سَتَجِدُوْنَ اٰخَرِيْنَ يُرِيْدُوْنَ اَنْ يَّأْمَنُوْكُمْ وَيَأْمَنُوْا قَوْمَهُمْ ۗ كُلَّ مَا رُدُّوْٓا اِلَى الْفِتْنَةِ اُرْكِسُوْا فِيْهَا ۚ فَاِنْ لَّمْ يَعْتَزِلُوْكُمْ وَيُلْقُوْٓا اِلَيْكُمُ السَّلَمَ وَيَكُفُّوْٓا اَيْدِيَهُمْ فَخُذُوْهُمْ وَاقْتُلُوْهُمْ حَيْثُ ثَقِفْتُمُوْهُمْ ۗ وَاُولٰۤىِٕكُمْ جَعَلْنَا لَكُمْ عَلَيْهِمْ سُلْطٰنًا مُّبِيْنًا ࣖ ٩١
- satajidūna
- سَتَجِدُونَ
- अनक़रीब तुम पाओगे
- ākharīna
- ءَاخَرِينَ
- कुछ दूसरों को
- yurīdūna
- يُرِيدُونَ
- वो चाहते हैं
- an
- أَن
- कि
- yamanūkum
- يَأْمَنُوكُمْ
- वो अमन में रहें तुम से
- wayamanū
- وَيَأْمَنُوا۟
- और वो अमन में रहें
- qawmahum
- قَوْمَهُمْ
- अपनी क़ौम से
- kulla
- كُلَّ
- जब कभी
- mā
- مَا
- जब कभी
- ruddū
- رُدُّوٓا۟
- वो लौटाए जाते हैं
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ फ़ितने के
- l-fit'nati
- ٱلْفِتْنَةِ
- तरफ़ फ़ितने के
- ur'kisū
- أُرْكِسُوا۟
- वो उल्टा दिए जाते हैं
- fīhā
- فِيهَاۚ
- उसमें
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- lam
- لَّمْ
- ना
- yaʿtazilūkum
- يَعْتَزِلُوكُمْ
- वो अलग रहें तुम से
- wayul'qū
- وَيُلْقُوٓا۟
- और (ना) वो डालें
- ilaykumu
- إِلَيْكُمُ
- तरफ़ तुम्हारे
- l-salama
- ٱلسَّلَمَ
- सुलह को
- wayakuffū
- وَيَكُفُّوٓا۟
- और (ना) वो रोकें
- aydiyahum
- أَيْدِيَهُمْ
- अपने हाथों को
- fakhudhūhum
- فَخُذُوهُمْ
- तो पकड़ो उन्हें
- wa-uq'tulūhum
- وَٱقْتُلُوهُمْ
- और क़त्ल करो उन्हें
- ḥaythu
- حَيْثُ
- जहाँ कहीं
- thaqif'tumūhum
- ثَقِفْتُمُوهُمْۚ
- पाओ तुम उन्हें
- wa-ulāikum
- وَأُو۟لَٰٓئِكُمْ
- और यही वो लोग हैं
- jaʿalnā
- جَعَلْنَا
- बनाया हमने
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- जिन पर
- sul'ṭānan
- سُلْطَٰنًا
- ग़लबा
- mubīnan
- مُّبِينًا
- वाज़ेह
अब तुम कुछ ऐसे लोगों को भी पाओगे, जो चाहते है कि तुम्हारी ओर से निश्चिन्त होकर रहें और अपने लोगों की ओर से भी निश्चिन्त होकर रहे। परन्तु जब भी वे फ़साद और उपद्रव की ओर फेरे गए तो वे उसी में औधे जो गिरे। तो यदि वे तुमसे अलग-थलग न रहें और तुम्हारी ओर सुलह का हाथ न बढ़ाएँ, और अपने हाथ न रोकें, तो तुम उन्हें पकड़ो और क़त्ल करो, जहाँ कहीं भी तुम उन्हें पाओ। उनके विरुद्ध हमने तुम्हें खुला अधिकार दे रखा है ([४] अन-निसा: 91)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا كَانَ لِمُؤْمِنٍ اَنْ يَّقْتُلَ مُؤْمِنًا اِلَّا خَطَـًٔا ۚ وَمَنْ قَتَلَ مُؤْمِنًا خَطَـًٔا فَتَحْرِيْرُ رَقَبَةٍ مُّؤْمِنَةٍ وَّدِيَةٌ مُّسَلَّمَةٌ اِلٰٓى اَهْلِهٖٓ اِلَّآ اَنْ يَّصَّدَّقُوْا ۗ فَاِنْ كَانَ مِنْ قَوْمٍ عَدُوٍّ لَّكُمْ وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَتَحْرِيْرُ رَقَبَةٍ مُّؤْمِنَةٍ ۗوَاِنْ كَانَ مِنْ قَوْمٍۢ بَيْنَكُمْ وَبَيْنَهُمْ مِّيْثَاقٌ فَدِيَةٌ مُّسَلَّمَةٌ اِلٰٓى اَهْلِهٖ وَتَحْرِيْرُ رَقَبَةٍ مُّؤْمِنَةٍ ۚ فَمَنْ لَّمْ يَجِدْ فَصِيَامُ شَهْرَيْنِ مُتَتَابِعَيْنِۖ تَوْبَةً مِّنَ اللّٰهِ ۗوَكَانَ اللّٰهُ عَلِيْمًا حَكِيْمًا ٩٢
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- kāna
- كَانَ
- है
- limu'minin
- لِمُؤْمِنٍ
- किसी मोमिन के लिए
- an
- أَن
- कि
- yaqtula
- يَقْتُلَ
- वो क़त्ल कर दे
- mu'minan
- مُؤْمِنًا
- किसी मोमिन को
- illā
- إِلَّا
- मगर
- khaṭa-an
- خَطَـًٔاۚ
- ख़ता से
- waman
- وَمَن
- और जो
- qatala
- قَتَلَ
- क़त्ल करे
- mu'minan
- مُؤْمِنًا
- किसी मोमिन को
- khaṭa-an
- خَطَـًٔا
- ख़ता से
- fataḥrīru
- فَتَحْرِيرُ
- तो आज़ाद करना है
- raqabatin
- رَقَبَةٍ
- एक गर्दन (ग़ुलाम)
- mu'minatin
- مُّؤْمِنَةٍ
- मोमिन का
- wadiyatun
- وَدِيَةٌ
- और दियत
- musallamatun
- مُّسَلَّمَةٌ
- जो सुपुर्द की जाएगी
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़
- ahlihi
- أَهْلِهِۦٓ
- उसके अहल (वारिस) के
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- yaṣṣaddaqū
- يَصَّدَّقُوا۟ۚ
- वो माफ़ कर दें
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- kāna
- كَانَ
- है वो
- min
- مِن
- ऐसी क़ौम से
- qawmin
- قَوْمٍ
- ऐसी क़ौम से
- ʿaduwwin
- عَدُوٍّ
- जो दुश्मन है
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारी
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- mu'minun
- مُؤْمِنٌ
- मोमिन है
- fataḥrīru
- فَتَحْرِيرُ
- तो आज़ाद करना है
- raqabatin
- رَقَبَةٍ
- एक गर्दन (ग़ुलाम)
- mu'minatin
- مُّؤْمِنَةٍۖ
- मोमिन का
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- kāna
- كَانَ
- है वो
- min
- مِن
- उस क़ौम से
- qawmin
- قَوْمٍۭ
- उस क़ौम से
- baynakum
- بَيْنَكُمْ
- दर्मियान तुम्हारे
- wabaynahum
- وَبَيْنَهُم
- और दर्मियान उनके
- mīthāqun
- مِّيثَٰقٌ
- पुख़्ता अहद है
- fadiyatun
- فَدِيَةٌ
- तो दियत
- musallamatun
- مُّسَلَّمَةٌ
- जो सुपुर्द की जाएगी
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़
- ahlihi
- أَهْلِهِۦ
- उसके अहल (वारिस) के
- wataḥrīru
- وَتَحْرِيرُ
- और आज़ाद करना है
- raqabatin
- رَقَبَةٍ
- एक गर्दन (ग़ुलाम)
- mu'minatin
- مُّؤْمِنَةٍۖ
- मोमिन का
- faman
- فَمَن
- तो जो कोई
- lam
- لَّمْ
- ना
- yajid
- يَجِدْ
- पाए
- faṣiyāmu
- فَصِيَامُ
- पस रोज़े रखना है
- shahrayni
- شَهْرَيْنِ
- दो माह
- mutatābiʿayni
- مُتَتَابِعَيْنِ
- मुसलसल/ पै-दर-पै
- tawbatan
- تَوْبَةً
- तौबा का (क़ुबूल करना है)
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِۗ
- अल्लाह की तरफ़ से
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿalīman
- عَلِيمًا
- बहुत इल्म वाला
- ḥakīman
- حَكِيمًا
- बहुत हिकमत वाला
किसी ईमानवाले का यह काम नहीं कि वह किसी ईमानवाले का हत्या करे, भूल-चूक की बात और है। और यदि कोई क्यक्ति यदि ग़लती से किसी ईमानवाले की हत्या कर दे, तो एक मोमिन ग़ुलाम को आज़ाद करना होगा और अर्थदंड उस (मारे गए क्यक्ति) के घरवालों को सौंपा जाए। यह और बात है कि वे अपनी ख़ुशी से छोड़ दें। और यदि वह उन लोगों में से हो, जो तुम्हारे शत्रु हों और वह (मारा जानेवाला) स्वयं मोमिन रहा तो एक मोमिन को ग़ुलामी से आज़ाद करना होगा। और यदि वह उन लोगों में से हो कि तुम्हारे और उनके बीच कोई संधि और समझौता हो, तो अर्थदंड उसके घरवालों को सौंपा जाए और एक मोमिन को ग़ुलामी से आज़ाद करना होगा। लेकिन जो (ग़ुलाम) न पाए तो वह निरन्तर दो मास के रोज़े रखे। यह अल्लाह की ओर से निश्चित किया हुआ उसकी तरफ़ पलट आने का तरीक़ा है। अल्लाह तो सब कुछ जाननेवाला, तत्वदर्शी है ([४] अन-निसा: 92)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ يَّقْتُلْ مُؤْمِنًا مُّتَعَمِّدًا فَجَزَاۤؤُهٗ جَهَنَّمُ خَالِدًا فِيْهَا وَغَضِبَ اللّٰهُ عَلَيْهِ وَلَعَنَهٗ وَاَعَدَّ لَهٗ عَذَابًا عَظِيْمًا ٩٣
- waman
- وَمَن
- और जो
- yaqtul
- يَقْتُلْ
- क़त्ल करे
- mu'minan
- مُؤْمِنًا
- किसी मोमिन को
- mutaʿammidan
- مُّتَعَمِّدًا
- जान बूझकर
- fajazāuhu
- فَجَزَآؤُهُۥ
- तो बदला है उसका
- jahannamu
- جَهَنَّمُ
- जहन्नम
- khālidan
- خَٰلِدًا
- हमेशा रहने वाला है
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- waghaḍiba
- وَغَضِبَ
- और ग़ज़बनाक हुआ
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- walaʿanahu
- وَلَعَنَهُۥ
- और उसने लानत की उस पर
- wa-aʿadda
- وَأَعَدَّ
- और उसने तैयार कर रखा है
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- अज़ाब
- ʿaẓīman
- عَظِيمًا
- बहुत बड़ा
और जो व्यक्ति जान-बूझकर किसी मोमिन की हत्या करे, तो उसका बदला जहन्नम है, जिसमें वह सदा रहेगा; उसपर अल्लाह का प्रकोप और उसकी फिटकार है और उसके लिए अल्लाह ने बड़ी यातना तैयार कर रखी है ([४] अन-निसा: 93)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِذَا ضَرَبْتُمْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ فَتَبَيَّنُوْا وَلَا تَقُوْلُوْا لِمَنْ اَلْقٰىٓ اِلَيْكُمُ السَّلٰمَ لَسْتَ مُؤْمِنًاۚ تَبْتَغُوْنَ عَرَضَ الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا ۖفَعِنْدَ اللّٰهِ مَغَانِمُ كَثِيْرَةٌ ۗ كَذٰلِكَ كُنْتُمْ مِّنْ قَبْلُ فَمَنَّ اللّٰهُ عَلَيْكُمْ فَتَبَيَّنُوْاۗ اِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِيْرًا ٩٤
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟
- ईमान लाए हो
- idhā
- إِذَا
- जब
- ḍarabtum
- ضَرَبْتُمْ
- सफ़र करो तुम
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते में
- fatabayyanū
- فَتَبَيَّنُوا۟
- तो तहक़ीक़ कर लिया करो
- walā
- وَلَا
- और ना
- taqūlū
- تَقُولُوا۟
- तुम कहो
- liman
- لِمَنْ
- उसके लिए जो
- alqā
- أَلْقَىٰٓ
- डाले
- ilaykumu
- إِلَيْكُمُ
- तरफ़ तुम्हारे
- l-salāma
- ٱلسَّلَٰمَ
- सलाम
- lasta
- لَسْتَ
- नहीं हो तुम
- mu'minan
- مُؤْمِنًا
- मोमिन
- tabtaghūna
- تَبْتَغُونَ
- तुम चाहते हो
- ʿaraḍa
- عَرَضَ
- सामान
- l-ḥayati
- ٱلْحَيَوٰةِ
- ज़िन्दगी का
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की
- faʿinda
- فَعِندَ
- तो पास
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- maghānimu
- مَغَانِمُ
- ग़नीमतें हैं
- kathīratun
- كَثِيرَةٌۚ
- बहुत सी
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- kuntum
- كُنتُم
- थे तुम
- min
- مِّن
- इससे पहले
- qablu
- قَبْلُ
- इससे पहले
- famanna
- فَمَنَّ
- तो एहसान किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- fatabayyanū
- فَتَبَيَّنُوٓا۟ۚ
- पस तहक़ीक़ कर लिया करो
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है
- bimā
- بِمَا
- उसकी जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
- khabīran
- خَبِيرًا
- ख़ूब ख़बर रखने वाला
ऐ ईमान लानेवालो! जब तुम अल्लाह के मार्ग से निकलो तो अच्छी तरह पता लगा लो और जो तुम्हें सलाम करे, उससे यह न कहो कि तुम ईमान नहीं रखते, और इससे तुम्हारा ध्येय यह हो कि सांसारिक जीवन का माल प्राप्त करो। अल्लाह ने तुमपर उपकार किया, जो अच्छी तरह पता लगा लिया करो। जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है ([४] अन-निसा: 94)Tafseer (तफ़सीर )
لَا يَسْتَوِى الْقَاعِدُوْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ غَيْرُ اُولِى الضَّرَرِ وَالْمُجَاهِدُوْنَ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ بِاَمْوَالِهِمْ وَاَنْفُسِهِمْۗ فَضَّلَ اللّٰهُ الْمُجٰهِدِيْنَ بِاَمْوَالِهِمْ وَاَنْفُسِهِمْ عَلَى الْقٰعِدِيْنَ دَرَجَةً ۗ وَكُلًّا وَّعَدَ اللّٰهُ الْحُسْنٰىۗ وَفَضَّلَ اللّٰهُ الْمُجٰهِدِيْنَ عَلَى الْقٰعِدِيْنَ اَجْرًا عَظِيْمًاۙ ٩٥
- lā
- لَّا
- नहीं बराबर हो सकते
- yastawī
- يَسْتَوِى
- नहीं बराबर हो सकते
- l-qāʿidūna
- ٱلْقَٰعِدُونَ
- जो बैठने वाले हैं
- mina
- مِنَ
- मोमिनों में से
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों में से
- ghayru
- غَيْرُ
- सिवाय
- ulī
- أُو۟لِى
- ज़रर वालों (माज़ूर) के
- l-ḍarari
- ٱلضَّرَرِ
- ज़रर वालों (माज़ूर) के
- wal-mujāhidūna
- وَٱلْمُجَٰهِدُونَ
- और जो जिहाद करने वाले हैं
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते में
- bi-amwālihim
- بِأَمْوَٰلِهِمْ
- साथ अपने मालों के
- wa-anfusihim
- وَأَنفُسِهِمْۚ
- और अपनी जानों के
- faḍḍala
- فَضَّلَ
- फ़ज़ीलत दी
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- l-mujāhidīna
- ٱلْمُجَٰهِدِينَ
- जिहाद करने वालों को
- bi-amwālihim
- بِأَمْوَٰلِهِمْ
- साथ अपने मालों के
- wa-anfusihim
- وَأَنفُسِهِمْ
- और अपनी जानों के
- ʿalā
- عَلَى
- बैठने वालों पर
- l-qāʿidīna
- ٱلْقَٰعِدِينَ
- बैठने वालों पर
- darajatan
- دَرَجَةًۚ
- दर्जे में
- wakullan
- وَكُلًّا
- और हर एक से
- waʿada
- وَعَدَ
- वादा कर रखा है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- l-ḥus'nā
- ٱلْحُسْنَىٰۚ
- अच्छा
- wafaḍḍala
- وَفَضَّلَ
- और फ़ज़ीलत दी
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- l-mujāhidīna
- ٱلْمُجَٰهِدِينَ
- जिहाद करने वालों को
- ʿalā
- عَلَى
- बैठने वालों पर
- l-qāʿidīna
- ٱلْقَٰعِدِينَ
- बैठने वालों पर
- ajran
- أَجْرًا
- अजर की
- ʿaẓīman
- عَظِيمًا
- बहुत बड़े
ईमानवालों में से वे लोग जो बिना किसी कारण के बैठे रहते है और जो अल्लाह के मार्ग में अपने धन और प्राणों के साथ जी-तोड़ कोशिश करते है, दोनों समान नहीं हो सकते। अल्लाह ने बैठे रहनेवालों की अपेक्षा अपने धन और प्राणों से जी-तोड़ कोशिश करनेवालों का दर्जा बढ़ा रखा है। यद्यपि प्रत्यके के लिए अल्लाह ने अच्छे बदले का वचन दिया है। परन्तु अल्लाह ने जी-तोड़ कोशिश करनेवालों का बड़ा बदला रखा है ([४] अन-निसा: 95)Tafseer (तफ़सीर )
دَرَجٰتٍ مِّنْهُ وَمَغْفِرَةً وَّرَحْمَةً ۗوَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِيْمًا ࣖ ٩٦
- darajātin
- دَرَجَٰتٍ
- दरजात हैं
- min'hu
- مِّنْهُ
- उसकी तरफ़ से
- wamaghfiratan
- وَمَغْفِرَةً
- और बख़्शिश
- waraḥmatan
- وَرَحْمَةًۚ
- और रहमत है
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ghafūran
- غَفُورًا
- बहुत बख़्शने वाला
- raḥīman
- رَّحِيمًا
- निहायत रहम करने वाला
उसकी ओर से दर्जे है और क्षमा और दयालुता है। और अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है ([४] अन-निसा: 96)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ تَوَفّٰىهُمُ الْمَلٰۤىِٕكَةُ ظَالِمِيْٓ اَنْفُسِهِمْ قَالُوْا فِيْمَ كُنْتُمْ ۗ قَالُوْا كُنَّا مُسْتَضْعَفِيْنَ فِى الْاَرْضِۗ قَالُوْٓا اَلَمْ تَكُنْ اَرْضُ اللّٰهِ وَاسِعَةً فَتُهَاجِرُوْا فِيْهَا ۗ فَاُولٰۤىِٕكَ مَأْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ ۗ وَسَاۤءَتْ مَصِيْرًاۙ ٩٧
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- tawaffāhumu
- تَوَفَّىٰهُمُ
- फ़ौत करते हैं उन्हें
- l-malāikatu
- ٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
- फ़रिश्ते
- ẓālimī
- ظَالِمِىٓ
- ज़ुल्म करने वाले हैं (जब कि वो)
- anfusihim
- أَنفُسِهِمْ
- अपनी जानों पर
- qālū
- قَالُوا۟
- वो कहते हैं
- fīma
- فِيمَ
- किस (हाल) में
- kuntum
- كُنتُمْۖ
- थे तुम
- qālū
- قَالُوا۟
- वो कहते हैं
- kunnā
- كُنَّا
- थे हम
- mus'taḍʿafīna
- مُسْتَضْعَفِينَ
- कमज़ोर
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۚ
- ज़मीन में
- qālū
- قَالُوٓا۟
- वो कहते हैं
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- takun
- تَكُنْ
- थी
- arḍu
- أَرْضُ
- ज़मीन
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- wāsiʿatan
- وَٰسِعَةً
- वसीअ
- fatuhājirū
- فَتُهَاجِرُوا۟
- पस तुम हिजरत कर जाते
- fīhā
- فِيهَاۚ
- उसमें
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- तो यही लोग हैं
- mawāhum
- مَأْوَىٰهُمْ
- ठिकाना उनका
- jahannamu
- جَهَنَّمُۖ
- जहन्नम है
- wasāat
- وَسَآءَتْ
- और कितना बुरा है
- maṣīran
- مَصِيرًا
- ठिकाना
जो लोग अपने-आप पर अत्याचार करते है, जब फ़रिश्ते उस दशा में उनके प्राण ग्रस्त कर लेते है, तो कहते है, 'तुम किस दशा में पड़े रहे?' वे कहते है, 'हम धरती में निर्बल और बेबस थे।' फ़रिश्ते कहते है, 'क्या अल्लाह की धरती विस्तृत न थी कि तुम उसमें घर-बार छोड़कर कहीं ओर चले जाते?' तो ये वही लोग है जिनका ठिकाना जहन्नम है। - और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है ([४] अन-निसा: 97)Tafseer (तफ़सीर )
اِلَّا الْمُسْتَضْعَفِيْنَ مِنَ الرِّجَالِ وَالنِّسَاۤءِ وَالْوِلْدَانِ لَا يَسْتَطِيْعُوْنَ حِيْلَةً وَّلَا يَهْتَدُوْنَ سَبِيْلًاۙ ٩٨
- illā
- إِلَّا
- सिवाय (उनके)
- l-mus'taḍʿafīna
- ٱلْمُسْتَضْعَفِينَ
- जो कमज़ोर हैं
- mina
- مِنَ
- मर्दों में से
- l-rijāli
- ٱلرِّجَالِ
- मर्दों में से
- wal-nisāi
- وَٱلنِّسَآءِ
- और औरतों में से
- wal-wil'dāni
- وَٱلْوِلْدَٰنِ
- और बच्चों में से
- lā
- لَا
- नहीं वो इस्तिताअत रखते
- yastaṭīʿūna
- يَسْتَطِيعُونَ
- नहीं वो इस्तिताअत रखते
- ḥīlatan
- حِيلَةً
- किसी हीले / तदबीर की
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yahtadūna
- يَهْتَدُونَ
- वो पाते
- sabīlan
- سَبِيلًا
- कोई रास्ता
सिवाय उन बेबस पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों के जिनके बस में कोई उपाय नहीं और न कोई राह पा रहे है; ([४] अन-निसा: 98)Tafseer (तफ़सीर )
فَاُولٰۤىِٕكَ عَسَى اللّٰهُ اَنْ يَّعْفُوَ عَنْهُمْ ۗ وَكَانَ اللّٰهُ عَفُوًّا غَفُوْرًا ٩٩
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- पस यही लोग
- ʿasā
- عَسَى
- उम्मीद है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- an
- أَن
- ये कि
- yaʿfuwa
- يَعْفُوَ
- दरगुज़र करे
- ʿanhum
- عَنْهُمْۚ
- उन से
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿafuwwan
- عَفُوًّا
- बहुत माफ़ करने वाला
- ghafūran
- غَفُورًا
- बहुत बख़्शने वाला
तो सम्भव है कि अल्लाह ऐसे लोगों को छोड़ दे; क्योंकि अल्लाह छोड़ देनेवाला और बड़ा क्षमाशील है ([४] अन-निसा: 99)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَمَنْ يُّهَاجِرْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ يَجِدْ فِى الْاَرْضِ مُرَاغَمًا كَثِيْرًا وَّسَعَةً ۗوَمَنْ يَّخْرُجْ مِنْۢ بَيْتِهٖ مُهَاجِرًا اِلَى اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ ثُمَّ يُدْرِكْهُ الْمَوْتُ فَقَدْ وَقَعَ اَجْرُهٗ عَلَى اللّٰهِ ۗوَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِيْمًا ࣖ ١٠٠
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yuhājir
- يُهَاجِرْ
- हिजरत करेगा
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते में
- yajid
- يَجِدْ
- वो पाएगा
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- murāghaman
- مُرَٰغَمًا
- जाए पनाह
- kathīran
- كَثِيرًا
- बहुत सी
- wasaʿatan
- وَسَعَةًۚ
- और वुसअत
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yakhruj
- يَخْرُجْ
- निकलेगा
- min
- مِنۢ
- अपने घर से
- baytihi
- بَيْتِهِۦ
- अपने घर से
- muhājiran
- مُهَاجِرًا
- हिजरत करते हुए
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ अल्लाह के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- तरफ़ अल्लाह के
- warasūlihi
- وَرَسُولِهِۦ
- और उसके रसूल के
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yud'rik'hu
- يُدْرِكْهُ
- पा ले उसे
- l-mawtu
- ٱلْمَوْتُ
- मौत
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- waqaʿa
- وَقَعَ
- वाक़ेअ हो गया
- ajruhu
- أَجْرُهُۥ
- अजर उसका
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِۗ
- अल्लाह पर
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ghafūran
- غَفُورًا
- बहुत बख़्शने वाला
- raḥīman
- رَّحِيمًا
- निहायत रहम करने वाला
जो कोई अल्लाह के मार्ग में घरबार छोड़कर निकलेगा, वह धरती में शरण लेने की बहुत जगह और समाई पाएगा, और जो कोई अपने घर में सब कुछ छोड़कर अल्लाह और उसके रसूल की ओर निकले और उसकी मृत्यु हो जाए, तो उसका प्रतिदान अल्लाह के ज़िम्मे हो गया। अल्लाह बहुत क्षमाशील, दयावान है ([४] अन-निसा: 100)Tafseer (तफ़सीर )