Skip to content

सूरा अन-निसा - Page: 10

An-Nisa

(औरत)

९१

سَتَجِدُوْنَ اٰخَرِيْنَ يُرِيْدُوْنَ اَنْ يَّأْمَنُوْكُمْ وَيَأْمَنُوْا قَوْمَهُمْ ۗ كُلَّ مَا رُدُّوْٓا اِلَى الْفِتْنَةِ اُرْكِسُوْا فِيْهَا ۚ فَاِنْ لَّمْ يَعْتَزِلُوْكُمْ وَيُلْقُوْٓا اِلَيْكُمُ السَّلَمَ وَيَكُفُّوْٓا اَيْدِيَهُمْ فَخُذُوْهُمْ وَاقْتُلُوْهُمْ حَيْثُ ثَقِفْتُمُوْهُمْ ۗ وَاُولٰۤىِٕكُمْ جَعَلْنَا لَكُمْ عَلَيْهِمْ سُلْطٰنًا مُّبِيْنًا ࣖ ٩١

satajidūna
سَتَجِدُونَ
अनक़रीब तुम पाओगे
ākharīna
ءَاخَرِينَ
कुछ दूसरों को
yurīdūna
يُرِيدُونَ
वो चाहते हैं
an
أَن
कि
yamanūkum
يَأْمَنُوكُمْ
वो अमन में रहें तुम से
wayamanū
وَيَأْمَنُوا۟
और वो अमन में रहें
qawmahum
قَوْمَهُمْ
अपनी क़ौम से
kulla
كُلَّ
जब कभी
مَا
जब कभी
ruddū
رُدُّوٓا۟
वो लौटाए जाते हैं
ilā
إِلَى
तरफ़ फ़ितने के
l-fit'nati
ٱلْفِتْنَةِ
तरफ़ फ़ितने के
ur'kisū
أُرْكِسُوا۟
वो उल्टा दिए जाते हैं
fīhā
فِيهَاۚ
उसमें
fa-in
فَإِن
फिर अगर
lam
لَّمْ
ना
yaʿtazilūkum
يَعْتَزِلُوكُمْ
वो अलग रहें तुम से
wayul'qū
وَيُلْقُوٓا۟
और (ना) वो डालें
ilaykumu
إِلَيْكُمُ
तरफ़ तुम्हारे
l-salama
ٱلسَّلَمَ
सुलह को
wayakuffū
وَيَكُفُّوٓا۟
और (ना) वो रोकें
aydiyahum
أَيْدِيَهُمْ
अपने हाथों को
fakhudhūhum
فَخُذُوهُمْ
तो पकड़ो उन्हें
wa-uq'tulūhum
وَٱقْتُلُوهُمْ
और क़त्ल करो उन्हें
ḥaythu
حَيْثُ
जहाँ कहीं
thaqif'tumūhum
ثَقِفْتُمُوهُمْۚ
पाओ तुम उन्हें
wa-ulāikum
وَأُو۟لَٰٓئِكُمْ
और यही वो लोग हैं
jaʿalnā
جَعَلْنَا
बनाया हमने
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
जिन पर
sul'ṭānan
سُلْطَٰنًا
ग़लबा
mubīnan
مُّبِينًا
वाज़ेह
अब तुम कुछ ऐसे लोगों को भी पाओगे, जो चाहते है कि तुम्हारी ओर से निश्चिन्त होकर रहें और अपने लोगों की ओर से भी निश्चिन्त होकर रहे। परन्तु जब भी वे फ़साद और उपद्रव की ओर फेरे गए तो वे उसी में औधे जो गिरे। तो यदि वे तुमसे अलग-थलग न रहें और तुम्हारी ओर सुलह का हाथ न बढ़ाएँ, और अपने हाथ न रोकें, तो तुम उन्हें पकड़ो और क़त्ल करो, जहाँ कहीं भी तुम उन्हें पाओ। उनके विरुद्ध हमने तुम्हें खुला अधिकार दे रखा है ([४] अन-निसा: 91)
Tafseer (तफ़सीर )
९२

وَمَا كَانَ لِمُؤْمِنٍ اَنْ يَّقْتُلَ مُؤْمِنًا اِلَّا خَطَـًٔا ۚ وَمَنْ قَتَلَ مُؤْمِنًا خَطَـًٔا فَتَحْرِيْرُ رَقَبَةٍ مُّؤْمِنَةٍ وَّدِيَةٌ مُّسَلَّمَةٌ اِلٰٓى اَهْلِهٖٓ اِلَّآ اَنْ يَّصَّدَّقُوْا ۗ فَاِنْ كَانَ مِنْ قَوْمٍ عَدُوٍّ لَّكُمْ وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَتَحْرِيْرُ رَقَبَةٍ مُّؤْمِنَةٍ ۗوَاِنْ كَانَ مِنْ قَوْمٍۢ بَيْنَكُمْ وَبَيْنَهُمْ مِّيْثَاقٌ فَدِيَةٌ مُّسَلَّمَةٌ اِلٰٓى اَهْلِهٖ وَتَحْرِيْرُ رَقَبَةٍ مُّؤْمِنَةٍ ۚ فَمَنْ لَّمْ يَجِدْ فَصِيَامُ شَهْرَيْنِ مُتَتَابِعَيْنِۖ تَوْبَةً مِّنَ اللّٰهِ ۗوَكَانَ اللّٰهُ عَلِيْمًا حَكِيْمًا ٩٢

wamā
وَمَا
और नहीं
kāna
كَانَ
है
limu'minin
لِمُؤْمِنٍ
किसी मोमिन के लिए
an
أَن
कि
yaqtula
يَقْتُلَ
वो क़त्ल कर दे
mu'minan
مُؤْمِنًا
किसी मोमिन को
illā
إِلَّا
मगर
khaṭa-an
خَطَـًٔاۚ
ख़ता से
waman
وَمَن
और जो
qatala
قَتَلَ
क़त्ल करे
mu'minan
مُؤْمِنًا
किसी मोमिन को
khaṭa-an
خَطَـًٔا
ख़ता से
fataḥrīru
فَتَحْرِيرُ
तो आज़ाद करना है
raqabatin
رَقَبَةٍ
एक गर्दन (ग़ुलाम)
mu'minatin
مُّؤْمِنَةٍ
मोमिन का
wadiyatun
وَدِيَةٌ
और दियत
musallamatun
مُّسَلَّمَةٌ
जो सुपुर्द की जाएगी
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़
ahlihi
أَهْلِهِۦٓ
उसके अहल (वारिस) के
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
yaṣṣaddaqū
يَصَّدَّقُوا۟ۚ
वो माफ़ कर दें
fa-in
فَإِن
फिर अगर
kāna
كَانَ
है वो
min
مِن
ऐसी क़ौम से
qawmin
قَوْمٍ
ऐसी क़ौम से
ʿaduwwin
عَدُوٍّ
जो दुश्मन है
lakum
لَّكُمْ
तुम्हारी
wahuwa
وَهُوَ
और वो
mu'minun
مُؤْمِنٌ
मोमिन है
fataḥrīru
فَتَحْرِيرُ
तो आज़ाद करना है
raqabatin
رَقَبَةٍ
एक गर्दन (ग़ुलाम)
mu'minatin
مُّؤْمِنَةٍۖ
मोमिन का
wa-in
وَإِن
और अगर
kāna
كَانَ
है वो
min
مِن
उस क़ौम से
qawmin
قَوْمٍۭ
उस क़ौम से
baynakum
بَيْنَكُمْ
दर्मियान तुम्हारे
wabaynahum
وَبَيْنَهُم
और दर्मियान उनके
mīthāqun
مِّيثَٰقٌ
पुख़्ता अहद है
fadiyatun
فَدِيَةٌ
तो दियत
musallamatun
مُّسَلَّمَةٌ
जो सुपुर्द की जाएगी
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़
ahlihi
أَهْلِهِۦ
उसके अहल (वारिस) के
wataḥrīru
وَتَحْرِيرُ
और आज़ाद करना है
raqabatin
رَقَبَةٍ
एक गर्दन (ग़ुलाम)
mu'minatin
مُّؤْمِنَةٍۖ
मोमिन का
faman
فَمَن
तो जो कोई
lam
لَّمْ
ना
yajid
يَجِدْ
पाए
faṣiyāmu
فَصِيَامُ
पस रोज़े रखना है
shahrayni
شَهْرَيْنِ
दो माह
mutatābiʿayni
مُتَتَابِعَيْنِ
मुसलसल/ पै-दर-पै
tawbatan
تَوْبَةً
तौबा का (क़ुबूल करना है)
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह की तरफ़ से
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalīman
عَلِيمًا
बहुत इल्म वाला
ḥakīman
حَكِيمًا
बहुत हिकमत वाला
किसी ईमानवाले का यह काम नहीं कि वह किसी ईमानवाले का हत्या करे, भूल-चूक की बात और है। और यदि कोई क्यक्ति यदि ग़लती से किसी ईमानवाले की हत्या कर दे, तो एक मोमिन ग़ुलाम को आज़ाद करना होगा और अर्थदंड उस (मारे गए क्यक्ति) के घरवालों को सौंपा जाए। यह और बात है कि वे अपनी ख़ुशी से छोड़ दें। और यदि वह उन लोगों में से हो, जो तुम्हारे शत्रु हों और वह (मारा जानेवाला) स्वयं मोमिन रहा तो एक मोमिन को ग़ुलामी से आज़ाद करना होगा। और यदि वह उन लोगों में से हो कि तुम्हारे और उनके बीच कोई संधि और समझौता हो, तो अर्थदंड उसके घरवालों को सौंपा जाए और एक मोमिन को ग़ुलामी से आज़ाद करना होगा। लेकिन जो (ग़ुलाम) न पाए तो वह निरन्तर दो मास के रोज़े रखे। यह अल्लाह की ओर से निश्चित किया हुआ उसकी तरफ़ पलट आने का तरीक़ा है। अल्लाह तो सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है ([४] अन-निसा: 92)
Tafseer (तफ़सीर )
९३

وَمَنْ يَّقْتُلْ مُؤْمِنًا مُّتَعَمِّدًا فَجَزَاۤؤُهٗ جَهَنَّمُ خَالِدًا فِيْهَا وَغَضِبَ اللّٰهُ عَلَيْهِ وَلَعَنَهٗ وَاَعَدَّ لَهٗ عَذَابًا عَظِيْمًا ٩٣

waman
وَمَن
और जो
yaqtul
يَقْتُلْ
क़त्ल करे
mu'minan
مُؤْمِنًا
किसी मोमिन को
mutaʿammidan
مُّتَعَمِّدًا
जान बूझकर
fajazāuhu
فَجَزَآؤُهُۥ
तो बदला है उसका
jahannamu
جَهَنَّمُ
जहन्नम
khālidan
خَٰلِدًا
हमेशा रहने वाला है
fīhā
فِيهَا
उसमें
waghaḍiba
وَغَضِبَ
और ग़ज़बनाक हुआ
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
walaʿanahu
وَلَعَنَهُۥ
और उसने लानत की उस पर
wa-aʿadda
وَأَعَدَّ
और उसने तैयार कर रखा है
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
ʿadhāban
عَذَابًا
अज़ाब
ʿaẓīman
عَظِيمًا
बहुत बड़ा
और जो व्यक्ति जान-बूझकर किसी मोमिन की हत्या करे, तो उसका बदला जहन्नम है, जिसमें वह सदा रहेगा; उसपर अल्लाह का प्रकोप और उसकी फिटकार है और उसके लिए अल्लाह ने बड़ी यातना तैयार कर रखी है ([४] अन-निसा: 93)
Tafseer (तफ़सीर )
९४

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِذَا ضَرَبْتُمْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ فَتَبَيَّنُوْا وَلَا تَقُوْلُوْا لِمَنْ اَلْقٰىٓ اِلَيْكُمُ السَّلٰمَ لَسْتَ مُؤْمِنًاۚ تَبْتَغُوْنَ عَرَضَ الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا ۖفَعِنْدَ اللّٰهِ مَغَانِمُ كَثِيْرَةٌ ۗ كَذٰلِكَ كُنْتُمْ مِّنْ قَبْلُ فَمَنَّ اللّٰهُ عَلَيْكُمْ فَتَبَيَّنُوْاۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِيْرًا ٩٤

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
idhā
إِذَا
जब
ḍarabtum
ضَرَبْتُمْ
सफ़र करो तुम
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
fatabayyanū
فَتَبَيَّنُوا۟
तो तहक़ीक़ कर लिया करो
walā
وَلَا
और ना
taqūlū
تَقُولُوا۟
तुम कहो
liman
لِمَنْ
उसके लिए जो
alqā
أَلْقَىٰٓ
डाले
ilaykumu
إِلَيْكُمُ
तरफ़ तुम्हारे
l-salāma
ٱلسَّلَٰمَ
सलाम
lasta
لَسْتَ
नहीं हो तुम
mu'minan
مُؤْمِنًا
मोमिन
tabtaghūna
تَبْتَغُونَ
तुम चाहते हो
ʿaraḍa
عَرَضَ
सामान
l-ḥayati
ٱلْحَيَوٰةِ
ज़िन्दगी का
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
faʿinda
فَعِندَ
तो पास
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
maghānimu
مَغَانِمُ
ग़नीमतें हैं
kathīratun
كَثِيرَةٌۚ
बहुत सी
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
kuntum
كُنتُم
थे तुम
min
مِّن
इससे पहले
qablu
قَبْلُ
इससे पहले
famanna
فَمَنَّ
तो एहसान किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
fatabayyanū
فَتَبَيَّنُوٓا۟ۚ
पस तहक़ीक़ कर लिया करो
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है
bimā
بِمَا
उसकी जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
khabīran
خَبِيرًا
ख़ूब ख़बर रखने वाला
ऐ ईमान लानेवालो! जब तुम अल्लाह के मार्ग से निकलो तो अच्छी तरह पता लगा लो और जो तुम्हें सलाम करे, उससे यह न कहो कि तुम ईमान नहीं रखते, और इससे तुम्हारा ध्येय यह हो कि सांसारिक जीवन का माल प्राप्त करो। अल्लाह ने तुमपर उपकार किया, जो अच्छी तरह पता लगा लिया करो। जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है ([४] अन-निसा: 94)
Tafseer (तफ़सीर )
९५

لَا يَسْتَوِى الْقَاعِدُوْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ غَيْرُ اُولِى الضَّرَرِ وَالْمُجَاهِدُوْنَ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ بِاَمْوَالِهِمْ وَاَنْفُسِهِمْۗ فَضَّلَ اللّٰهُ الْمُجٰهِدِيْنَ بِاَمْوَالِهِمْ وَاَنْفُسِهِمْ عَلَى الْقٰعِدِيْنَ دَرَجَةً ۗ وَكُلًّا وَّعَدَ اللّٰهُ الْحُسْنٰىۗ وَفَضَّلَ اللّٰهُ الْمُجٰهِدِيْنَ عَلَى الْقٰعِدِيْنَ اَجْرًا عَظِيْمًاۙ ٩٥

لَّا
नहीं बराबर हो सकते
yastawī
يَسْتَوِى
नहीं बराबर हो सकते
l-qāʿidūna
ٱلْقَٰعِدُونَ
जो बैठने वाले हैं
mina
مِنَ
मोमिनों में से
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों में से
ghayru
غَيْرُ
सिवाय
ulī
أُو۟لِى
ज़रर वालों (माज़ूर) के
l-ḍarari
ٱلضَّرَرِ
ज़रर वालों (माज़ूर) के
wal-mujāhidūna
وَٱلْمُجَٰهِدُونَ
और जो जिहाद करने वाले हैं
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
bi-amwālihim
بِأَمْوَٰلِهِمْ
साथ अपने मालों के
wa-anfusihim
وَأَنفُسِهِمْۚ
और अपनी जानों के
faḍḍala
فَضَّلَ
फ़ज़ीलत दी
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
l-mujāhidīna
ٱلْمُجَٰهِدِينَ
जिहाद करने वालों को
bi-amwālihim
بِأَمْوَٰلِهِمْ
साथ अपने मालों के
wa-anfusihim
وَأَنفُسِهِمْ
और अपनी जानों के
ʿalā
عَلَى
बैठने वालों पर
l-qāʿidīna
ٱلْقَٰعِدِينَ
बैठने वालों पर
darajatan
دَرَجَةًۚ
दर्जे में
wakullan
وَكُلًّا
और हर एक से
waʿada
وَعَدَ
वादा कर रखा है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
l-ḥus'nā
ٱلْحُسْنَىٰۚ
अच्छा
wafaḍḍala
وَفَضَّلَ
और फ़ज़ीलत दी
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
l-mujāhidīna
ٱلْمُجَٰهِدِينَ
जिहाद करने वालों को
ʿalā
عَلَى
बैठने वालों पर
l-qāʿidīna
ٱلْقَٰعِدِينَ
बैठने वालों पर
ajran
أَجْرًا
अजर की
ʿaẓīman
عَظِيمًا
बहुत बड़े
ईमानवालों में से वे लोग जो बिना किसी कारण के बैठे रहते है और जो अल्लाह के मार्ग में अपने धन और प्राणों के साथ जी-तोड़ कोशिश करते है, दोनों समान नहीं हो सकते। अल्लाह ने बैठे रहनेवालों की अपेक्षा अपने धन और प्राणों से जी-तोड़ कोशिश करनेवालों का दर्जा बढ़ा रखा है। यद्यपि प्रत्यके के लिए अल्लाह ने अच्छे बदले का वचन दिया है। परन्तु अल्लाह ने जी-तोड़ कोशिश करनेवालों का बड़ा बदला रखा है ([४] अन-निसा: 95)
Tafseer (तफ़सीर )
९६

دَرَجٰتٍ مِّنْهُ وَمَغْفِرَةً وَّرَحْمَةً ۗوَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِيْمًا ࣖ ٩٦

darajātin
دَرَجَٰتٍ
दरजात हैं
min'hu
مِّنْهُ
उसकी तरफ़ से
wamaghfiratan
وَمَغْفِرَةً
और बख़्शिश
waraḥmatan
وَرَحْمَةًۚ
और रहमत है
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ghafūran
غَفُورًا
बहुत बख़्शने वाला
raḥīman
رَّحِيمًا
निहायत रहम करने वाला
उसकी ओर से दर्जे है और क्षमा और दयालुता है। और अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है ([४] अन-निसा: 96)
Tafseer (तफ़सीर )
९७

اِنَّ الَّذِيْنَ تَوَفّٰىهُمُ الْمَلٰۤىِٕكَةُ ظَالِمِيْٓ اَنْفُسِهِمْ قَالُوْا فِيْمَ كُنْتُمْ ۗ قَالُوْا كُنَّا مُسْتَضْعَفِيْنَ فِى الْاَرْضِۗ قَالُوْٓا اَلَمْ تَكُنْ اَرْضُ اللّٰهِ وَاسِعَةً فَتُهَاجِرُوْا فِيْهَا ۗ فَاُولٰۤىِٕكَ مَأْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ ۗ وَسَاۤءَتْ مَصِيْرًاۙ ٩٧

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
tawaffāhumu
تَوَفَّىٰهُمُ
फ़ौत करते हैं उन्हें
l-malāikatu
ٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
फ़रिश्ते
ẓālimī
ظَالِمِىٓ
ज़ुल्म करने वाले हैं (जब कि वो)
anfusihim
أَنفُسِهِمْ
अपनी जानों पर
qālū
قَالُوا۟
वो कहते हैं
fīma
فِيمَ
किस (हाल) में
kuntum
كُنتُمْۖ
थे तुम
qālū
قَالُوا۟
वो कहते हैं
kunnā
كُنَّا
थे हम
mus'taḍʿafīna
مُسْتَضْعَفِينَ
कमज़ोर
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِۚ
ज़मीन में
qālū
قَالُوٓا۟
वो कहते हैं
alam
أَلَمْ
क्या नहीं
takun
تَكُنْ
थी
arḍu
أَرْضُ
ज़मीन
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
wāsiʿatan
وَٰسِعَةً
वसीअ
fatuhājirū
فَتُهَاجِرُوا۟
पस तुम हिजरत कर जाते
fīhā
فِيهَاۚ
उसमें
fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
mawāhum
مَأْوَىٰهُمْ
ठिकाना उनका
jahannamu
جَهَنَّمُۖ
जहन्नम है
wasāat
وَسَآءَتْ
और कितना बुरा है
maṣīran
مَصِيرًا
ठिकाना
जो लोग अपने-आप पर अत्याचार करते है, जब फ़रिश्ते उस दशा में उनके प्राण ग्रस्त कर लेते है, तो कहते है, 'तुम किस दशा में पड़े रहे?' वे कहते है, 'हम धरती में निर्बल और बेबस थे।' फ़रिश्ते कहते है, 'क्या अल्लाह की धरती विस्तृत न थी कि तुम उसमें घर-बार छोड़कर कहीं ओर चले जाते?' तो ये वही लोग है जिनका ठिकाना जहन्नम है। - और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है ([४] अन-निसा: 97)
Tafseer (तफ़सीर )
९८

اِلَّا الْمُسْتَضْعَفِيْنَ مِنَ الرِّجَالِ وَالنِّسَاۤءِ وَالْوِلْدَانِ لَا يَسْتَطِيْعُوْنَ حِيْلَةً وَّلَا يَهْتَدُوْنَ سَبِيْلًاۙ ٩٨

illā
إِلَّا
सिवाय (उनके)
l-mus'taḍʿafīna
ٱلْمُسْتَضْعَفِينَ
जो कमज़ोर हैं
mina
مِنَ
मर्दों में से
l-rijāli
ٱلرِّجَالِ
मर्दों में से
wal-nisāi
وَٱلنِّسَآءِ
और औरतों में से
wal-wil'dāni
وَٱلْوِلْدَٰنِ
और बच्चों में से
لَا
नहीं वो इस्तिताअत रखते
yastaṭīʿūna
يَسْتَطِيعُونَ
नहीं वो इस्तिताअत रखते
ḥīlatan
حِيلَةً
किसी हीले / तदबीर की
walā
وَلَا
और नहीं
yahtadūna
يَهْتَدُونَ
वो पाते
sabīlan
سَبِيلًا
कोई रास्ता
सिवाय उन बेबस पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों के जिनके बस में कोई उपाय नहीं और न कोई राह पा रहे है; ([४] अन-निसा: 98)
Tafseer (तफ़सीर )
९९

فَاُولٰۤىِٕكَ عَسَى اللّٰهُ اَنْ يَّعْفُوَ عَنْهُمْ ۗ وَكَانَ اللّٰهُ عَفُوًّا غَفُوْرًا ٩٩

fa-ulāika
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
पस यही लोग
ʿasā
عَسَى
उम्मीद है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
an
أَن
ये कि
yaʿfuwa
يَعْفُوَ
दरगुज़र करे
ʿanhum
عَنْهُمْۚ
उन से
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿafuwwan
عَفُوًّا
बहुत माफ़ करने वाला
ghafūran
غَفُورًا
बहुत बख़्शने वाला
तो सम्भव है कि अल्लाह ऐसे लोगों को छोड़ दे; क्योंकि अल्लाह छोड़ देनेवाला और बड़ा क्षमाशील है ([४] अन-निसा: 99)
Tafseer (तफ़सीर )
१००

۞ وَمَنْ يُّهَاجِرْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ يَجِدْ فِى الْاَرْضِ مُرَاغَمًا كَثِيْرًا وَّسَعَةً ۗوَمَنْ يَّخْرُجْ مِنْۢ بَيْتِهٖ مُهَاجِرًا اِلَى اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ ثُمَّ يُدْرِكْهُ الْمَوْتُ فَقَدْ وَقَعَ اَجْرُهٗ عَلَى اللّٰهِ ۗوَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِيْمًا ࣖ ١٠٠

waman
وَمَن
और जो कोई
yuhājir
يُهَاجِرْ
हिजरत करेगा
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
yajid
يَجِدْ
वो पाएगा
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
murāghaman
مُرَٰغَمًا
जाए पनाह
kathīran
كَثِيرًا
बहुत सी
wasaʿatan
وَسَعَةًۚ
और वुसअत
waman
وَمَن
और जो कोई
yakhruj
يَخْرُجْ
निकलेगा
min
مِنۢ
अपने घर से
baytihi
بَيْتِهِۦ
अपने घर से
muhājiran
مُهَاجِرًا
हिजरत करते हुए
ilā
إِلَى
तरफ़ अल्लाह के
l-lahi
ٱللَّهِ
तरफ़ अल्लाह के
warasūlihi
وَرَسُولِهِۦ
और उसके रसूल के
thumma
ثُمَّ
फिर
yud'rik'hu
يُدْرِكْهُ
पा ले उसे
l-mawtu
ٱلْمَوْتُ
मौत
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
waqaʿa
وَقَعَ
वाक़ेअ हो गया
ajruhu
أَجْرُهُۥ
अजर उसका
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह पर
wakāna
وَكَانَ
और है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ghafūran
غَفُورًا
बहुत बख़्शने वाला
raḥīman
رَّحِيمًا
निहायत रहम करने वाला
जो कोई अल्लाह के मार्ग में घरबार छोड़कर निकलेगा, वह धरती में शरण लेने की बहुत जगह और समाई पाएगा, और जो कोई अपने घर में सब कुछ छोड़कर अल्लाह और उसके रसूल की ओर निकले और उसकी मृत्यु हो जाए, तो उसका प्रतिदान अल्लाह के ज़िम्मे हो गया। अल्लाह बहुत क्षमाशील, दयावान है ([४] अन-निसा: 100)
Tafseer (तफ़सीर )