५१
قَالَ قَاۤىِٕلٌ مِّنْهُمْ اِنِّيْ كَانَ لِيْ قَرِيْنٌۙ ٥١
- qāla
- قَالَ
- कहेगा
- qāilun
- قَآئِلٌ
- एक कहने वाला
- min'hum
- مِّنْهُمْ
- उनमें से
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- kāna
- كَانَ
- था
- lī
- لِى
- मेरा
- qarīnun
- قَرِينٌ
- एक साथी
उनमें से एक कहनेवाला कहेगा, 'मेरा एक साथी था; ([३७] अस-सफ्फात: 51)Tafseer (तफ़सीर )
५२
يَّقُوْلُ اَىِٕنَّكَ لَمِنَ الْمُصَدِّقِيْنَ ٥٢
- yaqūlu
- يَقُولُ
- वो कहा करता था
- a-innaka
- أَءِنَّكَ
- क्या बेशक तुम
- lamina
- لَمِنَ
- अलबत्ता तस्दीक़ करने वालों में से हो
- l-muṣadiqīna
- ٱلْمُصَدِّقِينَ
- अलबत्ता तस्दीक़ करने वालों में से हो
जो कहा करता था क्या तुम भी पुष्टि करनेवालों में से हो? ([३७] अस-सफ्फात: 52)Tafseer (तफ़सीर )
५३
ءَاِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَّعِظَامًا ءَاِنَّا لَمَدِيْنُوْنَ ٥٣
- a-idhā
- أَءِذَا
- क्या जब
- mit'nā
- مِتْنَا
- मर जाऐंगे हम
- wakunnā
- وَكُنَّا
- और हो जाऐंगे हम
- turāban
- تُرَابًا
- मिट्टी
- waʿiẓāman
- وَعِظَٰمًا
- और हड्डियाँ
- a-innā
- أَءِنَّا
- क्या बेशक हम
- lamadīnūna
- لَمَدِينُونَ
- अलबत्ता बदला दिए जाने वाले हैं
क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में बदला पाएँगे?' ([३७] अस-सफ्फात: 53)Tafseer (तफ़सीर )
५४
قَالَ هَلْ اَنْتُمْ مُّطَّلِعُوْنَ ٥٤
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- hal
- هَلْ
- क्या
- antum
- أَنتُم
- तुम
- muṭṭaliʿūna
- مُّطَّلِعُونَ
- झाँक कर देखने वाले हो
वह कहेगा, 'क्या तुम झाँककर देखोगे?' ([३७] अस-सफ्फात: 54)Tafseer (तफ़सीर )
५५
فَاطَّلَعَ فَرَاٰهُ فِيْ سَوَاۤءِ الْجَحِيْمِ ٥٥
- fa-iṭṭalaʿa
- فَٱطَّلَعَ
- तो वो झाँकेगा
- faraāhu
- فَرَءَاهُ
- तो वो देखेगा उसे
- fī
- فِى
- वस्त/ दर्मियान में
- sawāi
- سَوَآءِ
- वस्त/ दर्मियान में
- l-jaḥīmi
- ٱلْجَحِيمِ
- जहन्नम के
फिर वह झाँकेगा तो उसे भड़कती हुई आग के बीच में देखेगा ([३७] अस-सफ्फात: 55)Tafseer (तफ़सीर )
५६
قَالَ تَاللّٰهِ اِنْ كِدْتَّ لَتُرْدِيْنِ ۙ ٥٦
- qāla
- قَالَ
- वो कहेगा
- tal-lahi
- تَٱللَّهِ
- क़सम अल्लाह की
- in
- إِن
- बेशक
- kidtta
- كِدتَّ
- क़रीब था तू
- latur'dīni
- لَتُرْدِينِ
- अलबत्ता तू हलाक कर देता मुझे
कहेगा, 'अल्लाह की क़सम! तुम तो मुझे तबाह ही करने को थे ([३७] अस-सफ्फात: 56)Tafseer (तफ़सीर )
५७
وَلَوْلَا نِعْمَةُ رَبِّيْ لَكُنْتُ مِنَ الْمُحْضَرِيْنَ ٥٧
- walawlā
- وَلَوْلَا
- और अगर ना होती
- niʿ'matu
- نِعْمَةُ
- नेअमत
- rabbī
- رَبِّى
- मेरे रब की
- lakuntu
- لَكُنتُ
- अलबत्ता होता मैं
- mina
- مِنَ
- हाज़िर किए जाने वालों में से
- l-muḥ'ḍarīna
- ٱلْمُحْضَرِينَ
- हाज़िर किए जाने वालों में से
यदि मेरे रब की अनुकम्पा न होती तो अवश्य ही मैं भी पकड़कर हाज़िर किए गए लोगों में से होता ([३७] अस-सफ्फात: 57)Tafseer (तफ़सीर )
५८
اَفَمَا نَحْنُ بِمَيِّتِيْنَۙ ٥٨
- afamā
- أَفَمَا
- क्या भला नहीं
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम
- bimayyitīna
- بِمَيِّتِينَ
- मरने वाले
है ना अब ऐसा कि हम मरने के नहीं। ([३७] अस-सफ्फात: 58)Tafseer (तफ़सीर )
५९
اِلَّا مَوْتَتَنَا الْاُوْلٰى وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِيْنَ ٥٩
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mawtatanā
- مَوْتَتَنَا
- मौत हमारी
- l-ūlā
- ٱلْأُولَىٰ
- पहली
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम
- bimuʿadhabīna
- بِمُعَذَّبِينَ
- अज़ाब दिए जाने वाले
हमें जो मृत्यु आनी थी वह बस पहले आ चुकी। और हमें कोई यातना ही दी जाएगी!' ([३७] अस-सफ्फात: 59)Tafseer (तफ़सीर )
६०
اِنَّ هٰذَا لَهُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيْمُ ٦٠
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- lahuwa
- لَهُوَ
- अलबत्ता वो ही
- l-fawzu
- ٱلْفَوْزُ
- कामयाबी है
- l-ʿaẓīmu
- ٱلْعَظِيمُ
- बहुत बड़ी
निश्चय ही यही बड़ी सफलता है ([३७] अस-सफ्फात: 60)Tafseer (तफ़सीर )