وَلَا الظِّلُّ وَلَا الْحَرُوْرُۚ ٢١
- walā
- وَلَا
- और ना
- l-ẓilu
- ٱلظِّلُّ
- साया
- walā
- وَلَا
- और ना
- l-ḥarūru
- ٱلْحَرُورُ
- धूप
और न छाया और धूप ([३५] फातिर: 21)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا يَسْتَوِى الْاَحْيَاۤءُ وَلَا الْاَمْوَاتُۗ اِنَّ اللّٰهَ يُسْمِعُ مَنْ يَّشَاۤءُ ۚوَمَآ اَنْتَ بِمُسْمِعٍ مَّنْ فِى الْقُبُوْرِ ٢٢
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- yastawī
- يَسْتَوِى
- बराबर हो सकते
- l-aḥyāu
- ٱلْأَحْيَآءُ
- ज़िन्दा
- walā
- وَلَا
- और ना
- l-amwātu
- ٱلْأَمْوَٰتُۚ
- मुर्दे
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yus'miʿu
- يُسْمِعُ
- वो सुनाता है
- man
- مَن
- जिसे
- yashāu
- يَشَآءُۖ
- वो चाहता है
- wamā
- وَمَآ
- और नहीं
- anta
- أَنتَ
- आप
- bimus'miʿin
- بِمُسْمِعٍ
- सुनाने वाले
- man
- مَّن
- उन्हें जो
- fī
- فِى
- क़ब्रों में हैं
- l-qubūri
- ٱلْقُبُورِ
- क़ब्रों में हैं
और न जीवित और मृत बराबर है। निश्चय ही अल्लाह जिसे चाहता है सुनाता है। तुम उन लोगों को नहीं सुना सकते, जो क़ब्रों में हो। ([३५] फातिर: 22)Tafseer (तफ़सीर )
اِنْ اَنْتَ اِلَّا نَذِيْرٌ ٢٣
- in
- إِنْ
- नहीं हैं
- anta
- أَنتَ
- आप
- illā
- إِلَّا
- मगर
- nadhīrun
- نَذِيرٌ
- डराने वाले
तुम तो बस एक सचेतकर्ता हो ([३५] फातिर: 23)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّآ اَرْسَلْنٰكَ بِالْحَقِّ بَشِيْرًا وَّنَذِيْرًا ۗوَاِنْ مِّنْ اُمَّةٍ اِلَّا خَلَا فِيْهَا نَذِيْرٌ ٢٤
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हम
- arsalnāka
- أَرْسَلْنَٰكَ
- भेजा हमने आपको
- bil-ḥaqi
- بِٱلْحَقِّ
- साथ हक़ के
- bashīran
- بَشِيرًا
- ख़ुशख़बरी देने वाला
- wanadhīran
- وَنَذِيرًاۚ
- और डराने वाला(बना कर)
- wa-in
- وَإِن
- और नहीं
- min
- مِّنْ
- कोई भी उम्मत
- ummatin
- أُمَّةٍ
- कोई भी उम्मत
- illā
- إِلَّا
- मगर
- khalā
- خَلَا
- गुज़रा है
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- nadhīrun
- نَذِيرٌ
- एक डराने वाला
हमने तुम्हें सत्य के साथ भेजा है, शुभ-सूचना देनेवाला और सचेतकर्ता बनाकर। और जो भी समुदाय गुज़रा है, उसमें अनिवार्यतः एक सचेतकर्ता हुआ है ([३५] फातिर: 24)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ يُّكَذِّبُوْكَ فَقَدْ كَذَّبَ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ۚجَاۤءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَيِّنٰتِ وَبِالزُّبُرِ وَبِالْكِتٰبِ الْمُنِيْرِ ٢٥
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yukadhibūka
- يُكَذِّبُوكَ
- वो झुठलाते हैं आपको
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- kadhaba
- كَذَّبَ
- झुठलाया
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों ने जो
- min
- مِن
- उनसे पहले थे
- qablihim
- قَبْلِهِمْ
- उनसे पहले थे
- jāathum
- جَآءَتْهُمْ
- आए उनके पास
- rusuluhum
- رُسُلُهُم
- रसूल उनके
- bil-bayināti
- بِٱلْبَيِّنَٰتِ
- साथ वाज़ेह निशानियों के
- wabil-zuburi
- وَبِٱلزُّبُرِ
- और साथ सहीफ़ों के
- wabil-kitābi
- وَبِٱلْكِتَٰبِ
- और साथ किताबे
- l-munīri
- ٱلْمُنِيرِ
- रौशन के
यदि वे तुम्हें झुठलाते है तो जो उनसे पहले थे वे भी झुठला चुके है। उनके रसूल उनके पास स्पष्ट और ज़बूरें और प्रकाशमान किताब लेकर आए थे ([३५] फातिर: 25)Tafseer (तफ़सीर )
ثُمَّ اَخَذْتُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا فَكَيْفَ كَانَ نَكِيْرِ ࣖ ٢٦
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- akhadhtu
- أَخَذْتُ
- मैं ने पकड़ लिया
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्हें जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟ۖ
- कुफ़्र किया
- fakayfa
- فَكَيْفَ
- तो किस तरह
- kāna
- كَانَ
- हुई
- nakīri
- نَكِيرِ
- सज़ा मेरी
फिर मैं उन लोगों को, जिन्होंने इनकार किया, पकड़ लिया (तो फिर कैसा रहा मेरा इनकार!) ([३५] फातिर: 26)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءًۚ فَاَخْرَجْنَا بِهٖ ثَمَرٰتٍ مُّخْتَلِفًا اَلْوَانُهَا ۗوَمِنَ الْجِبَالِ جُدَدٌ ۢبِيْضٌ وَّحُمْرٌ مُّخْتَلِفٌ اَلْوَانُهَا وَغَرَابِيْبُ سُوْدٌ ٢٧
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- tara
- تَرَ
- आपने देखा
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह ने
- anzala
- أَنزَلَ
- उतारा
- mina
- مِنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- māan
- مَآءً
- पानी
- fa-akhrajnā
- فَأَخْرَجْنَا
- फिर निकाला हमने
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- thamarātin
- ثَمَرَٰتٍ
- फल
- mukh'talifan
- مُّخْتَلِفًا
- मुख़्तलिफ़ हैं
- alwānuhā
- أَلْوَٰنُهَاۚ
- रंग उनके
- wamina
- وَمِنَ
- और पहाड़ों में से
- l-jibāli
- ٱلْجِبَالِ
- और पहाड़ों में से
- judadun
- جُدَدٌۢ
- टुकड़े हैं
- bīḍun
- بِيضٌ
- कुछ सफ़ेद
- waḥum'run
- وَحُمْرٌ
- और कुछ सुर्ख़
- mukh'talifun
- مُّخْتَلِفٌ
- मुख़्तलिफ़ हैं
- alwānuhā
- أَلْوَٰنُهَا
- रंग उनके
- wagharābību
- وَغَرَابِيبُ
- और कुछ काले
- sūdun
- سُودٌ
- सयाह
क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ने आकाश से पानी बरसाया, फिर उसके द्वारा हमने फल निकाले, जिनके रंग विभिन्न प्रकार के होते है? और पहाड़ो में भी श्वेत और लाल विभिन्न रंगों की धारियाँ पाई जाती है, और भुजंग काली भी ([३५] फातिर: 27)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنَ النَّاسِ وَالدَّوَاۤبِّ وَالْاَنْعَامِ مُخْتَلِفٌ اَلْوَانُهٗ كَذٰلِكَۗ اِنَّمَا يَخْشَى اللّٰهَ مِنْ عِبَادِهِ الْعُلَمٰۤؤُاۗ اِنَّ اللّٰهَ عَزِيْزٌ غَفُوْرٌ ٢٨
- wamina
- وَمِنَ
- और इन्सानों में से
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- और इन्सानों में से
- wal-dawābi
- وَٱلدَّوَآبِّ
- और जानवरों
- wal-anʿāmi
- وَٱلْأَنْعَٰمِ
- और मवेशियों में से
- mukh'talifun
- مُخْتَلِفٌ
- मुख़्तलिफ़ हैं
- alwānuhu
- أَلْوَٰنُهُۥ
- रंग उनके
- kadhālika
- كَذَٰلِكَۗ
- इसी तरह
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- yakhshā
- يَخْشَى
- डरते हैं
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- min
- مِنْ
- उसके बन्दों में से
- ʿibādihi
- عِبَادِهِ
- उसके बन्दों में से
- l-ʿulamāu
- ٱلْعُلَمَٰٓؤُا۟ۗ
- उलेमा ही
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿazīzun
- عَزِيزٌ
- बहुत ज़बरदस्त है
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़श्ने वाला है
और मनुष्यों और जानवरों और चौपायों के रंग भी इसी प्रकार भिन्न हैं। अल्लाह से डरते तो उसके वही बन्दे हैं, जो बाख़बर है। निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, क्षमाशील है ([३५] फातिर: 28)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ يَتْلُوْنَ كِتٰبَ اللّٰهِ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاَنْفَقُوْا مِمَّا رَزَقْنٰهُمْ سِرًّا وَّعَلَانِيَةً يَّرْجُوْنَ تِجَارَةً لَّنْ تَبُوْرَۙ ٢٩
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- yatlūna
- يَتْلُونَ
- पढ़ते हैं
- kitāba
- كِتَٰبَ
- किताब
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- wa-aqāmū
- وَأَقَامُوا۟
- और वो क़ायम करते हैं
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَ
- नमाज़
- wa-anfaqū
- وَأَنفَقُوا۟
- और वो ख़र्च करते हैं
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- razaqnāhum
- رَزَقْنَٰهُمْ
- रिज़्क़ दिया हमने उन्हें
- sirran
- سِرًّا
- पोशीदा
- waʿalāniyatan
- وَعَلَانِيَةً
- और अलानिया
- yarjūna
- يَرْجُونَ
- वो उम्मीद रखते हैं
- tijāratan
- تِجَٰرَةً
- ऐसी तिजारत की
- lan
- لَّن
- हरगिज़ ना
- tabūra
- تَبُورَ
- वो तबाह होगी
निश्चय ही जो लोग अल्लाह की किताब पढ़ते हैं, इस हाल मे कि नमाज़ के पाबन्द हैं, और जो कुछ हमने उन्हें दिया है, उसमें से छिपे और खुले ख़र्च किया है, वे एक ऐसे व्यापार की आशा रखते है जो कभी तबाह न होगा ([३५] फातिर: 29)Tafseer (तफ़सीर )
لِيُوَفِّيَهُمْ اُجُوْرَهُمْ وَيَزِيْدَهُمْ مِّنْ فَضْلِهٖۗ اِنَّهٗ غَفُوْرٌ شَكُوْرٌ ٣٠
- liyuwaffiyahum
- لِيُوَفِّيَهُمْ
- ताकि वो पूरे-पूरे दे उन्हें
- ujūrahum
- أُجُورَهُمْ
- अजर उनके
- wayazīdahum
- وَيَزِيدَهُم
- और ज़्यादा दे उन्हें
- min
- مِّن
- अपने फ़ज़ल से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦٓۚ
- अपने फ़ज़ल से
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- shakūrun
- شَكُورٌ
- निहायत क़द्रदान है
परिणामस्वरूप वह उन्हें उनके प्रतिदान पूरे-पूरे दे और अपने उदार अनुग्रह से उन्हें और अधिक भी प्रदान करे। निस्संदेह वह बहुत क्षमाशील, अत्यन्त गुणग्राहक है ([३५] फातिर: 30)Tafseer (तफ़सीर )