६१
قَالُوْا رَبَّنَا مَنْ قَدَّمَ لَنَا هٰذَا فَزِدْهُ عَذَابًا ضِعْفًا فِى النَّارِ ٦١
- qālū
- قَالُوا۟
- वो कहेंगे
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- man
- مَن
- जो
- qaddama
- قَدَّمَ
- आगे लाया
- lanā
- لَنَا
- हमारे
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- fazid'hu
- فَزِدْهُ
- पस ज़्यादा दे उसे
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- अज़ाब
- ḍiʿ'fan
- ضِعْفًا
- कई गुना
- fī
- فِى
- आग में
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- आग में
वे कहेंगे, 'ऐ हमारे रब! जो हमारे आगे यह (मुसीबत) लाया उसे आग में दोहरी यातना दे!' ([३८] स’आद: 61)Tafseer (तफ़सीर )
६२
وَقَالُوْا مَا لَنَا لَا نَرٰى رِجَالًا كُنَّا نَعُدُّهُمْ مِّنَ الْاَشْرَارِ ٦٢
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और वो कहेंगे
- mā
- مَا
- क्या है
- lanā
- لَنَا
- हमारे लिए
- lā
- لَا
- नहीं हम देखते
- narā
- نَرَىٰ
- नहीं हम देखते
- rijālan
- رِجَالًا
- कुछ लोगों को
- kunnā
- كُنَّا
- थे हम
- naʿudduhum
- نَعُدُّهُم
- शुमार करते उन्हें
- mina
- مِّنَ
- शरीर लोगों में से
- l-ashrāri
- ٱلْأَشْرَارِ
- शरीर लोगों में से
और वे कहेंगे, 'क्या बात है कि हम उन लोगों को नहीं देखते जिनकी गणना हम बुरों में करते थे? ([३८] स’आद: 62)Tafseer (तफ़सीर )
६३
اَتَّخَذْنٰهُمْ سِخْرِيًّا اَمْ زَاغَتْ عَنْهُمُ الْاَبْصَارُ ٦٣
- attakhadhnāhum
- أَتَّخَذْنَٰهُمْ
- क्या बना लिया हमने उनको
- sikh'riyyan
- سِخْرِيًّا
- मज़ाक़
- am
- أَمْ
- या
- zāghat
- زَاغَتْ
- कज हो गईं
- ʿanhumu
- عَنْهُمُ
- उनसे
- l-abṣāru
- ٱلْأَبْصَٰرُ
- निगाहें
क्या हमने यूँ ही उनका मज़ाक बनाया था, यह उनसे निगाहें चूक गई हैं?' ([३८] स’आद: 63)Tafseer (तफ़सीर )
६४
اِنَّ ذٰلِكَ لَحَقٌّ تَخَاصُمُ اَهْلِ النَّارِ ࣖ ٦٤
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- laḥaqqun
- لَحَقٌّ
- अलबत्ता हक़ है
- takhāṣumu
- تَخَاصُمُ
- बाहम झगड़ना
- ahli
- أَهْلِ
- आग वालों का
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- आग वालों का
निस्संदेह आग में पड़नेवालों का यह आपस का झगड़ा तो अवश्य होना है ([३८] स’आद: 64)Tafseer (तफ़सीर )
६५
قُلْ اِنَّمَآ اَنَا۠ مُنْذِرٌ ۖوَّمَا مِنْ اِلٰهٍ اِلَّا اللّٰهُ الْوَاحِدُ الْقَهَّارُ ٦٥
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- innamā
- إِنَّمَآ
- बेशक
- anā
- أَنَا۠
- मैं
- mundhirun
- مُنذِرٌۖ
- डराने वाला हूँ
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- min
- مِنْ
- कोई इलाह (बरहक़)
- ilāhin
- إِلَٰهٍ
- कोई इलाह (बरहक़)
- illā
- إِلَّا
- सिवाए
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह के
- l-wāḥidu
- ٱلْوَٰحِدُ
- जो एक है
- l-qahāru
- ٱلْقَهَّارُ
- बहुत ज़बरदस्त है
कह दो, 'मैं तो बस एक सचेत करनेवाला हूँ। कोई पूज्य-प्रभु नहीं सिवाय अल्लाह के, जो अकेला है, सबपर क़ाबू रखनेवाला; ([३८] स’आद: 65)Tafseer (तफ़सीर )
६६
رَبُّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا الْعَزِيْزُ الْغَفَّارُ ٦٦
- rabbu
- رَبُّ
- रब है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन का
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- baynahumā
- بَيْنَهُمَا
- उन दोनों के दर्मियान है
- l-ʿazīzu
- ٱلْعَزِيزُ
- जो बहुत ज़बरदस्त है
- l-ghafāru
- ٱلْغَفَّٰرُ
- बहुत बख़्शिश फ़रमाने वाला है
आकाशों और धरती का रब है, और जो कुछ इन दोनों के बीच है उसका भी, अत्यन्त प्रभुत्वशाली, बड़ा क्षमाशील।' ([३८] स’आद: 66)Tafseer (तफ़सीर )
६७
قُلْ هُوَ نَبَؤٌا عَظِيْمٌۙ ٦٧
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- huwa
- هُوَ
- वो
- naba-on
- نَبَؤٌا۟
- एक ख़बर है
- ʿaẓīmun
- عَظِيمٌ
- बहुत बड़ी
कह दो, 'वह एक बड़ी ख़बर है, ‘ ([३८] स’आद: 67)Tafseer (तफ़सीर )
६८
اَنْتُمْ عَنْهُ مُعْرِضُوْنَ ٦٨
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- ʿanhu
- عَنْهُ
- उससे
- muʿ'riḍūna
- مُعْرِضُونَ
- ऐराज़ करने वाले हो
जिसे तुम ध्यान में नहीं ला रहे हो ([३८] स’आद: 68)Tafseer (तफ़सीर )
६९
مَا كَانَ لِيَ مِنْ عِلْمٍۢ بِالْمَلَاِ الْاَعْلٰٓى اِذْ يَخْتَصِمُوْنَ ٦٩
- mā
- مَا
- नहीं
- kāna
- كَانَ
- है
- liya
- لِىَ
- मुझे
- min
- مِنْ
- कोई इल्म
- ʿil'min
- عِلْمٍۭ
- कोई इल्म
- bil-mala-i
- بِٱلْمَلَإِ
- मलाए आला/ मुक़र्रब फ़रिश्तों का
- l-aʿlā
- ٱلْأَعْلَىٰٓ
- मलाए आला/ मुक़र्रब फ़रिश्तों का
- idh
- إِذْ
- जब
- yakhtaṣimūna
- يَخْتَصِمُونَ
- वो झगड़ते है
मुझे 'मलए आला' (ऊपरी लोक के फ़रिश्तों) का कोई ज्ञान नहीं था, जब वे वाद-विवाद कर रहे थे ([३८] स’आद: 69)Tafseer (तफ़सीर )
७०
اِنْ يُّوْحٰىٓ اِلَيَّ اِلَّآ اَنَّمَآ اَنَا۠ نَذِيْرٌ مُّبِيْنٌ ٧٠
- in
- إِن
- नहीं
- yūḥā
- يُوحَىٰٓ
- वही की जाती
- ilayya
- إِلَىَّ
- मेरी तरफ़
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- annamā
- أَنَّمَآ
- ये कि
- anā
- أَنَا۠
- मैं तो
- nadhīrun
- نَذِيرٌ
- डराने वाला हूँ
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
मेरी ओर तो बस इसलिए प्रकाशना की जाती है कि मैं खुल्लम-खुल्ला सचेत करनेवाला हूँ।' ([३८] स’आद: 70)Tafseer (तफ़सीर )