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सूरा अन-निसा - Page: 15

An-Nisa

(औरत)

१४१

ۨالَّذِيْنَ يَتَرَبَّصُوْنَ بِكُمْۗ فَاِنْ كَانَ لَكُمْ فَتْحٌ مِّنَ اللّٰهِ قَالُوْٓا اَلَمْ نَكُنْ مَّعَكُمْ ۖ وَاِنْ كَانَ لِلْكٰفِرِيْنَ نَصِيْبٌ قَالُوْٓا اَلَمْ نَسْتَحْوِذْ عَلَيْكُمْ وَنَمْنَعْكُمْ مِّنَ الْمُؤْمِنِيْنَ ۗ فَاللّٰهُ يَحْكُمُ بَيْنَكُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۗ وَلَنْ يَّجْعَلَ اللّٰهُ لِلْكٰفِرِيْنَ عَلَى الْمُؤْمِنِيْنَ سَبِيْلًا ࣖ ١٤١

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
yatarabbaṣūna
يَتَرَبَّصُونَ
इन्तिज़ार कर रहे हैं
bikum
بِكُمْ
तुम्हारे बारे में
fa-in
فَإِن
फिर अगर
kāna
كَانَ
हो
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
fatḥun
فَتْحٌ
कोई फ़तह
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
qālū
قَالُوٓا۟
वो कहते हैं
alam
أَلَمْ
क्या ना
nakun
نَكُن
थे हम
maʿakum
مَّعَكُمْ
साथ तुम्हारे
wa-in
وَإِن
और अगर
kāna
كَانَ
हो
lil'kāfirīna
لِلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के लिए
naṣībun
نَصِيبٌ
कोई हिस्सा
qālū
قَالُوٓا۟
वो कहते हैं
alam
أَلَمْ
क्या नहीं
nastaḥwidh
نَسْتَحْوِذْ
हम ग़ालिब आने लगे थे
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
wanamnaʿkum
وَنَمْنَعْكُم
और हम बचा रहे थे तुम्हें
mina
مِّنَ
मोमिनों से
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَۚ
मोमिनों से
fal-lahu
فَٱللَّهُ
पस अल्लाह
yaḥkumu
يَحْكُمُ
फ़ैसला करेगा
baynakum
بَيْنَكُمْ
दर्मियान तुम्हारे
yawma
يَوْمَ
दिन क़यामत के
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِۗ
दिन क़यामत के
walan
وَلَن
और हरगिज़ नहीं
yajʿala
يَجْعَلَ
बनाएगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
lil'kāfirīna
لِلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के लिए
ʿalā
عَلَى
मोमिनों पर
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों पर
sabīlan
سَبِيلًا
कोई रास्ता
जो तुम्हारे मामले में प्रतीक्षा करते है, यदि अल्लाह की ओर से तुम्हारी विजय़ हुई तो कहते है, 'क्या हम तुम्हार साथ न थे?' और यदि विधर्मियों के हाथ कुछ लगा तो कहते है, 'क्या हमने तुम्हें घेर नहीं लिया था और ईमानवालों से बचाया नहीं?' अतः अल्लाह क़ियामत के दिन तुम्हारे बीच फ़ैसला कर देगा, और अल्लाह विधर्मियों को ईमानवालों के मुक़ाबले में कोई राह नहीं देगा ([४] अन-निसा: 141)
Tafseer (तफ़सीर )
१४२

اِنَّ الْمُنٰفِقِيْنَ يُخٰدِعُوْنَ اللّٰهَ وَهُوَ خَادِعُهُمْۚ وَاِذَا قَامُوْٓا اِلَى الصَّلٰوةِ قَامُوْا كُسَالٰىۙ يُرَاۤءُوْنَ النَّاسَ وَلَا يَذْكُرُوْنَ اللّٰهَ اِلَّا قَلِيْلًاۖ ١٤٢

inna
إِنَّ
बेशक
l-munāfiqīna
ٱلْمُنَٰفِقِينَ
मुनाफ़िक़ीन
yukhādiʿūna
يُخَٰدِعُونَ
वो धोखा देते हैं
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
wahuwa
وَهُوَ
हालाँकि वो
khādiʿuhum
خَٰدِعُهُمْ
धोखा देने वाला है उन्हें
wa-idhā
وَإِذَا
और जब
qāmū
قَامُوٓا۟
वो खड़े होते हैं
ilā
إِلَى
तरफ़ नमाज़ के
l-ṣalati
ٱلصَّلَوٰةِ
तरफ़ नमाज़ के
qāmū
قَامُوا۟
वो खड़े होते हैं
kusālā
كُسَالَىٰ
इन्तिहाई सुस्ती से
yurāūna
يُرَآءُونَ
वो दिखावा करते हैं
l-nāsa
ٱلنَّاسَ
लोगों को
walā
وَلَا
और नहीं
yadhkurūna
يَذْكُرُونَ
वो याद करते
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
illā
إِلَّا
मगर
qalīlan
قَلِيلًا
बहुत थोड़ा
कपटाचारी अल्लाह के साथ धोखबाज़ी कर रहे है, हालाँकि उसी ने उन्हें धोखे में डाल रखा है। जब वे नमाज़ के लिए खड़े होते है तो कसमसाते हुए, लोगों को दिखाने के लिए खड़े होते है। और अल्लाह को थोड़े ही याद करते है ([४] अन-निसा: 142)
Tafseer (तफ़सीर )
१४३

مُّذَبْذَبِيْنَ بَيْنَ ذٰلِكَۖ لَآ اِلٰى هٰٓؤُلَاۤءِ وَلَآ اِلٰى هٰٓؤُلَاۤءِ ۗ وَمَنْ يُّضْلِلِ اللّٰهُ فَلَنْ تَجِدَ لَهٗ سَبِيْلًا ١٤٣

mudhabdhabīna
مُّذَبْذَبِينَ
मुतज़बज़ब हैं
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
dhālika
ذَٰلِكَ
उसके
لَآ
ना
ilā
إِلَىٰ
तरफ़
hāulāi
هَٰٓؤُلَآءِ
उन लोगों के
walā
وَلَآ
और ना
ilā
إِلَىٰ
तरफ़
hāulāi
هَٰٓؤُلَآءِۚ
उन लोगों के
waman
وَمَن
और जिसे
yuḍ'lili
يُضْلِلِ
भटका दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
falan
فَلَن
तो हरगिज़ नहीं
tajida
تَجِدَ
आप पाऐंगे
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
sabīlan
سَبِيلًا
कोई रास्ता
इसी के बीच डाँवाडोल हो रहे है, न इन (ईमानवालों) की तरफ़ के है, न इन (इनकार करनेवालों) की तरफ़ के। जिसे अल्लाह भटका दे, उसके लिए तो तुम कोई राह नहीं पा सकते ([४] अन-निसा: 143)
Tafseer (तफ़सीर )
१४४

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّخِذُوا الْكٰفِرِيْنَ اَوْلِيَاۤءَ مِنْ دُوْنِ الْمُؤْمِنِيْنَ ۚ اَتُرِيْدُوْنَ اَنْ تَجْعَلُوْا لِلّٰهِ عَلَيْكُمْ سُلْطٰنًا مُّبِيْنًا ١٤٤

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम बनाओ
tattakhidhū
تَتَّخِذُوا۟
ना तुम बनाओ
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों को
awliyāa
أَوْلِيَآءَ
दोस्त
min
مِن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَۚ
मोमिनों के
aturīdūna
أَتُرِيدُونَ
क्या तुम चाहते हो
an
أَن
कि
tajʿalū
تَجْعَلُوا۟
तुम बनाओ
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
अपने ख़िलाफ़
sul'ṭānan
سُلْطَٰنًا
कोई दलील
mubīnan
مُّبِينًا
वाज़ेह
ऐ ईमान लानेवालो! ईमानवालों से हटकर इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ। क्या तुम चाहते हो कि अल्लाह का स्पष्टा तर्क अपने विरुद्ध जुटाओ? ([४] अन-निसा: 144)
Tafseer (तफ़सीर )
१४५

اِنَّ الْمُنٰفِقِيْنَ فِى الدَّرْكِ الْاَسْفَلِ مِنَ النَّارِۚ وَلَنْ تَجِدَ لَهُمْ نَصِيْرًاۙ ١٤٥

inna
إِنَّ
बेशक
l-munāfiqīna
ٱلْمُنَٰفِقِينَ
मुनाफिक़ीन
فِى
दर्जे में होंगे
l-darki
ٱلدَّرْكِ
दर्जे में होंगे
l-asfali
ٱلْأَسْفَلِ
सबसे निचले
mina
مِنَ
आग के
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग के
walan
وَلَن
और हरगिज़ नहीं
tajida
تَجِدَ
आप पाऐंगे
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
naṣīran
نَصِيرًا
कोई मददगार
निस्संदेह कपटाचारी आग (जहन्नम) के सबसे निचले खंड में होंगे, और तुम कदापि उनका कोई सहायक न पाओगे ([४] अन-निसा: 145)
Tafseer (तफ़सीर )
१४६

اِلَّا الَّذِيْنَ تَابُوْا وَاَصْلَحُوْا وَاعْتَصَمُوْا بِاللّٰهِ وَاَخْلَصُوْا دِيْنَهُمْ لِلّٰهِ فَاُولٰۤىِٕكَ مَعَ الْمُؤْمِنِيْنَۗ وَسَوْفَ يُؤْتِ اللّٰهُ الْمُؤْمِنِيْنَ اَجْرًا عَظِيْمًا ١٤٦

illā
إِلَّا
मगर
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
tābū
تَابُوا۟
तौबा की
wa-aṣlaḥū
وَأَصْلَحُوا۟
और इस्लाह कर ली
wa-iʿ'taṣamū
وَٱعْتَصَمُوا۟
और मज़बूती से थाम लिया
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह को
wa-akhlaṣū
وَأَخْلَصُوا۟
और ख़ालिस कर लिया
dīnahum
دِينَهُمْ
अपने दीन को
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
maʿa
مَعَ
साथ
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَۖ
मोमिनों के
wasawfa
وَسَوْفَ
और अनक़रीब
yu'ti
يُؤْتِ
देगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों को
ajran
أَجْرًا
अजर
ʿaẓīman
عَظِيمًا
बहुत बड़ा
उन लोगों की बात और है जिन्होंने तौबा कर ली और अपने को सुधार लिया और अल्लाह को मज़बूती से पकड़ लिया और अपने दीन (धर्म) में अल्लाह ही के हो रहे। ऐसे लोग ईमानवालों के साथ है और अल्लाह ईमानवालों को शीघ्र ही बड़ा प्रतिदान प्रदान करेगा ([४] अन-निसा: 146)
Tafseer (तफ़सीर )
१४७

مَا يَفْعَلُ اللّٰهُ بِعَذَابِكُمْ اِنْ شَكَرْتُمْ وَاٰمَنْتُمْۗ وَكَانَ اللّٰهُ شَاكِرًا عَلِيْمًا ۔ ١٤٧

مَّا
क्या
yafʿalu
يَفْعَلُ
करेगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
biʿadhābikum
بِعَذَابِكُمْ
तुम्हें अज़ाब देकर
in
إِن
अगर
shakartum
شَكَرْتُمْ
शुक्र करो तुम
waāmantum
وَءَامَنتُمْۚ
और ईमान ले आओ तुम
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
shākiran
شَاكِرًا
क़द्रदान
ʿalīman
عَلِيمًا
बहुत इल्म वाला
अल्लाह को तुम्हें यातना देकर क्या करना है, यदि तुम कृतज्ञता दिखलाओ और ईमान लाओ? अल्लाह गुणग्राहक, सब कुछ जाननेवाला है ([४] अन-निसा: 147)
Tafseer (तफ़सीर )
१४८

۞ لَا يُحِبُّ اللّٰهُ الْجَهْرَ بِالسُّوْۤءِ مِنَ الْقَوْلِ اِلَّا مَنْ ظُلِمَ ۗ وَكَانَ اللّٰهُ سَمِيْعًا عَلِيْمًا ١٤٨

لَّا
नहीं पसंद करता
yuḥibbu
يُحِبُّ
नहीं पसंद करता
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
l-jahra
ٱلْجَهْرَ
आवाज़ बुलन्द करना
bil-sūi
بِٱلسُّوٓءِ
साथ बुरी
mina
مِنَ
बात के
l-qawli
ٱلْقَوْلِ
बात के
illā
إِلَّا
मगर
man
مَن
जिस पर
ẓulima
ظُلِمَۚ
ज़ुल्म किया गया हो
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
samīʿan
سَمِيعًا
ख़ूब सुनने वाला
ʿalīman
عَلِيمًا
ख़ूब जानने वाला
अल्लाह बुरी बात खुल्लम-खुल्ला कहने को पसन्द नहीं करता, मगर उसकी बात और है जिसपर ज़ुल्म किया गया हो। अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है ([४] अन-निसा: 148)
Tafseer (तफ़सीर )
१४९

اِنْ تُبْدُوْا خَيْرًا اَوْ تُخْفُوْهُ اَوْ تَعْفُوْا عَنْ سُوْۤءٍ فَاِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَفُوًّا قَدِيْرًا ١٤٩

in
إِن
अगर
tub'dū
تُبْدُوا۟
तुम ज़ाहिर करो
khayran
خَيْرًا
कोई नेकी
aw
أَوْ
या
tukh'fūhu
تُخْفُوهُ
तुम छुपाओ उसे
aw
أَوْ
या
taʿfū
تَعْفُوا۟
तुम दरगुज़र करो
ʿan
عَن
किसी बुराई से
sūin
سُوٓءٍ
किसी बुराई से
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
ʿafuwwan
عَفُوًّا
बहुत माफ़ करने वाला
qadīran
قَدِيرًا
बहुत क़ुदरत रखने वाला
यदि तुम खुले रूप में नेकी और भलाई करो या उसे छिपाओ या किसी बुराई को क्षमा कर दो, तो अल्लाह भी क्षमा करनेवाला, सामर्थ्यवान है ([४] अन-निसा: 149)
Tafseer (तफ़सीर )
१५०

اِنَّ الَّذِيْنَ يَكْفُرُوْنَ بِاللّٰهِ وَرُسُلِهٖ وَيُرِيْدُوْنَ اَنْ يُّفَرِّقُوْا بَيْنَ اللّٰهِ وَرُسُلِهٖ وَيَقُوْلُوْنَ نُؤْمِنُ بِبَعْضٍ وَّنَكْفُرُ بِبَعْضٍۙ وَّيُرِيْدُوْنَ اَنْ يَّتَّخِذُوْا بَيْنَ ذٰلِكَ سَبِيْلًاۙ ١٥٠

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yakfurūna
يَكْفُرُونَ
कुफ़्र करते हैं
bil-lahi
بِٱللَّهِ
साथ अल्लाह के
warusulihi
وَرُسُلِهِۦ
और उसके रसूलों के
wayurīdūna
وَيُرِيدُونَ
और वो चाहते हैं
an
أَن
कि
yufarriqū
يُفَرِّقُوا۟
वो तफ़रीक़ करें
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
warusulihi
وَرُسُلِهِۦ
और उसके रसूलों के
wayaqūlūna
وَيَقُولُونَ
और वो कहते हैं
nu'minu
نُؤْمِنُ
हम ईमान लाते हैं
bibaʿḍin
بِبَعْضٍ
बाज़ पर
wanakfuru
وَنَكْفُرُ
और हम कुफ़्र करते है
bibaʿḍin
بِبَعْضٍ
बाज़ का
wayurīdūna
وَيُرِيدُونَ
और वो चाहते हैं
an
أَن
कि
yattakhidhū
يَتَّخِذُوا۟
वो बना लें
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
dhālika
ذَٰلِكَ
उसके
sabīlan
سَبِيلًا
कोई रास्ता
जो लोग अल्लाह और उसके रसूलों का इनकार करते है और चाहते है कि अल्लाह और उसके रसूलों के बीच विच्छेद करें, और कहते है कि 'हम कुछ को मानते है और कुछ को नहीं मानते' और इस तरह वे चाहते है कि बीच की कोई राह अपनाएँ; ([४] अन-निसा: 150)
Tafseer (तफ़सीर )