१६१
فَاِنَّكُمْ وَمَا تَعْبُدُوْنَۙ ١٦١
- fa-innakum
- فَإِنَّكُمْ
- पस बेशक तुम सब
- wamā
- وَمَا
- और जिनकी
- taʿbudūna
- تَعْبُدُونَ
- तुम इबादत करते हो
अतः तुम और जिनको तुम पूजते हो वे, ([३७] अस-सफ्फात: 161)Tafseer (तफ़सीर )
१६२
مَآ اَنْتُمْ عَلَيْهِ بِفَاتِنِيْنَۙ ١٦٢
- mā
- مَآ
- नहीं
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उसके ख़िलाफ़
- bifātinīna
- بِفَٰتِنِينَ
- फ़ितने में डालने वाले
तुम सब अल्लाह के विरुद्ध किसी को बहका नहीं सकते, ([३७] अस-सफ्फात: 162)Tafseer (तफ़सीर )
१६३
اِلَّا مَنْ هُوَ صَالِ الْجَحِيْمِ ١٦٣
- illā
- إِلَّا
- मगर
- man
- مَنْ
- उसे जो
- huwa
- هُوَ
- वो
- ṣāli
- صَالِ
- दाख़िल होने वाला
- l-jaḥīmi
- ٱلْجَحِيمِ
- जहन्नम में
सिवाय उसके जो जहन्नम की भड़कती आग में पड़ने ही वाला हो ([३७] अस-सफ्फात: 163)Tafseer (तफ़सीर )
१६४
وَمَا مِنَّآ اِلَّا لَهٗ مَقَامٌ مَّعْلُوْمٌۙ ١٦٤
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- minnā
- مِنَّآ
- हम में से कोई
- illā
- إِلَّا
- मगर
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- maqāmun
- مَقَامٌ
- एक मुक़ाम है
- maʿlūmun
- مَّعْلُومٌ
- मालूम
और हमारी ओर से उसके लिए अनिवार्यतः एक ज्ञात और नियत स्थान है ([३७] अस-सफ्फात: 164)Tafseer (तफ़सीर )
१६५
وَاِنَّا لَنَحْنُ الصَّۤافُّوْنَۖ ١٦٥
- wa-innā
- وَإِنَّا
- और बेशक हम
- lanaḥnu
- لَنَحْنُ
- अलबत्ता हम
- l-ṣāfūna
- ٱلصَّآفُّونَ
- सफ़ बाँधने वाले हैं
और हम ही पंक्तिबद्ध करते है। ([३७] अस-सफ्फात: 165)Tafseer (तफ़सीर )
१६६
وَاِنَّا لَنَحْنُ الْمُسَبِّحُوْنَ ١٦٦
- wa-innā
- وَإِنَّا
- और बेशक हम
- lanaḥnu
- لَنَحْنُ
- अलबत्ता हम ही
- l-musabiḥūna
- ٱلْمُسَبِّحُونَ
- तस्बीह करने वाले हैं
और हम ही महानता बयान करते है ([३७] अस-सफ्फात: 166)Tafseer (तफ़सीर )
१६७
وَاِنْ كَانُوْا لَيَقُوْلُوْنَۙ ١٦٧
- wa-in
- وَإِن
- और बेशक
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- layaqūlūna
- لَيَقُولُونَ
- अलबत्ता वो कहते
वे तो कहा करते थे, ([३७] अस-सफ्फात: 167)Tafseer (तफ़सीर )
१६८
لَوْ اَنَّ عِنْدَنَا ذِكْرًا مِّنَ الْاَوَّلِيْنَۙ ١٦٨
- law
- لَوْ
- अगर
- anna
- أَنَّ
- ये कि (होती)
- ʿindanā
- عِندَنَا
- हमारे पास
- dhik'ran
- ذِكْرًا
- नसीहत
- mina
- مِّنَ
- पहलों में से
- l-awalīna
- ٱلْأَوَّلِينَ
- पहलों में से
'यदि हमारे पास पिछलों की कोई शिक्षा होती ([३७] अस-सफ्फात: 168)Tafseer (तफ़सीर )
१६९
لَكُنَّا عِبَادَ اللّٰهِ الْمُخْلَصِيْنَ ١٦٩
- lakunnā
- لَكُنَّا
- अलबत्ता होते हम
- ʿibāda
- عِبَادَ
- बन्दे
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- l-mukh'laṣīna
- ٱلْمُخْلَصِينَ
- जो ख़ालिस किए हुए हैं
तो हम अल्लाह के चुने हुए बन्दे होते।' ([३७] अस-सफ्फात: 169)Tafseer (तफ़सीर )
१७०
فَكَفَرُوْا بِهٖۚ فَسَوْفَ يَعْلَمُوْنَ ١٧٠
- fakafarū
- فَكَفَرُوا۟
- तो उन्होंने कुफ़्र किया
- bihi
- بِهِۦۖ
- साथ उसके
- fasawfa
- فَسَوْفَ
- तो अनक़रीब
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- वो जान लेंगे
किन्तु उन्होंने इनकार कर दिया, तो अब जल्द ही वे जान लेंगे ([३७] अस-सफ्फात: 170)Tafseer (तफ़सीर )