اُولٰۤىِٕكَ مَأْوٰىهُمْ جَهَنَّمُۖ وَلَا يَجِدُوْنَ عَنْهَا مَحِيْصًا ١٢١
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- mawāhum
- مَأْوَىٰهُمْ
- ठिकाना उनका
- jahannamu
- جَهَنَّمُ
- जहन्नम है
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yajidūna
- يَجِدُونَ
- वो पाऐंगे
- ʿanhā
- عَنْهَا
- उससे
- maḥīṣan
- مَحِيصًا
- कोई जाए पनाह
वही लोग है जिनका ठिकाना जहन्नम है और वे उससे अलग होने की कोई जगह न पाएँगे ([४] अन-निसा: 121)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ سَنُدْخِلُهُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَآ اَبَدًاۗ وَعْدَ اللّٰهِ حَقًّا ۗوَمَنْ اَصْدَقُ مِنَ اللّٰهِ قِيْلًا ١٢٢
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- sanud'khiluhum
- سَنُدْخِلُهُمْ
- अनक़रीब हम दाख़िल करेंगे उन्हें
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात में
- tajrī
- تَجْرِى
- बहती हैं
- min
- مِن
- उनके नीचे से
- taḥtihā
- تَحْتِهَا
- उनके नीचे से
- l-anhāru
- ٱلْأَنْهَٰرُ
- नहरें
- khālidīna
- خَٰلِدِينَ
- हमेशा रहने वाले हैं
- fīhā
- فِيهَآ
- उनमें
- abadan
- أَبَدًاۖ
- अब्द तक / हमेशा-हमेशा
- waʿda
- وَعْدَ
- वादा है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- ḥaqqan
- حَقًّاۚ
- सच्चा
- waman
- وَمَنْ
- और कौन
- aṣdaqu
- أَصْدَقُ
- ज़्यादा सच्चा है
- mina
- مِنَ
- अल्लाह से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह से
- qīlan
- قِيلًا
- बात में
रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उन्हें हम जल्द ही ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेंगे, जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी, जहाँ वे सदैव रहेंगे। अल्लाह का वादा सच्चा है, और अल्लाह से बढ़कर बात का सच्चा कौन हो सकता है? ([४] अन-निसा: 122)Tafseer (तफ़सीर )
لَيْسَ بِاَمَانِيِّكُمْ وَلَآ اَمَانِيِّ اَهْلِ الْكِتٰبِ ۗ مَنْ يَّعْمَلْ سُوْۤءًا يُّجْزَ بِهٖۙ وَلَا يَجِدْ لَهٗ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلِيًّا وَّلَا نَصِيْرًا ١٢٣
- laysa
- لَّيْسَ
- नहीं है
- bi-amāniyyikum
- بِأَمَانِيِّكُمْ
- तुम्हारी आरज़ुओं पर
- walā
- وَلَآ
- और ना
- amāniyyi
- أَمَانِىِّ
- आरज़ुओं पर
- ahli
- أَهْلِ
- अहले किताब की
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِۗ
- अहले किताब की
- man
- مَن
- जो कोई
- yaʿmal
- يَعْمَلْ
- अमल करेगा
- sūan
- سُوٓءًا
- बुरा
- yuj'za
- يُجْزَ
- वो बदला दिया जाएगा
- bihi
- بِهِۦ
- उसका
- walā
- وَلَا
- और ना
- yajid
- يَجِدْ
- वो पाएगा
- lahu
- لَهُۥ
- अपने लिए
- min
- مِن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- waliyyan
- وَلِيًّا
- कोई दोस्त
- walā
- وَلَا
- और ना
- naṣīran
- نَصِيرًا
- मददगार
बात न तुम्हारी कामनाओं की है और न किताबवालों की कामनाओं की। जो भी बुराई करेगा उसे उसका फल मिलेगा और वह अल्लाह से हटकर न तो कोई मित्र पाएगा और न ही सहायक ([४] अन-निसा: 123)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ يَّعْمَلْ مِنَ الصّٰلِحٰتِ مِنْ ذَكَرٍ اَوْ اُنْثٰى وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَاُولٰۤىِٕكَ يَدْخُلُوْنَ الْجَنَّةَ وَلَا يُظْلَمُوْنَ نَقِيْرًا ١٢٤
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yaʿmal
- يَعْمَلْ
- अमल करे
- mina
- مِنَ
- नेक
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- min
- مِن
- मर्द हो
- dhakarin
- ذَكَرٍ
- मर्द हो
- aw
- أَوْ
- या
- unthā
- أُنثَىٰ
- औरत
- wahuwa
- وَهُوَ
- जब कि वो
- mu'minun
- مُؤْمِنٌ
- मोमिन हो
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- तो यही लोग
- yadkhulūna
- يَدْخُلُونَ
- दाख़िल होंगे
- l-janata
- ٱلْجَنَّةَ
- जन्नत में
- walā
- وَلَا
- और ना
- yuẓ'lamūna
- يُظْلَمُونَ
- वो ज़ुल्म किए जाऐंगे
- naqīran
- نَقِيرًا
- खजूर की गुठली में सुराख़ बराबर
किन्तु जो अच्छे कर्म करेगा, चाहे पुरुष हो या स्त्री, यदि वह ईमानवाला है तो ऐसे लोग जन्नत में दाख़िल होंगे। और उनका हक़ रत्ती भर भी मारा नहीं जाएगा ([४] अन-निसा: 124)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ اَحْسَنُ دِيْنًا مِّمَّنْ اَسْلَمَ وَجْهَهٗ لِلّٰهِ وَهُوَ مُحْسِنٌ وَّاتَّبَعَ مِلَّةَ اِبْرٰهِيْمَ حَنِيْفًا ۗوَاتَّخَذَ اللّٰهُ اِبْرٰهِيْمَ خَلِيْلًا ١٢٥
- waman
- وَمَنْ
- और कौन
- aḥsanu
- أَحْسَنُ
- ज़्यादा अच्छा है
- dīnan
- دِينًا
- दीन में
- mimman
- مِّمَّنْ
- उससे जो
- aslama
- أَسْلَمَ
- सुपुर्द कर दे
- wajhahu
- وَجْهَهُۥ
- चेहरा अपना
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह के लिए
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- muḥ'sinun
- مُحْسِنٌ
- नेकोकार हो
- wa-ittabaʿa
- وَٱتَّبَعَ
- और वो पैरवी करे
- millata
- مِلَّةَ
- मिल्लत
- ib'rāhīma
- إِبْرَٰهِيمَ
- इब्राहीम की
- ḥanīfan
- حَنِيفًاۗ
- जो यकसू था
- wa-ittakhadha
- وَٱتَّخَذَ
- और बना लिया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ib'rāhīma
- إِبْرَٰهِيمَ
- इब्राहीम को
- khalīlan
- خَلِيلًا
- ख़ास दोस्त
और दीन (धर्म) की स्पष्ट से उस व्यक्ति से अच्छा कौन हो सकता है, जिसने अपने आपको अल्लाह के आगे झुका दिया और इबराहीम के तरीक़े का अनुसरण करे, जो सबसे कटकर एक का हो गया था? अल्लाह ने इबराहीम को अपना घनिष्ठ मित्र बनाया था ([४] अन-निसा: 125)Tafseer (तफ़सीर )
وَلِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۗ وَكَانَ اللّٰهُ بِكُلِّ شَيْءٍ مُّحِيْطًا ࣖ ١٢٦
- walillahi
- وَلِلَّهِ
- और अल्लाह ही के लिए है
- mā
- مَا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- आसमानों में है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में है
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۚ
- ज़मीन में है
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bikulli
- بِكُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ को
- muḥīṭan
- مُّحِيطًا
- घेरने वाला
जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है, वह अल्लाह ही का है और अल्लाह हर चीज़ को घेरे हुए है ([४] अन-निसा: 126)Tafseer (तफ़सीर )
وَيَسْتَفْتُوْنَكَ فِى النِّسَاۤءِۗ قُلِ اللّٰهُ يُفْتِيْكُمْ فِيْهِنَّ ۙوَمَا يُتْلٰى عَلَيْكُمْ فِى الْكِتٰبِ فِيْ يَتٰمَى النِّسَاۤءِ الّٰتِيْ لَا تُؤْتُوْنَهُنَّ مَا كُتِبَ لَهُنَّ وَتَرْغَبُوْنَ اَنْ تَنْكِحُوْهُنَّ وَالْمُسْتَضْعَفِيْنَ مِنَ الْوِلْدَانِۙ وَاَنْ تَقُوْمُوْا لِلْيَتٰمٰى بِالْقِسْطِ ۗوَمَا تَفْعَلُوْا مِنْ خَيْرٍ فَاِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِهٖ عَلِيْمًا ١٢٧
- wayastaftūnaka
- وَيَسْتَفْتُونَكَ
- और वो फ़तवा माँगते हैं आपसे
- fī
- فِى
- औरतों के बारे में
- l-nisāi
- ٱلنِّسَآءِۖ
- औरतों के बारे में
- quli
- قُلِ
- कह दीजिए
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- yuf'tīkum
- يُفْتِيكُمْ
- फ़तवा देता है तुम्हें
- fīhinna
- فِيهِنَّ
- उनके मामले में
- wamā
- وَمَا
- और जो
- yut'lā
- يُتْلَىٰ
- पढ़ा जाता है
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- fī
- فِى
- किताब में से
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- किताब में से
- fī
- فِى
- यतीम लड़कियों के बारे में
- yatāmā
- يَتَٰمَى
- यतीम लड़कियों के बारे में
- l-nisāi
- ٱلنِّسَآءِ
- यतीम लड़कियों के बारे में
- allātī
- ٱلَّٰتِى
- वो जो
- lā
- لَا
- नहीं तुम देते उन्हें
- tu'tūnahunna
- تُؤْتُونَهُنَّ
- नहीं तुम देते उन्हें
- mā
- مَا
- जो
- kutiba
- كُتِبَ
- लिखा गया
- lahunna
- لَهُنَّ
- उनके लिए
- watarghabūna
- وَتَرْغَبُونَ
- और तुम रग़बत रखते हो
- an
- أَن
- कि
- tankiḥūhunna
- تَنكِحُوهُنَّ
- तुम निकाह कर लो उनसे
- wal-mus'taḍʿafīna
- وَٱلْمُسْتَضْعَفِينَ
- और कमज़ोरों (के बारे में)
- mina
- مِنَ
- बच्चों में से
- l-wil'dāni
- ٱلْوِلْدَٰنِ
- बच्चों में से
- wa-an
- وَأَن
- और ये कि
- taqūmū
- تَقُومُوا۟
- तुम क़ायम रहो
- lil'yatāmā
- لِلْيَتَٰمَىٰ
- यतीमों के लिए
- bil-qis'ṭi
- بِٱلْقِسْطِۚ
- इन्साफ़ पर
- wamā
- وَمَا
- और जो भी
- tafʿalū
- تَفْعَلُوا۟
- तुम करोगे
- min
- مِنْ
- नेकी में से
- khayrin
- خَيْرٍ
- नेकी में से
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है
- bihi
- بِهِۦ
- उसे
- ʿalīman
- عَلِيمًا
- ख़ूब जानने वाला
लोग तुमसे स्त्रियों के विषय में पूछते है, कहो, 'अल्लाह तुम्हें उनके विषय में हुक्म देता है और जो आयतें तुमको इस किताब में पढ़कर सुनाई जाती है, वे उन स्त्रियों के, अनाथों के विषय में भी है, जिनके हक़ तुम अदा नहीं करते। और चाहते हो कि तुम उनके साथ विवाह कर लो और कमज़ोर यतीम बच्चों के बारे में भी यही आदेश है। और इस विषय में भी कि तुम अनाथों के विषय में इनसाफ़ पर क़ायम रहो। जो भलाई भी तुम करोगे तो निश्चय ही, अल्लाह उसे भली-भाँति जानता होगा।' ([४] अन-निसा: 127)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنِ امْرَاَةٌ خَافَتْ مِنْۢ بَعْلِهَا نُشُوْزًا اَوْ اِعْرَاضًا فَلَا جُنَاحَ عَلَيْهِمَآ اَنْ يُّصْلِحَا بَيْنَهُمَا صُلْحًا ۗوَالصُّلْحُ خَيْرٌ ۗوَاُحْضِرَتِ الْاَنْفُسُ الشُّحَّۗ وَاِنْ تُحْسِنُوْا وَتَتَّقُوْا فَاِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِيْرًا ١٢٨
- wa-ini
- وَإِنِ
- और अगर
- im'ra-atun
- ٱمْرَأَةٌ
- कोई औरत
- khāfat
- خَافَتْ
- डरे
- min
- مِنۢ
- अपने शौहर से
- baʿlihā
- بَعْلِهَا
- अपने शौहर से
- nushūzan
- نُشُوزًا
- ज़्यादती करने से
- aw
- أَوْ
- या
- iʿ'rāḍan
- إِعْرَاضًا
- बेरुख़ी से
- falā
- فَلَا
- तो नहीं
- junāḥa
- جُنَاحَ
- कोई गुनाह
- ʿalayhimā
- عَلَيْهِمَآ
- उन दोनों पर
- an
- أَن
- कि
- yuṣ'liḥā
- يُصْلِحَا
- वो दोनो सुलह कर लें
- baynahumā
- بَيْنَهُمَا
- आपस में
- ṣul'ḥan
- صُلْحًاۚ
- सुलह करना
- wal-ṣul'ḥu
- وَٱلصُّلْحُ
- और सुलह करना
- khayrun
- خَيْرٌۗ
- बेहतर है
- wa-uḥ'ḍirati
- وَأُحْضِرَتِ
- और रख दी गई
- l-anfusu
- ٱلْأَنفُسُ
- नफ़्सों में
- l-shuḥa
- ٱلشُّحَّۚ
- बख़ीली
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- tuḥ'sinū
- تُحْسِنُوا۟
- तुम एहसान करो
- watattaqū
- وَتَتَّقُوا۟
- और तुम तक़वा करो
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है
- bimā
- بِمَا
- साथ उसके जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
- khabīran
- خَبِيرًا
- ख़ूब ख़बर रखने वाला
यदि किसी स्त्री को अपने पति की और से दुर्व्यवहार या बेरुख़ी का भय हो, तो इसमें उनके लिए कोई दोष नहीं कि वे दोनों आपस में मेल-मिलाप की कोई राह निकाल ले। और मेल-मिलाव अच्छी चीज़ है। और मन तो लोभ एवं कृपणता के लिए उद्यत रहता है। परन्तु यदि तुम अच्छा व्यवहार करो और (अल्लाह का) भय रखो, तो अल्लाह को निश्चय ही जो कुछ तुम करोगे उसकी खबर रहेगी ([४] अन-निसा: 128)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَنْ تَسْتَطِيْعُوْٓا اَنْ تَعْدِلُوْا بَيْنَ النِّسَاۤءِ وَلَوْ حَرَصْتُمْ فَلَا تَمِيْلُوْا كُلَّ الْمَيْلِ فَتَذَرُوْهَا كَالْمُعَلَّقَةِ ۗوَاِنْ تُصْلِحُوْا وَتَتَّقُوْا فَاِنَّ اللّٰهَ كَانَ غَفُوْرًا رَّحِيْمًا ١٢٩
- walan
- وَلَن
- और हरगिज़ नहीं
- tastaṭīʿū
- تَسْتَطِيعُوٓا۟
- तुम इस्तिताअत रख सकते
- an
- أَن
- कि
- taʿdilū
- تَعْدِلُوا۟
- तुम अदल करो
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान
- l-nisāi
- ٱلنِّسَآءِ
- बीवियों के
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- ḥaraṣtum
- حَرَصْتُمْۖ
- तुम हिर्स करो
- falā
- فَلَا
- तो ना
- tamīlū
- تَمِيلُوا۟
- तुम माइल हो जाओ
- kulla
- كُلَّ
- मुकम्मल
- l-mayli
- ٱلْمَيْلِ
- माइल हो जाना
- fatadharūhā
- فَتَذَرُوهَا
- कि तुम छोड़ दो उसे
- kal-muʿalaqati
- كَٱلْمُعَلَّقَةِۚ
- मानिन्द लटकती हुई (शै) के
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- tuṣ'liḥū
- تُصْلِحُوا۟
- तुम इस्लाह / सुलह करो
- watattaqū
- وَتَتَّقُوا۟
- और तुम तक़वा करो
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है
- ghafūran
- غَفُورًا
- बहुत बख़्शने वाला
- raḥīman
- رَّحِيمًا
- निहायत रहम करने वाला
और चाहे तुम कितना ही चाहो, तुममें इसकी सामर्थ्य नहीं हो सकती कि औरतों के बीच पूर्ण रूप से न्याय कर सको। तो ऐसा भी न करो कि किसी से पूर्णरूप से फिर जाओ, जिसके परिणामस्वरूप वह ऐसी हो जाए, जैसे उसका पति खो गया हो। परन्तु यदि तुम अपना व्यवहार ठीक रखो और (अल्लाह से) डरते रहो, तो निस्संदेह अल्लाह भी बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([४] अन-निसा: 129)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ يَّتَفَرَّقَا يُغْنِ اللّٰهُ كُلًّا مِّنْ سَعَتِهٖۗ وَكَانَ اللّٰهُ وَاسِعًا حَكِيْمًا ١٣٠
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yatafarraqā
- يَتَفَرَّقَا
- वो दोनों अलग हो जाऐं
- yugh'ni
- يُغْنِ
- ग़नी कर देगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- kullan
- كُلًّا
- हर एक को
- min
- مِّن
- अपनी वुसअत से
- saʿatihi
- سَعَتِهِۦۚ
- अपनी वुसअत से
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- wāsiʿan
- وَٰسِعًا
- वुसअत वाला
- ḥakīman
- حَكِيمًا
- बहुत हिकमत वाला
और यदि दोनों अलग ही हो जाएँ तो अल्लाह अपनी समाई से एक को दूसरे से बेपररवाह कर देगा। अल्लाह बड़ी समाईवाला, तत्वदर्शी है ([४] अन-निसा: 130)Tafseer (तफ़सीर )