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सूरा अस-सफ्फात - Page: 10

As-Saffat

(Those Who Set The Ranks, drawn Up In Ranks)

९१

فَرَاغَ اِلٰٓى اٰلِهَتِهِمْ فَقَالَ اَلَا تَأْكُلُوْنَۚ ٩١

farāgha
فَرَاغَ
तो वो चुपके से गया
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़ उनके इलाहों के
ālihatihim
ءَالِهَتِهِمْ
तरफ़ उनके इलाहों के
faqāla
فَقَالَ
फिर उसने कहा
alā
أَلَا
क्या नहीं
takulūna
تَأْكُلُونَ
तुम खाते
फिर वह आँख बचाकर उनके देवताओं की ओर गया और कहा, 'क्या तुम खाते नहीं? ([३७] अस-सफ्फात: 91)
Tafseer (तफ़सीर )
९२

مَا لَكُمْ لَا تَنْطِقُوْنَ ٩٢

مَا
क्या है
lakum
لَكُمْ
तुम्हें
لَا
नहीं तुम बोलते
tanṭiqūna
تَنطِقُونَ
नहीं तुम बोलते
तुम्हें क्या हुआ है कि तुम बोलते नहीं?' ([३७] अस-सफ्फात: 92)
Tafseer (तफ़सीर )
९३

فَرَاغَ عَلَيْهِمْ ضَرْبًا ۢبِالْيَمِيْنِ ٩٣

farāgha
فَرَاغَ
फिर वो जा पड़ा
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
ḍarban
ضَرْبًۢا
ज़रब लगाते हुए
bil-yamīni
بِٱلْيَمِينِ
दाऐं हाथ से
फिर वह भरपूर हाथ मारते हुए उनपर पिल पड़ा ([३७] अस-सफ्फात: 93)
Tafseer (तफ़सीर )
९४

فَاَقْبَلُوْٓا اِلَيْهِ يَزِفُّوْنَ ٩٤

fa-aqbalū
فَأَقْبَلُوٓا۟
तो वो मुतावज्जा हुए
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
yaziffūna
يَزِفُّونَ
तेज़ दौड़ते हुए
फिर वे लोग झपटते हुए उसकी ओर आए ([३७] अस-सफ्फात: 94)
Tafseer (तफ़सीर )
९५

قَالَ اَتَعْبُدُوْنَ مَا تَنْحِتُوْنَۙ ٩٥

qāla
قَالَ
कहा
ataʿbudūna
أَتَعْبُدُونَ
क्या तुम इबादत करते हो
مَا
उनकी जिन्हें
tanḥitūna
تَنْحِتُونَ
तुम तराशते हो
उसने कहा, 'क्या तुम उनको पूजते हो, जिन्हें स्वयं तराशते हो, ([३७] अस-सफ्फात: 95)
Tafseer (तफ़सीर )
९६

وَاللّٰهُ خَلَقَكُمْ وَمَا تَعْمَلُوْنَ ٩٦

wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह ने
khalaqakum
خَلَقَكُمْ
पैदा किया तुम्हें
wamā
وَمَا
और उसे जो
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम करते हो
जबकि अल्लाह ने तुम्हे भी पैदा किया है और उनको भी, जिन्हें तुम बनाते हो?' ([३७] अस-सफ्फात: 96)
Tafseer (तफ़सीर )
९७

قَالُوا ابْنُوْا لَهٗ بُنْيَانًا فَاَلْقُوْهُ فِى الْجَحِيْمِ ٩٧

qālū
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
ib'nū
ٱبْنُوا۟
बनाओ
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
bun'yānan
بُنْيَٰنًا
एक इमारत
fa-alqūhu
فَأَلْقُوهُ
फिर डालो उसे
فِى
दहकती आग में
l-jaḥīmi
ٱلْجَحِيمِ
दहकती आग में
वे बोले, 'उनके लिए एक मकान (अर्थात अग्नि-कुंड) तैयार करके उसे भड़कती आग में डाल दो!' ([३७] अस-सफ्फात: 97)
Tafseer (तफ़सीर )
९८

فَاَرَادُوْا بِهٖ كَيْدًا فَجَعَلْنٰهُمُ الْاَسْفَلِيْنَ ٩٨

fa-arādū
فَأَرَادُوا۟
तो उन्होंने इरादा किया
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
kaydan
كَيْدًا
चाल चलने का
fajaʿalnāhumu
فَجَعَلْنَٰهُمُ
तो कर दिया हमने उन्हें
l-asfalīna
ٱلْأَسْفَلِينَ
सबसे निचला
अतः उन्होंने उसके साथ एक चाल चलनी चाही, किन्तु हमने उन्हीं को नीचा दिखा दिया ([३७] अस-सफ्फात: 98)
Tafseer (तफ़सीर )
९९

وَقَالَ اِنِّيْ ذَاهِبٌ اِلٰى رَبِّيْ سَيَهْدِيْنِ ٩٩

waqāla
وَقَالَ
और उसने कहा
innī
إِنِّى
बेशक मैं
dhāhibun
ذَاهِبٌ
जाने वाला हूँ
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ अपने रब के
rabbī
رَبِّى
तरफ़ अपने रब के
sayahdīni
سَيَهْدِينِ
अनक़रीब वो रहनुमाई करेगा मेरी
उसने कहा, 'मैं अपने रब की ओर जा रहा हूँ, वह मेरा मार्गदर्शन करेगा ([३७] अस-सफ्फात: 99)
Tafseer (तफ़सीर )
१००

رَبِّ هَبْ لِيْ مِنَ الصّٰلِحِيْنَ ١٠٠

rabbi
رَبِّ
ऐ मेरे रब
hab
هَبْ
अता कर
لِى
मुझे
mina
مِنَ
सालेहीन में से
l-ṣāliḥīna
ٱلصَّٰلِحِينَ
सालेहीन में से
ऐ मेरे रब! मुझे कोई नेक संतान प्रदान कर।' ([३७] अस-सफ्फात: 100)
Tafseer (तफ़सीर )