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सूरा यासीन - शब्द द्वारा शब्द

Ya-Sin

(या-सीन)

bismillaahirrahmaanirrahiim

يٰسۤ ۚ ١

ya-seen
يسٓ
ي س
या॰ सीन॰ ([३६] यासीन: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

وَالْقُرْاٰنِ الْحَكِيْمِۙ ٢

wal-qur'āni
وَٱلْقُرْءَانِ
क़सम है क़ुरआन
l-ḥakīmi
ٱلْحَكِيمِ
हिकमत वाले की
गवाह है हिकमतवाला क़ुरआन ([३६] यासीन: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنَّكَ لَمِنَ الْمُرْسَلِيْنَۙ ٣

innaka
إِنَّكَ
बेशक आप
lamina
لَمِنَ
अलबत्ता रसूलों में से हैं
l-mur'salīna
ٱلْمُرْسَلِينَ
अलबत्ता रसूलों में से हैं
- कि तुम निश्चय ही रसूलों में से हो ([३६] यासीन: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

عَلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍۗ ٤

ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
ṣirāṭin
صِرَٰطٍ
रास्ते
mus'taqīmin
مُّسْتَقِيمٍ
सीधे के
एक सीधे मार्ग पर ([३६] यासीन: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

تَنْزِيْلَ الْعَزِيْزِ الرَّحِيْمِۙ ٥

tanzīla
تَنزِيلَ
नाज़िल करदा है
l-ʿazīzi
ٱلْعَزِيزِ
बहुत ज़बरदस्त का
l-raḥīmi
ٱلرَّحِيمِ
निहायत रहम करने वाले का
- क्या ही ख़ूब है, प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावाल का इसको अवतरित करना! ([३६] यासीन: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

لِتُنْذِرَ قَوْمًا مَّآ اُنْذِرَ اٰبَاۤؤُهُمْ فَهُمْ غٰفِلُوْنَ ٦

litundhira
لِتُنذِرَ
ताकि आप डराऐं
qawman
قَوْمًا
एक क़ौम को
مَّآ
नहीं
undhira
أُنذِرَ
डराए गए
ābāuhum
ءَابَآؤُهُمْ
आबा ओ अजदाद उनके
fahum
فَهُمْ
पस वो
ghāfilūna
غَٰفِلُونَ
ग़ाफिल हैं
ताकि तुम ऐसे लोगों को सावधान करो, जिनके बाप-दादा को सावधान नहीं किया गया; इस कारण वे गफ़लत में पड़े हुए है ([३६] यासीन: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

لَقَدْ حَقَّ الْقَوْلُ عَلٰٓى اَكْثَرِهِمْ فَهُمْ لَا يُؤْمِنُوْنَ ٧

laqad
لَقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
ḥaqqa
حَقَّ
सच हो गई
l-qawlu
ٱلْقَوْلُ
बात
ʿalā
عَلَىٰٓ
उनकी अक्सरियत पर
aktharihim
أَكْثَرِهِمْ
उनकी अक्सरियत पर
fahum
فَهُمْ
पस वो
لَا
नहीं वो ईमान लाऐंगे
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान लाऐंगे
उनमें से अधिकतर लोगों पर बात सत्यापित हो चुकी है। अतः वे ईमान नहीं लाएँगे। ([३६] यासीन: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنَّا جَعَلْنَا فِيْٓ اَعْنَاقِهِمْ اَغْلٰلًا فَهِيَ اِلَى الْاَذْقَانِ فَهُمْ مُّقْمَحُوْنَ ٨

innā
إِنَّا
बेशक हम
jaʿalnā
جَعَلْنَا
डाल दिए हमने
فِىٓ
उनकी गर्दनों में
aʿnāqihim
أَعْنَٰقِهِمْ
उनकी गर्दनों में
aghlālan
أَغْلَٰلًا
तौक़
fahiya
فَهِىَ
तो वो
ilā
إِلَى
ठोड़ियों तक हैं
l-adhqāni
ٱلْأَذْقَانِ
ठोड़ियों तक हैं
fahum
فَهُم
तो वो
muq'maḥūna
مُّقْمَحُونَ
सर उठाए हुए हैं
हमने उनकी गर्दनों में तौक़ डाल दिए है जो उनकी ठोड़ियों से लगे है। अतः उनके सिर ऊपर को उचके हुए है ([३६] यासीन: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

وَجَعَلْنَا مِنْۢ بَيْنِ اَيْدِيْهِمْ سَدًّا وَّمِنْ خَلْفِهِمْ سَدًّا فَاَغْشَيْنٰهُمْ فَهُمْ لَا يُبْصِرُوْنَ ٩

wajaʿalnā
وَجَعَلْنَا
और बना दी हमने
min
مِنۢ
उनके सामने से
bayni
بَيْنِ
उनके सामने से
aydīhim
أَيْدِيهِمْ
उनके सामने से
saddan
سَدًّا
एक दीवार
wamin
وَمِنْ
और उनके पीछे से
khalfihim
خَلْفِهِمْ
और उनके पीछे से
saddan
سَدًّا
एक दीवार
fa-aghshaynāhum
فَأَغْشَيْنَٰهُمْ
फिर ढाँप दिया हमने उन्हें
fahum
فَهُمْ
पस वो
لَا
नहीं वो देख पाते
yub'ṣirūna
يُبْصِرُونَ
नहीं वो देख पाते
और हमने उनके आगे एक दीवार खड़ी कर दी है और एक दीवार उनके पीछे भी। इस तरह हमने उन्हें ढाँक दिया है। अतः उन्हें कुछ सुझाई नहीं देता ([३६] यासीन: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

وَسَوَاۤءٌ عَلَيْهِمْ ءَاَنْذَرْتَهُمْ اَمْ لَمْ تُنْذِرْهُمْ لَا يُؤْمِنُوْنَ ١٠

wasawāon
وَسَوَآءٌ
और बराबर है
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
a-andhartahum
ءَأَنذَرْتَهُمْ
ख़्वाह डराऐं आप उन्हें
am
أَمْ
या
lam
لَمْ
ना
tundhir'hum
تُنذِرْهُمْ
आप डराऐं उन्हें
لَا
नहीं वो ईमान लाऐंगे
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान लाऐंगे
उनके लिए बराबर है तुमने सचेत किया या उन्हें सचेत नहीं किया, वे ईमान नहीं लाएँगे ([३६] यासीन: 10)
Tafseer (तफ़सीर )