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सूरा स’आद - Page: 9

Sad

(The Letter Sad)

८१

اِلٰى يَوْمِ الْوَقْتِ الْمَعْلُوْمِ ٨١

ilā
إِلَىٰ
उस दिन तक
yawmi
يَوْمِ
उस दिन तक
l-waqti
ٱلْوَقْتِ
जिसका वक़्त
l-maʿlūmi
ٱلْمَعْلُومِ
मालूम है
ज्ञात समय तक मुहलत है।' ([३८] स’आद: 81)
Tafseer (तफ़सीर )
८२

قَالَ فَبِعِزَّتِكَ لَاُغْوِيَنَّهُمْ اَجْمَعِيْنَۙ ٨٢

qāla
قَالَ
उसने कहा
fabiʿizzatika
فَبِعِزَّتِكَ
पस क़सम है तेरी इज़्ज़त की
la-ugh'wiyannahum
لَأُغْوِيَنَّهُمْ
अलबत्ता मैं ज़रूर गुमराह कर दूँगा उन्हें
ajmaʿīna
أَجْمَعِينَ
सब के सब को
उसने कहा, 'तेरे प्रताप की सौगन्ध! मैं अवश्य उन सबको बहकाकर रहूँगा, ([३८] स’आद: 82)
Tafseer (तफ़सीर )
८३

اِلَّا عِبَادَكَ مِنْهُمُ الْمُخْلَصِيْنَ ٨٣

illā
إِلَّا
सिवाए
ʿibādaka
عِبَادَكَ
तेरे बन्दों के
min'humu
مِنْهُمُ
उनमें से
l-mukh'laṣīna
ٱلْمُخْلَصِينَ
जो ख़ालिस किए हुए हैं
सिवाय उनमें से तेरे उन बन्दों के, जो चुने हुए है।' ([३८] स’आद: 83)
Tafseer (तफ़सीर )
८४

قَالَ فَالْحَقُّۖ وَالْحَقَّ اَقُوْلُۚ ٨٤

qāla
قَالَ
फ़रमाया
fal-ḥaqu
فَٱلْحَقُّ
पस हक़ है
wal-ḥaqa
وَٱلْحَقَّ
और हक़ ही
aqūlu
أَقُولُ
मैं कहता हूँ
कहा, 'तो यह सत्य है और मैं सत्य ही कहता हूँ ([३८] स’आद: 84)
Tafseer (तफ़सीर )
८५

لَاَمْلَئَنَّ جَهَنَّمَ مِنْكَ وَمِمَّنْ تَبِعَكَ مِنْهُمْ اَجْمَعِيْنَ ٨٥

la-amla-anna
لَأَمْلَأَنَّ
अलबत्ता मैं ज़रूर भर दूँगा
jahannama
جَهَنَّمَ
जहन्नम को
minka
مِنكَ
तुझसे
wamimman
وَمِمَّن
और उनसे जो
tabiʿaka
تَبِعَكَ
पैरवी करेंगे तेरी
min'hum
مِنْهُمْ
उनमें से
ajmaʿīna
أَجْمَعِينَ
सब के सब से
कि मैं जहन्नम को तुझसे और उन सबसे भर दूँगा, जिन्होंने उनमें से तेरा अनुसरण किया होगा।' ([३८] स’आद: 85)
Tafseer (तफ़सीर )
८६

قُلْ مَآ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ اَجْرٍ وَّمَآ اَنَا۠ مِنَ الْمُتَكَلِّفِيْنَ ٨٦

qul
قُلْ
कह दीजिए
مَآ
नहीं
asalukum
أَسْـَٔلُكُمْ
मैं माँगता तुमसे
ʿalayhi
عَلَيْهِ
इस पर
min
مِنْ
कोई अजर
ajrin
أَجْرٍ
कोई अजर
wamā
وَمَآ
और नहीं हूँ
anā
أَنَا۠
मैं
mina
مِنَ
तकल्लुफ़ करने वालों में से
l-mutakalifīna
ٱلْمُتَكَلِّفِينَ
तकल्लुफ़ करने वालों में से
कह दो, 'मैं इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक नहीं माँगता और न मैं बनानट करनेवालों में से हूँ।' ([३८] स’आद: 86)
Tafseer (तफ़सीर )
८७

اِنْ هُوَ اِلَّا ذِكْرٌ لِّلْعٰلَمِيْنَ ٨٧

in
إِنْ
नहीं है
huwa
هُوَ
वो
illā
إِلَّا
मगर
dhik'run
ذِكْرٌ
एक नसीहत
lil'ʿālamīna
لِّلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहान वालों के लिए
वह तो एक अनुस्मृति है सारे संसारवालों के लिए ([३८] स’आद: 87)
Tafseer (तफ़सीर )
८८

وَلَتَعْلَمُنَّ نَبَاَهٗ بَعْدَ حِيْنٍ ࣖ ٨٨

walataʿlamunna
وَلَتَعْلَمُنَّ
और अलबत्ता तुम ज़रूर जान लोगे
naba-ahu
نَبَأَهُۥ
ख़बर उसकी
baʿda
بَعْدَ
बाद
ḥīnin
حِينٍۭ
एक वक़्त के
और थोड़ी ही अवधि के पश्चात उसकी दी हुई ख़बर तुम्हे मालूम हो जाएगी ([३८] स’आद: 88)
Tafseer (तफ़सीर )