
- हो वो
- wāḥidatan
- وَٰحِدَةً
- एक (औरत)
- falahā
- فَلَهَا
- तो उसके लिए
- l-niṣ'fu
- ٱلنِّصْفُۚ
- आधा है
- wali-abawayhi
- وَلِأَبَوَيْهِ
- और उसके माँ बाप के लिए
- likulli
- لِكُلِّ
- वास्ते हर
- wāḥidin
- وَٰحِدٍ
- एक के
- min'humā
- مِّنْهُمَا
- उन दोनों में से
- l-sudusu
- ٱلسُّدُسُ
- छठा हिस्सा है
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- taraka
- تَرَكَ
- उसने छोड़ा
- in
- إِن
- अगर
- kāna
- كَانَ
- है
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- waladun
- وَلَدٌۚ
- कोई औलाद
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- lam
- لَّمْ
- नहीं
- yakun
- يَكُن
- है
- lahu
- لَّهُۥ
- उसके लिए
- waladun
- وَلَدٌ
- कोई औलाद
- wawarithahu
- وَوَرِثَهُۥٓ
- और वारिस हों उसके
- abawāhu
- أَبَوَاهُ
- माँ बाप उसके
- fali-ummihi
- فَلِأُمِّهِ
- तो उसकी माँ के लिए
- l-thuluthu
- ٱلثُّلُثُۚ
- तीसरा हिस्सा है
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- kāna
- كَانَ
- हों
- lahu
- لَهُۥٓ
- उसके
- ikh'watun
- إِخْوَةٌ
- बहन भाई
- fali-ummihi
- فَلِأُمِّهِ
- तो उसकी माँ के लिए
- l-sudusu
- ٱلسُّدُسُۚ
- छठा हिस्सा है
- min
- مِنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- waṣiyyatin
- وَصِيَّةٍ
- वसीयत पूरी करने के
- yūṣī
- يُوصِى
- वो वसीयत कर जाए
- bihā
- بِهَآ
- उसकी
- aw
- أَوْ
- या
- daynin
- دَيْنٍۗ
- क़र्ज़ (की अदायगी के बाद)
- ābāukum
- ءَابَآؤُكُمْ
- बाप तुम्हारे
- wa-abnāukum
- وَأَبْنَآؤُكُمْ
- और बेटे तुम्हारे
- lā
- لَا
- नहीं तुम जानते
- tadrūna
- تَدْرُونَ
- नहीं तुम जानते
- ayyuhum
- أَيُّهُمْ
- उनमें से कौन
- aqrabu
- أَقْرَبُ
- ज़्यादा क़रीब है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- nafʿan
- نَفْعًاۚ
- नफ़ा में
- farīḍatan
- فَرِيضَةً
- फ़रीज़ा है
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِۗ
- अल्लाह की तरफ़ से
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है
- ʿalīman
- عَلِيمًا
- बहुत इल्म वाला
- ḥakīman
- حَكِيمًا
- बहुत हिकमत वाला
अल्लाह तुम्हारी सन्तान के विषय में तुम्हें आदेश देता है कि दो बेटियों के हिस्से के बराबर एक बेटे का हिस्सा होगा; और यदि दो से अधिक बेटियाँ ही हो तो उनका हिस्सा छोड़ी हुई सम्पत्ति का दो तिहाई है। और यदि वह अकेली हो तो उसके लिए आधा है। और यदि मरनेवाले की सन्तान हो जो उसके माँ-बाप में से प्रत्येक का उसके छोड़े हुए माल का छठा हिस्सा है। और यदि वह निस्संतान हो और उसके माँ-बाप ही उसके वारिस हों, तो उसकी माँ का हिस्सा तिहाई होगा। और यदि उसके भाई भी हो, तो उसका माँ का छठा हिस्सा होगा। ये हिस्से, वसीयत जो वह कर जाए पूरी करने या ऋण चुका देने के पश्चात है। तुम्हारे बाप भी है और तुम्हारे बेटे भी। तुम नहीं जानते कि उनमें से लाभ पहुँचाने की दृष्टि से कौन तुमसे अधिक निकट है। यह हिस्सा अल्लाह का निश्चित किया हुआ है। अल्लाह सब कुछ जानता, समझता है ([४] अन-निसा: 11)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَلَكُمْ نِصْفُ مَا تَرَكَ اَزْوَاجُكُمْ اِنْ لَّمْ يَكُنْ لَّهُنَّ وَلَدٌ ۚ فَاِنْ كَانَ لَهُنَّ وَلَدٌ فَلَكُمُ الرُّبُعُ مِمَّا تَرَكْنَ مِنْۢ بَعْدِ وَصِيَّةٍ يُّوْصِيْنَ بِهَآ اَوْ دَيْنٍ ۗ وَلَهُنَّ الرُّبُعُ مِمَّا تَرَكْتُمْ اِنْ لَّمْ يَكُنْ لَّكُمْ وَلَدٌ ۚ فَاِنْ كَانَ لَكُمْ وَلَدٌ فَلَهُنَّ الثُّمُنُ مِمَّا تَرَكْتُمْ مِّنْۢ بَعْدِ وَصِيَّةٍ تُوْصُوْنَ بِهَآ اَوْ دَيْنٍ ۗ وَاِنْ كَانَ رَجُلٌ يُّوْرَثُ كَلٰلَةً اَوِ امْرَاَةٌ وَّلَهٗٓ اَخٌ اَوْ اُخْتٌ فَلِكُلِّ وَاحِدٍ مِّنْهُمَا السُّدُسُۚ فَاِنْ كَانُوْٓا اَكْثَرَ مِنْ ذٰلِكَ فَهُمْ شُرَكَاۤءُ فِى الثُّلُثِ مِنْۢ بَعْدِ وَصِيَّةٍ يُّوْصٰى بِهَآ اَوْ دَيْنٍۙ غَيْرَ مُضَاۤرٍّ ۚ وَصِيَّةً مِّنَ اللّٰهِ ۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌ حَلِيْمٌۗ ١٢
- walakum
- وَلَكُمْ
- और तुम्हारे लिए
- niṣ'fu
- نِصْفُ
- आधा है
- mā
- مَا
- जो
- taraka
- تَرَكَ
- छोड़ा
- azwājukum
- أَزْوَٰجُكُمْ
- तुम्हारी बीवियों ने
- in
- إِن
- अगर
- lam
- لَّمْ
- ना
- yakun
- يَكُن
- हो
- lahunna
- لَّهُنَّ
- उनके लिए
- waladun
- وَلَدٌۚ
- कोई औलाद
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- kāna
- كَانَ
- है
- lahunna
- لَهُنَّ
- उनके लिए
- waladun
- وَلَدٌ
- कोई औलाद
- falakumu
- فَلَكُمُ
- तो तुम्हारे लिए
- l-rubuʿu
- ٱلرُّبُعُ
- चौथा हिस्सा
- mimmā
- مِمَّا
- उस में से जो
- tarakna
- تَرَكْنَۚ
- वो छोड़ जाऐं
- min
- مِنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- waṣiyyatin
- وَصِيَّةٍ
- वसीयत के
- yūṣīna
- يُوصِينَ
- वो औरतें वसीयत कर जाऐं
- bihā
- بِهَآ
- जिसकी
- aw
- أَوْ
- या
- daynin
- دَيْنٍۚ
- क़र्ज़ (की अदायगी के बाद)
- walahunna
- وَلَهُنَّ
- और उन औरतों के लिए है
- l-rubuʿu
- ٱلرُّبُعُ
- चौथा हिस्सा
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- taraktum
- تَرَكْتُمْ
- छोड़ा तुमने
- in
- إِن
- अगर
- lam
- لَّمْ
- नहीं
- yakun
- يَكُن
- है
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारे लिए
- waladun
- وَلَدٌۚ
- कोई औलाद
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- kāna
- كَانَ
- है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- waladun
- وَلَدٌ
- कोई औलाद
- falahunna
- فَلَهُنَّ
- तो उनके लिए है
- l-thumunu
- ٱلثُّمُنُ
- आठवाँ हिस्सा
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- taraktum
- تَرَكْتُمۚ
- छोड़ा तुमने
- min
- مِّنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- waṣiyyatin
- وَصِيَّةٍ
- वसीयत के
- tūṣūna
- تُوصُونَ
- तुम वसीयत कर जाओ
- bihā
- بِهَآ
- जिसकी
- aw
- أَوْ
- या
- daynin
- دَيْنٍۗ
- क़र्ज़ (की अदायगी के बाद)
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- kāna
- كَانَ
- है
- rajulun
- رَجُلٌ
- कोई मर्द
- yūrathu
- يُورَثُ
- मीरास ली जा रही है (जिसकी)
- kalālatan
- كَلَٰلَةً
- कलाला
- awi
- أَوِ
- या
- im'ra-atun
- ٱمْرَأَةٌ
- कोई औरत
- walahu
- وَلَهُۥٓ
- और उसके लिए हो
- akhun
- أَخٌ
- एक भाई
- aw
- أَوْ
- या
- ukh'tun
- أُخْتٌ
- एक बहन
- falikulli
- فَلِكُلِّ
- तो वास्ते हर
- wāḥidin
- وَٰحِدٍ
- एक के
- min'humā
- مِّنْهُمَا
- उन दोनों में से
- l-sudusu
- ٱلسُّدُسُۚ
- छठा हिस्सा है
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- kānū
- كَانُوٓا۟
- हों वो
- akthara
- أَكْثَرَ
- ज़्यादा
- min
- مِن
- उससे
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- उससे
- fahum
- فَهُمْ
- तो वो
- shurakāu
- شُرَكَآءُ
- शरीक हैं
- fī
- فِى
- एक तिहाई में
- l-thuluthi
- ٱلثُّلُثِۚ
- एक तिहाई में
- min
- مِنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- waṣiyyatin
- وَصِيَّةٍ
- वसीयत के
- yūṣā
- يُوصَىٰ
- वसीयत की जाए
- bihā
- بِهَآ
- जिसकी
- aw
- أَوْ
- या
- daynin
- دَيْنٍ
- क़र्ज़ (की अदायगी के बाद)
- ghayra
- غَيْرَ
- ना
- muḍārrin
- مُضَآرٍّۚ
- नुक़सान पहुँचाने वाला हो
- waṣiyyatan
- وَصِيَّةً
- वसीयत है
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِۗ
- अल्लाह की तरफ़ से
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने बाला है
- ḥalīmun
- حَلِيمٌ
- बहुत बुर्दबार है
और तुम्हारी पत्नि यों ने जो कुछ छोड़ा हो, उसमें तुम्हारा आधा है, यदि उनकी सन्तान न हो। लेकिन यदि उनकी सन्तान हो तो वे छोड़े, उसमें तुम्हारा चौथाई होगा, इसके पश्चात कि जो वसीयत वे कर जाएँ वह पूरी कर दी जाए, या जो ऋण (उनपर) हो वह चुका दिया जाए। और जो कुछ तुम छोड़ जाओ, उसमें उनका (पत्ऩियों का) चौथाई हिस्सा होगा, यदि तुम्हारी कोई सन्तान न हो। लेकिन यदि तुम्हारी सन्तान है, तो जो कुछ तुम छोड़ोगे, उसमें से उनका (पत्नियों का) आठवाँ हिस्सा होगा, इसके पश्चात कि जो वसीयत तुमने की हो वह पूरी कर दी जाए, या जो ऋण हो उसे चुका दिया जाए, और यदि किसी पुरुष या स्त्री के न तो कोई सन्तान हो और न उसके माँ-बाप ही जीवित हो और उसके एक भाई या बहन हो तो उन दोनों में से प्रत्येक को छठा हिस्सा होगा। लेकिन यदि वे इससे अधिक हों तो फिर एक तिहाई में वे सब शरीक होंगे, इसके पश्चात कि जो वसीयत उसने की वह पूरी कर दी जाए या जो ऋण (उसपर) हो वह चुका दिया जाए, शर्त यह है कि वह हानिकर न हो। यह अल्लाह की ओर से ताकीदी आदेश है और अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, अत्यन्त सहनशील है ([४] अन-निसा: 12)Tafseer (तफ़सीर )
تِلْكَ حُدُوْدُ اللّٰهِ ۗ وَمَنْ يُّطِعِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ يُدْخِلْهُ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَا ۗ وَذٰلِكَ الْفَوْزُ الْعَظِيْمُ ١٣
- til'ka
- تِلْكَ
- ये
- ḥudūdu
- حُدُودُ
- हुदूद हैं
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह की
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yuṭiʿi
- يُطِعِ
- इताअत करेगा
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- warasūlahu
- وَرَسُولَهُۥ
- और उसके रसूल की
- yud'khil'hu
- يُدْخِلْهُ
- वो दाख़िल करेगा उसे
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात में
- tajrī
- تَجْرِى
- बहती हैं
- min
- مِن
- उनके नीचे से
- taḥtihā
- تَحْتِهَا
- उनके नीचे से
- l-anhāru
- ٱلْأَنْهَٰرُ
- नहरें
- khālidīna
- خَٰلِدِينَ
- हमेशा रहने वाले हैं
- fīhā
- فِيهَاۚ
- उनमें
- wadhālika
- وَذَٰلِكَ
- और ये है
- l-fawzu
- ٱلْفَوْزُ
- कामयाबी
- l-ʿaẓīmu
- ٱلْعَظِيمُ
- बहुत बड़ी
ये अल्लाह की निश्चित की हुई सीमाएँ है। जो कोई अल्लाह और उसके रसूल के आदेशों का पालन करेगा, उसे अल्लाह ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी। उनमें वह सदैव रहेगा और यही बड़ी सफलता है ([४] अन-निसा: 13)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ يَّعْصِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَيَتَعَدَّ حُدُوْدَهٗ يُدْخِلْهُ نَارًا خَالِدًا فِيْهَاۖ وَلَهٗ عَذَابٌ مُّهِيْنٌ ࣖ ١٤
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yaʿṣi
- يَعْصِ
- नाफ़रमानी करेगा
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- warasūlahu
- وَرَسُولَهُۥ
- और उसके रसूल की
- wayataʿadda
- وَيَتَعَدَّ
- और वो तजावुज़ करेगा
- ḥudūdahu
- حُدُودَهُۥ
- उसकी हुदूद से
- yud'khil'hu
- يُدْخِلْهُ
- वो दाख़िल करेगा उसे
- nāran
- نَارًا
- आग में
- khālidan
- خَٰلِدًا
- हमेशा रहने वाला है
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- walahu
- وَلَهُۥ
- और उसके लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- muhīnun
- مُّهِينٌ
- ज़लील करने वाला
परन्तु जो अल्लाह और उसके रसूल की अवज्ञा करेगा और उसकी सीमाओं का उल्लंघन करेगा उसे अल्लाह आग में डालेगा, जिसमें वह सदैव रहेगा। और उसके लिए अपमानजनक यातना है ([४] अन-निसा: 14)Tafseer (तफ़सीर )
وَالّٰتِيْ يَأْتِيْنَ الْفَاحِشَةَ مِنْ نِّسَاۤىِٕكُمْ فَاسْتَشْهِدُوْا عَلَيْهِنَّ اَرْبَعَةً مِّنْكُمْ ۚ فَاِنْ شَهِدُوْا فَاَمْسِكُوْهُنَّ فِى الْبُيُوْتِ حَتّٰى يَتَوَفّٰىهُنَّ الْمَوْتُ اَوْ يَجْعَلَ اللّٰهُ لَهُنَّ سَبِيْلًا ١٥
- wa-allātī
- وَٱلَّٰتِى
- और वो औरतें जो
- yatīna
- يَأْتِينَ
- आऐं
- l-fāḥishata
- ٱلْفَٰحِشَةَ
- बेहयाई को
- min
- مِن
- तुम्हारी औरतों में से
- nisāikum
- نِّسَآئِكُمْ
- तुम्हारी औरतों में से
- fa-is'tashhidū
- فَٱسْتَشْهِدُوا۟
- तो गवाह बना लो
- ʿalayhinna
- عَلَيْهِنَّ
- उन पर
- arbaʿatan
- أَرْبَعَةً
- चार
- minkum
- مِّنكُمْۖ
- तुम में से
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- shahidū
- شَهِدُوا۟
- वो गवाही दे दें
- fa-amsikūhunna
- فَأَمْسِكُوهُنَّ
- तो रोक लो उन्हें
- fī
- فِى
- घरों में
- l-buyūti
- ٱلْبُيُوتِ
- घरों में
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yatawaffāhunna
- يَتَوَفَّىٰهُنَّ
- फ़ौत कर दे उन्हें
- l-mawtu
- ٱلْمَوْتُ
- मौत
- aw
- أَوْ
- या
- yajʿala
- يَجْعَلَ
- बना दे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lahunna
- لَهُنَّ
- उनके लिए
- sabīlan
- سَبِيلًا
- कोई रास्ता
और तुम्हारी स्त्रियों में से जो व्यभिचार कर बैठे, उनपर अपने में से चार आदमियों की गवाही लो, फिर यदि वे गवाही दे दें तो उन्हें घरों में बन्द रखो, यहाँ तक कि उनकी मृत्यु आ जाए या अल्लाह उनके लिए कोई रास्ता निकाल दे ([४] अन-निसा: 15)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذٰنِ يَأْتِيٰنِهَا مِنْكُمْ فَاٰذُوْهُمَا ۚ فَاِنْ تَابَا وَاَصْلَحَا فَاَعْرِضُوْا عَنْهُمَا ۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ تَوَّابًا رَّحِيْمًا ١٦
- wa-alladhāni
- وَٱلَّذَانِ
- और वो दो (मर्द) जो
- yatiyānihā
- يَأْتِيَٰنِهَا
- आऐं इस (बुराई) को
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम में से
- faādhūhumā
- فَـَٔاذُوهُمَاۖ
- तो अज़ियत दो उन दोनों को
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- tābā
- تَابَا
- वो दोनों तौबा कर लें
- wa-aṣlaḥā
- وَأَصْلَحَا
- और इस्लाह कर लें
- fa-aʿriḍū
- فَأَعْرِضُوا۟
- तो ऐराज़ करो
- ʿanhumā
- عَنْهُمَآۗ
- उन दोनों से
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है
- tawwāban
- تَوَّابًا
- बहुत तौबा क़ुबूल करने वाला
- raḥīman
- رَّحِيمًا
- निहायत रहम करने वाला
और तुममें से जो दो पुरुष यह कर्म करें, उन्हें प्रताड़ित करो, फिर यदि वे तौबा कर ले और अपने आपको सुधार लें, तो उन्हें छोड़ दो। अल्लाह तौबा क़बूल करनेवाला, दयावान है ([४] अन-निसा: 16)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّمَا التَّوْبَةُ عَلَى اللّٰهِ لِلَّذِيْنَ يَعْمَلُوْنَ السُّوْۤءَ بِجَهَالَةٍ ثُمَّ يَتُوْبُوْنَ مِنْ قَرِيْبٍ فَاُولٰۤىِٕكَ يَتُوْبُ اللّٰهُ عَلَيْهِمْ ۗ وَكَانَ اللّٰهُ عَلِيْمًا حَكِيْمًا ١٧
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- l-tawbatu
- ٱلتَّوْبَةُ
- तौबा (क़ुबूल करना)
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह के ज़िम्मे है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के ज़िम्मे है
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उनके लिए जो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- अमल करते हैं
- l-sūa
- ٱلسُّوٓءَ
- बुरा
- bijahālatin
- بِجَهَٰلَةٍ
- जहालत से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yatūbūna
- يَتُوبُونَ
- वो तौबा कर लेते हैं
- min
- مِن
- क़रीब से
- qarībin
- قَرِيبٍ
- क़रीब से
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- तो यही वो लोग हैं
- yatūbu
- يَتُوبُ
- मेहरबान होता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْۗ
- उन पर
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿalīman
- عَلِيمًا
- बहुत इल्म वाला
- ḥakīman
- حَكِيمًا
- बहुत हिकमत वाला
उन्ही लोगों की तौबा क़बूल करना अल्लाह के ज़िम्मे है जो भावनाओं में बह कर नादानी से कोई बुराई कर बैठे, फिर जल्द ही तौबा कर लें, ऐसे ही लोग है जिनकी तौबा अल्लाह क़बूल करता है। अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है ([४] अन-निसा: 17)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَيْسَتِ التَّوْبَةُ لِلَّذِيْنَ يَعْمَلُوْنَ السَّيِّاٰتِۚ حَتّٰىٓ اِذَا حَضَرَ اَحَدَهُمُ الْمَوْتُ قَالَ اِنِّيْ تُبْتُ الْـٰٔنَ وَلَا الَّذِيْنَ يَمُوْتُوْنَ وَهُمْ كُفَّارٌ ۗ اُولٰۤىِٕكَ اَعْتَدْنَا لَهُمْ عَذَابًا اَلِيْمًا ١٨
- walaysati
- وَلَيْسَتِ
- और नहीं है
- l-tawbatu
- ٱلتَّوْبَةُ
- तौबा
- lilladhīna
- لِلَّذِينَ
- उनके लिए जो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- अमल करते हैं
- l-sayiāti
- ٱلسَّيِّـَٔاتِ
- बुरे
- ḥattā
- حَتَّىٰٓ
- यहाँ तक कि
- idhā
- إِذَا
- जब
- ḥaḍara
- حَضَرَ
- आती है
- aḥadahumu
- أَحَدَهُمُ
- उनमें से किसी एक को
- l-mawtu
- ٱلْمَوْتُ
- मौत
- qāla
- قَالَ
- वो कहता है
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- tub'tu
- تُبْتُ
- तौबा की मैंने
- l-āna
- ٱلْـَٰٔنَ
- अब
- walā
- وَلَا
- और ना
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके लिए जो
- yamūtūna
- يَمُوتُونَ
- मर जाते हैं
- wahum
- وَهُمْ
- इस हाल में कि वो
- kuffārun
- كُفَّارٌۚ
- काफ़िर हैं
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- aʿtadnā
- أَعْتَدْنَا
- तैयार कर रखा है हमने
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- अज़ाब
- alīman
- أَلِيمًا
- दर्दनाक
और ऐसे लोगों की तौबा नहीं जो बुरे काम किए चले जाते है, यहाँ तक कि जब उनमें से किसी की मृत्यु का समय आ जाता है तो कहने लगता है, 'अब मैं तौबा करता हूँ।' और इसी प्रकार तौबा उनकी भी नहीं है, जो मरते दम तक इनकार करनेवाले ही रहे। ऐसे लोगों के लिए हमने दुखद यातना तैयार कर रखी है ([४] अन-निसा: 18)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا يَحِلُّ لَكُمْ اَنْ تَرِثُوا النِّسَاۤءَ كَرْهًا ۗ وَلَا تَعْضُلُوْهُنَّ لِتَذْهَبُوْا بِبَعْضِ مَآ اٰتَيْتُمُوْهُنَّ اِلَّآ اَنْ يَّأْتِيْنَ بِفَاحِشَةٍ مُّبَيِّنَةٍ ۚ وَعَاشِرُوْهُنَّ بِالْمَعْرُوْفِ ۚ فَاِنْ كَرِهْتُمُوْهُنَّ فَعَسٰٓى اَنْ تَكْرَهُوْا شَيْـًٔا وَّيَجْعَلَ اللّٰهُ فِيْهِ خَيْرًا كَثِيْرًا ١٩
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lā
- لَا
- नहीं हलाल
- yaḥillu
- يَحِلُّ
- नहीं हलाल
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- an
- أَن
- कि
- tarithū
- تَرِثُوا۟
- तुम वारिस बन जाओ
- l-nisāa
- ٱلنِّسَآءَ
- औरतों के
- karhan
- كَرْهًاۖ
- ज़बरदस्ती
- walā
- وَلَا
- और ना
- taʿḍulūhunna
- تَعْضُلُوهُنَّ
- तुम रोको उन्हें
- litadhhabū
- لِتَذْهَبُوا۟
- ताकि तुम ले जाओ
- bibaʿḍi
- بِبَعْضِ
- बाज़
- mā
- مَآ
- जो
- ātaytumūhunna
- ءَاتَيْتُمُوهُنَّ
- दिया तुमने उन्हें
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- yatīna
- يَأْتِينَ
- वो आऐं
- bifāḥishatin
- بِفَٰحِشَةٍ
- बेहयाई को
- mubayyinatin
- مُّبَيِّنَةٍۚ
- खुली-खुली
- waʿāshirūhunna
- وَعَاشِرُوهُنَّ
- और गुज़र बसर करो उनके साथ
- bil-maʿrūfi
- بِٱلْمَعْرُوفِۚ
- भले तरीक़े से
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- karih'tumūhunna
- كَرِهْتُمُوهُنَّ
- तुम नापसंद करो उन्हें
- faʿasā
- فَعَسَىٰٓ
- तो हो सकता है
- an
- أَن
- कि
- takrahū
- تَكْرَهُوا۟
- तुम नापसंद करो
- shayan
- شَيْـًٔا
- एक चीज़ को
- wayajʿala
- وَيَجْعَلَ
- और कर दे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- khayran
- خَيْرًا
- भलाई
- kathīran
- كَثِيرًا
- बहुत सी
ऐ ईमान लानेवालो! तुम्हारे लिए वैध नहीं कि स्त्रियों के माल के ज़बरदस्ती वारिस बन बैठो, और न यह वैध है कि उन्हें इसलिए रोको और तंग करो कि जो कुछ तुमने उन्हें दिया है, उसमें से कुछ ले उड़ो। परन्तु यदि वे खुले रूप में अशिष्ट कर्म कर बैठे तो दूसरी बात है। और उनके साथ भले तरीक़े से रहो-सहो। फिर यदि वे तुम्हें पसन्द न हों, तो सम्भव है कि एक चीज़ तुम्हें पसन्द न हो और अल्लाह उसमें बहुत कुछ भलाई रख दे ([४] अन-निसा: 19)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ اَرَدْتُّمُ اسْتِبْدَالَ زَوْجٍ مَّكَانَ زَوْجٍۙ وَّاٰتَيْتُمْ اِحْدٰىهُنَّ قِنْطَارًا فَلَا تَأْخُذُوْا مِنْهُ شَيْـًٔا ۗ اَتَأْخُذُوْنَهٗ بُهْتَانًا وَّاِثْمًا مُّبِيْنًا ٢٠
- wa-in
- وَإِنْ
- और अगर
- aradttumu
- أَرَدتُّمُ
- इरादा करो तुम
- is'tib'dāla
- ٱسْتِبْدَالَ
- बदलने का
- zawjin
- زَوْجٍ
- एक बीवी को
- makāna
- مَّكَانَ
- जगह
- zawjin
- زَوْجٍ
- बीवी के (दूसरी)
- waātaytum
- وَءَاتَيْتُمْ
- और दे दिया हो तुमने
- iḥ'dāhunna
- إِحْدَىٰهُنَّ
- उनमें से किसी एक को
- qinṭāran
- قِنطَارًا
- ढेरों माल
- falā
- فَلَا
- तो ना
- takhudhū
- تَأْخُذُوا۟
- तुम लो
- min'hu
- مِنْهُ
- उसमें से
- shayan
- شَيْـًٔاۚ
- कुछ भी
- atakhudhūnahu
- أَتَأْخُذُونَهُۥ
- क्या तुम लोगे उसे
- buh'tānan
- بُهْتَٰنًا
- बोहतान लगाकर
- wa-ith'man
- وَإِثْمًا
- और गुनाह
- mubīnan
- مُّبِينًا
- खुले से
और यदि तुम एक पत्ऩी की जगह दूसरी पत्ऩी लाना चाहो तो, चाहे तुमने उनमें किसी को ढेरों माल दे दिया हो, उसमें से कुछ मत लेना। क्या तुम उसपर झूठा आरोप लगाकर और खुले रूप में हक़ मारकर उसे लोगे? ([४] अन-निसा: 20)Tafseer (तफ़सीर )