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सूरा यासीन - Page: 9

Ya-Sin

(या-सीन)

८१

اَوَلَيْسَ الَّذِيْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِقٰدِرٍ عَلٰٓى اَنْ يَّخْلُقَ مِثْلَهُمْ ۗبَلٰى وَهُوَ الْخَلّٰقُ الْعَلِيْمُ ٨١

awalaysa
أَوَلَيْسَ
क्या भला नहीं है
alladhī
ٱلَّذِى
वो जिसने
khalaqa
خَلَقَ
पैदा किया
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍa
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन को
biqādirin
بِقَٰدِرٍ
क़ादिर
ʿalā
عَلَىٰٓ
इस (बात) पर
an
أَن
कि
yakhluqa
يَخْلُقَ
वो पैदा करे
mith'lahum
مِثْلَهُمۚ
उनकी मानिन्द
balā
بَلَىٰ
क्यों नहीं
wahuwa
وَهُوَ
और वो
l-khalāqu
ٱلْخَلَّٰقُ
सब कुछ पैदा करने वाला हैं
l-ʿalīmu
ٱلْعَلِيمُ
ख़ूब जानने वाला है
क्या जिसने आकाशों और धरती को पैदा किया उसे इसकी सामर्थ्य नहीं कि उन जैसों को पैदा कर दे? क्यों नहीं, जबकि वह महान स्रष्टा , अत्यन्त ज्ञानवान है ([३६] यासीन: 81)
Tafseer (तफ़सीर )
८२

اِنَّمَآ اَمْرُهٗٓ اِذَآ اَرَادَ شَيْـًٔاۖ اَنْ يَّقُوْلَ لَهٗ كُنْ فَيَكُوْنُ ٨٢

innamā
إِنَّمَآ
बेशक
amruhu
أَمْرُهُۥٓ
काम उसका
idhā
إِذَآ
जब
arāda
أَرَادَ
वो इरादा करता है
shayan
شَيْـًٔا
किसी चीज़ का
an
أَن
ये कि
yaqūla
يَقُولَ
वो कहता है
lahu
لَهُۥ
उसे
kun
كُن
हो जा
fayakūnu
فَيَكُونُ
तो वो हो जाती है
उसका मामला तो बस यह है कि जब वह किसी चीज़ (के पैदा करने) का इरादा करता है तो उससे कहता है, 'हो जा!' और वह हो जाती है ([३६] यासीन: 82)
Tafseer (तफ़सीर )
८३

فَسُبْحٰنَ الَّذِيْ بِيَدِهٖ مَلَكُوْتُ كُلِّ شَيْءٍ وَّاِلَيْهِ تُرْجَعُوْنَ ࣖ ٨٣

fasub'ḥāna
فَسُبْحَٰنَ
पस पाक है
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
biyadihi
بِيَدِهِۦ
हाथ में जिसके
malakūtu
مَلَكُوتُ
बादशाहत है
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ की
wa-ilayhi
وَإِلَيْهِ
और तरफ़ उसीके
tur'jaʿūna
تُرْجَعُونَ
तुम लौटाए जाओगे
अतः महिमा है उसकी, जिसके हाथ में हर चीज़ का पूरा अधिकार है। और उसी की ओर तुम लौटकर जाओगे ([३६] यासीन: 83)
Tafseer (तफ़सीर )