ۨالَّذِيْنَ يَتَرَبَّصُوْنَ بِكُمْۗ فَاِنْ كَانَ لَكُمْ فَتْحٌ مِّنَ اللّٰهِ قَالُوْٓا اَلَمْ نَكُنْ مَّعَكُمْ ۖ وَاِنْ كَانَ لِلْكٰفِرِيْنَ نَصِيْبٌ قَالُوْٓا اَلَمْ نَسْتَحْوِذْ عَلَيْكُمْ وَنَمْنَعْكُمْ مِّنَ الْمُؤْمِنِيْنَ ۗ فَاللّٰهُ يَحْكُمُ بَيْنَكُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۗ وَلَنْ يَّجْعَلَ اللّٰهُ لِلْكٰفِرِيْنَ عَلَى الْمُؤْمِنِيْنَ سَبِيْلًا ࣖ ١٤١
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- yatarabbaṣūna
- يَتَرَبَّصُونَ
- इन्तिज़ार कर रहे हैं
- bikum
- بِكُمْ
- तुम्हारे बारे में
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- kāna
- كَانَ
- हो
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- fatḥun
- فَتْحٌ
- कोई फ़तह
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- qālū
- قَالُوٓا۟
- वो कहते हैं
- alam
- أَلَمْ
- क्या ना
- nakun
- نَكُن
- थे हम
- maʿakum
- مَّعَكُمْ
- साथ तुम्हारे
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- kāna
- كَانَ
- हो
- lil'kāfirīna
- لِلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों के लिए
- naṣībun
- نَصِيبٌ
- कोई हिस्सा
- qālū
- قَالُوٓا۟
- वो कहते हैं
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- nastaḥwidh
- نَسْتَحْوِذْ
- हम ग़ालिब आने लगे थे
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- wanamnaʿkum
- وَنَمْنَعْكُم
- और हम बचा रहे थे तुम्हें
- mina
- مِّنَ
- मोमिनों से
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَۚ
- मोमिनों से
- fal-lahu
- فَٱللَّهُ
- पस अल्लाह
- yaḥkumu
- يَحْكُمُ
- फ़ैसला करेगा
- baynakum
- بَيْنَكُمْ
- दर्मियान तुम्हारे
- yawma
- يَوْمَ
- दिन क़यामत के
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِۗ
- दिन क़यामत के
- walan
- وَلَن
- और हरगिज़ नहीं
- yajʿala
- يَجْعَلَ
- बनाएगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lil'kāfirīna
- لِلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों के लिए
- ʿalā
- عَلَى
- मोमिनों पर
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों पर
- sabīlan
- سَبِيلًا
- कोई रास्ता
जो तुम्हारे मामले में प्रतीक्षा करते है, यदि अल्लाह की ओर से तुम्हारी विजय़ हुई तो कहते है, 'क्या हम तुम्हार साथ न थे?' और यदि विधर्मियों के हाथ कुछ लगा तो कहते है, 'क्या हमने तुम्हें घेर नहीं लिया था और ईमानवालों से बचाया नहीं?' अतः अल्लाह क़ियामत के दिन तुम्हारे बीच फ़ैसला कर देगा, और अल्लाह विधर्मियों को ईमानवालों के मुक़ाबले में कोई राह नहीं देगा ([४] अन-निसा: 141)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الْمُنٰفِقِيْنَ يُخٰدِعُوْنَ اللّٰهَ وَهُوَ خَادِعُهُمْۚ وَاِذَا قَامُوْٓا اِلَى الصَّلٰوةِ قَامُوْا كُسَالٰىۙ يُرَاۤءُوْنَ النَّاسَ وَلَا يَذْكُرُوْنَ اللّٰهَ اِلَّا قَلِيْلًاۖ ١٤٢
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-munāfiqīna
- ٱلْمُنَٰفِقِينَ
- मुनाफ़िक़ीन
- yukhādiʿūna
- يُخَٰدِعُونَ
- वो धोखा देते हैं
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- wahuwa
- وَهُوَ
- हालाँकि वो
- khādiʿuhum
- خَٰدِعُهُمْ
- धोखा देने वाला है उन्हें
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- qāmū
- قَامُوٓا۟
- वो खड़े होते हैं
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ नमाज़ के
- l-ṣalati
- ٱلصَّلَوٰةِ
- तरफ़ नमाज़ के
- qāmū
- قَامُوا۟
- वो खड़े होते हैं
- kusālā
- كُسَالَىٰ
- इन्तिहाई सुस्ती से
- yurāūna
- يُرَآءُونَ
- वो दिखावा करते हैं
- l-nāsa
- ٱلنَّاسَ
- लोगों को
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yadhkurūna
- يَذْكُرُونَ
- वो याद करते
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह को
- illā
- إِلَّا
- मगर
- qalīlan
- قَلِيلًا
- बहुत थोड़ा
कपटाचारी अल्लाह के साथ धोखबाज़ी कर रहे है, हालाँकि उसी ने उन्हें धोखे में डाल रखा है। जब वे नमाज़ के लिए खड़े होते है तो कसमसाते हुए, लोगों को दिखाने के लिए खड़े होते है। और अल्लाह को थोड़े ही याद करते है ([४] अन-निसा: 142)Tafseer (तफ़सीर )
مُّذَبْذَبِيْنَ بَيْنَ ذٰلِكَۖ لَآ اِلٰى هٰٓؤُلَاۤءِ وَلَآ اِلٰى هٰٓؤُلَاۤءِ ۗ وَمَنْ يُّضْلِلِ اللّٰهُ فَلَنْ تَجِدَ لَهٗ سَبِيْلًا ١٤٣
- mudhabdhabīna
- مُّذَبْذَبِينَ
- मुतज़बज़ब हैं
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- उसके
- lā
- لَآ
- ना
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़
- hāulāi
- هَٰٓؤُلَآءِ
- उन लोगों के
- walā
- وَلَآ
- और ना
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़
- hāulāi
- هَٰٓؤُلَآءِۚ
- उन लोगों के
- waman
- وَمَن
- और जिसे
- yuḍ'lili
- يُضْلِلِ
- भटका दे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- falan
- فَلَن
- तो हरगिज़ नहीं
- tajida
- تَجِدَ
- आप पाऐंगे
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- sabīlan
- سَبِيلًا
- कोई रास्ता
इसी के बीच डाँवाडोल हो रहे है, न इन (ईमानवालों) की तरफ़ के है, न इन (इनकार करनेवालों) की तरफ़ के। जिसे अल्लाह भटका दे, उसके लिए तो तुम कोई राह नहीं पा सकते ([४] अन-निसा: 143)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّخِذُوا الْكٰفِرِيْنَ اَوْلِيَاۤءَ مِنْ دُوْنِ الْمُؤْمِنِيْنَ ۚ اَتُرِيْدُوْنَ اَنْ تَجْعَلُوْا لِلّٰهِ عَلَيْكُمْ سُلْطٰنًا مُّبِيْنًا ١٤٤
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lā
- لَا
- ना तुम बनाओ
- tattakhidhū
- تَتَّخِذُوا۟
- ना तुम बनाओ
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों को
- awliyāa
- أَوْلِيَآءَ
- दोस्त
- min
- مِن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَۚ
- मोमिनों के
- aturīdūna
- أَتُرِيدُونَ
- क्या तुम चाहते हो
- an
- أَن
- कि
- tajʿalū
- تَجْعَلُوا۟
- तुम बनाओ
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- अपने ख़िलाफ़
- sul'ṭānan
- سُلْطَٰنًا
- कोई दलील
- mubīnan
- مُّبِينًا
- वाज़ेह
ऐ ईमान लानेवालो! ईमानवालों से हटकर इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ। क्या तुम चाहते हो कि अल्लाह का स्पष्टा तर्क अपने विरुद्ध जुटाओ? ([४] अन-निसा: 144)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الْمُنٰفِقِيْنَ فِى الدَّرْكِ الْاَسْفَلِ مِنَ النَّارِۚ وَلَنْ تَجِدَ لَهُمْ نَصِيْرًاۙ ١٤٥
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-munāfiqīna
- ٱلْمُنَٰفِقِينَ
- मुनाफिक़ीन
- fī
- فِى
- दर्जे में होंगे
- l-darki
- ٱلدَّرْكِ
- दर्जे में होंगे
- l-asfali
- ٱلْأَسْفَلِ
- सबसे निचले
- mina
- مِنَ
- आग के
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- आग के
- walan
- وَلَن
- और हरगिज़ नहीं
- tajida
- تَجِدَ
- आप पाऐंगे
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- naṣīran
- نَصِيرًا
- कोई मददगार
निस्संदेह कपटाचारी आग (जहन्नम) के सबसे निचले खंड में होंगे, और तुम कदापि उनका कोई सहायक न पाओगे ([४] अन-निसा: 145)Tafseer (तफ़सीर )
اِلَّا الَّذِيْنَ تَابُوْا وَاَصْلَحُوْا وَاعْتَصَمُوْا بِاللّٰهِ وَاَخْلَصُوْا دِيْنَهُمْ لِلّٰهِ فَاُولٰۤىِٕكَ مَعَ الْمُؤْمِنِيْنَۗ وَسَوْفَ يُؤْتِ اللّٰهُ الْمُؤْمِنِيْنَ اَجْرًا عَظِيْمًا ١٤٦
- illā
- إِلَّا
- मगर
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- tābū
- تَابُوا۟
- तौबा की
- wa-aṣlaḥū
- وَأَصْلَحُوا۟
- और इस्लाह कर ली
- wa-iʿ'taṣamū
- وَٱعْتَصَمُوا۟
- और मज़बूती से थाम लिया
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह को
- wa-akhlaṣū
- وَأَخْلَصُوا۟
- और ख़ालिस कर लिया
- dīnahum
- دِينَهُمْ
- अपने दीन को
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- तो यही लोग हैं
- maʿa
- مَعَ
- साथ
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَۖ
- मोमिनों के
- wasawfa
- وَسَوْفَ
- और अनक़रीब
- yu'ti
- يُؤْتِ
- देगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों को
- ajran
- أَجْرًا
- अजर
- ʿaẓīman
- عَظِيمًا
- बहुत बड़ा
उन लोगों की बात और है जिन्होंने तौबा कर ली और अपने को सुधार लिया और अल्लाह को मज़बूती से पकड़ लिया और अपने दीन (धर्म) में अल्लाह ही के हो रहे। ऐसे लोग ईमानवालों के साथ है और अल्लाह ईमानवालों को शीघ्र ही बड़ा प्रतिदान प्रदान करेगा ([४] अन-निसा: 146)Tafseer (तफ़सीर )
مَا يَفْعَلُ اللّٰهُ بِعَذَابِكُمْ اِنْ شَكَرْتُمْ وَاٰمَنْتُمْۗ وَكَانَ اللّٰهُ شَاكِرًا عَلِيْمًا ۔ ١٤٧
- mā
- مَّا
- क्या
- yafʿalu
- يَفْعَلُ
- करेगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- biʿadhābikum
- بِعَذَابِكُمْ
- तुम्हें अज़ाब देकर
- in
- إِن
- अगर
- shakartum
- شَكَرْتُمْ
- शुक्र करो तुम
- waāmantum
- وَءَامَنتُمْۚ
- और ईमान ले आओ तुम
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- shākiran
- شَاكِرًا
- क़द्रदान
- ʿalīman
- عَلِيمًا
- बहुत इल्म वाला
अल्लाह को तुम्हें यातना देकर क्या करना है, यदि तुम कृतज्ञता दिखलाओ और ईमान लाओ? अल्लाह गुणग्राहक, सब कुछ जाननेवाला है ([४] अन-निसा: 147)Tafseer (तफ़सीर )
۞ لَا يُحِبُّ اللّٰهُ الْجَهْرَ بِالسُّوْۤءِ مِنَ الْقَوْلِ اِلَّا مَنْ ظُلِمَ ۗ وَكَانَ اللّٰهُ سَمِيْعًا عَلِيْمًا ١٤٨
- lā
- لَّا
- नहीं पसंद करता
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- नहीं पसंद करता
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- l-jahra
- ٱلْجَهْرَ
- आवाज़ बुलन्द करना
- bil-sūi
- بِٱلسُّوٓءِ
- साथ बुरी
- mina
- مِنَ
- बात के
- l-qawli
- ٱلْقَوْلِ
- बात के
- illā
- إِلَّا
- मगर
- man
- مَن
- जिस पर
- ẓulima
- ظُلِمَۚ
- ज़ुल्म किया गया हो
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- samīʿan
- سَمِيعًا
- ख़ूब सुनने वाला
- ʿalīman
- عَلِيمًا
- ख़ूब जानने वाला
अल्लाह बुरी बात खुल्लम-खुल्ला कहने को पसन्द नहीं करता, मगर उसकी बात और है जिसपर ज़ुल्म किया गया हो। अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है ([४] अन-निसा: 148)Tafseer (तफ़सीर )
اِنْ تُبْدُوْا خَيْرًا اَوْ تُخْفُوْهُ اَوْ تَعْفُوْا عَنْ سُوْۤءٍ فَاِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَفُوًّا قَدِيْرًا ١٤٩
- in
- إِن
- अगर
- tub'dū
- تُبْدُوا۟
- तुम ज़ाहिर करो
- khayran
- خَيْرًا
- कोई नेकी
- aw
- أَوْ
- या
- tukh'fūhu
- تُخْفُوهُ
- तुम छुपाओ उसे
- aw
- أَوْ
- या
- taʿfū
- تَعْفُوا۟
- तुम दरगुज़र करो
- ʿan
- عَن
- किसी बुराई से
- sūin
- سُوٓءٍ
- किसी बुराई से
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है
- ʿafuwwan
- عَفُوًّا
- बहुत माफ़ करने वाला
- qadīran
- قَدِيرًا
- बहुत क़ुदरत रखने वाला
यदि तुम खुले रूप में नेकी और भलाई करो या उसे छिपाओ या किसी बुराई को क्षमा कर दो, तो अल्लाह भी क्षमा करनेवाला, सामर्थ्यवान है ([४] अन-निसा: 149)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ يَكْفُرُوْنَ بِاللّٰهِ وَرُسُلِهٖ وَيُرِيْدُوْنَ اَنْ يُّفَرِّقُوْا بَيْنَ اللّٰهِ وَرُسُلِهٖ وَيَقُوْلُوْنَ نُؤْمِنُ بِبَعْضٍ وَّنَكْفُرُ بِبَعْضٍۙ وَّيُرِيْدُوْنَ اَنْ يَّتَّخِذُوْا بَيْنَ ذٰلِكَ سَبِيْلًاۙ ١٥٠
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- yakfurūna
- يَكْفُرُونَ
- कुफ़्र करते हैं
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- साथ अल्लाह के
- warusulihi
- وَرُسُلِهِۦ
- और उसके रसूलों के
- wayurīdūna
- وَيُرِيدُونَ
- और वो चाहते हैं
- an
- أَن
- कि
- yufarriqū
- يُفَرِّقُوا۟
- वो तफ़रीक़ करें
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- warusulihi
- وَرُسُلِهِۦ
- और उसके रसूलों के
- wayaqūlūna
- وَيَقُولُونَ
- और वो कहते हैं
- nu'minu
- نُؤْمِنُ
- हम ईमान लाते हैं
- bibaʿḍin
- بِبَعْضٍ
- बाज़ पर
- wanakfuru
- وَنَكْفُرُ
- और हम कुफ़्र करते है
- bibaʿḍin
- بِبَعْضٍ
- बाज़ का
- wayurīdūna
- وَيُرِيدُونَ
- और वो चाहते हैं
- an
- أَن
- कि
- yattakhidhū
- يَتَّخِذُوا۟
- वो बना लें
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- उसके
- sabīlan
- سَبِيلًا
- कोई रास्ता
जो लोग अल्लाह और उसके रसूलों का इनकार करते है और चाहते है कि अल्लाह और उसके रसूलों के बीच विच्छेद करें, और कहते है कि 'हम कुछ को मानते है और कुछ को नहीं मानते' और इस तरह वे चाहते है कि बीच की कोई राह अपनाएँ; ([४] अन-निसा: 150)Tafseer (तफ़सीर )