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सूरा फातिर - Page: 3

Fatir

(मलाइका, Originator)

२१

وَلَا الظِّلُّ وَلَا الْحَرُوْرُۚ ٢١

walā
وَلَا
और ना
l-ẓilu
ٱلظِّلُّ
साया
walā
وَلَا
और ना
l-ḥarūru
ٱلْحَرُورُ
धूप
और न छाया और धूप ([३५] फातिर: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

وَمَا يَسْتَوِى الْاَحْيَاۤءُ وَلَا الْاَمْوَاتُۗ اِنَّ اللّٰهَ يُسْمِعُ مَنْ يَّشَاۤءُ ۚوَمَآ اَنْتَ بِمُسْمِعٍ مَّنْ فِى الْقُبُوْرِ ٢٢

wamā
وَمَا
और नहीं
yastawī
يَسْتَوِى
बराबर हो सकते
l-aḥyāu
ٱلْأَحْيَآءُ
ज़िन्दा
walā
وَلَا
और ना
l-amwātu
ٱلْأَمْوَٰتُۚ
मुर्दे
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yus'miʿu
يُسْمِعُ
वो सुनाता है
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۖ
वो चाहता है
wamā
وَمَآ
और नहीं
anta
أَنتَ
आप
bimus'miʿin
بِمُسْمِعٍ
सुनाने वाले
man
مَّن
उन्हें जो
فِى
क़ब्रों में हैं
l-qubūri
ٱلْقُبُورِ
क़ब्रों में हैं
और न जीवित और मृत बराबर है। निश्चय ही अल्लाह जिसे चाहता है सुनाता है। तुम उन लोगों को नहीं सुना सकते, जो क़ब्रों में हो। ([३५] फातिर: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

اِنْ اَنْتَ اِلَّا نَذِيْرٌ ٢٣

in
إِنْ
नहीं हैं
anta
أَنتَ
आप
illā
إِلَّا
मगर
nadhīrun
نَذِيرٌ
डराने वाले
तुम तो बस एक सचेतकर्ता हो ([३५] फातिर: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

اِنَّآ اَرْسَلْنٰكَ بِالْحَقِّ بَشِيْرًا وَّنَذِيْرًا ۗوَاِنْ مِّنْ اُمَّةٍ اِلَّا خَلَا فِيْهَا نَذِيْرٌ ٢٤

innā
إِنَّآ
बेशक हम
arsalnāka
أَرْسَلْنَٰكَ
भेजा हमने आपको
bil-ḥaqi
بِٱلْحَقِّ
साथ हक़ के
bashīran
بَشِيرًا
ख़ुशख़बरी देने वाला
wanadhīran
وَنَذِيرًاۚ
और डराने वाला(बना कर)
wa-in
وَإِن
और नहीं
min
مِّنْ
कोई भी उम्मत
ummatin
أُمَّةٍ
कोई भी उम्मत
illā
إِلَّا
मगर
khalā
خَلَا
गुज़रा है
fīhā
فِيهَا
उसमें
nadhīrun
نَذِيرٌ
एक डराने वाला
हमने तुम्हें सत्य के साथ भेजा है, शुभ-सूचना देनेवाला और सचेतकर्ता बनाकर। और जो भी समुदाय गुज़रा है, उसमें अनिवार्यतः एक सचेतकर्ता हुआ है ([३५] फातिर: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

وَاِنْ يُّكَذِّبُوْكَ فَقَدْ كَذَّبَ الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ ۚجَاۤءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَيِّنٰتِ وَبِالزُّبُرِ وَبِالْكِتٰبِ الْمُنِيْرِ ٢٥

wa-in
وَإِن
और अगर
yukadhibūka
يُكَذِّبُوكَ
वो झुठलाते हैं आपको
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
kadhaba
كَذَّبَ
झुठलाया
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِمْ
उनसे पहले थे
jāathum
جَآءَتْهُمْ
आए उनके पास
rusuluhum
رُسُلُهُم
रसूल उनके
bil-bayināti
بِٱلْبَيِّنَٰتِ
साथ वाज़ेह निशानियों के
wabil-zuburi
وَبِٱلزُّبُرِ
और साथ सहीफ़ों के
wabil-kitābi
وَبِٱلْكِتَٰبِ
और साथ किताबे
l-munīri
ٱلْمُنِيرِ
रौशन के
यदि वे तुम्हें झुठलाते है तो जो उनसे पहले थे वे भी झुठला चुके है। उनके रसूल उनके पास स्पष्ट और ज़बूरें और प्रकाशमान किताब लेकर आए थे ([३५] फातिर: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

ثُمَّ اَخَذْتُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا فَكَيْفَ كَانَ نَكِيْرِ ࣖ ٢٦

thumma
ثُمَّ
फिर
akhadhtu
أَخَذْتُ
मैं ने पकड़ लिया
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन्हें जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟ۖ
कुफ़्र किया
fakayfa
فَكَيْفَ
तो किस तरह
kāna
كَانَ
हुई
nakīri
نَكِيرِ
सज़ा मेरी
फिर मैं उन लोगों को, जिन्होंने इनकार किया, पकड़ लिया (तो फिर कैसा रहा मेरा इनकार!) ([३५] फातिर: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ اَنْزَلَ مِنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءًۚ فَاَخْرَجْنَا بِهٖ ثَمَرٰتٍ مُّخْتَلِفًا اَلْوَانُهَا ۗوَمِنَ الْجِبَالِ جُدَدٌ ۢبِيْضٌ وَّحُمْرٌ مُّخْتَلِفٌ اَلْوَانُهَا وَغَرَابِيْبُ سُوْدٌ ٢٧

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
tara
تَرَ
आपने देखा
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
anzala
أَنزَلَ
उतारा
mina
مِنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
māan
مَآءً
पानी
fa-akhrajnā
فَأَخْرَجْنَا
फिर निकाला हमने
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
thamarātin
ثَمَرَٰتٍ
फल
mukh'talifan
مُّخْتَلِفًا
मुख़्तलिफ़ हैं
alwānuhā
أَلْوَٰنُهَاۚ
रंग उनके
wamina
وَمِنَ
और पहाड़ों में से
l-jibāli
ٱلْجِبَالِ
और पहाड़ों में से
judadun
جُدَدٌۢ
टुकड़े हैं
bīḍun
بِيضٌ
कुछ सफ़ेद
waḥum'run
وَحُمْرٌ
और कुछ सुर्ख़
mukh'talifun
مُّخْتَلِفٌ
मुख़्तलिफ़ हैं
alwānuhā
أَلْوَٰنُهَا
रंग उनके
wagharābību
وَغَرَابِيبُ
और कुछ काले
sūdun
سُودٌ
सयाह
क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ने आकाश से पानी बरसाया, फिर उसके द्वारा हमने फल निकाले, जिनके रंग विभिन्न प्रकार के होते है? और पहाड़ो में भी श्वेत और लाल विभिन्न रंगों की धारियाँ पाई जाती है, और भुजंग काली भी ([३५] फातिर: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

وَمِنَ النَّاسِ وَالدَّوَاۤبِّ وَالْاَنْعَامِ مُخْتَلِفٌ اَلْوَانُهٗ كَذٰلِكَۗ اِنَّمَا يَخْشَى اللّٰهَ مِنْ عِبَادِهِ الْعُلَمٰۤؤُاۗ اِنَّ اللّٰهَ عَزِيْزٌ غَفُوْرٌ ٢٨

wamina
وَمِنَ
और इन्सानों में से
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
और इन्सानों में से
wal-dawābi
وَٱلدَّوَآبِّ
और जानवरों
wal-anʿāmi
وَٱلْأَنْعَٰمِ
और मवेशियों में से
mukh'talifun
مُخْتَلِفٌ
मुख़्तलिफ़ हैं
alwānuhu
أَلْوَٰنُهُۥ
रंग उनके
kadhālika
كَذَٰلِكَۗ
इसी तरह
innamā
إِنَّمَا
बेशक
yakhshā
يَخْشَى
डरते हैं
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
min
مِنْ
उसके बन्दों में से
ʿibādihi
عِبَادِهِ
उसके बन्दों में से
l-ʿulamāu
ٱلْعُلَمَٰٓؤُا۟ۗ
उलेमा ही
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ʿazīzun
عَزِيزٌ
बहुत ज़बरदस्त है
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़श्ने वाला है
और मनुष्यों और जानवरों और चौपायों के रंग भी इसी प्रकार भिन्न हैं। अल्लाह से डरते तो उसके वही बन्दे हैं, जो बाख़बर है। निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, क्षमाशील है ([३५] फातिर: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

اِنَّ الَّذِيْنَ يَتْلُوْنَ كِتٰبَ اللّٰهِ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاَنْفَقُوْا مِمَّا رَزَقْنٰهُمْ سِرًّا وَّعَلَانِيَةً يَّرْجُوْنَ تِجَارَةً لَّنْ تَبُوْرَۙ ٢٩

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yatlūna
يَتْلُونَ
पढ़ते हैं
kitāba
كِتَٰبَ
किताब
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
wa-aqāmū
وَأَقَامُوا۟
और वो क़ायम करते हैं
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
wa-anfaqū
وَأَنفَقُوا۟
और वो ख़र्च करते हैं
mimmā
مِمَّا
उसमें से जो
razaqnāhum
رَزَقْنَٰهُمْ
रिज़्क़ दिया हमने उन्हें
sirran
سِرًّا
पोशीदा
waʿalāniyatan
وَعَلَانِيَةً
और अलानिया
yarjūna
يَرْجُونَ
वो उम्मीद रखते हैं
tijāratan
تِجَٰرَةً
ऐसी तिजारत की
lan
لَّن
हरगिज़ ना
tabūra
تَبُورَ
वो तबाह होगी
निश्चय ही जो लोग अल्लाह की किताब पढ़ते हैं, इस हाल मे कि नमाज़ के पाबन्द हैं, और जो कुछ हमने उन्हें दिया है, उसमें से छिपे और खुले ख़र्च किया है, वे एक ऐसे व्यापार की आशा रखते है जो कभी तबाह न होगा ([३५] फातिर: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

لِيُوَفِّيَهُمْ اُجُوْرَهُمْ وَيَزِيْدَهُمْ مِّنْ فَضْلِهٖۗ اِنَّهٗ غَفُوْرٌ شَكُوْرٌ ٣٠

liyuwaffiyahum
لِيُوَفِّيَهُمْ
ताकि वो पूरे-पूरे दे उन्हें
ujūrahum
أُجُورَهُمْ
अजर उनके
wayazīdahum
وَيَزِيدَهُم
और ज़्यादा दे उन्हें
min
مِّن
अपने फ़ज़ल से
faḍlihi
فَضْلِهِۦٓۚ
अपने फ़ज़ल से
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
shakūrun
شَكُورٌ
निहायत क़द्रदान है
परिणामस्वरूप वह उन्हें उनके प्रतिदान पूरे-पूरे दे और अपने उदार अनुग्रह से उन्हें और अधिक भी प्रदान करे। निस्संदेह वह बहुत क्षमाशील, अत्यन्त गुणग्राहक है ([३५] फातिर: 30)
Tafseer (तफ़सीर )