اَوَلَمْ يَرَوْا اَنَّا خَلَقْنَا لَهُمْ مِّمَّا عَمِلَتْ اَيْدِيْنَآ اَنْعَامًا فَهُمْ لَهَا مَالِكُوْنَ ٧١
- awalam
- أَوَلَمْ
- क्या भला नहीं
- yaraw
- يَرَوْا۟
- उन्होंने देखा
- annā
- أَنَّا
- बेशक हम
- khalaqnā
- خَلَقْنَا
- पैदा किया हमने
- lahum
- لَهُم
- उनके लिए
- mimmā
- مِّمَّا
- उसमें से जो
- ʿamilat
- عَمِلَتْ
- बनाया
- aydīnā
- أَيْدِينَآ
- हमारे हाथों ने
- anʿāman
- أَنْعَٰمًا
- मवेशियों को
- fahum
- فَهُمْ
- तो वो
- lahā
- لَهَا
- उनके
- mālikūna
- مَٰلِكُونَ
- मालिक हैं
क्या उन्होंने देखा नहीं कि हमने उनके लिए अपने हाथों की बनाई हुई चीज़ों में से चौपाए पैदा किए और अब वे उनके मालिक है? ([३६] यासीन: 71)Tafseer (तफ़सीर )
وَذَلَّلْنٰهَا لَهُمْ فَمِنْهَا رَكُوْبُهُمْ وَمِنْهَا يَأْكُلُوْنَ ٧٢
- wadhallalnāhā
- وَذَلَّلْنَٰهَا
- और मुतीअ कर दिया हमने उन्हें
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- famin'hā
- فَمِنْهَا
- तो उनमें से कुछ
- rakūbuhum
- رَكُوبُهُمْ
- सवारियाँ हैं उनकी
- wamin'hā
- وَمِنْهَا
- और उनमें से कुछ
- yakulūna
- يَأْكُلُونَ
- वो खाते हैं
और उन्हें उनके बस में कर दिया कि उनमें से कुछ तो उनकी सवारियाँ हैं और उनमें से कुछ को खाते है। ([३६] यासीन: 72)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَهُمْ فِيْهَا مَنَافِعُ وَمَشَارِبُۗ اَفَلَا يَشْكُرُوْنَ ٧٣
- walahum
- وَلَهُمْ
- और उनके लिए
- fīhā
- فِيهَا
- उनमें
- manāfiʿu
- مَنَٰفِعُ
- कई फ़ायदे हैं
- wamashāribu
- وَمَشَارِبُۖ
- और पीने की चीज़ें हैं
- afalā
- أَفَلَا
- क्या फिर नहीं
- yashkurūna
- يَشْكُرُونَ
- वो शुक्र करते
और उनके लिए उनमें कितने ही लाभ है और पेय भी है। तो क्या वे कृतज्ञता नहीं दिखलाते? ([३६] यासीन: 73)Tafseer (तफ़सीर )
وَاتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ اٰلِهَةً لَّعَلَّهُمْ يُنْصَرُوْنَ ۗ ٧٤
- wa-ittakhadhū
- وَٱتَّخَذُوا۟
- और उन्होंने बना लिए
- min
- مِن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- ālihatan
- ءَالِهَةً
- कई इलाह
- laʿallahum
- لَّعَلَّهُمْ
- ताकि वो
- yunṣarūna
- يُنصَرُونَ
- वो मदद किए जाऐं
उन्होंने अल्लाह से इतर कितने ही उपास्य बना लिए है कि शायद उन्हें मदद पहुँचे। ([३६] यासीन: 74)Tafseer (तफ़सीर )
لَا يَسْتَطِيْعُوْنَ نَصْرَهُمْۙ وَهُمْ لَهُمْ جُنْدٌ مُّحْضَرُوْنَ ٧٥
- lā
- لَا
- नहीं वो इस्तिताअत रखते
- yastaṭīʿūna
- يَسْتَطِيعُونَ
- नहीं वो इस्तिताअत रखते
- naṣrahum
- نَصْرَهُمْ
- उनकी मदद की
- wahum
- وَهُمْ
- बल्कि वो ख़ुद
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- jundun
- جُندٌ
- लश्कर हैं
- muḥ'ḍarūna
- مُّحْضَرُونَ
- हाज़िर किए गए
वे उनकी सहायता करने की सामर्थ्य नहीं रखते, हालाँकि वे (बहुदेववादियों की अपनी स्पष्ट में) उनके लिए उपस्थित सेनाएँ हैं ([३६] यासीन: 75)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَا يَحْزُنْكَ قَوْلُهُمْ ۘاِنَّا نَعْلَمُ مَا يُسِرُّوْنَ وَمَا يُعْلِنُوْنَ ٧٦
- falā
- فَلَا
- पस ना
- yaḥzunka
- يَحْزُنكَ
- ग़मगीन करे आपको
- qawluhum
- قَوْلُهُمْۘ
- बात उनकी
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- naʿlamu
- نَعْلَمُ
- हम जानते हैं
- mā
- مَا
- जो कुछ
- yusirrūna
- يُسِرُّونَ
- वो छुपाते हैं
- wamā
- وَمَا
- और जो कुछ
- yuʿ'linūna
- يُعْلِنُونَ
- वो ज़ाहिर करते हैं
अतः उनकी बात तुम्हें शोकाकुल न करे। हम जानते है जो कुछ वे छिपाते और जो कुछ व्यक्त करते है ([३६] यासीन: 76)Tafseer (तफ़सीर )
اَوَلَمْ يَرَ الْاِنْسَانُ اَنَّا خَلَقْنٰهُ مِنْ نُّطْفَةٍ فَاِذَا هُوَ خَصِيْمٌ مُّبِيْنٌ ٧٧
- awalam
- أَوَلَمْ
- क्या भला नहीं
- yara
- يَرَ
- देखा
- l-insānu
- ٱلْإِنسَٰنُ
- इन्सान ने
- annā
- أَنَّا
- बेशक हम
- khalaqnāhu
- خَلَقْنَٰهُ
- पैदा किया हमने उसे
- min
- مِن
- नुत्फ़े से
- nuṭ'fatin
- نُّطْفَةٍ
- नुत्फ़े से
- fa-idhā
- فَإِذَا
- तो यकायक
- huwa
- هُوَ
- वो
- khaṣīmun
- خَصِيمٌ
- झगड़ालू है
- mubīnun
- مُّبِينٌ
- खुल्लम-खुल्ला
क्या (इनकार करनेवाले) मनुष्य को नहीं देखा कि हमने उसे वीर्य से पैदा किया? फिर क्या देखते है कि वह प्रत्क्षय विरोधी झगड़ालू बन गया ([३६] यासीन: 77)Tafseer (तफ़सीर )
وَضَرَبَ لَنَا مَثَلًا وَّنَسِيَ خَلْقَهٗۗ قَالَ مَنْ يُّحْيِ الْعِظَامَ وَهِيَ رَمِيْمٌ ٧٨
- waḍaraba
- وَضَرَبَ
- और उसने बयान की
- lanā
- لَنَا
- हमारे लिए
- mathalan
- مَثَلًا
- मिसाल
- wanasiya
- وَنَسِىَ
- और वो भूल गया
- khalqahu
- خَلْقَهُۥۖ
- अपनी पैदाइश को
- qāla
- قَالَ
- उसने कहा
- man
- مَن
- कौन
- yuḥ'yī
- يُحْىِ
- ज़िन्दा करेगा
- l-ʿiẓāma
- ٱلْعِظَٰمَ
- हड्डियों को
- wahiya
- وَهِىَ
- जबकि वो
- ramīmun
- رَمِيمٌ
- बोसीदा हो चुकी होंगी
और उसने हमपर फबती कसी और अपनी पैदाइश को भूल गया। कहता है, 'कौन हड्डियों में जान डालेगा, जबकि वे जीर्ण-शीर्ण हो चुकी होंगी?' ([३६] यासीन: 78)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ يُحْيِيْهَا الَّذِيْٓ اَنْشَاَهَآ اَوَّلَ مَرَّةٍ ۗوَهُوَ بِكُلِّ خَلْقٍ عَلِيْمٌ ۙ ٧٩
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- yuḥ'yīhā
- يُحْيِيهَا
- ज़िन्दा करेगा उन्हें
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- वो जिसने
- ansha-ahā
- أَنشَأَهَآ
- पैदा किया उन्हें
- awwala
- أَوَّلَ
- पहली
- marratin
- مَرَّةٍۖ
- बार
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- bikulli
- بِكُلِّ
- हर
- khalqin
- خَلْقٍ
- पैदाइश को
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
कह दो, 'उनमें वही जाल डालेगा जिसने उनको पहली बार पैदा किया। वह तो प्रत्येक संसृति को भली-भाँति जानता है ([३६] यासीन: 79)Tafseer (तफ़सीर )
ِۨالَّذِيْ جَعَلَ لَكُمْ مِّنَ الشَّجَرِ الْاَخْضَرِ نَارًاۙ فَاِذَآ اَنْتُمْ مِّنْهُ تُوْقِدُوْنَ ٨٠
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जिसने
- jaʿala
- جَعَلَ
- बनाया
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- mina
- مِّنَ
- सरसबज़ दरख़्त से
- l-shajari
- ٱلشَّجَرِ
- सरसबज़ दरख़्त से
- l-akhḍari
- ٱلْأَخْضَرِ
- सरसबज़ दरख़्त से
- nāran
- نَارًا
- आग को
- fa-idhā
- فَإِذَآ
- तो यकायक
- antum
- أَنتُم
- तुम
- min'hu
- مِّنْهُ
- उससे
- tūqidūna
- تُوقِدُونَ
- तुम आग जलाते हो
वही है जिसने तुम्हारे लिए हरे-भरे वृक्ष से आग पैदा कर दी। तो लगे हो तुम उससे जलाने।' ([३६] यासीन: 80)Tafseer (तफ़सीर )