१०१
فَبَشَّرْنٰهُ بِغُلٰمٍ حَلِيْمٍ ١٠١
- fabasharnāhu
- فَبَشَّرْنَٰهُ
- तो ख़ुशख़बरी दी हमने उसे
- bighulāmin
- بِغُلَٰمٍ
- एक लड़के की
- ḥalīmin
- حَلِيمٍ
- जो बुर्दबार था
तो हमने उसे एक सहनशील पुत्र की शुभ सूचना दी ([३७] अस-सफ्फात: 101)Tafseer (तफ़सीर )
१०२
فَلَمَّا بَلَغَ مَعَهُ السَّعْيَ قَالَ يٰبُنَيَّ اِنِّيْٓ اَرٰى فِى الْمَنَامِ اَنِّيْٓ اَذْبَحُكَ فَانْظُرْ مَاذَا تَرٰىۗ قَالَ يٰٓاَبَتِ افْعَلْ مَا تُؤْمَرُۖ سَتَجِدُنِيْٓ اِنْ شَاۤءَ اللّٰهُ مِنَ الصّٰبِرِيْنَ ١٠٢
- falammā
- فَلَمَّا
- फिर जब
- balagha
- بَلَغَ
- वो पहुँचा
- maʿahu
- مَعَهُ
- साथ उसके
- l-saʿya
- ٱلسَّعْىَ
- दौड़ धूप को
- qāla
- قَالَ
- कहा
- yābunayya
- يَٰبُنَىَّ
- ऐ मेरे बेटे
- innī
- إِنِّىٓ
- कि बेशक मैं
- arā
- أَرَىٰ
- मैं ने देखा है
- fī
- فِى
- ख़्वाब में
- l-manāmi
- ٱلْمَنَامِ
- ख़्वाब में
- annī
- أَنِّىٓ
- कि मैं
- adhbaḥuka
- أَذْبَحُكَ
- मैं ज़िबह कर रहा हूँ तुझे
- fa-unẓur
- فَٱنظُرْ
- तो देख
- mādhā
- مَاذَا
- क्या है
- tarā
- تَرَىٰۚ
- तेरी राय
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- yāabati
- يَٰٓأَبَتِ
- ऐ मेरे अब्बाजान
- if'ʿal
- ٱفْعَلْ
- आप कर डालिए
- mā
- مَا
- जो
- tu'maru
- تُؤْمَرُۖ
- आप हुक्म दिए गए
- satajidunī
- سَتَجِدُنِىٓ
- ज़रूर आप पाऐंगे मुझे
- in
- إِن
- अगर
- shāa
- شَآءَ
- चाहा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- mina
- مِنَ
- सब्र करने वालों में से
- l-ṣābirīna
- ٱلصَّٰبِرِينَ
- सब्र करने वालों में से
फिर जब वह उसके साथ दौड़-धूप करने की अवस्था को पहुँचा तो उसने कहा, 'ऐ मेरे प्रिय बेटे! मैं स्वप्न में देखता हूँ कि तुझे क़ुरबान कर रहा हूँ। तो अब देख, तेरा क्या विचार है?' उसने कहा, 'ऐ मेरे बाप! जो कुछ आपको आदेश दिया जा रहा है उसे कर डालिए। अल्लाह ने चाहा तो आप मुझे धैर्यवान पाएँगे।' ([३७] अस-सफ्फात: 102)Tafseer (तफ़सीर )
१०३
فَلَمَّآ اَسْلَمَا وَتَلَّهٗ لِلْجَبِيْنِۚ ١٠٣
- falammā
- فَلَمَّآ
- फिर जब
- aslamā
- أَسْلَمَا
- वो दोनों मुतीअ हो गए
- watallahu
- وَتَلَّهُۥ
- और उसने लिटा दिया उसे
- lil'jabīni
- لِلْجَبِينِ
- पेशनी के बल
अन्ततः जब दोनों ने अपने आपको (अल्लाह के आगे) झुका दिया और उसने (इबाराहीम ने) उसे कनपटी के बल लिटा दिया (तो उस समय क्या दृश्य रहा होगा, सोचो!) ([३७] अस-सफ्फात: 103)Tafseer (तफ़सीर )
१०४
وَنَادَيْنٰهُ اَنْ يّٰٓاِبْرٰهِيْمُ ۙ ١٠٤
- wanādaynāhu
- وَنَٰدَيْنَٰهُ
- और पुकारा हमने उसे
- an
- أَن
- कि
- yāib'rāhīmu
- يَٰٓإِبْرَٰهِيمُ
- ऐ इब्राहीम
और हमने उसे पुकारा, 'ऐ इबराहीम! ([३७] अस-सफ्फात: 104)Tafseer (तफ़सीर )
१०५
قَدْ صَدَّقْتَ الرُّؤْيَا ۚاِنَّا كَذٰلِكَ نَجْزِى الْمُحْسِنِيْنَ ١٠٥
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- ṣaddaqta
- صَدَّقْتَ
- सच कर दिखाया तूने
- l-ru'yā
- ٱلرُّءْيَآۚ
- ख़्वाब को
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- najzī
- نَجْزِى
- हम बदला देते हैं
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- मोहसिनीन को
तूने स्वप्न को सच कर दिखाया। निस्संदेह हम उत्तमकारों को इसी प्रकार बदला देते है।' ([३७] अस-सफ्फात: 105)Tafseer (तफ़सीर )
१०६
اِنَّ هٰذَا لَهُوَ الْبَلٰۤؤُا الْمُبِيْنُ ١٠٦
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- lahuwa
- لَهُوَ
- अलबत्ता वो
- l-balāu
- ٱلْبَلَٰٓؤُا۟
- आज़माइश थी
- l-mubīnu
- ٱلْمُبِينُ
- खुली-खुली
निस्संदेह यह तो एक खुली हूई परीक्षा थी ([३७] अस-सफ्फात: 106)Tafseer (तफ़सीर )
१०७
وَفَدَيْنٰهُ بِذِبْحٍ عَظِيْمٍ ١٠٧
- wafadaynāhu
- وَفَدَيْنَٰهُ
- और फ़िदया दिया हमने उसका
- bidhib'ḥin
- بِذِبْحٍ
- साथ एक क़ुर्बानी
- ʿaẓīmin
- عَظِيمٍ
- बहुत बड़ी के
और हमने उसे (बेटे को) एक बड़ी क़ुरबानी के बदले में छुड़ा लिया ([३७] अस-सफ्फात: 107)Tafseer (तफ़सीर )
१०८
وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِى الْاٰخِرِيْنَ ۖ ١٠٨
- wataraknā
- وَتَرَكْنَا
- और बाक़ी रखा हमने
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर (ज़िक्र ख़ैर)
- fī
- فِى
- बाद वालों में
- l-ākhirīna
- ٱلْءَاخِرِينَ
- बाद वालों में
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका ज़िक्र छोड़ा, ([३७] अस-सफ्फात: 108)Tafseer (तफ़सीर )
१०९
سَلٰمٌ عَلٰٓى اِبْرٰهِيْمَ ١٠٩
- salāmun
- سَلَٰمٌ
- सलाम है
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- इब्राहीम पर
- ib'rāhīma
- إِبْرَٰهِيمَ
- इब्राहीम पर
कि 'सलाम है इबराहीम पर।' ([३७] अस-सफ्फात: 109)Tafseer (तफ़सीर )
११०
كَذٰلِكَ نَجْزِى الْمُحْسِنِيْنَ ١١٠
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- najzī
- نَجْزِى
- हम बदला देते हैं
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- एहसान करने वालों को
उत्तमकारों को हम ऐसा ही बदला देते है ([३७] अस-सफ्फात: 110)Tafseer (तफ़सीर )