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सूरा अज-ज़ुमर - Page: 4

Az-Zumar

(The Troops, Throngs)

३१

ثُمَّ اِنَّكُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ عِنْدَ رَبِّكُمْ تَخْتَصِمُوْنَ ࣖ ۔ ٣١

thumma
ثُمَّ
फिर
innakum
إِنَّكُمْ
बेशक तुम
yawma
يَوْمَ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
ʿinda
عِندَ
पास
rabbikum
رَبِّكُمْ
अपने रब के
takhtaṣimūna
تَخْتَصِمُونَ
तुम झगड़ा करोगे
फिर निश्चय ही तुम सब क़ियामत के दिन अपने रब के समक्ष झगड़ोगे ([३९] अज-ज़ुमर: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

۞ فَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنْ كَذَبَ عَلَى اللّٰهِ وَكَذَّبَ بِالصِّدْقِ اِذْ جَاۤءَهٗۗ اَلَيْسَ فِيْ جَهَنَّمَ مَثْوًى لِّلْكٰفِرِيْنَ ٣٢

faman
فَمَنْ
फिर कौन
aẓlamu
أَظْلَمُ
बड़ा ज़ालिम है
mimman
مِمَّن
उससे जो
kadhaba
كَذَبَ
झूठ बोले
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
wakadhaba
وَكَذَّبَ
और वो झुठलाए
bil-ṣid'qi
بِٱلصِّدْقِ
सच्चाई को
idh
إِذْ
जब
jāahu
جَآءَهُۥٓۚ
वो आ जाए उसके पास
alaysa
أَلَيْسَ
क्या नहीं है
فِى
जहन्नम में
jahannama
جَهَنَّمَ
जहन्नम में
mathwan
مَثْوًى
ठिकाना
lil'kāfirīna
لِّلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के लिए
फिर उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कौन होगा, जिसने झूठ घड़कर अल्लाह पर थोपा और सत्य को झूठला दिया जब वह उसके पास आया। क्या जहन्नम में इनकार करनेवालों का ठिकाना नहीं हैं? ([३९] अज-ज़ुमर: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

وَالَّذِيْ جَاۤءَ بِالصِّدْقِ وَصَدَّقَ بِهٖٓ اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُتَّقُوْنَ ٣٣

wa-alladhī
وَٱلَّذِى
और वो जो
jāa
جَآءَ
लाया
bil-ṣid'qi
بِٱلصِّدْقِ
सच्चाई को
waṣaddaqa
وَصَدَّقَ
और उसने तस्दीक़ की
bihi
بِهِۦٓۙ
उसकी
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-mutaqūna
ٱلْمُتَّقُونَ
जो मुत्तक़ी हैं
और जो व्यक्ति सच्चाई लेकर आया और उसने उसकी पुष्टि की, ऐसे ही लोग डर रखते है ([३९] अज-ज़ुमर: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

لَهُمْ مَّا يَشَاۤءُوْنَ عِنْدَ رَبِّهِمْ ۗ ذٰلِكَ جَزٰۤؤُا الْمُحْسِنِيْنَۚ ٣٤

lahum
لَهُم
उनके लिए है
مَّا
जो
yashāūna
يَشَآءُونَ
वो चाहेंगे
ʿinda
عِندَ
पास
rabbihim
رَبِّهِمْۚ
उनके रब के
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
jazāu
جَزَآءُ
बदला है
l-muḥ'sinīna
ٱلْمُحْسِنِينَ
नेकोकारों का
उनके लिए उनके रब के पास वह सब कुछ है, जो वे चाहेंगे। यह है उत्तमकारों का बदला ([३९] अज-ज़ुमर: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

لِيُكَفِّرَ اللّٰهُ عَنْهُمْ اَسْوَاَ الَّذِيْ عَمِلُوْا وَيَجْزِيَهُمْ اَجْرَهُمْ بِاَحْسَنِ الَّذِيْ كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٣٥

liyukaffira
لِيُكَفِّرَ
ताकि दूर कर दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿanhum
عَنْهُمْ
उनसे
aswa-a
أَسْوَأَ
बदतरीन
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
ʿamilū
عَمِلُوا۟
उन्होंने अमल किए
wayajziyahum
وَيَجْزِيَهُمْ
और वो बदले में दे उन्हें
ajrahum
أَجْرَهُم
अजर उनके
bi-aḥsani
بِأَحْسَنِ
बेहतरीन
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
ताकि जो निकृष्टतम कर्म उन्होंने किए अल्लाह उन (के बुरे प्रभाव) को उनसे दूर कर दे। औऱ जो उत्तम कर्म वे करते रहे उसका उन्हें बदला प्रदान करे ([३९] अज-ज़ुमर: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

اَلَيْسَ اللّٰهُ بِكَافٍ عَبْدَهٗۗ وَيُخَوِّفُوْنَكَ بِالَّذِيْنَ مِنْ دُوْنِهٖۗ وَمَنْ يُّضْلِلِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ هَادٍۚ ٣٦

alaysa
أَلَيْسَ
क्या नहीं है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
bikāfin
بِكَافٍ
काफ़ी
ʿabdahu
عَبْدَهُۥۖ
अपने बन्दे को
wayukhawwifūnaka
وَيُخَوِّفُونَكَ
और वो डराते हैं आप को
bi-alladhīna
بِٱلَّذِينَ
उनसे जो
min
مِن
उसके सिवा हैं
dūnihi
دُونِهِۦۚ
उसके सिवा हैं
waman
وَمَن
और जिसे
yuḍ'lili
يُضْلِلِ
भटका दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
famā
فَمَا
तो नहीं
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
min
مِنْ
कोई हिदायत देने वाला
hādin
هَادٍ
कोई हिदायत देने वाला
क्या अल्लाह अपने बन्दे के लिए काफ़ी नहीं है, यद्यपि वे तुम्हें उनसे डराते है, जो उसके सिवा (उन्होंने अपने सहायक बना रखे) है? अल्लाह जिसे गुमराही में डाल दे उसे मार्ग दिखानेवाला कोई नही ([३९] अज-ज़ुमर: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

وَمَنْ يَّهْدِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ مُّضِلٍّ ۗ اَلَيْسَ اللّٰهُ بِعَزِيْزٍ ذِى انْتِقَامٍ ٣٧

waman
وَمَن
और जिसे
yahdi
يَهْدِ
हिदायत दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
famā
فَمَا
तो नहीं
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
min
مِن
कोई भटकाने वाला
muḍillin
مُّضِلٍّۗ
कोई भटकाने वाला
alaysa
أَلَيْسَ
क्या नहीं है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
biʿazīzin
بِعَزِيزٍ
बहुत ज़बरदस्त
dhī
ذِى
इन्तिक़ाम लेने वाला
intiqāmin
ٱنتِقَامٍ
इन्तिक़ाम लेने वाला
और जिसे अल्लाह मार्ग दिखाए उसे गुमराह करनेवाला भी कोई नहीं। क्या अल्लाह प्रभुत्वशाली, बदला लेनेवाला नहीं है? ([३९] अज-ज़ुमर: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

وَلَىِٕنْ سَاَلْتَهُمْ مَّنْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ لَيَقُوْلُنَّ اللّٰهُ ۗ قُلْ اَفَرَءَيْتُمْ مَّا تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ اِنْ اَرَادَنِيَ اللّٰهُ بِضُرٍّ هَلْ هُنَّ كٰشِفٰتُ ضُرِّهٖٓ اَوْ اَرَادَنِيْ بِرَحْمَةٍ هَلْ هُنَّ مُمْسِكٰتُ رَحْمَتِهٖۗ قُلْ حَسْبِيَ اللّٰهُ ۗعَلَيْهِ يَتَوَكَّلُ الْمُتَوَكِّلُوْنَ ٣٨

wala-in
وَلَئِن
और अलबत्ता अगर
sa-altahum
سَأَلْتَهُم
पूछें आप उनसे
man
مَّنْ
किस ने
khalaqa
خَلَقَ
पैदा किया
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍa
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन को
layaqūlunna
لَيَقُولُنَّ
अलबत्ता वो ज़रूर कहेंगे
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह ने
qul
قُلْ
कह दीजिए
afara-aytum
أَفَرَءَيْتُم
क्या फिर देखा तुमने
مَّا
जिन्हें
tadʿūna
تَدْعُونَ
तुम पुकारते हो
min
مِن
सिवाए
dūni
دُونِ
सिवाए
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
in
إِنْ
अगर
arādaniya
أَرَادَنِىَ
इरादा करे मेरे साथ
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
biḍurrin
بِضُرٍّ
किसी तक्लीफ़ का
hal
هَلْ
क्या
hunna
هُنَّ
वो सब
kāshifātu
كَٰشِفَٰتُ
दूर करने वाली हैं
ḍurrihi
ضُرِّهِۦٓ
उसकी तक्लीफ़ को
aw
أَوْ
या
arādanī
أَرَادَنِى
वो इरादा करे मेरे साथ
biraḥmatin
بِرَحْمَةٍ
किसी रहमत का
hal
هَلْ
क्या
hunna
هُنَّ
वो सब
mum'sikātu
مُمْسِكَٰتُ
रोकने वाली हैं
raḥmatihi
رَحْمَتِهِۦۚ
उसकी रहमत को
qul
قُلْ
कह दीजिए
ḥasbiya
حَسْبِىَ
काफ़ी है मुझे
l-lahu
ٱللَّهُۖ
अल्लाह
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उसी पर
yatawakkalu
يَتَوَكَّلُ
तवक्कुल करते है
l-mutawakilūna
ٱلْمُتَوَكِّلُونَ
तवक्कुल करने वाले
यदि तुम उनसे पूछो कि 'आकाशों और धरती को किसने पैदा किया?' को वे अवश्य कहेंगे, 'अल्लाह ने।' कहो, 'तुम्हारा क्या विचार है? यदि अल्लाह मुझे कोई तकलीफ़ पहुँचानी चाहे तो क्या अल्लाह से हटकर जिनको तुम पुकारते हो वे उसकी पहुँचाई हुई तकलीफ़ को दूर कर सकते है? या वह मुझपर कोई दयालुता दर्शानी चाहे तो क्या वे उसकी दयालुता को रोक सकते है?' कह दो, 'मेरे लिए अल्लाह काफ़ी है। भरोसा करनेवाले उसी पर भरोसा करते है।' ([३९] अज-ज़ुमर: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

قُلْ يٰقَوْمِ اعْمَلُوْا عَلٰى مَكَانَتِكُمْ اِنِّيْ عَامِلٌ ۚفَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَۙ ٣٩

qul
قُلْ
कह दीजिए
yāqawmi
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
iʿ'malū
ٱعْمَلُوا۟
अमल करो
ʿalā
عَلَىٰ
अपनी जगह पर
makānatikum
مَكَانَتِكُمْ
अपनी जगह पर
innī
إِنِّى
बेशक मैं
ʿāmilun
عَٰمِلٌۖ
अमल करने वाला हूँ
fasawfa
فَسَوْفَ
पस अनक़रीब
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
तुम जान लोगे
कह दो, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! तुम अपनी जगह काम करो। मैं (अपनी जगह) काम करता हूँ। तो शीघ्र ही तुम जान लोगे ([३९] अज-ज़ुमर: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

مَنْ يَّأْتِيْهِ عَذَابٌ يُّخْزِيْهِ وَيَحِلُّ عَلَيْهِ عَذَابٌ مُّقِيْمٌ ٤٠

man
مَن
कौन है
yatīhi
يَأْتِيهِ
आता है उसके पास
ʿadhābun
عَذَابٌ
ऐसा अज़ाब
yukh'zīhi
يُخْزِيهِ
जो रुस्वा करदे उसे
wayaḥillu
وَيَحِلُّ
और उतरता है
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
ʿadhābun
عَذَابٌ
अज़ाब
muqīmun
مُّقِيمٌ
क़ायम रहने वाला/ दायमी
कि किस पर वह यातना आती है जो उसे रुसवा कर देगी और किसपर अटल यातना उतरती है।' ([३९] अज-ज़ुमर: 40)
Tafseer (तफ़सीर )