८१
اَوَلَيْسَ الَّذِيْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِقٰدِرٍ عَلٰٓى اَنْ يَّخْلُقَ مِثْلَهُمْ ۗبَلٰى وَهُوَ الْخَلّٰقُ الْعَلِيْمُ ٨١
- awalaysa
- أَوَلَيْسَ
- क्या भला नहीं है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जिसने
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- biqādirin
- بِقَٰدِرٍ
- क़ादिर
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- इस (बात) पर
- an
- أَن
- कि
- yakhluqa
- يَخْلُقَ
- वो पैदा करे
- mith'lahum
- مِثْلَهُمۚ
- उनकी मानिन्द
- balā
- بَلَىٰ
- क्यों नहीं
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- l-khalāqu
- ٱلْخَلَّٰقُ
- सब कुछ पैदा करने वाला हैं
- l-ʿalīmu
- ٱلْعَلِيمُ
- ख़ूब जानने वाला है
क्या जिसने आकाशों और धरती को पैदा किया उसे इसकी सामर्थ्य नहीं कि उन जैसों को पैदा कर दे? क्यों नहीं, जबकि वह महान स्रष्टा , अत्यन्त ज्ञानवान है ([३६] यासीन: 81)Tafseer (तफ़सीर )
८२
اِنَّمَآ اَمْرُهٗٓ اِذَآ اَرَادَ شَيْـًٔاۖ اَنْ يَّقُوْلَ لَهٗ كُنْ فَيَكُوْنُ ٨٢
- innamā
- إِنَّمَآ
- बेशक
- amruhu
- أَمْرُهُۥٓ
- काम उसका
- idhā
- إِذَآ
- जब
- arāda
- أَرَادَ
- वो इरादा करता है
- shayan
- شَيْـًٔا
- किसी चीज़ का
- an
- أَن
- ये कि
- yaqūla
- يَقُولَ
- वो कहता है
- lahu
- لَهُۥ
- उसे
- kun
- كُن
- हो जा
- fayakūnu
- فَيَكُونُ
- तो वो हो जाती है
उसका मामला तो बस यह है कि जब वह किसी चीज़ (के पैदा करने) का इरादा करता है तो उससे कहता है, 'हो जा!' और वह हो जाती है ([३६] यासीन: 82)Tafseer (तफ़सीर )
८३
فَسُبْحٰنَ الَّذِيْ بِيَدِهٖ مَلَكُوْتُ كُلِّ شَيْءٍ وَّاِلَيْهِ تُرْجَعُوْنَ ࣖ ٨٣
- fasub'ḥāna
- فَسُبْحَٰنَ
- पस पाक है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- biyadihi
- بِيَدِهِۦ
- हाथ में जिसके
- malakūtu
- مَلَكُوتُ
- बादशाहत है
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ की
- wa-ilayhi
- وَإِلَيْهِ
- और तरफ़ उसीके
- tur'jaʿūna
- تُرْجَعُونَ
- तुम लौटाए जाओगे
अतः महिमा है उसकी, जिसके हाथ में हर चीज़ का पूरा अधिकार है। और उसी की ओर तुम लौटकर जाओगे ([३६] यासीन: 83)Tafseer (तफ़सीर )