صۤ ۗوَالْقُرْاٰنِ ذِى الذِّكْرِۗ ١
- sad
- صٓۚ
- ص
- wal-qur'āni
- وَٱلْقُرْءَانِ
- क़सम है क़ुरआन
- dhī
- ذِى
- नसीहत वाले की
- l-dhik'ri
- ٱلذِّكْرِ
- नसीहत वाले की
साद। क़सम है, याददिहानी-वाले क़ुरआन की (जिसमें कोई कमी नहीं कि धर्मविरोधी सत्य को न समझ सकें) ([३८] स’आद: 1)Tafseer (तफ़सीर )
بَلِ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا فِيْ عِزَّةٍ وَّشِقَاقٍ ٢
- bali
- بَلِ
- बल्कि
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- fī
- فِى
- तकब्बुर में
- ʿizzatin
- عِزَّةٍ
- तकब्बुर में
- washiqāqin
- وَشِقَاقٍ
- और मुख़ालिफ़त में हैं
बल्कि जिन्होंने इनकार किया वे गर्व और विरोध में पड़े हुए है ([३८] स’आद: 2)Tafseer (तफ़सीर )
كَمْ اَهْلَكْنَا مِنْ قَبْلِهِمْ مِّنْ قَرْنٍ فَنَادَوْا وَّلَاتَ حِيْنَ مَنَاصٍ ٣
- kam
- كَمْ
- कितनी ही
- ahlaknā
- أَهْلَكْنَا
- हलाक कीं हमने
- min
- مِن
- उनसे पहले
- qablihim
- قَبْلِهِم
- उनसे पहले
- min
- مِّن
- उम्मतें
- qarnin
- قَرْنٍ
- उम्मतें
- fanādaw
- فَنَادَوا۟
- तो उन्होंने पुकारा
- walāta
- وَّلَاتَ
- और ना थी
- ḥīna
- حِينَ
- उस वक़्त
- manāṣin
- مَنَاصٍ
- कोई पनाहगाह
उनसे पहले हमने कितनी ही पीढ़ियों को विनष्ट किया, तो वे लगे पुकारने। किन्तु वह समय हटने-बचने का न था ([३८] स’आद: 3)Tafseer (तफ़सीर )
وَعَجِبُوْٓا اَنْ جَاۤءَهُمْ مُّنْذِرٌ مِّنْهُمْ ۖوَقَالَ الْكٰفِرُوْنَ هٰذَا سٰحِرٌ كَذَّابٌۚ ٤
- waʿajibū
- وَعَجِبُوٓا۟
- और उन्होंने ताअज्जुब किया
- an
- أَن
- कि
- jāahum
- جَآءَهُم
- आया उनके पास
- mundhirun
- مُّنذِرٌ
- एक डराने वाला
- min'hum
- مِّنْهُمْۖ
- उनमें से
- waqāla
- وَقَالَ
- और कहा
- l-kāfirūna
- ٱلْكَٰفِرُونَ
- काफ़िरों ने
- hādhā
- هَٰذَا
- ये है
- sāḥirun
- سَٰحِرٌ
- जादूगर
- kadhābun
- كَذَّابٌ
- सख़्त झूठा
उन्होंने आश्चर्य किया इसपर कि उनके पास उन्हीं में से एक सचेतकर्ता आया और इनकार करनेवाले कहने लगे, 'यह जादूगर है बड़ा झूठा ([३८] स’आद: 4)Tafseer (तफ़सीर )
اَجَعَلَ الْاٰلِهَةَ اِلٰهًا وَّاحِدًا ۖاِنَّ هٰذَا لَشَيْءٌ عُجَابٌ ٥
- ajaʿala
- أَجَعَلَ
- क्या उसने बना लिया
- l-ālihata
- ٱلْءَالِهَةَ
- बहुत से इलाहों को
- ilāhan
- إِلَٰهًا
- इलाह
- wāḥidan
- وَٰحِدًاۖ
- एक ही
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- lashayon
- لَشَىْءٌ
- अलबत्ता एक चीज़ है
- ʿujābun
- عُجَابٌ
- बहुत अजीब
क्या उसने सारे उपास्यों को अकेला एक उपास्य ठहरा दिया? निस्संदेह यह तो बहुत अचम्भेवाली चीज़ है!' ([३८] स’आद: 5)Tafseer (तफ़सीर )
وَانْطَلَقَ الْمَلَاُ مِنْهُمْ اَنِ امْشُوْا وَاصْبِرُوْا عَلٰٓى اٰلِهَتِكُمْ ۖاِنَّ هٰذَا لَشَيْءٌ يُّرَادُ ۖ ٦
- wa-inṭalaqa
- وَٱنطَلَقَ
- और चल दिए
- l-mala-u
- ٱلْمَلَأُ
- सरदार
- min'hum
- مِنْهُمْ
- उनमें से
- ani
- أَنِ
- कि
- im'shū
- ٱمْشُوا۟
- चलो
- wa-iṣ'birū
- وَٱصْبِرُوا۟
- और जमे रहो
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- अपने इलाहों पर
- ālihatikum
- ءَالِهَتِكُمْۖ
- अपने इलाहों पर
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- lashayon
- لَشَىْءٌ
- अलबत्ता एक चीज़ है
- yurādu
- يُرَادُ
- जो इरादा की जारही है
और उनके सरदार (यह कहते हुए) चल खड़े हुए कि 'चलते रहो और अपने उपास्यों पर जमें रहो। निस्संदेह यह वांछिच चीज़ है ([३८] स’आद: 6)Tafseer (तफ़सीर )
مَا سَمِعْنَا بِهٰذَا فِى الْمِلَّةِ الْاٰخِرَةِ ۖاِنْ هٰذَآ اِلَّا اخْتِلَاقٌۚ ٧
- mā
- مَا
- नहीं
- samiʿ'nā
- سَمِعْنَا
- सुनी हमने
- bihādhā
- بِهَٰذَا
- ये (बात)
- fī
- فِى
- मिल्लत में
- l-milati
- ٱلْمِلَّةِ
- मिल्लत में
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِ
- पिछली
- in
- إِنْ
- नहीं
- hādhā
- هَٰذَآ
- ये
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ikh'tilāqun
- ٱخْتِلَٰقٌ
- मन गढ़त
यह बात तो हमने पिछले धर्म में सुनी ही नहीं। यह तो बस मनघड़त है ([३८] स’आद: 7)Tafseer (तफ़सीर )
اَؤُنْزِلَ عَلَيْهِ الذِّكْرُ مِنْۢ بَيْنِنَا ۗبَلْ هُمْ فِيْ شَكٍّ مِّنْ ذِكْرِيْۚ بَلْ لَّمَّا يَذُوْقُوْا عَذَابِ ۗ ٨
- a-unzila
- أَءُنزِلَ
- क्या नाज़िल की गई
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- l-dhik'ru
- ٱلذِّكْرُ
- नसीहत
- min
- مِنۢ
- हमारे दर्मियान से
- bayninā
- بَيْنِنَاۚ
- हमारे दर्मियान से
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- hum
- هُمْ
- वो
- fī
- فِى
- शक में हैं
- shakkin
- شَكٍّ
- शक में हैं
- min
- مِّن
- मेरी नसीहत से
- dhik'rī
- ذِكْرِىۖ
- मेरी नसीहत से
- bal
- بَل
- बल्कि
- lammā
- لَّمَّا
- अभी तक नहीं
- yadhūqū
- يَذُوقُوا۟
- उन्होंने चखा
- ʿadhābi
- عَذَابِ
- अज़ाब मेरा
क्या हम सबमें से (चुनकर) इसी पर अनुस्मृति अवतरित हुई है?' नहीं, बल्कि वे मेरी अनुस्मृति के विषय में संदेह में है, बल्कि उन्होंने अभी तक मेरी यातना का मज़ा चखा ही नहीं है ([३८] स’आद: 8)Tafseer (तफ़सीर )
اَمْ عِنْدَهُمْ خَزَاۤىِٕنُ رَحْمَةِ رَبِّكَ الْعَزِيْزِ الْوَهَّابِۚ ٩
- am
- أَمْ
- क्या
- ʿindahum
- عِندَهُمْ
- उनके पास
- khazāinu
- خَزَآئِنُ
- ख़ज़ाने हैं
- raḥmati
- رَحْمَةِ
- रहमत के
- rabbika
- رَبِّكَ
- आपके रब की
- l-ʿazīzi
- ٱلْعَزِيزِ
- जो बड़ा ज़बरदस्त हैं
- l-wahābi
- ٱلْوَهَّابِ
- बहुत अता करने वाला है
या, तेरे प्रभुत्वशाली, बड़े दाता रब की दयालुता के ख़ज़ाने उनके पास है? ([३८] स’आद: 9)Tafseer (तफ़सीर )
اَمْ لَهُمْ مُّلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۗفَلْيَرْتَقُوْا فِى الْاَسْبَابِ ١٠
- am
- أَمْ
- या
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- mul'ku
- مُّلْكُ
- बादशाहत है
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِ
- और ज़मीन की
- wamā
- وَمَا
- और जो
- baynahumā
- بَيْنَهُمَاۖ
- दर्मियान है उन दोनों के
- falyartaqū
- فَلْيَرْتَقُوا۟
- पस चाहिए कि वो चढ़ जाऐं
- fī
- فِى
- रास्तों में (आसमान के)
- l-asbābi
- ٱلْأَسْبَٰبِ
- रास्तों में (आसमान के)
या, आकाशों और धरती और जो कुछ उनके बीच है, उन सबकी बादशाही उन्हीं की है? फिर तो चाहिए कि वे रस्सियों द्वारा ऊपर चढ़ जाए ([३८] स’आद: 10)Tafseer (तफ़सीर )