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सूरा अन-निसा - Page: 12

An-Nisa

(औरत)

१११

وَمَنْ يَّكْسِبْ اِثْمًا فَاِنَّمَا يَكْسِبُهٗ عَلٰى نَفْسِهٖ ۗ وَكَانَ اللّٰهُ عَلِيْمًا حَكِيْمًا ١١١

waman
وَمَن
और जो कोई
yaksib
يَكْسِبْ
कमाए
ith'man
إِثْمًا
कोई गुनाह
fa-innamā
فَإِنَّمَا
तो बेशक
yaksibuhu
يَكْسِبُهُۥ
वो कमाता है उसे
ʿalā
عَلَىٰ
अपने ख़िलाफ़
nafsihi
نَفْسِهِۦۚ
अपने ख़िलाफ़
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalīman
عَلِيمًا
बहुत इल्म वाला
ḥakīman
حَكِيمًا
बहुत हिकमत वाला
और जो व्यक्ति गुनाह कमाए, तो वह अपने ही लिए कमाता है। अल्लाह तो सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है ([४] अन-निसा: 111)
Tafseer (तफ़सीर )
११२

وَمَنْ يَّكْسِبْ خَطِيْۤـَٔةً اَوْ اِثْمًا ثُمَّ يَرْمِ بِهٖ بَرِيْۤـًٔا فَقَدِ احْتَمَلَ بُهْتَانًا وَّاِثْمًا مُّبِيْنًا ࣖ ١١٢

waman
وَمَن
और जो कोई
yaksib
يَكْسِبْ
कमाए
khaṭīatan
خَطِيٓـَٔةً
कोई ख़ता
aw
أَوْ
या
ith'man
إِثْمًا
कोई गुनाह
thumma
ثُمَّ
फिर
yarmi
يَرْمِ
वो इल्ज़ाम लगाए
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
barīan
بَرِيٓـًٔا
किसी बेगुनाह पर
faqadi
فَقَدِ
पस तहक़ीक़
iḥ'tamala
ٱحْتَمَلَ
उसने उठाया
buh'tānan
بُهْتَٰنًا
बोहतान
wa-ith'man
وَإِثْمًا
और गुनाह
mubīnan
مُّبِينًا
खुल्लम-खुल्ला
और जो व्यक्ति कोई ग़लती या गुनाह की कमाई करे, फिर उसे किसी निर्दोष पर थोप दे, तो उसने एक बड़े लांछन और खुले गुनाह का बोझ अपने ऊपर ले लिया ([४] अन-निसा: 112)
Tafseer (तफ़सीर )
११३

وَلَوْلَا فَضْلُ اللّٰهِ عَلَيْكَ وَرَحْمَتُهٗ لَهَمَّتْ طَّاۤىِٕفَةٌ مِّنْهُمْ اَنْ يُّضِلُّوْكَۗ وَمَا يُضِلُّوْنَ اِلَّآ اَنْفُسَهُمْ وَمَا يَضُرُّوْنَكَ مِنْ شَيْءٍ ۗ وَاَنْزَلَ اللّٰهُ عَلَيْكَ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ وَعَلَّمَكَ مَا لَمْ تَكُنْ تَعْلَمُۗ وَكَانَ فَضْلُ اللّٰهِ عَلَيْكَ عَظِيْمًا ١١٣

walawlā
وَلَوْلَا
और अगर ना होता
faḍlu
فَضْلُ
फ़ज़ल
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
waraḥmatuhu
وَرَحْمَتُهُۥ
और रहमत उसकी
lahammat
لَهَمَّت
अलबत्ता इरादा कर लिया था
ṭāifatun
طَّآئِفَةٌ
एक गिरोह ने
min'hum
مِّنْهُمْ
उनमें से
an
أَن
कि
yuḍillūka
يُضِلُّوكَ
वो बहका दें आपको
wamā
وَمَا
और नहीं
yuḍillūna
يُضِلُّونَ
वो बहकाते
illā
إِلَّآ
मगर
anfusahum
أَنفُسَهُمْۖ
अपने आपको
wamā
وَمَا
और नहीं
yaḍurrūnaka
يَضُرُّونَكَ
वो नुक़सान दे सकते आपको
min
مِن
कुछ भी
shayin
شَىْءٍۚ
कुछ भी
wa-anzala
وَأَنزَلَ
और नाज़िल की
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
wal-ḥik'mata
وَٱلْحِكْمَةَ
और हिकमत
waʿallamaka
وَعَلَّمَكَ
और सिखाया आपको
مَا
वो जो
lam
لَمْ
ना
takun
تَكُن
थे आप
taʿlamu
تَعْلَمُۚ
आप जानते
wakāna
وَكَانَ
और है
faḍlu
فَضْلُ
फ़ज़ल
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
ʿaẓīman
عَظِيمًا
बहुत बड़ा
यदि तुमपर अल्लाह का उदार अनुग्रह और उसकी दयालुता न होती तो उनमें से कुछ लोग तो यह निश्चय कर ही चुके थे कि तुम्हें राह से भटका दें, हालाँकि वे अपने आप ही को पथभ्रष्टि कर रहे है, और तुम्हें वे कोई हानि नहीं पहुँचा सकते। अल्लाह ने तुमपर किताब और हिकमत (तत्वदर्शिता) उतारी है और उसने तुम्हें वह कुछ सिखाया है जो तुम जानते न थे। अल्लाह का तुमपर बहुत बड़ा अनुग्रह है ([४] अन-निसा: 113)
Tafseer (तफ़सीर )
११४

۞ لَا خَيْرَ فِيْ كَثِيْرٍ مِّنْ نَّجْوٰىهُمْ اِلَّا مَنْ اَمَرَ بِصَدَقَةٍ اَوْ مَعْرُوْفٍ اَوْ اِصْلَاحٍۢ بَيْنَ النَّاسِۗ وَمَنْ يَّفْعَلْ ذٰلِكَ ابْتِغَاۤءَ مَرْضَاتِ اللّٰهِ فَسَوْفَ نُؤْتِيْهِ اَجْرًا عَظِيْمًا ١١٤

لَّا
नहीं कोई भलाई
khayra
خَيْرَ
नहीं कोई भलाई
فِى
बहुत सी
kathīrin
كَثِيرٍ
बहुत सी
min
مِّن
उनकी सरगोशियों में
najwāhum
نَّجْوَىٰهُمْ
उनकी सरगोशियों में
illā
إِلَّا
सिवाय
man
مَنْ
उसके जो
amara
أَمَرَ
हुक्म दे
biṣadaqatin
بِصَدَقَةٍ
सदक़ा का
aw
أَوْ
या
maʿrūfin
مَعْرُوفٍ
नेकी का
aw
أَوْ
या
iṣ'lāḥin
إِصْلَٰحٍۭ
इस्लाह का
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
l-nāsi
ٱلنَّاسِۚ
लोगों के
waman
وَمَن
और जो कोई
yafʿal
يَفْعَلْ
करेगा
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
ib'tighāa
ٱبْتِغَآءَ
चाहने को
marḍāti
مَرْضَاتِ
रज़ा / रज़ामन्दी
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
fasawfa
فَسَوْفَ
तो अनक़रीब
nu'tīhi
نُؤْتِيهِ
हम देंगे उसे
ajran
أَجْرًا
अजर
ʿaẓīman
عَظِيمًا
बहुत बड़ा
उनकी अधिकतर काना-फूसियों में कोई भलाई नहीं होती। हाँ, जो व्यक्ति सदक़ा देने या भलाई करने या लोगों के बीच सुधार के लिए कुछ कहे, तो उसकी बात और है। और जो कोई यह काम अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए करेगा, उसे हम निश्चय ही बड़ा प्रतिदान प्रदान करेंगे ([४] अन-निसा: 114)
Tafseer (तफ़सीर )
११५

وَمَنْ يُّشَاقِقِ الرَّسُوْلَ مِنْۢ بَعْدِ مَا تَبَيَّنَ لَهُ الْهُدٰى وَيَتَّبِعْ غَيْرَ سَبِيْلِ الْمُؤْمِنِيْنَ نُوَلِّهٖ مَا تَوَلّٰى وَنُصْلِهٖ جَهَنَّمَۗ وَسَاۤءَتْ مَصِيْرًا ࣖ ١١٥

waman
وَمَن
और जो कोई
yushāqiqi
يُشَاقِقِ
मुख़ालिफ़त करे
l-rasūla
ٱلرَّسُولَ
रसूल की
min
مِنۢ
बाद उसके
baʿdi
بَعْدِ
बाद उसके
مَا
जो
tabayyana
تَبَيَّنَ
वाज़ेह हो गई
lahu
لَهُ
उसके लिए
l-hudā
ٱلْهُدَىٰ
हिदायत
wayattabiʿ
وَيَتَّبِعْ
और पैरवी करे
ghayra
غَيْرَ
मोमिनों के रास्ते के अलावा
sabīli
سَبِيلِ
मोमिनों के रास्ते के अलावा
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों के रास्ते के अलावा
nuwallihi
نُوَلِّهِۦ
हम फेर देंगे उसे
مَا
जिधर
tawallā
تَوَلَّىٰ
वो फिर गया
wanuṣ'lihi
وَنُصْلِهِۦ
और हम जलाऐंगे उसे
jahannama
جَهَنَّمَۖ
जहन्नम में
wasāat
وَسَآءَتْ
और कितनी बुरी है
maṣīran
مَصِيرًا
लौटने की जगह
और जो क्यक्ति, इसके पश्चात भी मार्गदर्शन खुलकर उसके सामने आ गया है, रसूल का विरोध करेगा और ईमानवालों के मार्ग के अतिरिक्त किसी और मार्ग पर चलेगा तो उसे हम उसी पर चलने देंगे, जिसको उसने अपनाया होगा और उसे जहन्नम में झोंक देंगे, और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है ([४] अन-निसा: 115)
Tafseer (तफ़सीर )
११६

اِنَّ اللّٰهَ لَا يَغْفِرُ اَنْ يُّشْرَكَ بِهٖ وَيَغْفِرُ مَا دُوْنَ ذٰلِكَ لِمَنْ يَّشَاۤءُ ۗ وَمَنْ يُّشْرِكْ بِاللّٰهِ فَقَدْ ضَلَّ ضَلٰلًا ۢ بَعِيْدًا ١١٦

inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं बख़्शेगा
yaghfiru
يَغْفِرُ
नहीं बख़्शेगा
an
أَن
कि
yush'raka
يُشْرَكَ
शिर्क किया जाए
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
wayaghfiru
وَيَغْفِرُ
और वो बख्श देगा
مَا
जो
dūna
دُونَ
अलावा हो
dhālika
ذَٰلِكَ
उसके
liman
لِمَن
जिसके लिए
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहेगा
waman
وَمَن
और जो कोई
yush'rik
يُشْرِكْ
शिर्क करेगा
bil-lahi
بِٱللَّهِ
साथ अल्लाह के
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
ḍalla
ضَلَّ
वो भटक गया
ḍalālan
ضَلَٰلًۢا
भटकना
baʿīdan
بَعِيدًا
बहुत दूर का
निस्संदेह अल्लाह इस चीज़ को क्षमा नहीं करेगा कि उसके साथ किसी को शामिल किया जाए। हाँ, इससे नीचे दर्जे के अपराध को, जिसके लिए चाहेगा, क्षमा कर देगा। जो अल्लाह के साथ किसी को साझी ठहराता है, तो वह भटककर बहुत दूर जा पड़ा ([४] अन-निसा: 116)
Tafseer (तफ़सीर )
११७

اِنْ يَّدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖٓ اِلَّآ اِنَاثًاۚ وَاِنْ يَّدْعُوْنَ اِلَّا شَيْطٰنًا مَّرِيْدًاۙ ١١٧

in
إِن
नहीं
yadʿūna
يَدْعُونَ
वो पुकारते
min
مِن
उसके सिवा
dūnihi
دُونِهِۦٓ
उसके सिवा
illā
إِلَّآ
मगर
ināthan
إِنَٰثًا
औरतों / देवियों को
wa-in
وَإِن
और नहीं
yadʿūna
يَدْعُونَ
वो पुकारते
illā
إِلَّا
मगर
shayṭānan
شَيْطَٰنًا
शैतान
marīdan
مَّرِيدًا
सरकश को
वे अल्लाह से हटकर बस कुछ देवियों को पुकारते है। और वे तो बस सरकश शैतान को पुकारते है; ([४] अन-निसा: 117)
Tafseer (तफ़सीर )
११८

لَّعَنَهُ اللّٰهُ ۘ وَقَالَ لَاَتَّخِذَنَّ مِنْ عِبَادِكَ نَصِيْبًا مَّفْرُوْضًاۙ ١١٨

laʿanahu
لَّعَنَهُ
लानत की उस पर
l-lahu
ٱللَّهُۘ
अल्लाह ने
waqāla
وَقَالَ
और कहा उसने
la-attakhidhanna
لَأَتَّخِذَنَّ
अलबत्ता मैं ज़रूर लेकर रहूँगा
min
مِنْ
तेरे बन्दों में से
ʿibādika
عِبَادِكَ
तेरे बन्दों में से
naṣīban
نَصِيبًا
एक हिस्सा
mafrūḍan
مَّفْرُوضًا
मुक़र्रर
जिसपर अल्लाह की फिटकार है। उसने कहा था, 'मैं तेरे बन्दों में से एख निश्चित हिस्सा लेकर रहूँगा ([४] अन-निसा: 118)
Tafseer (तफ़सीर )
११९

وَّلَاُضِلَّنَّهُمْ وَلَاُمَنِّيَنَّهُمْ وَلَاٰمُرَنَّهُمْ فَلَيُبَتِّكُنَّ اٰذَانَ الْاَنْعَامِ وَلَاٰمُرَنَّهُمْ فَلَيُغَيِّرُنَّ خَلْقَ اللّٰهِ ۚ وَمَنْ يَّتَّخِذِ الشَّيْطٰنَ وَلِيًّا مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ فَقَدْ خَسِرَ خُسْرَانًا مُّبِيْنًا ١١٩

wala-uḍillannahum
وَلَأُضِلَّنَّهُمْ
और अलबत्ता मैं ज़रूर भटकाऊँगा उन्हें
wala-umanniyannahum
وَلَأُمَنِّيَنَّهُمْ
और अलबत्ता मैं ज़रूर उम्मीदें दिलाऊँगा उन्हें
walaāmurannahum
وَلَءَامُرَنَّهُمْ
और अलबत्ता मैं ज़रूर हुक्म दूँगा उन्हें
falayubattikunna
فَلَيُبَتِّكُنَّ
फिर अलबत्ता वो ज़रूर काटेंगे
ādhāna
ءَاذَانَ
कान
l-anʿāmi
ٱلْأَنْعَٰمِ
मवेशियों के
walaāmurannahum
وَلَءَامُرَنَّهُمْ
और अलबत्ता मैं ज़रूर हुक्म दूँगा उन्हें
falayughayyirunna
فَلَيُغَيِّرُنَّ
पस अलबत्ता वो ज़रूर बदल देंगे
khalqa
خَلْقَ
तख़्लीक़
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह की
waman
وَمَن
और जो कोई
yattakhidhi
يَتَّخِذِ
बनाएगा
l-shayṭāna
ٱلشَّيْطَٰنَ
शैतान को
waliyyan
وَلِيًّا
दोस्त
min
مِّن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
khasira
خَسِرَ
उसने नुक़सान उठाया
khus'rānan
خُسْرَانًا
नुक़सान उठाना
mubīnan
مُّبِينًا
खुल्लम-खुल्ला
'और उन्हें अवश्य ही भटकाऊँगा और उन्हें कामनाओं में उलझाऊँगा, और उन्हें हुक्म दूँगा तो वे चौपायों के कान फाड़ेगे, और उन्हें मैं सुझाव दूँगा तो वे अल्लाह की संरचना में परिवर्तन करेंगे।' और जिसने अल्लाह से हटकर शैतान को अपना संरक्षक और मित्र बनाया, वह खुले घाटे में पड़ गया ([४] अन-निसा: 119)
Tafseer (तफ़सीर )
१२०

يَعِدُهُمْ وَيُمَنِّيْهِمْۗ وَمَا يَعِدُهُمُ الشَّيْطٰنُ اِلَّا غُرُوْرًا ١٢٠

yaʿiduhum
يَعِدُهُمْ
वो वादा करता है उनसे
wayumannīhim
وَيُمَنِّيهِمْۖ
और उम्मीदें दिलाता है उन्हें
wamā
وَمَا
और नहीं
yaʿiduhumu
يَعِدُهُمُ
वादा करता उनसे
l-shayṭānu
ٱلشَّيْطَٰنُ
शैतान
illā
إِلَّا
मगर
ghurūran
غُرُورًا
धोखे का
वह उनसे वादा करता है और उन्हें कामनाओं में उलझाए रखता है, हालाँकि शैतान उनसे जो कुछ वादा करता है वह एक धोके के सिवा कुछ भी नहीं होता ([४] अन-निसा: 120)
Tafseer (तफ़सीर )