وَيُنَجِّى اللّٰهُ الَّذِيْنَ اتَّقَوْا بِمَفَازَتِهِمْۖ لَا يَمَسُّهُمُ السُّوْۤءُ وَلَا هُمْ يَحْزَنُوْنَ ٦١
- wayunajjī
- وَيُنَجِّى
- और निजात देगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- ittaqaw
- ٱتَّقَوْا۟
- तक़्वा किया
- bimafāzatihim
- بِمَفَازَتِهِمْ
- बवजह उनकी कामयाबी के
- lā
- لَا
- नहीं पहुँचेगी उन्हें
- yamassuhumu
- يَمَسُّهُمُ
- नहीं पहुँचेगी उन्हें
- l-sūu
- ٱلسُّوٓءُ
- कोई बुराई
- walā
- وَلَا
- और ना
- hum
- هُمْ
- वो
- yaḥzanūna
- يَحْزَنُونَ
- वो ग़मगीन होंगे
इसके विपरीत अल्लाह उन लोगों को जिन्होंने डर रखा उन्हें उनकी सफलता के साथ मुक्ति प्रदान करेगा। न तो उन्हें कोई अनिष्ट् छू सकेगा और न वे शोकाकुल होंगे ([३९] अज-ज़ुमर: 61)Tafseer (तफ़सीर )
اَللّٰهُ خَالِقُ كُلِّ شَيْءٍ ۙوَّهُوَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ وَّكِيْلٌ ٦٢
- al-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- khāliqu
- خَٰلِقُ
- ख़ालिक़ है
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍۖ
- चीज़ का
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- wakīlun
- وَكِيلٌ
- निगरान है
अल्लाह हर चीज़ का स्रष्टा है और वही हर चीज़ का ज़िम्मा लेता है ([३९] अज-ज़ुमर: 62)Tafseer (तफ़सीर )
لَهٗ مَقَالِيْدُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِاٰيٰتِ اللّٰهِ اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْخٰسِرُوْنَ ࣖ ٦٣
- lahu
- لَّهُۥ
- उसी के लिए हैं
- maqālīdu
- مَقَالِيدُ
- कुंजियाँ
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۗ
- और ज़मीन की
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- biāyāti
- بِـَٔايَٰتِ
- साथ आयात के
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- humu
- هُمُ
- वो
- l-khāsirūna
- ٱلْخَٰسِرُونَ
- जो नुक़्सान उठाने वाले हैं
उसी के पास आकाशों और धरती की कुँजियाँ है। और जिन लोगों ने हमारी आयतों का इनकार किया, वही है जो घाटे में है ([३९] अज-ज़ुमर: 63)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اَفَغَيْرَ اللّٰهِ تَأْمُرُوْۤنِّيْٓ اَعْبُدُ اَيُّهَا الْجٰهِلُوْنَ ٦٤
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- afaghayra
- أَفَغَيْرَ
- क्या फिर ग़ैर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के (बारे में )
- tamurūnnī
- تَأْمُرُوٓنِّىٓ
- तुम हुक्म देते मुझे
- aʿbudu
- أَعْبُدُ
- कि मैं इबादत करूँ
- ayyuhā
- أَيُّهَا
- ऐ
- l-jāhilūna
- ٱلْجَٰهِلُونَ
- जाहिलो
कहो, 'क्या फिर भी तुम मुझसे कहते हो कि मैं अल्लाह के सिवा किसी और की बन्दगी करूँ, ऐ अज्ञानियों?' ([३९] अज-ज़ुमर: 64)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَقَدْ اُوْحِيَ اِلَيْكَ وَاِلَى الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِكَۚ لَىِٕنْ اَشْرَكْتَ لَيَحْبَطَنَّ عَمَلُكَ وَلَتَكُوْنَنَّ مِنَ الْخٰسِرِيْنَ ٦٥
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- ūḥiya
- أُوحِىَ
- वही किया गया
- ilayka
- إِلَيْكَ
- तरफ़ आपके
- wa-ilā
- وَإِلَى
- और तरफ़ उन लोगों के जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- और तरफ़ उन लोगों के जो
- min
- مِن
- आप से पहले थे
- qablika
- قَبْلِكَ
- आप से पहले थे
- la-in
- لَئِنْ
- अलबत्ता अगर
- ashrakta
- أَشْرَكْتَ
- शिर्क किया आपने
- layaḥbaṭanna
- لَيَحْبَطَنَّ
- यक़ीनन ज़रूर ज़ाय हो जाऐगा
- ʿamaluka
- عَمَلُكَ
- अमल आपका
- walatakūnanna
- وَلَتَكُونَنَّ
- और यक़ीनन ज़रूर आप हो जाऐंगे
- mina
- مِنَ
- नुक़्सान उठाने वालों में से
- l-khāsirīna
- ٱلْخَٰسِرِينَ
- नुक़्सान उठाने वालों में से
तुम्हारी ओर और जो तुमसे पहले गुज़र चुके हैं उनकी ओर भी वह्यस की जा चुकी है कि 'यदि तुमने शिर्क किया तो तुम्हारा किया-धरा अनिवार्यतः अकारथ जाएगा और तुम अवश्य ही घाटे में पड़नेवालों में से हो जाओगे।' ([३९] अज-ज़ुमर: 65)Tafseer (तफ़सीर )
بَلِ اللّٰهَ فَاعْبُدْ وَكُنْ مِّنَ الشّٰكِرِيْنَ ٦٦
- bali
- بَلِ
- बल्कि
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह ही की
- fa-uʿ'bud
- فَٱعْبُدْ
- पस आप इबादत कीजिए
- wakun
- وَكُن
- और हो जाइए
- mina
- مِّنَ
- शुक्र गुज़ारों में से
- l-shākirīna
- ٱلشَّٰكِرِينَ
- शुक्र गुज़ारों में से
नहीं, बल्कि अल्लाह ही की बन्दगी करो और कृतज्ञता दिखानेवालों में से हो जाओ ([३९] अज-ज़ुमर: 66)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا قَدَرُوا اللّٰهَ حَقَّ قَدْرِهٖۖ وَالْاَرْضُ جَمِيْعًا قَبْضَتُهٗ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ وَالسَّمٰوٰتُ مَطْوِيّٰتٌۢ بِيَمِيْنِهٖ ۗسُبْحٰنَهٗ وَتَعٰلٰى عَمَّا يُشْرِكُوْنَ ٦٧
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- qadarū
- قَدَرُوا۟
- उन्होंने क़द्र की
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- ḥaqqa
- حَقَّ
- जैसे हक़ था
- qadrihi
- قَدْرِهِۦ
- उसकी क़द्र का
- wal-arḍu
- وَٱلْأَرْضُ
- और ज़मीन
- jamīʿan
- جَمِيعًا
- सारी की सारी
- qabḍatuhu
- قَبْضَتُهُۥ
- उसकी मुट्ठी में होगी
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
- wal-samāwātu
- وَٱلسَّمَٰوَٰتُ
- और आसमान
- maṭwiyyātun
- مَطْوِيَّٰتٌۢ
- लपटे हुए होंगे
- biyamīnihi
- بِيَمِينِهِۦۚ
- उसके दाऐं हाथ में
- sub'ḥānahu
- سُبْحَٰنَهُۥ
- पाक है वो
- wataʿālā
- وَتَعَٰلَىٰ
- और बुलन्दतर है
- ʿammā
- عَمَّا
- उससे जो
- yush'rikūna
- يُشْرِكُونَ
- वो शरीक ठहराते हैं
उन्होंने अल्लाह की क़द्र न जानी, जैसी क़द्र उसकी जाननी चाहिए थी। हालाँकि क़ियामत के दिन सारी की सारी धरती उसकी मुट्ठी में होगी और आकाश उसके दाएँ हाथ में लिपटे हुए होंगे। महान और उच्च है वह उससे, जो वे साझी ठहराते है ([३९] अज-ज़ुमर: 67)Tafseer (तफ़सीर )
وَنُفِخَ فِى الصُّوْرِ فَصَعِقَ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَمَنْ فِى الْاَرْضِ اِلَّا مَنْ شَاۤءَ اللّٰهُ ۗ ثُمَّ نُفِخَ فِيْهِ اُخْرٰى فَاِذَا هُمْ قِيَامٌ يَّنْظُرُوْنَ ٦٨
- wanufikha
- وَنُفِخَ
- और फ़ूँका जाएगा
- fī
- فِى
- सूर में
- l-ṣūri
- ٱلصُّورِ
- सूर में
- faṣaʿiqa
- فَصَعِقَ
- तो बेहोश हो जाएगा
- man
- مَن
- जो कोई
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- fī
- فِى
- ज़मीन में (होगा)
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में (होगा)
- illā
- إِلَّا
- मगर
- man
- مَن
- जिसे
- shāa
- شَآءَ
- चाहे
- l-lahu
- ٱللَّهُۖ
- अल्लाह
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- nufikha
- نُفِخَ
- फ़ूँका जाएगा
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- ukh'rā
- أُخْرَىٰ
- दूसरी मर्तबा
- fa-idhā
- فَإِذَا
- तो यकायक
- hum
- هُمْ
- वो
- qiyāmun
- قِيَامٌ
- खड़े
- yanẓurūna
- يَنظُرُونَ
- वो देख रहें होंगे
और सूर (नरसिंघा) फूँका जाएगा, तो जो कोई आकाशों और जो कोई धरती में होगा वह अचेत हो जाएगा सिवाय उसके जिसको अल्लाह चाहे। फिर उसे दूबारा फूँका जाएगा, तो क्या देखेगे कि सहसा वे खड़े देख रहे है ([३९] अज-ज़ुमर: 68)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَشْرَقَتِ الْاَرْضُ بِنُوْرِ رَبِّهَا وَوُضِعَ الْكِتٰبُ وَجِايْۤءَ بِالنَّبِيّٖنَ وَالشُّهَدَاۤءِ وَقُضِيَ بَيْنَهُمْ بِالْحَقِّ وَهُمْ لَا يُظْلَمُوْنَ ٦٩
- wa-ashraqati
- وَأَشْرَقَتِ
- और चमक उठेगी
- l-arḍu
- ٱلْأَرْضُ
- ज़मीन
- binūri
- بِنُورِ
- नूर से
- rabbihā
- رَبِّهَا
- अपने रब की
- wawuḍiʿa
- وَوُضِعَ
- और रखदी जाएगी
- l-kitābu
- ٱلْكِتَٰبُ
- किताब
- wajīa
- وَجِا۟ىٓءَ
- और लाए जाऐंगे
- bil-nabiyīna
- بِٱلنَّبِيِّۦنَ
- अम्बिया
- wal-shuhadāi
- وَٱلشُّهَدَآءِ
- और गवाह
- waquḍiya
- وَقُضِىَ
- और फ़ैसला कर दिया जाएगा
- baynahum
- بَيْنَهُم
- दर्मियान उनके
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّ
- साथ हक़ के
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- lā
- لَا
- वो ज़ुल्म ना किए जाऐंगे
- yuẓ'lamūna
- يُظْلَمُونَ
- वो ज़ुल्म ना किए जाऐंगे
और धरती रब के प्रकाश से जगमगा उठेगी, और किताब रखी जाएगी और नबियों और गवाहों को लाया जाएगा और लोगों के बीच हक़ के साथ फ़ैसला कर दिया जाएगा, और उनपर कोई ज़ुल्म न होगा ([३९] अज-ज़ुमर: 69)Tafseer (तफ़सीर )
وَوُفِّيَتْ كُلُّ نَفْسٍ مَّا عَمِلَتْ وَهُوَ اَعْلَمُ بِمَا يَفْعَلُوْنَ ࣖ ٧٠
- wawuffiyat
- وَوُفِّيَتْ
- और पूरा-पूरा दिया जाएगा
- kullu
- كُلُّ
- हर
- nafsin
- نَفْسٍ
- नफ़्स को
- mā
- مَّا
- जो
- ʿamilat
- عَمِلَتْ
- उसने अमल किया
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- aʿlamu
- أَعْلَمُ
- ज़्यादा जानता है
- bimā
- بِمَا
- जो कुछ
- yafʿalūna
- يَفْعَلُونَ
- वो करते हैं
और प्रत्येक व्यक्ति को उसका किया भरपूर दिया जाएगा। और वह भली-भाँति जानता है, जो कुछ वे करते है ([३९] अज-ज़ुमर: 70)Tafseer (तफ़सीर )