१११
اِنَّهٗ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِيْنَ ١١١
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- min
- مِنْ
- हमारे बन्दों में से था
- ʿibādinā
- عِبَادِنَا
- हमारे बन्दों में से था
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- जो मोमिन हैं
निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था ([३७] अस-सफ्फात: 111)Tafseer (तफ़सीर )
११२
وَبَشَّرْنٰهُ بِاِسْحٰقَ نَبِيًّا مِّنَ الصّٰلِحِيْنَ ١١٢
- wabasharnāhu
- وَبَشَّرْنَٰهُ
- और ख़ुशख़बरी दी हमने उसे
- bi-is'ḥāqa
- بِإِسْحَٰقَ
- इस्हाक़ की
- nabiyyan
- نَبِيًّا
- एक नबी
- mina
- مِّنَ
- सालेहीन में से
- l-ṣāliḥīna
- ٱلصَّٰلِحِينَ
- सालेहीन में से
और हमने उसे इसहाक़ की शुभ सूचना दी, अच्छों में से एक नबी ([३७] अस-सफ्फात: 112)Tafseer (तफ़सीर )
११३
وَبٰرَكْنَا عَلَيْهِ وَعَلٰٓى اِسْحٰقَۗ وَمِنْ ذُرِّيَّتِهِمَا مُحْسِنٌ وَّظَالِمٌ لِّنَفْسِهٖ مُبِيْنٌ ࣖ ١١٣
- wabāraknā
- وَبَٰرَكْنَا
- और बरकत नाज़िल की हमने
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- waʿalā
- وَعَلَىٰٓ
- और इस्हाक़ पर
- is'ḥāqa
- إِسْحَٰقَۚ
- और इस्हाक़ पर
- wamin
- وَمِن
- और दोनों की औलादों में से
- dhurriyyatihimā
- ذُرِّيَّتِهِمَا
- और दोनों की औलादों में से
- muḥ'sinun
- مُحْسِنٌ
- कोई मोहसिन है
- waẓālimun
- وَظَالِمٌ
- और कोई ज़ालिम है
- linafsihi
- لِّنَفْسِهِۦ
- अपने नफ़्स के लिए
- mubīnun
- مُبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
और हमने उसे और इसहाक़ को बरकत दी। और उन दोनों की संतति में कोई तो उत्तमकार है और कोई अपने आप पर खुला ज़ुल्म करनेवाला ([३७] अस-सफ्फात: 113)Tafseer (तफ़सीर )
११४
وَلَقَدْ مَنَنَّا عَلٰى مُوْسٰى وَهٰرُوْنَ ۚ ١١٤
- walaqad
- وَلَقَدْ
- और अलबत्ता तहक़ीक़
- manannā
- مَنَنَّا
- एहसान किया हमने
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर मूसा
- mūsā
- مُوسَىٰ
- ऊपर मूसा
- wahārūna
- وَهَٰرُونَ
- और हारून के
और हम मूसा और हारून पर भी उपकार कर चुके है ([३७] अस-सफ्फात: 114)Tafseer (तफ़सीर )
११५
وَنَجَّيْنٰهُمَا وَقَوْمَهُمَا مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيْمِۚ ١١٥
- wanajjaynāhumā
- وَنَجَّيْنَٰهُمَا
- और निजात दी हमने उन दोनों को
- waqawmahumā
- وَقَوْمَهُمَا
- और उन दोनों की क़ौम को
- mina
- مِنَ
- मुसीबत से
- l-karbi
- ٱلْكَرْبِ
- मुसीबत से
- l-ʿaẓīmi
- ٱلْعَظِيمِ
- बहुत बड़ी
और हमने उन्हें और उनकी क़ौम को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया ([३७] अस-सफ्फात: 115)Tafseer (तफ़सीर )
११६
وَنَصَرْنٰهُمْ فَكَانُوْا هُمُ الْغٰلِبِيْنَۚ ١١٦
- wanaṣarnāhum
- وَنَصَرْنَٰهُمْ
- और मदद की हमने उनकी
- fakānū
- فَكَانُوا۟
- फिर हो गए वो
- humu
- هُمُ
- वो ही
- l-ghālibīna
- ٱلْغَٰلِبِينَ
- ग़ालिब
हमने उनकी सहायता की, तो वही प्रभावी रहे ([३७] अस-सफ्फात: 116)Tafseer (तफ़सीर )
११७
وَاٰتَيْنٰهُمَا الْكِتٰبَ الْمُسْتَبِيْنَ ۚ ١١٧
- waātaynāhumā
- وَءَاتَيْنَٰهُمَا
- और दी हमने उन दोनों को
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- l-mus'tabīna
- ٱلْمُسْتَبِينَ
- वाज़ेह
हमने उनको अत्यन्त स्पष्टा किताब प्रदान की। ([३७] अस-सफ्फात: 117)Tafseer (तफ़सीर )
११८
وَهَدَيْنٰهُمَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيْمَۚ ١١٨
- wahadaynāhumā
- وَهَدَيْنَٰهُمَا
- और हिदायत दी हमने उन दोनों को
- l-ṣirāṭa
- ٱلصِّرَٰطَ
- रास्ते
- l-mus'taqīma
- ٱلْمُسْتَقِيمَ
- सीधे की
और उन्हें सीधा मार्ग दिखाया ([३७] अस-सफ्फात: 118)Tafseer (तफ़सीर )
११९
وَتَرَكْنَا عَلَيْهِمَا فِى الْاٰخِرِيْنَ ۖ ١١٩
- wataraknā
- وَتَرَكْنَا
- और बाक़ी रखा हमने
- ʿalayhimā
- عَلَيْهِمَا
- उन दोनों पर ( ज़िक्र ख़ैर)
- fī
- فِى
- बाद वालों में
- l-ākhirīna
- ٱلْءَاخِرِينَ
- बाद वालों में
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा ([३७] अस-सफ्फात: 119)Tafseer (तफ़सीर )
१२०
سَلٰمٌ عَلٰى مُوْسٰى وَهٰرُوْنَ ١٢٠
- salāmun
- سَلَٰمٌ
- सलाम हो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर मूसा
- mūsā
- مُوسَىٰ
- ऊपर मूसा
- wahārūna
- وَهَٰرُونَ
- और हारून को
कि 'सलाम है मूसा और हारून पर!' ([३७] अस-सफ्फात: 120)Tafseer (तफ़सीर )