११
جُنْدٌ مَّا هُنَالِكَ مَهْزُوْمٌ مِّنَ الْاَحْزَابِ ١١
- jundun
- جُندٌ
- एक लश्कर हक़ीर सा
- mā
- مَّا
- एक लश्कर हक़ीर सा
- hunālika
- هُنَالِكَ
- उसी जगह
- mahzūmun
- مَهْزُومٌ
- शिकस्त खाने वाला है
- mina
- مِّنَ
- गिरोहों में से
- l-aḥzābi
- ٱلْأَحْزَابِ
- गिरोहों में से
वह एक साधारण सेना है (विनष्ट होनेवाले) दलों में से, वहाँ मात खाना जिसकी नियति है ([३८] स’आद: 11)Tafseer (तफ़सीर )
१२
كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوْحٍ وَّعَادٌ وَّفِرْعَوْنُ ذُو الْاَوْتَادِۙ ١٢
- kadhabat
- كَذَّبَتْ
- झुठलाया
- qablahum
- قَبْلَهُمْ
- उनसे पहले
- qawmu
- قَوْمُ
- क़ौमे
- nūḥin
- نُوحٍ
- नूह ने
- waʿādun
- وَعَادٌ
- और आद
- wafir'ʿawnu
- وَفِرْعَوْنُ
- और फ़िरऔन
- dhū
- ذُو
- मेख़ों वाले ने
- l-awtādi
- ٱلْأَوْتَادِ
- मेख़ों वाले ने
उनसे पहले नूह की क़ौम और आद और मेखोंवाले फ़िरऔन ने झुठलाया ([३८] स’आद: 12)Tafseer (तफ़सीर )
१३
وَثَمُوْدُ وَقَوْمُ لُوْطٍ وَّاَصْحٰبُ لْـَٔيْكَةِ ۗ اُولٰۤىِٕكَ الْاَحْزَابُ ١٣
- wathamūdu
- وَثَمُودُ
- और समूद ने
- waqawmu
- وَقَوْمُ
- और क़ौमे
- lūṭin
- لُوطٍ
- लूत
- wa-aṣḥābu
- وَأَصْحَٰبُ
- और ऐका वालों ने
- al'aykati
- لْـَٔيْكَةِۚ
- और ऐका वालों ने
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही हैं वो
- l-aḥzābu
- ٱلْأَحْزَابُ
- गिरोह
और समूद और लूत की क़ौम और 'ऐकावाले' भी, ये है वे दल ([३८] स’आद: 13)Tafseer (तफ़सीर )
१४
اِنْ كُلٌّ اِلَّا كَذَّبَ الرُّسُلَ فَحَقَّ عِقَابِ ࣖ ١٤
- in
- إِن
- नहीं
- kullun
- كُلٌّ
- सबने
- illā
- إِلَّا
- मगर
- kadhaba
- كَذَّبَ
- झुठलाया
- l-rusula
- ٱلرُّسُلَ
- रसूलों को
- faḥaqqa
- فَحَقَّ
- तो साबित हो गई
- ʿiqābi
- عِقَابِ
- सज़ा मेरी
उनमें से प्रत्येक ने रसूलों को झुठलाया, तो मेरी ओर से दंड अवश्यम्भावी होकर रहा ([३८] स’आद: 14)Tafseer (तफ़सीर )
१५
وَمَا يَنْظُرُ هٰٓؤُلَاۤءِ اِلَّا صَيْحَةً وَّاحِدَةً مَّا لَهَا مِنْ فَوَاقٍ ١٥
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yanẓuru
- يَنظُرُ
- इन्तिज़ार करते
- hāulāi
- هَٰٓؤُلَآءِ
- ये लोग
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ṣayḥatan
- صَيْحَةً
- चिंघाड़ का
- wāḥidatan
- وَٰحِدَةً
- एक ही
- mā
- مَّا
- नहीं (होगा)
- lahā
- لَهَا
- जिसके लिए
- min
- مِن
- कोई वक़्फ़ा
- fawāqin
- فَوَاقٍ
- कोई वक़्फ़ा
इन्हें बस एक चीख की प्रतीक्षा है जिसमें तनिक भी अवकाश न होगा ([३८] स’आद: 15)Tafseer (तफ़सीर )
१६
وَقَالُوْا رَبَّنَا عَجِّلْ لَّنَا قِطَّنَا قَبْلَ يَوْمِ الْحِسَابِ ١٦
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और उन्होंने कहा
- rabbanā
- رَبَّنَا
- ऐ हमारे रब
- ʿajjil
- عَجِّل
- जल्दी दे
- lanā
- لَّنَا
- हमें
- qiṭṭanā
- قِطَّنَا
- हिस्सा हमारा
- qabla
- قَبْلَ
- पहले
- yawmi
- يَوْمِ
- यौमे हिसाब के
- l-ḥisābi
- ٱلْحِسَابِ
- यौमे हिसाब के
वे कहते है, 'ऐ हमारे रब! हिसाब के दिन से पहले ही शीघ्र हमारा हिस्सा दे दे।' ([३८] स’आद: 16)Tafseer (तफ़सीर )
१७
اِصْبِرْ عَلٰى مَا يَقُوْلُوْنَ وَاذْكُرْ عَبْدَنَا دَاوٗدَ ذَا الْاَيْدِۚ اِنَّهٗٓ اَوَّابٌ ١٧
- iṣ'bir
- ٱصْبِرْ
- सब्र कीजिए
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उस पर जो
- mā
- مَا
- उस पर जो
- yaqūlūna
- يَقُولُونَ
- वो कहते हैं
- wa-udh'kur
- وَٱذْكُرْ
- और ज़िक्र कीजिए
- ʿabdanā
- عَبْدَنَا
- हमारे बन्दे
- dāwūda
- دَاوُۥدَ
- दाऊद का
- dhā
- ذَا
- जो क़ुव्वत वाला था
- l-aydi
- ٱلْأَيْدِۖ
- जो क़ुव्वत वाला था
- innahu
- إِنَّهُۥٓ
- बेशक वो
- awwābun
- أَوَّابٌ
- बहुत रुजूअ करने वाला था
वे जो कुछ कहते है उसपर धैर्य से काम लो और ज़ोर व शक्तिवाले हमारे बन्दे दाऊद को याद करो। निश्चय ही वह (अल्लाह की ओर) बहुत रुजू करनेवाला था ([३८] स’आद: 17)Tafseer (तफ़सीर )
१८
اِنَّا سَخَّرْنَا الْجِبَالَ مَعَهٗ يُسَبِّحْنَ بِالْعَشِيِّ وَالْاِشْرَاقِۙ ١٨
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- sakharnā
- سَخَّرْنَا
- मुसख़्खर किया हमने
- l-jibāla
- ٱلْجِبَالَ
- पहाड़ों को
- maʿahu
- مَعَهُۥ
- साथ उसके
- yusabbiḥ'na
- يُسَبِّحْنَ
- वो तस्बीह करते थे
- bil-ʿashiyi
- بِٱلْعَشِىِّ
- शाम को
- wal-ish'rāqi
- وَٱلْإِشْرَاقِ
- और सुबह को
हमने पर्वतों को उसके साथ वशीभूत कर दिया था कि प्रातःकाल और सन्ध्य समय तसबीह करते रहे। ([३८] स’आद: 18)Tafseer (तफ़सीर )
१९
وَالطَّيْرَمَحْشُوْرَةً ۗ كُلٌّ لَهٗٓ اَوَّابٌ ١٩
- wal-ṭayra
- وَٱلطَّيْرَ
- और परिन्दे
- maḥshūratan
- مَحْشُورَةًۖ
- इकट्ठे किए हुए
- kullun
- كُلٌّ
- सब के सब
- lahu
- لَّهُۥٓ
- उसके लिए
- awwābun
- أَوَّابٌ
- रुजूअ करने वाले थे
और पक्षियों को भी, जो एकत्र हो जाते थे। प्रत्येक उसके आगे रुजू रहता ([३८] स’आद: 19)Tafseer (तफ़सीर )
२०
وَشَدَدْنَا مُلْكَهٗ وَاٰتَيْنٰهُ الْحِكْمَةَ وَفَصْلَ الْخِطَابِ ٢٠
- washadadnā
- وَشَدَدْنَا
- और मज़बूत कर दी हमने
- mul'kahu
- مُلْكَهُۥ
- सल्तनत उसकी
- waātaynāhu
- وَءَاتَيْنَٰهُ
- और दी हमने उसे
- l-ḥik'mata
- ٱلْحِكْمَةَ
- हिकमत
- wafaṣla
- وَفَصْلَ
- और फ़ैसला कुन
- l-khiṭābi
- ٱلْخِطَابِ
- बात (की सलाहियत)
हमने उसका राज्य सुदृढ़ कर दिया था और उसे तत्वदर्शिता प्रदान की थी और निर्णायक बात कहने की क्षमता प्रदान की थी ([३८] स’आद: 20)Tafseer (तफ़सीर )