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सूरा अन-निसा - Page: 13

An-Nisa

(औरत)

१२१

اُولٰۤىِٕكَ مَأْوٰىهُمْ جَهَنَّمُۖ وَلَا يَجِدُوْنَ عَنْهَا مَحِيْصًا ١٢١

ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
mawāhum
مَأْوَىٰهُمْ
ठिकाना उनका
jahannamu
جَهَنَّمُ
जहन्नम है
walā
وَلَا
और नहीं
yajidūna
يَجِدُونَ
वो पाऐंगे
ʿanhā
عَنْهَا
उससे
maḥīṣan
مَحِيصًا
कोई जाए पनाह
वही लोग है जिनका ठिकाना जहन्नम है और वे उससे अलग होने की कोई जगह न पाएँगे ([४] अन-निसा: 121)
Tafseer (तफ़सीर )
१२२

وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ سَنُدْخِلُهُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَآ اَبَدًاۗ وَعْدَ اللّٰهِ حَقًّا ۗوَمَنْ اَصْدَقُ مِنَ اللّٰهِ قِيْلًا ١٢٢

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
sanud'khiluhum
سَنُدْخِلُهُمْ
अनक़रीब हम दाख़िल करेंगे उन्हें
jannātin
جَنَّٰتٍ
बाग़ात में
tajrī
تَجْرِى
बहती हैं
min
مِن
उनके नीचे से
taḥtihā
تَحْتِهَا
उनके नीचे से
l-anhāru
ٱلْأَنْهَٰرُ
नहरें
khālidīna
خَٰلِدِينَ
हमेशा रहने वाले हैं
fīhā
فِيهَآ
उनमें
abadan
أَبَدًاۖ
अब्द तक / हमेशा-हमेशा
waʿda
وَعْدَ
वादा है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
ḥaqqan
حَقًّاۚ
सच्चा
waman
وَمَنْ
और कौन
aṣdaqu
أَصْدَقُ
ज़्यादा सच्चा है
mina
مِنَ
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
qīlan
قِيلًا
बात में
रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उन्हें हम जल्द ही ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेंगे, जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी, जहाँ वे सदैव रहेंगे। अल्लाह का वादा सच्चा है, और अल्लाह से बढ़कर बात का सच्चा कौन हो सकता है? ([४] अन-निसा: 122)
Tafseer (तफ़सीर )
१२३

لَيْسَ بِاَمَانِيِّكُمْ وَلَآ اَمَانِيِّ اَهْلِ الْكِتٰبِ ۗ مَنْ يَّعْمَلْ سُوْۤءًا يُّجْزَ بِهٖۙ وَلَا يَجِدْ لَهٗ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلِيًّا وَّلَا نَصِيْرًا ١٢٣

laysa
لَّيْسَ
नहीं है
bi-amāniyyikum
بِأَمَانِيِّكُمْ
तुम्हारी आरज़ुओं पर
walā
وَلَآ
और ना
amāniyyi
أَمَانِىِّ
आरज़ुओं पर
ahli
أَهْلِ
अहले किताब की
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِۗ
अहले किताब की
man
مَن
जो कोई
yaʿmal
يَعْمَلْ
अमल करेगा
sūan
سُوٓءًا
बुरा
yuj'za
يُجْزَ
वो बदला दिया जाएगा
bihi
بِهِۦ
उसका
walā
وَلَا
और ना
yajid
يَجِدْ
वो पाएगा
lahu
لَهُۥ
अपने लिए
min
مِن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
waliyyan
وَلِيًّا
कोई दोस्त
walā
وَلَا
और ना
naṣīran
نَصِيرًا
मददगार
बात न तुम्हारी कामनाओं की है और न किताबवालों की कामनाओं की। जो भी बुराई करेगा उसे उसका फल मिलेगा और वह अल्लाह से हटकर न तो कोई मित्र पाएगा और न ही सहायक ([४] अन-निसा: 123)
Tafseer (तफ़सीर )
१२४

وَمَنْ يَّعْمَلْ مِنَ الصّٰلِحٰتِ مِنْ ذَكَرٍ اَوْ اُنْثٰى وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَاُولٰۤىِٕكَ يَدْخُلُوْنَ الْجَنَّةَ وَلَا يُظْلَمُوْنَ نَقِيْرًا ١٢٤

waman
وَمَن
और जो कोई
yaʿmal
يَعْمَلْ
अमल करे
mina
مِنَ
नेक
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
min
مِن
मर्द हो
dhakarin
ذَكَرٍ
मर्द हो
aw
أَوْ
या
unthā
أُنثَىٰ
औरत
wahuwa
وَهُوَ
जब कि वो
mu'minun
مُؤْمِنٌ
मोमिन हो
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग
yadkhulūna
يَدْخُلُونَ
दाख़िल होंगे
l-janata
ٱلْجَنَّةَ
जन्नत में
walā
وَلَا
और ना
yuẓ'lamūna
يُظْلَمُونَ
वो ज़ुल्म किए जाऐंगे
naqīran
نَقِيرًا
खजूर की गुठली में सुराख़ बराबर
किन्तु जो अच्छे कर्म करेगा, चाहे पुरुष हो या स्त्री, यदि वह ईमानवाला है तो ऐसे लोग जन्नत में दाख़िल होंगे। और उनका हक़ रत्ती भर भी मारा नहीं जाएगा ([४] अन-निसा: 124)
Tafseer (तफ़सीर )
१२५

وَمَنْ اَحْسَنُ دِيْنًا مِّمَّنْ اَسْلَمَ وَجْهَهٗ لِلّٰهِ وَهُوَ مُحْسِنٌ وَّاتَّبَعَ مِلَّةَ اِبْرٰهِيْمَ حَنِيْفًا ۗوَاتَّخَذَ اللّٰهُ اِبْرٰهِيْمَ خَلِيْلًا ١٢٥

waman
وَمَنْ
और कौन
aḥsanu
أَحْسَنُ
ज़्यादा अच्छा है
dīnan
دِينًا
दीन में
mimman
مِّمَّنْ
उससे जो
aslama
أَسْلَمَ
सुपुर्द कर दे
wajhahu
وَجْهَهُۥ
चेहरा अपना
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
wahuwa
وَهُوَ
और वो
muḥ'sinun
مُحْسِنٌ
नेकोकार हो
wa-ittabaʿa
وَٱتَّبَعَ
और वो पैरवी करे
millata
مِلَّةَ
मिल्लत
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِيمَ
इब्राहीम की
ḥanīfan
حَنِيفًاۗ
जो यकसू था
wa-ittakhadha
وَٱتَّخَذَ
और बना लिया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِيمَ
इब्राहीम को
khalīlan
خَلِيلًا
ख़ास दोस्त
और दीन (धर्म) की स्पष्ट से उस व्यक्ति से अच्छा कौन हो सकता है, जिसने अपने आपको अल्लाह के आगे झुका दिया और इबराहीम के तरीक़े का अनुसरण करे, जो सबसे कटकर एक का हो गया था? अल्लाह ने इबराहीम को अपना घनिष्ठ मित्र बनाया था ([४] अन-निसा: 125)
Tafseer (तफ़सीर )
१२६

وَلِلّٰهِ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِۗ وَكَانَ اللّٰهُ بِكُلِّ شَيْءٍ مُّحِيْطًا ࣖ ١٢٦

walillahi
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए है
مَا
जो कुछ
فِى
आसमानों में है
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में है
wamā
وَمَا
और जो कुछ
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِۚ
ज़मीन में है
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bikulli
بِكُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ को
muḥīṭan
مُّحِيطًا
घेरने वाला
जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है, वह अल्लाह ही का है और अल्लाह हर चीज़ को घेरे हुए है ([४] अन-निसा: 126)
Tafseer (तफ़सीर )
१२७

وَيَسْتَفْتُوْنَكَ فِى النِّسَاۤءِۗ قُلِ اللّٰهُ يُفْتِيْكُمْ فِيْهِنَّ ۙوَمَا يُتْلٰى عَلَيْكُمْ فِى الْكِتٰبِ فِيْ يَتٰمَى النِّسَاۤءِ الّٰتِيْ لَا تُؤْتُوْنَهُنَّ مَا كُتِبَ لَهُنَّ وَتَرْغَبُوْنَ اَنْ تَنْكِحُوْهُنَّ وَالْمُسْتَضْعَفِيْنَ مِنَ الْوِلْدَانِۙ وَاَنْ تَقُوْمُوْا لِلْيَتٰمٰى بِالْقِسْطِ ۗوَمَا تَفْعَلُوْا مِنْ خَيْرٍ فَاِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِهٖ عَلِيْمًا ١٢٧

wayastaftūnaka
وَيَسْتَفْتُونَكَ
और वो फ़तवा माँगते हैं आपसे
فِى
औरतों के बारे में
l-nisāi
ٱلنِّسَآءِۖ
औरतों के बारे में
quli
قُلِ
कह दीजिए
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
yuf'tīkum
يُفْتِيكُمْ
फ़तवा देता है तुम्हें
fīhinna
فِيهِنَّ
उनके मामले में
wamā
وَمَا
और जो
yut'lā
يُتْلَىٰ
पढ़ा जाता है
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
فِى
किताब में से
l-kitābi
ٱلْكِتَٰبِ
किताब में से
فِى
यतीम लड़कियों के बारे में
yatāmā
يَتَٰمَى
यतीम लड़कियों के बारे में
l-nisāi
ٱلنِّسَآءِ
यतीम लड़कियों के बारे में
allātī
ٱلَّٰتِى
वो जो
لَا
नहीं तुम देते उन्हें
tu'tūnahunna
تُؤْتُونَهُنَّ
नहीं तुम देते उन्हें
مَا
जो
kutiba
كُتِبَ
लिखा गया
lahunna
لَهُنَّ
उनके लिए
watarghabūna
وَتَرْغَبُونَ
और तुम रग़बत रखते हो
an
أَن
कि
tankiḥūhunna
تَنكِحُوهُنَّ
तुम निकाह कर लो उनसे
wal-mus'taḍʿafīna
وَٱلْمُسْتَضْعَفِينَ
और कमज़ोरों (के बारे में)
mina
مِنَ
बच्चों में से
l-wil'dāni
ٱلْوِلْدَٰنِ
बच्चों में से
wa-an
وَأَن
और ये कि
taqūmū
تَقُومُوا۟
तुम क़ायम रहो
lil'yatāmā
لِلْيَتَٰمَىٰ
यतीमों के लिए
bil-qis'ṭi
بِٱلْقِسْطِۚ
इन्साफ़ पर
wamā
وَمَا
और जो भी
tafʿalū
تَفْعَلُوا۟
तुम करोगे
min
مِنْ
नेकी में से
khayrin
خَيْرٍ
नेकी में से
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
bihi
بِهِۦ
उसे
ʿalīman
عَلِيمًا
ख़ूब जानने वाला
लोग तुमसे स्त्रियों के विषय में पूछते है, कहो, 'अल्लाह तुम्हें उनके विषय में हुक्म देता है और जो आयतें तुमको इस किताब में पढ़कर सुनाई जाती है, वे उन स्त्रियों के, अनाथों के विषय में भी है, जिनके हक़ तुम अदा नहीं करते। और चाहते हो कि तुम उनके साथ विवाह कर लो और कमज़ोर यतीम बच्चों के बारे में भी यही आदेश है। और इस विषय में भी कि तुम अनाथों के विषय में इनसाफ़ पर क़ायम रहो। जो भलाई भी तुम करोगे तो निश्चय ही, अल्लाह उसे भली-भाँति जानता होगा।' ([४] अन-निसा: 127)
Tafseer (तफ़सीर )
१२८

وَاِنِ امْرَاَةٌ خَافَتْ مِنْۢ بَعْلِهَا نُشُوْزًا اَوْ اِعْرَاضًا فَلَا جُنَاحَ عَلَيْهِمَآ اَنْ يُّصْلِحَا بَيْنَهُمَا صُلْحًا ۗوَالصُّلْحُ خَيْرٌ ۗوَاُحْضِرَتِ الْاَنْفُسُ الشُّحَّۗ وَاِنْ تُحْسِنُوْا وَتَتَّقُوْا فَاِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِيْرًا ١٢٨

wa-ini
وَإِنِ
और अगर
im'ra-atun
ٱمْرَأَةٌ
कोई औरत
khāfat
خَافَتْ
डरे
min
مِنۢ
अपने शौहर से
baʿlihā
بَعْلِهَا
अपने शौहर से
nushūzan
نُشُوزًا
ज़्यादती करने से
aw
أَوْ
या
iʿ'rāḍan
إِعْرَاضًا
बेरुख़ी से
falā
فَلَا
तो नहीं
junāḥa
جُنَاحَ
कोई गुनाह
ʿalayhimā
عَلَيْهِمَآ
उन दोनों पर
an
أَن
कि
yuṣ'liḥā
يُصْلِحَا
वो दोनो सुलह कर लें
baynahumā
بَيْنَهُمَا
आपस में
ṣul'ḥan
صُلْحًاۚ
सुलह करना
wal-ṣul'ḥu
وَٱلصُّلْحُ
और सुलह करना
khayrun
خَيْرٌۗ
बेहतर है
wa-uḥ'ḍirati
وَأُحْضِرَتِ
और रख दी गई
l-anfusu
ٱلْأَنفُسُ
नफ़्सों में
l-shuḥa
ٱلشُّحَّۚ
बख़ीली
wa-in
وَإِن
और अगर
tuḥ'sinū
تُحْسِنُوا۟
तुम एहसान करो
watattaqū
وَتَتَّقُوا۟
और तुम तक़वा करो
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
bimā
بِمَا
साथ उसके जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
khabīran
خَبِيرًا
ख़ूब ख़बर रखने वाला
यदि किसी स्त्री को अपने पति की और से दुर्व्यवहार या बेरुख़ी का भय हो, तो इसमें उनके लिए कोई दोष नहीं कि वे दोनों आपस में मेल-मिलाप की कोई राह निकाल ले। और मेल-मिलाव अच्छी चीज़ है। और मन तो लोभ एवं कृपणता के लिए उद्यत रहता है। परन्तु यदि तुम अच्छा व्यवहार करो और (अल्लाह का) भय रखो, तो अल्लाह को निश्चय ही जो कुछ तुम करोगे उसकी खबर रहेगी ([४] अन-निसा: 128)
Tafseer (तफ़सीर )
१२९

وَلَنْ تَسْتَطِيْعُوْٓا اَنْ تَعْدِلُوْا بَيْنَ النِّسَاۤءِ وَلَوْ حَرَصْتُمْ فَلَا تَمِيْلُوْا كُلَّ الْمَيْلِ فَتَذَرُوْهَا كَالْمُعَلَّقَةِ ۗوَاِنْ تُصْلِحُوْا وَتَتَّقُوْا فَاِنَّ اللّٰهَ كَانَ غَفُوْرًا رَّحِيْمًا ١٢٩

walan
وَلَن
और हरगिज़ नहीं
tastaṭīʿū
تَسْتَطِيعُوٓا۟
तुम इस्तिताअत रख सकते
an
أَن
कि
taʿdilū
تَعْدِلُوا۟
तुम अदल करो
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
l-nisāi
ٱلنِّسَآءِ
बीवियों के
walaw
وَلَوْ
और अगरचे
ḥaraṣtum
حَرَصْتُمْۖ
तुम हिर्स करो
falā
فَلَا
तो ना
tamīlū
تَمِيلُوا۟
तुम माइल हो जाओ
kulla
كُلَّ
मुकम्मल
l-mayli
ٱلْمَيْلِ
माइल हो जाना
fatadharūhā
فَتَذَرُوهَا
कि तुम छोड़ दो उसे
kal-muʿalaqati
كَٱلْمُعَلَّقَةِۚ
मानिन्द लटकती हुई (शै) के
wa-in
وَإِن
और अगर
tuṣ'liḥū
تُصْلِحُوا۟
तुम इस्लाह / सुलह करो
watattaqū
وَتَتَّقُوا۟
और तुम तक़वा करो
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
ghafūran
غَفُورًا
बहुत बख़्शने वाला
raḥīman
رَّحِيمًا
निहायत रहम करने वाला
और चाहे तुम कितना ही चाहो, तुममें इसकी सामर्थ्य नहीं हो सकती कि औरतों के बीच पूर्ण रूप से न्याय कर सको। तो ऐसा भी न करो कि किसी से पूर्णरूप से फिर जाओ, जिसके परिणामस्वरूप वह ऐसी हो जाए, जैसे उसका पति खो गया हो। परन्तु यदि तुम अपना व्यवहार ठीक रखो और (अल्लाह से) डरते रहो, तो निस्संदेह अल्लाह भी बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([४] अन-निसा: 129)
Tafseer (तफ़सीर )
१३०

وَاِنْ يَّتَفَرَّقَا يُغْنِ اللّٰهُ كُلًّا مِّنْ سَعَتِهٖۗ وَكَانَ اللّٰهُ وَاسِعًا حَكِيْمًا ١٣٠

wa-in
وَإِن
और अगर
yatafarraqā
يَتَفَرَّقَا
वो दोनों अलग हो जाऐं
yugh'ni
يُغْنِ
ग़नी कर देगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
kullan
كُلًّا
हर एक को
min
مِّن
अपनी वुसअत से
saʿatihi
سَعَتِهِۦۚ
अपनी वुसअत से
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
wāsiʿan
وَٰسِعًا
वुसअत वाला
ḥakīman
حَكِيمًا
बहुत हिकमत वाला
और यदि दोनों अलग ही हो जाएँ तो अल्लाह अपनी समाई से एक को दूसरे से बेपररवाह कर देगा। अल्लाह बड़ी समाईवाला, तत्वदर्शी है ([४] अन-निसा: 130)
Tafseer (तफ़सीर )