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सूरा अज-ज़ुमर - Page: 3

Az-Zumar

(The Troops, Throngs)

२१

اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءً فَسَلَكَهٗ يَنَابِيْعَ فِى الْاَرْضِ ثُمَّ يُخْرِجُ بِهٖ زَرْعًا مُّخْتَلِفًا اَلْوَانُهٗ ثُمَّ يَهِيْجُ فَتَرٰىهُ مُصْفَرًّا ثُمَّ يَجْعَلُهٗ حُطَامًا ۗاِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَذِكْرٰى لِاُولِى الْاَلْبَابِ ࣖ ٢١

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
tara
تَرَ
आपने देखा
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
anzala
أَنزَلَ
उतारा
mina
مِنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
māan
مَآءً
पानी
fasalakahu
فَسَلَكَهُۥ
फिर उसने चलाया उसे
yanābīʿa
يَنَٰبِيعَ
चश्मे (बना कर)
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
thumma
ثُمَّ
फिर
yukh'riju
يُخْرِجُ
वो निकालता है
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
zarʿan
زَرْعًا
खेती को
mukh'talifan
مُّخْتَلِفًا
मुख़्तलिफ़ हैं
alwānuhu
أَلْوَٰنُهُۥ
रंग उसके
thumma
ثُمَّ
फिर
yahīju
يَهِيجُ
वो ख़ुश्क हो जाती है
fatarāhu
فَتَرَىٰهُ
फिर तुम देखते हो उसे
muṣ'farran
مُصْفَرًّا
ज़र्द
thumma
ثُمَّ
फिर
yajʿaluhu
يَجْعَلُهُۥ
वो कर देता है उसे
ḥuṭāman
حُطَٰمًاۚ
रेज़ा-रेज़ा
inna
إِنَّ
यक़ीनन
فِى
उसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
उसमें
ladhik'rā
لَذِكْرَىٰ
अलबत्ता नसीहत है
li-ulī
لِأُو۟لِى
अक़्ल वालों के लिए
l-albābi
ٱلْأَلْبَٰبِ
अक़्ल वालों के लिए
क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ने आकाश से पानी उतारा, फिर धरती में उसके स्रोत प्रवाहित कर दिए; फिर उसने द्वारा खेती निकालता है, जिसके विभिन्न रंग होते है; फिर वह सूखने लगती है; फिर तुम देखते हो कि वह पीली पड़ गई; फिर वह उसे चूर्ण-विचूर्ण कर देता है? निस्संदेह इसमें बुद्धि और समझवालों के लिए बड़ी याददिहानी है ([३९] अज-ज़ुमर: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

اَفَمَنْ شَرَحَ اللّٰهُ صَدْرَهٗ لِلْاِسْلَامِ فَهُوَ عَلٰى نُوْرٍ مِّنْ رَّبِّهٖ ۗفَوَيْلٌ لِّلْقٰسِيَةِ قُلُوْبُهُمْ مِّنْ ذِكْرِ اللّٰهِ ۗ اُولٰۤىِٕكَ فِيْ ضَلٰلٍ مُّبِيْنٍ ٢٢

afaman
أَفَمَن
क्या भला वो जो
sharaḥa
شَرَحَ
खोल दिया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ṣadrahu
صَدْرَهُۥ
सीना उसका
lil'is'lāmi
لِلْإِسْلَٰمِ
इस्लाम के लिए
fahuwa
فَهُوَ
पस वो है
ʿalā
عَلَىٰ
एक नूर पर
nūrin
نُورٍ
एक नूर पर
min
مِّن
अपने रब की तरफ़ से
rabbihi
رَّبِّهِۦۚ
अपने रब की तरफ़ से
fawaylun
فَوَيْلٌ
तो हलाकत है
lil'qāsiyati
لِّلْقَٰسِيَةِ
उनके लिए कि सख़्त हैं
qulūbuhum
قُلُوبُهُم
दिल जिनके
min
مِّن
अल्लाह की याद से
dhik'ri
ذِكْرِ
अल्लाह की याद से
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह की याद से
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
فِى
खुली गुमराही में
ḍalālin
ضَلَٰلٍ
खुली गुमराही में
mubīnin
مُّبِينٍ
खुली गुमराही में
अब क्या वह व्यक्ति जिसका सीना (हृदय) अल्लाह ने इस्लाम के लिए खोल दिया, अतः वह अपने रब की ओर से प्रकाश पर है, (उस व्यक्ति के समान होगा जो कठोर हृदय और अल्लाह की याद से ग़ाफ़िल है)? अतः तबाही है उन लोगों के लिए जिनके दि कठोर हो चुके है, अल्लाह की याद से ख़ाली होकर! वही खुली गुमराही में पड़े हुए है ([३९] अज-ज़ुमर: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

اَللّٰهُ نَزَّلَ اَحْسَنَ الْحَدِيْثِ كِتٰبًا مُّتَشَابِهًا مَّثَانِيَۙ تَقْشَعِرُّ مِنْهُ جُلُوْدُ الَّذِيْنَ يَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ ۚ ثُمَّ تَلِيْنُ جُلُوْدُهُمْ وَقُلُوْبُهُمْ اِلٰى ذِكْرِ اللّٰهِ ۗذٰلِكَ هُدَى اللّٰهِ يَهْدِيْ بِهٖ مَنْ يَّشَاۤءُ ۗوَمَنْ يُّضْلِلِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ هَادٍ ٢٣

al-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
nazzala
نَزَّلَ
नाज़िल की
aḥsana
أَحْسَنَ
बेहतरीन
l-ḥadīthi
ٱلْحَدِيثِ
बात
kitāban
كِتَٰبًا
ऐसी किताब
mutashābihan
مُّتَشَٰبِهًا
आपस में मिलती जुलती है
mathāniya
مَّثَانِىَ
दोहराई जाने वाली है
taqshaʿirru
تَقْشَعِرُّ
लरज़ने लगती हैं
min'hu
مِنْهُ
उससे
julūdu
جُلُودُ
जिल्दें
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों की जो
yakhshawna
يَخْشَوْنَ
डरते हैं
rabbahum
رَبَّهُمْ
अपने रब से
thumma
ثُمَّ
फिर
talīnu
تَلِينُ
नर्म हो जाती हैं
julūduhum
جُلُودُهُمْ
जिल्दें उनकी
waqulūbuhum
وَقُلُوبُهُمْ
और दिल उनके
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ अल्लाह की याद के
dhik'ri
ذِكْرِ
तरफ़ अल्लाह की याद के
l-lahi
ٱللَّهِۚ
तरफ़ अल्लाह की याद के
dhālika
ذَٰلِكَ
ये है
hudā
هُدَى
हिदायत
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
yahdī
يَهْدِى
वो हिदायत देता है
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहता है
waman
وَمَن
और जिसे
yuḍ'lili
يُضْلِلِ
गुमराह कर दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
famā
فَمَا
तो नहीं
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
min
مِنْ
कोई हिदायत देने वाला
hādin
هَادٍ
कोई हिदायत देने वाला
अल्लाह ने सर्वोत्तम वाणी अवतरित की, एक ऐसी किताब जिसके सभी भाग परस्पर मिलते-जुलते है, जो रुख़ फेर देनेवाली (क्रांतिकारी) है। उससे उन लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते है जो अपने रब से डरते है। फिर उनकी खालें (शरीर) और उनके दिल नर्म होकर अल्लाह की याद की ओर झुक जाते है। वह अल्लाह का मार्गदर्शन है, उसके द्वारा वह सीधे मार्ग पर ले आता है, जिसे चाहता है। और जिसको अल्लाह पथभ्रष्ट रहने दे, फिर उसके लिए कोई मार्गदर्शक नहीं ([३९] अज-ज़ुमर: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

اَفَمَنْ يَّتَّقِيْ بِوَجْهِهٖ سُوْۤءَ الْعَذَابِ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۗوَقِيْلَ لِلظّٰلِمِيْنَ ذُوْقُوْا مَا كُنْتُمْ تَكْسِبُوْنَ ٢٤

afaman
أَفَمَن
क्या भला वो जो
yattaqī
يَتَّقِى
बचेगा
biwajhihi
بِوَجْهِهِۦ
साथ अपने चेहरे के
sūa
سُوٓءَ
बुरे
l-ʿadhābi
ٱلْعَذَابِ
अज़ाब से
yawma
يَوْمَ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِۚ
क़यामत के
waqīla
وَقِيلَ
और कहा जाएगा
lilẓẓālimīna
لِلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों से
dhūqū
ذُوقُوا۟
चखो
مَا
जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
taksibūna
تَكْسِبُونَ
तुम कमाई करते
अब क्या जो क़ियामत के दिन अपने चहरें को बुरी यातना (से बचने) की ढाल बनाएगा वह (यातना से सुरक्षित लोगों जैसा होगा)? और ज़ालिमों से कहा जाएगा, 'चखों मज़ा उस कमाई का, जो तुम करते रहे थे!' ([३९] अज-ज़ुमर: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

كَذَّبَ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَاَتٰىهُمُ الْعَذَابُ مِنْ حَيْثُ لَا يَشْعُرُوْنَ ٢٥

kadhaba
كَذَّبَ
झुठलाया
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِمْ
उनसे पहले थे
fa-atāhumu
فَأَتَىٰهُمُ
तो आया उनके पास
l-ʿadhābu
ٱلْعَذَابُ
अज़ाब
min
مِنْ
जहाँ से
ḥaythu
حَيْثُ
जहाँ से
لَا
ना वो शऊर रखते थे
yashʿurūna
يَشْعُرُونَ
ना वो शऊर रखते थे
जो लोग उनसे पहले थे उन्होंने भी झूठलाया। अन्ततः उनपर वहाँ से यातना आ पहुँची, जिसका उन्हें कोई पता न था ([३९] अज-ज़ुमर: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

فَاَذَاقَهُمُ اللّٰهُ الْخِزْيَ فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا ۚوَلَعَذَابُ الْاٰخِرَةِ اَكْبَرُ ۘ لَوْ كَانُوْا يَعْلَمُوْنَ ٢٦

fa-adhāqahumu
فَأَذَاقَهُمُ
तो चखाई उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
l-khiz'ya
ٱلْخِزْىَ
रुस्वाई
فِى
ज़िन्दगी में
l-ḥayati
ٱلْحَيَوٰةِ
ज़िन्दगी में
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَاۖ
दुनिया की
walaʿadhābu
وَلَعَذَابُ
और अलबत्ता अज़ाब
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत का
akbaru
أَكْبَرُۚ
ज़्यादा बड़ा है
law
لَوْ
काश
kānū
كَانُوا۟
होते वो
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
वो जानते
फिर अल्लाह ने उन्हें सांसारिक जीवन में भी रुसवाई का मज़ा चखाया और आख़िरत की यातना तो इससे भी बड़ी है। काश! वे जानते ([३९] अज-ज़ुमर: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

وَلَقَدْ ضَرَبْنَا لِلنَّاسِ فِيْ هٰذَا الْقُرْاٰنِ مِنْ كُلِّ مَثَلٍ لَّعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُوْنَۚ ٢٧

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
ḍarabnā
ضَرَبْنَا
बयान की हमने
lilnnāsi
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
فِى
इस क़ुरआन में
hādhā
هَٰذَا
इस क़ुरआन में
l-qur'āni
ٱلْقُرْءَانِ
इस क़ुरआन में
min
مِن
हर क़िस्म की
kulli
كُلِّ
हर क़िस्म की
mathalin
مَثَلٍ
मिसाल
laʿallahum
لَّعَلَّهُمْ
शायद की वो
yatadhakkarūna
يَتَذَكَّرُونَ
वो नसीहत पकड़ें
हमने इस क़ुरआन में लोगों के लिए हर प्रकार की मिसालें पेश कर दी हैं, ताकि वे शिक्षा ग्रहण करें ([३९] अज-ज़ुमर: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

قُرْاٰنًا عَرَبِيًّا غَيْرَ ذِيْ عِوَجٍ لَّعَلَّهُمْ يَتَّقُوْنَ ٢٨

qur'ānan
قُرْءَانًا
क़ुरआन
ʿarabiyyan
عَرَبِيًّا
अर्बी
ghayra
غَيْرَ
नहीं है
dhī
ذِى
टेढ़ वाला
ʿiwajin
عِوَجٍ
टेढ़ वाला
laʿallahum
لَّعَلَّهُمْ
शायद कि वो
yattaqūna
يَتَّقُونَ
वो डरें
एक अरबी क़ुरआन के रूप में, जिसमें कोई टेढ़ नहीं, ताकि वे धर्मपरायणता अपनाएँ ([३९] अज-ज़ुमर: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

ضَرَبَ اللّٰهُ مَثَلًا رَّجُلًا فِيْهِ شُرَكَاۤءُ مُتَشَاكِسُوْنَ وَرَجُلًا سَلَمًا لِّرَجُلٍ هَلْ يَسْتَوِيٰنِ مَثَلًا ۗ اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ ۗبَلْ اَكْثَرُهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ ٢٩

ḍaraba
ضَرَبَ
बयान की
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
mathalan
مَثَلًا
मिसाल
rajulan
رَّجُلًا
एक आदमी की
fīhi
فِيهِ
जिसमें
shurakāu
شُرَكَآءُ
कई शरीक हैं
mutashākisūna
مُتَشَٰكِسُونَ
बाहम झगड़ने वाले
warajulan
وَرَجُلًا
और एक शख़्स
salaman
سَلَمًا
जो सालिम/ पूरा है
lirajulin
لِّرَجُلٍ
एक ही शख़्स के लिए
hal
هَلْ
क्या
yastawiyāni
يَسْتَوِيَانِ
वो दोनों बराबर हो सकते है
mathalan
مَثَلًاۚ
मिसाल में
l-ḥamdu
ٱلْحَمْدُ
सब तारीफ़
lillahi
لِلَّهِۚ
अल्लाह के लिए है
bal
بَلْ
बल्कि
aktharuhum
أَكْثَرُهُمْ
अक्सर उनके
لَا
नहीं वो इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो इल्म रखते
अल्लाह एक मिसाल पेश करता है कि एक व्यक्ति है, जिसके मालिक होने में कई क्यक्ति साक्षी है, आपस में खींचातानी करनेवाले, और एक क्यक्ति वह है जो पूरा का पूरा एक ही व्यक्ति का है। क्या दोनों का हाल एक जैसा होगा? सारी प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है, किन्तु उनमें से अधिकांश लोग नहीं जानते ([३९] अज-ज़ुमर: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

اِنَّكَ مَيِّتٌ وَّاِنَّهُمْ مَّيِّتُوْنَ ۖ ٣٠

innaka
إِنَّكَ
बेशक आप
mayyitun
مَيِّتٌ
मरने वाले हैं
wa-innahum
وَإِنَّهُم
और बेशक वो भी
mayyitūna
مَّيِّتُونَ
मरने वाले हैं
तुम्हें भी मरना है और उन्हें भी मरना है ([३९] अज-ज़ुमर: 30)
Tafseer (तफ़सीर )