وَمَنْ يَّكْسِبْ اِثْمًا فَاِنَّمَا يَكْسِبُهٗ عَلٰى نَفْسِهٖ ۗ وَكَانَ اللّٰهُ عَلِيْمًا حَكِيْمًا ١١١
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yaksib
- يَكْسِبْ
- कमाए
- ith'man
- إِثْمًا
- कोई गुनाह
- fa-innamā
- فَإِنَّمَا
- तो बेशक
- yaksibuhu
- يَكْسِبُهُۥ
- वो कमाता है उसे
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपने ख़िलाफ़
- nafsihi
- نَفْسِهِۦۚ
- अपने ख़िलाफ़
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿalīman
- عَلِيمًا
- बहुत इल्म वाला
- ḥakīman
- حَكِيمًا
- बहुत हिकमत वाला
और जो व्यक्ति गुनाह कमाए, तो वह अपने ही लिए कमाता है। अल्लाह तो सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है ([४] अन-निसा: 111)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ يَّكْسِبْ خَطِيْۤـَٔةً اَوْ اِثْمًا ثُمَّ يَرْمِ بِهٖ بَرِيْۤـًٔا فَقَدِ احْتَمَلَ بُهْتَانًا وَّاِثْمًا مُّبِيْنًا ࣖ ١١٢
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yaksib
- يَكْسِبْ
- कमाए
- khaṭīatan
- خَطِيٓـَٔةً
- कोई ख़ता
- aw
- أَوْ
- या
- ith'man
- إِثْمًا
- कोई गुनाह
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yarmi
- يَرْمِ
- वो इल्ज़ाम लगाए
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- barīan
- بَرِيٓـًٔا
- किसी बेगुनाह पर
- faqadi
- فَقَدِ
- पस तहक़ीक़
- iḥ'tamala
- ٱحْتَمَلَ
- उसने उठाया
- buh'tānan
- بُهْتَٰنًا
- बोहतान
- wa-ith'man
- وَإِثْمًا
- और गुनाह
- mubīnan
- مُّبِينًا
- खुल्लम-खुल्ला
और जो व्यक्ति कोई ग़लती या गुनाह की कमाई करे, फिर उसे किसी निर्दोष पर थोप दे, तो उसने एक बड़े लांछन और खुले गुनाह का बोझ अपने ऊपर ले लिया ([४] अन-निसा: 112)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَوْلَا فَضْلُ اللّٰهِ عَلَيْكَ وَرَحْمَتُهٗ لَهَمَّتْ طَّاۤىِٕفَةٌ مِّنْهُمْ اَنْ يُّضِلُّوْكَۗ وَمَا يُضِلُّوْنَ اِلَّآ اَنْفُسَهُمْ وَمَا يَضُرُّوْنَكَ مِنْ شَيْءٍ ۗ وَاَنْزَلَ اللّٰهُ عَلَيْكَ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ وَعَلَّمَكَ مَا لَمْ تَكُنْ تَعْلَمُۗ وَكَانَ فَضْلُ اللّٰهِ عَلَيْكَ عَظِيْمًا ١١٣
- walawlā
- وَلَوْلَا
- और अगर ना होता
- faḍlu
- فَضْلُ
- फ़ज़ल
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- waraḥmatuhu
- وَرَحْمَتُهُۥ
- और रहमत उसकी
- lahammat
- لَهَمَّت
- अलबत्ता इरादा कर लिया था
- ṭāifatun
- طَّآئِفَةٌ
- एक गिरोह ने
- min'hum
- مِّنْهُمْ
- उनमें से
- an
- أَن
- कि
- yuḍillūka
- يُضِلُّوكَ
- वो बहका दें आपको
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yuḍillūna
- يُضِلُّونَ
- वो बहकाते
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- anfusahum
- أَنفُسَهُمْۖ
- अपने आपको
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yaḍurrūnaka
- يَضُرُّونَكَ
- वो नुक़सान दे सकते आपको
- min
- مِن
- कुछ भी
- shayin
- شَىْءٍۚ
- कुछ भी
- wa-anzala
- وَأَنزَلَ
- और नाज़िल की
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- wal-ḥik'mata
- وَٱلْحِكْمَةَ
- और हिकमत
- waʿallamaka
- وَعَلَّمَكَ
- और सिखाया आपको
- mā
- مَا
- वो जो
- lam
- لَمْ
- ना
- takun
- تَكُن
- थे आप
- taʿlamu
- تَعْلَمُۚ
- आप जानते
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- faḍlu
- فَضْلُ
- फ़ज़ल
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- ʿaẓīman
- عَظِيمًا
- बहुत बड़ा
यदि तुमपर अल्लाह का उदार अनुग्रह और उसकी दयालुता न होती तो उनमें से कुछ लोग तो यह निश्चय कर ही चुके थे कि तुम्हें राह से भटका दें, हालाँकि वे अपने आप ही को पथभ्रष्टि कर रहे है, और तुम्हें वे कोई हानि नहीं पहुँचा सकते। अल्लाह ने तुमपर किताब और हिकमत (तत्वदर्शिता) उतारी है और उसने तुम्हें वह कुछ सिखाया है जो तुम जानते न थे। अल्लाह का तुमपर बहुत बड़ा अनुग्रह है ([४] अन-निसा: 113)Tafseer (तफ़सीर )
۞ لَا خَيْرَ فِيْ كَثِيْرٍ مِّنْ نَّجْوٰىهُمْ اِلَّا مَنْ اَمَرَ بِصَدَقَةٍ اَوْ مَعْرُوْفٍ اَوْ اِصْلَاحٍۢ بَيْنَ النَّاسِۗ وَمَنْ يَّفْعَلْ ذٰلِكَ ابْتِغَاۤءَ مَرْضَاتِ اللّٰهِ فَسَوْفَ نُؤْتِيْهِ اَجْرًا عَظِيْمًا ١١٤
- lā
- لَّا
- नहीं कोई भलाई
- khayra
- خَيْرَ
- नहीं कोई भलाई
- fī
- فِى
- बहुत सी
- kathīrin
- كَثِيرٍ
- बहुत सी
- min
- مِّن
- उनकी सरगोशियों में
- najwāhum
- نَّجْوَىٰهُمْ
- उनकी सरगोशियों में
- illā
- إِلَّا
- सिवाय
- man
- مَنْ
- उसके जो
- amara
- أَمَرَ
- हुक्म दे
- biṣadaqatin
- بِصَدَقَةٍ
- सदक़ा का
- aw
- أَوْ
- या
- maʿrūfin
- مَعْرُوفٍ
- नेकी का
- aw
- أَوْ
- या
- iṣ'lāḥin
- إِصْلَٰحٍۭ
- इस्लाह का
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِۚ
- लोगों के
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yafʿal
- يَفْعَلْ
- करेगा
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- ib'tighāa
- ٱبْتِغَآءَ
- चाहने को
- marḍāti
- مَرْضَاتِ
- रज़ा / रज़ामन्दी
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- fasawfa
- فَسَوْفَ
- तो अनक़रीब
- nu'tīhi
- نُؤْتِيهِ
- हम देंगे उसे
- ajran
- أَجْرًا
- अजर
- ʿaẓīman
- عَظِيمًا
- बहुत बड़ा
उनकी अधिकतर काना-फूसियों में कोई भलाई नहीं होती। हाँ, जो व्यक्ति सदक़ा देने या भलाई करने या लोगों के बीच सुधार के लिए कुछ कहे, तो उसकी बात और है। और जो कोई यह काम अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए करेगा, उसे हम निश्चय ही बड़ा प्रतिदान प्रदान करेंगे ([४] अन-निसा: 114)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ يُّشَاقِقِ الرَّسُوْلَ مِنْۢ بَعْدِ مَا تَبَيَّنَ لَهُ الْهُدٰى وَيَتَّبِعْ غَيْرَ سَبِيْلِ الْمُؤْمِنِيْنَ نُوَلِّهٖ مَا تَوَلّٰى وَنُصْلِهٖ جَهَنَّمَۗ وَسَاۤءَتْ مَصِيْرًا ࣖ ١١٥
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yushāqiqi
- يُشَاقِقِ
- मुख़ालिफ़त करे
- l-rasūla
- ٱلرَّسُولَ
- रसूल की
- min
- مِنۢ
- बाद उसके
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद उसके
- mā
- مَا
- जो
- tabayyana
- تَبَيَّنَ
- वाज़ेह हो गई
- lahu
- لَهُ
- उसके लिए
- l-hudā
- ٱلْهُدَىٰ
- हिदायत
- wayattabiʿ
- وَيَتَّبِعْ
- और पैरवी करे
- ghayra
- غَيْرَ
- मोमिनों के रास्ते के अलावा
- sabīli
- سَبِيلِ
- मोमिनों के रास्ते के अलावा
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों के रास्ते के अलावा
- nuwallihi
- نُوَلِّهِۦ
- हम फेर देंगे उसे
- mā
- مَا
- जिधर
- tawallā
- تَوَلَّىٰ
- वो फिर गया
- wanuṣ'lihi
- وَنُصْلِهِۦ
- और हम जलाऐंगे उसे
- jahannama
- جَهَنَّمَۖ
- जहन्नम में
- wasāat
- وَسَآءَتْ
- और कितनी बुरी है
- maṣīran
- مَصِيرًا
- लौटने की जगह
और जो क्यक्ति, इसके पश्चात भी मार्गदर्शन खुलकर उसके सामने आ गया है, रसूल का विरोध करेगा और ईमानवालों के मार्ग के अतिरिक्त किसी और मार्ग पर चलेगा तो उसे हम उसी पर चलने देंगे, जिसको उसने अपनाया होगा और उसे जहन्नम में झोंक देंगे, और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है ([४] अन-निसा: 115)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ اللّٰهَ لَا يَغْفِرُ اَنْ يُّشْرَكَ بِهٖ وَيَغْفِرُ مَا دُوْنَ ذٰلِكَ لِمَنْ يَّشَاۤءُ ۗ وَمَنْ يُّشْرِكْ بِاللّٰهِ فَقَدْ ضَلَّ ضَلٰلًا ۢ بَعِيْدًا ١١٦
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं बख़्शेगा
- yaghfiru
- يَغْفِرُ
- नहीं बख़्शेगा
- an
- أَن
- कि
- yush'raka
- يُشْرَكَ
- शिर्क किया जाए
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- wayaghfiru
- وَيَغْفِرُ
- और वो बख्श देगा
- mā
- مَا
- जो
- dūna
- دُونَ
- अलावा हो
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- उसके
- liman
- لِمَن
- जिसके लिए
- yashāu
- يَشَآءُۚ
- वो चाहेगा
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yush'rik
- يُشْرِكْ
- शिर्क करेगा
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- साथ अल्लाह के
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- ḍalla
- ضَلَّ
- वो भटक गया
- ḍalālan
- ضَلَٰلًۢا
- भटकना
- baʿīdan
- بَعِيدًا
- बहुत दूर का
निस्संदेह अल्लाह इस चीज़ को क्षमा नहीं करेगा कि उसके साथ किसी को शामिल किया जाए। हाँ, इससे नीचे दर्जे के अपराध को, जिसके लिए चाहेगा, क्षमा कर देगा। जो अल्लाह के साथ किसी को साझी ठहराता है, तो वह भटककर बहुत दूर जा पड़ा ([४] अन-निसा: 116)Tafseer (तफ़सीर )
اِنْ يَّدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖٓ اِلَّآ اِنَاثًاۚ وَاِنْ يَّدْعُوْنَ اِلَّا شَيْطٰنًا مَّرِيْدًاۙ ١١٧
- in
- إِن
- नहीं
- yadʿūna
- يَدْعُونَ
- वो पुकारते
- min
- مِن
- उसके सिवा
- dūnihi
- دُونِهِۦٓ
- उसके सिवा
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- ināthan
- إِنَٰثًا
- औरतों / देवियों को
- wa-in
- وَإِن
- और नहीं
- yadʿūna
- يَدْعُونَ
- वो पुकारते
- illā
- إِلَّا
- मगर
- shayṭānan
- شَيْطَٰنًا
- शैतान
- marīdan
- مَّرِيدًا
- सरकश को
वे अल्लाह से हटकर बस कुछ देवियों को पुकारते है। और वे तो बस सरकश शैतान को पुकारते है; ([४] अन-निसा: 117)Tafseer (तफ़सीर )
لَّعَنَهُ اللّٰهُ ۘ وَقَالَ لَاَتَّخِذَنَّ مِنْ عِبَادِكَ نَصِيْبًا مَّفْرُوْضًاۙ ١١٨
- laʿanahu
- لَّعَنَهُ
- लानत की उस पर
- l-lahu
- ٱللَّهُۘ
- अल्लाह ने
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा उसने
- la-attakhidhanna
- لَأَتَّخِذَنَّ
- अलबत्ता मैं ज़रूर लेकर रहूँगा
- min
- مِنْ
- तेरे बन्दों में से
- ʿibādika
- عِبَادِكَ
- तेरे बन्दों में से
- naṣīban
- نَصِيبًا
- एक हिस्सा
- mafrūḍan
- مَّفْرُوضًا
- मुक़र्रर
जिसपर अल्लाह की फिटकार है। उसने कहा था, 'मैं तेरे बन्दों में से एख निश्चित हिस्सा लेकर रहूँगा ([४] अन-निसा: 118)Tafseer (तफ़सीर )
وَّلَاُضِلَّنَّهُمْ وَلَاُمَنِّيَنَّهُمْ وَلَاٰمُرَنَّهُمْ فَلَيُبَتِّكُنَّ اٰذَانَ الْاَنْعَامِ وَلَاٰمُرَنَّهُمْ فَلَيُغَيِّرُنَّ خَلْقَ اللّٰهِ ۚ وَمَنْ يَّتَّخِذِ الشَّيْطٰنَ وَلِيًّا مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ فَقَدْ خَسِرَ خُسْرَانًا مُّبِيْنًا ١١٩
- wala-uḍillannahum
- وَلَأُضِلَّنَّهُمْ
- और अलबत्ता मैं ज़रूर भटकाऊँगा उन्हें
- wala-umanniyannahum
- وَلَأُمَنِّيَنَّهُمْ
- और अलबत्ता मैं ज़रूर उम्मीदें दिलाऊँगा उन्हें
- walaāmurannahum
- وَلَءَامُرَنَّهُمْ
- और अलबत्ता मैं ज़रूर हुक्म दूँगा उन्हें
- falayubattikunna
- فَلَيُبَتِّكُنَّ
- फिर अलबत्ता वो ज़रूर काटेंगे
- ādhāna
- ءَاذَانَ
- कान
- l-anʿāmi
- ٱلْأَنْعَٰمِ
- मवेशियों के
- walaāmurannahum
- وَلَءَامُرَنَّهُمْ
- और अलबत्ता मैं ज़रूर हुक्म दूँगा उन्हें
- falayughayyirunna
- فَلَيُغَيِّرُنَّ
- पस अलबत्ता वो ज़रूर बदल देंगे
- khalqa
- خَلْقَ
- तख़्लीक़
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह की
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yattakhidhi
- يَتَّخِذِ
- बनाएगा
- l-shayṭāna
- ٱلشَّيْطَٰنَ
- शैतान को
- waliyyan
- وَلِيًّا
- दोस्त
- min
- مِّن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- khasira
- خَسِرَ
- उसने नुक़सान उठाया
- khus'rānan
- خُسْرَانًا
- नुक़सान उठाना
- mubīnan
- مُّبِينًا
- खुल्लम-खुल्ला
'और उन्हें अवश्य ही भटकाऊँगा और उन्हें कामनाओं में उलझाऊँगा, और उन्हें हुक्म दूँगा तो वे चौपायों के कान फाड़ेगे, और उन्हें मैं सुझाव दूँगा तो वे अल्लाह की संरचना में परिवर्तन करेंगे।' और जिसने अल्लाह से हटकर शैतान को अपना संरक्षक और मित्र बनाया, वह खुले घाटे में पड़ गया ([४] अन-निसा: 119)Tafseer (तफ़सीर )
يَعِدُهُمْ وَيُمَنِّيْهِمْۗ وَمَا يَعِدُهُمُ الشَّيْطٰنُ اِلَّا غُرُوْرًا ١٢٠
- yaʿiduhum
- يَعِدُهُمْ
- वो वादा करता है उनसे
- wayumannīhim
- وَيُمَنِّيهِمْۖ
- और उम्मीदें दिलाता है उन्हें
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yaʿiduhumu
- يَعِدُهُمُ
- वादा करता उनसे
- l-shayṭānu
- ٱلشَّيْطَٰنُ
- शैतान
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ghurūran
- غُرُورًا
- धोखे का
वह उनसे वादा करता है और उन्हें कामनाओं में उलझाए रखता है, हालाँकि शैतान उनसे जो कुछ वादा करता है वह एक धोके के सिवा कुछ भी नहीं होता ([४] अन-निसा: 120)Tafseer (तफ़सीर )