१
२
وَالْقُرْاٰنِ الْحَكِيْمِۙ ٢
- wal-qur'āni
- وَٱلْقُرْءَانِ
- क़सम है क़ुरआन
- l-ḥakīmi
- ٱلْحَكِيمِ
- हिकमत वाले की
गवाह है हिकमतवाला क़ुरआन ([३६] यासीन: 2)Tafseer (तफ़सीर )
३
اِنَّكَ لَمِنَ الْمُرْسَلِيْنَۙ ٣
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक आप
- lamina
- لَمِنَ
- अलबत्ता रसूलों में से हैं
- l-mur'salīna
- ٱلْمُرْسَلِينَ
- अलबत्ता रसूलों में से हैं
- कि तुम निश्चय ही रसूलों में से हो ([३६] यासीन: 3)Tafseer (तफ़सीर )
४
عَلٰى صِرَاطٍ مُّسْتَقِيْمٍۗ ٤
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- ṣirāṭin
- صِرَٰطٍ
- रास्ते
- mus'taqīmin
- مُّسْتَقِيمٍ
- सीधे के
एक सीधे मार्ग पर ([३६] यासीन: 4)Tafseer (तफ़सीर )
५
تَنْزِيْلَ الْعَزِيْزِ الرَّحِيْمِۙ ٥
- tanzīla
- تَنزِيلَ
- नाज़िल करदा है
- l-ʿazīzi
- ٱلْعَزِيزِ
- बहुत ज़बरदस्त का
- l-raḥīmi
- ٱلرَّحِيمِ
- निहायत रहम करने वाले का
- क्या ही ख़ूब है, प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावाल का इसको अवतरित करना! ([३६] यासीन: 5)Tafseer (तफ़सीर )
६
لِتُنْذِرَ قَوْمًا مَّآ اُنْذِرَ اٰبَاۤؤُهُمْ فَهُمْ غٰفِلُوْنَ ٦
- litundhira
- لِتُنذِرَ
- ताकि आप डराऐं
- qawman
- قَوْمًا
- एक क़ौम को
- mā
- مَّآ
- नहीं
- undhira
- أُنذِرَ
- डराए गए
- ābāuhum
- ءَابَآؤُهُمْ
- आबा ओ अजदाद उनके
- fahum
- فَهُمْ
- पस वो
- ghāfilūna
- غَٰفِلُونَ
- ग़ाफिल हैं
ताकि तुम ऐसे लोगों को सावधान करो, जिनके बाप-दादा को सावधान नहीं किया गया; इस कारण वे गफ़लत में पड़े हुए है ([३६] यासीन: 6)Tafseer (तफ़सीर )
७
لَقَدْ حَقَّ الْقَوْلُ عَلٰٓى اَكْثَرِهِمْ فَهُمْ لَا يُؤْمِنُوْنَ ٧
- laqad
- لَقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- ḥaqqa
- حَقَّ
- सच हो गई
- l-qawlu
- ٱلْقَوْلُ
- बात
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- उनकी अक्सरियत पर
- aktharihim
- أَكْثَرِهِمْ
- उनकी अक्सरियत पर
- fahum
- فَهُمْ
- पस वो
- lā
- لَا
- नहीं वो ईमान लाऐंगे
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाऐंगे
उनमें से अधिकतर लोगों पर बात सत्यापित हो चुकी है। अतः वे ईमान नहीं लाएँगे। ([३६] यासीन: 7)Tafseer (तफ़सीर )
८
اِنَّا جَعَلْنَا فِيْٓ اَعْنَاقِهِمْ اَغْلٰلًا فَهِيَ اِلَى الْاَذْقَانِ فَهُمْ مُّقْمَحُوْنَ ٨
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- jaʿalnā
- جَعَلْنَا
- डाल दिए हमने
- fī
- فِىٓ
- उनकी गर्दनों में
- aʿnāqihim
- أَعْنَٰقِهِمْ
- उनकी गर्दनों में
- aghlālan
- أَغْلَٰلًا
- तौक़
- fahiya
- فَهِىَ
- तो वो
- ilā
- إِلَى
- ठोड़ियों तक हैं
- l-adhqāni
- ٱلْأَذْقَانِ
- ठोड़ियों तक हैं
- fahum
- فَهُم
- तो वो
- muq'maḥūna
- مُّقْمَحُونَ
- सर उठाए हुए हैं
हमने उनकी गर्दनों में तौक़ डाल दिए है जो उनकी ठोड़ियों से लगे है। अतः उनके सिर ऊपर को उचके हुए है ([३६] यासीन: 8)Tafseer (तफ़सीर )
९
وَجَعَلْنَا مِنْۢ بَيْنِ اَيْدِيْهِمْ سَدًّا وَّمِنْ خَلْفِهِمْ سَدًّا فَاَغْشَيْنٰهُمْ فَهُمْ لَا يُبْصِرُوْنَ ٩
- wajaʿalnā
- وَجَعَلْنَا
- और बना दी हमने
- min
- مِنۢ
- उनके सामने से
- bayni
- بَيْنِ
- उनके सामने से
- aydīhim
- أَيْدِيهِمْ
- उनके सामने से
- saddan
- سَدًّا
- एक दीवार
- wamin
- وَمِنْ
- और उनके पीछे से
- khalfihim
- خَلْفِهِمْ
- और उनके पीछे से
- saddan
- سَدًّا
- एक दीवार
- fa-aghshaynāhum
- فَأَغْشَيْنَٰهُمْ
- फिर ढाँप दिया हमने उन्हें
- fahum
- فَهُمْ
- पस वो
- lā
- لَا
- नहीं वो देख पाते
- yub'ṣirūna
- يُبْصِرُونَ
- नहीं वो देख पाते
और हमने उनके आगे एक दीवार खड़ी कर दी है और एक दीवार उनके पीछे भी। इस तरह हमने उन्हें ढाँक दिया है। अतः उन्हें कुछ सुझाई नहीं देता ([३६] यासीन: 9)Tafseer (तफ़सीर )
१०
وَسَوَاۤءٌ عَلَيْهِمْ ءَاَنْذَرْتَهُمْ اَمْ لَمْ تُنْذِرْهُمْ لَا يُؤْمِنُوْنَ ١٠
- wasawāon
- وَسَوَآءٌ
- और बराबर है
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- a-andhartahum
- ءَأَنذَرْتَهُمْ
- ख़्वाह डराऐं आप उन्हें
- am
- أَمْ
- या
- lam
- لَمْ
- ना
- tundhir'hum
- تُنذِرْهُمْ
- आप डराऐं उन्हें
- lā
- لَا
- नहीं वो ईमान लाऐंगे
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान लाऐंगे
उनके लिए बराबर है तुमने सचेत किया या उन्हें सचेत नहीं किया, वे ईमान नहीं लाएँगे ([३६] यासीन: 10)Tafseer (तफ़सीर )