ثُمَّ اِنَّكُمْ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ عِنْدَ رَبِّكُمْ تَخْتَصِمُوْنَ ࣖ ۔ ٣١
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- innakum
- إِنَّكُمْ
- बेशक तुम
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
- ʿinda
- عِندَ
- पास
- rabbikum
- رَبِّكُمْ
- अपने रब के
- takhtaṣimūna
- تَخْتَصِمُونَ
- तुम झगड़ा करोगे
फिर निश्चय ही तुम सब क़ियामत के दिन अपने रब के समक्ष झगड़ोगे ([३९] अज-ज़ुमर: 31)Tafseer (तफ़सीर )
۞ فَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنْ كَذَبَ عَلَى اللّٰهِ وَكَذَّبَ بِالصِّدْقِ اِذْ جَاۤءَهٗۗ اَلَيْسَ فِيْ جَهَنَّمَ مَثْوًى لِّلْكٰفِرِيْنَ ٣٢
- faman
- فَمَنْ
- फिर कौन
- aẓlamu
- أَظْلَمُ
- बड़ा ज़ालिम है
- mimman
- مِمَّن
- उससे जो
- kadhaba
- كَذَبَ
- झूठ बोले
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wakadhaba
- وَكَذَّبَ
- और वो झुठलाए
- bil-ṣid'qi
- بِٱلصِّدْقِ
- सच्चाई को
- idh
- إِذْ
- जब
- jāahu
- جَآءَهُۥٓۚ
- वो आ जाए उसके पास
- alaysa
- أَلَيْسَ
- क्या नहीं है
- fī
- فِى
- जहन्नम में
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम में
- mathwan
- مَثْوًى
- ठिकाना
- lil'kāfirīna
- لِّلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों के लिए
फिर उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कौन होगा, जिसने झूठ घड़कर अल्लाह पर थोपा और सत्य को झूठला दिया जब वह उसके पास आया। क्या जहन्नम में इनकार करनेवालों का ठिकाना नहीं हैं? ([३९] अज-ज़ुमर: 32)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْ جَاۤءَ بِالصِّدْقِ وَصَدَّقَ بِهٖٓ اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُتَّقُوْنَ ٣٣
- wa-alladhī
- وَٱلَّذِى
- और वो जो
- jāa
- جَآءَ
- लाया
- bil-ṣid'qi
- بِٱلصِّدْقِ
- सच्चाई को
- waṣaddaqa
- وَصَدَّقَ
- और उसने तस्दीक़ की
- bihi
- بِهِۦٓۙ
- उसकी
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- humu
- هُمُ
- वो
- l-mutaqūna
- ٱلْمُتَّقُونَ
- जो मुत्तक़ी हैं
और जो व्यक्ति सच्चाई लेकर आया और उसने उसकी पुष्टि की, ऐसे ही लोग डर रखते है ([३९] अज-ज़ुमर: 33)Tafseer (तफ़सीर )
لَهُمْ مَّا يَشَاۤءُوْنَ عِنْدَ رَبِّهِمْ ۗ ذٰلِكَ جَزٰۤؤُا الْمُحْسِنِيْنَۚ ٣٤
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए है
- mā
- مَّا
- जो
- yashāūna
- يَشَآءُونَ
- वो चाहेंगे
- ʿinda
- عِندَ
- पास
- rabbihim
- رَبِّهِمْۚ
- उनके रब के
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- jazāu
- جَزَآءُ
- बदला है
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- नेकोकारों का
उनके लिए उनके रब के पास वह सब कुछ है, जो वे चाहेंगे। यह है उत्तमकारों का बदला ([३९] अज-ज़ुमर: 34)Tafseer (तफ़सीर )
لِيُكَفِّرَ اللّٰهُ عَنْهُمْ اَسْوَاَ الَّذِيْ عَمِلُوْا وَيَجْزِيَهُمْ اَجْرَهُمْ بِاَحْسَنِ الَّذِيْ كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٣٥
- liyukaffira
- لِيُكَفِّرَ
- ताकि दूर कर दे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿanhum
- عَنْهُمْ
- उनसे
- aswa-a
- أَسْوَأَ
- बदतरीन
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- ʿamilū
- عَمِلُوا۟
- उन्होंने अमल किए
- wayajziyahum
- وَيَجْزِيَهُمْ
- और वो बदले में दे उन्हें
- ajrahum
- أَجْرَهُم
- अजर उनके
- bi-aḥsani
- بِأَحْسَنِ
- बेहतरीन
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते
ताकि जो निकृष्टतम कर्म उन्होंने किए अल्लाह उन (के बुरे प्रभाव) को उनसे दूर कर दे। औऱ जो उत्तम कर्म वे करते रहे उसका उन्हें बदला प्रदान करे ([३९] अज-ज़ुमर: 35)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَيْسَ اللّٰهُ بِكَافٍ عَبْدَهٗۗ وَيُخَوِّفُوْنَكَ بِالَّذِيْنَ مِنْ دُوْنِهٖۗ وَمَنْ يُّضْلِلِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ هَادٍۚ ٣٦
- alaysa
- أَلَيْسَ
- क्या नहीं है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bikāfin
- بِكَافٍ
- काफ़ी
- ʿabdahu
- عَبْدَهُۥۖ
- अपने बन्दे को
- wayukhawwifūnaka
- وَيُخَوِّفُونَكَ
- और वो डराते हैं आप को
- bi-alladhīna
- بِٱلَّذِينَ
- उनसे जो
- min
- مِن
- उसके सिवा हैं
- dūnihi
- دُونِهِۦۚ
- उसके सिवा हैं
- waman
- وَمَن
- और जिसे
- yuḍ'lili
- يُضْلِلِ
- भटका दे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- famā
- فَمَا
- तो नहीं
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- min
- مِنْ
- कोई हिदायत देने वाला
- hādin
- هَادٍ
- कोई हिदायत देने वाला
क्या अल्लाह अपने बन्दे के लिए काफ़ी नहीं है, यद्यपि वे तुम्हें उनसे डराते है, जो उसके सिवा (उन्होंने अपने सहायक बना रखे) है? अल्लाह जिसे गुमराही में डाल दे उसे मार्ग दिखानेवाला कोई नही ([३९] अज-ज़ुमर: 36)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ يَّهْدِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ مُّضِلٍّ ۗ اَلَيْسَ اللّٰهُ بِعَزِيْزٍ ذِى انْتِقَامٍ ٣٧
- waman
- وَمَن
- और जिसे
- yahdi
- يَهْدِ
- हिदायत दे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- famā
- فَمَا
- तो नहीं
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- min
- مِن
- कोई भटकाने वाला
- muḍillin
- مُّضِلٍّۗ
- कोई भटकाने वाला
- alaysa
- أَلَيْسَ
- क्या नहीं है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- biʿazīzin
- بِعَزِيزٍ
- बहुत ज़बरदस्त
- dhī
- ذِى
- इन्तिक़ाम लेने वाला
- intiqāmin
- ٱنتِقَامٍ
- इन्तिक़ाम लेने वाला
और जिसे अल्लाह मार्ग दिखाए उसे गुमराह करनेवाला भी कोई नहीं। क्या अल्लाह प्रभुत्वशाली, बदला लेनेवाला नहीं है? ([३९] अज-ज़ुमर: 37)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَىِٕنْ سَاَلْتَهُمْ مَّنْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ لَيَقُوْلُنَّ اللّٰهُ ۗ قُلْ اَفَرَءَيْتُمْ مَّا تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ اِنْ اَرَادَنِيَ اللّٰهُ بِضُرٍّ هَلْ هُنَّ كٰشِفٰتُ ضُرِّهٖٓ اَوْ اَرَادَنِيْ بِرَحْمَةٍ هَلْ هُنَّ مُمْسِكٰتُ رَحْمَتِهٖۗ قُلْ حَسْبِيَ اللّٰهُ ۗعَلَيْهِ يَتَوَكَّلُ الْمُتَوَكِّلُوْنَ ٣٨
- wala-in
- وَلَئِن
- और अलबत्ता अगर
- sa-altahum
- سَأَلْتَهُم
- पूछें आप उनसे
- man
- مَّنْ
- किस ने
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- layaqūlunna
- لَيَقُولُنَّ
- अलबत्ता वो ज़रूर कहेंगे
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह ने
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- afara-aytum
- أَفَرَءَيْتُم
- क्या फिर देखा तुमने
- mā
- مَّا
- जिन्हें
- tadʿūna
- تَدْعُونَ
- तुम पुकारते हो
- min
- مِن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- in
- إِنْ
- अगर
- arādaniya
- أَرَادَنِىَ
- इरादा करे मेरे साथ
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- biḍurrin
- بِضُرٍّ
- किसी तक्लीफ़ का
- hal
- هَلْ
- क्या
- hunna
- هُنَّ
- वो सब
- kāshifātu
- كَٰشِفَٰتُ
- दूर करने वाली हैं
- ḍurrihi
- ضُرِّهِۦٓ
- उसकी तक्लीफ़ को
- aw
- أَوْ
- या
- arādanī
- أَرَادَنِى
- वो इरादा करे मेरे साथ
- biraḥmatin
- بِرَحْمَةٍ
- किसी रहमत का
- hal
- هَلْ
- क्या
- hunna
- هُنَّ
- वो सब
- mum'sikātu
- مُمْسِكَٰتُ
- रोकने वाली हैं
- raḥmatihi
- رَحْمَتِهِۦۚ
- उसकी रहमत को
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- ḥasbiya
- حَسْبِىَ
- काफ़ी है मुझे
- l-lahu
- ٱللَّهُۖ
- अल्लाह
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उसी पर
- yatawakkalu
- يَتَوَكَّلُ
- तवक्कुल करते है
- l-mutawakilūna
- ٱلْمُتَوَكِّلُونَ
- तवक्कुल करने वाले
यदि तुम उनसे पूछो कि 'आकाशों और धरती को किसने पैदा किया?' को वे अवश्य कहेंगे, 'अल्लाह ने।' कहो, 'तुम्हारा क्या विचार है? यदि अल्लाह मुझे कोई तकलीफ़ पहुँचानी चाहे तो क्या अल्लाह से हटकर जिनको तुम पुकारते हो वे उसकी पहुँचाई हुई तकलीफ़ को दूर कर सकते है? या वह मुझपर कोई दयालुता दर्शानी चाहे तो क्या वे उसकी दयालुता को रोक सकते है?' कह दो, 'मेरे लिए अल्लाह काफ़ी है। भरोसा करनेवाले उसी पर भरोसा करते है।' ([३९] अज-ज़ुमर: 38)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ يٰقَوْمِ اعْمَلُوْا عَلٰى مَكَانَتِكُمْ اِنِّيْ عَامِلٌ ۚفَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَۙ ٣٩
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- yāqawmi
- يَٰقَوْمِ
- ऐ मेरी क़ौम
- iʿ'malū
- ٱعْمَلُوا۟
- अमल करो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपनी जगह पर
- makānatikum
- مَكَانَتِكُمْ
- अपनी जगह पर
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- ʿāmilun
- عَٰمِلٌۖ
- अमल करने वाला हूँ
- fasawfa
- فَسَوْفَ
- पस अनक़रीब
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तुम जान लोगे
कह दो, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! तुम अपनी जगह काम करो। मैं (अपनी जगह) काम करता हूँ। तो शीघ्र ही तुम जान लोगे ([३९] अज-ज़ुमर: 39)Tafseer (तफ़सीर )
مَنْ يَّأْتِيْهِ عَذَابٌ يُّخْزِيْهِ وَيَحِلُّ عَلَيْهِ عَذَابٌ مُّقِيْمٌ ٤٠
- man
- مَن
- कौन है
- yatīhi
- يَأْتِيهِ
- आता है उसके पास
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- ऐसा अज़ाब
- yukh'zīhi
- يُخْزِيهِ
- जो रुस्वा करदे उसे
- wayaḥillu
- وَيَحِلُّ
- और उतरता है
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब
- muqīmun
- مُّقِيمٌ
- क़ायम रहने वाला/ दायमी
कि किस पर वह यातना आती है जो उसे रुसवा कर देगी और किसपर अटल यातना उतरती है।' ([३९] अज-ज़ुमर: 40)Tafseer (तफ़सीर )