७१
وَلَقَدْ ضَلَّ قَبْلَهُمْ اَكْثَرُ الْاَوَّلِيْنَۙ ٧١
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- ḍalla
- ضَلَّ
- भटक गए
- qablahum
- قَبْلَهُمْ
- उनसे क़ब्ल
- aktharu
- أَكْثَرُ
- बहुत से
- l-awalīna
- ٱلْأَوَّلِينَ
- पहले लोग
और उनसे पहले भी पूर्ववर्ती लोगों में अधिकांश पथभ्रष्ट हो चुके है, ([३७] अस-सफ्फात: 71)Tafseer (तफ़सीर )
७२
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا فِيْهِمْ مُّنْذِرِيْنَ ٧٢
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- arsalnā
- أَرْسَلْنَا
- भेजे हमने
- fīhim
- فِيهِم
- उनमें
- mundhirīna
- مُّنذِرِينَ
- डराने वाले
हमने उनमें सचेत करनेवाले भेजे थे। ([३७] अस-सफ्फात: 72)Tafseer (तफ़सीर )
७३
فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُنْذَرِيْنَۙ ٧٣
- fa-unẓur
- فَٱنظُرْ
- तो देखो
- kayfa
- كَيْفَ
- कैसा
- kāna
- كَانَ
- हुआ
- ʿāqibatu
- عَٰقِبَةُ
- अंजाम
- l-mundharīna
- ٱلْمُنذَرِينَ
- डराए जाने वालों का
तो अब देख लो उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ, जिन्हे सचेत किया गया था ([३७] अस-सफ्फात: 73)Tafseer (तफ़सीर )
७४
اِلَّا عِبَادَ اللّٰهِ الْمُخْلَصِيْنَ ࣖ ٧٤
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ʿibāda
- عِبَادَ
- बन्दे
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- l-mukh'laṣīna
- ٱلْمُخْلَصِينَ
- जो ख़ालिस किए हुए हैं
अलबत्ता अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है ([३७] अस-सफ्फात: 74)Tafseer (तफ़सीर )
७५
وَلَقَدْ نَادٰىنَا نُوْحٌ فَلَنِعْمَ الْمُجِيْبُوْنَۖ ٧٥
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- nādānā
- نَادَىٰنَا
- पुकारा हमें
- nūḥun
- نُوحٌ
- नूह ने
- falaniʿ'ma
- فَلَنِعْمَ
- पस अलबत्ता कितने अच्छे हैं
- l-mujībūna
- ٱلْمُجِيبُونَ
- जवाब देने वाले
नूह ने हमको पुकारा था, तो हम कैसे अच्छे है निवेदन स्वीकार करनेवाले! ([३७] अस-सफ्फात: 75)Tafseer (तफ़सीर )
७६
وَنَجَّيْنٰهُ وَاَهْلَهٗ مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيْمِۖ ٧٦
- wanajjaynāhu
- وَنَجَّيْنَٰهُ
- और निजात दी हमने उसे
- wa-ahlahu
- وَأَهْلَهُۥ
- और उसके घर वालों को
- mina
- مِنَ
- मुसीबत से
- l-karbi
- ٱلْكَرْبِ
- मुसीबत से
- l-ʿaẓīmi
- ٱلْعَظِيمِ
- बहुत बड़ी
हमने उसे और उसके लोगों को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया ([३७] अस-सफ्फात: 76)Tafseer (तफ़सीर )
७७
وَجَعَلْنَا ذُرِّيَّتَهٗ هُمُ الْبٰقِيْنَ ٧٧
- wajaʿalnā
- وَجَعَلْنَا
- और रखा हमने
- dhurriyyatahu
- ذُرِّيَّتَهُۥ
- उसकी औलाद को
- humu
- هُمُ
- वो ही
- l-bāqīna
- ٱلْبَاقِينَ
- बाक़ी रहने वाले
और हमने उसकी सतति (औलाद व अनुयायी) ही को बाक़ी रखा ([३७] अस-सफ्फात: 77)Tafseer (तफ़सीर )
७८
وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِى الْاٰخِرِيْنَ ۖ ٧٨
- wataraknā
- وَتَرَكْنَا
- और बाक़ी रखा हमने
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर (ज़िक्र ख़ैर )
- fī
- فِى
- बाद वालों में
- l-ākhirīna
- ٱلْءَاخِرِينَ
- बाद वालों में
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा ([३७] अस-सफ्फात: 78)Tafseer (तफ़सीर )
७९
سَلٰمٌ عَلٰى نُوْحٍ فِى الْعٰلَمِيْنَ ٧٩
- salāmun
- سَلَٰمٌ
- सलाम है
- ʿalā
- عَلَىٰ
- नूह पर
- nūḥin
- نُوحٍ
- नूह पर
- fī
- فِى
- तमाम जहान वालों में
- l-ʿālamīna
- ٱلْعَٰلَمِينَ
- तमाम जहान वालों में
कि 'सलाम है नूह पर सम्पूर्ण संसारवालों में!' ([३७] अस-सफ्फात: 79)Tafseer (तफ़सीर )
८०
اِنَّا كَذٰلِكَ نَجْزِى الْمُحْسِنِيْنَ ٨٠
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- najzī
- نَجْزِى
- हम बदला देते हैं
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- एहसान करने वालों को
निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते है ([३७] अस-सफ्फात: 80)Tafseer (तफ़सीर )