وَالَّذِيْٓ اَوْحَيْنَآ اِلَيْكَ مِنَ الْكِتٰبِ هُوَ الْحَقُّ مُصَدِّقًا لِّمَا بَيْنَ يَدَيْهِۗ اِنَّ اللّٰهَ بِعِبَادِهٖ لَخَبِيْرٌۢ بَصِيْرٌ ٣١
- wa-alladhī
- وَٱلَّذِىٓ
- और जो
- awḥaynā
- أَوْحَيْنَآ
- वही की हमने
- ilayka
- إِلَيْكَ
- आपकी तरफ़
- mina
- مِنَ
- किताब में से
- l-kitābi
- ٱلْكِتَٰبِ
- किताब में से
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- l-ḥaqu
- ٱلْحَقُّ
- हक़ है
- muṣaddiqan
- مُصَدِّقًا
- तस्दीक़ करने वाली
- limā
- لِّمَا
- उसकी जो
- bayna
- بَيْنَ
- उससे पहले है
- yadayhi
- يَدَيْهِۗ
- उससे पहले है
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- biʿibādihi
- بِعِبَادِهِۦ
- अपने बन्दों के बारे में
- lakhabīrun
- لَخَبِيرٌۢ
- अलबत्ता पूरी तरह बाख़बर है
- baṣīrun
- بَصِيرٌ
- ख़ूब देखने वाला है
जो किताब हमने तुम्हारी ओर प्रकाशना द्वारा भेजी है, वही सत्य है। अपने से पहले (की किताबों) की पुष्टि में है। निश्चय ही अल्लाह अपने बन्दों की ख़बर पूरी रखनेवाला, देखनेवाला है ([३५] फातिर: 31)Tafseer (तफ़सीर )
ثُمَّ اَوْرَثْنَا الْكِتٰبَ الَّذِيْنَ اصْطَفَيْنَا مِنْ عِبَادِنَاۚ فَمِنْهُمْ ظَالِمٌ لِّنَفْسِهٖ ۚوَمِنْهُمْ مُّقْتَصِدٌ ۚوَمِنْهُمْ سَابِقٌۢ بِالْخَيْرٰتِ بِاِذْنِ اللّٰهِ ۗذٰلِكَ هُوَ الْفَضْلُ الْكَبِيْرُۗ ٣٢
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- awrathnā
- أَوْرَثْنَا
- वारिस बनाया हम ने
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब का
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्हें
- iṣ'ṭafaynā
- ٱصْطَفَيْنَا
- चुन लिया हम ने
- min
- مِنْ
- अपने बन्दों में से
- ʿibādinā
- عِبَادِنَاۖ
- अपने बन्दों में से
- famin'hum
- فَمِنْهُمْ
- तो उनमें से कोई
- ẓālimun
- ظَالِمٌ
- ज़ुल्म करने वाला है
- linafsihi
- لِّنَفْسِهِۦ
- अपनी जान पर
- wamin'hum
- وَمِنْهُم
- और उनमें से कोई
- muq'taṣidun
- مُّقْتَصِدٌ
- मयाना रू है
- wamin'hum
- وَمِنْهُمْ
- और उनमें से कोई
- sābiqun
- سَابِقٌۢ
- सबक़त ले जाने वाला है
- bil-khayrāti
- بِٱلْخَيْرَٰتِ
- नेकियों में
- bi-idh'ni
- بِإِذْنِ
- अल्लाह के इज़्न
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के इज़्न
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- यही है
- huwa
- هُوَ
- वो
- l-faḍlu
- ٱلْفَضْلُ
- फ़ज़ल
- l-kabīru
- ٱلْكَبِيرُ
- बहुत बड़ा
फिर हमने इस किताब का उत्तराधिकारी उन लोगों को बनाया, जिन्हें हमने अपने बन्दो में से चुन लिया है। अब कोई तो उनमें से अपने आप पर ज़ुल्म करता है और कोई उनमें से मध्य श्रेणी का है और कोई उनमें से अल्लाह के कृपायोग से भलाइयों में अग्रसर है। यही है बड़ी श्रेष्ठता। - ([३५] फातिर: 32)Tafseer (तफ़सीर )
جَنّٰتُ عَدْنٍ يَّدْخُلُوْنَهَا يُحَلَّوْنَ فِيْهَا مِنْ اَسَاوِرَ مِنْ ذَهَبٍ وَّلُؤْلُؤًا ۚوَلِبَاسُهُمْ فِيْهَا حَرِيْرٌ ٣٣
- jannātu
- جَنَّٰتُ
- बाग़ात हैं
- ʿadnin
- عَدْنٍ
- हमेशगी के
- yadkhulūnahā
- يَدْخُلُونَهَا
- वो दाख़िल होंगे उनमें
- yuḥallawna
- يُحَلَّوْنَ
- वो पहनाए जाऐंगे
- fīhā
- فِيهَا
- उनमें
- min
- مِنْ
- कंगनों में से
- asāwira
- أَسَاوِرَ
- कंगनों में से
- min
- مِن
- सोने के
- dhahabin
- ذَهَبٍ
- सोने के
- walu'lu-an
- وَلُؤْلُؤًاۖ
- और मोती
- walibāsuhum
- وَلِبَاسُهُمْ
- और लिबास उनका
- fīhā
- فِيهَا
- उनमें
- ḥarīrun
- حَرِيرٌ
- रेशम होगा
सदैव रहने के बाग है, जिनमें वे प्रवेश करेंगे। वहाँ उन्हें सोने के कंगनों और मोती से आभूषित किया जाएगा। और वहाँ उनका वस्त्र रेशम होगा ([३५] फातिर: 33)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالُوا الْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِيْٓ اَذْهَبَ عَنَّا الْحَزَنَۗ اِنَّ رَبَّنَا لَغَفُوْرٌ شَكُوْرٌۙ ٣٤
- waqālū
- وَقَالُوا۟
- और वो कहेंगे
- l-ḥamdu
- ٱلْحَمْدُ
- सब तारीफ़
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह ही के लिए है
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- जो
- adhhaba
- أَذْهَبَ
- ले गया
- ʿannā
- عَنَّا
- हम से
- l-ḥazana
- ٱلْحَزَنَۖ
- ग़म
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- rabbanā
- رَبَّنَا
- रब हमारा
- laghafūrun
- لَغَفُورٌ
- अलबत्ता बख़शने वाला है
- shakūrun
- شَكُورٌ
- निहायत क़द्रदान है
और वे कहेंगे, 'सब प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जिसने हमसे ग़म दूर कर दिया। निश्चय ही हमारा रब अत्यन्त क्षमाशील, बड़ा गुणग्राहक है ([३५] फातिर: 34)Tafseer (तफ़सीर )
ۨالَّذِيْٓ اَحَلَّنَا دَارَ الْمُقَامَةِ مِنْ فَضْلِهٖۚ لَا يَمَسُّنَا فِيْهَا نَصَبٌ وَّلَا يَمَسُّنَا فِيْهَا لُغُوْبٌ ٣٥
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- वो जिसने
- aḥallanā
- أَحَلَّنَا
- ला उतारा हमें
- dāra
- دَارَ
- घर में
- l-muqāmati
- ٱلْمُقَامَةِ
- दाइमी क़याम के
- min
- مِن
- अपने फ़ज़ल से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦ
- अपने फ़ज़ल से
- lā
- لَا
- नहीं पहुँचती हमें
- yamassunā
- يَمَسُّنَا
- नहीं पहुँचती हमें
- fīhā
- فِيهَا
- इसमें
- naṣabun
- نَصَبٌ
- कोई मशक़्क़त
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yamassunā
- يَمَسُّنَا
- पहुँचती हमें
- fīhā
- فِيهَا
- इसमें
- lughūbun
- لُغُوبٌ
- कोई थकावट
जिसने हमें अपने उदार अनुग्रह से रहने के ऐसे घर में उतारा जहाँ न हमें कोई मशक़्क़त उठानी पड़ती है और न हमें कोई थकान ही आती है।' ([३५] फातिर: 35)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَهُمْ نَارُ جَهَنَّمَۚ لَا يُقْضٰى عَلَيْهِمْ فَيَمُوْتُوْا وَلَا يُخَفَّفُ عَنْهُمْ مِّنْ عَذَابِهَاۗ كَذٰلِكَ نَجْزِيْ كُلَّ كَفُوْرٍ ۚ ٣٦
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- nāru
- نَارُ
- आग है
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम की
- lā
- لَا
- ना काम तमाम किया जाएगा
- yuq'ḍā
- يُقْضَىٰ
- ना काम तमाम किया जाएगा
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उनका
- fayamūtū
- فَيَمُوتُوا۟
- कि वो मर जाऐं
- walā
- وَلَا
- और ना
- yukhaffafu
- يُخَفَّفُ
- हल्का किया जाएगा
- ʿanhum
- عَنْهُم
- उनसे
- min
- مِّنْ
- उसके अज़ाब में से
- ʿadhābihā
- عَذَابِهَاۚ
- उसके अज़ाब में से
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- najzī
- نَجْزِى
- हम बदला देते हैं
- kulla
- كُلَّ
- हर
- kafūrin
- كَفُورٍ
- नाशुक्रे को
रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया, उनके लिए जहन्नम की आग है, न उनका काम तमाम किया जाएगा कि मर जाएँ और न उनसे उसकी यातना ही कुछ हल्की की जाएगी। हम ऐसा ही बदला प्रत्येक अकृतज्ञ को देते है ([३५] फातिर: 36)Tafseer (तफ़सीर )
وَهُمْ يَصْطَرِخُوْنَ فِيْهَاۚ رَبَّنَآ اَخْرِجْنَا نَعْمَلْ صَالِحًا غَيْرَ الَّذِيْ كُنَّا نَعْمَلُۗ اَوَلَمْ نُعَمِّرْكُمْ مَّا يَتَذَكَّرُ فِيْهِ مَنْ تَذَكَّرَ وَجَاۤءَكُمُ النَّذِيْرُۗ فَذُوْقُوْا فَمَا لِلظّٰلِمِيْنَ مِنْ نَّصِيْرٍ ٣٧
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- yaṣṭarikhūna
- يَصْطَرِخُونَ
- वो चिल्लाऐंगे
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- rabbanā
- رَبَّنَآ
- ऐ हमारे रब
- akhrij'nā
- أَخْرِجْنَا
- निकाल हमें
- naʿmal
- نَعْمَلْ
- हम अमल करें
- ṣāliḥan
- صَٰلِحًا
- नेक
- ghayra
- غَيْرَ
- अलावा
- alladhī
- ٱلَّذِى
- उसके जो
- kunnā
- كُنَّا
- थे हम
- naʿmalu
- نَعْمَلُۚ
- हम अमल करते
- awalam
- أَوَلَمْ
- क्या भला नहीं
- nuʿammir'kum
- نُعَمِّرْكُم
- हमने उमर दी तुम्हें
- mā
- مَّا
- कि
- yatadhakkaru
- يَتَذَكَّرُ
- नसीहत पकड़ता
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- man
- مَن
- जो
- tadhakkara
- تَذَكَّرَ
- नसीहत पकड़ता
- wajāakumu
- وَجَآءَكُمُ
- और आ गया तुम्हारे पास
- l-nadhīru
- ٱلنَّذِيرُۖ
- डराने वाला
- fadhūqū
- فَذُوقُوا۟
- पस चखो
- famā
- فَمَا
- तो नहीं
- lilẓẓālimīna
- لِلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों के लिए
- min
- مِن
- कोई मददगार
- naṣīrin
- نَّصِيرٍ
- कोई मददगार
वे वहाँ चिल्लाएँगे कि 'ऐ हमारे रब! हमें निकाल ले। हम अच्छा कर्म करेंगे, उससे भिन्न जो हम करते रहे।' 'क्या हमने तुम्हें इतनी आयु नहीं दी कि जिसमें कोई होश में आना चाहता तो होश में आ जाता? और तुम्हारे पास सचेतकर्ता भी आया था, तो अब मज़ा चखते रहो! ज़ालिमोंं को कोई सहायक नहीं!' ([३५] फातिर: 37)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ اللّٰهَ عَالِمُ غَيْبِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ اِنَّهٗ عَلِيْمٌ ۢبِذَاتِ الصُّدُوْرِ ٣٨
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿālimu
- عَٰلِمُ
- जानने वाला है
- ghaybi
- غَيْبِ
- ग़ैब
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों
- wal-arḍi
- وَٱلْأَرْضِۚ
- और ज़मीन का
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- ʿalīmun
- عَلِيمٌۢ
- ख़ूब जानने वाला है
- bidhāti
- بِذَاتِ
- सीनों वाले(भेद)
- l-ṣudūri
- ٱلصُّدُورِ
- सीनों वाले(भेद)
निस्संदेह अल्लाह आकाशों और धरती की छिपी बात को जानता है। वह तो सीनो तक की बात जानता है ([३५] फातिर: 38)Tafseer (तफ़सीर )
هُوَ الَّذِيْ جَعَلَكُمْ خَلٰۤىِٕفَ فِى الْاَرْضِۗ فَمَنْ كَفَرَ فَعَلَيْهِ كُفْرُهٗۗ وَلَا يَزِيْدُ الْكٰفِرِيْنَ كُفْرُهُمْ عِنْدَ رَبِّهِمْ اِلَّا مَقْتًا ۚوَلَا يَزِيْدُ الْكٰفِرِيْنَ كُفْرُهُمْ اِلَّا خَسَارًا ٣٩
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِى
- जिसने
- jaʿalakum
- جَعَلَكُمْ
- बनाया तुम्हें
- khalāifa
- خَلَٰٓئِفَ
- जानशीन
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۚ
- ज़मीन में
- faman
- فَمَن
- पस जिसने
- kafara
- كَفَرَ
- कुफ़्र किया
- faʿalayhi
- فَعَلَيْهِ
- तो उसी पर है
- kuf'ruhu
- كُفْرُهُۥۖ
- कुफ़्र उसका
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yazīdu
- يَزِيدُ
- ज़्यादा करता
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों को
- kuf'ruhum
- كُفْرُهُمْ
- कुफ़्र उनका
- ʿinda
- عِندَ
- नज़दीक
- rabbihim
- رَبِّهِمْ
- उनके रब के
- illā
- إِلَّا
- मगर
- maqtan
- مَقْتًاۖ
- नाराज़गी में
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yazīdu
- يَزِيدُ
- ज़्यादा करता
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों को
- kuf'ruhum
- كُفْرُهُمْ
- कुफ़्र उनका
- illā
- إِلَّا
- मगर
- khasāran
- خَسَارًا
- ख़सारे में
वही तो है जिसने तुम्हे धरती में ख़लीफ़ा बनाया। अब तो कोई इनकार करेगा, उसके इनकार का वबाल उसी पर है। इनकार करनेवालों का इनकार उनके रब के यहाँ केवल प्रकोप ही को बढ़ाता है, और इनकार करनेवालों का इनकार केवल घाटे में ही अभिवृद्धि करता है ([३५] फातिर: 39)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اَرَاَيْتُمْ شُرَكَاۤءَكُمُ الَّذِيْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ۗاَرُوْنِيْ مَاذَا خَلَقُوْا مِنَ الْاَرْضِ اَمْ لَهُمْ شِرْكٌ فِى السَّمٰوٰتِۚ اَمْ اٰتَيْنٰهُمْ كِتٰبًا فَهُمْ عَلٰى بَيِّنَتٍ مِّنْهُۚ بَلْ اِنْ يَّعِدُ الظّٰلِمُوْنَ بَعْضُهُمْ بَعْضًا اِلَّا غُرُوْرًا ٤٠
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- ara-aytum
- أَرَءَيْتُمْ
- क्या देखा तुमने
- shurakāakumu
- شُرَكَآءَكُمُ
- अपने शरीकों को
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्हें
- tadʿūna
- تَدْعُونَ
- तुम पुकारते हो
- min
- مِن
- सिवाए
- dūni
- دُونِ
- सिवाए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- arūnī
- أَرُونِى
- दिखाओ मुझे
- mādhā
- مَاذَا
- क्या कुछ
- khalaqū
- خَلَقُوا۟
- उन्होंने पैदा किया है
- mina
- مِنَ
- ज़मीन में से
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में से
- am
- أَمْ
- या
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए है
- shir'kun
- شِرْكٌ
- कोई शिर्कत
- fī
- فِى
- आसमानों में
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों में
- am
- أَمْ
- या
- ātaynāhum
- ءَاتَيْنَٰهُمْ
- दी हमने उन्हें
- kitāban
- كِتَٰبًا
- कोई किताब
- fahum
- فَهُمْ
- तो वो
- ʿalā
- عَلَىٰ
- एक वाज़ेह दलील पर हों
- bayyinatin
- بَيِّنَتٍ
- एक वाज़ेह दलील पर हों
- min'hu
- مِّنْهُۚ
- उससे
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- in
- إِن
- नहीं
- yaʿidu
- يَعِدُ
- वादा करते
- l-ẓālimūna
- ٱلظَّٰلِمُونَ
- ज़ालिम
- baʿḍuhum
- بَعْضُهُم
- बाज़ उनके
- baʿḍan
- بَعْضًا
- बाज़ से
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ghurūran
- غُرُورًا
- धोके का
कहो, 'क्या तुमने अपने ठहराए हुए साझीदारो का अवलोकन भी किया, जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पुकारते हो? मुझे दिखाओ उन्होंने धरती का कौन-सा भाग पैदा किया है या आकाशों में उनकी कोई भागीदारी है?' या हमने उन्हें कोई किताब ही है कि उसका कोई स्पष्ट प्रमाण उनके पक्ष में हो? नहीं, बल्कि वे ज़ालिम आपस में एक-दूसरे से केवल धोखे का वादा कर रहे है ([३५] फातिर: 40)Tafseer (तफ़सीर )