१७१
وَلَقَدْ سَبَقَتْ كَلِمَتُنَا لِعِبَادِنَا الْمُرْسَلِيْنَ ۖ ١٧١
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- sabaqat
- سَبَقَتْ
- पहले गुज़र चुकी है
- kalimatunā
- كَلِمَتُنَا
- बात हमारी
- liʿibādinā
- لِعِبَادِنَا
- हमारे बन्दों के लिए
- l-mur'salīna
- ٱلْمُرْسَلِينَ
- जो भेजे हुए हैं
और हमारे अपने उन बन्दों के हक़ में, जो रसूल बनाकर भेजे गए, हमारी बात पहले ही निश्चित हो चुकी है ([३७] अस-सफ्फात: 171)Tafseer (तफ़सीर )
१७२
اِنَّهُمْ لَهُمُ الْمَنْصُوْرُوْنَۖ ١٧٢
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- lahumu
- لَهُمُ
- अलबत्ता वो ही
- l-manṣūrūna
- ٱلْمَنصُورُونَ
- मदद किए जाऐंगे
कि निश्चय ही उन्हीं की सहायता की जाएगी। ([३७] अस-सफ्फात: 172)Tafseer (तफ़सीर )
१७३
وَاِنَّ جُنْدَنَا لَهُمُ الْغٰلِبُوْنَ ١٧٣
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- jundanā
- جُندَنَا
- लश्कर हमारा
- lahumu
- لَهُمُ
- अलबत्ता वो ही है
- l-ghālibūna
- ٱلْغَٰلِبُونَ
- ग़ालिब आने वाला
और निश्चय ही हमारी सेना ही प्रभावी रहेगी ([३७] अस-सफ्फात: 173)Tafseer (तफ़सीर )
१७४
فَتَوَلَّ عَنْهُمْ حَتّٰى حِيْنٍۙ ١٧٤
- fatawalla
- فَتَوَلَّ
- तो मुँह फेर लीजिए
- ʿanhum
- عَنْهُمْ
- उनसे
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- एक वक़्त तक
- ḥīnin
- حِينٍ
- एक वक़्त तक
अतः एक अवधि तक के लिए उनसे रुख़ फेर लो ([३७] अस-सफ्फात: 174)Tafseer (तफ़सीर )
१७५
وَّاَبْصِرْهُمْۗ فَسَوْفَ يُبْصِرُوْنَ ١٧٥
- wa-abṣir'hum
- وَأَبْصِرْهُمْ
- और देखते रहिए उन्हें
- fasawfa
- فَسَوْفَ
- पस अनक़रीब
- yub'ṣirūna
- يُبْصِرُونَ
- वो भी देखेंगे
और उन्हें देखते रहो। वे भी जल्द ही (अपना परिणाम) देख लेंगे ([३७] अस-सफ्फात: 175)Tafseer (तफ़सीर )
१७६
اَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُوْنَ ١٧٦
- afabiʿadhābinā
- أَفَبِعَذَابِنَا
- क्या भला हमारे अज़ाब को
- yastaʿjilūna
- يَسْتَعْجِلُونَ
- वो जल्दी माँगते हैं
क्या वे हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे हैं? ([३७] अस-सफ्फात: 176)Tafseer (तफ़सीर )
१७७
فَاِذَا نَزَلَ بِسَاحَتِهِمْ فَسَاۤءَ صَبَاحُ الْمُنْذَرِيْنَ ١٧٧
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- nazala
- نَزَلَ
- वो उतरेगा
- bisāḥatihim
- بِسَاحَتِهِمْ
- उनके सहन में
- fasāa
- فَسَآءَ
- तो बहुत बुरी होगी
- ṣabāḥu
- صَبَاحُ
- सुबह
- l-mundharīna
- ٱلْمُنذَرِينَ
- डराए जाने वालों की
तो जब वह उनके आँगन में उतरेगी तो बड़ी ही बुरी सुबह होगी उन लोगों की, जिन्हें सचेत किया जा चुका है! ([३७] अस-सफ्फात: 177)Tafseer (तफ़सीर )
१७८
وَتَوَلَّ عَنْهُمْ حَتّٰى حِيْنٍۙ ١٧٨
- watawalla
- وَتَوَلَّ
- और मुँह फेर लीजिए
- ʿanhum
- عَنْهُمْ
- उनसे
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- एक वक़्त तक
- ḥīnin
- حِينٍ
- एक वक़्त तक
एक अवधि तक के लिए उनसे रुख़ फेर लो ([३७] अस-सफ्फात: 178)Tafseer (तफ़सीर )
१७९
وَّاَبْصِرْۗ فَسَوْفَ يُبْصِرُوْنَ ١٧٩
- wa-abṣir
- وَأَبْصِرْ
- और देखते रहिए
- fasawfa
- فَسَوْفَ
- तो अनक़रीब
- yub'ṣirūna
- يُبْصِرُونَ
- वो भी देखेंगे
और देखते रहो, वे जल्द ही देख लेंगे ([३७] अस-सफ्फात: 179)Tafseer (तफ़सीर )
१८०
سُبْحٰنَ رَبِّكَ رَبِّ الْعِزَّةِ عَمَّا يَصِفُوْنَۚ ١٨٠
- sub'ḥāna
- سُبْحَٰنَ
- पाक है
- rabbika
- رَبِّكَ
- रब आपका
- rabbi
- رَبِّ
- रब
- l-ʿizati
- ٱلْعِزَّةِ
- इज़्ज़त वाला
- ʿammā
- عَمَّا
- उससे जो
- yaṣifūna
- يَصِفُونَ
- वो बयान करते हैं
महान और उच्च है तुम्हारा रब, प्रताप का स्वामी, उन बातों से जो वे बताते है! ([३७] अस-सफ्फात: 180)Tafseer (तफ़सीर )