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सूरा स’आद - Page: 2

Sad

(The Letter Sad)

११

جُنْدٌ مَّا هُنَالِكَ مَهْزُوْمٌ مِّنَ الْاَحْزَابِ ١١

jundun
جُندٌ
एक लश्कर हक़ीर सा
مَّا
एक लश्कर हक़ीर सा
hunālika
هُنَالِكَ
उसी जगह
mahzūmun
مَهْزُومٌ
शिकस्त खाने वाला है
mina
مِّنَ
गिरोहों में से
l-aḥzābi
ٱلْأَحْزَابِ
गिरोहों में से
वह एक साधारण सेना है (विनष्ट होनेवाले) दलों में से, वहाँ मात खाना जिसकी नियति है ([३८] स’आद: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوْحٍ وَّعَادٌ وَّفِرْعَوْنُ ذُو الْاَوْتَادِۙ ١٢

kadhabat
كَذَّبَتْ
झुठलाया
qablahum
قَبْلَهُمْ
उनसे पहले
qawmu
قَوْمُ
क़ौमे
nūḥin
نُوحٍ
नूह ने
waʿādun
وَعَادٌ
और आद
wafir'ʿawnu
وَفِرْعَوْنُ
और फ़िरऔन
dhū
ذُو
मेख़ों वाले ने
l-awtādi
ٱلْأَوْتَادِ
मेख़ों वाले ने
उनसे पहले नूह की क़ौम और आद और मेखोंवाले फ़िरऔन ने झुठलाया ([३८] स’आद: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

وَثَمُوْدُ وَقَوْمُ لُوْطٍ وَّاَصْحٰبُ لْـَٔيْكَةِ ۗ اُولٰۤىِٕكَ الْاَحْزَابُ ١٣

wathamūdu
وَثَمُودُ
और समूद ने
waqawmu
وَقَوْمُ
और क़ौमे
lūṭin
لُوطٍ
लूत
wa-aṣḥābu
وَأَصْحَٰبُ
और ऐका वालों ने
al'aykati
لْـَٔيْكَةِۚ
और ऐका वालों ने
ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही हैं वो
l-aḥzābu
ٱلْأَحْزَابُ
गिरोह
और समूद और लूत की क़ौम और 'ऐकावाले' भी, ये है वे दल ([३८] स’आद: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

اِنْ كُلٌّ اِلَّا كَذَّبَ الرُّسُلَ فَحَقَّ عِقَابِ ࣖ ١٤

in
إِن
नहीं
kullun
كُلٌّ
सबने
illā
إِلَّا
मगर
kadhaba
كَذَّبَ
झुठलाया
l-rusula
ٱلرُّسُلَ
रसूलों को
faḥaqqa
فَحَقَّ
तो साबित हो गई
ʿiqābi
عِقَابِ
सज़ा मेरी
उनमें से प्रत्येक ने रसूलों को झुठलाया, तो मेरी ओर से दंड अवश्यम्भावी होकर रहा ([३८] स’आद: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

وَمَا يَنْظُرُ هٰٓؤُلَاۤءِ اِلَّا صَيْحَةً وَّاحِدَةً مَّا لَهَا مِنْ فَوَاقٍ ١٥

wamā
وَمَا
और नहीं
yanẓuru
يَنظُرُ
इन्तिज़ार करते
hāulāi
هَٰٓؤُلَآءِ
ये लोग
illā
إِلَّا
मगर
ṣayḥatan
صَيْحَةً
चिंघाड़ का
wāḥidatan
وَٰحِدَةً
एक ही
مَّا
नहीं (होगा)
lahā
لَهَا
जिसके लिए
min
مِن
कोई वक़्फ़ा
fawāqin
فَوَاقٍ
कोई वक़्फ़ा
इन्हें बस एक चीख की प्रतीक्षा है जिसमें तनिक भी अवकाश न होगा ([३८] स’आद: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

وَقَالُوْا رَبَّنَا عَجِّلْ لَّنَا قِطَّنَا قَبْلَ يَوْمِ الْحِسَابِ ١٦

waqālū
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
rabbanā
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
ʿajjil
عَجِّل
जल्दी दे
lanā
لَّنَا
हमें
qiṭṭanā
قِطَّنَا
हिस्सा हमारा
qabla
قَبْلَ
पहले
yawmi
يَوْمِ
यौमे हिसाब के
l-ḥisābi
ٱلْحِسَابِ
यौमे हिसाब के
वे कहते है, 'ऐ हमारे रब! हिसाब के दिन से पहले ही शीघ्र हमारा हिस्सा दे दे।' ([३८] स’आद: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

اِصْبِرْ عَلٰى مَا يَقُوْلُوْنَ وَاذْكُرْ عَبْدَنَا دَاوٗدَ ذَا الْاَيْدِۚ اِنَّهٗٓ اَوَّابٌ ١٧

iṣ'bir
ٱصْبِرْ
सब्र कीजिए
ʿalā
عَلَىٰ
उस पर जो
مَا
उस पर जो
yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
wa-udh'kur
وَٱذْكُرْ
और ज़िक्र कीजिए
ʿabdanā
عَبْدَنَا
हमारे बन्दे
dāwūda
دَاوُۥدَ
दाऊद का
dhā
ذَا
जो क़ुव्वत वाला था
l-aydi
ٱلْأَيْدِۖ
जो क़ुव्वत वाला था
innahu
إِنَّهُۥٓ
बेशक वो
awwābun
أَوَّابٌ
बहुत रुजूअ करने वाला था
वे जो कुछ कहते है उसपर धैर्य से काम लो और ज़ोर व शक्तिवाले हमारे बन्दे दाऊद को याद करो। निश्चय ही वह (अल्लाह की ओर) बहुत रुजू करनेवाला था ([३८] स’आद: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

اِنَّا سَخَّرْنَا الْجِبَالَ مَعَهٗ يُسَبِّحْنَ بِالْعَشِيِّ وَالْاِشْرَاقِۙ ١٨

innā
إِنَّا
बेशक हम
sakharnā
سَخَّرْنَا
मुसख़्खर किया हमने
l-jibāla
ٱلْجِبَالَ
पहाड़ों को
maʿahu
مَعَهُۥ
साथ उसके
yusabbiḥ'na
يُسَبِّحْنَ
वो तस्बीह करते थे
bil-ʿashiyi
بِٱلْعَشِىِّ
शाम को
wal-ish'rāqi
وَٱلْإِشْرَاقِ
और सुबह को
हमने पर्वतों को उसके साथ वशीभूत कर दिया था कि प्रातःकाल और सन्ध्य समय तसबीह करते रहे। ([३८] स’आद: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

وَالطَّيْرَمَحْشُوْرَةً ۗ كُلٌّ لَهٗٓ اَوَّابٌ ١٩

wal-ṭayra
وَٱلطَّيْرَ
और परिन्दे
maḥshūratan
مَحْشُورَةًۖ
इकट्ठे किए हुए
kullun
كُلٌّ
सब के सब
lahu
لَّهُۥٓ
उसके लिए
awwābun
أَوَّابٌ
रुजूअ करने वाले थे
और पक्षियों को भी, जो एकत्र हो जाते थे। प्रत्येक उसके आगे रुजू रहता ([३८] स’आद: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

وَشَدَدْنَا مُلْكَهٗ وَاٰتَيْنٰهُ الْحِكْمَةَ وَفَصْلَ الْخِطَابِ ٢٠

washadadnā
وَشَدَدْنَا
और मज़बूत कर दी हमने
mul'kahu
مُلْكَهُۥ
सल्तनत उसकी
waātaynāhu
وَءَاتَيْنَٰهُ
और दी हमने उसे
l-ḥik'mata
ٱلْحِكْمَةَ
हिकमत
wafaṣla
وَفَصْلَ
और फ़ैसला कुन
l-khiṭābi
ٱلْخِطَابِ
बात (की सलाहियत)
हमने उसका राज्य सुदृढ़ कर दिया था और उसे तत्वदर्शिता प्रदान की थी और निर्णायक बात कहने की क्षमता प्रदान की थी ([३८] स’आद: 20)
Tafseer (तफ़सीर )