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सूरा अस-सफ्फात - Page: 15

As-Saffat

(Those Who Set The Ranks, drawn Up In Ranks)

१४१

فَسَاهَمَ فَكَانَ مِنَ الْمُدْحَضِيْنَۚ ١٤١

fasāhama
فَسَاهَمَ
तो क़ुरअ डाला
fakāna
فَكَانَ
फिर वो हो गया
mina
مِنَ
हार जाने वालों में से
l-mud'ḥaḍīna
ٱلْمُدْحَضِينَ
हार जाने वालों में से
फिर पर्ची डालने में शामिल हुआ और उसमें मात खाई ([३७] अस-सफ्फात: 141)
Tafseer (तफ़सीर )
१४२

فَالْتَقَمَهُ الْحُوْتُ وَهُوَ مُلِيْمٌ ١٤٢

fal-taqamahu
فَٱلْتَقَمَهُ
तो लुक़्मा बना लिया उसका
l-ḥūtu
ٱلْحُوتُ
मछली ने
wahuwa
وَهُوَ
और वो
mulīmun
مُلِيمٌ
मलामत ज़दा था
फिर उसे मछली ने निगल लिया और वह निन्दनीय दशा में ग्रस्त हो गया था। ([३७] अस-सफ्फात: 142)
Tafseer (तफ़सीर )
१४३

فَلَوْلَآ اَنَّهٗ كَانَ مِنَ الْمُسَبِّحِيْنَ ۙ ١٤٣

falawlā
فَلَوْلَآ
फिर अगर ना
annahu
أَنَّهُۥ
ये कि
kāna
كَانَ
होता वो
mina
مِنَ
तस्बीह करने वालों में से
l-musabiḥīna
ٱلْمُسَبِّحِينَ
तस्बीह करने वालों में से
अब यदि वह तसबीह करनेवाला न होता ([३७] अस-सफ्फात: 143)
Tafseer (तफ़सीर )
१४४

لَلَبِثَ فِيْ بَطْنِهٖٓ اِلٰى يَوْمِ يُبْعَثُوْنَۚ ١٤٤

lalabitha
لَلَبِثَ
अलबत्ता वो ठहरा रहता
فِى
उसके पेट में
baṭnihi
بَطْنِهِۦٓ
उसके पेट में
ilā
إِلَىٰ
उस दिन तक
yawmi
يَوْمِ
उस दिन तक
yub'ʿathūna
يُبْعَثُونَ
(जब) वो दोबारा उठाए जाऐंगे
तो उसी के भीतर उस दिन तक पड़ा रह जाता, जबकि लोग उठाए जाएँगे। ([३७] अस-सफ्फात: 144)
Tafseer (तफ़सीर )
१४५

فَنَبَذْنٰهُ بِالْعَرَاۤءِ وَهُوَ سَقِيْمٌ ۚ ١٤٥

fanabadhnāhu
فَنَبَذْنَٰهُ
तो हमने फेंक दिया उसे
bil-ʿarāi
بِٱلْعَرَآءِ
चटियल मैदान में
wahuwa
وَهُوَ
इस हाल में कि वो
saqīmun
سَقِيمٌ
बीमार था
अन्ततः हमने उसे इस दशा में कि वह निढ़ाल था, साफ़ मैदान में डाल दिया। ([३७] अस-सफ्फात: 145)
Tafseer (तफ़सीर )
१४६

وَاَنْۢبَتْنَا عَلَيْهِ شَجَرَةً مِّنْ يَّقْطِيْنٍۚ ١٤٦

wa-anbatnā
وَأَنۢبَتْنَا
और उगाया हमने
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
shajaratan
شَجَرَةً
एक पौदा
min
مِّن
कद्दू की बेल का
yaqṭīnin
يَقْطِينٍ
कद्दू की बेल का
हमने उसपर बेलदार वृक्ष उगाया था ([३७] अस-सफ्फात: 146)
Tafseer (तफ़सीर )
१४७

وَاَرْسَلْنٰهُ اِلٰى مِائَةِ اَلْفٍ اَوْ يَزِيْدُوْنَۚ ١٤٧

wa-arsalnāhu
وَأَرْسَلْنَٰهُ
और भेजा हमने उसे
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ सौ हज़ार (एक लाख) के
mi-ati
مِا۟ئَةِ
तरफ़ सौ हज़ार (एक लाख) के
alfin
أَلْفٍ
तरफ़ सौ हज़ार (एक लाख) के
aw
أَوْ
बल्कि
yazīdūna
يَزِيدُونَ
वो ज़्यादा होंगे
और हमने उसे एक लाख या उससे अधिक (लोगों) की ओर भेजा ([३७] अस-सफ्फात: 147)
Tafseer (तफ़सीर )
१४८

فَاٰمَنُوْا فَمَتَّعْنٰهُمْ اِلٰى حِيْنٍ ١٤٨

faāmanū
فَـَٔامَنُوا۟
तो वो ईमान ले आए
famattaʿnāhum
فَمَتَّعْنَٰهُمْ
तो हमने फ़ायदा दिया उन्हें
ilā
إِلَىٰ
एक वक़्त तक
ḥīnin
حِينٍ
एक वक़्त तक
फिर वे ईमान लाए तो हमने उन्हें एक अवधि कर सुख भोगने का अवसर दिया। ([३७] अस-सफ्फात: 148)
Tafseer (तफ़सीर )
१४९

فَاسْتَفْتِهِمْ اَلِرَبِّكَ الْبَنَاتُ وَلَهُمُ الْبَنُوْنَۚ ١٤٩

fa-is'taftihim
فَٱسْتَفْتِهِمْ
पस पूछो उनसे
alirabbika
أَلِرَبِّكَ
क्या आपके रब के लिए हैं
l-banātu
ٱلْبَنَاتُ
बेटियाँ
walahumu
وَلَهُمُ
और उनके लिए हैं
l-banūna
ٱلْبَنُونَ
बेटे
अब उनसे पूछो, 'क्या तुम्हारे रब के लिए तो बेटियाँ हों और उनके अपने लिए बेटे? ([३७] अस-सफ्फात: 149)
Tafseer (तफ़सीर )
१५०

اَمْ خَلَقْنَا الْمَلٰۤىِٕكَةَ اِنَاثًا وَّهُمْ شَاهِدُوْنَ ١٥٠

am
أَمْ
या
khalaqnā
خَلَقْنَا
बनाया हमने
l-malāikata
ٱلْمَلَٰٓئِكَةَ
फ़रिश्तों को
ināthan
إِنَٰثًا
औरतें
wahum
وَهُمْ
जब कि वो
shāhidūna
شَٰهِدُونَ
हाज़िर थे
क्या हमने फ़रिश्तों को औरतें बनाया और यह उनकी आँखों देखी बात हैं?' ([३७] अस-सफ्फात: 150)
Tafseer (तफ़सीर )