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सूरा अज-ज़ुमर - Page: 5

Az-Zumar

(The Troops, Throngs)

४१

اِنَّآ اَنْزَلْنَا عَلَيْكَ الْكِتٰبَ لِلنَّاسِ بِالْحَقِّۚ فَمَنِ اهْتَدٰى فَلِنَفْسِهٖۚ وَمَنْ ضَلَّ فَاِنَّمَا يَضِلُّ عَلَيْهَا ۚوَمَآ اَنْتَ عَلَيْهِمْ بِوَكِيْلٍ ࣖ ٤١

innā
إِنَّآ
बेशक हम
anzalnā
أَنزَلْنَا
नाज़िल की हमने
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّۖ
साथ हक़ के
famani
فَمَنِ
तो जो
ih'tadā
ٱهْتَدَىٰ
हिदायत पा जाए
falinafsihi
فَلِنَفْسِهِۦۖ
तो उसके अपने ही लिए है
waman
وَمَن
और जो कोई
ḍalla
ضَلَّ
भटके
fa-innamā
فَإِنَّمَا
तो बेशक
yaḍillu
يَضِلُّ
वो भटकता है
ʿalayhā
عَلَيْهَاۖ
अपने ख़िलाफ़
wamā
وَمَآ
और नहीं
anta
أَنتَ
आप
ʿalayhim
عَلَيْهِم
उन पर
biwakīlin
بِوَكِيلٍ
कोई ज़िम्मेदार
निश्चय ही हमने लोगों के लिए हक़ के साथ तुमपर किताब अवतरित की है। अतः जिसने सीधा मार्ग ग्रहण किया तो अपने ही लिए, और जो भटका, तो वह भटककर अपने ही को हानि पहुँचाता है। तुम उनके ज़िम्मेदार नहीं हो ([३९] अज-ज़ुमर: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

اَللّٰهُ يَتَوَفَّى الْاَنْفُسَ حِيْنَ مَوْتِهَا وَالَّتِيْ لَمْ تَمُتْ فِيْ مَنَامِهَا ۚ فَيُمْسِكُ الَّتِي قَضٰى عَلَيْهَا الْمَوْتَ وَيُرْسِلُ الْاُخْرٰىٓ اِلٰٓى اَجَلٍ مُّسَمًّىۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يَّتَفَكَّرُوْنَ ٤٢

al-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
yatawaffā
يَتَوَفَّى
वो फ़ौत करता है
l-anfusa
ٱلْأَنفُسَ
जानों को
ḥīna
حِينَ
वक़्त पर
mawtihā
مَوْتِهَا
उनकी मौत के
wa-allatī
وَٱلَّتِى
और वो जो
lam
لَمْ
ना
tamut
تَمُتْ
वो मरें
فِى
अपनी नींद में
manāmihā
مَنَامِهَاۖ
अपनी नींद में
fayum'siku
فَيُمْسِكُ
पस वो रोक लेता है
allatī
ٱلَّتِى
उसको
qaḍā
قَضَىٰ
उसने फ़ैसला किया
ʿalayhā
عَلَيْهَا
जिस पर
l-mawta
ٱلْمَوْتَ
मौत का
wayur'silu
وَيُرْسِلُ
और वो भेज देता है
l-ukh'rā
ٱلْأُخْرَىٰٓ
दूसरी (रूहों )को
ilā
إِلَىٰٓ
एक वक़्त तक
ajalin
أَجَلٍ
एक वक़्त तक
musamman
مُّسَمًّىۚ
जो मुक़र्रर है
inna
إِنَّ
बेशक
فِى
उसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
उसमें
laāyātin
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
liqawmin
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
yatafakkarūna
يَتَفَكَّرُونَ
जो ग़ौर व फ़िक्र करते है
अल्लाह ही प्राणों को उनकी मृत्यु के समय ग्रस्त कर लेता है और जिसकी मृत्यु नहीं आई उसे उसकी निद्रा की अवस्था में (ग्रस्त कर लेता है) । फिर जिसकी मृत्यु का फ़ैसला कर दिया है उसे रोक रखता है। और दूसरों को एक नियत समय तक के लिए छोड़ देता है। निश्चय ही इसमें कितनी ही निशानियाँ है सोच-विचार करनेवालों के लिए ([३९] अज-ज़ुमर: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

اَمِ اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ شُفَعَاۤءَۗ قُلْ اَوَلَوْ كَانُوْا لَا يَمْلِكُوْنَ شَيْـًٔا وَّلَا يَعْقِلُوْنَ ٤٣

ami
أَمِ
क्या
ittakhadhū
ٱتَّخَذُوا۟
उन्होंने बना रखे हैं
min
مِن
सिवाए
dūni
دُونِ
सिवाए
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
shufaʿāa
شُفَعَآءَۚ
कुछ सिफ़ारिशी
qul
قُلْ
कह दीजिए
awalaw
أَوَلَوْ
क्या भला अगर
kānū
كَانُوا۟
हों वो
لَا
ना वो मिल्कियत रखते
yamlikūna
يَمْلِكُونَ
ना वो मिल्कियत रखते
shayan
شَيْـًٔا
किसी चीज़ की
walā
وَلَا
और ना
yaʿqilūna
يَعْقِلُونَ
वो अक़्ल रखते
(क्या उनके उपास्य प्रभुता में साझीदार है) या उन्होंने अल्लाह से हटकर दूसरों को सिफ़ारिशी बना रखा है? कहो, 'क्या यद्यपि वे किसी चीज़ का अधिकार न रखते हों और न कुछ समझते ही हो तब भी?' ([३९] अज-ज़ुमर: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

قُلْ لِّلّٰهِ الشَّفَاعَةُ جَمِيْعًا ۗ لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ ثُمَّ اِلَيْهِ تُرْجَعُوْنَ ٤٤

qul
قُل
कह दीजिए
lillahi
لِّلَّهِ
अल्लाह ही के लिए है
l-shafāʿatu
ٱلشَّفَٰعَةُ
शफ़ाअत/ सिफ़ारिश
jamīʿan
جَمِيعًاۖ
सारी की सारी
lahu
لَّهُۥ
उसी के लिए है
mul'ku
مُلْكُ
बादशाहत
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۖ
और ज़मीन की
thumma
ثُمَّ
फिर
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसी के
tur'jaʿūna
تُرْجَعُونَ
तुम लौटाए जाओगे
कहो, 'सिफ़ारिश तो सारी की सारी अल्लाह के अधिकार में है। आकाशों और धरती की बादशाही उसी की है। फिर उसी की ओर तुम लौटाए जाओगे।' ([३९] अज-ज़ुमर: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

وَاِذَا ذُكِرَ اللّٰهُ وَحْدَهُ اشْمَـَٔزَّتْ قُلُوْبُ الَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِۚ وَاِذَا ذُكِرَ الَّذِيْنَ مِنْ دُوْنِهٖٓ اِذَا هُمْ يَسْتَبْشِرُوْنَ ٤٥

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
dhukira
ذُكِرَ
ज़िक्र किया जाता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह का
waḥdahu
وَحْدَهُ
अकेले उसी का
ish'ma-azzat
ٱشْمَأَزَّتْ
नफ़रत करते हैं
qulūbu
قُلُوبُ
दिल
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों के जो
لَا
नहीं वो ईमान लाते
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान लाते
bil-ākhirati
بِٱلْءَاخِرَةِۖ
आख़िरत पर
wa-idhā
وَإِذَا
और जब
dhukira
ذُكِرَ
ज़िक्र किया जाता है
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनका जो
min
مِن
उसके अलावा हैं
dūnihi
دُونِهِۦٓ
उसके अलावा हैं
idhā
إِذَا
यकायक
hum
هُمْ
वो
yastabshirūna
يَسْتَبْشِرُونَ
वो ख़ुश हो जाते हैं
अकेले अल्लाह का ज़िक्र किया जाता है तो जो लोग आख़िरत पर ईमान नहीं रखते उनके दिल भिंचने लगते है, किन्तु जब उसके सिवा दूसरों का ज़िक्र होता है तो क्या देखते है कि वे खुशी से खिले जा रहे है ([३९] अज-ज़ुमर: 45)
Tafseer (तफ़सीर )
४६

قُلِ اللهم فَاطِرَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ عٰلِمَ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ اَنْتَ تَحْكُمُ بَيْنَ عِبَادِكَ فِيْ مَا كَانُوْا فِيْهِ يَخْتَلِفُوْنَ ٤٦

quli
قُلِ
कह दीजिए
l-lahuma
ٱللَّهُمَّ
ऐ अल्लाह
fāṭira
فَاطِرَ
ऐ पैदा करने वाले
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन के
ʿālima
عَٰلِمَ
ऐ जानने वाले
l-ghaybi
ٱلْغَيْبِ
ग़ैब
wal-shahādati
وَٱلشَّهَٰدَةِ
और हाज़िर के
anta
أَنتَ
तू ही
taḥkumu
تَحْكُمُ
तू फ़ैसला करेगा
bayna
بَيْنَ
दर्मियान
ʿibādika
عِبَادِكَ
अपने बन्दों के
فِى
उसमें जो
مَا
उसमें जो
kānū
كَانُوا۟
हैं वो
fīhi
فِيهِ
उसमें
yakhtalifūna
يَخْتَلِفُونَ
वो इख़्तिलाफ़ करते
कहो, 'ऐ अल्लाह, आकाशो और धरती को पैदा करनेवाले; परोक्ष और प्रत्यक्ष के जाननेवाले! तू ही अपने बन्दों के बीच उस चीज़ का फ़ैसला करेगा, जिसमें वे विभेद कर रहे है।' ([३९] अज-ज़ुमर: 46)
Tafseer (तफ़सीर )
४७

وَلَوْ اَنَّ لِلَّذِيْنَ ظَلَمُوْا مَا فِى الْاَرْضِ جَمِيْعًا وَّمِثْلَهٗ مَعَهٗ لَافْتَدَوْا بِهٖ مِنْ سُوْۤءِ الْعَذَابِ يَوْمَ الْقِيٰمَةِۗ وَبَدَا لَهُمْ مِّنَ اللّٰهِ مَا لَمْ يَكُوْنُوْا يَحْتَسِبُوْنَ ٤٧

walaw
وَلَوْ
और अगर
anna
أَنَّ
बेशक हो
lilladhīna
لِلَّذِينَ
उनके लिए जिन्होंने
ẓalamū
ظَلَمُوا۟
ज़ुल्म किया
مَا
जो कुछ
فِى
ज़मीन में है
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में है
jamīʿan
جَمِيعًا
सब का सब
wamith'lahu
وَمِثْلَهُۥ
और उसकी मानिन्द
maʿahu
مَعَهُۥ
साथ उसके
la-if'tadaw
لَٱفْتَدَوْا۟
अलबत्ता वे फ़िदये में दे दें
bihi
بِهِۦ
उसे
min
مِن
(बचने के लिए) बुरे अज़ाब से
sūi
سُوٓءِ
(बचने के लिए) बुरे अज़ाब से
l-ʿadhābi
ٱلْعَذَابِ
(बचने के लिए) बुरे अज़ाब से
yawma
يَوْمَ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِۚ
क़यामत के
wabadā
وَبَدَا
और ज़ाहिर हो जाएगा
lahum
لَهُم
उनके लिए
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
مَا
जो
lam
لَمْ
ना
yakūnū
يَكُونُوا۟
थे वो
yaḥtasibūna
يَحْتَسِبُونَ
वो गुमान रखते
जिन लोगों ने ज़ुल्म किया यदि उनके पास वह सब कुछ हो जो धरती में है और उसके साथ उतना ही और भी, तो वे क़ियामत के दिन बुरी यातना से बचने के लिए वह सब फ़िदया (प्राण-मुक्ति के बदले) में दे डाले। बात यह है कि अल्लाह की ओर से उनके सामने वह कुछ आ जाएगा जिसका वे गुमान तक न करते थे ([३९] अज-ज़ुमर: 47)
Tafseer (तफ़सीर )
४८

وَبَدَا لَهُمْ سَيِّاٰتُ مَا كَسَبُوْا وَحَاقَ بِهِمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ يَسْتَهْزِءُوْنَ ٤٨

wabadā
وَبَدَا
और ज़ाहिर हो जाऐंगी
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
sayyiātu
سَيِّـَٔاتُ
बुराइयाँ
مَا
उन (आमाल)की जो
kasabū
كَسَبُوا۟
उन्होंने कमाए
waḥāqa
وَحَاقَ
और घेर लेगा
bihim
بِهِم
उन्हें
مَّا
वो जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
bihi
بِهِۦ
उसका
yastahziūna
يَسْتَهْزِءُونَ
वो मज़ाक़ उड़ाते
और जो कुछ उन्होंने कमाया उसकी बुराइयाँ उनपर प्रकट हो जाएँगी। और वही चीज़ उन्हें घेर लेगी जिसकी वे हँसी उड़ाया करते थे ([३९] अज-ज़ुमर: 48)
Tafseer (तफ़सीर )
४९

فَاِذَا مَسَّ الْاِنْسَانَ ضُرٌّ دَعَانَاۖ ثُمَّ اِذَا خَوَّلْنٰهُ نِعْمَةً مِّنَّاۙ قَالَ اِنَّمَآ اُوْتِيْتُهٗ عَلٰى عِلْمٍ ۗبَلْ هِيَ فِتْنَةٌ وَّلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ ٤٩

fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
massa
مَسَّ
पहुँचता है
l-insāna
ٱلْإِنسَٰنَ
इन्सान को
ḍurrun
ضُرٌّ
कोई नुक़्सान
daʿānā
دَعَانَا
वो पुकारता है हमें
thumma
ثُمَّ
फिर
idhā
إِذَا
जब
khawwalnāhu
خَوَّلْنَٰهُ
हम अता करते हैं उसे
niʿ'matan
نِعْمَةً
कोई नेअमत
minnā
مِّنَّا
अपने पास से
qāla
قَالَ
वो कहता है
innamā
إِنَّمَآ
बेशक
ūtītuhu
أُوتِيتُهُۥ
दिया गया हूँ मैं उसे
ʿalā
عَلَىٰ
इल्म की बिना पर
ʿil'min
عِلْمٍۭۚ
इल्म की बिना पर
bal
بَلْ
बल्कि
hiya
هِىَ
वो
fit'natun
فِتْنَةٌ
एक फ़ितना है
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
aktharahum
أَكْثَرَهُمْ
अक्सर उनके
لَا
नहीं वो इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो इल्म रखते
अतः जब मनुष्य को कोई तकलीफ़ पहुँचती है तो वह हमें पुकारने लगता है, फिर जब हमारी ओर से उसपर कोई अनुकम्पा होती है तो कहता है, 'यह तो मुझे ज्ञान के कारण प्राप्त हुआ।' नहीं, बल्कि यह तो एक परीक्षा है, किन्तु उनमें से अधिकतर जानते नहीं ([३९] अज-ज़ुमर: 49)
Tafseer (तफ़सीर )
५०

قَدْ قَالَهَا الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَمَآ اَغْنٰى عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا يَكْسِبُوْنَ ٥٠

qad
قَدْ
तहक़ीक़
qālahā
قَالَهَا
कहा था उसे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِمْ
उनसे पहले थे
famā
فَمَآ
तो ना
aghnā
أَغْنَىٰ
काम आया
ʿanhum
عَنْهُم
उनके
مَّا
जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaksibūna
يَكْسِبُونَ
वो कमाई करते
यही बात वे लोग भी कह चुके है, जो उनसे पहले गुज़रे है। किन्तु जो कुछ कमाई वे करते है, वह उनके कुछ काम न आई ([३९] अज-ज़ुमर: 50)
Tafseer (तफ़सीर )