१३१
اِنَّا كَذٰلِكَ نَجْزِى الْمُحْسِنِيْنَ ١٣١
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- najzī
- نَجْزِى
- हम बदला देते हैं
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- मोहसिनीन को
निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा ही बदला देते है ([३७] अस-सफ्फात: 131)Tafseer (तफ़सीर )
१३२
اِنَّهٗ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِيْنَ ١٣٢
- innahu
- إِنَّهُۥ
- और बेशक वो
- min
- مِنْ
- हमारे बन्दों में से था
- ʿibādinā
- عِبَادِنَا
- हमारे बन्दों में से था
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- जो मोमिन हैं
निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था ([३७] अस-सफ्फात: 132)Tafseer (तफ़सीर )
१३३
وَاِنَّ لُوْطًا لَّمِنَ الْمُرْسَلِيْنَۗ ١٣٣
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- lūṭan
- لُوطًا
- लूत
- lamina
- لَّمِنَ
- अलबत्ता रसूलों में से था
- l-mur'salīna
- ٱلْمُرْسَلِينَ
- अलबत्ता रसूलों में से था
और निश्चय ही लूत भी रसूलों में से था ([३७] अस-सफ्फात: 133)Tafseer (तफ़सीर )
१३४
اِذْ نَجَّيْنٰهُ وَاَهْلَهٗٓ اَجْمَعِيْۙنَ ١٣٤
- idh
- إِذْ
- जब
- najjaynāhu
- نَجَّيْنَٰهُ
- निजात दी हमने उसे
- wa-ahlahu
- وَأَهْلَهُۥٓ
- और उसके घरवालों को
- ajmaʿīna
- أَجْمَعِينَ
- सब के सब को
याद करो, जब हमने उसे और उसके सभी लोगों को बचा लिया, ([३७] अस-सफ्फात: 134)Tafseer (तफ़सीर )
१३५
اِلَّا عَجُوْزًا فِى الْغٰبِرِيْنَ ١٣٥
- illā
- إِلَّا
- सिवाए
- ʿajūzan
- عَجُوزًا
- एक बुढ़िया के
- fī
- فِى
- पीछे रह जाने वालों में
- l-ghābirīna
- ٱلْغَٰبِرِينَ
- पीछे रह जाने वालों में
सिवाय एक बुढ़िया के, जो पीछे रह जानेवालों में से थी ([३७] अस-सफ्फात: 135)Tafseer (तफ़सीर )
१३६
ثُمَّ دَمَّرْنَا الْاٰخَرِيْنَ ١٣٦
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- dammarnā
- دَمَّرْنَا
- तबाह कर दिया हमने
- l-ākharīna
- ٱلْءَاخَرِينَ
- दूसरों को
फिर दूसरों को हमने तहस-नहस करके रख दिया ([३७] अस-सफ्फात: 136)Tafseer (तफ़सीर )
१३७
وَاِنَّكُمْ لَتَمُرُّوْنَ عَلَيْهِمْ مُّصْبِحِيْنَۙ ١٣٧
- wa-innakum
- وَإِنَّكُمْ
- और बेशक तुम
- latamurrūna
- لَتَمُرُّونَ
- अलबत्ता तुम गुज़रते हो
- ʿalayhim
- عَلَيْهِم
- उन पर
- muṣ'biḥīna
- مُّصْبِحِينَ
- इस हाल में कि सुबह करने वाले हो
और निस्संदेह तुम उनपर (उनके क्षेत्र) से गुज़रते हो कभी प्रातः करते हुए ([३७] अस-सफ्फात: 137)Tafseer (तफ़सीर )
१३८
وَبِالَّيْلِۗ اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ࣖ ١٣٨
- wabi-al-layli
- وَبِٱلَّيْلِۗ
- और रात को
- afalā
- أَفَلَا
- क्या भला नहीं
- taʿqilūna
- تَعْقِلُونَ
- तुम अक़्ल रखते
और रात में भी। तो क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते? ([३७] अस-सफ्फात: 138)Tafseer (तफ़सीर )
१३९
وَاِنَّ يُوْنُسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِيْنَۗ ١٣٩
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- yūnusa
- يُونُسَ
- यूनुस
- lamina
- لَمِنَ
- अलबत्ता रसूलों में से था
- l-mur'salīna
- ٱلْمُرْسَلِينَ
- अलबत्ता रसूलों में से था
और निस्संदेह यूनुस भी रसूलो में से था ([३७] अस-सफ्फात: 139)Tafseer (तफ़सीर )
१४०
اِذْ اَبَقَ اِلَى الْفُلْكِ الْمَشْحُوْنِۙ ١٤٠
- idh
- إِذْ
- जब
- abaqa
- أَبَقَ
- जब वो भाग कर गया
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ कश्ती
- l-ful'ki
- ٱلْفُلْكِ
- तरफ़ कश्ती
- l-mashḥūni
- ٱلْمَشْحُونِ
- भरी हुई के
याद करो, जब वह भरी नौका की ओर भाग निकला, ([३७] अस-सफ्फात: 140)Tafseer (तफ़सीर )