१२१
اِنَّا كَذٰلِكَ نَجْزِى الْمُحْسِنِيْنَ ١٢١
- innā
- إِنَّا
- यक़ीनन हम
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- najzī
- نَجْزِى
- हम बदला देते हैं
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- मोहसिनीन को
निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते है ([३७] अस-सफ्फात: 121)Tafseer (तफ़सीर )
१२२
اِنَّهُمَا مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِيْنَ ١٢٢
- innahumā
- إِنَّهُمَا
- बेशक वो दोनों
- min
- مِنْ
- हमारे बन्दों में से थे
- ʿibādinā
- عِبَادِنَا
- हमारे बन्दों में से थे
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- जो मोमिन हैं
निश्चय ही वे दोनों हमारे ईमानवाले बन्दों में से थे ([३७] अस-सफ्फात: 122)Tafseer (तफ़सीर )
१२३
وَاِنَّ اِلْيَاسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِيْنَۗ ١٢٣
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- il'yāsa
- إِلْيَاسَ
- इल्यास
- lamina
- لَمِنَ
- अलबत्ता रसूलों में से था
- l-mur'salīna
- ٱلْمُرْسَلِينَ
- अलबत्ता रसूलों में से था
और निस्संदेह इलयास भी रसूलों में से था। ([३७] अस-सफ्फात: 123)Tafseer (तफ़सीर )
१२४
اِذْ قَالَ لِقَوْمِهٖٓ اَلَا تَتَّقُوْنَ ١٢٤
- idh
- إِذْ
- जब
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- liqawmihi
- لِقَوْمِهِۦٓ
- अपनी क़ौम को
- alā
- أَلَا
- क्या नहीं
- tattaqūna
- تَتَّقُونَ
- तुम डरते
याद करो, जब उसने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, 'क्या तुम डर नहीं रखते? ([३७] अस-सफ्फात: 124)Tafseer (तफ़सीर )
१२५
اَتَدْعُوْنَ بَعْلًا وَّتَذَرُوْنَ اَحْسَنَ الْخَالِقِيْنَۙ ١٢٥
- atadʿūna
- أَتَدْعُونَ
- क्या तुम पुकारते हो
- baʿlan
- بَعْلًا
- बअल को
- watadharūna
- وَتَذَرُونَ
- और तुम छोड़ देते हो (अल्लाह को)
- aḥsana
- أَحْسَنَ
- बेहतरीन
- l-khāliqīna
- ٱلْخَٰلِقِينَ
- पैदा करने वाले को
क्या तुम 'बअत' (देवता) को पुकारते हो और सर्वोत्तम सृष्टा। को छोड़ देते हो; ([३७] अस-सफ्फात: 125)Tafseer (तफ़सीर )
१२६
اللّٰهَ رَبَّكُمْ وَرَبَّ اٰبَاۤىِٕكُمُ الْاَوَّلِيْنَ ١٢٦
- al-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- rabbakum
- رَبَّكُمْ
- रब तुम्हारा
- warabba
- وَرَبَّ
- और रब
- ābāikumu
- ءَابَآئِكُمُ
- तुम्हारे आबा ओ अजदाद का
- l-awalīna
- ٱلْأَوَّلِينَ
- पहलों का
अपने रब और अपने अगले बाप-दादा के रब, अल्लाह को!' ([३७] अस-सफ्फात: 126)Tafseer (तफ़सीर )
१२७
فَكَذَّبُوْهُ فَاِنَّهُمْ لَمُحْضَرُوْنَۙ ١٢٧
- fakadhabūhu
- فَكَذَّبُوهُ
- तो उन्होंने झुठला दिया उसे
- fa-innahum
- فَإِنَّهُمْ
- तो बेशक वो
- lamuḥ'ḍarūna
- لَمُحْضَرُونَ
- ज़रूर हाज़िर किए जाने वाले हैं
किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। सौ वे निश्चय ही पकड़कर हाज़िर किए जाएँगे ([३७] अस-सफ्फात: 127)Tafseer (तफ़सीर )
१२८
اِلَّا عِبَادَ اللّٰهِ الْمُخْلَصِيْنَ ١٢٨
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ʿibāda
- عِبَادَ
- बन्दे
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- l-mukh'laṣīna
- ٱلْمُخْلَصِينَ
- जो ख़ालिस किए हुए हैं
अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है ([३७] अस-सफ्फात: 128)Tafseer (तफ़सीर )
१२९
وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِى الْاٰخِرِيْنَ ۙ ١٢٩
- wataraknā
- وَتَرَكْنَا
- और बाक़ी रखा हमने
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर (ज़िक्र ख़ैर )
- fī
- فِى
- बाद वालों में
- l-ākhirīna
- ٱلْءَاخِرِينَ
- बाद वालों में
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा ([३७] अस-सफ्फात: 129)Tafseer (तफ़सीर )
१३०
سَلٰمٌ عَلٰٓى اِلْ يَاسِيْنَ ١٣٠
- salāmun
- سَلَٰمٌ
- सलाम हो
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- ऊपर इल्यास के
- ilyāsīna
- إِلْ يَاسِينَ
- ऊपर इल्यास के
कि 'सलाम है इलयास पर!' ([३७] अस-सफ्फात: 130)Tafseer (तफ़सीर )