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सूरा अस-सफ्फात - Page: 11

As-Saffat

(Those Who Set The Ranks, drawn Up In Ranks)

१०१

فَبَشَّرْنٰهُ بِغُلٰمٍ حَلِيْمٍ ١٠١

fabasharnāhu
فَبَشَّرْنَٰهُ
तो ख़ुशख़बरी दी हमने उसे
bighulāmin
بِغُلَٰمٍ
एक लड़के की
ḥalīmin
حَلِيمٍ
जो बुर्दबार था
तो हमने उसे एक सहनशील पुत्र की शुभ सूचना दी ([३७] अस-सफ्फात: 101)
Tafseer (तफ़सीर )
१०२

فَلَمَّا بَلَغَ مَعَهُ السَّعْيَ قَالَ يٰبُنَيَّ اِنِّيْٓ اَرٰى فِى الْمَنَامِ اَنِّيْٓ اَذْبَحُكَ فَانْظُرْ مَاذَا تَرٰىۗ قَالَ يٰٓاَبَتِ افْعَلْ مَا تُؤْمَرُۖ سَتَجِدُنِيْٓ اِنْ شَاۤءَ اللّٰهُ مِنَ الصّٰبِرِيْنَ ١٠٢

falammā
فَلَمَّا
फिर जब
balagha
بَلَغَ
वो पहुँचा
maʿahu
مَعَهُ
साथ उसके
l-saʿya
ٱلسَّعْىَ
दौड़ धूप को
qāla
قَالَ
कहा
yābunayya
يَٰبُنَىَّ
ऐ मेरे बेटे
innī
إِنِّىٓ
कि बेशक मैं
arā
أَرَىٰ
मैं ने देखा है
فِى
ख़्वाब में
l-manāmi
ٱلْمَنَامِ
ख़्वाब में
annī
أَنِّىٓ
कि मैं
adhbaḥuka
أَذْبَحُكَ
मैं ज़िबह कर रहा हूँ तुझे
fa-unẓur
فَٱنظُرْ
तो देख
mādhā
مَاذَا
क्या है
tarā
تَرَىٰۚ
तेरी राय
qāla
قَالَ
उसने कहा
yāabati
يَٰٓأَبَتِ
ऐ मेरे अब्बाजान
if'ʿal
ٱفْعَلْ
आप कर डालिए
مَا
जो
tu'maru
تُؤْمَرُۖ
आप हुक्म दिए गए
satajidunī
سَتَجِدُنِىٓ
ज़रूर आप पाऐंगे मुझे
in
إِن
अगर
shāa
شَآءَ
चाहा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
mina
مِنَ
सब्र करने वालों में से
l-ṣābirīna
ٱلصَّٰبِرِينَ
सब्र करने वालों में से
फिर जब वह उसके साथ दौड़-धूप करने की अवस्था को पहुँचा तो उसने कहा, 'ऐ मेरे प्रिय बेटे! मैं स्वप्न में देखता हूँ कि तुझे क़ुरबान कर रहा हूँ। तो अब देख, तेरा क्या विचार है?' उसने कहा, 'ऐ मेरे बाप! जो कुछ आपको आदेश दिया जा रहा है उसे कर डालिए। अल्लाह ने चाहा तो आप मुझे धैर्यवान पाएँगे।' ([३७] अस-सफ्फात: 102)
Tafseer (तफ़सीर )
१०३

فَلَمَّآ اَسْلَمَا وَتَلَّهٗ لِلْجَبِيْنِۚ ١٠٣

falammā
فَلَمَّآ
फिर जब
aslamā
أَسْلَمَا
वो दोनों मुतीअ हो गए
watallahu
وَتَلَّهُۥ
और उसने लिटा दिया उसे
lil'jabīni
لِلْجَبِينِ
पेशनी के बल
अन्ततः जब दोनों ने अपने आपको (अल्लाह के आगे) झुका दिया और उसने (इबाराहीम ने) उसे कनपटी के बल लिटा दिया (तो उस समय क्या दृश्य रहा होगा, सोचो!) ([३७] अस-सफ्फात: 103)
Tafseer (तफ़सीर )
१०४

وَنَادَيْنٰهُ اَنْ يّٰٓاِبْرٰهِيْمُ ۙ ١٠٤

wanādaynāhu
وَنَٰدَيْنَٰهُ
और पुकारा हमने उसे
an
أَن
कि
yāib'rāhīmu
يَٰٓإِبْرَٰهِيمُ
ऐ इब्राहीम
और हमने उसे पुकारा, 'ऐ इबराहीम! ([३७] अस-सफ्फात: 104)
Tafseer (तफ़सीर )
१०५

قَدْ صَدَّقْتَ الرُّؤْيَا ۚاِنَّا كَذٰلِكَ نَجْزِى الْمُحْسِنِيْنَ ١٠٥

qad
قَدْ
तहक़ीक़
ṣaddaqta
صَدَّقْتَ
सच कर दिखाया तूने
l-ru'yā
ٱلرُّءْيَآۚ
ख़्वाब को
innā
إِنَّا
बेशक हम
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
najzī
نَجْزِى
हम बदला देते हैं
l-muḥ'sinīna
ٱلْمُحْسِنِينَ
मोहसिनीन को
तूने स्वप्न को सच कर दिखाया। निस्संदेह हम उत्तमकारों को इसी प्रकार बदला देते है।' ([३७] अस-सफ्फात: 105)
Tafseer (तफ़सीर )
१०६

اِنَّ هٰذَا لَهُوَ الْبَلٰۤؤُا الْمُبِيْنُ ١٠٦

inna
إِنَّ
बेशक
hādhā
هَٰذَا
ये
lahuwa
لَهُوَ
अलबत्ता वो
l-balāu
ٱلْبَلَٰٓؤُا۟
आज़माइश थी
l-mubīnu
ٱلْمُبِينُ
खुली-खुली
निस्संदेह यह तो एक खुली हूई परीक्षा थी ([३७] अस-सफ्फात: 106)
Tafseer (तफ़सीर )
१०७

وَفَدَيْنٰهُ بِذِبْحٍ عَظِيْمٍ ١٠٧

wafadaynāhu
وَفَدَيْنَٰهُ
और फ़िदया दिया हमने उसका
bidhib'ḥin
بِذِبْحٍ
साथ एक क़ुर्बानी
ʿaẓīmin
عَظِيمٍ
बहुत बड़ी के
और हमने उसे (बेटे को) एक बड़ी क़ुरबानी के बदले में छुड़ा लिया ([३७] अस-सफ्फात: 107)
Tafseer (तफ़सीर )
१०८

وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِى الْاٰخِرِيْنَ ۖ ١٠٨

wataraknā
وَتَرَكْنَا
और बाक़ी रखा हमने
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर (ज़िक्र ख़ैर)
فِى
बाद वालों में
l-ākhirīna
ٱلْءَاخِرِينَ
बाद वालों में
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका ज़िक्र छोड़ा, ([३७] अस-सफ्फात: 108)
Tafseer (तफ़सीर )
१०९

سَلٰمٌ عَلٰٓى اِبْرٰهِيْمَ ١٠٩

salāmun
سَلَٰمٌ
सलाम है
ʿalā
عَلَىٰٓ
इब्राहीम पर
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِيمَ
इब्राहीम पर
कि 'सलाम है इबराहीम पर।' ([३७] अस-सफ्फात: 109)
Tafseer (तफ़सीर )
११०

كَذٰلِكَ نَجْزِى الْمُحْسِنِيْنَ ١١٠

kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
najzī
نَجْزِى
हम बदला देते हैं
l-muḥ'sinīna
ٱلْمُحْسِنِينَ
एहसान करने वालों को
उत्तमकारों को हम ऐसा ही बदला देते है ([३७] अस-सफ्फात: 110)
Tafseer (तफ़सीर )