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सूरा अस-सफ्फात - Page: 12

As-Saffat

(Those Who Set The Ranks, drawn Up In Ranks)

१११

اِنَّهٗ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِيْنَ ١١١

innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
min
مِنْ
हमारे बन्दों में से था
ʿibādinā
عِبَادِنَا
हमारे बन्दों में से था
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
जो मोमिन हैं
निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था ([३७] अस-सफ्फात: 111)
Tafseer (तफ़सीर )
११२

وَبَشَّرْنٰهُ بِاِسْحٰقَ نَبِيًّا مِّنَ الصّٰلِحِيْنَ ١١٢

wabasharnāhu
وَبَشَّرْنَٰهُ
और ख़ुशख़बरी दी हमने उसे
bi-is'ḥāqa
بِإِسْحَٰقَ
इस्हाक़ की
nabiyyan
نَبِيًّا
एक नबी
mina
مِّنَ
सालेहीन में से
l-ṣāliḥīna
ٱلصَّٰلِحِينَ
सालेहीन में से
और हमने उसे इसहाक़ की शुभ सूचना दी, अच्छों में से एक नबी ([३७] अस-सफ्फात: 112)
Tafseer (तफ़सीर )
११३

وَبٰرَكْنَا عَلَيْهِ وَعَلٰٓى اِسْحٰقَۗ وَمِنْ ذُرِّيَّتِهِمَا مُحْسِنٌ وَّظَالِمٌ لِّنَفْسِهٖ مُبِيْنٌ ࣖ ١١٣

wabāraknā
وَبَٰرَكْنَا
और बरकत नाज़िल की हमने
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
waʿalā
وَعَلَىٰٓ
और इस्हाक़ पर
is'ḥāqa
إِسْحَٰقَۚ
और इस्हाक़ पर
wamin
وَمِن
और दोनों की औलादों में से
dhurriyyatihimā
ذُرِّيَّتِهِمَا
और दोनों की औलादों में से
muḥ'sinun
مُحْسِنٌ
कोई मोहसिन है
waẓālimun
وَظَالِمٌ
और कोई ज़ालिम है
linafsihi
لِّنَفْسِهِۦ
अपने नफ़्स के लिए
mubīnun
مُبِينٌ
खुल्लम-खुल्ला
और हमने उसे और इसहाक़ को बरकत दी। और उन दोनों की संतति में कोई तो उत्तमकार है और कोई अपने आप पर खुला ज़ुल्म करनेवाला ([३७] अस-सफ्फात: 113)
Tafseer (तफ़सीर )
११४

وَلَقَدْ مَنَنَّا عَلٰى مُوْسٰى وَهٰرُوْنَ ۚ ١١٤

walaqad
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
manannā
مَنَنَّا
एहसान किया हमने
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर मूसा
mūsā
مُوسَىٰ
ऊपर मूसा
wahārūna
وَهَٰرُونَ
और हारून के
और हम मूसा और हारून पर भी उपकार कर चुके है ([३७] अस-सफ्फात: 114)
Tafseer (तफ़सीर )
११५

وَنَجَّيْنٰهُمَا وَقَوْمَهُمَا مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيْمِۚ ١١٥

wanajjaynāhumā
وَنَجَّيْنَٰهُمَا
और निजात दी हमने उन दोनों को
waqawmahumā
وَقَوْمَهُمَا
और उन दोनों की क़ौम को
mina
مِنَ
मुसीबत से
l-karbi
ٱلْكَرْبِ
मुसीबत से
l-ʿaẓīmi
ٱلْعَظِيمِ
बहुत बड़ी
और हमने उन्हें और उनकी क़ौम को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया ([३७] अस-सफ्फात: 115)
Tafseer (तफ़सीर )
११६

وَنَصَرْنٰهُمْ فَكَانُوْا هُمُ الْغٰلِبِيْنَۚ ١١٦

wanaṣarnāhum
وَنَصَرْنَٰهُمْ
और मदद की हमने उनकी
fakānū
فَكَانُوا۟
फिर हो गए वो
humu
هُمُ
वो ही
l-ghālibīna
ٱلْغَٰلِبِينَ
ग़ालिब
हमने उनकी सहायता की, तो वही प्रभावी रहे ([३७] अस-सफ्फात: 116)
Tafseer (तफ़सीर )
११७

وَاٰتَيْنٰهُمَا الْكِتٰبَ الْمُسْتَبِيْنَ ۚ ١١٧

waātaynāhumā
وَءَاتَيْنَٰهُمَا
और दी हमने उन दोनों को
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
l-mus'tabīna
ٱلْمُسْتَبِينَ
वाज़ेह
हमने उनको अत्यन्त स्पष्टा किताब प्रदान की। ([३७] अस-सफ्फात: 117)
Tafseer (तफ़सीर )
११८

وَهَدَيْنٰهُمَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيْمَۚ ١١٨

wahadaynāhumā
وَهَدَيْنَٰهُمَا
और हिदायत दी हमने उन दोनों को
l-ṣirāṭa
ٱلصِّرَٰطَ
रास्ते
l-mus'taqīma
ٱلْمُسْتَقِيمَ
सीधे की
और उन्हें सीधा मार्ग दिखाया ([३७] अस-सफ्फात: 118)
Tafseer (तफ़सीर )
११९

وَتَرَكْنَا عَلَيْهِمَا فِى الْاٰخِرِيْنَ ۖ ١١٩

wataraknā
وَتَرَكْنَا
और बाक़ी रखा हमने
ʿalayhimā
عَلَيْهِمَا
उन दोनों पर ( ज़िक्र ख़ैर)
فِى
बाद वालों में
l-ākhirīna
ٱلْءَاخِرِينَ
बाद वालों में
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा ([३७] अस-सफ्फात: 119)
Tafseer (तफ़सीर )
१२०

سَلٰمٌ عَلٰى مُوْسٰى وَهٰرُوْنَ ١٢٠

salāmun
سَلَٰمٌ
सलाम हो
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर मूसा
mūsā
مُوسَىٰ
ऊपर मूसा
wahārūna
وَهَٰرُونَ
और हारून को
कि 'सलाम है मूसा और हारून पर!' ([३७] अस-सफ्फात: 120)
Tafseer (तफ़सीर )