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सूरा अस-सफ्फात - Page: 13

As-Saffat

(Those Who Set The Ranks, drawn Up In Ranks)

१२१

اِنَّا كَذٰلِكَ نَجْزِى الْمُحْسِنِيْنَ ١٢١

innā
إِنَّا
यक़ीनन हम
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
najzī
نَجْزِى
हम बदला देते हैं
l-muḥ'sinīna
ٱلْمُحْسِنِينَ
मोहसिनीन को
निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते है ([३७] अस-सफ्फात: 121)
Tafseer (तफ़सीर )
१२२

اِنَّهُمَا مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِيْنَ ١٢٢

innahumā
إِنَّهُمَا
बेशक वो दोनों
min
مِنْ
हमारे बन्दों में से थे
ʿibādinā
عِبَادِنَا
हमारे बन्दों में से थे
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
जो मोमिन हैं
निश्चय ही वे दोनों हमारे ईमानवाले बन्दों में से थे ([३७] अस-सफ्फात: 122)
Tafseer (तफ़सीर )
१२३

وَاِنَّ اِلْيَاسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِيْنَۗ ١٢٣

wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
il'yāsa
إِلْيَاسَ
इल्यास
lamina
لَمِنَ
अलबत्ता रसूलों में से था
l-mur'salīna
ٱلْمُرْسَلِينَ
अलबत्ता रसूलों में से था
और निस्संदेह इलयास भी रसूलों में से था। ([३७] अस-सफ्फात: 123)
Tafseer (तफ़सीर )
१२४

اِذْ قَالَ لِقَوْمِهٖٓ اَلَا تَتَّقُوْنَ ١٢٤

idh
إِذْ
जब
qāla
قَالَ
उसने कहा
liqawmihi
لِقَوْمِهِۦٓ
अपनी क़ौम को
alā
أَلَا
क्या नहीं
tattaqūna
تَتَّقُونَ
तुम डरते
याद करो, जब उसने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, 'क्या तुम डर नहीं रखते? ([३७] अस-सफ्फात: 124)
Tafseer (तफ़सीर )
१२५

اَتَدْعُوْنَ بَعْلًا وَّتَذَرُوْنَ اَحْسَنَ الْخَالِقِيْنَۙ ١٢٥

atadʿūna
أَتَدْعُونَ
क्या तुम पुकारते हो
baʿlan
بَعْلًا
बअल को
watadharūna
وَتَذَرُونَ
और तुम छोड़ देते हो (अल्लाह को)
aḥsana
أَحْسَنَ
बेहतरीन
l-khāliqīna
ٱلْخَٰلِقِينَ
पैदा करने वाले को
क्या तुम 'बअत' (देवता) को पुकारते हो और सर्वोत्तम सृष्टा। को छोड़ देते हो; ([३७] अस-सफ्फात: 125)
Tafseer (तफ़सीर )
१२६

اللّٰهَ رَبَّكُمْ وَرَبَّ اٰبَاۤىِٕكُمُ الْاَوَّلِيْنَ ١٢٦

al-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
rabbakum
رَبَّكُمْ
रब तुम्हारा
warabba
وَرَبَّ
और रब
ābāikumu
ءَابَآئِكُمُ
तुम्हारे आबा ओ अजदाद का
l-awalīna
ٱلْأَوَّلِينَ
पहलों का
अपने रब और अपने अगले बाप-दादा के रब, अल्लाह को!' ([३७] अस-सफ्फात: 126)
Tafseer (तफ़सीर )
१२७

فَكَذَّبُوْهُ فَاِنَّهُمْ لَمُحْضَرُوْنَۙ ١٢٧

fakadhabūhu
فَكَذَّبُوهُ
तो उन्होंने झुठला दिया उसे
fa-innahum
فَإِنَّهُمْ
तो बेशक वो
lamuḥ'ḍarūna
لَمُحْضَرُونَ
ज़रूर हाज़िर किए जाने वाले हैं
किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। सौ वे निश्चय ही पकड़कर हाज़िर किए जाएँगे ([३७] अस-सफ्फात: 127)
Tafseer (तफ़सीर )
१२८

اِلَّا عِبَادَ اللّٰهِ الْمُخْلَصِيْنَ ١٢٨

illā
إِلَّا
मगर
ʿibāda
عِبَادَ
बन्दे
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
l-mukh'laṣīna
ٱلْمُخْلَصِينَ
जो ख़ालिस किए हुए हैं
अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है ([३७] अस-सफ्फात: 128)
Tafseer (तफ़सीर )
१२९

وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِى الْاٰخِرِيْنَ ۙ ١٢٩

wataraknā
وَتَرَكْنَا
और बाक़ी रखा हमने
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर (ज़िक्र ख़ैर )
فِى
बाद वालों में
l-ākhirīna
ٱلْءَاخِرِينَ
बाद वालों में
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा ([३७] अस-सफ्फात: 129)
Tafseer (तफ़सीर )
१३०

سَلٰمٌ عَلٰٓى اِلْ يَاسِيْنَ ١٣٠

salāmun
سَلَٰمٌ
सलाम हो
ʿalā
عَلَىٰٓ
ऊपर इल्यास के
ilyāsīna
إِلْ يَاسِينَ
ऊपर इल्यास के
कि 'सलाम है इलयास पर!' ([३७] अस-सफ्फात: 130)
Tafseer (तफ़सीर )