९१
فَرَاغَ اِلٰٓى اٰلِهَتِهِمْ فَقَالَ اَلَا تَأْكُلُوْنَۚ ٩١
- farāgha
- فَرَاغَ
- तो वो चुपके से गया
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़ उनके इलाहों के
- ālihatihim
- ءَالِهَتِهِمْ
- तरफ़ उनके इलाहों के
- faqāla
- فَقَالَ
- फिर उसने कहा
- alā
- أَلَا
- क्या नहीं
- takulūna
- تَأْكُلُونَ
- तुम खाते
फिर वह आँख बचाकर उनके देवताओं की ओर गया और कहा, 'क्या तुम खाते नहीं? ([३७] अस-सफ्फात: 91)Tafseer (तफ़सीर )
९२
مَا لَكُمْ لَا تَنْطِقُوْنَ ٩٢
- mā
- مَا
- क्या है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हें
- lā
- لَا
- नहीं तुम बोलते
- tanṭiqūna
- تَنطِقُونَ
- नहीं तुम बोलते
तुम्हें क्या हुआ है कि तुम बोलते नहीं?' ([३७] अस-सफ्फात: 92)Tafseer (तफ़सीर )
९३
فَرَاغَ عَلَيْهِمْ ضَرْبًا ۢبِالْيَمِيْنِ ٩٣
- farāgha
- فَرَاغَ
- फिर वो जा पड़ा
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- ḍarban
- ضَرْبًۢا
- ज़रब लगाते हुए
- bil-yamīni
- بِٱلْيَمِينِ
- दाऐं हाथ से
फिर वह भरपूर हाथ मारते हुए उनपर पिल पड़ा ([३७] अस-सफ्फात: 93)Tafseer (तफ़सीर )
९४
فَاَقْبَلُوْٓا اِلَيْهِ يَزِفُّوْنَ ٩٤
- fa-aqbalū
- فَأَقْبَلُوٓا۟
- तो वो मुतावज्जा हुए
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- तरफ़ उसके
- yaziffūna
- يَزِفُّونَ
- तेज़ दौड़ते हुए
फिर वे लोग झपटते हुए उसकी ओर आए ([३७] अस-सफ्फात: 94)Tafseer (तफ़सीर )
९५
قَالَ اَتَعْبُدُوْنَ مَا تَنْحِتُوْنَۙ ٩٥
- qāla
- قَالَ
- कहा
- ataʿbudūna
- أَتَعْبُدُونَ
- क्या तुम इबादत करते हो
- mā
- مَا
- उनकी जिन्हें
- tanḥitūna
- تَنْحِتُونَ
- तुम तराशते हो
उसने कहा, 'क्या तुम उनको पूजते हो, जिन्हें स्वयं तराशते हो, ([३७] अस-सफ्फात: 95)Tafseer (तफ़सीर )
९६
وَاللّٰهُ خَلَقَكُمْ وَمَا تَعْمَلُوْنَ ٩٦
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह ने
- khalaqakum
- خَلَقَكُمْ
- पैदा किया तुम्हें
- wamā
- وَمَا
- और उसे जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम करते हो
जबकि अल्लाह ने तुम्हे भी पैदा किया है और उनको भी, जिन्हें तुम बनाते हो?' ([३७] अस-सफ्फात: 96)Tafseer (तफ़सीर )
९७
قَالُوا ابْنُوْا لَهٗ بُنْيَانًا فَاَلْقُوْهُ فِى الْجَحِيْمِ ٩٧
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- ib'nū
- ٱبْنُوا۟
- बनाओ
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- bun'yānan
- بُنْيَٰنًا
- एक इमारत
- fa-alqūhu
- فَأَلْقُوهُ
- फिर डालो उसे
- fī
- فِى
- दहकती आग में
- l-jaḥīmi
- ٱلْجَحِيمِ
- दहकती आग में
वे बोले, 'उनके लिए एक मकान (अर्थात अग्नि-कुंड) तैयार करके उसे भड़कती आग में डाल दो!' ([३७] अस-सफ्फात: 97)Tafseer (तफ़सीर )
९८
فَاَرَادُوْا بِهٖ كَيْدًا فَجَعَلْنٰهُمُ الْاَسْفَلِيْنَ ٩٨
- fa-arādū
- فَأَرَادُوا۟
- तो उन्होंने इरादा किया
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- kaydan
- كَيْدًا
- चाल चलने का
- fajaʿalnāhumu
- فَجَعَلْنَٰهُمُ
- तो कर दिया हमने उन्हें
- l-asfalīna
- ٱلْأَسْفَلِينَ
- सबसे निचला
अतः उन्होंने उसके साथ एक चाल चलनी चाही, किन्तु हमने उन्हीं को नीचा दिखा दिया ([३७] अस-सफ्फात: 98)Tafseer (तफ़सीर )
९९
وَقَالَ اِنِّيْ ذَاهِبٌ اِلٰى رَبِّيْ سَيَهْدِيْنِ ٩٩
- waqāla
- وَقَالَ
- और उसने कहा
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- dhāhibun
- ذَاهِبٌ
- जाने वाला हूँ
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ अपने रब के
- rabbī
- رَبِّى
- तरफ़ अपने रब के
- sayahdīni
- سَيَهْدِينِ
- अनक़रीब वो रहनुमाई करेगा मेरी
उसने कहा, 'मैं अपने रब की ओर जा रहा हूँ, वह मेरा मार्गदर्शन करेगा ([३७] अस-सफ्फात: 99)Tafseer (तफ़सीर )
१००
رَبِّ هَبْ لِيْ مِنَ الصّٰلِحِيْنَ ١٠٠
- rabbi
- رَبِّ
- ऐ मेरे रब
- hab
- هَبْ
- अता कर
- lī
- لِى
- मुझे
- mina
- مِنَ
- सालेहीन में से
- l-ṣāliḥīna
- ٱلصَّٰلِحِينَ
- सालेहीन में से
ऐ मेरे रब! मुझे कोई नेक संतान प्रदान कर।' ([३७] अस-सफ्फात: 100)Tafseer (तफ़सीर )