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सूरा अस-सफ्फात - Page: 6

As-Saffat

(Those Who Set The Ranks, drawn Up In Ranks)

५१

قَالَ قَاۤىِٕلٌ مِّنْهُمْ اِنِّيْ كَانَ لِيْ قَرِيْنٌۙ ٥١

qāla
قَالَ
कहेगा
qāilun
قَآئِلٌ
एक कहने वाला
min'hum
مِّنْهُمْ
उनमें से
innī
إِنِّى
बेशक मैं
kāna
كَانَ
था
لِى
मेरा
qarīnun
قَرِينٌ
एक साथी
उनमें से एक कहनेवाला कहेगा, 'मेरा एक साथी था; ([३७] अस-सफ्फात: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

يَّقُوْلُ اَىِٕنَّكَ لَمِنَ الْمُصَدِّقِيْنَ ٥٢

yaqūlu
يَقُولُ
वो कहा करता था
a-innaka
أَءِنَّكَ
क्या बेशक तुम
lamina
لَمِنَ
अलबत्ता तस्दीक़ करने वालों में से हो
l-muṣadiqīna
ٱلْمُصَدِّقِينَ
अलबत्ता तस्दीक़ करने वालों में से हो
जो कहा करता था क्या तुम भी पुष्टि करनेवालों में से हो? ([३७] अस-सफ्फात: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

ءَاِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَّعِظَامًا ءَاِنَّا لَمَدِيْنُوْنَ ٥٣

a-idhā
أَءِذَا
क्या जब
mit'nā
مِتْنَا
मर जाऐंगे हम
wakunnā
وَكُنَّا
और हो जाऐंगे हम
turāban
تُرَابًا
मिट्टी
waʿiẓāman
وَعِظَٰمًا
और हड्डियाँ
a-innā
أَءِنَّا
क्या बेशक हम
lamadīnūna
لَمَدِينُونَ
अलबत्ता बदला दिए जाने वाले हैं
क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में बदला पाएँगे?' ([३७] अस-सफ्फात: 53)
Tafseer (तफ़सीर )
५४

قَالَ هَلْ اَنْتُمْ مُّطَّلِعُوْنَ ٥٤

qāla
قَالَ
उसने कहा
hal
هَلْ
क्या
antum
أَنتُم
तुम
muṭṭaliʿūna
مُّطَّلِعُونَ
झाँक कर देखने वाले हो
वह कहेगा, 'क्या तुम झाँककर देखोगे?' ([३७] अस-सफ्फात: 54)
Tafseer (तफ़सीर )
५५

فَاطَّلَعَ فَرَاٰهُ فِيْ سَوَاۤءِ الْجَحِيْمِ ٥٥

fa-iṭṭalaʿa
فَٱطَّلَعَ
तो वो झाँकेगा
faraāhu
فَرَءَاهُ
तो वो देखेगा उसे
فِى
वस्त/ दर्मियान में
sawāi
سَوَآءِ
वस्त/ दर्मियान में
l-jaḥīmi
ٱلْجَحِيمِ
जहन्नम के
फिर वह झाँकेगा तो उसे भड़कती हुई आग के बीच में देखेगा ([३७] अस-सफ्फात: 55)
Tafseer (तफ़सीर )
५६

قَالَ تَاللّٰهِ اِنْ كِدْتَّ لَتُرْدِيْنِ ۙ ٥٦

qāla
قَالَ
वो कहेगा
tal-lahi
تَٱللَّهِ
क़सम अल्लाह की
in
إِن
बेशक
kidtta
كِدتَّ
क़रीब था तू
latur'dīni
لَتُرْدِينِ
अलबत्ता तू हलाक कर देता मुझे
कहेगा, 'अल्लाह की क़सम! तुम तो मुझे तबाह ही करने को थे ([३७] अस-सफ्फात: 56)
Tafseer (तफ़सीर )
५७

وَلَوْلَا نِعْمَةُ رَبِّيْ لَكُنْتُ مِنَ الْمُحْضَرِيْنَ ٥٧

walawlā
وَلَوْلَا
और अगर ना होती
niʿ'matu
نِعْمَةُ
नेअमत
rabbī
رَبِّى
मेरे रब की
lakuntu
لَكُنتُ
अलबत्ता होता मैं
mina
مِنَ
हाज़िर किए जाने वालों में से
l-muḥ'ḍarīna
ٱلْمُحْضَرِينَ
हाज़िर किए जाने वालों में से
यदि मेरे रब की अनुकम्पा न होती तो अवश्य ही मैं भी पकड़कर हाज़िर किए गए लोगों में से होता ([३७] अस-सफ्फात: 57)
Tafseer (तफ़सीर )
५८

اَفَمَا نَحْنُ بِمَيِّتِيْنَۙ ٥٨

afamā
أَفَمَا
क्या भला नहीं
naḥnu
نَحْنُ
हम
bimayyitīna
بِمَيِّتِينَ
मरने वाले
है ना अब ऐसा कि हम मरने के नहीं। ([३७] अस-सफ्फात: 58)
Tafseer (तफ़सीर )
५९

اِلَّا مَوْتَتَنَا الْاُوْلٰى وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِيْنَ ٥٩

illā
إِلَّا
मगर
mawtatanā
مَوْتَتَنَا
मौत हमारी
l-ūlā
ٱلْأُولَىٰ
पहली
wamā
وَمَا
और नहीं
naḥnu
نَحْنُ
हम
bimuʿadhabīna
بِمُعَذَّبِينَ
अज़ाब दिए जाने वाले
हमें जो मृत्यु आनी थी वह बस पहले आ चुकी। और हमें कोई यातना ही दी जाएगी!' ([३७] अस-सफ्फात: 59)
Tafseer (तफ़सीर )
६०

اِنَّ هٰذَا لَهُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيْمُ ٦٠

inna
إِنَّ
बेशक
hādhā
هَٰذَا
ये
lahuwa
لَهُوَ
अलबत्ता वो ही
l-fawzu
ٱلْفَوْزُ
कामयाबी है
l-ʿaẓīmu
ٱلْعَظِيمُ
बहुत बड़ी
निश्चय ही यही बड़ी सफलता है ([३७] अस-सफ्फात: 60)
Tafseer (तफ़सीर )