५१
مُتَّكِـِٕيْنَ فِيْهَا يَدْعُوْنَ فِيْهَا بِفَاكِهَةٍ كَثِيْرَةٍ وَّشَرَابٍ ٥١
- muttakiīna
- مُتَّكِـِٔينَ
- तकिया लगाए हुए होंगे
- fīhā
- فِيهَا
- उनमें
- yadʿūna
- يَدْعُونَ
- वो तलब करेंगे
- fīhā
- فِيهَا
- उनमें
- bifākihatin
- بِفَٰكِهَةٍ
- फल
- kathīratin
- كَثِيرَةٍ
- बहुत से
- washarābin
- وَشَرَابٍ
- और मशरूबात
उनमें वे तकिया लगाए हुए होंगे। वहाँ वे बहुत-से मेवे और पेय मँगवाते होंगे ([३८] स’आद: 51)Tafseer (तफ़सीर )
५२
وَعِنْدَهُمْ قٰصِرٰتُ الطَّرْفِ اَتْرَابٌ ٥٢
- waʿindahum
- وَعِندَهُمْ
- और उनके पास होंगी
- qāṣirātu
- قَٰصِرَٰتُ
- नीची रखने वालियाँ
- l-ṭarfi
- ٱلطَّرْفِ
- निगाहों को
- atrābun
- أَتْرَابٌ
- हम उमर
और उनके पास निगाहें बचाए रखनेवाली स्त्रियाँ होंगी, जो समान अवस्था की होंगी ([३८] स’आद: 52)Tafseer (तफ़सीर )
५३
هٰذَا مَا تُوْعَدُوْنَ لِيَوْمِ الْحِسَابِ ٥٣
- hādhā
- هَٰذَا
- ये है
- mā
- مَا
- वो जिसका
- tūʿadūna
- تُوعَدُونَ
- तुम वादा किए जाते थे
- liyawmi
- لِيَوْمِ
- दिन के लिए
- l-ḥisābi
- ٱلْحِسَابِ
- हिसाब के
यह है वह चीज़, जिसका हिसाब के दिन के लिए तुमसे वादा किया जाता है ([३८] स’आद: 53)Tafseer (तफ़सीर )
५४
اِنَّ هٰذَا لَرِزْقُنَا مَا لَهٗ مِنْ نَّفَادٍۚ ٥٤
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- lariz'qunā
- لَرِزْقُنَا
- अलबत्ता रिज़्क़ है हमारा
- mā
- مَا
- नहीं है
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- min
- مِن
- कभी ख़त्म होना
- nafādin
- نَّفَادٍ
- कभी ख़त्म होना
यह हमारा दिया है, जो कभी समाप्त न होगा ([३८] स’आद: 54)Tafseer (तफ़सीर )
५५
هٰذَا ۗوَاِنَّ لِلطّٰغِيْنَ لَشَرَّ مَاٰبٍۙ ٥٥
- hādhā
- هَٰذَاۚ
- ये है (बदला)
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- lilṭṭāghīna
- لِلطَّٰغِينَ
- सरकश लोगों के लिए
- lasharra
- لَشَرَّ
- अलबत्ता बुरा है
- maābin
- مَـَٔابٍ
- ठिकाना
एक और यह है, किन्तु सरकशों के लिए बहुत बुरा ठिकाना है; ([३८] स’आद: 55)Tafseer (तफ़सीर )
५६
جَهَنَّمَۚ يَصْلَوْنَهَاۚ فَبِئْسَ الْمِهَادُ ٥٦
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम
- yaṣlawnahā
- يَصْلَوْنَهَا
- वो जलेंगे उसमें
- fabi'sa
- فَبِئْسَ
- तो बहुत बुरा है
- l-mihādu
- ٱلْمِهَادُ
- ठिकाना
जहन्नम, जिसमें वे प्रवेश करेंगे। तो वह बहुत ही बुरा विश्राम-स्थल है! ([३८] स’आद: 56)Tafseer (तफ़सीर )
५७
هٰذَاۙ فَلْيَذُوْقُوْهُ حَمِيْمٌ وَّغَسَّاقٌۙ ٥٧
- hādhā
- هَٰذَا
- ये है (बदला)
- falyadhūqūhu
- فَلْيَذُوقُوهُ
- पस चाहिए कि वो चखें उसे
- ḥamīmun
- حَمِيمٌ
- खौलता हुआ पानी
- waghassāqun
- وَغَسَّاقٌ
- और पीप
यह है, अब उन्हें इसे चखना है - खौलता हुआ पानी और रक्तयुक्त पीप ([३८] स’आद: 57)Tafseer (तफ़सीर )
५८
وَّاٰخَرُ مِنْ شَكْلِهٖٓ اَزْوَاجٌۗ ٥٨
- waākharu
- وَءَاخَرُ
- और कुछ दूसरे
- min
- مِن
- उसकी शक्ल के
- shaklihi
- شَكْلِهِۦٓ
- उसकी शक्ल के
- azwājun
- أَزْوَٰجٌ
- कई क़िस्मों के
और इसी प्रकार की दूसरी और भी चीज़ें ([३८] स’आद: 58)Tafseer (तफ़सीर )
५९
هٰذَا فَوْجٌ مُّقْتَحِمٌ مَّعَكُمْۚ لَا مَرْحَبًا ۢبِهِمْ ۗ اِنَّهُمْ صَالُوا النَّارِ ٥٩
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- fawjun
- فَوْجٌ
- एक फ़ौज/ लश्कर है
- muq'taḥimun
- مُّقْتَحِمٌ
- घुसने वाला है
- maʿakum
- مَّعَكُمْۖ
- साथ तुम्हारे
- lā
- لَا
- नहीं कोई ख़ुश आमदीद
- marḥaban
- مَرْحَبًۢا
- नहीं कोई ख़ुश आमदीद
- bihim
- بِهِمْۚ
- उन्हें
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- ṣālū
- صَالُوا۟
- जलने वाले हैं
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- आग में
'यह एक भीड़ है जो तुम्हारे साथ घुसी चली आ रही है। कोई आवभगत उनके लिए नहीं। वे तो आग में पड़नेवाले है।' ([३८] स’आद: 59)Tafseer (तफ़सीर )
६०
قَالُوْا بَلْ اَنْتُمْ لَا مَرْحَبًاۢ بِكُمْ ۗ اَنْتُمْ قَدَّمْتُمُوْهُ لَنَاۚ فَبِئْسَ الْقَرَارُ ٦٠
- qālū
- قَالُوا۟
- वो कहेंगे
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- lā
- لَا
- ना
- marḥaban
- مَرْحَبًۢا
- नहीं कोई ख़ुश आमदीद
- bikum
- بِكُمْۖ
- तुम्हें
- antum
- أَنتُمْ
- तुम ही
- qaddamtumūhu
- قَدَّمْتُمُوهُ
- आगे लाए तुम उसे
- lanā
- لَنَاۖ
- हमारे लिए
- fabi'sa
- فَبِئْسَ
- तो कितनी बुरी है
- l-qarāru
- ٱلْقَرَارُ
- जाय क़रार
वे कहेंगे, 'नहीं, तुम नहीं। तुम्हारे लिए कोई आवभगत नहीं। तुम्ही यह हमारे आगे लाए हो। तो बहुत ही बुरी है यह ठहरने की जगह!' ([३८] स’आद: 60)Tafseer (तफ़सीर )