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सूरा अस-सफ्फात - Page: 8

As-Saffat

(Those Who Set The Ranks, drawn Up In Ranks)

७१

وَلَقَدْ ضَلَّ قَبْلَهُمْ اَكْثَرُ الْاَوَّلِيْنَۙ ٧١

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
ḍalla
ضَلَّ
भटक गए
qablahum
قَبْلَهُمْ
उनसे क़ब्ल
aktharu
أَكْثَرُ
बहुत से
l-awalīna
ٱلْأَوَّلِينَ
पहले लोग
और उनसे पहले भी पूर्ववर्ती लोगों में अधिकांश पथभ्रष्ट हो चुके है, ([३७] अस-सफ्फात: 71)
Tafseer (तफ़सीर )
७२

وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا فِيْهِمْ مُّنْذِرِيْنَ ٧٢

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
arsalnā
أَرْسَلْنَا
भेजे हमने
fīhim
فِيهِم
उनमें
mundhirīna
مُّنذِرِينَ
डराने वाले
हमने उनमें सचेत करनेवाले भेजे थे। ([३७] अस-सफ्फात: 72)
Tafseer (तफ़सीर )
७३

فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُنْذَرِيْنَۙ ٧٣

fa-unẓur
فَٱنظُرْ
तो देखो
kayfa
كَيْفَ
कैसा
kāna
كَانَ
हुआ
ʿāqibatu
عَٰقِبَةُ
अंजाम
l-mundharīna
ٱلْمُنذَرِينَ
डराए जाने वालों का
तो अब देख लो उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ, जिन्हे सचेत किया गया था ([३७] अस-सफ्फात: 73)
Tafseer (तफ़सीर )
७४

اِلَّا عِبَادَ اللّٰهِ الْمُخْلَصِيْنَ ࣖ ٧٤

illā
إِلَّا
मगर
ʿibāda
عِبَادَ
बन्दे
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
l-mukh'laṣīna
ٱلْمُخْلَصِينَ
जो ख़ालिस किए हुए हैं
अलबत्ता अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है ([३७] अस-सफ्फात: 74)
Tafseer (तफ़सीर )
७५

وَلَقَدْ نَادٰىنَا نُوْحٌ فَلَنِعْمَ الْمُجِيْبُوْنَۖ ٧٥

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
nādānā
نَادَىٰنَا
पुकारा हमें
nūḥun
نُوحٌ
नूह ने
falaniʿ'ma
فَلَنِعْمَ
पस अलबत्ता कितने अच्छे हैं
l-mujībūna
ٱلْمُجِيبُونَ
जवाब देने वाले
नूह ने हमको पुकारा था, तो हम कैसे अच्छे है निवेदन स्वीकार करनेवाले! ([३७] अस-सफ्फात: 75)
Tafseer (तफ़सीर )
७६

وَنَجَّيْنٰهُ وَاَهْلَهٗ مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيْمِۖ ٧٦

wanajjaynāhu
وَنَجَّيْنَٰهُ
और निजात दी हमने उसे
wa-ahlahu
وَأَهْلَهُۥ
और उसके घर वालों को
mina
مِنَ
मुसीबत से
l-karbi
ٱلْكَرْبِ
मुसीबत से
l-ʿaẓīmi
ٱلْعَظِيمِ
बहुत बड़ी
हमने उसे और उसके लोगों को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया ([३७] अस-सफ्फात: 76)
Tafseer (तफ़सीर )
७७

وَجَعَلْنَا ذُرِّيَّتَهٗ هُمُ الْبٰقِيْنَ ٧٧

wajaʿalnā
وَجَعَلْنَا
और रखा हमने
dhurriyyatahu
ذُرِّيَّتَهُۥ
उसकी औलाद को
humu
هُمُ
वो ही
l-bāqīna
ٱلْبَاقِينَ
बाक़ी रहने वाले
और हमने उसकी सतति (औलाद व अनुयायी) ही को बाक़ी रखा ([३७] अस-सफ्फात: 77)
Tafseer (तफ़सीर )
७८

وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِى الْاٰخِرِيْنَ ۖ ٧٨

wataraknā
وَتَرَكْنَا
और बाक़ी रखा हमने
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर (ज़िक्र ख़ैर )
فِى
बाद वालों में
l-ākhirīna
ٱلْءَاخِرِينَ
बाद वालों में
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा ([३७] अस-सफ्फात: 78)
Tafseer (तफ़सीर )
७९

سَلٰمٌ عَلٰى نُوْحٍ فِى الْعٰلَمِيْنَ ٧٩

salāmun
سَلَٰمٌ
सलाम है
ʿalā
عَلَىٰ
नूह पर
nūḥin
نُوحٍ
नूह पर
فِى
तमाम जहान वालों में
l-ʿālamīna
ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम जहान वालों में
कि 'सलाम है नूह पर सम्पूर्ण संसारवालों में!' ([३७] अस-सफ्फात: 79)
Tafseer (तफ़सीर )
८०

اِنَّا كَذٰلِكَ نَجْزِى الْمُحْسِنِيْنَ ٨٠

innā
إِنَّا
बेशक हम
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
najzī
نَجْزِى
हम बदला देते हैं
l-muḥ'sinīna
ٱلْمُحْسِنِينَ
एहसान करने वालों को
निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते है ([३७] अस-सफ्फात: 80)
Tafseer (तफ़सीर )