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सूरा अन-निसा - Page: 14

An-Nisa

(औरत)

१३१

وَلِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۗ وَلَقَدْ وَصَّيْنَا الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ مِنْ قَبْلِكُمْ وَاِيَّاكُمْ اَنِ اتَّقُوا اللّٰهَ ۗوَاِنْ تَكْفُرُوْا فَاِنَّ لِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۗ وَكَانَ اللّٰهُ غَنِيًّا حَمِيْدًا ١٣١

walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए है
مَا
जो कुछ
فِى
आसमानों में है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में है
wamā
وَمَا
और जो कुछ
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِۗ
ज़मीन में है
walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
waṣṣaynā
وَصَّيْنَا
ताकीद की हमने
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन्हें जो
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
min
مِن
तुमसे पहले
qablikum
قَبْلِكُمْ
तुमसे पहले
wa-iyyākum
وَإِيَّاكُمْ
और तुम्हें भी
ani
أَنِ
कि
ittaqū
ٱتَّقُوا۟
डरो
l-laha
ٱللَّهَۚ
अल्लाह से
wa-in
وَإِن
और अगर
takfurū
تَكْفُرُوا۟
तुम कुफ़्र करोगे
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह ही के लिए है
مَا
जो कुछ
فِى
आसमानों में है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में है
wamā
وَمَا
और जो कुछ
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِۚ
ज़मीन में है
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ghaniyyan
غَنِيًّا
बहुत बेनियाज़
ḥamīdan
حَمِيدًا
बहुत तारीफ़ वाला
आकाशों और धरती में जो कुछ है, सब अल्लाह ही का है। तुमसे पहले जिन्हें किताब दी गई थी, उन्हें और तुम्हें भी हमने ताकीद की है कि 'अल्लाह का डर रखो।' यदि तुम इनकार करते हो, तो इससे क्या होने का? आकाशों और धरती में जो कुछ है, सब अल्लाह ही का रहेगा। अल्लाह तो निस्पृह, प्रशंसनीय है ([४] अन-निसा: 131)
Tafseer (तफ़सीर )
१३२

وَلِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِ ۗوَكَفٰى بِاللّٰهِ وَكِيْلًا ١٣٢

walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए है
مَا
जो कुछ
فِى
आसमानों में है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में है
wamā
وَمَا
और जो कुछ
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِۚ
ज़मीन में है
wakafā
وَكَفَىٰ
और काफ़ी है
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह
wakīlan
وَكِيلًا
कारसाज़
हाँ, आकाशों और धरती में जो कुछ है, अल्लाह ही का है और अल्लाह कार्यसाधक की हैसियत से काफ़ी है ([४] अन-निसा: 132)
Tafseer (तफ़सीर )
१३३

اِنْ يَّشَأْ يُذْهِبْكُمْ اَيُّهَا النَّاسُ وَيَأْتِ بِاٰخَرِيْنَۗ وَكَانَ اللّٰهُ عَلٰى ذٰلِكَ قَدِيْرًا ١٣٣

in
إِن
अगर
yasha
يَشَأْ
वो चाहे
yudh'hib'kum
يُذْهِبْكُمْ
वो ले जाए तुम्हें
ayyuhā
أَيُّهَا
l-nāsu
ٱلنَّاسُ
लोगो
wayati
وَيَأْتِ
और वो ले आए
biākharīna
بِـَٔاخَرِينَۚ
दूसरों को
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
dhālika
ذَٰلِكَ
उसके
qadīran
قَدِيرًا
बहुत क़ुदरत रखने वाला
ऐ लोगों! यदि वह चाहे तो तुम्हें हटा दे और तुम्हारी जगह दूसरों को ले आए। अल्लाह को इसकी पूरी सामर्थ्य है ([४] अन-निसा: 133)
Tafseer (तफ़सीर )
१३४

مَنْ كَانَ يُرِيْدُ ثَوَابَ الدُّنْيَا فَعِنْدَ اللّٰهِ ثَوَابُ الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَةِ ۗوَكَانَ اللّٰهُ سَمِيْعًاۢ بَصِيْرًا ࣖ ١٣٤

man
مَّن
जो कोई
kāna
كَانَ
है
yurīdu
يُرِيدُ
चाहता
thawāba
ثَوَابَ
सवाब
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया का
faʿinda
فَعِندَ
तो पास है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
thawābu
ثَوَابُ
सवाब
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया का
wal-ākhirati
وَٱلْءَاخِرَةِۚ
और आख़िरत का
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
samīʿan
سَمِيعًۢا
बहुत सुनने वाला
baṣīran
بَصِيرًا
बहुत देखने वाला
जो कोई दुनिया का बदला चाहता है, तो अल्लाह के पास दुनिया का बदला भी है और आख़िरत का भी। अल्लाह सब कुछ सुनता, देखता है ([४] अन-निसा: 134)
Tafseer (तफ़सीर )
१३५

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا كُوْنُوْا قَوَّامِيْنَ بِالْقِسْطِ شُهَدَاۤءَ لِلّٰهِ وَلَوْ عَلٰٓى اَنْفُسِكُمْ اَوِ الْوَالِدَيْنِ وَالْاَقْرَبِيْنَ ۚ اِنْ يَّكُنْ غَنِيًّا اَوْ فَقِيْرًا فَاللّٰهُ اَوْلٰى بِهِمَاۗ فَلَا تَتَّبِعُوا الْهَوٰٓى اَنْ تَعْدِلُوْا ۚ وَاِنْ تَلْوٗٓا اَوْ تُعْرِضُوْا فَاِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِيْرًا ١٣٥

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
kūnū
كُونُوا۟
हो जाओ
qawwāmīna
قَوَّٰمِينَ
क़ायम रहने वाले
bil-qis'ṭi
بِٱلْقِسْطِ
इन्साफ़ पर
shuhadāa
شُهَدَآءَ
गवाही देने वाले
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
walaw
وَلَوْ
और अगरचे
ʿalā
عَلَىٰٓ
ख़िलाफ़ हो तुम्हारे अपने
anfusikum
أَنفُسِكُمْ
ख़िलाफ़ हो तुम्हारे अपने
awi
أَوِ
या वालिदैन के
l-wālidayni
ٱلْوَٰلِدَيْنِ
या वालिदैन के
wal-aqrabīna
وَٱلْأَقْرَبِينَۚ
और क़राबतदारों के
in
إِن
अगर
yakun
يَكُنْ
वो होंगे
ghaniyyan
غَنِيًّا
ग़नी
aw
أَوْ
या
faqīran
فَقِيرًا
फ़क़ीर
fal-lahu
فَٱللَّهُ
तो अल्लाह
awlā
أَوْلَىٰ
ज़्यादा ख़ैरख़्वाह है
bihimā
بِهِمَاۖ
उन दोनों का
falā
فَلَا
तो ना
tattabiʿū
تَتَّبِعُوا۟
तुम पैरवी करो
l-hawā
ٱلْهَوَىٰٓ
ख़्वाहिशात की
an
أَن
कि
taʿdilū
تَعْدِلُوا۟ۚ
तुम अदल करो (ना)
wa-in
وَإِن
और अगर
talwū
تَلْوُۥٓا۟
तुम मोड़ दोगे (ज़बान)
aw
أَوْ
या
tuʿ'riḍū
تُعْرِضُوا۟
तुम ऐराज़ करोगे
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
bimā
بِمَا
उसकी जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
khabīran
خَبِيرًا
ख़ूब ख़बर रखने वाला
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह के लिए गवाही देते हुए इनसाफ़ पर मज़बूती के साथ जमे रहो, चाहे वह स्वयं तुम्हारे अपने या माँ-बाप और नातेदारों के विरुद्ध ही क्यों न हो। कोई धनवान हो या निर्धन (जिसके विरुद्ध तुम्हें गवाही देनी पड़े) अल्लाह को उनसे (तुमसे कहीं बढ़कर) निकटता का सम्बन्ध है, तो तुम अपनी इच्छा के अनुपालन में न्याय से न हटो, क्योंकि यदि तुम हेर-फेर करोगे या कतराओगे, तो जो कुछ तुम करते हो अल्लाह को उसकी ख़बर रहेगी ([४] अन-निसा: 135)
Tafseer (तफ़सीर )
१३६

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اٰمِنُوْا بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ وَالْكِتٰبِ الَّذِيْ نَزَّلَ عَلٰى رَسُوْلِهٖ وَالْكِتٰبِ الَّذِيْٓ اَنْزَلَ مِنْ قَبْلُ ۗوَمَنْ يَّكْفُرْ بِاللّٰهِ وَمَلٰۤىِٕكَتِهٖ وَكُتُبِهٖ وَرُسُلِهٖ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ فَقَدْ ضَلَّ ضَلٰلًا ۢ بَعِيْدًا ١٣٦

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
āminū
ءَامِنُوا۟
ईमान ले आओ
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
warasūlihi
وَرَسُولِهِۦ
और उसके रसूल पर
wal-kitābi
وَٱلْكِتَٰبِ
और उस किताब पर
alladhī
ٱلَّذِى
जो
nazzala
نَزَّلَ
उसने नाज़िल की
ʿalā
عَلَىٰ
अपने रसूल पर
rasūlihi
رَسُولِهِۦ
अपने रसूल पर
wal-kitābi
وَٱلْكِتَٰبِ
और वो किताब
alladhī
ٱلَّذِىٓ
जो
anzala
أَنزَلَ
उसने नाज़िल की
min
مِن
इससे पहले
qablu
قَبْلُۚ
इससे पहले
waman
وَمَن
और जो कोई
yakfur
يَكْفُرْ
कुफ़्र करे
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह का
wamalāikatihi
وَمَلَٰٓئِكَتِهِۦ
और उसके फ़रिश्तों का
wakutubihi
وَكُتُبِهِۦ
और उसकी किताबों का
warusulihi
وَرُسُلِهِۦ
और उसके रसूलों का
wal-yawmi
وَٱلْيَوْمِ
और आख़िरी दिन का
l-ākhiri
ٱلْءَاخِرِ
और आख़िरी दिन का
faqad
فَقَدْ
पस तहक़ीक़
ḍalla
ضَلَّ
वो भटक गया
ḍalālan
ضَلَٰلًۢا
भटक जाना
baʿīdan
بَعِيدًا
बहुत दूर का
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह पर ईमान लाओ और उसके रसूल पर और उस किताब पर जो उसने अपने रसूल पर उतारी है और उस किताब पर भी, जिसको वह इसके पहले उतार चुका है। और जिस किसी ने भी अल्लाह और उसके फ़रिश्तों और उसकी किताबों और उसके रसूलों और अन्तिम दिन का इनकार किया, तो वह भटककर बहुत दूर जा पड़ा ([४] अन-निसा: 136)
Tafseer (तफ़सीर )
१३७

اِنَّ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا ثُمَّ كَفَرُوْا ثُمَّ اٰمَنُوْا ثُمَّ كَفَرُوْا ثُمَّ ازْدَادُوْا كُفْرًا لَّمْ يَكُنِ اللّٰهُ لِيَغْفِرَ لَهُمْ وَلَا لِيَهْدِيَهُمْ سَبِيْلًاۗ ١٣٧

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
thumma
ثُمَّ
फिर
kafarū
كَفَرُوا۟
उन्होंने कुफ़्र किया
thumma
ثُمَّ
फिर
āmanū
ءَامَنُوا۟
वो ईमान लाए
thumma
ثُمَّ
फिर
kafarū
كَفَرُوا۟
उन्होंने कुफ़्र किया
thumma
ثُمَّ
फिर
iz'dādū
ٱزْدَادُوا۟
वो बढ़ गए
kuf'ran
كُفْرًا
कुफ़्र में
lam
لَّمْ
नहीं
yakuni
يَكُنِ
है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
liyaghfira
لِيَغْفِرَ
कि वो बख़्श दे
lahum
لَهُمْ
उन्हें
walā
وَلَا
और ना
liyahdiyahum
لِيَهْدِيَهُمْ
ये कि हिदायत दे उन्हें
sabīlan
سَبِيلًۢا
रास्ते की
रहे वे लोग जो ईमान लाए, फिर इनकार किया; फिर ईमान लाए, फिर इनकार किया; फिर इनकार की दशा में बढते चले गए तो अल्लाह उन्हें कदापि क्षमा नहीं करेगा और न उन्हें राह दिखाएगा ([४] अन-निसा: 137)
Tafseer (तफ़सीर )
१३८

بَشِّرِ الْمُنٰفِقِيْنَ بِاَنَّ لَهُمْ عَذَابًا اَلِيْمًاۙ ١٣٨

bashiri
بَشِّرِ
ख़ुशख़बरी दे दीजिए
l-munāfiqīna
ٱلْمُنَٰفِقِينَ
मुनाफ़िक़ों को
bi-anna
بِأَنَّ
कि बेशक
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
ʿadhāban
عَذَابًا
अज़ाब है
alīman
أَلِيمًا
दर्दनाक
मुनाफ़िको (कपटाचारियों) को मंगल-सूचना दे दो कि उनके लिए दुखद यातना है; ([४] अन-निसा: 138)
Tafseer (तफ़सीर )
१३९

ۨالَّذِيْنَ يَتَّخِذُوْنَ الْكٰفِرِيْنَ اَوْلِيَاۤءَ مِنْ دُوْنِ الْمُؤْمِنِيْنَ ۗ اَيَبْتَغُوْنَ عِنْدَهُمُ الْعِزَّةَ فَاِنَّ الْعِزَّةَ لِلّٰهِ جَمِيْعًاۗ ١٣٩

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yattakhidhūna
يَتَّخِذُونَ
बना लेते हैं
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों को
awliyāa
أَوْلِيَآءَ
दोस्त
min
مِن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَۚ
मोमिनों के
ayabtaghūna
أَيَبْتَغُونَ
क्या वो चाहते हैं
ʿindahumu
عِندَهُمُ
पास उनके
l-ʿizata
ٱلْعِزَّةَ
इज़्ज़त
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-ʿizata
ٱلْعِزَّةَ
इज़्ज़त
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह ही के लिए है
jamīʿan
جَمِيعًا
सारी की सारी
जो ईमानवालों को छोड़कर इनकार करनेवालों को अपना मित्र बनाते है। क्या उन्हें उनके पास प्रतिष्ठा की तलाश है? प्रतिष्ठा तो सारी की सारी अल्लाह ही के लिए है ([४] अन-निसा: 139)
Tafseer (तफ़सीर )
१४०

وَقَدْ نَزَّلَ عَلَيْكُمْ فِى الْكِتٰبِ اَنْ اِذَا سَمِعْتُمْ اٰيٰتِ اللّٰهِ يُكْفَرُ بِهَا وَيُسْتَهْزَاُ بِهَا فَلَا تَقْعُدُوْا مَعَهُمْ حَتّٰى يَخُوْضُوْا فِيْ حَدِيْثٍ غَيْرِهٖٓ ۖ اِنَّكُمْ اِذًا مِّثْلُهُمْ ۗ اِنَّ اللّٰهَ جَامِعُ الْمُنٰفِقِيْنَ وَالْكٰفِرِيْنَ فِيْ جَهَنَّمَ جَمِيْعًاۙ ١٤٠

waqad
وَقَدْ
हालाँकि तहक़ीक़
nazzala
نَزَّلَ
उसने नाज़िल किया
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
فِى
किताब में
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
किताब में
an
أَنْ
कि
idhā
إِذَا
जब
samiʿ'tum
سَمِعْتُمْ
सुनो तुम
āyāti
ءَايَٰتِ
अल्लाह की आयात को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की आयात को
yuk'faru
يُكْفَرُ
कुफ़्र किया जाता है
bihā
بِهَا
उनका
wayus'tahza-u
وَيُسْتَهْزَأُ
और मज़ाक़ उड़ाया जाता है
bihā
بِهَا
उनका
falā
فَلَا
तो ना
taqʿudū
تَقْعُدُوا۟
तुम बैठो
maʿahum
مَعَهُمْ
साथ उनके
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yakhūḍū
يَخُوضُوا۟
वो मशग़ूल हो जाऐं
فِى
किसी बात में
ḥadīthin
حَدِيثٍ
किसी बात में
ghayrihi
غَيْرِهِۦٓۚ
अलावा उसके
innakum
إِنَّكُمْ
बेशक तुम (वरना)
idhan
إِذًا
तब
mith'luhum
مِّثْلُهُمْۗ
उन जैसे (होगे)
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
jāmiʿu
جَامِعُ
जमा करने वाला है
l-munāfiqīna
ٱلْمُنَٰفِقِينَ
मुनाफ़िक़ों को
wal-kāfirīna
وَٱلْكَٰفِرِينَ
और काफ़िरों को
فِى
जहन्नम में
jahannama
جَهَنَّمَ
जहन्नम में
jamīʿan
جَمِيعًا
सबके-सबको
वह 'किताब' में तुमपर यह हुक्म उतार चुका है कि जब तुम सुनो कि अल्लाह की आयतों का इनकार किया जा रहा है और उसका उपहास किया जा रहा है, तो जब तब वे किसी दूसरी बात में न लगा जाएँ, उनके साथ न बैठो, अन्यथा तुम भी उन्हीं के जैसे होगे; निश्चय ही अल्लाह कपटाचारियों और इनकार करनेवालों - सबको जहन्नम में एकत्र करनेवाला है ([४] अन-निसा: 140)
Tafseer (तफ़सीर )