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सूरा अज-ज़ुमर - Page: 8

Az-Zumar

(The Troops, Throngs)

७१

وَسِيْقَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اِلٰى جَهَنَّمَ زُمَرًا ۗحَتّٰىٓ اِذَا جَاۤءُوْهَا فُتِحَتْ اَبْوَابُهَا وَقَالَ لَهُمْ خَزَنَتُهَآ اَلَمْ يَأْتِكُمْ رُسُلٌ مِّنْكُمْ يَتْلُوْنَ عَلَيْكُمْ اٰيٰتِ رَبِّكُمْ وَيُنْذِرُوْنَكُمْ لِقَاۤءَ يَوْمِكُمْ هٰذَا ۗقَالُوْا بَلٰى وَلٰكِنْ حَقَّتْ كَلِمَةُ الْعَذَابِ عَلَى الْكٰفِرِيْنَ ٧١

wasīqa
وَسِيقَ
और हाँके जाऐंगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوٓا۟
कुफ़्र किया
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ जहन्नम के
jahannama
جَهَنَّمَ
तरफ़ जहन्नम के
zumaran
زُمَرًاۖ
गिरोह दर गिरोह
ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَا
जब
jāūhā
جَآءُوهَا
वो आ जाऐंगे उसके पास
futiḥat
فُتِحَتْ
खोल दिए जाऐंगे
abwābuhā
أَبْوَٰبُهَا
दरवाज़े उसके
waqāla
وَقَالَ
और कहेंगे
lahum
لَهُمْ
उन्हें
khazanatuhā
خَزَنَتُهَآ
दरबान उसके
alam
أَلَمْ
क्या नहीं
yatikum
يَأْتِكُمْ
आए थे तुम्हारे पास
rusulun
رُسُلٌ
कुछ रसूल
minkum
مِّنكُمْ
तुम में से
yatlūna
يَتْلُونَ
जो पढ़ते
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
āyāti
ءَايَٰتِ
आयात
rabbikum
رَبِّكُمْ
तुम्हारे रब की
wayundhirūnakum
وَيُنذِرُونَكُمْ
और डराते तुम्हें
liqāa
لِقَآءَ
मुलाक़ात से
yawmikum
يَوْمِكُمْ
तुम्हारे इस दिन की
hādhā
هَٰذَاۚ
तुम्हारे इस दिन की
qālū
قَالُوا۟
वो कहेंगे
balā
بَلَىٰ
क्यों नहीं
walākin
وَلَٰكِنْ
और लेकिन
ḥaqqat
حَقَّتْ
साबित हो गई
kalimatu
كَلِمَةُ
बात
l-ʿadhābi
ٱلْعَذَابِ
अज़ाब की
ʿalā
عَلَى
काफ़िरों पर
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों पर
जिन लोगों ने इनकार किया, वे गिरोह के गिरोह जहन्नम की ओर ले जाए जाएँगे, यहाँ तक कि जब वे वहाँ पहुँचेगे तो उसके द्वार खोल दिए जाएँगे और उसके प्रहरी उनसे कहेंगे, 'क्या तुम्हारे पास तुम्हीं में से रसूल नहीं आए थे जो तुम्हें तुम्हारे रब की आयतें सुनाते रहे हों और तुम्हें इस दिन की मुलाक़ात से सचेत करते रहे हों?' वे कहेंगे, 'क्यों नहीं (वे तो आए थे) ।' किन्तु इनकार करनेवालों पर यातना की बात सत्यापित होकर रही ([३९] अज-ज़ुमर: 71)
Tafseer (तफ़सीर )
७२

قِيْلَ ادْخُلُوْٓا اَبْوَابَ جَهَنَّمَ خٰلِدِيْنَ فِيْهَا ۚفَبِئْسَ مَثْوَى الْمُتَكَبِّرِيْنَ ٧٢

qīla
قِيلَ
कहा जाएगा
ud'khulū
ٱدْخُلُوٓا۟
दाख़िल हो जाओ
abwāba
أَبْوَٰبَ
दरवाज़ों में
jahannama
جَهَنَّمَ
जहन्नम के
khālidīna
خَٰلِدِينَ
हमेशा रहने वाले
fīhā
فِيهَاۖ
उसमें
fabi'sa
فَبِئْسَ
तो कितना बुरा है
mathwā
مَثْوَى
ठिकाना
l-mutakabirīna
ٱلْمُتَكَبِّرِينَ
तकब्बुर करने वालों का
कहा जाएगा, 'जहन्नम के द्वारों में प्रवेश करो। उसमें सदैव रहने के लिए।' तो बहुत ही बुरा ठिकाना है अहंकारियों का! ([३९] अज-ज़ुमर: 72)
Tafseer (तफ़सीर )
७३

وَسِيْقَ الَّذِيْنَ اتَّقَوْا رَبَّهُمْ اِلَى الْجَنَّةِ زُمَرًا ۗحَتّٰىٓ اِذَا جَاۤءُوْهَا وَفُتِحَتْ اَبْوَابُهَا وَقَالَ لَهُمْ خَزَنَتُهَا سَلٰمٌ عَلَيْكُمْ طِبْتُمْ فَادْخُلُوْهَا خٰلِدِيْنَ ٧٣

wasīqa
وَسِيقَ
और ले जाए जाऐंगे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
ittaqaw
ٱتَّقَوْا۟
डरे
rabbahum
رَبَّهُمْ
अपने रब से
ilā
إِلَى
तरफ़ जन्नत के
l-janati
ٱلْجَنَّةِ
तरफ़ जन्नत के
zumaran
زُمَرًاۖ
गिरोह दर गिरोह
ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَا
जब
jāūhā
جَآءُوهَا
वो आ जाऐंगे उसके पास
wafutiḥat
وَفُتِحَتْ
और खोल दिए जाऐंगे
abwābuhā
أَبْوَٰبُهَا
दरवाज़े उसके
waqāla
وَقَالَ
और कहेंगे
lahum
لَهُمْ
उन्हें
khazanatuhā
خَزَنَتُهَا
दरबान उसके
salāmun
سَلَٰمٌ
सलामती हो
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
ṭib'tum
طِبْتُمْ
तुम अच्छे रहे
fa-ud'khulūhā
فَٱدْخُلُوهَا
पस दाख़िल हो जाओ उनमें
khālidīna
خَٰلِدِينَ
हमेशा रहने वाले
और जो लोग अपने रब का डर रखते थे, वे गिरोह के गिरोह जन्नत की ओर ले जाएँगे, यहाँ तक कि जब वे वहाँ पहुँचेंगे इस हाल में कि उसके द्वार खुले होंगे। और उसके प्रहरी उनसे कहेंगे, 'सलाम हो तुमपर! बहुत अच्छे रहे! अतः इसमें प्रवेश करो सदैव रहने के लिए तो (उनकी ख़ुशियों का क्या हाल होगा!) ([३९] अज-ज़ुमर: 73)
Tafseer (तफ़सीर )
७४

وَقَالُوا الْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِيْ صَدَقَنَا وَعْدَهٗ وَاَوْرَثَنَا الْاَرْضَ نَتَبَوَّاُ مِنَ الْجَنَّةِ حَيْثُ نَشَاۤءُ ۚفَنِعْمَ اَجْرُ الْعٰمِلِيْنَ ٧٤

waqālū
وَقَالُوا۟
और वो कहेंगे
l-ḥamdu
ٱلْحَمْدُ
सब तारीफ़
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए है
alladhī
ٱلَّذِى
जिसने
ṣadaqanā
صَدَقَنَا
सच्चा किया हम से
waʿdahu
وَعْدَهُۥ
वादा अपना
wa-awrathanā
وَأَوْرَثَنَا
और वारिस बना दिया हमें
l-arḍa
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन का
natabawwa-u
نَتَبَوَّأُ
हम जगह बना सकते है
mina
مِنَ
जन्नत में से
l-janati
ٱلْجَنَّةِ
जन्नत में से
ḥaythu
حَيْثُ
जहाँ
nashāu
نَشَآءُۖ
हम चाहें
faniʿ'ma
فَنِعْمَ
तो कितना अच्छा है
ajru
أَجْرُ
अजर
l-ʿāmilīna
ٱلْعَٰمِلِينَ
अमल करने वालों का
और वे कहेंगे, 'प्रशंसा अल्लाह के लिए, जिसने हमारे साथ अपना वादा सच कर दिखाया, और हमें इस भूमि का वारिस बनाया कि हम जन्नत में जहाँ चाहें वहाँ रहें-बसे।' अतः क्या ही अच्छा प्रतिदान है कर्म करनेवालों का!- ([३९] अज-ज़ुमर: 74)
Tafseer (तफ़सीर )
७५

وَتَرَى الْمَلٰۤىِٕكَةَ حَاۤفِّيْنَ مِنْ حَوْلِ الْعَرْشِ يُسَبِّحُوْنَ بِحَمْدِ رَبِّهِمْۚ وَقُضِيَ بَيْنَهُمْ بِالْحَقِّ وَقِيْلَ الْحَمْدُ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ ࣖ ٧٥

watarā
وَتَرَى
और आप देखेंगे
l-malāikata
ٱلْمَلَٰٓئِكَةَ
फ़रिश्तों को
ḥāffīna
حَآفِّينَ
घेरा डाले हुए
min
مِنْ
इर्द-गिर्द
ḥawli
حَوْلِ
इर्द-गिर्द
l-ʿarshi
ٱلْعَرْشِ
अर्श के
yusabbiḥūna
يُسَبِّحُونَ
वो तस्बीह कर रहे होंगे
biḥamdi
بِحَمْدِ
साथ तारीफ़ के
rabbihim
رَبِّهِمْۖ
अपने रब की
waquḍiya
وَقُضِىَ
और फ़ैसला कर दिया जाएगा
baynahum
بَيْنَهُم
दर्मियान उनके
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّ
साथ हक़ के
waqīla
وَقِيلَ
और कह दिया जाएगा
l-ḥamdu
ٱلْحَمْدُ
सब तारीफ़
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए है
rabbi
رَبِّ
जो रब है
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहानों का
और तुम फ़रिश्तों को देखोगे कि वे सिंहासन के गिर्द घेरा बाँधे हुए, अपने रब का गुणगान कर रहे है। और लोगों के बीच ठीक-ठीक फ़ैसला कर दिया जाएगा और कहा जाएगा, 'सारी प्रशंसा अल्लाह, सारे संसार के रब, के लिए है।' ([३९] अज-ज़ुमर: 75)
Tafseer (तफ़सीर )