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सूरा अस-सफ्फात - Page: 2

As-Saffat

(Those Who Set The Ranks, drawn Up In Ranks)

११

فَاسْتَفْتِهِمْ اَهُمْ اَشَدُّ خَلْقًا اَمْ مَّنْ خَلَقْنَا ۗاِنَّا خَلَقْنٰهُمْ مِّنْ طِيْنٍ لَّازِبٍ ١١

fa-is'taftihim
فَٱسْتَفْتِهِمْ
पस पूछ लीजिए उनसे
ahum
أَهُمْ
क्या वो
ashaddu
أَشَدُّ
ज़्यादा सख़्त हैं
khalqan
خَلْقًا
पैदाइश में
am
أَم
या
man
مَّنْ
जिसे
khalaqnā
خَلَقْنَآۚ
पैदा किया हमने
innā
إِنَّا
बेशक हम
khalaqnāhum
خَلَقْنَٰهُم
पैदा किया हमने उन्हें
min
مِّن
मिट्टी से
ṭīnin
طِينٍ
मिट्टी से
lāzibin
لَّازِبٍۭ
चिपकने वाली
अब उनके पूछो कि उनके पैदा करने का काम अधिक कठिन है या उन चीज़ों का, जो हमने पैदा कर रखी है। निस्संदेह हमने उनको लेसकर मिट्टी से पैदा किया। ([३७] अस-सफ्फात: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

بَلْ عَجِبْتَ وَيَسْخَرُوْنَ ۖ ١٢

bal
بَلْ
बल्कि
ʿajib'ta
عَجِبْتَ
ताअज्जुब किया आपने
wayaskharūna
وَيَسْخَرُونَ
और वो मज़ाक़ उड़ाते हैं
बल्कि तुम तो आश्चर्य में हो और वे है कि परिहास कर रहे है ([३७] अस-सफ्फात: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

وَاِذَا ذُكِّرُوْا لَا يَذْكُرُوْنَ ۖ ١٣

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
dhukkirū
ذُكِّرُوا۟
वो नसीहत किए जाते हैं
لَا
नहीं वो नसीहत पकड़ते
yadhkurūna
يَذْكُرُونَ
नहीं वो नसीहत पकड़ते
और जब उन्हें याद दिलाया जाता है, तो वे याद नहीं करते, ([३७] अस-सफ्फात: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

وَاِذَا رَاَوْا اٰيَةً يَّسْتَسْخِرُوْنَۖ ١٤

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
ra-aw
رَأَوْا۟
वो देखते हैं
āyatan
ءَايَةً
कोई निशानी
yastaskhirūna
يَسْتَسْخِرُونَ
तो ख़ूब मज़ाक़ उड़ाते हैं
और जब कोई निशानी देखते है तो हँसी उड़ाते है ([३७] अस-सफ्फात: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

وَقَالُوْٓا اِنْ هٰذَآ اِلَّا سِحْرٌ مُّبِيْنٌ ۚ ١٥

waqālū
وَقَالُوٓا۟
और कहते हैं
in
إِنْ
नहीं है
hādhā
هَٰذَآ
ये
illā
إِلَّا
मगर
siḥ'run
سِحْرٌ
एक जादू
mubīnun
مُّبِينٌ
खुल्लम-खुल्ला
और कहते है, 'यह तो बस एक प्रत्यक्ष जादू है ([३७] अस-सफ्फात: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

ءَاِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَّعِظَامًا ءَاِنَّا لَمَبْعُوْثُوْنَۙ ١٦

a-idhā
أَءِذَا
क्या जब
mit'nā
مِتْنَا
मर जाऐंगे हम
wakunnā
وَكُنَّا
और हो जाऐंगे हम
turāban
تُرَابًا
मिट्टी
waʿiẓāman
وَعِظَٰمًا
और हड्डियाँ
a-innā
أَءِنَّا
क्या बेशक हम
lamabʿūthūna
لَمَبْعُوثُونَ
अलबत्ता दोबारा उठाए जाऐंगे
क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या फिर हम उठाए जाएँगे? ([३७] अस-सफ्फात: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

اَوَاٰبَاۤؤُنَا الْاَوَّلُوْنَۗ ١٧

awaābāunā
أَوَءَابَآؤُنَا
क्या भला आबा ओ अजदाद हमारे
l-awalūna
ٱلْأَوَّلُونَ
जो पहले (गुज़र चुके)
क्या और हमारे पहले के बाप-दादा भी?' ([३७] अस-सफ्फात: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

قُلْ نَعَمْ وَاَنْتُمْ دَاخِرُوْنَۚ ١٨

qul
قُلْ
कह दीजिए
naʿam
نَعَمْ
हाँ
wa-antum
وَأَنتُمْ
और तुम
dākhirūna
دَٰخِرُونَ
ज़लील व ख़्वार होने वाले हो
कह दो, 'हाँ! और तुम अपमानित भी होंगे।' ([३७] अस-सफ्फात: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

فَاِنَّمَا هِيَ زَجْرَةٌ وَّاحِدَةٌ فَاِذَا هُمْ يَنْظُرُوْنَ ١٩

fa-innamā
فَإِنَّمَا
तो बेशक
hiya
هِىَ
वो
zajratun
زَجْرَةٌ
डाँट होगी
wāḥidatun
وَٰحِدَةٌ
एक ही
fa-idhā
فَإِذَا
तो यकायक
hum
هُمْ
वो
yanẓurūna
يَنظُرُونَ
वो देख रहे होंगे
वह तो बस एक झिड़की होगी। फिर क्या देखेंगे कि वे ताकने लगे है ([३७] अस-सफ्फात: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

وَقَالُوْا يٰوَيْلَنَا هٰذَا يَوْمُ الدِّيْنِ ٢٠

waqālū
وَقَالُوا۟
और वो कहेंगे
yāwaylanā
يَٰوَيْلَنَا
हाय अफ़सोस हम पर
hādhā
هَٰذَا
ये है
yawmu
يَوْمُ
दिन
l-dīni
ٱلدِّينِ
बदले का
और वे कहेंगे, 'ऐ अफ़सोस हमपर! यह तो बदले का दिन है।' ([३७] अस-सफ्फात: 20)
Tafseer (तफ़सीर )