पवित्र कुरान सूरा अज-ज़ुमर आयत ५६
Qur'an Surah Az-Zumar Verse 56
अज-ज़ुमर [३९]: ५६ ~ कुरान अनुवाद शब्द द्वारा शब्द - तफ़सीर
اَنْ تَقُوْلَ نَفْسٌ يّٰحَسْرَتٰى عَلٰى مَا فَرَّطْتُّ فِيْ جَنْۢبِ اللّٰهِ وَاِنْ كُنْتُ لَمِنَ السَّاخِرِيْنَۙ (الزمر : ٣٩)
- an
- أَن
- Lest
- (ऐसा ना हो) कि
- taqūla
- تَقُولَ
- should say
- कहे
- nafsun
- نَفْسٌ
- a soul
- कोई नफ़्स
- yāḥasratā
- يَٰحَسْرَتَىٰ
- "Oh! My regret
- ऐ हसरत
- ʿalā
- عَلَىٰ
- over
- उस पर जो
- mā
- مَا
- what
- उस पर जो
- farraṭtu
- فَرَّطتُ
- I neglected
- कमी/ कोताही की मैं ने
- fī
- فِى
- in
- हक़ में
- janbi
- جَنۢبِ
- regard to
- हक़ में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- Allah
- अल्लाह के
- wa-in
- وَإِن
- and that
- और बेशक
- kuntu
- كُنتُ
- I was
- था मैं
- lamina
- لَمِنَ
- surely among
- अलबत्ता मज़ाक़ उड़ाने वालों में से
- l-sākhirīna
- ٱلسَّٰخِرِينَ
- the mockers"
- अलबत्ता मज़ाक़ उड़ाने वालों में से
Transliteration:
An taqoola nafsuny yaahasrataa 'alaa maa farrattu fee jambil laahi wa in kuntu laminas saakhireen(QS. az-Zumar:56)
English Sahih International:
Lest a soul should say, "Oh, [how great is] my regret over what I neglected in regard to Allah and that I was among the mockers." (QS. Az-Zumar, Ayah ५६)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कहीं ऐसा न हो कि कोई व्यक्ति कहने लगे, 'हाय, अफ़सोस उसपर! जो कोताही अल्लाह के हक़ में मैंने की। और मैं तो परिहास करनेवालों मं ही सम्मिलित रहा।' (अज-ज़ुमर, आयत ५६)
Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(कहीं ऐसा न हो कि) (तुममें से) कोई शख्स कहने लगे कि हाए अफ़सोस मेरी इस कोताही पर जो मैने ख़ुदा (की बारगाह) का तक़र्रुब हासिल करने में की और मैं तो बस उन बातों पर हँसता ही रहा
Azizul-Haqq Al-Umary
(ऐसा न हो कि) कोई व्यक्ति कहे कि हाय संताप! इस बात पर कि मैं आलस्य किया अल्लाह के पक्ष में तथा मैं उपहास करने वालों में रह गया।