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सूरा अस-सफ्फात - Page: 17

As-Saffat

(Those Who Set The Ranks, drawn Up In Ranks)

१६१

فَاِنَّكُمْ وَمَا تَعْبُدُوْنَۙ ١٦١

fa-innakum
فَإِنَّكُمْ
पस बेशक तुम सब
wamā
وَمَا
और जिनकी
taʿbudūna
تَعْبُدُونَ
तुम इबादत करते हो
अतः तुम और जिनको तुम पूजते हो वे, ([३७] अस-सफ्फात: 161)
Tafseer (तफ़सीर )
१६२

مَآ اَنْتُمْ عَلَيْهِ بِفَاتِنِيْنَۙ ١٦٢

مَآ
नहीं
antum
أَنتُمْ
तुम
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उसके ख़िलाफ़
bifātinīna
بِفَٰتِنِينَ
फ़ितने में डालने वाले
तुम सब अल्लाह के विरुद्ध किसी को बहका नहीं सकते, ([३७] अस-सफ्फात: 162)
Tafseer (तफ़सीर )
१६३

اِلَّا مَنْ هُوَ صَالِ الْجَحِيْمِ ١٦٣

illā
إِلَّا
मगर
man
مَنْ
उसे जो
huwa
هُوَ
वो
ṣāli
صَالِ
दाख़िल होने वाला
l-jaḥīmi
ٱلْجَحِيمِ
जहन्नम में
सिवाय उसके जो जहन्नम की भड़कती आग में पड़ने ही वाला हो ([३७] अस-सफ्फात: 163)
Tafseer (तफ़सीर )
१६४

وَمَا مِنَّآ اِلَّا لَهٗ مَقَامٌ مَّعْلُوْمٌۙ ١٦٤

wamā
وَمَا
और नहीं
minnā
مِنَّآ
हम में से कोई
illā
إِلَّا
मगर
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
maqāmun
مَقَامٌ
एक मुक़ाम है
maʿlūmun
مَّعْلُومٌ
मालूम
और हमारी ओर से उसके लिए अनिवार्यतः एक ज्ञात और नियत स्थान है ([३७] अस-सफ्फात: 164)
Tafseer (तफ़सीर )
१६५

وَاِنَّا لَنَحْنُ الصَّۤافُّوْنَۖ ١٦٥

wa-innā
وَإِنَّا
और बेशक हम
lanaḥnu
لَنَحْنُ
अलबत्ता हम
l-ṣāfūna
ٱلصَّآفُّونَ
सफ़ बाँधने वाले हैं
और हम ही पंक्तिबद्ध करते है। ([३७] अस-सफ्फात: 165)
Tafseer (तफ़सीर )
१६६

وَاِنَّا لَنَحْنُ الْمُسَبِّحُوْنَ ١٦٦

wa-innā
وَإِنَّا
और बेशक हम
lanaḥnu
لَنَحْنُ
अलबत्ता हम ही
l-musabiḥūna
ٱلْمُسَبِّحُونَ
तस्बीह करने वाले हैं
और हम ही महानता बयान करते है ([३७] अस-सफ्फात: 166)
Tafseer (तफ़सीर )
१६७

وَاِنْ كَانُوْا لَيَقُوْلُوْنَۙ ١٦٧

wa-in
وَإِن
और बेशक
kānū
كَانُوا۟
थे वो
layaqūlūna
لَيَقُولُونَ
अलबत्ता वो कहते
वे तो कहा करते थे, ([३७] अस-सफ्फात: 167)
Tafseer (तफ़सीर )
१६८

لَوْ اَنَّ عِنْدَنَا ذِكْرًا مِّنَ الْاَوَّلِيْنَۙ ١٦٨

law
لَوْ
अगर
anna
أَنَّ
ये कि (होती)
ʿindanā
عِندَنَا
हमारे पास
dhik'ran
ذِكْرًا
नसीहत
mina
مِّنَ
पहलों में से
l-awalīna
ٱلْأَوَّلِينَ
पहलों में से
'यदि हमारे पास पिछलों की कोई शिक्षा होती ([३७] अस-सफ्फात: 168)
Tafseer (तफ़सीर )
१६९

لَكُنَّا عِبَادَ اللّٰهِ الْمُخْلَصِيْنَ ١٦٩

lakunnā
لَكُنَّا
अलबत्ता होते हम
ʿibāda
عِبَادَ
बन्दे
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
l-mukh'laṣīna
ٱلْمُخْلَصِينَ
जो ख़ालिस किए हुए हैं
तो हम अल्लाह के चुने हुए बन्दे होते।' ([३७] अस-सफ्फात: 169)
Tafseer (तफ़सीर )
१७०

فَكَفَرُوْا بِهٖۚ فَسَوْفَ يَعْلَمُوْنَ ١٧٠

fakafarū
فَكَفَرُوا۟
तो उन्होंने कुफ़्र किया
bihi
بِهِۦۖ
साथ उसके
fasawfa
فَسَوْفَ
तो अनक़रीब
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
वो जान लेंगे
किन्तु उन्होंने इनकार कर दिया, तो अब जल्द ही वे जान लेंगे ([३७] अस-सफ्फात: 170)
Tafseer (तफ़सीर )