१५१
اَلَآ اِنَّهُمْ مِّنْ اِفْكِهِمْ لَيَقُوْلُوْنَۙ ١٥١
- alā
- أَلَآ
- ख़बरदार
- innahum
- إِنَّهُم
- बेशक वो
- min
- مِّنْ
- अपने झूठ ही सो
- if'kihim
- إِفْكِهِمْ
- अपने झूठ ही सो
- layaqūlūna
- لَيَقُولُونَ
- अलबत्ता वो कहते हैं
सुन लो, निश्चय ही वे अपनी मनघड़ंत कहते है ([३७] अस-सफ्फात: 151)Tafseer (तफ़सीर )
१५२
وَلَدَ اللّٰهُ ۙوَاِنَّهُمْ لَكٰذِبُوْنَۙ ١٥٢
- walada
- وَلَدَ
- कि जन्म दिया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- wa-innahum
- وَإِنَّهُمْ
- और बेशक वो
- lakādhibūna
- لَكَٰذِبُونَ
- अलबत्ता झूठे हैं
कि 'अल्लाह के औलाद हुई है!' निश्चय ही वे झूठे है। ([३७] अस-सफ्फात: 152)Tafseer (तफ़सीर )
१५३
اَصْطَفَى الْبَنَاتِ عَلَى الْبَنِيْنَۗ ١٥٣
- aṣṭafā
- أَصْطَفَى
- क्या उसने चुन लिया
- l-banāti
- ٱلْبَنَاتِ
- बेटियों को
- ʿalā
- عَلَى
- बेटों पर
- l-banīna
- ٱلْبَنِينَ
- बेटों पर
क्या उसने बेटों की अपेक्षा बेटियाँ चुन ली है? ([३७] अस-सफ्फात: 153)Tafseer (तफ़सीर )
१५४
مَا لَكُمْۗ كَيْفَ تَحْكُمُوْنَ ١٥٤
- mā
- مَا
- क्या है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हें
- kayfa
- كَيْفَ
- कैसे
- taḥkumūna
- تَحْكُمُونَ
- तुम फ़ैसले करते हो
तुम्हें क्या हो गया है? तुम कैसा फ़ैसला करते हो? ([३७] अस-सफ्फात: 154)Tafseer (तफ़सीर )
१५५
اَفَلَا تَذَكَّرُوْنَۚ ١٥٥
- afalā
- أَفَلَا
- क्या भला नहीं
- tadhakkarūna
- تَذَكَّرُونَ
- तुम नसीहत पकड़ते
तो क्या तुम होश से काम नहीं लेते? ([३७] अस-सफ्फात: 155)Tafseer (तफ़सीर )
१५६
اَمْ لَكُمْ سُلْطٰنٌ مُّبِيْنٌۙ ١٥٦
- am
- أَمْ
- या
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- sul'ṭānun
- سُلْطَٰنٌ
- कोई दलील है
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- वाज़ेह
क्या तुम्हारे पास कोई स्पष्ट प्रमाण है? ([३७] अस-सफ्फात: 156)Tafseer (तफ़सीर )
१५७
فَأْتُوْا بِكِتٰبِكُمْ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ١٥٧
- fatū
- فَأْتُوا۟
- पस ले आओ
- bikitābikum
- بِكِتَٰبِكُمْ
- अपनी किताब
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- ṣādiqīna
- صَٰدِقِينَ
- सच्चे
तो लाओ अपनी किताब, यदि तुम सच्चे हो ([३७] अस-सफ्फात: 157)Tafseer (तफ़सीर )
१५८
وَجَعَلُوْا بَيْنَهٗ وَبَيْنَ الْجِنَّةِ نَسَبًا ۗوَلَقَدْ عَلِمَتِ الْجِنَّةُ اِنَّهُمْ لَمُحْضَرُوْنَۙ ١٥٨
- wajaʿalū
- وَجَعَلُوا۟
- और उन्होंने बनाया
- baynahu
- بَيْنَهُۥ
- दर्मियान उसके
- wabayna
- وَبَيْنَ
- और दर्मियान
- l-jinati
- ٱلْجِنَّةِ
- जिन्नों के
- nasaban
- نَسَبًاۚ
- एक रिश्ता
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक
- ʿalimati
- عَلِمَتِ
- जान लिया
- l-jinatu
- ٱلْجِنَّةُ
- जिन्नों ने
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- lamuḥ'ḍarūna
- لَمُحْضَرُونَ
- ज़रूर हाज़िर किए जाऐंगे
उन्होंने अल्लाह और जिन्नों के बीच नाता जोड़ रखा है, हालाँकि जिन्नों को भली-भाँति मालूम है कि वे अवश्य पकड़कर हाज़िर किए जाएँगे- ([३७] अस-सफ्फात: 158)Tafseer (तफ़सीर )
१५९
سُبْحٰنَ اللّٰهِ عَمَّا يَصِفُوْنَۙ ١٥٩
- sub'ḥāna
- سُبْحَٰنَ
- पाक है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह
- ʿammā
- عَمَّا
- उससे जो
- yaṣifūna
- يَصِفُونَ
- वो बयान करते हैं
महान और उच्च है अल्लाह उससे, जो वे बयान करते है। - ([३७] अस-सफ्फात: 159)Tafseer (तफ़सीर )
१६०
اِلَّا عِبَادَ اللّٰهِ الْمُخْلَصِيْنَ ١٦٠
- illā
- إِلَّا
- सिवाए
- ʿibāda
- عِبَادَ
- बन्दे
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- l-mukh'laṣīna
- ٱلْمُخْلَصِينَ
- जो ख़ालिस किए हुए हैं
अल्लाह के उन बन्दों की बात और है, जिन्हें उसने चुन लिया ([३७] अस-सफ्फात: 160)Tafseer (तफ़सीर )