وَّاَخْذِهِمُ الرِّبٰوا وَقَدْ نُهُوْا عَنْهُ وَاَكْلِهِمْ اَمْوَالَ النَّاسِ بِالْبَاطِلِ ۗوَاَعْتَدْنَا لِلْكٰفِرِيْنَ مِنْهُمْ عَذَابًا اَلِيْمًا ١٦١
- wa-akhdhihimu
- وَأَخْذِهِمُ
- और (बवजह) उनके लेने के
- l-riba
- ٱلرِّبَوٰا۟
- सूद को
- waqad
- وَقَدْ
- हालाँकि तहक़ीक़
- nuhū
- نُهُوا۟
- वो रोके गए थे
- ʿanhu
- عَنْهُ
- उससे
- wa-aklihim
- وَأَكْلِهِمْ
- और (बवजह) उनके खाने के
- amwāla
- أَمْوَٰلَ
- माल
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों के
- bil-bāṭili
- بِٱلْبَٰطِلِۚ
- बातिल (तरीक़े) से
- wa-aʿtadnā
- وَأَعْتَدْنَا
- और तैयार कर रखा है हमने
- lil'kāfirīna
- لِلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों के लिए
- min'hum
- مِنْهُمْ
- उनमें से
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- अज़ाब
- alīman
- أَلِيمًا
- दर्दनाक
और उनके ब्याज लेने के कारण, जबकि उन्हें इससे रोका गया था। और उनके अवैध रूप से लोगों के माल खाने के कारण ऐसा किया गया और हमने उनमें से जिन लोगों ने इनकार किया उनके लिए दुखद यातना तैयार कर रखी है ([४] अन-निसा: 161)Tafseer (तफ़सीर )
لٰكِنِ الرَّاسِخُوْنَ فِى الْعِلْمِ مِنْهُمْ وَالْمُؤْمِنُوْنَ يُؤْمِنُوْنَ بِمَآ اُنْزِلَ اِلَيْكَ وَمَآ اُنْزِلَ مِنْ قَبْلِكَ وَالْمُقِيْمِيْنَ الصَّلٰوةَ وَالْمُؤْتُوْنَ الزَّكٰوةَ وَالْمُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِۗ اُولٰۤىِٕكَ سَنُؤْتِيْهِمْ اَجْرًا عَظِيْمًا ࣖ ١٦٢
- lākini
- لَّٰكِنِ
- लेकिन
- l-rāsikhūna
- ٱلرَّٰسِخُونَ
- जो रासिख़ हैं
- fī
- فِى
- इल्म में
- l-ʿil'mi
- ٱلْعِلْمِ
- इल्म में
- min'hum
- مِنْهُمْ
- उनमें से
- wal-mu'minūna
- وَٱلْمُؤْمِنُونَ
- और जो ईमान लाने वाले हैं
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- वो ईमान लाते हैं
- bimā
- بِمَآ
- उस पर जो
- unzila
- أُنزِلَ
- नाज़िल किया गया
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- wamā
- وَمَآ
- और जो
- unzila
- أُنزِلَ
- नाज़िल किया गया
- min
- مِن
- आपसे पहले
- qablika
- قَبْلِكَۚ
- आपसे पहले
- wal-muqīmīna
- وَٱلْمُقِيمِينَ
- और जो क़ायम करने वाले हैं
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَۚ
- नमाज़
- wal-mu'tūna
- وَٱلْمُؤْتُونَ
- और जो देने वाले हैं
- l-zakata
- ٱلزَّكَوٰةَ
- ज़कात
- wal-mu'minūna
- وَٱلْمُؤْمِنُونَ
- और जो ईमान लाने वाले हैं
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wal-yawmi
- وَٱلْيَوْمِ
- और आख़िरी दिन पर
- l-ākhiri
- ٱلْءَاخِرِ
- और आख़िरी दिन पर
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- sanu'tīhim
- سَنُؤْتِيهِمْ
- अनक़रीब हम देंगे उन्हें
- ajran
- أَجْرًا
- अजर
- ʿaẓīman
- عَظِيمًا
- बहुत बड़ा
परन्तु उनमें से जो लोग ज्ञान में पक्के है और ईमानवाले हैं, वे उस पर ईमान रखते है जो तुम्हारी ओर उतारा गया है और जो तुमसे पहले उतारा गया था, और जो विशेष रूप से नमाज़ क़ायम करते है, ज़कात देते और अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखते है। यही लोग है जिन्हें हम शीघ्र ही बड़ी प्रतिदान प्रदान करेंगे ([४] अन-निसा: 162)Tafseer (तफ़सीर )
۞ اِنَّآ اَوْحَيْنَآ اِلَيْكَ كَمَآ اَوْحَيْنَآ اِلٰى نُوْحٍ وَّالنَّبِيّٖنَ مِنْۢ بَعْدِهٖۚ وَاَوْحَيْنَآ اِلٰٓى اِبْرٰهِيْمَ وَاِسْمٰعِيْلَ وَاِسْحٰقَ وَيَعْقُوْبَ وَالْاَسْبَاطِ وَعِيْسٰى وَاَيُّوْبَ وَيُوْنُسَ وَهٰرُوْنَ وَسُلَيْمٰنَ ۚوَاٰتَيْنَا دَاوٗدَ زَبُوْرًاۚ ١٦٣
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हम
- awḥaynā
- أَوْحَيْنَآ
- वही की हमने
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- kamā
- كَمَآ
- जैसा कि
- awḥaynā
- أَوْحَيْنَآ
- वही की हमने
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़
- nūḥin
- نُوحٍ
- नूह के
- wal-nabiyīna
- وَٱلنَّبِيِّۦنَ
- और नबियों के
- min
- مِنۢ
- बाद इसके
- baʿdihi
- بَعْدِهِۦۚ
- बाद इसके
- wa-awḥaynā
- وَأَوْحَيْنَآ
- और वही की हमने
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़
- ib'rāhīma
- إِبْرَٰهِيمَ
- इब्राहीम
- wa-is'māʿīla
- وَإِسْمَٰعِيلَ
- और इस्माईल
- wa-is'ḥāqa
- وَإِسْحَٰقَ
- और इसहाक़
- wayaʿqūba
- وَيَعْقُوبَ
- और याक़ूब
- wal-asbāṭi
- وَٱلْأَسْبَاطِ
- और औलादे याक़ूब के
- waʿīsā
- وَعِيسَىٰ
- और ईसा
- wa-ayyūba
- وَأَيُّوبَ
- और अय्यूब
- wayūnusa
- وَيُونُسَ
- और यूनुस
- wahārūna
- وَهَٰرُونَ
- और हारून
- wasulaymāna
- وَسُلَيْمَٰنَۚ
- और सुलेमान के
- waātaynā
- وَءَاتَيْنَا
- और दी हमने
- dāwūda
- دَاوُۥدَ
- दाऊद को
- zabūran
- زَبُورًا
- ज़बूर
हमने तुम्हारी ओर उसी प्रकार वह्यड की है जिस प्रकार नूह और उसके बाद के नबियों की ओर वह्यु की। और हमने इबराहीम, इसमाईल, इसहाक़ और याक़ूब और उसकी सन्तान और ईसा और अय्यूब और यूनुस और हारून और सुलैमान की ओर भी वह्यक की। और हमने दाउद को ज़बूर प्रदान किया ([४] अन-निसा: 163)Tafseer (तफ़सीर )
وَرُسُلًا قَدْ قَصَصْنٰهُمْ عَلَيْكَ مِنْ قَبْلُ وَرُسُلًا لَّمْ نَقْصُصْهُمْ عَلَيْكَ ۗوَكَلَّمَ اللّٰهُ مُوْسٰى تَكْلِيْمًاۚ ١٦٤
- warusulan
- وَرُسُلًا
- और कई रसूल
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- qaṣaṣnāhum
- قَصَصْنَٰهُمْ
- ज़िक्र किया हमने उनका
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- min
- مِن
- इससे पहले
- qablu
- قَبْلُ
- इससे पहले
- warusulan
- وَرُسُلًا
- और कई रसूल
- lam
- لَّمْ
- नहीं
- naqṣuṣ'hum
- نَقْصُصْهُمْ
- हमने ज़िक्र किया उनका
- ʿalayka
- عَلَيْكَۚ
- आप पर
- wakallama
- وَكَلَّمَ
- और कलाम किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- mūsā
- مُوسَىٰ
- मूसा से
- taklīman
- تَكْلِيمًا
- कलाम करना
और कितने ही रसूल हुए जिनका वृतान्त पहले हम तुमसे बयान कर चुके है और कितने ही ऐसे रसूल हुए जिनका वृतान्त हमने तुमसे बयान नहीं किया। और मूसा से अल्लाह ने बातचीत की, जिस प्रकार बातचीत की जाती है ([४] अन-निसा: 164)Tafseer (तफ़सीर )
رُسُلًا مُّبَشِّرِيْنَ وَمُنْذِرِيْنَ لِئَلَّا يَكُوْنَ لِلنَّاسِ عَلَى اللّٰهِ حُجَّةٌ ۢ بَعْدَ الرُّسُلِ ۗوَكَانَ اللّٰهُ عَزِيْزًا حَكِيْمًا ١٦٥
- rusulan
- رُّسُلًا
- रसूल थे (ये)
- mubashirīna
- مُّبَشِّرِينَ
- ख़ुशख़बरी देने वाले
- wamundhirīna
- وَمُنذِرِينَ
- और डराने वाले
- li-allā
- لِئَلَّا
- ताकि ना
- yakūna
- يَكُونَ
- हो
- lilnnāsi
- لِلنَّاسِ
- लोगों के लिए
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- ḥujjatun
- حُجَّةٌۢ
- कोई हुज्जत
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- l-rusuli
- ٱلرُّسُلِۚ
- रसूलों के
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿazīzan
- عَزِيزًا
- बहुत ज़बरदस्त
- ḥakīman
- حَكِيمًا
- ख़ूब हिकमत वाला
रसूल शुभ समाचार देनेवाले और सचेत करनेवाले बनाकर भेजे गए है, ताकि रसूलों के पश्चात लोगों के पास अल्लाह के मुक़ाबले में (अपने निर्दोष होने का) कोई तर्क न रहे। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([४] अन-निसा: 165)Tafseer (तफ़सीर )
لٰكِنِ اللّٰهُ يَشْهَدُ بِمَآ اَنْزَلَ اِلَيْكَ اَنْزَلَهٗ بِعِلْمِهٖ ۚوَالْمَلٰۤىِٕكَةُ يَشْهَدُوْنَ ۗوَكَفٰى بِاللّٰهِ شَهِيْدًاۗ ١٦٦
- lākini
- لَّٰكِنِ
- लेकिन
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- yashhadu
- يَشْهَدُ
- वो गवाही देता है
- bimā
- بِمَآ
- उसकी जो
- anzala
- أَنزَلَ
- उसने नाज़िल किया
- ilayka
- إِلَيْكَۖ
- तरफ़ आपके
- anzalahu
- أَنزَلَهُۥ
- उसने नाज़िल किया है उसे
- biʿil'mihi
- بِعِلْمِهِۦۖ
- अपने इल्म से
- wal-malāikatu
- وَٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
- और फ़रिश्ते
- yashhadūna
- يَشْهَدُونَۚ
- वो गवाही देते हैं
- wakafā
- وَكَفَىٰ
- और काफ़ी है
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह
- shahīdan
- شَهِيدًا
- गवाह
परन्तु अल्लाह गवाही देता है कि उसके द्वारा जो उसने तुम्हारी ओर उतारा है कि उसे उसने अपने ज्ञान के साथ उतारा है और फ़रिश्ते भी गवाही देते है, यद्यपि अल्लाह का गवाह होना ही काफ़ी है ([४] अन-निसा: 166)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ قَدْ ضَلُّوْا ضَلٰلًا ۢ بَعِيْدًا ١٦٧
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- waṣaddū
- وَصَدُّوا۟
- और उन्होंने रोका
- ʿan
- عَن
- अल्लाह के रास्ते से
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते से
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- ḍallū
- ضَلُّوا۟
- वो गुमराह हो गए
- ḍalālan
- ضَلَٰلًۢا
- गुमराह होना
- baʿīdan
- بَعِيدًا
- दूर का
निश्चय ही, जिन लोगों ने इनकार किया और अल्लाह के मार्ग से रोका, वे भटककर बहुत दूर जा पड़े ([४] अन-निसा: 167)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَظَلَمُوْا لَمْ يَكُنِ اللّٰهُ لِيَغْفِرَ لَهُمْ وَلَا لِيَهْدِيَهُمْ طَرِيْقًاۙ ١٦٨
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- waẓalamū
- وَظَلَمُوا۟
- और ज़ुल्म किया
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yakuni
- يَكُنِ
- है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- liyaghfira
- لِيَغْفِرَ
- कि वो बख़्श दे
- lahum
- لَهُمْ
- उन्हें
- walā
- وَلَا
- और ना
- liyahdiyahum
- لِيَهْدِيَهُمْ
- कि वो हिदायत दे उन्हें
- ṭarīqan
- طَرِيقًا
- रास्ते की
जिन लोगों ने इनकार किया और ज़ुल्म पर उतर आए, उन्हें अल्लाह कदापि क्षमा नहीं करेगा और न उन्हें कोई मार्ग दिखाएगा ([४] अन-निसा: 168)Tafseer (तफ़सीर )
اِلَّا طَرِيْقَ جَهَنَّمَ خٰلِدِيْنَ فِيْهَآ اَبَدًا ۗوَكَانَ ذٰلِكَ عَلَى اللّٰهِ يَسِيْرًا ١٦٩
- illā
- إِلَّا
- सिवाय
- ṭarīqa
- طَرِيقَ
- रास्ते के
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम के
- khālidīna
- خَٰلِدِينَ
- हमेशा रहने वाले हैं
- fīhā
- فِيهَآ
- उसमें
- abadan
- أَبَدًاۚ
- अब्द तक/हमेशा-हमेशा
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये बात
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- yasīran
- يَسِيرًا
- बहुत आसान
सिवाय जहन्नम के मार्ग के, जिसमें वे सदैव पड़े रहेंगे। और यह अल्लाह के लिए बहुत-ही सहज बात है ([४] अन-निसा: 169)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا النَّاسُ قَدْ جَاۤءَكُمُ الرَّسُوْلُ بِالْحَقِّ مِنْ رَّبِّكُمْ فَاٰمِنُوْا خَيْرًا لَّكُمْ ۗوَاِنْ تَكْفُرُوْا فَاِنَّ لِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ وَكَانَ اللّٰهُ عَلِيْمًا حَكِيْمًا ١٧٠
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ
- l-nāsu
- ٱلنَّاسُ
- लोगो
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- jāakumu
- جَآءَكُمُ
- आ गया है तुम्हारे पास
- l-rasūlu
- ٱلرَّسُولُ
- रसूल
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّ
- साथ हक़ है
- min
- مِن
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- rabbikum
- رَّبِّكُمْ
- तुम्हारे रब की तरफ़ से
- faāminū
- فَـَٔامِنُوا۟
- पस ईमान ले आओ
- khayran
- خَيْرًا
- बेहतर है
- lakum
- لَّكُمْۚ
- तुम्हारे लिए
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- takfurū
- تَكْفُرُوا۟
- तुम कुफ़्र करोगे
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह ही के लिए है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- आसमानों में है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में है
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۚ
- और ज़मीन में
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿalīman
- عَلِيمًا
- बहुत इल्म वाला
- ḥakīman
- حَكِيمًا
- बहुत हिकमत वाला
ऐ लोगों! रसूल तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से सत्य लेकर आ गया है। अतः तुम उस भलाई को मानो जो तुम्हारे लिए जुटाई गई। और यदि तुम इनकार करते हो तो आकाशों और धरती में जो कुछ है, वह अल्लाह ही का है। और अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है ([४] अन-निसा: 170)Tafseer (तफ़सीर )